NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? [Imp.][CBSE]
अथवा
‘एक कहानी यह भी’ पाठ की लेखिका के व्यक्तित्व को किन-किन व्यक्तियों ने किस रूप में प्रभावित किया? [CBSE 2012; A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखिका के व्यक्तित्व पर मुख्य रूप से दो व्यक्तियों का प्रभाव पड़ा।
पिताजी का प्रभाव-लेखिका के व्यक्तित्व को बनाने-बिगाड़ने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने ही लेखिका के मन में हीनता की भावना पैदा की। उन्होंने ही उसे शक्की बनाया, विद्रोही बनाया। उन्हीं ने लेखिका को देश और समाज के प्रति जागरूक बनाया। उसे रसोईघर और सामान्य घर-गृहस्थी से दूर एक प्रबुद्ध व्यक्तित्व दिया। लेखिका को देश के प्रति जागरूक बनाने में उनके पिता का ही योगदान है।
शीला अग्रवाल का प्रभाव-लेखिका को क्रियाशील, क्रांतिकारी और आंदोलनकारी बनाने में उनकी हिंदी-प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का योगदान है। शीला अग्रवाल ने अपनी जोशीली बातों से लेखिका के मन में बैठे संस्कारों को कार्य-रूप दे दिया। उन्होंने लेखिका के खून में शोले भड्का दिए। पिता उसे चारदीवारी तक सीमित रखना चाहते थे, परंतु शीला अग्रवाल ने उसे जन-जीवन में खुलकर विद्रोह करना सिखा दिया।

प्रश्न 2.
इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है? [Imp.]
उत्तर:
भटियारखाने के दो अर्थ हैं-

  • जहाँ हमेशा भट्टी जलती रहती है, अर्थात् चूल्हा चढ़ा रहता है।
  • जहाँ बहुत शोर-गुल रहता है। भटियारे का घर। कमीने और असभ्य लोगों का जमघट। पाठ के संदर्भ में यह शब्द पहले अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। रसोईघर में हमेशा खाना-पकाना चलता रहता है। पिताजी अपने बच्चों को घर-गृहस्थी या चूल्हे-चौके तक सीमित नहीं रखना चाहते थे। वे उन्हें जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रसोईघर की उपेक्षा करते हुए भटियारखाना अर्थात् प्रतिभा को नष्ट करने वाला कह दिया है।

प्रश्न 3.
वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर? [Imp.]
उत्तर:
हुआ यूं कि लेखिका के आंदोलनकारी व्यवहार से तंग आकर उनके कॉलेज की प्रिंसिपल ने लेखिका के पिता को बुलवाया। पिता पहले से ही लेखिका के विद्रोही रुख से परेशान रहते थे। उन्हें लगा कि जरूर इस लड़की ने कोई अपमानजनक काम किया होगा। इस कारण उन्हें सिर झुकाना पड़ेगा। इसलिए वे बड़बड़ाते हुए कॉलेज गए।
कॉलेज में जाकर उन्हें पता चला कि उनकी लड़की तो सब लड़कियों की चहेती नेत्री है। सारा कॉलेज उसके इशारों पर चलता है। लड़कियाँ प्रिंसिपल की बात भी नहीं मानतीं, केवल उसी के संकेत पर चलती हैं। इसलिए प्रिंसिपल के लिए कॉलेज चलाना कठिन हो गया है। यह सुनकर पिता का सीना गर्व से फूल उठा। वे गद्गद हो गए। उन्होंने प्राचार्य को उत्तर दिया-‘ये आंदोलन तो वक्त की पुकार हैं : इन्हें कैसे रोका जा सकता है।’ लेखिका पिता के मुख से ऐसी प्रशंसा सुनकर विश्वास न कर पाई। उसे अपने कानों पर भरोसा न हुआ। उसे तो यही आशा थी कि उसके पिता उसे डाँटेंगे, धमकाएँगे तथा उसका घर से बाहर निकलना बंद कर देंगे।

