Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Course B Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 3 with Solutions
निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश:
(क) इस प्रश्न-पत्र के दो खंड हैं- ‘अ’ और ‘ब’।
(ख) खंड ‘अ’ में कुल 10 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों में उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(ग) खंड ‘ब’ में कुल 7 वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
अपठित गद्यांश (अंक 10)
प्रश्न 1.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 =5)
राह पर खड़ा है, सदा से ढूंठ नहीं है। दिन थे जब वह हरा-भरा था और उस जनसंकुल चौराहे पर अपनी छतनार डालियों से बटोहियों की थकान अनजाने दूर करता था। पर मैंने उसे सदा ठूठ ही देखा है।
पत्रहीन, शाखाहीन निरवलंब, जैसे पृथ्वी रूपी आकाश से सहसा निकलकर अधर में ही टॅग गया हो। रात में वह काले भूत-सा लगता है, दिन में उसकी छाया इतनी गहरी नहीं हो पाती, जितना काला उसका जिस्म है और अगर चितेरे को छायाचित्र बनाना हो तो शायद उसका-सा ‘अभिप्राय’ और न मिलेगा। प्रचंड धूप में भी उसका सूखा शरीर उतनी ही गहरी छाया ज़मीन पर डालता जैसे रात की उजियारी चाँदनी में। जब से होश सँभाला है, जब से आँख खोली है, देखने का अभ्यास किया है, तब से बराबर मुझे उसका निस्पंद, नीरस, अर्थहीन शरीर ही दिख पड़ा है।
पर पिछली पीढ़ी के जानकार कहते हैं कि एक जमाना था जब पीपल और बरगद भी उसके सामने शरमाते थे और उसके पत्तों से, उसकी टहनियों और डालों से टकराती हवा की सरसराहट दूर तक सुनाई पड़ती थी। पर आज वह नीरव है, उस चौराहे का जवाब जिस पर उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों ओर की राहें मिलती हैं और जिनके सहारे जीवन अविरल बहता है। जिसने कभी जल को जीवन की संज्ञा दी, उसने निश्चय जाना होगा कि प्राणवान जीवन भी जल की ही भाँति विकल, अविरल बहता है।
सो प्राणवान जीवन, मानव संस्कृति का उल्लास उपहार लिए उन चारों राहों की संधि पर मिलता थाजिसके एक कोण में उस प्रवाह से मिल एकांत शुष्क आज वह लूंठ खड़ा है। उसके अभाग्यों परंपरा में संभवतः एक ही सुखद अपवाद है- उसके अंदर का स्नेहरस सूख जाने से संख्या का लोप हो जाना। संज्ञा लुप्त हो जाने से कष्ट की अनुभूति कम हो जाती है।
(i) जनसंकुल का क्या आशय है?
(क) जनसंपर्क
(ख) भीड़भरा
(ग) जनसमूह
(घ) जनजीवन
उत्तर
(ख) भीड़भरा
(ii) आम की छतनार डालियों के कारण क्या होता था?
(क) यात्रियों को ठंडक मिलती थी
(ख) यात्रियों को विश्राम मिलता था
(ग) यात्रियों की थकान मिटती थी
(घ) यात्रियों को हवा मिलती थी
उत्तर
(ग) यात्रियों की थकान मिटती थी
(iii) शाखाहीन, रसहीन, शुष्क वृक्ष को क्या कहा जाता है?
(क) नीरस वृक्ष
(ख) जड़ वृक्ष
(ग) ह्ठ वृक्ष
(घ) हीन वृक्ष
उत्तर
(ग) ह्ठ वृक्ष
(iv) आम के वृक्ष के सामने पीपल और बरगद के शरमाने का क्या कारण था?
(क) उसका अधिक हरा-भरा और सघन होना
(ख) हवा की आवाज़ सुनाई देना
(ग) अधिक फल-फूल लगना
(घ) अधिक ऊँचा होना
उत्तर
(क) उसका अधिक हरा-भरा और सघन होना
(v) अधिक ऊँचा होना आम के अभागेपन में संभवतः एक ही सुखद अपवाद था
(क) उसका नीरस हो जाना
(ख) संज्ञा लुप्त हो जाना
(ग) सूखकर दूंठ हो जाना
(घ) अनुभूति कम हो जाना
उत्तर
(ख) संज्ञा लुप्त हो जाना
अथवा
आपको किसी महत्वपूर्ण परीक्षा की तैयारी में क्या कठिनाई हो रही है? क्या ऐसा करने में समय की कमी महसूस हो रही है? अगर आपका जवाब ‘हाँ’ है तो आपको समय-प्रबंधन सीखने की ज़रूरत है। समय प्रबंधन किसी भी परीक्षा की तैयारी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
बहुत से परीक्षार्थी ऐसे हैं, जो परीक्षाओं की तैयारी देर से और बेहतरीन ढंग से शुरू करते हैं, जिससे उन्हें समयाभाव सबसे बड़े शत्रु की तरह दिखने लगता है। बिना समय-प्रबंधन के उस अनुपात में फायदा नहीं हो पाता, जिस अनुपात में आप मेहनत करते हैं। वास्तव में समय की गति को या उसके स्वभाव को मैनेज नहीं किया जा सकता, क्योंकि न तो इसे धीमा किया जा सकता है और न ही रोका जा सकता है।
आप स्वयं को मैनेज करते हुए सिर्फ इसका सही उपयोग कर सकते हैं। वास्तविकता यही है। सबसे पहले आप यह निर्धारित करें कि आपका वर्तमान समय कैसे व्यतीत हो रहा है। आप पिछले एक सप्ताह के अपने कार्यकलाप को एक पेपर पर लिखकर देखिए कि आपने टाइम-टेबल का कितना और कैसा अनुसरण किया है। पूरे सप्ताह में कितने घंटे सेल्फ-स्टडी की है और आपका निर्धारित सिलेबस का कितना हिस्सा नहीं हो पाया है।
एक बार पूरा विश्लेषण करने के बाद आप स्वयं को समय के हिसाब से बदलना शुरू कर सकते हैं। समय बचाने के लिए किसी विशेषज्ञ की टिप्स काम आ सकती है परंतु सबसे अधिक प्रभाव आपके निश्चय, समर्पण और समय नियोजन का रहेगा। समय-प्रबंधन आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और यह सफलता की दिशा में निर्णायक होगा।
(i) समय-प्रबंधन सीखने की ज़रूरत कब है?
