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Expert Detectives Summary in English by Sharada Dwivedi
Expert Detectives Summary in English
Part I
The story has half a dozen characters in it. Three of them are children – the narrator, his younger brother Nishad (Seven) and sister Maya. They become expert detectives. Their mother is a doctor with her clinic. Mr. Nath, the principal character and who lives in Shankar’s house alone, is under her treatment. Ramesh takes tea and meals from the restaurant to Nath’s room. Nath pays cash and also tips to the bearer well.
The children go ahead to collect information about Nath. They think Mr Nath is a mysterious person. He has no friend there. Nishad has a bit of sympathy for Nath. His approach in this case is sensible.
The narrator is sure that Mr. Nath is an escaped crook or criminal. Nishad is doubtful. He wants to discover the truth. And he collects a lot of information in the case. The narrator has got a ready answer to all Nishad’s doubts. He thinks that Nath is a rich man. He has perhaps got millions of rupees locked in some trunks in his room. He notes dark scars also on Nath’s face. Nath might have got them during a shot out with the police. But Nishad contradicts him. Mummy had told him that they were bum scars.
One day Seven goes alone to his Mamma’s clinic at Girgaum. He gets upset to see Mr. Nath who looks so thin, poor and starving. He goes to Nath’s room and puts a bar of chocolate in the man’s hand. He collects one more clue about Mr. Nath’s routine. Ramesh told him that on every Sunday he carries two lunches to Mr Nath’s room and the same visitor is with him each time.
The tall, fair and stout visitor talks a lot whereas Mr. Nath simply listens. But he cannot imagine that Nath is a crook.
Part II
The narrator makes a long list of all the information they have collected about their target. He reads it out to Nishad.
- They don’t know what Mr. Nath’s first name is, they must discover it.
- The other tenants at Shankar house say that Nath is mad, strange and unfriendly.
- He doesn’t talk to anyone.
- He is under Mamma’s medical treatment so he has to be polite to the children.
- He receives no letters.
- He has been living in Room 10 for more than a year. He doesn’t work to earn his livelihood.
- He has no visitors Only on Sunday a fair, white man comes to him for lunch.
- Food and tea are taken to his room by Ramesh from the restaurant distributors.
Nishad doesn’t pay much attention to the narrator’s list of facts. He only pities that the poor man is without any friend. The narrator argues that the Sunday visitor must be Nath’s partner in crime, and comes on Sunday to give a part of ill-gotten money to Mr. Nath. As for Ramesh, Mr. Nath bribes him to keep quiet about his criminal activities.
Nishad doesn’t quite agree with the narrator. He says he will not cooperate in their investigation if they did not stop calling Mr. Nath an escaped criminal. In his opinion, the purpose of their enquiry is to find out why Mr. Nath is so thin and lonely. He declares that he likes Mr. Nath and he will try to befriend him.
The narrator laughs at the madness of Nishad. He warns him that the police would take him also to jail along with his friend. Nishad walks out of the room quietly.