प्रश्न 4.
लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए [Imp.][CBSE 2012]
अथवा
लेखिका के पिता और लेखिका के बीच मतभेदों के असली कारण क्या थे?- ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर लिखिए। [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
लेखिका और उसके पिता के विचार आपस में टकराते थे। पिता लेखिका को देश-समाज के प्रति जागरूक बनाना चाहते थे किंतु उसे घर तक ही सीमित रखना चाहते थे। वे उसके मन में विद्रोह और जागरण के स्वर भरना चाहते थे किंतु उसे सक्रिय नहीं होने देना चाहते थे। लेखिका चाहती थी कि वह अपनी भावनाओं को प्रकट भी करे। वह देश की स्वतंत्रता में सक्रिय होकर भाग ले। यहीं आकर दोनों की टक्कर होती थी। विवाह के मामले में भी दोनों के विचार टकराए। पिता नहीं चाहते थे कि लेखिका अपनी मनमर्जी से राजेंद्र यादव से शादी करे। परंतु लेखिका ने उनकी परवाह नहीं की।

प्रश्न 5.
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; CBSE 2008 C]
उत्तर:
सन् 1942 से 1947 तक का समय स्वतंत्रता-आंदोलन का समय था। इन दिनों पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार पूरे यौवन पर था। हर नगर में हड़तालें हो रही थीं। प्रभात-फेरियाँ हो रही थीं। जलसे हो रहे थे। जुलूस निकाले जा रहे थे।
युवक-युवतियाँ सड़कों पर घूम-घूमकर नारे लगा रहे थे। सारी मर्यादाएँ टूट रही थीं। घर के बंधन, स्कूल-कॉलेज के नियम-सबकी धज्जियाँ उड़ रही थीं। लड़कियाँ भी लड़कों के बीच खुलकर सामने आ रही थीं।
ऐसे वातावरण में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपूर्व उत्साह दिखाया। उसने पिता की इच्छा के विरुद्ध सड़कों पर घूम-घूमकर नारेबाजी की, भाषण दिए, हड्तालें कीं, जलसे-जुलूस किए। उसके इशारे पर पूरा कॉलेज कक्षाएँ छोड़कर आंदोलन में साथ हो लेता था। म कह सकते हैं कि वे स्वतंत्रता सेनानी थीं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं। या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं। महानगरों में बच्चे गुल्ली-डंडा, पतंग उड़ाना आदि भूल गए हैं। छोटे नगरों में, जहाँ ये खेल अभी प्रचलित हैं, अब मोहल्लेदारी उतनी नहीं रही। अब लोग अपने-अपने घरों में सिकुड़ने लगे हैं। कोई किसी दूसरे के बच्चे को अपने घर में घुसाकर राजी नहीं है। दिल भी उतने बड़े नहीं हैं। पहले संयुक्त परिवार थे। इसलिए परिवारों को अधिक बच्चों की आदत थी। उसी तरह का रहन-सहन भी था। खुले आँगन या खुली छतें थीं। आस-पड़ोस का भाव जीवित था। अब मोहल्लेदारी नहीं रही। खेलने-कूदने के शौक भी टी.वी. देखने या कंप्यूटर चलाने में बदल गए हैं। परिणामस्वरूप पड़ोस को झेलने का तात्पर्य है अपने ड्राइंगरूम में पड़ोसी बच्चे को झेलना। उसे अपने सोफे पर बैठाना तथा कभी-कभी होने वाली हानि को सहना। यह संभव नहीं रहा है। । दूसरे, अब टी.वी. संस्कृति ने नर-नारी संबंधों को उघाड़ कर इतना भड्का दिया है कि हर माता-पिता अपनी लड़कियों के बारे में सजग है। सब बच्चे अकाल-परिपक्व हो गए हैं। इस कारण माता-पिता लड़की को तो अकेला बिल्कुल नहीं छोड़ते। अतः कुल मिलाकर लड़कियों की स्वतंत्रता कम हुई है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए। [V. Imp.] अथवा मन्नू भंडारी ने यह क्यों कहा है कि अपनी जिंदगी खुद जीने के कल्चर ने हमें ‘पड़ोस कल्चर’ से विच्छिन्न कर दिया है। [CBSE 2012
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है। आस-पड़ोस मनुष्य की वास्तविक शक्ति होती है। किसी मुसीबत में पड़ोसी ही काम आते हैं। परंतु दुर्भाग्य से अब पड़ोस में आना-जाना नहीं रहा। नर-नारी दोनों कमाऊ होने लगे हैं। इस कारण उन्हें इतना समय नहीं मिलता कि अपने निजी काम समेट सकें। छुट्टी का दिन भी घर-बार सँभालने में बीत जाता है। इस कारण पड़ोस कल्चर प्रायः समाप्त हो गई है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी पैदा होते ही कैरियर की दौड़ में इतने अंधे होने लगे हैं कि उन्हें अपनी छोड़कर अन्य किसी की खबर नहीं है। यह शहरी जीवन का सबसे बड़ा हादसा है। इस कारण मनुष्य हृदय की उदारता, विशालता, हँसी-ठिठौली, ठहाके और उल्लास भूल गया है। वह स्वयं में बिल्कुल अकेला, उदास और बेचारा हो गया है।

