NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब
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पाठ्य पुस्तक प्रश्न
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर:
कथानायक की रुचि पढ़ाई से अधिक खेलकूद, हरे-भरे मैदान में घूमने, दोस्तों से बातें करने और पतंगें उड़ाने में थीं।
प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
उत्तर:
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे कि वह अब तक कहाँ था? आशय यही होता कि बाहर क्या कर रहा था, कमरे में बैठकर पढ़ क्यों नहीं रहा था। बड़े भाई को हमेशा यही चिंता लगी रहती थी कि कहीं छोटे भाई का ध्यान पढ़ाई से हट न जाए।
प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
दूसरी बार पास होने पर बड़े भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि उसने पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना कम करके पतंगबाज़ी पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
उत्तर:
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और वे छोटे भाई से चार दरजे आगे थे। अर्थात् वे नौवीं कक्षा में थे और छोटा भाई पाँचवीं कक्षा में।
प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
उत्तर:
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कॉपी पर या किताब के हासिये पर निरर्थक शब्द या वाक्य लिखते या कोई चित्र बनाया करते थे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई की टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
उत्तर:
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय अनेक बातें सोचा-
- वह मन लगाकर पढ़ाई करेगा।
- खेलकूद में समय बिलकुल भी बरबाद नहीं करेगा।
खेलकूद में गहरी रुचि होने के कारण वह टाइम-टेबिल का पालन नहीं कर पाया।
प्रश्न 2.
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
एक दिन गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई जब बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा, तो उन्होंने उसे डाँटना शुरू कर दिया और बोले कि इस साल कक्षा में अव्वल आ गए, तो तुम्हारा दिमाग हो गया है। भाईजान! घमंड तो बड़े-बड़े का नहीं रहा, तुम्हारी क्या हस्ती है? उसे पढ़ाई का भय दिखाया। रावण का उदाहरण देकर कहा कि वह तो चक्रवर्ती राजा था मगर घमंड ने उसका नामोनिशान तक मिटा दिया। इस प्रकार भाई साहब ने सफलता मिल जाने पर सहज बने रहने का उपदेश दिया।
प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर:
बड़े भाई साहब को अपनी इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं, क्योंकि बड़े होने के कारण उन पर छोटे ई की देख-रेख का जिम्मा था। यदि वे खुद बेराह चलते तो छोटे भाई को बेराह चलने से कैसे रोकते और उसे पढ़ाई के लिए कैसे प्रेरित करते।
प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
उत्तर:
बड़े भाई साहब छोटे भाई को यह सलाह देते थे कि पढ़ाई करने के लिए रात-दिन आँखें फोड़नी पड़ती हैं और अपना खून जलाना पड़ता है, मन की इच्छाओं को दबाना पड़ता है तथा कठोर मेहनत करनी पड़ती है, तब कहीं विद्या आती है। अपनी उपलब्धि पर कभी भी घमंड मत करो, क्योंकि घमंड तो प्रकांड पंडित चक्रवर्ती राजा रावण का भी नहीं रहा था। इतिहास पढ़ना, ज्योमेट्री तथा अंग्रेज़ी एड़ना अत्यंत कठिन है आदि बातों की सलाह देकर बड़े भाई अपने छोटे
भाई को नेक इंसान बनाना चाहते थे तथा उसका भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहते थे।
प्रश्न 5.
