CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Paper 2
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi B |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश 1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं-क, ख, ग और घ।
2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (9)
ज़हर जीवित शरीर को मौत की नींद सुला देता है और अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण वह ऐसा न कर पाए, तब भी शरीर की व्यवस्था में भयंकर उथल-पुथल मचाकर उसे अशक्त और बीमार तो बना ही देता है। मानव-समाज के जीवित शरीर में जातिवाद ने ऐसे ही ज़हर का काम किया है। हमारे जिन पुरखों ने कर्म के आधार पर वर्ण तय किए थे, उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि आने वाले कल को यह विचार जाति व्यवस्था में परिणत हो जाएगा और इसके चलते गर्भ में शिशु के आते ही उसकी नियति भी तय हो जाया करेगी।
उन्हें इस बात का शायद ही अनुमान रहा हो कि वे जो बीज बो रहे हैं, उससे ऐसा विष वृक्ष निकलेगा, जो आगे आने वाले हज़ारों वर्षों तक गैर-बराबरी और शोषण-उत्पीड़न का आधार बनकर समाज की तंदुरुस्ती का क्षय करता रहेगा। आज हम बड़े-बड़े औद्योगिक संयंत्रों, तीव्र गति वाले परिवहन-साधनों, स्वचालित उपकरणों, कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में जी रहे हैं, फिर भी जन्म के आधार पर कुछ लोगों को अपना और कुछ को पराया मानने, कुछ को बड़ा और कुछ को क्षुद्र मानने की सदियों पुरानी परिपाटी आज भी कायम है। दिन-प्रतिदिन अख़बारों में इस तरह की ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं कि अमुक गाँव या कस्बे में किसी प्रेमी युगल को इसलिए मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने अलग-अलग जातियों के होने के बावजूद एक साथ जीवन बिताने का सपना देखा था। यह कहना गलत न होगा कि जातिवादी तनाव हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया है, जो गाहे-बगाहे अपना चरम रूप धारण कर लेता है और अपने तांडव में कितनी ही ज़िंदगियों को लील जाता है।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में जातिवाद की तुलना ज़हर से क्यों की गई है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(ख) आज के समय का महत्त्वपूर्ण विरोधाभास क्या है? (2)
(ग) “गर्भ में शिशु के आते ही उसकी नियति भी तय हो जाया करेगी।” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(घ) ‘विष’ और ‘युगल’ शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए। (2)
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (1)
प्रश्न 2:
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए। (6)
मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें।
देश तुझको देखकर यह बोध पाया
और मेरे बोध की कोई वजह है
स्वर्ग केवल देवताओं का नहीं है
दानवों की भी यहाँ अपनी जगह है।
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित, आयु का क्षण-क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें।
रंग इतने, रूप इतने, यह विविधता
यह असंभव एक या दो तूलियों से लग रहा है देश ने तुझको पुकारा
मन, बरौनी और बीसों अँगुलियों से।
मान अर्पित, गान अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें।
सुत कितने पैदा किए जो तृण भी नहीं थे।
और वे भी जो पहाड़ों से बड़े थे
किंतु तेरे मान का जब वक्त आया।
पर्वतों के साथ तिनके भी लड़े थे।
ये सुमन लो, यह चमन लो, नीड़ का तृण-तृण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें।
