Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 2 पतंग. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.
पतंग Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 2
प्रश्न 1.
पतंग कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पतंग’ आलोक धन्वा द्वारा रचित कविता है, जिसमें कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। उन्होंने बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तनों को सहज भाव से अभिव्यक्त किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जो आसमान में उड़ता है, जिसे बालमन छूना चाहता है। बच्चे उमंग में झूमकर आसमान को पार कर जाना चाहते हैं।
एक ओर शरद ऋतु का चमकीला संकेत है जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है। बच्चों की किलकारियों से दिशाएँ भी मृदंग के समान बजती हैं। पच्ची भी उनकी कोमलता को छूने हेतु स्वयं उनका स्पर्श करना चाहती है। वे हर बार नवीन पतंगों का सबसे ऊँचा उझने का साहस लिए बार-बार भादों (अंधेरे) के पश्चात शरद (उजाले) की प्रतीक्षा करते है।
प्रश्न 2, बच्चे यदि छतों के खतरनाक किनारों से बच जाते हैं तो क्या होता है?
उत्तर
बच्चे यदि छतों के खतरनाक किनारों से बच जाते हैं तो वे और भी अधिक निडर एवं बेखौफ बन जाते हैं। उनमें नई स्फूर्ति एवं साहस का भाव भर जाता है। वे अधिक निडरता के साथ सुनहरे सूर्य के सामने आकर खड़े हो जाते हैं और पतंग को पहले की अपेक्षा अधिक मस्ती एवं आनंद के साथ उड़ाते हैं।
प्रश्न 3.
आकाश को मुलायम कौन बनाता है और क्यों?
उत्तर
आकाश को मुलायम शरद ऋतु बनाता है। वह इसे इसलिए मुलायम बनाता है ताकि बच्चे पतंग उड़ा सकें। दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ उड़ सके। दुनिया का सबसे पतला कागज तथा बाँस की पतली कमानी उड जाए। बच्चे उमंग एवं मस्ती में जमकर सीटियाँ बजा तथा किलकारियाँ भर सकें।
प्रश्न 4.
‘पतंग’ कविता की बिंब-योजना स्पष्ट करें।
उत्तर
पतंग कविता की बिंब-योजना सरल, स्पष्ट, सटीक एवं सार्थक है। इसमें कवि ने छोटे-छोटे बिंबों का प्रयोग किया है। दृश्य एवं अव्य बिंब एकदम सारगर्भित प्रतीत होते है। कहीं-कहीं स्पर्श बिंब का समायोजन भी किया गया है, जैसे-‘पृथ्वी धूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास जब वे दौड़ते हैं बेसुध।
प्रश्न 5.
‘पतंग’ किसकी कविता है तथा इस कविता में कवि ने क्या कहा है?
उत्तर
‘पतंग’ कविता आलोक धन्वा द्वारा रचित है। यह कविता इनके काव्य संग्रह ‘दुनिया रोज़ बनती है’ से संकलित है। इस कविता में कवि ने बाल-सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर एवं मनोहारी चित्रण किया है। कवि ने बाल क्रियाकलापों तथा प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यक्त करने के लिए अनेक संदर बिंबों का समायोजन किया है।
प्रश्न 6.
‘पतंग’ को कवि ने बच्चों के लिए क्या और क्यों माना है?
उत्तर
कवि ने ‘पतंग’ को बच्चों की उमगों का रंग-बिरंगा सपना माना है। इसमें वह खो जाना चाहता है। आकाश में उड़ती हुई पतंग उँचाइयों की वे हदें हैं जिन्हें बालक मन छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।
प्रश्न 7.
कवि ने प्रकृति को बदला हुआ क्यों कहा है?
उत्तर
कवि का कथन है कि प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य परिवर्तित हो गया है। तन-मन को भिगो देने वाली तेज़ बौछारें समाप्त हो गई है तथा भादों मास का अंधकार भी समाप्त हो गया है। अब शरद ऋतु का उजाला आ गया है।
प्रश्न 8.
कवि ने ‘शरद ऋतु’ का मानवीकरण किस प्रकार किया है?
