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Three Questions Summary in English by Leo Tolstoy
Three Questions by Leo Tolstoy About the Author
Author Name | Leo Tolstoy |
Born | 9 September 1828, Yasnaya Polyana, Yasnaya Polyana, Russia |
Died | 20 November 1910, Lev Tolstoy, Russia |
Short stories | The Prisoner of the Caucasus |
Movies | Anna Karenina, War, and Peace |
Three Questions Summary in English
Part I
A king once thought that he would never fail if he knew three things. One, what the right time was to begin something. Two, which people he should take advice from. Three, how to decide what the most important thing to do was.
He sent messengers throughout his kingdom. He promised to give a reward of a large sum to the person who answered his three questions.
Many wise men tried their luck. They gave a number of answers. One said that the king should go by a timetable. Another said that the king should do whatever seemed him necessary at the moment. The third suggested that the king should consult wise men or magicians.
Answering the second question, they gave top importance to his councillors, or to priests or to doctors or to soldiers.
In reply to the third question, the wise men gave importance to science or fighting or religious worship.
The king was not satisfied. He went to a hermit in the jungle alone. There he saw the old and weak hermit digging the ground. The king asked his questions but got no answer. Then he took the spade from the hermit and began to work in his place. Several hours passed. It was evening, so the king stopped digging the beds. The king was ready to take leave from the hermit. Just then the hermit told that someone was running to wards them.
Part II
The king saw a bearded man running towards them. His hands were pressed against his stomach from which blood was oozing. As he reached the king, he fainted and fell to the ground. He had a large wound in his stomach.
The king washed the wound and compressed it with his handkerchief. At last the bleeding stopped. The man felt better and asked for water to drink. The king gave him fresh water.
The sun had set by then. The king and the hermit carried the wounded man into the hut and laid him on the bed. The tired king also fell asleep. When he awoke, the bearded man asked to forgive him.
The man was, in fact, the king’s enemy. He had followed the king to take revenge on him . He had vowed to kill him. The king had once put his brother to death. The man hid himself in a bush on the way to the jungle. He came out of his hiding place when the king did not return for long. He got wounded by king’s bodyguards. He would
have died if the king had not dressed his wound. He felt grateful to the king who had saved his life. He promised to serve the king as a faithful servant.
The king was happy that he had made peace with his enemy. He forgave the man and promised to give back his property.
The king then went up to the hermit. He again asked for answers to his three questions. The hermit explained that by digging the beds for him, the king had escaped attack. So the most important time was when he was digging the beds. The hermit himself was the most important person. So to do him good was the king’s most important business.
The hermit further told the king that the most important person for him was the person with him at a particular moment. The most important business was to help that person. And the most important time was ‘now’ that is, the present moment.
Three Questions Summary in Hindi
Part I
किसी समय एक राजा के मन में विचार आया कि यदि उसे तीन प्रश्नों के उत्तर मिल जायें तो वह कभी भी असफल नहीं होगा। पहला, किसी काम को करने का सही समय कौन-सा है। दूसरा, किन लोगों की सलाह उसे लेनी चाहिये। तीसरा, सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य कौन-सा है इसका निर्णय किस प्रकार से किया जाये।
उसने पूरे राज्य में अपने दूत भेजे। उसने तीनों प्रश्नों का सही उत्तर देने वाले को बड़ा इनाम देने की भी घोषणा कर दी।
अनेक बुद्धिमान व्यक्तियों ने अपनी किस्मत आजमाई। उन्होंने अनेक उत्तर दिये। एक ने कहा कि राजा को एक समय सारिणी बनाकर काम करना चाहिए। दूसरा बोला कि राजा वही करे जो उसे उस समय आवश्यक दिखे। तीसरे ने सुझाव दिया कि राजा को चाहिये कि ज्ञानियों अथवा जादूगरों की सलाह ले।
दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन लोगों ने मंत्री परिषद अथवा पुजारियों अथवा डाक्टरों अथवा सैनिकों को प्राथमिकता दी। तीसरे प्रश्न के उत्तर में बुद्धिमान लोगों ने विज्ञान, युद्ध अथवा धार्मिक कार्यों को महत्त्व दिया।
राजा संतुष्ट नहीं हुआ। वह अकेले ही वन में रह रहे एक संन्यासी के पास चला गया। वहाँ उसने वृद्ध और दुर्बल संन्यासी को जमीन खोदते पाया। राजा ने उससे अपने प्रश्न पूछे पर उसे कोई उत्तर नहीं मिला। फिर उसने संन्यासी से कुदाल ले लिया तथा उसके स्थान पर काम करने लगा। कई घंटे बीत गये। शाम हो गई, इसलिये राजा ने क्यारियाँ खोदना बन्द कर दिया। राजा संन्यासी से विदा लेने वाला था। तभी संन्यासी ने कहा कि कोई आदमी भागता हुआ उनकी ओर आ रहा था।
Part II
राजा ने एक दाढ़ीवाले व्यक्ति को अपनी ओर भागकर आते देखा। उसने अपने हाथों से पेट को दबा रखा था। वहाँ से खून निकल रहा था। जैसे ही वह राजा के निकट पहुँचा, बेहोश होकर गिर पड़ा। उसके पेट में गहरा घाव था।
राजा ने उसके घाव को धोया और ऊपर से अपना रुमाल लपेट दिया। खून बहना थम गया। व्यक्ति की दशा में सुधार आ गया और उसने पीने के लिए पानी माँगा। राजा ने उसे ताजा जल लाकर दिया।
उस समय तक सूर्य अस्त हो गया था। राजा तथा संन्यासी उस व्यक्ति को उठाकर झोंपड़ी में अन्दर ले गये तथा उसे बिस्तर पर लिटा दिया। थके हुऐ राजा को भी नींद आ गई। जब वह जगा उस दाढ़ी वाले व्यक्ति ने उससे क्षमा याचना की।
वह व्यक्ति वास्तव में राजा का शत्रु था। वह राजा से बदला लेने के लिए उसका पीछा कर रहा था। उसने राजा की हत्या करने की कसम खाई थी। राजा ने कभी उसके भाई को मृत्युदण्ड दे दिया था। उस व्यक्ति ने जंगल के रास्ते में अपने को झाड़ी में छिपा रखा था। जब राजा को लौटने में विलम्ब हो गया, व्यक्ति अपने छिपने के स्थान से बाहर आ गया। तभी राजा के अंगरक्षकों ने उसे घायल कर दिया। यदि राजा ने उसके घाव को धोकर पट्टी न बाँधी होती तो वह मर गया होता। व्यक्ति राजा के प्रति कृतज्ञ हो गया जिसने उसके प्राण बचाये थे। उसने एक स्वामिभक्त सेवक की भाँति राजा की सेवा करने का वचन दिया।
राजा भी खुश था कि उसने अपने एक शत्रु से मैत्री कर ली थी। उसने उस व्यक्ति को क्षमा कर दिया तथा उसकी सम्पत्ति भी उसे लौटा देने का वचन दे दिया।
फिर राजा संन्यासी के पास गया। उसने उससे फिर अपने तीन प्रश्नों के उत्तर माँगे। संन्यासी ने बताया कि क्यारियाँ खोदकर राजा अपने ऊपर होने वाले हमले से बचा लिया। इस कारण क्यारियाँ खोदने का वक्त उसके लिये सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण था। संन्यासी स्वयं ही उसके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति था। उसकी सहायता करना ही उसके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था।
संन्यासी ने आगे राजा को बताया कि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति वह होता है जो उस के पास हो, उसकी मदद करना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण काम है। और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समय होता है, ‘अभी’ यानी वर्तमान क्षण।