(क) कवि किसका ऋण चुकाना चाहता है और कैसे? (2)
(ख) कवि अपना सर्वस्व त्यागने के बाद भी क्यों संतुष्ट नहीं है? (2)
(ग) निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए (2)
(i) जीवन
(ii) स्वर्ग
खंड {ख} व्याकरण [15 अंक]
प्रश्न 3:
(क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए (2)
चेतावनी, इच्छा
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त स्थान पर अनुनासिक चिह्नों का प्रयोग कीजिए। (1)
(i) सँझ
(ii) बांसुरी
प्रश्न 4:
(क) निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए सनतरा, गेंद, नींद, सेधं
(ख) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर नुक्ते के प्रयोग वाले शब्द आँटकर लिखिए (1)
नज़र, लडंका, अरुण, फ़साना
प्रश्न 5:
(क) प्रतिकूल’ शब्द में मूल शब्द व उपसर्ग अलग-अलग करके लिखिए। (1)
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग-अलग करके लिखिए (2)
धनवान, अड़ियल
प्रश्न 6:
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए (4)
(क) परिमाण
(ख) संसार
(ग) महौषधि
(घ) न्यून
प्रश्न 7:
निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त विराम चिहों का प्रयोग कीजिए (3)
(क) जवाहरलाल नेहरू ने कहा था आराम हराम है।
(ख) राम भरत तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करना पड़ेगा
(ग) सीता ने कहा मैं महल में नहीं रहूँगी।
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [25 अंक]
प्रश्न 8:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर बताइए कि हार्नीमैन कौन था तथा अंग्रेज सरकार ने उन्हें देश निकाला की सजा क्यों दी? (2)
(ख) अतिथि और लेखक के बीच बातचीत और ठहाकों में क्या परिवर्तन हो गया और क्यों? ‘तुम कब जाओगे, अतिथि पाठ के आधार पर बताइए। (2)
(ग) चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी? (1)
प्रश्न 9:
धर्म का सच्चा बोध किस प्रकार हमारे जीवन को उच्च स्तरीय एवं सदाचारी बना सकता है? ‘धर्म की आड़ पाठ के आधार पर लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5)
अथवा
लेखक ने समाज में व्याप्त भेदभाव तथा असमानता को कैसे अभिव्यक्त किया है?’दुःख का अधिकार’ कहानी के आधार पर स्पष्ट करते हुए लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 10:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (5)
(क) ‘एक फूल की चाह’ कविता के आधार पर मंदिर का सौंदर्य बताइए। (2)
(ख) रहीम ने मनुष्य को पशु से भी तुच्छ क्यों माना है? (2)
(ग) रैदास ने दूसरे पद में गरीब निवाजु’ किसे कहा है? (1)
प्रश्न 11:
‘नए इलाके में मनुष्य को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस कविता के माध्यम से कवि किस विडंबना की ओर संकेत करता है? उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
‘आदमीनामा’ कविता में आदमी के किन रूपों की चर्चा की गई है तथा किस रूप को सर्वश्रेष्ठ माना गया है? कारण बताइए। उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 12:
लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका जैसा मानवीय गतिविधि से संबंध रखने वाले शब्द का प्रयोग किन कारणों से किया है? इससे किस मानवीय विशेषता का पता चलता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट करते हुए लगभग 150 शब्दों में उत्तर लिखिए।
अथवा
कुएँ से चिट्ठी निकालने के लिए लेखक ने क्या योजना बनाई तथा वह किस कारण सफल नहीं हो पाई? ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर लगभग 150 शब्दों में लिखिए।
खंड {घ} लेखन [25 अंक]
प्रश्न 13:
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
1. नर हो, न निराश करो मन को
संकेत बिंदु
- कर्म की महत्ता
- विपरीत परिस्थितियों का सामना करना
- आशावादी दृष्टिकोण अपनाना
2. ग्लोबल वार्मिंग
संकेत बिंदु
- अर्थ
- कारण एवं दुष्परिणाम
- बचाव के उपाय
3. स्त्री-शिक्षा का महत्त्व
संकेत बिंदु
- पृष्ठभूमि
- स्त्री-शिक्षा की आवश्यकता
- स्त्री-शिक्षा के लाभ
प्रश्न 14:
आपका भाई अधिकांश समय मोबाइल फ़ोन के उपयोग में बिताता है। मोबाइल फ़ोन का अधिक उपयोग करने से होने वाली हानियों का उल्लेख करते हुए अपने छोटे भाई को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आपका छोटा भाई छात्रावास में रहकर खुश नहीं है, क्योंकि अभी तक वह कोई मित्र नहीं बना पाया है। अपने भाई को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखकर कुछ सलाह दीजिए, ताकि वह कुछ मित्र बना सके।
प्रश्न 15:
दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर 20 से 30 शब्दों में चित्र का वर्णन अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
प्रश्न 16:
माला और विमला के बीच लड़का एवं लड़की में भेदभाव पर केंद्रित संवाद लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए।
अथवा
पिता और पुत्र के मध्य समय के महत्त्व’ विषय पर केंद्रित संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
प्रश्न 17:
किसी कंपनी द्वारा उत्पादित केश तेल का विज्ञापन 25 से 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
किसी ज्वैलर्स की ओर से अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने हेतु एक विज्ञापन 25 से 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
जवाब
उत्तर 1:
(क) प्रस्तुत गद्यांश में जातिवाद की तुलना ज़हर से इसलिए की गई है, क्योंकि जिस प्रकार ज़हर संपूर्ण शरीर में फैलकर उसे पूर्ण निष्क्रिय बना देता है और उसे नष्ट कर देता है, ठीक उसी प्रकार जातिवाद की सामाजिक बुराई इतनी भयंकर है कि यह भी समूचे समाज को निष्क्रिय एवं मरणासन्न कर देती है।
(ख) गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान समय में बड़े-बड़े औद्योगिक संयंत्रों, स्वचालित उपकरणों, कंप्यूटर, इंटरनेट आदि का वर्चस्व है अर्थात् एक ओर अति आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, तो दूसरी ओर अत्यंत संकीर्ण सामाजिक परिपाटी अर्थात् जाति व्यवस्था विद्यमान है। इन दोनों का एक साथ होना ही आज के समय का विरोधाभास है।
(ग) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि कर्म के आधार पर निर्मित वर्ण व्यवस्था के जातीय आधार पर परिवर्तित होने से गर्भस्थ शिशु के भविष्य अर्थात् उसके अधिकार, कर्तव्य व कार्यों इत्यादि को निर्धारित कर दिया जाएगा और उसे अपनी योग्यता के स्थान पर अपनी जाति के अनुसार कार्य करने पर विवश किया जाएगा।
(घ) शब्द पर्यायवाची
विष गरल, ज़हर
युगल जोड़ा, युग्म
( ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘जातिवाद का ज़हर’ हो सकता है।
उत्तर 2:
(क) कवि देश की धरती अर्थात् मातृभूमि का ऋण चुकाना चाहता है। कवि ने मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए अपना तन-मन, स्वप्न, संपूर्ण जीवन सब कुछ समर्पित करने का आह्वान किया है।
(ख) कवि अपना तन-मन, स्वप्न, जीवन सर्वस्व त्यागने के बाद भी इसलिए संतुष्ट नहीं है, क्योंकि उसे लगता है कि मातृभूमि का ऋण उसके संपूर्ण त्याग से भी अधिक है।
(ग) (i) जीवन – मरण
(ii) स्वर्ग – नरक
उत्तर 3:
(क) चेतावनी च् + ए + त् + आ + व् + अ + न् + ई
इच्छा इ + च् + छ् + आ