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम नवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
उत्तर:
लेखक ने बड़े भाई के नरम व्यवहार का फ़ायदा उठाते हुए पढ़ाई पर ध्यान देना कम कर दिया। उसने मनमानी शुरू कर दी और उनसे छिपकर पतंगें उड़ाने लगा।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
बड़े भाई की डॉट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वले आता? अपने विचार प्रकद कीजिए।
उत्तर:
मेरे विचार से यदि छोटे भाई को बड़े भाई की डाँट-फटकार ने मिलती तो वह पढ़ाई में इतना आगे जाकर कक्षा में अव्वल न आता। कहानी से अनुमान लगता है कि बड़े भाई की उम्र नौ साल रही होगी। यह उम्र अबोध होती है जिसमें बालक स्वविवेक से उचित निर्णय नहीं ले सकता है। उसे उचित दिशा-निर्देशन के साथ स्नेह मिश्रित रोष की भी जरूरत होती है। इनके अभाव में बालक के कदम गलत दिशा में मुड़कर उसे पढ़ाई-लिखाई से दूर ले जाते हैं।
प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
उत्तर:
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के बहुत-से तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है, किंतु मैं इससे पूर्ण रूप से सहमत नहीं हूँ। शिक्षा के जिन तौर-तरीकों के व्यंग्य से मैं सहमत हूँ, वे हैं जैसे विद्यार्थी का अध्ययनशील होना एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है, पर हरदम पुस्तक खोलकर बैठे रहना; अर्थात् किताबी कीड़ा होना और खेल-कूद में रुचि न लेना आदि ठीक नहीं है, किताबी ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है, पर इससे भी अधिक आवश्यक है, व्यावहारिक ज्ञान का होना।
प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
उत्तर:
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ पुस्तकें रटने या पुस्तकों का ज्ञान परीक्षा में ज्यों का त्यों उतार देने से नहीं आती है। वास्तव में जीवन की समझ व्यावहारिक अनुभव से आती है। जीवन की सुखद या दुखद घटनाओं से व्यक्ति नए-नए अनुभव प्राप्त कर जीवन को निकट से समझता है। ऐसे व्यक्ति ही समझदार होते हैं। वे जीवन-पथ पर आने वाले दुखों और परेशानियों का हल सहजता से खोज लेते हैं। वे दुख देखकर घबराए बिना विवेक से काम लेते हैं। लेखक के कम पढ़े-लिखे माता-पिता को जीवन के अनुभवों से समझ और ज्ञान प्राप्त हो चुका था।
प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
उत्तर:
बड़े भाई साहब अक्सर अपने छोटे भाई को पढ़ाई में दिलचस्पी लेने के लिए कभी प्यार से समझाकर, तो कभी डाँटकर समझाने का प्रयास करते रहते थे, लेकिन छोटा भाई खेल-कूद कर भी हर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करता। इससे उसमें अभिमान-सा आ गया था। इस अभिमान को भाई साहब ने जिस युक्ति से दूर किया, उससे छोटे भाई के मन में उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई।
प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
लेखक के बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- पढ़ाकू- लेखक का बड़ा भाई अत्यंत परिश्रमी और पढ़ाकू था। वह लगभग हर समय पुस्तकें खोले बैठा हुआ उनमें आँखें गड़ाए रहता था।
- पढ़ाई के प्रति समर्पित- बड़े भाई साहब पढ़ाई के प्रति इतने समर्पित थे कि वे खेल-तमाशे, मेले तथा खेलकुद से पूरी तरह दूरी बनाकर रहते थे।
- कुशल उपदेशक- बड़े भाई साहब कुशल उपदेशक थे। वे उपदेशों के माध्यम से ऐसे सूक्ति बाण चलाते थे कि पढ़ाई से विमुख छोटा भाई पढ़ने के लिए विवश हो जाता था। इसके लिए उन्हें तरह-तरह के उदाहरण भी याद थे।
- रट्टू शिक्षा प्रणाली के आलोचक- बड़े भाई साहब रटने को बढ़ावा देने वाली शिक्षा प्रणाली के घोर विरोधी थे। वे चाहते थे कि शिक्षा ऐसी हो जो जीवन के प्रति समझ पैदा करे।
- कर्तव्यनिष्ठ- बड़े भाई साहब उम्र में बड़े थे। बड़े होने के कारण उन्हें अपने कर्तव्य का पूरा ज्ञान था। वे इसे पूरा करने के लिए सदा प्रयासरत रहते थे।
प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?