(क) जब अच्छा व्यवसाय चुनना हो
(ख) जब कुछ करने के लिए समय कम पड़े
(ग) जब अवसर खो देने की संभावना हो
(घ) जब कोई परीक्षा देनी हो
उत्तर
(घ) जब कोई परीक्षा देनी हो
(ii) समय के बारे में सच है कि उसे
(क) लौटाया जा सकता है
(ख) मैनेज नहीं किया जा सकता है
(ग) रोका जा सकता है ।
(घ) धीमा किया जा सकता है
उत्तर
(ख) मैनेज नहीं किया जा सकता है
(iii) समय का अभाव उन्हें शत्रु जैसा लगता है, जो
(क) परीक्षाओं की तैयारी बेहतरीन ढंग से करते हैं
(ख) परीक्षाओं की तैयारी करनी ही नहीं चाहते
(ग) परीक्षाओं को महत्वपूर्ण नहीं मानते
(घ) परीक्षाओं की तैयारी गंभीरता से करते हैं
उत्तर
(क) परीक्षाओं की तैयारी बेहतरीन ढंग से करते हैं
(iv) समय-प्रबंधन से बढ़ सकता/सकती है
(क) आत्मविश्वास
(ख) स्वाभिमान
(ग) दृढ़ निश्चय
(घ) विशेषज्ञता
उत्तर
(क) आत्मविश्वास
(v) ‘सेल्फ-स्टडी’ शब्द है
(क) तद्भव
(ख) आगत
(ग) देशज
(घ) तत्सम
उत्तर
(ख) आगत
प्रश्न 2.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 = 5)
मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं- रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ीवाले…। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बर्दाशत कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।” मैं उनकी बातों को हल्के में ही लेता हूँ।
मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते हैं और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग हैं जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए हैं। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं, जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया, पर धनी होने का शऊर नहीं आया।
‘अधजल गगरी छलकत जाए’ की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाङझूडकर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेरे भीतर बसी हुई है।
इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं, लेकिन कभी इसकी प्रतीत नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।
(i) इस दुनिया में कहा-सुनी होती है- ‘इस दुनिया’- का संकेत है
(क) शहर से गाँव आ बसे मजदूरों की दुनिया
(ख) गाँव से शहर आ बसे गरीब
(ग) लेखक को उकसाने वाला पड़ोस
(घ) अमीर किंतु अशिष्ट लोग
उत्तर
(ख) गाँव से शहर आ बसे गरीब
(ii) लोग लेखक से पूछते हैं कि क्या आपको बुरा नहीं लगता कि
(क) वे लेखक से रुष्ट रहते हैं
(ख) वे लोग आस-पास गंदगी बिखेर देते हैं
(ग) उन्हें गरीबों से मेल-जोल पसंद नहीं
(घ) वे गंदे लोग हैं
उत्तर
(ख) वे लोग आस-पास गंदगी बिखेर देते हैं
(iii) लेखक लोगों की शिकायतों को हल्के में लेता है, क्योंकि
(क) वह किसी बात को गंभीरता से नहीं लेता
(ख) शिकायत करना लोगों की आदत होती है
(ग) लेखक उन्हें जानता-पहचानता है
(घ) जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
उत्तर
(घ) जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
(iv) साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?
(क) अशिष्ट रेहड़ी-पटरी वाले
(ख) लेखक के परिचित लोग
(ग) गाँव से आए गरीब मजदूर
(घ) अमीर किंतु असभ्य लोग
उत्तर
(घ) अमीर किंतु असभ्य लोग
(v) ‘गाँठ बाँधना’ का अर्थ है
(क) गाँठ लगाना
(ख) संभालकर रखना
(ग) मन में रखना
(घ) क्रोध करना
उत्तर
(ग) मन में रखना
अथवा
अधिकतर लोगों की यही शिकायत होती है कि उन्हें पनपने के लिए सटीक माहौल व संसाधन नहीं मिल पाए, नहीं तो आज वे काफी आगे होते और आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो संसाधन और स्थितियों के अनुकूल होने के इंतज़ार में खुद को रोके हुए हैं। ऐसे लोगों के लिए ही किसी विद्वान ने कहा है- इंतज़ार मत कीजिए, समय एकदम अनुकूल कभी नहीं होता। जितने संसाधन आपके पास मौजूद हैं, उन्हीं से शुरुआत कीजिए और आगे सब बेहतर होता जाएगा।
जिनके इरादे दृढ़ होते हैं, वे सीमित संसाधनों में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं। नारायणमूर्ति ने महज दस हजार रुपये में अपने छह दोस्तों के साथ इन्फोसिस की शुरुआत की और आज इन्फोसिस आईटी के क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी है। करौली टैक्स, पहले अपने दाएँ हाथ से निशानेबाजी करते थे, मगर उनका वह हाथ एक विस्फोट में चला गया। फिर उन्होंने अपने बाएँ हाथ से शुरुआत की और 1948 व 1950 में ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
लिओनार्दो द विंची, रवींद्रनाथ टैगोर, थॉमस अल्वा एडिसन, टेलीफोन के आविष्कारक ग्राहम बेल, वॉल्ट डिज्नी- ये सब अपनी शुरुआती उम्र में डिस्लेक्सिया से पीड़ित रह चुके हैं, जिसमें पढ़ने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, फिर भी ये सभी अपने-अपने क्षेत्र के शीर्ष पर पहुँचे। अगर ये लोग भी इसी तरह माहौल और संसाधनों की शिकायत और इंतज़ार करते, तो क्या कभी उस मुकाम पर पहुँच पाते, जहाँ वे मौजूद हैं?