(ख) ) (i) साँझ (ii) बाँसुरी
उत्तर 4:
(क) गेंद, नींद
(ख) नज़र, फ़साना
उत्तर 5:
(क) प्रतिकूल प्रति (उपसर्ग) + कूल (मूल शब्द)
(ख) धनवान धन (मूल शब्द) + वान् (प्रत्यय)
अड़ियल अड़ (मूल शब्द) + ईयल (प्रत्यय)
उत्तर 6:
(क) परिमाण परि + मान
(ख) संसार सम् + सार
(ग) महौषधि महा + औषधि
(घ) न्यून नि + ऊन
उत्तर 7:
(क) जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “आराम हराम है।”
(ख) राम- भरत! तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करना पड़ेगा।
(ग) सीता ने कहा, “मैं महल में नहीं रहूंगी।”
उत्तर 8:
(क) हार्नीमैन एक साप्ताहिक (अंग्रेज़ी) ‘बंबई क्रॉनिकल’ के संपादक थे। वे निर्भीकतापूर्वक समाचार-पत्र का संपादन करते थे, जिसमें भारतीय नागरिकों की दुर्दशा तथा व्यथा का स्पष्ट विवरण एवं टिप्पणियाँ होती थीं, जो देश में जागरूकता तथा चेतना के प्रसार का एक प्रभावी कारण था। आंदोलन की चिंगारी की आशंका सदैव बनी रहती थी। अतः अंग्रेज़ी सरकार ने हार्नीमैन की निर्भीकता व ईमानदारी से दुःखी होकर उन्हें देश निकाला की सज़ा दे दी और उन्हें इंग्लैंड भेज दिया।
(ख) अतिथि और लेखक के बीच प्रारंभ में बातचीत उछलती हुई गेंद की भाँति चहक से भरी होती थी और उनके बीच लगने वाले ठहाके रंगीन गुब्बारों की भाँति वातावरण को रंगीन बना देते थे, लेकिन अतिथि के अधिक समय तक ठहर जाने के कारण उनके बीच होने वाली बातचीत में कमी आ गई थी और ठहाके समाप्त हो गए थे, क्योंकि लेखक अतिथि के कारण अत्यधिक आर्थिक एवं मानसिक तनाव से गुजरने लगा था। दोनों के बीच बोरियत, रूखापन एवं खिंचाव आ गया था।
(ग) चढाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति दुर्गम दिखाई दे रही थी। एवरेस्ट पर जमी हुई बर्फ की सीधी व ढलाऊ चट्टानें अत्यंत कठोर थीं।
उत्तर 9:
‘धर्म की आड़’ पाठ में स्पष्ट किया गया है कि धर्म को संबंध सीधे-सीधे आत्मा एवं परमात्मा अर्थात् ईश्वर से है। यह हमें स्वच्छ आचरण अपनाने के लिए प्रेरित करता है। व्यक्ति का यही स्वच्छ आचरण प्रत्येक स्थान पर अपनी प्रभावशीलता की अमिट छाप छोड़ता है। धर्म का सच्चा बोध हमारे मन में प्रेम, सहिष्णुता, परोपकारिता, अहिंसा एवं ईमानदारी के बीज बोता है, जो संपूर्ण विश्व के लिए महत्त्वपूर्ण है।
इससे व्यक्ति के मन में जन कल्याण का भाव आता है तथा ईर्ष्या एवं लोभ जैसे भाव समाप्त हो जाते हैं। यही कारण है कि मानव धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति देखते-ही-देखते सभी को प्रिय हो जाते हैं और लोग उनसे यथार्थ में प्रेम करने लगते हैं। विश्व के अनेक व्यक्तियों से मिलने वाली सहानुभूति एवं आपसी प्रेम, ऐसे लोगों के जीवन के मार्ग को सरल, सहज एवं प्रशंसनीय बना देते हैं।
ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के मूल्यों एवं नैतिकताओं को समुचित ढंग से विकसित कर पाता है और वह एक सच्चे समाज का अभिन्न अंग बन जाता है। जीवन का सही अर्थ एवं जीवन जीने का सही ढंग यही है और यह धर्म के सच्चे बोध से ही संभव हो। पाता है।
अथवा
महान् कथाकार यशपाल द्वारा रचित कहानी ‘दुःख का अधिकार’ मनुष्यों के बीच में व्याप्त भेदभाव के चरम स्वरूप को स्पष्ट करती। है। कहानी का केंद्रीय भाव इस सत्य को व्यक्त करता है कि एक निर्धन व्यक्ति को अपने दुःख से एकांतिक रूप से दुःखी होने तथा उससे बाहर निकलने का भी अवसर प्राप्त नहीं है। वह दुःख की चरम अवस्था में भी समाज के दूसरे लोगों के नियंत्रण में रहता है। उसकी आर्थिक स्थिति उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त भी नहीं करने देती।
