We have decided to create the most comprehensive English Summary that will help students with learning and understanding.
Tansen Summary in English by Tansen
Tansen by Tansen About the Autor
Author Name | Tansen |
Born | Gwalior |
Died | 26 April 1586, Agra |
Full Name | Ramtanu Pandey |
Books | Tashrih-ul-moosiqui: Persian Translation of Tansen’s Original Work “Budh Prakash” |
Tansen Summary in English
Tansen has been the greatest musician of India. He was the only child of Mukandan Misra. The family lived in Gwalior. The child was naughty from an early age. He used to play in the forest. He soon learnt to copy the calls of birds and animals.
Once the famous singer Swami Haridas was travelling through the forest. Tansen thought it would be fun to frighten him. He hid behind a tree and roared like a tiger. Swamiji saw singing talent in the boy. He met Tansen’s father. He promised to make the boy a great singer.
Tansen spent some eleven years with his guru. His parents died. He fulfilled his father’s dying wish and went to Mohammad Ghaus of Gwalior. He was often taken to the court of Rani Mrignaini. He married a lady of the court named Hussaini. They had five children.
Emperor Akbar was impressed by Tansen’s voice. He wanted the singer to join his court in 1556. Tansen soon became Akbar’s favourite.
Some courtiers grew jealous of him. They wanted Tansen to prove his worth as a singer. They asked Tansen to sing Raga Deepak. It was like playing with fire. The Raga could not only set the lamps alight but also bum the singer to ashes.
Tansen got an idea. He knew the magic of Raga Megh. If it was sung properly, it would bring rain. Hence, Tansen taught his daughter Saraswati and her friend Rupwati to sing Raga Megh.
On the appointed day Tansen sang Raga Deepak. It caused a lot of heat. Flames shot up and lighted the lamps. Just then the two girls sang Raga Megh. The rain poured down and put out the fire. Tansen was saved from burning. Akbar rewarded him and punished his enemies.
Tansen Summary in Hindi
तानसेन भारत के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार माने जाते हैं। वह मुकन्दन मिश्र के एकमात्र पुत्र थे। उनका परिवार ग्वालियर में रहता था। बालक बचपन से ही नटखट था। वह खेलने के लिये जंगल में भाग जाता था। उसने शीघ्र ही पक्षियों एवं पशुओं की आवाज़ों की नकल करना सीख लिया।
एक बार सुप्रसिद्ध गायक स्वामी हरिदास उस जंगल के बीच से गुजर रहे थे। तानसेन ने सोचा कि इन्हें डराने में मज़ा आयेगा। वह एक वृक्ष के पीछे छिप गया तथा शेर की तरह दहाड़ा। स्वामी जी ने बालक में एक संगीत प्रतिभा देखी। वह तानसेन के पिता से मिले। उन्होंने वचन दिया कि मैं इस बच्चे को महान गायक बना दूंगा।
तानसेन ने लगभग 11 वर्ष अपने गुरु के पास बिताये। उसके माता-पिता चल बसे। उसने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की तथा ग्वालियर के गायक मोहम्मद गौस से मिलने गये। उन्हें रानी मृगनयनी के दरबार में जाने के कई अवसर मिले। उन्होंने दरबार की एक महिला हुसैनी से विवाह कर लिया। उनकी पाँच संतानें हुईं।
सम्राट अकबर तानसेन के गायन से बहुत प्रभावित हो गये। उन्होंने तानसेन को 1556 में अपने दरबार में बुला लिया। तानसेन उनके प्रिय दरबारी बन गये।
कुछ दरबारी लोगों को तानसेन से ईर्ष्या हो गई। उनकी इच्छा हुई कि तानसेन को गायकी की अपनी प्रतिभा दिखाने को कहा जाये। उन्होंने तानसेन को राग दीपक गाने के लिए कहा। यह राग बहुत खतरनाक था। वह न केवल दीपक प्रज्वलित कर सकता था वरन् गायक को भी भस्म कर सकता था।
तानसेन के दिमाग में एक विचार आया। उसे पता था कि अगर राग मेघ सही तरीके से गाया जाए तो वर्षा होने लगेगी। तानसेन ने अपनी बेटी सरस्वती तथा उसकी सहेली रूपमती को राग मेघ गाना सिखा दिया।
निश्चित दिन तानसेन ने राग दीपक गाना प्रारम्भ किया। उससे ताप बहुत बढ़ गया। लपटें उठीं तथा दीपक जल गये। तभी दोनों लड़कियों ने राग मेघ गाना शुरू कर दिया। वर्षा आ गई। तानसेन भस्म होने से बच गये। अकबर ने तानसेन को पुरस्कृत किया तथा उनके शत्रुओं को दण्ड दिया।