CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 2.
CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium Paper 2
Board | CBSE |
Class | 10 |
Subject | Social Science |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Social Science in Hindi Medium is given below with free PDF download Answers.
समय : 3 घण्टे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 26 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके सामने दिए गए हैं।
- प्रश्न संख्या 1 से 7 अति लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।
- प्रश्न संख्या 8 से 18 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 19 से 25 तक प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- प्रश्न संख्या 26 मानचित्र से सम्बंधित है। इसके दो भाग हैं 26(A) और 26(B) / 26(A) 2 अंक का इतिहास से तथा 26(B) 3 अंक का भूगोल से है। मानचित्र का प्रश्न पूर्ण होने पर उसे अपनी उत्तर-पुस्तिका के साथ नत्थी करें।
- पूर्ण प्रश्न-पत्र में विकल्प नहीं हैं। फिर भी कई प्रश्नों में आंतरिक विकल्प हैं। ऐसे सभी प्रश्नों में से प्रत्येक से आपको एक ही विकल्प हल करना है।
प्र० 1.
रॉलट एक्ट क्यों लागू किया गया था? 1
प्र० 2.
कौन-सी चट्टानें केवल एक ही खनिज से बनी है? 1
प्र० 3.
यदि किसी राजनीतिक दल के सभी निर्णय एक परिवार के लोगों द्वारा किए जाते हैं तथा अन्य सदस्यों की अवहेलना की जाती है तो उस दल के सामने कौन-सी चुनौती होती है? 1
प्र० 4.
एशिया के उन दो देशों के नाम बताइए जिनमें दो भाषाई और जातीय समूहों में संघर्ष था। 1
प्र० 5.
‘वस्तु विनिमय प्रणाली’ का क्या अर्थ है? 1
प्र० 6.
बिजली का सामान खरीदते समय आप कौन-सा शब्द-चिह्न (logo) देखना चाहेंगे? 1
प्र० 7.
विकास की धारणीयता का क्या अर्थ है? 1
प्र० 8.
विश्व युद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 3
अथवा
18वीं सदी के प्रांरभ में भारतीय बुनकरों की क्या-क्या समस्याएँ थीं? 3
अथवा
प्रेसीडेंसी शहर किन शहरों को कहते हैं? कब और कैसे बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाया गया? 3
प्र० 9.
राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे? 3
प्र० 10.
मुद्रण युग से पहले भारत में सूचना और विचार कैसे लिखे जाते थे? भारत में मुद्रण तकनीक का चलन किस प्रकार प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए। 3
अथवा
औपनिवेशक प्रशासकों को देशी उपन्यासों में देशी जीवन और रीतिरिवाजों से जुड़ी जानकारी का बहुमूल्य स्त्रोत किस प्रकार नज़र आया? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 11.
“कांग्रेस अपने कार्यक्रम में औद्योगिक श्रमिकों की माँगों को समाहित करने में हिचकिचा रही थी।” कारणों का विश्लेषण कीजिए। 3
प्र० 12.
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? 3
प्र० 13.
बाँध किस प्रकार बाढ़ एवं अन्य पर्यावरणीय समस्याओं के जनक बनते जा रहे हैं? व्याख्या कीजिए। 3
प्र० 14.
लैंगिक विभाजन को अर्थ स्पष्ट कीजिए। यह किस प्रकार राजनीति को प्रभावित करता है? 3
प्र० 15.
“सारी दुनिया में पार्टियों के भीतर आन्तरिक लोकतंत्र का न होना एक बड़ी चुनौती है।” इस कथन का विश्लेषण कीजिए। 3
प्र० 16.
बहुदलीय व्यवस्था क्या है? भारत ने बहुदलीय व्यवस्था को क्यों अपनाया है? स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 17.
प्राथमिक क्षेत्रक और द्वितीयक क्षेत्रक में चार बिन्दु देते हुए अन्तर स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 18.
बैंकों और सहकारी समितियों को अपनी गतिविधियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए। 3
प्र० 19.
जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। 5
अथवा
वियतनाम में 1926 में साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल में हुए एक बड़े आंदोलन का वर्णन कीजिए। 5
प्र० 20.
मृदा का महत्त्व बताइए। मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों को स्पष्ट कीजिए। 5
प्र० 21.
कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए। 5
प्र० 22.
