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A Bicycle in Good Repair Summary in English by Jerome K Jerome
A Bicycle in Good Repair Summary in English
Part I
The narrator, one evening, accepted his friend’s proposal to go for a long bicycle ride on the following day. He got up early and started waiting for his friend. His friend came half an hour late. He examined the narrator’s bicycle. He shook the front wheel with force. He didn’t heed the narrator’s request not to hurt the machine.
The friend declared that the front wheel was unsteady and it could prove dangerous. He asked for a hammer. He took the front wheel off the fork and held it between his legs. He found fault with the bearings. He set about repairing the machine. He unscrewed it, and the little iron balls rolled away. They collected some sixteen of them. The narrator put them for safety in his hat.
Part II
Next, the friend handled the chain. He took off the gear case. He claimed to know all about a bicycle. He removed the gear box but lost the screws.
The narrator was too weak to check the friend from doing further mischief. The friend went ahead. He tightened the chain till it would not move. Then he made it very loose. He finally decided to fix the front wheel in place. The narrator then changed places with him, and put the wheel in tight position. He laughed and admitted that he was an ass. The reason was that they had forgotten to put the iron balls in place.
The narrator looked for his hat in which he had put the balls safely. But the hat lay upturned and the balls were scattered. They could find only eleven. They fixed six on one side and five on the other, and half an hour later the wheel was put in its place again. But it wobbled even then.
The narrator was impressed not so much by his friend’s skill at repairing the bicycle as by his confidence in himself and his hopeful attitude.
The friend got encouraged. He then set to refix the gear-box. He put the bicycle in different places and positions for the job. He lost his balance and hurt himself on the head. Then he lost his temper and tried to punish the bicycle. It was a sort of fight between man and machine. The tough bicycle showed spirit. It freed itself from his hold and hit him over the head with its handle.
At a quarter to one, the man thought that the work was done. He himself was dirty and bleeding. He cleaned himself and the narrator then sent him home. It was difficult to decide who had suffered more—the friend or the bicycle.
A Bicycle in Good Repair Summary in Hindi
Part I
लेखक ने अपने मित्र का लम्बी साइकिल भ्रमण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। वह प्रातः समय से पहले उठ गया तथा अपने मित्र की प्रतीक्षा करने लगा। उसका मित्र आधा घंटा लेट आया।
उसने लेखक की साइकिल देखी। उसने उसके अगले पहिये को जोर से हिलाया। उसने लेखक के निवेदन को अनसुना कर दिया कि मशीन को चोट न पहुँचाये।
मित्र ने कहा कि अगला पहिया डगमग हो रहा है तथा उससे खतरा हो सकता है। उसने हथौड़ी मांगी। उसने अगले चक्र को चिमटे से बाहर निकाल लिया तथा अपनी टाँगों के बीच दबाकर बैठ गया। उसे वियरिंग में कुछ खराबी दिखी। उसने साइकिल की मरम्मत का काम शुरु कर दिया। उसने सारे पेंच खोल लिये और दूसरे ही क्षण छोटी-छोटी लोहे की गोलियां निकल कर लुढ़क गईं। दोनों ने मिलकर उनमें से सोलह गोलियों को इकट्ठा किया। लेखक ने उन को अपने हैट में रख लिये।
Part II
इसके पश्चात मित्र ने चेन से छेड़छाड़ की। उसने गियरबॉक्स खोलकर अलग कर लिया। उसने दावा किया कि उसे साइकिल के बारे में पूरी जानकारी है। उसने गियरबॉक्स तो खोल लिया पर उसके पेंच खो दिये।
लेखक में इतना साहस न था कि मित्र को साइकिल से छेड़छाड़ करने से रोक सके। मित्र काम में लगा रहा। उसने चेन को इतना कस दिया कि चलना बन्द हो गया। फिर उसने उसे अधिक ढीली कर दिया। अंत में मित्र ने अगले चक्र को फिट करने का विचार किया। लेखक ने यह काम स्वयं करने का बीड़ा उठाया और पहिए को ठीक हालत में फिट कर दिया। मित्र हँस दिया तथा बोला मैं भी कितना गधा हूँ। कारण यह था कि वे धुरी में लोहे की गोलियाँ रखना भूल गये थे।
लेखक ने अपना हैट तलाशा जिसमें उसने छर्रे सुरक्षित रखे थे। पर हैट तो उलटा पड़ा था और छरें बिखर गये थे। उन्हें केवल ग्यारह छर्रे ही मिल पाये। उन्होंने 6 को एक ओर तथा 5 को दूसरी ओर लगा दिये। उसने पहिया फिट कर दिया था। पर वह अभी भी डगमग हो रहा था।
लेखक को मित्र की साइकिल मरम्मत करने का कौशल इतना प्रभावपूर्ण नहीं लगा जितना कि उसका आत्मविश्वास तथा आशावादी दृष्टिकोण।
मित्र फिर गियरबॉक्स को पुनः फिट करने में जुट गया। उसने साइकिल को विभिन्न स्थानों पर तथा स्थितियों में इस काम के लिये रखा। उसका संतुलन खो गया तथा उसके सिर में चोट आ गई। फिर वह क्रोधित हो गया तथा उसने साइकिल को दण्ड देने की कोशिश की। यह लड़ाई थी मनुष्य और मशीन के बीच। मजबूत साइकिल ने साहस दिखाया। वह मित्र की पकड़ से फिसल गई तथा उसे अपने हैण्डल से चोट मार दी।
पौने एक बजे मित्र ने सोचा कि काम पूरा हो गया है। वह स्वयं गंदा हो गया था तथा खून कई जगह से बहने लगा था। उसने सफाई की तथा लेखक ने उसे घर लौट जाने को बोला। लेखक के लिए यह निश्चित कर पाना कठिन था कि दोनो में किस योद्धा को अधिक चोट आई थी- मित्र को या साइकिल को।