दूसरी ओर, एक धनी व्यक्ति अपने दुःख का भरपूर प्रदर्शन करता है। संभ्रांत महिला को आर्थिक समस्या नहीं है, इसलिए वह अपने पुत्र की मृत्यु का शोक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर रही है, जबकि भगवाना की माँ के सामने भूखे बच्चों एवं बीमार बहू के भरण-पोषण का भार है, इसलिए वह चाहकर भी एकांत में रो नहीं पाती। उसकी सहायता करने के स्थान पर लोग उसे ताने मार रहे हैं, क्योंकि वह गरीब है। जवान बेटे की मृत्यु के बाद उसे लोग पहले से भी अधिक तिरस्कृत दृष्टि से देखते हैं। समाज में व्याप्त असमानता जीवन के चरम दुःख को अभिव्यक्त करने में भी स्पष्ट रूप से दिखती है। लगता है कि निर्धन व्यक्ति को शोक मनाने का भी अधिकार नहीं है।
उत्तर 10:
(क) ‘एक फूल की चाह’ कविता में मंदिर के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि
- वह पर्वत की ऊँची चोटी पर स्थित है।
- मंदिर की चोटी पर स्थित सुनहरे कलश, सूर्य की किरणों के पड़ने से विकसित होने वाले कमल की भाँति दिखाई पड़ते हैं।
- मंदिर के अंदर अत्यंत मनमोहक एवं सुगंधित वातावरण
- प्रसन्नता एवं भक्ति से संपूर्ण वातावरण सुखद बना हुआ है।
(ख) रहीम अपनी इस बात का समर्थन हिरण के उदाहरण से करते हैं। हिरण संगीत की तान सुनकर मुग्ध हो जाता है। उसकी मुग्धता का लाभ उठाकर शिकारी उसका शिकार कर लेता है। इस प्रकार, हिरण जान देकर भी संगीत का आनंद लेता है। कुछ मनुष्यों में भी यही गुण होता है कि जब वह किसी बात पर मोहित हो जाते हैं, तो अपना सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाते हैं। जिन मनुष्यों में यह उदारता और
सहृदयता नहीं होती, वे पशु से भी तुच्छ होते हैं।
(ग) रैदास ने ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा है। उनके अनुसार ईश्वर दीन-दयालु हैं, वे दोनों की रक्षा करते हैं।
उत्तर 11:
नए इलाके में दिन-प्रतिदिन नया निर्माण कार्य होता है, नई घटनाएँ घटती हैं। ऐसे में मनुष्य घर का रास्ता भी भूल जाता है। वह पहली बार घर जाने के लिए जिन चिह्नों को याद रखता है, दूसरी बार जाने पर वे चिह्न वहाँ नहीं मिलते। उनके स्थान पर प्रतिदिन ही वहाँ इमारतों का निर्माण किया जाता है या उन्हें तोड़ा जाता है, जिस कारण वह प्रायः रास्ता भटक जाता है। यहाँ तक कि उसे अपना ठिकाना पूछने के लिए भी दूसरों की सहायता लेनी पड़ती है। इसके माध्यम से कवि ने शहरों में लोगों में निरंतर बढ़ती गतिशीलता, भौतिकता के प्रति लगाव एवं निर्माण की अंधी दौड़ के कारण समाप्त होती जा रही आत्मीयता संबंधी विडंबनाओं को प्रकट करने की कोशिश की है। कवि संकेत करता है कि शहरों में नई-नई बस्तियाँ, नए-नए निर्माण तो प्रतिदिन हो रहे हैं, किंतु व्यक्ति की पहचान एवं लोगों में आत्मीयता की भावना समाप्त होती जा रही है।
अथवा
अथवा आदमीनामा’ कविता में आदमी के अनेक रूपों की चर्चा की गई है। जिसमें अमीर-गरीब, राजा-रंक, शक्तिशालीकमजोर, धार्मिक अधार्मिक, रक्षक-भक्षक, सौभाग्यशालीदुर्भाग्यशाली आदि रूप शामिल हैं। कवि ने मनुष्य के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों रूपों का वर्णन किया है। इन विभिन्न रूपों में से आदमी का सर्वश्रेष्ठ रूप करुणावान रूप है।
इस कविता में आदमी के प्रति आदमी के दिल में व्याप्त प्रेम, विश्वास, आस्था, सदाचारिता जैसी भावनाएँ सामने आती हैं। आदमी के करुणामय होने का यह चरम स्वरूप है, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देता है। एक आदमी की पुकार सुनकर उसकी रक्षा करने के लिए दौड़ पड़ने वाले व्यक्ति की करुणामय भावना एवं मानसिकता की झलक इसमें मिलती है।