अगर हमने अपना लक्ष्य तय कर लिया है, तो हमें उस तक पहुँचने की शुरुआत अपने सीमित संसाधनों से ही कर देनी चाहिए। किसी इंतज़ार में नहीं रहना चाहिए। ऐसे में इंतज़ार करना यह दर्शाता है कि हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हैं। इसलिए हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत कर जुट जाना होगा। इंतज़ार करेंगे, तो करते रह जाएँगे।
(i) ‘समय एकदम अनुकूल कभी नहीं होता’ यहाँ ‘एकदम’ का अर्थ है
(क) पूर्णतः
(ख) अचानक
(ग) तुरंत
(घ) तत्काल
उत्तर
(क) पूर्णतः
(ii) ‘हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत कर जुट जाना होगा।’ उपर्युक्त वाक्य से बना संयुक्त वाक्य होगा
(क) हमें इच्छाशक्ति को मजबूत करना है, इसलिए जुट जाना होगा।
(ख) यदि हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करना है तो जुट जाना होगा।
(ग) हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा और जुट जाना होगा।
(घ) हमें जुट जाना होगा और फिर इच्छाशक्ति को मजबूत करना होगा।
उत्तर
(ख) यदि हमें अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करना है तो जुट जाना होगा।
(iii) ‘ऐसे लोगों के लिए ही किसी विद्वान ने कहा है’- रेखांकित अंश का संकेत है
(क) प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बनाते लोग
(ख) दृढ़ इरादों वाले लोग
(ग) अनुकूल परिस्थितियों में बढ़े लोग
(घ) अनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा कर रहे लोग
उत्तर
(घ) अनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा कर रहे लोग
(iv) नारायण मूर्ति, ग्राहम बेल आदि के उदाहरण क्यों दिए गए हैं?
(क) डिस्लेक्सिया से ग्रस्त होने का कारण
(ख) सीमित संसाधन होने के कारण
(ग) सफल अमीन होने के कारण
(घ) प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता पाने के कारण
उत्तर
(घ) प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता पाने के कारण
(v) ‘स्वर्ण’ का तद्भव शब्द है
(क) सूर्प
(ख) सोना
(ग) सुनहरा
(घ) सितारा
उत्तर
(ख) सोना
व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 =4)
(i) इनाम में प्राप्त पैसे उसने जुए में गवाँ दिए। रेखांकित पदबंध का भेद है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) सर्वनाम पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर
(ग) सर्वनाम पदबंध
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा रेखांकित पदबंध क्रियाविशेषण पदबंध है?
(क) रीमा हंस रही है।
(ख) आप क्यों इतना अधिक बोलते हैं?
(ग) अब तुम्हें चले जाना चाहिए।
(घ) दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा है।
उत्तर
(ख) आप क्यों इतना अधिक बोलते हैं?
(iii) दिए गए विकल्पों में से क्रिया पदबंध कौन-सा है?
(क) गाना गाने वाली उस लड़की को बुलाओ।
(ख) रीता ज़ोर-ज़ोर से बोलकर पढ़ती है।
(ग) सड़क पर मोटर कार चल रही है।
(घ) वह हमेशा कोई कोई शरारत करता है।
उत्तर
(क) गाना गाने वाली उस लड़की को बुलाओ।
(iv) मित्र मंडली के साथ मोहन घर पर बैठा है। रेखांकित पदबंध का भेद है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
उत्तर
(क) संज्ञा पदबंध
(v) दीन-दुखियों पर करुणा दिखाने वाले आप महान हैं। रेखांकित पदबंध का भेद है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर
(ख) सर्वनाम पदबंध
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘मयंक सुंदर है, वह हँसमुख भी है’, इस वाक्य का सरल वाक्य में रूपांतरण होगा
(क) मयंक सुंदर है तथा हँसमुख भी है।
(ख) मयंक सुंदर है लेकिन हँसमुख है।
(ग) मयंक सुंदर और हँसमुख है
(घ) मयंक सुंदर भी है और हँसमुख भी।
उत्तर
(ग) मयंक सुंदर और हँसमुख है
(ii) निम्न वाक्यों में से संयुक्त वाक्य कौन-सा है?
(क) मेरा छोटा-सा जो गाँव है, उसके चारों ओर जंगल है।
(ख) मेरे छोटे-से गाँव के चारों ओर जंगल है।
(ग) मेरा गाँव छोटा-सा है और उसके चारों ओर जंगल है।
(घ) गाँव छोटा-सा है और चारों ओर जंगल है।
उत्तर
(ग) मेरा गाँव छोटा-सा है और उसके चारों ओर जंगल है।
(iii) ‘उसने कुछ नहीं खाना खाया और सो गया।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(क) सरल वाक्य
(ख) मिश्रित वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर
(ग) संयुक्त वाक्य
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्रित वाक्य है–
(क) जैसे ही वे घर से बाहर निकले, वैसे ही ज़ोर से धमाका हुआ।
(ख) वे लोग घर से बाहर निकले और ज़ोर से धमाका हुआ।
(ग) धमाका होते ही घर से बाहर निकले।
(घ) उनके घर से निकलते ही ज़ोर से धमाका हुआ।
उत्तर
(क) जैसे ही वे घर से बाहर निकले, वैसे ही ज़ोर से धमाका हुआ।
(v) ‘वह कौन-सा व्यक्ति है, जिसने जवाहर लाल नेहरू का नाम न सुना हो।’ निम्नलिखित वाक्य है
(क) सरल वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) मिश्र वाक्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ग) मिश्र वाक्य
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1=4)
(i) निम्नलिखित में से किस समस्तपद में अव्ययीभाव समास है?
(क) वनवास
(ख) आपबीती
(ग) आजन्म
(घ) काली-मिर्च
उत्तर
(ग) आजन्म
(ii) द्वंद्व समास का उदाहरण है
(क) बेलगाम
(ख) अपयश
(ग) भला-बुरा
(घ) शोकातुर
उत्तर
(ग) भला-बुरा
(iii) ‘नवयुवक’ समस्तपद का विग्रह है
(क) नौ है जो युवक
(ख) नया है जो युवक
(ग) नई है जो युवक
(घ) युवक है जो
उत्तर
(ख) नया है जो युवक
(iv) निम्नलिखित में से किस समस्तपद में कर्मधारय समास है–
(क) नवग्रह
(ख) घनश्याम
(ग) पाठशाला
(घ) पूर्वोत्तर
उत्तर
(ख) घनश्याम
(v) ‘यथाविधि’ किस समास का उदाहरण है?