“सिर्फ राजनीति ही जातिग्रस्त नहीं होती, जाति भी राजनीति ग्रस्त हो जाती है।” कथन को स्पष्ट कीजिए। 5
प्र० 23.
“लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शान्ति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन की उपयुक्त उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए। 5
प्र० 24.
“जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य पर वस्तुएँ बेची जाती हैं।” इसके संभावित कारणों पर बात करें। क्या उपभोक्ता समूह इस मामले में कुछ कर सकते हैं? चर्चा करें। 5
प्र० 25.
“वैश्वीकरण और उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।” इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए। (1 + 4 = 5)
प्र० 26.
(A) भारत के दिए गए राजनीतिक रेखा-मानचित्र पर
पहचानिए : (a) से अंकित किया गया वह स्थान, जहाँ दिसम्बर, 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अधिवेशन हुआ। 1
पता लगाकर चिन्हित कीजिए : (b) वह स्थान, जहाँ नील उगाने वाले किसानों का आंदोलन हुआ था। 1
(B) भारत के दिए गए राजनीतिक रेखा-मानचित्र पर
पहचानिए : (c) से अंकित किया गया उत्तर-दक्षिण गलियारे का एक टर्मिनल स्टेशन 1
पता लगाकर चिन्हित कीजिए :
(i) गांधीनगर : सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क
(ii) बोकारो : लोहा और इस्पात संयंत्र (1 + 1 = 2)
नोट: निम्नलिखित प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए प्रश्न संख्या 26 के स्थान पर हैं : (5 x 1 = 5)
(a) उस स्थान का नाम लिखिए जहाँ 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ।
(b) उस स्थान का नाम लिखिए जहाँ कर विरोधी आंदोलन का आरंभ हुआ था।
(c) कुद्रेमुख लौह अयस्क खान किस राज्य में स्थित है?
(d) पूर्व-पश्चिमी गलियारे के पूर्वी टर्मिनल स्टेशन का नाम बताइए।
(e) गाँधीनगर सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क किस राज्य में स्थित है?
Answers
उत्तर 1.
रॉलट एक्ट राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनैतिक कैदियों को दो साल बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने के लिए लागू किया गया था।
उत्तर 2.
अवसादी चट्टानें।
उत्तर 3.
आंतरिक लोकतंत्र की चुनौती।
उत्तर 4.
श्रीलंका तथा भारत।
उत्तर 5.
‘वस्तु विनिमय प्रणाली’ में मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का विनिमय (आदान-प्रदान) होता है।
उत्तर 6.
आई०एस०आई० (ISI).
उत्तर 7.
विकास की धारणीयता का तात्पर्य ज्ञान के उस नए क्षेत्र से है जिसमें वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, दार्शनिक सब मिल-जुल कर प्रकृति और मानव विकास में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
उत्तर 8.
अगस्त, 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ। उस समय अधिकांश सरकारें यह सोच रही थीं कि युद्ध दो-चार महीने में समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस युद्ध को समाप्त होने में चार वर्ष से ज्यादा समय लग गया। इस युद्ध के कई विनाशकारी परिणाम हुए। मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसा भीषण युद्ध पहले कभी नहीं हुआ था। यह पहला औद्योगिक युद्ध था। इस युद्ध के लिए पूरी दुनिया से असंख्य सैनिकों को भर्ती किया गया था। उन सैनिकों को जलपातों और रेलगाड़ियों में भरकर युद्ध के मोर्चे पर लाया गया था। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ लोग घायल हुए। मृतकों और घायलों में ज्यादा कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायके लोगों की संख्या कम हो गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई। इस युद्ध ने पूरे समाज पर गहरा प्रभाव डाला। इसके परिणामस्वरूप घर की औरतों को काम के लिए बाहर निकलना पड़ा।
अथवा
- कच्चे माल की कमी – भारत से कच्चे कपास का निर्यात बढ़ने से कच्चे कपास की कीमतें बढ़ गईं। भारतीय बुनकरों को मंहगी कीमतों पर कच्चा माल खरीदने के लिए बाध्य किया गया।
- गुमाश्तों के साथ कलह – गुमाश्ते अन्यायपूर्ण तरीके से काम करते थे और बुनकरों को आपूर्ति में देरी करने पर दंडित करते थे। इसलिए उनका बुनकरों के साथ कलह होता रहता था।
- अग्रिम की व्यवस्था – अंग्रेजों ने आपूर्ति की सुनिश्चितता के लिए बुनकरों को अग्रिम देने की व्यवस्था शुरू की। बुनकरों ने अधिक कमाने के लिए उत्सुकतापूर्वक अग्रिम लिया परन्तु वे तैयार माल समय से देने में असमर्थ रहे। वे अब छोटे खेतो को भी खाने लगे जिनको अब तक जोतते आ रहे थे।
अथवा
बहुउपयोगी किस्म के शहरों को प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। उनमें बड़े-बड़े बंदरगाह थे, वेयरहाउस थे, घरे तथा दफ्तर थे, सेना की छावनियाँ थीं और शैक्षणिक संस्थान, संग्रहालय व पुस्तकालय थे। बंबई पश्चिमी भारत का एक महत्वपूर्ण प्रशासकीय केंद्र बन गया था। इस सदी की समाप्ती तक आते-आते बंबई देश का एक बड़ा औद्योगिक केंद्र बन चुका था। अंग्रेज़-मराठा युद्ध में मराठों की हार के बाद 1819 में बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी घोषित कर दिया गया।
उत्तर 9.
राजनीतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। जैसे-डॉ० अंबेडकर ‘दलित वर्गों का नेतृत्व करते थे। इसी प्रकार मोहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व करते थे। ये नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और पृथक निर्वाचन क्षेत्र की माँग उठाकर अपने समाज का जीवन-स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे। परन्तु कांग्रेस, विशेषकर गाँधी जी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। यही कारण था कि राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर बँटे हुए थे।
उत्तर 10.
मुद्रण युग से पहले भारत में सूचना और विचार विभिन्न भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियों पर लिखे जाते थे। पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज़ पर नकल कर बनाई जाती थीं। कभी-कभी तो पन्नों पर बेहतरीन तस्वीरें भी बनाई जाती थीं। पांडुलिपियों को तख्तियों की ज़िल्द में या सिलकर सुरक्षित रखा जाता था। प्रिंटिंग प्रेस पहले-पहल सोलहवीं सदी में भारत के गोवा में पुर्तगाली धर्म-प्रचारकों के साथ आया। जेसुइट पुजारियों ने कोंकणी सीखी और कई सारी पुस्तिकाएँ छापीं। 1674 ई० तक कोंकणी और कन्नड़ भाषाओं में लगभग 50 किताबें छप चुकीं थीं। कैथोलिक पुजारियों ने 1579 में कोचीन में पहली तमिल किताब छापी और 1713 में पहली मलयालयम किताब छापने वाले भी वही थे। डच प्रोटेस्टेंट धर्म-प्रचारकों ने 32 तमिल किताबें छापीं, जिनमें से कई पुरानी किताबों का अनुवाद थीं।
अथवा
औपनिवेशिक प्रशासकों को उपन्यासों में देसी जीवन रीति-रिवाज से जुड़ी जानकारी को बहुमूल्य स्रोत नज़र आया। विभिन्न समुदायों व जातियों वाले भारतीय समाज पर शासन करने के लिए इस तरह की जानकारी उपयोगी थी। भारतीय घरों के भीतर की जानकारी भारतीय भाषाओं के इन नए उपन्यासों में विपुल थी। उन्हें पढ़कर लोगों के पहनावे-ओढावे, पूजा-पाठ, उनके विश्वास और आचार आदि के बारे में सहज पता चल सकता था। इनमें से कुछ किताबों का अंग्रेजी अनुवाद ब्रितानी प्रशासकों व ईसाई मिशनरियों ने भारतीय समाज की जानकारी प्राप्त करने के लिए करवाया।
उत्तर 11.
औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में नागपुर के अलावा और कहीं भी बहुत बड़ी संख्या में भाग नहीं लिया। जैसे-जैसे उद्योगपति कांग्रेस के नजदीक आ रहे थे, मजदूर कांग्रेस से छिटकने लगे थे। फिर भी कुछ मज़दूरों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया। परंतु अभी भी कांग्रेस अपने कार्यक्रमों में मजूदरों की मांगों को समाहित करने में हिचकिचा रही थी। कांग्रेस को लगता था कि ऐसा करने से उद्योगपति इस आंदोलन से दूर हो जाएँगे और साम्राज्यवाद विरोधी ताकतों में फूट पड़ेगी।
उत्तर 12.