उत्तर:
बड़े भाई साहब ने जिदंगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहा है, क्योंकि किताबें पढ़कर महज़ इम्तिहान पास कर लेना, डिग्रियाँ प्राप्त कर लेना कोई बड़ी बात नहीं है। असल बात यह है कि बुधि का विकास कितना हुआ तथा जीवन-मूल्यों के प्रति हम कितने जागरूक हुए। जीवन की सार्थकता, जीवन का उद्देश्य क्या है? इन्हें समझना परम आवश्यक है इसलिए हमारी जिंदगी का अनुभव जितना सुंदर, सहज तथा व्यावहारिक होगा उतना ही हमारे लिए महत्वपूर्ण होगा इसलिए बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहा है।
प्रश्न 7.
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-
- छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
- भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
- भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
- भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर:
- फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उड़ाता था। मांझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न। करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नज़रों में कम हो गया है।
- यह तुम्हारी गलती है। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और चाहे आज तुम मेरी ही जमात में आ जाओ और परीक्षकों का यही हाल है, तो निस्संदेह अगले साल तुम मेरे समकक्ष हो जाओगे और शायद एक साल बाद मुझसे आगे भी निकल जाओ, लेकिन मुझमें और तुममें जो पाँच साल का अंतर है, उसे तुम क्या, खुदा भी नहीं मिटा सकता। मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का तो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम०ए० और डी०फिल और डी०लिट् ही क्यों न हो जाओ।
- संयोग से उसी वक्त एक कटा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गुजरा। उसकी डोर लटक रही थी। लड़कों का एक गोल पीछे-पीछे दौड़ा चला आता था। भाई साहब लंबे हैं ही। उछलकर उसकी डोर पकड़ ली और बेतहाशा होस्टल की तरफ़ दौड़े।
- मैं कनकौए उड़ाने को मना नहीं करता। मेरा भी जी ललचाता है; लेकिन करूं क्या, खुद बेराह चलें, तो तुम्हारी रक्षा कैसे करूँ? यह कर्तव्य भी तो मेरे सिर है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है, बुद्धि का विकास।
उत्तर:
कक्षा में अव्वल आ जाने पर छोटे भाई के मन अभिमान आ जाता है। वह अपनी स्वच्छंदता का प्रदर्शन अपने आचरण में करने लगता है। यह देख बड़े भाई साहब ने उसके अभिमान का लक्ष्य करके कहा, कक्षा में प्रथम आकर यह न सोचो कि तुमने बहुत बड़ी सफलता पा ली है। इस सफलता से बड़ी चीज है बुद्धि का विकास और समझ तथा अनुभव। इस अनुभव में तुम अभी छोटे हो। इस मामले में मेरी बुद्धि का विकास तुमसे अधिक है।
प्रश्न 2.
फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी भोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।
उत्तर:
इन पंक्तियों में लेखक कह रहा है कि जिस प्रकार आदमी मौत जैसे सत्य को सामने देखकर भी संसार के मोह-माया रूपी बंधनों में जकड़ा रहता है, आसक्ति में डूबा रहता है, सांसारिक सुख नश्वर हैं, यह जानते हुए भी आदमी संग्रह तथा भौतिक सुखों को भोगने में लगा रहता है, ठीक इसी प्रकार से लेखक भी भाई साहब की डाँट-फटकार खाकर भी खेलना-कूदना छोड़ नहीं सकता था। खेल-कूद से आसक्ति के कारण वह भाई साहब की तरह-तरह की डाँट-फटकार सह लेता था।
प्रश्न 3.
बुनियाद ही पुख्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बने?
उत्तर:
किसी मकान को टिकाऊ और मजबूत बनाने के लिए उसकी नींव मजबूत बनानी पड़ती है। बिना मजबूत नींव के जिस तरह सुंदर मकान की कल्पना व्यर्थ है, उसी प्रकार शायद बड़े भाई साहब भी प्रत्येक कक्षा में दो-तीन साल लगाकर अपनी नींव मजबूत करते थे। वास्तव में यह भाई साहब की पढ़ाई पर व्यंग्य किया गया है।
प्रश्न 4.
आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानों कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर:
इन पंक्तियों में लेखक कह रहा है कि उसकी आँखें आसमान की ओर देख रही थीं तथा मन उस आकाश में उड़ने वाली पतंग में लीन था, जो कटकर धीमी चाल से झूमती हुई पतन की ओर जा रही थी अर्थात् नीचे गिर रही थी। उस समय आकाशगामी पतंग ऐसी प्रतीत हो रही थी, मानों कोई आत्मा स्वर्ग से अलग होकर धरती पर नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो अर्थात् जन्म लेने जा रही हो। ठीक वैसा ही हाल लेखक का था।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
- नसीहत,
- रोष,
- आजादी,
- राजा,
- ताज्जुब
उत्तर:
पर्यायवाची शब्द:
शब्द – पर्यायवाची
- नसीहत – सलाह, मशविरा
- रोष – क्रोध, गुस्सा
- आजादी – स्वतंत्रता,स्वाधीनता
- राजा – नृप,
- महीप ताज्जुब – आश्चर्य, अचंभा
प्रश्न 2.
प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसलिए इनकी कहानियाँ रोचक और भावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है।
उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए-
- मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
- भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।
- वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
- सिर पर नंगी तलवार लटकना,
- आड़े हाथों लेना,
- अंधे के हाथ बटेर लगना,
- लोहे के चने चबाना,
- दाँतों पसीना आना,
- ऐरा-गैरा नत्थू खैरा।।
उत्तर:
मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग-
- बड़े भाई साहब की फटकार की मेरे सिर पर नंगी तलवार लटकी रहती है।
- मैं जब भी पतंग उड़ाकर आता, भाई साहब मुझे आड़े हाथों लेते।
- बिना मेहनत के परीक्षा में पास होना तुम्हारे लिए ऐसा ही है जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गई हो।
- एवरेस्ट पर चढ़ना लोहे के चने चबाना है।
- बड़े भाई साहब ने कहा, मेरी कक्षा में आ जाओगे तो तुम्हें दाँतों पसीना आ जाएगा।
- छोटी कक्षा में ऐरे-गैरे नत्थू खैरे भी पास हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।
तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रातःकाल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल।
उत्तर:
प्रश्न 4.
क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक।
सकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे- शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
अकर्मक क्रिया – वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे- शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्य में कौन-सी क्रिया है-सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-
- उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। …………………..
- फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा। …………………..
- शैतान का हाल भी पढ़ा होगा। …………………..
- मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। …………………..
- समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। …………………..
- मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था। …………………..
उत्तर:
- सकर्मक
- अकर्मक
- सकर्मक
- सकर्मक
- सकर्मक
- अकर्मक
प्रश्न 5.
“इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार।
उत्तर:
वैचारिक, ऐतिहासिक, सांसारिक, दैनिक, नैतिक, प्रायोगिक, आधिकारिक।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।
प्रश्न 2.
शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं-कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।
प्रश्न 4.
क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
कहानी में ज़िदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता बड़े भाई-बहनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
आपकी छोटी बहिन/छोटा भाई छात्रावास में रहती रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
दिनांक-15/02/2014
बी-3/4, राणाप्रताप बाग,
दिल्ली
प्रिय|
प्रतिभा,
हार्दिक स्नेह,
प्रतिभा! तुम घर से दूर पढ़ने के लिए गई हुई हो! तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएँ निकट हैं। आज का युग प्रतियोगिता का युग है, इसमें परीक्षा उत्तीर्ण करना ही पर्याप्त नहीं, अपितु अच्छे अंक लाना अनिवार्य है। कक्षा में अच्छे अंकों के साथ प्रथम आना आसान नहीं, इसके लिए कठोर व नियमित अध्ययन नितांत आवश्यक है। मुझे विश्वास है कि तुम्हारी संगति अच्छे छात्रों से होगी। तुम इधर-उधर की बातों से दूर रहकर अध्ययन को अपना आधार बनाओगे। परिश्रम ही सफलता कुंजी है। मुझे विश्वास है कि तुम समय का सदुपयोग कर मेहनत के बल से अच्छे अंक लेकर दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होंगी। मुझे विश्वास है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी।
तुम्हारा
बड़ा भाई
क०ख०ग०
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