(क) कर्मधारय समास
(ख) द्विगु समास
(ग) अव्ययीभाव समास
(घ) तत्पुरुष समास
उत्तर
(ग) अव्ययीभाव समास
प्रश्न 6.
निम्नलिखित चारों भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) माली के हाथों में डंडा देखकर राजू के ………..” गए। उपयुक्त मुहावरे से वाक्य पूरा करें।
(क) प्राण सूखना
(ख) आग-बबूला
(ग) मर मिटना
(घ) भाग जाना
उत्तर
(क) प्राण सूखना
(ii) ‘दाँतों तले ऊँगली दबाना’ मुहावरे का अर्थ है___
(क) डर जाना
(ख) शर्मिंदा होना
(ग) हैरान होना
(घ) कष्ट अनुभव करना
उत्तर
(ग) हैरान होना
(iii) दूसरों पर .. के बदले अपना काम जल्दी पूरा करो। वाक्य में उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान पूर्ण करें।
(क) सिर चढ़ना
(ख) गले लगना
(ग) उँगली उठाना
(घ) कलंक लगाना
उत्तर
(ग) उँगली उठाना
(iv) ‘अक्ल पर पत्थर पड़ना’ मुहावरे का सही अर्थ है
(क) मूर्ख होना
(ख) बुद्धि भ्रष्ट होना
(ग) बुद्धि होना
(घ) प्रतिभावान होना
उत्तर
(ख) बुद्धि भ्रष्ट होना
पाठ्यपुस्तक (अंक 14)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (4 x 1 = 4)
कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
साँस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
(i) उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
(क) देश पर मर मिटने की
(ख) गद्दारी की
(ग) अपने धर्म की सेवा की
(घ) ईश्वर पर विश्वास की
उत्तर
(क) देश पर मर मिटने की
(ii) सैनिक देश को किसके हवाले छोड़कर जा रहे हैं?
(क) बच्चों के हवाले
(ख) बड़े-बुजुर्गों के हवाले
(ग) सैन्य कमांडरों के हवाले
(घ) देशवासियों के हवाले
उत्तर
(घ) देशवासियों के हवाले
(iii) ‘सर हिमालय का’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(क) देश की आन, बान और शान
(ख) हिमालय की चोटी
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(क) देश की आन, बान और शान
(iv) देश के सैनिकों ने मरते दम तक क्या किया?
(क) पहाड़ों को तोड़ा
(ख) रास्ते बनाए
(ग) देश के प्रति वफ़ादारी निभाई
(घ) देश से गद्दारी की
उत्तर
(ग) देश के प्रति वफ़ादारी निभाई
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 = 5)
किसी तरह रात बीती। दोनों के हृदय व्यथित थे। किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा। शाम की प्रतीक्षा थी। तताँरा के लिए मानो पूरे जीवन की अकेली प्रतीक्षा थी। उसके गंभीर और शांत जीवन में ऐसा पहली बार हुआ था। वह अचंभित था, साथ ही रोमंचित भी। दिन ढलने के काफी पहले वह लपाती की उस समुद्री चट्टान पर पहुँच गया। वामीरो की प्रतीक्षा में एक-एक पल पहाड़ की तरह भारी था।
उसके भीतर एक आशंका भी दौड़ रही थी। अगर वामीरो न आई तो? वह कुछ निर्णय नहीं कर पा रहा था। सिर्फ प्रतीक्षारत था। बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी। वह बार-बार लपाती के रास्ते पर नज़रें दौड़ाता। सहसा नारियल के झुरमुटों में उसे एक आकृति कुछ साफ़ हुई… कुछ और… कुछ और। उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। सचमुच वह वामीरो थी। लगा जैसे वह घबराहट में थी।
वह अपने को छुपाते हुए बढ़ रही थी। बीच-बीच में इधर-उधर दृष्टि दौड़ना नहीं भूलती। फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। दोनों शब्दहीन थे। कुछ था जो दोनों के भीतर बह रहा था। एकटक निहारते हुए वे जाने कब तक खड़े रहे। सूरज समुद्र की लहरों में कहीं खो गया था।
(i) तताँरा के जीवन में पहली बार क्या घटित हो गया था?
(क) उसका मन अशांत हो गया था
(ख) वह अचंभित-सा हो गया था
(ग) वह रोमांचित था
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प
उत्तर
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प
(ii) तताँरा किसकी प्रतीक्षा कर रहा था?
(क) गाँव वालों की
(ख) वामीरो की
(ग) वामीरो की माँ की
(घ) किसी की भी नहीं
उत्तर
(ख) वामीरो की
(iii) तताँरा कब समुद्र के किनारे पहुँच गया?
(क) शाम को
(ख) दिन ढलने से पहले
(ग) दोपहर को
(घ) दिन ढलने के बाद
उत्तर
(ख) दिन ढलने से पहले
(iv) ‘खुशी का ठिकाना न रहना’ मुहावरे का अर्थ है___
(क) पागल हो जाना
(ख) दीवाना हो जाना
(ग) भागने लगना
(घ) बेहद खुश होना
उत्तर
(घ) बेहद खुश होना
(v) तताँरा को वामीरो की आकृति कहाँ नज़र आई?
(क) पेड़ के पीछे
(ख) चट्टान के पीछे
(ग) नारियल के झुरमुट के पीछे
(घ) पहाड़ी के पीछे
उत्तर
(ग) नारियल के झुरमुट के पीछे
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 = 5)
पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। बढ़ती हुई आबादियों ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूदों की विनाशलीलायों ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया।
अब गरमी में ज़्यादा गरमी, बेवक़्त की बरसातें, ज़लज़ले, सैलाब, तूफान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन के प्रमाण हैं। नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई (मुबई) में देखने को मिला था और यह नमूना इतना डरावना था कि बंबई निवासी डरकर अपने-अपने पूजा-स्थल में अपने खुदाओं से प्रार्थना करने लगे थे।
(i) पहले पूरा संसार किसके समान था?