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है।
जलोढ़ मृदा की विशेषताएँ :
- यह सबसे अधिक उपजाऊ और अधिक विस्तार वाली मृदा है।
- यह मृदा देश के उत्तरी मैदानों तथा तटीय प्रदेशों में पाई जाती है।
- इस मृदा में पेड़-पौधों का गला-सड़ा अंश (ह्यूमस) काफी मात्रा में मिलता है।
- चूना अंश भी जलोढ़ मृदा में काफी मिलता है।
- पुरानी जलोढ़ मृदा से बने क्षेत्र को ‘बांगर’ तथा नई जलोढ़ मृदा से बने क्षेत्र को ‘खादर’ कहते हैं।
उत्तर 13.
यह एक विडंबना ही है कि जो बाँध बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाए जाते हैं, उनके जलाशयों में तलछट जमा होने से वे बाढ़ आने का कारण बन जाते हैं। अत्यधिक वर्षा होने की दशा में तो कई बार बड़े बाँध भी बाढ़ नियंत्रण में असफल रहते हैं। जिस प्रकार सन् 2008 में कोसी (बिहार) नदी में आई बाढ़ इसका उदाहरण है। कि बाँध भी बाढ़ नियंत्रण में असफल हो जाते हैं। इन बाढों से न केवल जान-माल का नुकसान होता है। बल्कि बड़े स्तर पर मृदा का अपरदन भी होता है। बाँध के जलाशय पर तलछट जमा होने का अर्थ यह भी है कि यह तलछट, जो एक प्राकृतिक उर्वरक है, बाढ़ के मैदानों तक नहीं पहुँचती जिसके फलस्वरूप भूमि निम्नीकरण की समस्याएँ बढ़ती हैं। यह भी माना जाता है कि बहुउद्देशीय योजनाओं के कारण भूकंप आने की संभावना भी बढ़ जाती है और अत्यधिक जल के उपयोग से जल-जनित बीमारियाँ, फसलों में कीटाणु-जनित बीमारियाँ और प्रदूषण फैलता है।
उत्तर 14.
लैंगिक विभाजन से अर्थ समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाओं से हैं। लैंगिक असमानता को प्राकृतिक और अपरिवर्तनीय मान लिया जाता है। परंतु लैंगिक असमानता का आधार स्त्री और पुरुष की जैविक बनावट नहीं बल्कि इन दोनों के विषय में प्रचलित रूढ़ छवियाँ और निश्चित सामाजिक भूमिकाएँ हैं। यह बात अधिकतर परिवारों के श्रम के लैंगिक विभाजन से झलकती है जहाँ महिलाएँ घर के अंदर का सारा काम-काज करती हैं जबकि पुरुष घर के बाहर का काम करते हैं। धीरे-धीरे राजनीति में लैंगिक मुद्दे उभरे। जिसके बाद दुनिया के अलग-अलग भागों में महिलाओं ने अपने संगठन बनाए और बराबरी के अधिकार हासिल करने के लिए आंदोलन किए। विभिन्न देशों में महिलाओं को वोट का अधिकार प्रदान करने के लिए आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में महिलाओं के राजनीतिक और वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने के लिए संघर्ष किया गया। आज विभिन्न देशों में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर काफ़ी ऊँचा हुआ है।
उत्तर 15.
सम्पूर्ण विश्व में यह प्रवृत्ति बन गई है कि सम्पूर्ण शक्ति एक या कुछ नेताओं के हाथों में सिमट जाती है। राजनीतिक पार्टियों के पास न तो सदस्यों की खुली सूची होती है और न ही इनकी नियमित रूप से सांगठनिक बैठकें होती हैं। इन पार्टियों के आंतरिक चुनाव भी नहीं होते। परिणामस्वरूप दलों की कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं रह पाती तथा पार्टी के नाम पर सारे फैसले लेने का अधिकार उस पार्टी के शक्तिशाली नेता हथिया लेते हैं। चूँकि कुछ नेताओं के पास ही असली शक्ति होती है इसलिए जो सदस्य उनसे असहमत होते हैं, उनका पार्टी में टिके रह पाना अत्यंत जटिल हो जाता है। इस कारण कोई भी सदस्य उनके समक्ष अपना विरोध प्रदर्शित नहीं कर पाता। अतः इस प्रकार पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों से निष्ठा के स्थान पर व्यक्ति विशेष से निष्ठा ही अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाती है।
उत्तर 16.