आदमी का करुणामय रूप इसलिए सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें मानव मात्र के कल्याण या उसके हित की भावना छिपी होती है। इससे दूसरे मनुष्य को सुरक्षा मिलती है, उसे सहारा एवं विश्वास मिलता है।
उत्तर 12:
गिल्लू , लेखिका से बहुत प्रेम करता था। वह लेखिका के साथ खेलता था, उसके साथ एक ही थाली में भोजन करता था। एक बार लेखिका को मोटर दुर्घटना में घायल होने के कारण कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी कार्य में भी मन नहीं लगता था। गिल्लू रोज़ लेखिका के आने की राह देखता रहता, परंतु दूसरों को देखकर निराश लौट जाता।। इस दौरान उसने अपना प्रिय खाद्य काजू भी नहीं खाया। लेखिका के घर लौटने पर वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता। इस कार्य से वह लेखिका को एक परिचारिका जैसा लगने लगा था। इन गतिविधियों से गिल्लू के अंदर उपस्थित सेवा भाव वाली मानवीय विशेषता का पता चलता है, साथ ही यह भी ज्ञात होता है कि गिल्लू लेखिका से बहुत प्रेम करता था।
अथवा
कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर लेखक बहुत बड़ी परेशानी में फँस गया। पिटने का डर और ज़िम्मेदारी का अहसास उसे चिट्ठियाँ निकालने के लिए विवश कर रहा था। लेखक ने धोतियों में गाँठ बाँधकर उन्हें रस्सी के रूप में प्रयोग कर कुएँ में उतरने की योजना बना ली। लेखक को स्वयं पर भरोसा था कि वह नीचे जाते ही डंडे से दबाकर साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ लेकर ऊपर आ जाएगा, क्योंकि वह पहले भी अनेक साँपों को मार चुका था।
उसे अपनी योजना में कमी नहीं दिखाई दे रही थी, परंतु लेखक द्वारा बनाई गई यह पूर्व -योजना सफल नहीं हुई, क्योंकि योजना की सफलता परिस्थिति पर निर्भर करती है। कुएँ में स्थान की कमी थी और अत्यंत ज़हरीला साँप भी व्याकुलता से उसे काटने के लिए तत्पर था। ऐसे में डंडे का प्रयोग करना संभव नहीं था। यही कारण था कि लेखक की योजना सफल नहीं हो पाई।
उत्तर 13.1:
मानव जीवन कर्म प्रधान है। कर्म करके मनुष्य को अपनी निराशा पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। जीवन में सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, सफलता-असफलता आती-जाती रहती हैं। मनुष्य को प्रतिस्पर्धा से घबराना नहीं चाहिए। विपरीत परिस्थितियाँ तो उस ठोकर के समान हैं, जो तीव्र गति के साथ आगे बढ़ना सिखाती हैं। असफलताओं को सफलता का अंग मानकर अपने कार्य में लगा रहने वाला व्यक्ति अवश्य सफल होता है। निराश होकर बैठ जाने वाला व्यक्ति असफल हो जाता है। निराशा अवसाद को जन्म देती है। निराशा मनुष्य के जीवन में रोग के समान है, इसलिए मनुष्य को हिम्मत एवं दृढ़ मानसिक शक्ति से बाधाओं पर विजय पाने के लिए कर्म करना चाहिए। वास्तव में निराशा तब होती है, जब हम फल की आकांक्षा करने लग जाते हैं। भगवान् कृष्ण ने गीता में कहा था, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्” अर्थात् हे मनुष्य! कर्म करो, फल के लिए मत सोचो। इसलिए मनुष्य को अपने मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं और असफलताओं को चुनौती के रूप में स्वीकार कर आशावादी दृष्टि से कठोर कर्म कर निराशा को नकार देना चाहिए।
उत्तर 13.2:
आधुनिक जीवन-शैली से उत्पन्न समस्याओं में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ सबसे अधिक चिंताजनक समस्या है। इसका शाब्दिक अर्थ है-पृथ्वी पर तापमान का बढ़ना अर्थात् तापमान में निरंतर व त्वरित वृद्धि होना। विकास की प्रतिद्वंद्विता ने पर्यावरण को असंतुलित कर दिया है। वायु प्रदूषण के कारण वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ गई है। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, हाइड्रो क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि रासायनिक पदार्थों के कारण वायुमंडल गर्म हो रहा है, पहाड़ों की बर्फ तेज़ी से पिघल रही है, जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है व शताब्दी में होने वाले परिवर्तन अब दशकों में होने लगे हैं। साथ ही, ओज़ोन परत भी क्षतिग्रस्त हो रही है, फलस्वरूप त्वचा को झुलसाने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणें जनजीवन को क्षति पहुँचा रही हैं। इस समस्या की भयावहता को देखते हुए इससे बचने व संतुलित विकास के लिए नवीन प्रौद्योगिकी का आविष्कार करना आवश्यक है, जो समुचित रूप से पर्यावरण की रक्षा कर सके, साथ ही ऊर्जा संसाधनों के अनावश्यक उपयोग को कम करके और अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम किया जा सकता है।
उत्तर 13.3:
समाज रूपी गाड़ी की प्रगति स्त्री-पुरुष की समान सक्षमता पर निर्भर करती है। दुर्भाग्यवश हमारा समाज अपनी आधी जनसंख्या अर्थात् स्त्री वर्ग के उत्थान के प्रति सदैव उदासीन रहा है, जबकि दार्शनिकों और विचारकों ने स्त्री-शिक्षा को अत्यंत अनिवार्य बताया है। महात्मा गांधी ने भी देश के सर्वांगीण विकास के लिए स्त्री शिक्षा को अनिवार्य बताया था। स्त्री ही परिवार का आधार है, इसलिए उसकी शिक्षा पर परिवार और राष्ट्र का । भविष्य निर्भर करता है। शिक्षा महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि करती है, जिससे वे स्वयं को सक्षम अनुभव करती हैं। शिक्षा के साथ-साथ महिलाएँ । परिवार के पोषण में अपना आर्थिक सहयोग भी दे सकती हैं। आधुनिकता के प्रवेश से एक अच्छी बात यह हुई है कि लोग स्त्री शिक्षा के महत्त्व को समझने लगे हैं। व्यक्ति, परिवार, समाज, सरकार सब ने मिलकर इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। अशिक्षा के अभिशाप से स्त्रियाँ तीव्र गति से । मुक्त हो रही हैं। स्वास्थ्य चिंतन, दृढ मानसिकता, आर्थिक सक्षमता के रूप में इसके अच्छे परिणाम भी परिलक्षित हो रहे हैं। इन संकेतों से यह आशा की जा सकती है कि स्त्रियों का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।
उत्तर 14:
417, कश्मीरी गेट,
दिल्ली।
दिनांक 10 जुलाई, 20XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष!
हम सब यहाँ पर कुशल मंगल हैं और साथ ही कामना करते हैं कि तुम भी कुशलपूर्वक होंगे। सभी तुम्हें बहुत याद करते हैं। आज सुबह मुझे, “तुम्हारे अध्यापक का फ़ोन आया था, उन्होंने बताया कि आजकल तुम पढ़ाई से अधिक मोबाइल फ़ोन पर अपना समय व्यतीत कर रहे हो। यह अच्छी बात नहीं है। तुम घर की आर्थिक स्थिति तो जानते ही हो, कितनी कठिनाइयों से पिताजी ने तुम्हें पढ़ने के लिए भेजा है, ताकि तुम सफल होकर अपने पैरों पर खड़े हो सको।
आजकल मोबाइल फ़ोन आवश्यक है, परंतु यह केवल मित्रों एवं परिवार के संबंधियों आदि से आवश्यक बातें करने के लिए है। इसके अतिरिक्त इसका अत्यधिक उपयोग करना बहुत हानिकारक है। इससे समय तो व्यर्थ होता ही है, साथ में यह मानसिक और शारीरिक रोग भी देता है। इससे एकाग्रता में कमी आती है। इसलिए आशा है कि भविष्य में तुम मोबाइल फ़ोन का अत्यधिक उपयोग नहीं करोगे तथा एकाग्रचित्त होकर शिक्षा पर ध्यान दोगे।
माता-पिता की ओर से तुम्हें स्नेह और आशीर्वाद और मेरी ओर से बहुत सारा प्यार।
तुम्हारी बहन
क, ख, ग,
अथवा
ब-210, किंग्सवे कैम्प,
दिल्ली।
दिनांक 09 मार्च, 20XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष!