(क) एक महल के समान
(ख) एक परिवार के समान
(ग) एक मजबूत दीवार के समान
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(ख) एक परिवार के समान
(ii) बढ़ती हुई आबादी ने क्या करना शुरू कर दिया?
(क) समंदर को पीछे सरकाना
(ख) पक्षियों को बस्तियों से भगाना
(ग) पेड़ों को काटना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(घ) उपर्युक्त सभी
(iii) नेचर ने अपना नमूना किस शहर में दिखाया?
(क) ग्वालियर में
(ख) इंदौर में
(ग) मुंबई में
(घ) इनमें से सभी जगह
उत्तर
(ग) मुंबई में
(iv) प्रकृति के असंतुलन के क्या परिणाम दिख रहे हैं?
(क) बेवक्त की बरसाते हो रही हैं
(ख) नित नए रोग बढ़ रहे हैं
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) कोई भी नहीं
उत्तर
(ग) उपर्युक्त दोनों
(v) आज घर डिब्बे जैसे क्यों बन रहे हैं?
(क) मनुष्य के लालच में कारण
(ख) बढ़ती आबादी के कारण
(ग) प्रकृति के गुस्से के कारण
(घ) इनमें से सभी
उत्तर
(ख) बढ़ती आबादी के कारण
(ख) खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40)
पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 14)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(ख) पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
(ग) सवार ने क्यों कहा कि वज़ीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है? ।
उत्तर
(क) साखी में कबीर ने दीपक की तुलना उस ज्ञान से की है, जिसके कारण हमारे अंदर का अहंकार मिट जाता है। कबीर का कहना है कि जब तक हमारे अंदर अहंकार व्याप्त है तब तक हम परमात्मा को नहीं पा सकते हैं। लेकिन जैसे ही ज्ञान का प्रकाश जगता है, वैसे ही हमारे अंदर से अहंकार रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है।
(ख) पहले पद में मीरा ने हरि को याद दिलाया है कि कैसे उन्होंने अपने कई भक्तों की मदद की थी। उन्होंने द्रौपदी, प्रह्लाद और ऐरावत के उदाहरण देते हुए हरि से विनती की है कि वे उसके दुख को भी दूर करें।
(ग) सवार स्वयं वज़ीर अली था और अब तक उसे कोई पहचान नहीं पाया था। साथ ही, वह एक जाँबाज़ और बहादुर था। इसलिए उसने कहा कि वज़ीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है।
प्रश्न 11.
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है? 60-70 शब्दों में बताइए। (1 x 4 = 4)
उत्तर
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों के उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए यह संदेश दिया है कि परोपकार
के लिए अपना सर्वस्व, यानी अपने प्राण तक को न्योछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यहाँ तक कि परहित के लिए अपने शरीर तक का दान करने को तैयार रहना चाहिए। दधीचि ने मानवता की रक्षा के लिए अपनी अस्थियाँ तथा कर्ण ने खाल तक दान कर दी। हमारा शरीर तो नश्वर है उसका मोह रखना व्यर्थ है। परोपकार करना ही सच्ची __ मनुष्यता है। हमें यही करना चाहिए।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में लिखिए। (2 x 3 = 6)
(क) महंत जी ने हरिहर काका किस प्रकार आवभगत की?
(ख) इफ्फ़न की दादी की मौत का समाचार सुनकर टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? टोपी ने इफ्फ़न को क्या कहकर सांत्वना दी?
(ग) ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर लिखिए कि अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई में रुचि क्यों नहीं थी? पढ़ाई को व्यर्थ समझने के पीछे उनके क्या तर्क थे?
उत्तर
(क) हरिहर काका को रात में ठाकुरबारी में ऐसे मिष्ठान्न और व्यंजन मिले जो उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं खाए थे। पुजारी जी ने उन्हें अपने हाथों से खाना परोसा था। घी टपकते मालपुए, रस बुनिया, लड्डू, छेने की तरकारी, दही और खीर। महंत जी पास में ही बैठे धर्म-चर्चा से उनके मन में अपार शांति का भाव भर रहे थे। हरिहर काका को ठाकुरबारी में एक ही रात में इतना अपार सुख मिला जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में नहीं पाया था।
(ख) इफ्फन की दादी की मौत का समाचार सुनकर टोपी का बालमन शोक से भर उठा। इफ्फन तो उसी समय घर चला गया और टोपी जिमनेज़ियम में जाकर एक कोने में बैठकर रोने लगा। शाम को वह इफ्फ़न के घर गया, तो एक दादी के न रहने से उसे सारा घर खाली-खाली-सा लगा। इफ्फ़न की दादी के प्रति उसके मन में बहुत प्रेम था, बदले में ऐसा ही प्रेम उसे उनसे भी प्राप्त हुआ था, किंतु कभी ऐसी ममता उसे अपनी दादी से नहीं मिली थी। इस कारण उसने इफ्फ़न को यह कहकर सांत्वना दी कि ‘तोरी दादी की जगह अगर हमरी दादी मर गई होती, त ठीक भया होता’ अर्थात उसकी यानी इफ्फ़न की दादी की जगह उसकी दादी मर गई होती, तो ठीक होता।
(ग) गरीब घरों के लड़कों को पढ़ने में रुचि नहीं थी क्योंकि उनके लिए स्कूल में कोई आकर्षण नहीं था। स्कूल उनके लिए भय का स्थान था। वे बस्ता तालाब में फेंक आते और फिर कभी स्कूल नहीं जाते। ऐसे बच्चों के अभिभावकों की रुचि भी पढ़ाई में बिलकुल नहीं होती थी। वे उन्हें पंडित घनश्याम दास से हिसाब-किताब की प्राचीन लिपि ‘लंडे’ पढ़वाकर दुकान का खाता लिखवाना ज्यादा पसंद करते थे। यहाँ तक कि आढ़तिए और परचूनिए माँ-बाप भी पढ़ाई के बदले मुनीमी सिखवाते थे। ऐसे अभिभावकों का यह तर्क था कि बच्चों