जब अनेक दल सत्ता प्राप्त करने हेतु प्रतिस्पर्धा में हों और स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में दो या दो से अधिक दल आपस में गठबंधन करके सत्ता में आने का अवसर प्राप्त कर लें तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं।
भारत में बहुदलीय व्यवस्था को अपनाए जाने के कारण : प्रत्येक राष्ट्र अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुसार दल प्रणाली विकसित करता है। भारत ने अपने यहाँ बहुदलीय प्रणाली विकसित की है क्योंकि यहाँ की भौगोलिक एवं सामाजिक व्यवस्था को दो या तीन दलों द्वारा अवशोषित नहीं किया जा सकता। इस तरह की व्यवस्था लोकतंत्र को शक्तिशाली बनाती है। बहुदलीय व्यवस्था में क्षेत्रीय एवं भौगोलिक व्यवस्थाओं को भी पूर्ण प्रतिनिधित्व की सुविधा प्रदान की जा सकती है। इसके अतिरिक्त बहुदलीय व्यवस्था बहुत तालमेल वाली लगती है और देश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर ले जा सकती है। इसके साथ ही इस प्रणाली में विभिन्न हितों और विचारों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल जाता है।
उत्तर 17.
उत्तर 18.
बैंक और सहकारी समितियाँ सस्ते एवं किफायती ऋण प्राप्त करने में आम लोगों की सहायता कर सकते हैं। इस प्रकार के उपायों द्वारा लोगों की आय बढ़ सकेगी तथा बहुत से लोग अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सस्ती दरों पर ऋण ले सकेंगे। इससे छोटे व्यवसायी लघु उद्योग एवं व्यापार की स्थापना कर सकेंगे तथा किसान फसलें उगा सकेंगे। निर्धन लोगों तथा छोटे किसानों को भी ऋण के लिए अनौपचारिक स्रोतों (साहुकार तथा जमींदार) पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सस्ते और सामर्थ्य के अनुकूल ऋणों द्वारा देश के विकास में परोक्ष रूप से सहायता मिलती है।
उत्तर 19.
18वीं शताब्दी में जर्मनी कई राज्यों में विभाजित हो गया था। इनमें से कुछ राज्यों का अस्तित्व नेपोलियन द्वारा किए गए युद्धों के कारण समाप्त हो गया था। युद्ध की समाप्ति पर जर्मनी में 39 स्वतंत्र राज्य थे। इनमें से प्रशिया सबसे शक्तिशाली था जिसके प्रमुख बड़े जमीदार थे जिन्हें ‘जंकर’ कहा जाता था।
- मध्यमवर्गीय जर्मन लोगों में राष्ट्रवादी भावनाएँ ज़ोर पकड़ चुकी थीं। वे लोग जर्मन को एकीकृत करने के लिए जर्मन महासंघ के विभिन्न क्षेत्रों को एक राष्ट्र बनाने तथा एक निर्वाचित संसद के अंतर्गत लाने का प्रयास करने लगे।
- मई, 1848 में कई राजनैतिक संघ ऑल जर्मन नैशनल असेंबली को वोट करने के लिए एकत्र हुए। उनके प्रतिनिधि फ्रेंकफर्ट में मिले तथा फ्रेंकफर्ट संसद में जर्मन के एकीकरण का प्रस्ताव संवैधानिक राजतंत्र के अंतर्गत प्रशिया के सम्राट के समक्ष पेश किया।
- प्रशिया के सम्राट ने यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया तथा इस प्रकार राष्ट्र निर्माण की इस पहल को राजशाही और सेना की ताकत ने मिलकर दबा दिया।
- उसके पश्चात् प्रशिया ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व सँभाल लिया। उसको प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशियों की सेना और नौकरशाही की सहायता ली। सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशिया की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
- इन सबके फलस्वरूप, जनवरी 1871 में, जर्मन राज्यों के प्रमुख, सेना के प्रतिनिधी, महत्त्वपूर्ण प्रशियन मंत्री तथा बिस्मार्क वर्साय में हुए एक समारोह में एकत्र हुए तथा प्रशिया के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित कर दिया गया।
अथवा
1926 ई० में साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल में एक बड़ा आंदोलन हुआ। विवाद तब शुरू हुआ जब एक कक्षा में अगली सीट पर बैठी वियतनामी लड़की को उठकर पिछली कतार में जाकर बैठने तथा एक फ्रेंच विद्यार्थी को वह सीट देने के लिए कहा गया तो वियतनामी लड़की ने सीट छोड़ने से इन्कार कर दिया। स्कूल के फ्रेंच प्रिंसिपल ने उस वियतनामी लड़की को स्कूल से निकाल दिया। जब दूसरे विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल के इस फैसले का विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया। इसके बाद तो यह विवाद और भी फैल गया। लोग खुलेआम जुलूस निकालने लगे। हालात बेकाबू होते देख कर सरकार ने आदेश दिया कि लड़की को दोबारा स्कूल में वापस ले लिया जाए। प्रिंसीपल ने लड़की को वापस दाखिला तो दे दिया लेकिन साथ ही यह ऐलान भी कर दिया कि वह सारे वियतनामियों को पाँव तले कुचल कर रख देंगी।
उत्तर 20.