मुझे आज ही तुम्हारा पत्र मिला, बड़ी खुशी हुई कि तुम मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हो, परंतु साथ ही तुम्हारी निराशा को भी पता चला कि अभी तक तुम्हारा कोई मित्र नहीं बन पाया है। यह कोई निराशा का विषय नहीं है, वक्त अनुकूल होने पर स्वयं तुम्हारे अनेक मित्र बन जाएँगे। मित्रों का होना अत्यंत आवश्यक है, परंतु यह भी आवश्यक है कि मित्र सच्चे, हितैषी व सही मार्ग पर चलने वाले हों।
तुम छात्रों की दिनचर्या और व्यवहार पर ध्यान दो तथा सबके साथ घुल-मिल कर रहने का प्रयास करो। इसके साथ ही सबसे खुशी-खुशी व विनम्रतापूर्वक मुलाकात करो। तत्पश्चात् देखना तुम्हारे भी मित्र अवश्य बनेंगे, परंतु यह ध्यान रहे कि अच्छे विचार वालों, मधुर व्यवहार करने वालों तथा सच्चे मित्रों से ही मित्रता करना। यह तुम्हारे भविष्य के लिए उत्तम होगा। शेष सभी कुशल है।
माताजी-पिताजी की ओर से सस्नेह आशीर्वाद।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
आपका अग्रज
मुकेश
उत्तर 15:
- प्रस्तुत चित्र में एक कुआँ है।
- कुछ स्त्रियाँ कुएँ से पानी भर रही हैं।
- एक स्त्री घड़े से एक पुरुष को पानी पिला रही है।
- प्रस्तुत चित्र में झोंपड़ियाँ, बादल, एक बड़ा वृक्ष तथा पेड़-पौधे दिखाई दे रहे हैं।
- यह चित्र किसी ग्रामीण क्षेत्र का लग रहा है।
अथवा
- प्रस्तुत चित्र में एक कुम्हार जमीन पर बैठकर मिट्टी के बर्तन बना रहा है।
- कुम्हार ने परंपरागत वेशभूषा धोती और पगड़ी पहनी हुई है।
- कुम्हार बहुत सारे बर्तन बना चुका है, जिसमें कुछ घड़े, सुराही आदि सम्मिलित हैं।
- बर्तनों के साथ कुम्हार ने कुछ खिलौने भी बनाए हैं; जैसे – कुत्ता, हाथी आदि।
- कुछ दूरी पर अनेक घड़े और सुराही रखे हुए हैं।
उत्तर 16:
माला विमला! आज तुम बहुत उदास दिखाई दे रही हो। क्या बात है?
विमला अब तुमसे क्या छिपाना? लड़की होने के कारण वही माँ से पुरानी डाँट-फटकार।
माला यह तो कोई बात नहीं हुई।
विमला हमारा समाज ही ऐसा है। इसमें लड़के को वंश चलाने वाला, परिवार का पालन-पोषण करने वाला और बुढ़ापे का सहारा माना जाता है, लेकिन लड़कियों को तो पराया धन कहकर उपेक्षित किया जाता है। यह समझा जाता है कि लड़के, लड़कियों से कहीं आगे हैं।
माला लेकिन आजकल तो इसके विपरीत हो रहा है। लड़कियाँ लगभग प्रत्येक क्षेत्र में लड़कों से आगे निकल गई हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वे लड़कों के समान ही कार्य कर रही हैं। फिर लोगों की ऐसी भावना क्यों है?
विमला बस ऐसा ही है, वैसे भी भेदभाव की यह भावना धीरे-धीरे ही समाप्त होगी।
अथवा
पिता अरे पुत्र! तुम कितनी देर से मोबाइल में गेम खेल रहे हो। अब कुछ देर मोबाइल को रख दो तथा अपने स्कूल का गृहकार्य कर लो।
पुत्र पिताजी! मैं अभी कुछ समय पहले ही तो खेलने लगा था। थोड़ी देर और खेलने दो ना।
पिता नहीं, पुत्र! मैं, तुम्हें 1 घंटे से मोबाइल पर गेम खेलते हुए देख रहा हूँ। यदि तुम इसी प्रकार गेम खेलते हुए अपना समय नष्ट कर दोगे तो स्कूल का गृहकार्य कब करोगे?
पुत्र पिताजी! कल कर लूंगा।
पिता अरे, पुत्र! कल कभी नहीं आती। यदि तुम समय के महत्त्व को नहीं समझोगे तो इसमें तुम्हारी ही हानि होगी।
पुत्र वो कैसे पिताजी?
पिता जो व्यक्ति समय को नष्ट करता है, इसका दुरुपयोग करता है, समय उसे नष्ट कर देता है। किसी कार्य का समय बीत जाने पर व्यक्ति केवल पश्चाताप ही करता रह जाता है।
पुत्र अच्छा! पिताजी
पिता हाँ! पुत्र, इसलिए तुम्हें समय के महत्त्व को समझना होगा ताकि तुम इसका सदुपयोग कर सको। समय के सदुपयोग से सफलता, धन-वैभव तथा सुख-शांति मिलती है। इसका सदुपयोग ही जीवन की उन्नति का आधार है।
पुत्र पिताजी! मैं आपकी बात समझ गया। अब कभी मैं समय का दुरुपयोग नहीं करूंगा तथा समय पर गृहकार्य करूंगा।
उत्तर 17:
अथवा
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