को पढ़-लिखकर तहसीलदारी तो करनी नहीं है, इन्हें बनना तो मुनीम ही है।
लेखन (अंक 26)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (1 x 6 = 6)
(क) विज्ञापन के लाभ और हानियाँ
संकेत-बिंदु-
- विज्ञापन का अर्थ एवं उद्देश्य
- विज्ञापन की शुरुआत
- विज्ञापन के प्रभाव
- लाभ
- निष्कर्ष।
(ख) सत्संगति
संकेत-बिंदु-
- सत्संगति का अर्थ तथा श्रेष्ठता
- कुसंगति के प्रभाव तथा निष्कर्ष।
(ग) कंप्यूटर आज की आवश्यकता
संकेत-बिंदु-
- कंप्यूटर विज्ञान का चमत्कार
- कंप्यूटर की विशेषताएँ
- उपयोग एवं लाभ
- निष्कर्ष।
उत्तर
(क) विज्ञापन के लाभ तथा हानियाँ
व्यावसायिक तौर पर देखा जाए तो सामान्य से सामान्य वस्तु भी विज्ञापन के द्वारा आम आदमी के अंत:करण में इस तरह उतर जाती है कि वह उसे बार-बार खरीदने लगता है जबकि उससे अधिक ऊँचे स्तर की वस्तु विज्ञापन के अभाव में अलोकप्रिय होने के कारण बहुत कम बिकती है। वि + ज्ञापन = विज्ञापन अर्थात विशेष रूप से किसी चीज की व्याख्या करना या बढ़ा-चढ़ाकर उस वस्तु का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन करना ही विज्ञापन है।
विज्ञापन की सहायता से उत्पाद की बिक्री बढ़ाकर लाभ कमाना ही इसका मुख्य उद्देश्य होता है। विज्ञापन की शुरुआत कब से हुई, इस संबंध में कुछ कहा नहीं जा सकता। माना जाता है कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बड़ी-बड़ी शिलाओं पर बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को लिखवाया। समय और काल के अनुसार पुस्तकें, पत्रिकाएँ एवं समाचारपत्र विज्ञापनों के लिए प्रयोग किए गए।
आज की दुनिया में रेडियो, दूरदर्शन तथा कंप्यूटर विज्ञापन के सशक्त माध्यम हैं, जिनमें आम आदमी भी वैवाहिक विज्ञापन या गुमशुदा के विज्ञापन देकर या नौकरी के विज्ञापन पढ़कर बहुत लाभ कमा सकते हैं। विज्ञापन भी एक कला है, जिसमें असल की बजाय नकल को ज्यादा बेचा जाता है, यह हमारे निर्णय को किसी-न-किसी रूप में अवश्य प्रभावित करता है, इसलिए हमें बुद्धिमत्तापूर्वक तथा सावधानी से निर्णय करना चाहिए क्योंकि हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती।
(ख) सत्संगति
सत्संगति अर्थात सच्चे पुरुषों की संगति में रहना व उठना-बैठना। संगति का प्रभाव मानव जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। मनुष्य की पहचान उसकी संगति से ही होती है। अच्छी संगति से मनुष्य के जीवन में विनम्रता, दया, सहानुभूति, करुणा, नेकी, सच्चाई तथा ईमानदारी जैसे सद्गुणों का समावेश होता है। कहा भी गया है”बिन सत्संग विवेक न होई।” सत्संग की यह श्रेष्ठता है कि यह पवित्र गंगा जल का रूप ले लेता है।
दुर्जनों की संगति में रहने वाले रत्नाकर डाकू को संत देवर्षि नारद की संगति ने महर्षि बाल्मीकि बना दिया, जिन्होंने रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ की रचना की। सत्संगति से मानव जीवन में सद्गुण आते हैं, वहीं बुरी संगत से विभिन्न प्रकार विकारों का समावेश होता है जो मनुष्य को असहनशील, अभद्र तथा अविवेकी बनाकर असत्य की राह पर ले जाते हैं, मानव ‘सत्य’ से भटककर असत्य का साथ देता है;
जैसे-संत अजमिल ने एक वैश्या के संसर्ग में आकर असत्य का रास्ता अपनाया तथा माता कैकयी भी मंथरा की कुसंगति से अपना सम्मान खो बैठीं। अत: मानव जीवन को उत्तम बनाने के लिए श्रेष्ठ पुरुषों की सत्संगति आवश्यक है ताकि मनुष्य समाज में सच्चा आदर तथा सम्मान प्राप्त कर सके, जीवन का सच्चा अर्थ समझ सके तथा जीवन को सफल बना सके।
(ग) कंप्यूटर : आज की आवश्यकता
विज्ञान ने अनेक चमत्कारी चीजें दी हैं, कंप्यूटर उनमें से एक है। आज प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग अनिवार्य है, इसलिए 21वीं सदी को कंप्यूटर की सदी कहते हैं। कंप्यूटर का आविष्कार 20वीं सदी के उत्तरार्ध में हुआ। आज का कंप्यूटर पिछली सदी के कंप्यूटर से एकदम भिन्न है। आज का कंप्यूटर लाखों-करोड़ों गणनाएँ पलक झपकते ही एक बार क्लिक करने पर बिना कोई गलती किए कर देता है।
बार-बार करने पर यह थकता नहीं तथा न ही इसके परिणामों में कोई परिवर्तन आता है, यह कभी धोखा नहीं देता। कार्यालयों के प्रत्येक विभाग में कंप्यूटर अनिवार्य है। आज बिजली बिल, टेलीफोन बिल, पानी का बिल, गृहकर, रेलवे टिकट, बस टिकट आदि के विभाग कंप्यूटराइज्ड (कंप्यूटरीकृत) प्रतियाँ तैयार करते हैं। इसी तरह दुकान तथा होटलों में भी इसका प्रयोग होता है। इसी तरह बच्चे कंप्यूटर गेम’ खेल कर मनोरंजन करते हैं।
कंप्यूटर की संख्या तथा उपयोग बढ़ने से फाइलों की संख्या घट रही है। कहीं-कहीं पर “बिना कागज वाले कार्य” (पेपर लैस वर्क) हो रहे हैं। इस तरह फाइलों की खरीद तथा रख-रखाव से छुटकारा मिल रहा है। कंप्यूटर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों को परस्पर जोड़ रहा है। अतः कंप्यूटर का उपयोग हमें सफलता की नई ऊँचाइयों पर ले जाता है। इसके उपयोग के समय अन्य नियमों के साथ स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों का पालन अनिवार्य है।
प्रश्न 14.
विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए कि पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाओं का समुचित प्रबंध किया जाए।
अथवा
समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें दिल्ली में बढ़ती हुई अपराधवृत्ति की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करवाया गया हो।
उत्तर
परीक्षा भवन
अ०ब०स०
विद्यालय नई दिल्ली। प्रधानाचार्य जी जैन भारती स्कूल नई दिल्ली। विषयः पुस्तकालय में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं की समुचित व्यवस्था हेतु पत्र। मान्यवर मैं कक्षा दसवीं का छात्र हूँ और पुस्तकालय में हिंदी पत्र-पत्रिकाएँ न होने के कारण आपको पत्र लिख रहा हूँ। श्रीमान, हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाओं का अभाव है। अंग्रेज़ी की लगभग 8 से 10 पत्रिकाएँ आती हैं जबकि हिंदी की केवल एक पत्रिका आती है। हम इसे स्वीकार करते हैं कि आज-कल हर जगह अंग्रेजी का ही बोलबाला है, परंतु इस कारण हम अपनी मातृभाषा को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। बहुत से बच्चे हिंदी की पत्र-पत्रिकाएँ पढ़कर भाषा पर अपना अधिकार सुदृढ़ करना चाहते हैं। भाषा के द्वारा ही हमारे शब्द-ज्ञान में वृद्धि होती है और अपने शब्द-ज्ञान को बढ़ाने का पत्र-पत्रिकाओं से अच्छा माध्यम कोई हो नहीं सकता। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि बाल भारती, सरिता, नंदन, चंपक, इंडिया टुडे आदि पत्रिकाओं को मँगवाकर हमारे पुस्तकालय की शोभा बढ़ाएँ तथा बच्चों को समुचित विकास का अवसर प्रदान करें।
धन्यवाद। भवदीय
क०ख०ग० 17
अप्रैल, 20xx
अथवा
परीक्षा भवन
अ०ब०स विद्यालय
नई दिल्ली।
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स बहादुरशाह जफ़र मार्ग नई दिल्ली विषयः दिल्ली में बढ़ती अपराधवृत्ति की ओर ध्यान दिलाने हेतु पत्र। मान्यवर मैं पंजाबी बाग क्षेत्र का निवासी हूँ और आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से सरकारी अधिकारियों का ध्यान दिल्ली में बढ़ती हुई अपराधिक प्रवृत्ति की ओर आकृष्ट करवाना चाहता हूँ। आशा है आप इसे अवश्य प्रकाशित करेंगे। बड़े दुख का विषय है कि भारत की राजधानी दिल्ली में आजकल गुंडागर्दी तथा अपराधवृत्ति का बोलबाला है।
देश की इस ऐतिहासिक राजधानी में असामाजिक तत्वों का भय तथा आतंक का वातावरण बना हुआ है। दिन-दहाड़े चेन खींचना, पर्स छीनना आम बात हो गई है। बसों में, बाजारों में, कॉलेजों में छेड़खानी की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं अपने सहकर्मियों के अश्लील कटाक्षों से परेशान हैं।
अपहरण, बलात्कार तथा चोरी के समाचार सुनकर दिल दहल जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि इन पर कार्यवाही नहीं होती, ना-ही हमारी पुलिस इतनी मुस्तैद है। इन सभी के कारण आम आदमी भय और असुरक्षा की भावना से जीवन काट रहा है। हमारे देश की छवि को भी ये घृणित कार्य धूमिल करते हैं।
आपसे अनुरोध है कि इस पत्र को अपने अखबार में छापें ताकि संबंधित अधिकारी इसे पढ़कर जागरूक हों और इस पर उचित कार्यवाही करें। धन्यवाद। भवदीय क.ख.ग. एवं अन्य क्षेत्रवासी
08 अगस्त, 20xx .
प्रश्न 15.
विद्या भारती पब्लिक स्कूल, कुरुक्षेत्र की ओर से दसवीं तथा बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा की विशेष तैयारी हेतु छात्राओं के लिए रविवार की सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक कक्षाओं की निःशुल्क व्यवस्था की 30-40 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
विद्यालय में हो रही कविता-प्रतियोगिता में आमंत्रण हेतु 30-40 शब्दों में सूचना लिखिए।
उत्तर
विद्या भारती पब्लिक स्कूल, कुरुक्षेत्र
रविवार की सुबह विशेष कक्षाओं की व्यवस्था
सूचना
दिनांक : 21 मार्च, 20xx
आप सभी छात्राओं को सूचित किया जाता है कि कक्षा दसवीं तथा बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की विशेष तैयारी के लिए विद्यालय की ओर से हर रविवार की सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की गई है। इसके लिए आने-जाने की व्यवस्था आप स्वयं करेंगी। अधिक-से-अधिक छात्राएँ इस अवसर का लाभ उठाकर परीक्षा में सफलता प्राप्त करें।
विजय चावला
प्रधानाचार्य
अथवा
सर्वोदय विद्यालय पंजाबी बाग, नई दिल्ली
विद्यालय में हो रही कविता प्रतियोगिता में आमंत्रण हेतु।
सूचना
दिनांक : 7
फरवरी, 20xx
समस्त विद्यालयों को सूचित किया जाता है कि सर्वोदय विद्यालय, पंजाबी बाग में कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। एक विद्यालय से केवल एक ही प्रतियोगी का नामांकन स्वीकार किया जाएगा। इच्छुक विद्यालय अपना नामांकन भेज सकते हैं। कविता वाचन का समय- 2 से 2:30 बजे कविता का विषय- हास्य या व्यंग्य
दिनांक- 15 फरवरी, 20xx
बलबीर सिंह
प्रधानाचार्य
प्रश्न 16.