मिट्टी अथवा मृदा सबसे महत्त्वपूर्ण नवीकरण योग्य प्राकृति संसाधन है। यह पौधों के विकास का माध्यम है। जो पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवों का पोषण करती है। मृदा एक जीवंत तंत्र है। कुछ सेंटीमीटर गहरी मृदा बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं।
मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
- मृदा बनने की प्रक्रिया में उच्चावच, जनक शैल अथवा संस्तर शैल, जलवायु, वनस्पति और अन्य जैव पदार्थ और समय मुख्य कारक हैं।
- प्रकृति के अनेकों तत्त्व, जैसे-तापमान परिवर्तन, बहते जल की क्रिया, पवन, हिमनदी तथा अपघटन क्रियाएँ आदि मृदा बनने की प्रक्रिया में योगदान देते हैं।
- मृदा में होने वाले रासायनिक और जैविक परिवर्तन भी महत्त्वपूर्ण हैं। मृदा जैव और अजैव दोनों प्रकार के पदार्थों से बनती है।
उत्तर 21.
सरकार ने कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं :
- जमींदार प्रथा को उन्मूलन – जमींदारी प्रथा में किसान की स्थिति लगभग मजदूर की भाँति थी। कृषि भूमि का वितरण बहुत असमान था। अतः सरकार ने जमींदारी प्रथा को समाप्त कर, खेती करने वाले किसानों को जमीन के मालिकाना अधिकार दे दिए।
- रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन में वृद्धि – रासायनिक खाद उपलब्ध कराने के लिए कई उर्वरक कारखाने देश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। परंतु अभी भी हमारी माँग की पूर्ति नहीं हो। पा रही है फलतः उर्वरकों का आयात भी किया जाता है। निकट भविष्य में नए-कारखानों की प्रस्तावित योजना के पूरा होने पर हम आत्मनिर्भर हो सकेंगे।
- फसलों को बर्बादी से रोकना – कीड़ों, नाशक जीवों, फंफूदी तथा खरपतवार से फसलों को बचाने के लिए अब कीटनाशक, नाशकमार, फफूदनाशी तथा खरपतवार नाशक दवाइयों को उपलब्ध कराकर फसलों को बचाया जाने लगा है। जिससे रख-रखाव में होने वाली बरबादी से बचा जा सका है।
- कृषि उपकरणों का विकास – खेती की पैदावार बढ़ाने में कृषि उपकरणों का भी बड़ा भारी योगदान है। इनसे न केवल उपज बढ़ती है, अपितु जुताई, बुआई, निराई, कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव, सिंचाई, जल फुहार सिंचाई, कटाई, गहाई, परिवहन तथा भंडारण में लगने वाले समय में भी काफी बचत । होती है। भारतीय किसान ट्रैक्टरों, हारवेस्टरों, कंबाइनों, ट्रैक्ट-ट्रॉलियों, जलपंपो तथा स्पिलरों का खूब प्रयोग करने लगे हैं।
- कृषि शिक्षा का प्रचार व प्रसार – स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय स्तर की कृषि संबंधी शिक्षा का देश के विभिन्न भागों में विस्तार किया गया है। कृषि प्रदर्शनियों, रेडियो, दूरदर्शन के द्वारा किसानों को उन्नत बीजों, कीटनाशक दवाओं, नवीन कृषि यंत्रों, मृदा आदि की जानकारी दी जाती है।
उत्तर 22.