प्रश्न 8.
लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर:

  1. महाभोज
  2. आपका बंटी छात्र इन्हें अपने पुस्तकालय में खोजें।

प्रश्न 9.
आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं लिखें।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ
(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला।
उत्तर:
(क) उस दिन मुझे मौका मिल गया। मैं उस घमंडी मिटुनलाल के घर पहुँचा और खूब उसकी लू उतारी।
(ख) मेरे पहुँचने से पहले ही मेरे पड़ोसी मेरे विरुद्ध आग लगा चुके थे।
(ग) जब रोशनलाल की लड़की पड़ोस के लड़के के साथ भाग गई तो सब लोग उस पर थू-थू करने लगे।
(घ) लड़कों को कक्षा के बाहर खड़ा देखकर अध्यापक आग-बबूला हो गया। पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
इस आत्मकथ्य से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे लेखिका का परिचय साहित्य की अच्छी पुस्तकों से हुआ। आप इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। कौन जानता है। कि आप में से ही कोई अच्छा पाठक बनने के साथ-साथ अच्छा रचनाकार भी बन जाए।
उत्तर:
छात्र पुस्तकालय जाकर पुस्तकें पढ़ें।

प्रश्न
लेखिका के बचपन के खेलों में लँगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो आदि शामिल थे। क्या आप भी यह खेल खेलते हैं। आपके परिवेश में इन खेलों के लिए कौन-से शब्द प्रचलन में हैं। इनके अतिरिक्त आप जो खेल खेलते हैं उन पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न
स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और उनमें से किसी एक पर प्रोजेक्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र तैयार करें।

नमूने के तौर पर यहाँ 9 वर्षीय शिवांक की डायरी का एक पन्ना दिया जा रहा है
30 मार्च, 2001 शुक्रवार आज सुबह पापा ने जल्दी से मुझे उठाया और कहा, “देखो-देखो, बारिश हो रही है, ओले गिर रहे हैं। बहुत ठंड पड़ रही है।” फिर मैं जल्दी से उठा और पापा से कहा, “दीदी को भी उठाओ।” फिर हमने देखा कि हमारे घर के सामने वाले ग्राउंड में हरी-हरी घास पर सफ़ेद-सफ़ेद ओले गिर रहे थे। ऐसा लग रहा था किसी ने चमेली के फूल गिरा रखे हैं। बहुत अच्छा लग रहा था। ओले पड़ रहे थे। बारिश हो रही थी, चिड़िया भाग रही थी, कौए परेशान थे, पेड़ काँप रहे थे, बिजली चमक रही थी, बादल डरा रहे थे। एक चिड़िया हमारी खिड़की पर डरी-डरी बैठी थी। बहुत देर तक बैठी रही। फिर उड़ गई। अभी तक कोई बच्चा खेलने नहीं निकला। इसलिए मैं आज जल्दी डायरी लिख रहा हूँ। सुबह के दस बजे हैं। मैं अपना सीरियल देखने जा रहा हूँ। आज मेरा न्यू इंक पेन और पेंसिल बॉक्स आया। आज दोपहर को धूप निकली, फिर हम खेलने निकले। आजकल हम लोग मिट्टी के गोले बना के सुखा देते हैं फिर हमें उनके ऊपर पेंटिंग करते हैं उसके बाद फिर उनसे खेलते हैं। जानिए लँगड़ी की कुश्ती कैसे खेली जाती हैएक स्थान में बीच की लाइन के बराबर फासले पर दो लाइनें खींची जाती हैं। दो खिलाड़ी बीच की लाइन पर आकर लँगड़ी बाँधकर अपने मुकाबले वाले को अपनी-अपनी लाइन के पार खींच ले जाने की कोशिश करते हैं। जिसकी लँगड़ी टूट जाती है अथवा जो खिंच जाता है उसकी हार होती है। यह खेल टोलियों में भी खेला जाता है। दिए हुए समय के अंदर जिस टोली के अधिक बच्चे लँगड़ी तोड़ देते हैं अथवा खिंच जाते हैं उस टोली की हार होती है।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. Learn Insta try to provide online tutoring for you.