पुराने घरेलू फर्नीचर बेचने के लिए 25 से 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन बनाइए।
अथवा
‘हर्बल टूथ पेस्ट’ की विशेषताएँ बताते हुए 25 से 50 शब्दों में विज्ञापन बनाइए।
उत्तर
प्रश्न 17.
दिए गए विषय के आधार पर 100-120 शब्दों में लघुकथा लिखिए।
• बिना सोचे-समझे किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
अथवा
• संगत का असर।
उत्तर
एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज़ पकड़ लिया। शिकारी जब उसे लेकर जाने लगा तब रास्ते में उसने उससे कहा, “तुम मुझे लेकर क्यों जा रहे हो?” वह बोला, “मैं तुम्हें मारकर खाने के लिए ले जा रहा हूँ।” उसने सोचा कि अब तो मेरी मृत्यु निश्चित है।
वह कुछ देर यूँ ही शांत रहा और फिर कुछ सोचकर बोला, “देखो, मुझे जितना जीवन जीना था, मैंने जी लिया और अब मेरा मरना निश्चित है, लेकिन मरने से पहले मेरी एक आखिरी इच्छा है।” “बताओ अपनी इच्छा?” शिकारी ने उत्सुकता से पूछा। बाज ने बताना शुरू किया- “मरने से पहले मैं तुम्हें दो सीख देना चाहता हूँ, इसे तुम ध्यान से सुनना और सदा याद रखना। पहली सीख तो यह है कि किसी की बातों का बिना प्रमाण, बिना सोचे-समझे विश्वास मत करना और दूसरी ये कि यदि तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो या तुम्हारे हाथ से कुछ छूट जाए तो उसके लिए कभी दुखी मत होना।”
शिकारी ने बाज़ की बात सुनी और अपने रास्ते आगे बढ़ने लगा। कुछ समय बाद बाज ने शिकारी से कहा- “शिकारी, एक बात बताओ… अगर मैं तुम्हें कुछ ऐसा दे दूं, जिससे तुम रातों-रात अमीर बन जाओ तो क्या तुम मुझे आज़ाद कर दोगे?” शिकारी फ़ौरन रुका और बोला, “क्या है वो चीज़, जल्दी बताओ?” बाज़ बोला, “दरअसल, बहुत पहले मुझे राजमहल के करीब एक हीरा मिला था, जिसे उठाकर मैंने एक गुप्त स्थान पर रख दिया था।
अगर आज मैं मर जाऊँगा तो वह हीरा ऐसे ही बेकार चला जाएगा, इसलिए मैंने सोचा कि अगर तुम उसके बदले मुझे छोड़ दो तो मेरी जान भी बच जाएगी और तुम्हारी गरीबी भी हमेशा के लिए मिट जाएगी।” यह सुनते ही शिकारी ने बिना कुछ सोचे-समझे बाज को आज़ाद कर दिया और वह हीरा लाने को कहा।
बाज़ तुरंत उड़कर पेड़ की एक ऊँची साख पर जा बैठा और बोला, “कुछ देर पहले ही मैंने तुम्हें एक सीख दी थी कि किसी की भी बातों का तुरंत विश्वास मत करना, लेकिन तुमने उस सीख का पालन नहीं किया… दरअसल, मेरे पास कोई हीरा नहीं है और अब मैं आज़ाद हूँ। यह सुनते ही शिकारी मायूस हो पछताने लगा… तभी बाज़ फिर बोला, “तुम मेरी दूसरी सीख भूल गए कि अगर तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो तो उसके लिए कभी पछतावा मत करना।”
अथवा
एक दिन एक शहर के एक नामी सेठ को पता चलता है कि उसका बेटा गलत संगत में पड़ गया है और उसका उठना-बैठना गलत लोगों के साथ हो गया है। सेठ के लाख समझाने और मना करने के बाद भी उसका बेटा उन्हीं लोगों के साथ उठता-बैठता था और कहता था कि किसी के साथ उठने-बैठने से कोई बिगड़ नहीं जाता है। एक दिन सेठ को ऐसे ही बैठे-बैठे अपने बेटे को सुधारने की एक युक्ति सूझी… वह बाज़ार गया और वहाँ से कुछ सेब खरीदकर ले आया। इन सब सेबों के साथ वह एक सड़ा हुआ सेब भी लेकर आया… सेठ ने उन सेबों को दो बराबर हिस्सों में बाँटकर दो अलग-अलग थैलों में डाल दिया।
फिर उसने अपने बेटे को बुलाकर कहा कि इन दोनों थैलों को अलग-अलग जगह रख दो। बेटे को कुछ समझ नहीं आया। तभी सेठ ने अलग से लाया हुआ सड़ा हुआ सेब निकाला और एक थैले में डालते हुए कहा कि यह सेब थोड़ा-सा सड़ा हुआ है, लेकिन बाकी के सेब तो सही हैं… इस थैले में इसको डाल देता हूँ। अगले ही दिन सेठ ने अपने बेटे से सेब के दोनों थैले लाने को कहा… बेटा सेब का एक थैला तो आराम से लेकर आ गया, लेकिन जब दूसरा थैला लाने गया तो उसे बदबू आने लगी… उ
सने देखा कि सड़े सेब वाले थैले के बाकी सेब भी सड़ने शुरू हो गए थे। सेठ ने कहा, “जिस तरह एक सड़ा हुआ सेब बाकी सेबों को भी सड़ा देता है, उसी तरह बुरी संगत अच्छे बच्चों को बिगाड़ देती है।” अब उस लड़के को सारी बात समझ में आ गई और उसी दिन से उसने बुरे लोगों के साथ उठना/बैठना बंद कर दिया।