“सिर्फ राजनीति ही जातिग्रस्त नहीं होती, जाति भी राजनीति ग्रस्त हो जाती है। इसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है :
- हर जाति स्वयं को बड़ा बनाना चाहती है। पहले वह अपने समूह की जिस उपजातियों को छोटा या नीचा बताकर अपने से बाहर रखना चाहती थी, अब उन्हें अपने साथ लाने का प्रयास करती है।
- चूंकि एक जाति अपने दम पर सत्ता पर कब्ज़ा नहीं कर सकती इसलिए वह ज्यादा राजनीतिक ताकत पाने के लिए दूसरी जातियों या समुदायों को अपने साथ लाने की कोशिश करती है।
- राजनीति में नए किस्म की जातिगत गोलबंदी भी हुई है, जैसे ‘अगड़ा’ और ‘पिछड़ा’।
- दुनिया भर में राजनीतिक पार्टियाँ वोट पाने के लिए सामाजिक मुद्दों और समुदायों को गोलबंद करने का प्रयास करती हैं।
उत्तर 23.
लोकतंत्र द्वारा विभिन्न सामाजिक विविधताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए कई स्थितियों का होना अनिवार्य है। लोकतंत्र का सीधे-सीधे अर्थ केवल बहुमत की राय से शासन करना नहीं है। बहुमत को सदा ही अल्पमत का ध्यान रखना होता है। तभी, सरकार जन-सामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती है। बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषायी आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का अर्थ होता है कि इसके प्रत्येक फैसले या चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं या बहुमत में हो सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक लोकतंत्र रहता है जब तक प्रत्येक नागरिक को किसी न किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
उत्तर 24.
जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं, तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य पर वस्तुएँ बेची जाती हैं। इसके संभावित कारण निम्नलिखित हैं :
- अधिक मूल्य लेने वाला विक्रेता लालची होता है। वह माँग की अधिकता को देखकर फायदा उठाता है। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि वह कालाबाजारी करता है।
- निर्धारित कीमत से कम कीमत पर वस्तुएँ बेचने वाला विक्रेता हो सकता कि वह हमें नकली माल बेच रहा हो या वह चाहता हो कि हम उसके पास बार-बार आएँ।
- कभी-कभी इसका कारण उपभोक्ता की अशिक्षा, अज्ञानता या उदासीनता भी हो सकती है।
इस सभी स्थितियों में उपभोक्ता निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर वस्तुएँ बेचने वाले विक्रेता के विरुद्ध पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसके अतिरिक्त वह उपभोक्ता संरक्षक न्यायालय का सहारा भी ले सकता है।
उत्तर 25.
- वैश्वीकरण और उत्पादकों (स्थानीय एवं विदेशी दोनों) के बीच प्रतिस्पर्धा से अब उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी क्षेत्र के धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को अधिक लाभ हुआ है।
- प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनियों ने नई उत्पादन तकनीकों में निवेश किया है, जिससे उनका उत्पादन स्तर . बढ़ गया है।
- अब उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से कई अधिक विकल्प उपलब्ध है और वे अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत के लाभ उठा रहे हैं।
- उपभोक्ता पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का आनंद ले रहे हैं।
- उद्योगों और सेवाओं में नए रोजगार उत्पन्न हुए हैं। साथ ही इन उद्योगों में कच्चे माल इत्यादि की आपूर्ति कराने वाली स्थानीय कम्पनियाँ समृद्ध हुई हैं। अनेक शीर्ष भारतीय कम्पनियाँ बढी हुई प्रतिस्पर्धा से लाभान्वित हुई हैं।
- वैश्वीकरण ने भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभरने का अवसर प्रदान किया है।
- वैश्वीकरण ने सेवाप्रदाता कंपनियों, विशेषकर सूचना और संचार प्रौद्यागिकी वाली कपनियों के लिए नए अवसरों का सृजन किया है।
उत्तर 26.
(a) लाहौर
(b) बारदोली
(c) कर्नाटक
(d) सिलचर
(e) गुजरात
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