Expert Detectives Summary in Hindi
Part I
इस कहानी में लगभग आधा दर्जन पात्र हैं। तीन तो बच्चे हैं-कथाकार, उसका छोटा भाई निशाद (सेवेन) तथा बहन माया। वे कुशल जासूस बन जाते हैं। उनकी माँ एक डाक्टर है जिसका अपना क्लीनिक है। प्रमुख पात्र है मि. नाथ जो शंकर के घर में किराये पर रहता है। माँ उसका इलाज कर रही है। रमेश नामक लड़का नीचे एक रेस्तराँ से उसके लिए भोजन और चाय लाता है। नाथ नकद पैसा देते हैं तथा साथ ही रमेश को बख्शीश भी।
बच्चे अपना काम शुरु कर देते है। वे मि. नाथ के बारे में सूचना एकत्रित करते हैं। उनके विचार से नाथ रहस्यमय व्यक्ति हैं। उसका वहाँ कोई मित्र नहीं हैं। निशाद को उसके प्रति सहानुभूति है। इस मामले में उसका दृष्टिकोण समझदारीपूर्ण है।
कथा वाचक को पूरा विश्वास है कि मि. नाथ कोई जेल से फरार कुटिल अपराधी है। निशाद को इस बात पर संदेह है। वह सच्चाई जानना चाहता है। वह इस मामले में काफी सुचना एकत्रित करता है। कथा वाचक के पास निशाद के हर संदेह का एक जवाब है। वह सोचता है कि नाथ कोई गरीब व्यक्ति नहीं है। शायद उसके पास करोड़ों रुपये हैं जो कमरे में पेटी में बंद हैं। वह नाथ के चेहरे पर काले दाग भी नोट करता है। हो सकता है नाथ को पुलिस से मुठभेड़ में गोली लग गयी हो । पर निशाद उसके इस संशय का विरोध करता है। मम्मी ने उसे बताया था कि नाथ के चेहरे का वह दाग जलने के कारण बना है।
एक दिन निशाद अकेले अपनी मां के साथ गिरगाम के क्लीनिक में जाता है। वह नाथ को दुबला, निर्धन देखकर दु:खी होता है। वह नाथ के कमरे में जाकर उसके हाथ में एक चाकलेट थमा देता है। उसे एक और तथ्य की जानकारी मिलती है।
रमेश उसे बताता है कि मि. नाथ से मिलने हर रविवार को एक व्यक्ति आता है। वह लम्बा, गोरा तथा सबल काठी का है जो खूब बोलता है, मि. नाथ तो केवल सुनते रहते हैं। पर निशाद को फिर भी नहीं लगता है कि नाथ कोई धोखेबाज या कुटिल व्यक्ति है।
Part II
वर्णन कर्ता अपने शिकार मि. नाथ के बारे में प्राप्त सूचनाओं की लम्बी सूची बनाता है। वह इसे पढ़कर निशाद को सुनाता है। उन्हें मि. नाथ का पूरा नाम नहीं पता। इसे खोजना पड़ेगा।
- शंकर के मकान में रहने वाले अन्य किरायेदार कहते हैं कि नाथ एक पागल, विचित्र तथा अमैत्रीपूर्ण व्यक्ति है।
- वह किसी से भी बात नहीं करता।
- वह बच्चों की डाक्टर माँ के इलाज में है। इसलिए वह बच्चों के प्रति इतना विनम्र है। उनके पास कोई पत्र नहीं आता।
- वह अपनी जीविका अर्जन के लिये कोई काम धंधा नहीं करता।
- वह दस नम्बर कमरे में एक वर्ष से अधिक समय से रह रहा है।
- उसके पास कोई आता जाता नहीं। रविवार को ही एक गोरा चिट्टा, मोटा व्यक्ति लंच के लिये नाथ के पास आता है।
- दोनों का भोजन तथा चाय सीढ़ी से नीचे बने रेस्तराँ से रमेश पहुँचाता है।
निशाद वर्णनकर्ता के तथ्यों की सूची पर ध्यान नहीं देता। उसे बेचारे मित्रहीन नाथ पर दया आती है। वर्णन कर्ता तर्क देता है कि रविवार को आने वाला व्यक्ति संभवतः नाथ को बेईमानी से कमाये धन का एक हिस्सा देने आता हो। मि. नाथ शायद रमेश को बख्शीश घूस के तौर पर देते हों ताकि वह उनका भेद किसी को न बताये।
निशाद अपने बड़े भाई की बातों से बिल्कुल सहमत नहीं। वह कहता है मैं आपकी इस जाँच पड़ताल से अलग हट जाऊँगा यदि आप मि. नाथ को जेल से भागा कैदी कहेंगे। उसकी राय में जाँच पड़ताल का उद्देश्य है यह पता लगाना कि मि. नाथ इतने पतले और एकाकी क्यों हैं। वह कहता है कि मैं तो मि. नाथ को पसन्द करता हूँ तथा उनसे मित्रता करूँगा।
वर्णनकर्ता निशाद की मूर्खता पर हंस देता है। वह सचेत करता है कि पुलिस तुम्हें भी तुम्हारे मित्र के साथ जेल पहुँचा देगी। निशाद चुपचाप कमरे से निकल जाता है।