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A Different Kind of School Summary in English by E. V. Lucas
A Different Kind of School Summary in English
The author had heard a great deal about Miss Beam’s school. It was unlike other ordinary schools. It followed a new method of teaching. It tried to ennoble the students. It taught them to give a helping hand to a disabled person.
The author decided to visit that school. As he entered the gate, he saw a young girl being led by a little boy. The girl was of about 12 while her guide was of about 8. The boy was also describing things to her.
Miss Beam was middle aged and dominating. But she was also very kindly and helpful. She comforted the homesick children like a mother. She explained to the author her teaching methods. She taught the kids spelling, simple arithmetic, and writing. She read interesting stories to them. They sat still and attentive.
The real aim of Miss Beam’s school was not to teach new thoughts and ideas. They were trained to be kind to others, to become good citizens.
The author looked out of the window. He liked the beautiful grounds. But he was pained to see some children not all healthy and active looking. Some girls had their eyes bandaged. A girl was walking with the help of a crutch.
Miss Beam explained that none of the students was really blind, cripple or lame. They were playing different roles as a part of their training. They were taught to share in the misfortunes of others. So each one had one blind day, one lame day, one deaf day and one dumb day. Other children were put on duty to help the needy.
The blind day was, of course, the worst. Miss Beam led the author to the bandaged girl. She said that being blind was the worst experience. But she was very thankful to her helpers. She had a walk with the author. She asked several questions about the colour, the people, the places and things. The author tried his best to answer those questions. He became ten times more thoughtful than ever.
He was convinced that Miss Beam’s experiment was really new and wonderful.
A Different Kind of School Summary in Hindi
लेखक ने मिस बीम के विद्यालय के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। वह अन्य सामान्य स्कूलों से भिन्न था। वहाँ एक नये प्रकार की अध्यापन शैली का इस्तेमाल किया जाता था। वहाँ छात्रों को नेक दिल इन्सान बनाने का प्रयत्न किया जाता था। उन्हें सिखाया जाता था कि वे विकलांगों की मदद करें।
लेखक ने उस स्कूल में जाने का निर्णय किया। जैसे ही उसने गेट में प्रवेश किया, उसने एक छोटी लड़की को एक छोटे बालक द्वारा मार्गदर्शन कराते देखा। लड़की की आयु लगभग 12 वर्ष थी और मार्गदर्शक की आयु थी मात्र 8 वर्ष। लड़का उस लड़की को चीजों के बारे में भी बता रहा था।
मिस बीम अधेड़ आयु की रोबदार महिला थी। पर वह बहुत दयालु और मददगार भी थी। वह घर के लिये व्याकुल बच्चों को माँ की भाँति राहत भी पहुँचाती थी। उन्होंने लेखक को अपनी शिक्षण शैली की जानकारी दी। वह बच्चों को शब्द सही लिखना, साधारण .. गणित और भाषा लिखना सिखाती थी। वह उन्हें रोचक कहानियाँ भी पढ़कर सुनाती थी। बच्चे स्थिर होकर ध्यान से सुनते थे।
मिस बीम के स्कूल का वास्तविक लक्ष्य नये विचार प्रदान करना नहीं था। बच्चों को सहृदय बनना तथा आदर्श नागरिक बनना सिखाया जाता था।
लेखक ने खिड़की के बाहर झाँका। उसे सुन्दर बगीचा तो पसन्द आया। पर उसे कुछ बच्चों को देखकर पीड़ा हुई जो पूरी तरह से स्वस्थ और चुस्त नहीं थे। कुछ लड़कियों की आँखों पर पट्टी बँधी थी। एक लड़की बैसाखी की मदद से चल रही थी।
मिस बीम ने बताया कि कोई भी छात्र-छात्रा न तो सचमुच दृष्टिहीन थी, न ही लँगड़ी या अपाहिज। वे तो अपने प्रशिक्षण के एक भाग के अनुसार भिन्न-भिन्न रोल कर रहे हैं। उन्हें अन्य लोगों की मुसीबत में मदद करना सिखाया जाता है। इसलिये हर बालक को एक दिन अंधा, एक दिन लँगड़ा, एक दिन बधिर और एक दिन गूंगा बनना पड़ता है। बाकी बच्चे जरुरतमंदों की मदद के लिये लगा दिये जाते हैं।
अंधे बनने का खेल वास्तव में सबसे बुरा था। मिस बीम लेखक को एक आँख पर पट्टी बँधी लड़की से मिलाने ले गयी। लड़की ने भी बताया कि दृष्टिहीन होना सबसे बुरा अनुभव होता है। पर वह अपने सहायकों के प्रति कृतज्ञ थी। उसने लेखक के साथ घूमना चाहा। उसने रंगों, लोगों, स्थानों और वस्तुओं के बारे में अनेक प्रश्न किये। उन प्रश्नों का उत्तर देने का लेखक ने भरसक प्रयास किया। वह पहले की अपेक्षा दस गुना अधिक विचारशील हो गया।
उसे विश्वास हो गया कि मिस बीम का प्रयोग सचमुख नया और अद्भुत था।