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The Shepherds Treasure Summary Class 6 English A Pact With the Sun
The Shepherds Treasure Summary in English
Once there lived a shepherd in Iran. He was veiy poor and illiterate. He had never been to any school.
Though he was poor and uneducated, he was very wise. He helped the people with his common-sense and sound advice. Soon he became famous for his wisdom.
The king of Iran heard about him. He decided to test the man. He dressed himself as a shepherd. He met the shepherd in his cave. The shepherd welcomed him. He shared his simple meal with the king, and talked wisely.
The king was greatly surprised as well as pleased. He appointed the shepherd the governor of a district.
The shepherd got power as well as high status. But he remained simple, just and hardworking. He was loved and honoured by the people.
The governors of other provinces became jealous of him. They spoke against him to the king. They reported that the new governor was dishonest and kept for himself part of the money that he collected as tax from the people. They added that his iron box contained his treasure.
The shepherd always carried his box with him. The king called him to the palace. He ordered him to open the box. The jealous governors saw only an old blanket in the box. They felt small. The king asked why the new governor carried his old blanket with him. The shepherd said that his blanket was his oldest friend. It would protect him if at any time, His Majesty took away his new cloak.
The king was very pleased with his humility and honesty. He made him the governor of a much bigger province that very day.
The Shepherds Treasure Summary in Hindi
किसी समय ईरान में एक गड़रिया रहता था। वह बहुत निर्धन तथा अनपढ़ था। वह कभी स्कूल गया ही न था।
यद्यपि वह गरीब और निरक्षर था, पर बुद्धिमान बहुत अधिक था। वह लोगों की सहायता अपनी सामान्य बुद्धि तथा सही सलाह देकर किया करता था। कुछ ही दिनों में वह अपनी बुद्धिमत्ता के लिये विख्यात हो गया।
ईरान के राजा ने उसकी चर्चा सुनी। उसने उस गड़रिये की परीक्षा लेने का विचार किया। उसने चरवाहे का भेष धारण कर लिया। वह गड़रिये की गुफा में उससे मिलने पहुंच गया। गड़रिये ने राजा का स्वागत किया। उसने अपना सादा भोजन राजा को खिलाया तथा बहुत बुद्धिमानीपूर्ण बातें कीं।
राजा आश्चर्यचकित तथा बहुत हर्षित हुआ। उसने गड़रिये को एक जिले या प्रांत का राज्यपाल बना दिया।
गड़रिये को सत्ता और ऊँचा पद दोनों ही मिल गये। पर वह पहले जैसा सादा, न्यायप्रिय तथा परिश्रमी बना रहा। लोग उसे प्यार करने तथा उसका आदर करने लगे।
अन्य प्रांतों के राज्यपाल उसके प्रति ईर्ष्या से भर गये। उन्होंने राजा से नये गवर्नर की शिकायत की। उन्होंने सूचना दी कि नया राज्यपाल बेईमान है। वह लोगों से वसूले गए टैक्स का कुछ भाग अपने पास रख लेता है वह अपना खजाना एक लोहे की पेटी में सदा साथ रखता है।
गड़रिया अपनी पेटी सदा साथ लिये चलता था। राजा ने उसे महल में बुलाया। उसने वह पेटी खुलवाई। ईर्ष्यालु राज्यपालों ने उस पेटी में केवल एक पुराना कंबल निकलते देखा। वे लज्जित हो गये। राजा ने नये राज्यपाल से पूछा, “तुम इस पुराने कंबल को साथ क्यों लिये रहतें हो।” गड़रिये ने कहा, “यह पुराना कंबल ही मेरा सबसे पुराना मित्र है। जब भी आप मुझसे मेरी पोशाक उतरवा लेंगे, यह कंबल ही मेरी शीत से रक्षा करेगा।”
राजा उसकी विनम्रता और ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हो गया। उसने उसे एक बहुत विशाल प्रान्त का गवर्नर उसी दिन नियुक्त कर दिया।