उत्तर
कवि शरद का मानवीकरण करते हुए कहता है कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज़ गति से चलाते हुए ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को सुंदर संकेतों के माध्यम से बुला रहा है।
प्रश्न 9.
पृथ्वी किसकी कोमलता को स्पर्श करने के लिए लालायित रहती है?
उत्तर
कवि बाल-मन की चेष्ओं का वर्णन करते हुए कहता है कि बालक जन्म से अत्यंत नाजुक और कोमल होते हैं। वे अपने जन्म के साथ ही कोमलता का भाव लेकर आते हैं। बच्चों की इसी कोमलता को स्पर्श करने के लिए पुच्ची लालायित रहती है।
प्रश्न 10.
कविता के अनुसार बच्चों में साहस और निडरता कब उत्पन्न होती है?
उत्तर
बच्चे अपनी पतंगों को उझते हुए जब कभी छतों के खतरनाक किनारों से गिर जाते हैं, तत्पश्चात यदि वे बच जाते है तो उनमें साहस और निडरता और अधिक मात्रा में पैदा हो जाती है। इन खतरनाक किनारों से बचने के बाद वे और भी निडरता के साथ सुनहरे सूर्य के सामने आते हैं।
प्रश्न 11.
बेसुध होकर दौड़त हुए बच्चों को कौन गिरने से बचाता है?
उत्तर
जब बजे बेसुध होकर दौड़ते हैं तो उस समय उनके रोमांचित शरीर का संगीत ही उन्हें गिरने से बचाता है। उस समय मात्र धागे के सहारे उड़ते पतंगों की ऊंचाइयाँ उन्हें सहारा देकर थाम लेती हैं।
प्रश्न 12.
कविता में कवि ने शरद ऋतु का आगमन किस लिए माना है?
उत्तर
कविता में कवि ने माना है कि शरद ऋतु का आगमन इसलिए हआ है ताकि बच्चों की पतंग आकाश में उड सके। दुनिया की सबसे हल्की वस्तु के साथ बाँस की पतली कमानी उड़ सके। वे स्वयं को भी भूलकर प्रसन्नता बटोर सकें।
प्रश्न 13.
कवि ने ‘पतंग’ कविता में ‘सवेरे’ की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर
‘पतंग’ कविता में कवि ने सवेरे की तुलना खरगोश की आँखों से की है क्योंकि खरगोश की आँखों में सवेरे जैसी लालिमा होती है।
प्रश्न 14.
बच्चों को कपास की तरह कोमल और उनके पैरों को बेचैन क्यों कहा गया है ? ‘पतंग’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए। (A.I.C.B.S.E. 2014, Set-I, II, III)
उत्तर
कवि ने रूपक के रूप में बच्चों को कपास की तरह कोमल कहा है क्योंकि बच्चों का शरीर भी कपास की तरह मुलायम और कोमल होता है। बच्चे कहीं भी टिक कर नहीं बैठते, इसलिए कवि ने उनके पैरों को बेचैन कहा है।
सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
सबसे तेज बौछारें गई भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए (Delhi C.B.S.E. 2016)
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ानेवाले बच्चों के झुंड को (C.B.S.E. Delhi 2009, 2010 Set-1, 2011 Set-1)
चमकीले शारों से बुलाते हुए और (C.B.S.E. Delhi 2013. Set-I, Set-II, Set-III)
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज़ इसके
दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया
शब्दार्थ : भादों-बरसात का एक महीना। इशारों से-संकेतों से। रंगीन-रंग-बिरंगी। नाजुक-कोमल, निश्छल। शरद-शरद ऋतु, उजाला। झुंड-समूह । मुलायम-कोमल।
प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘आलोक धन्या’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ बाल-मन की सुलभ चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण किया है।
व्याख्या : कवि का कथन है कि प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य परिवर्तित हो गया है। तन-मन को भिगो देने वाली तेज बौछारें समाप्त हो गई हैं तथा भादों मास समाप्त हो गया है। खरगोश की आँखों के समान लालिमा और चमक से युक्त सवेरा हो गया है। दूसरी ओर शरद का महीना भी अनेक झड़ियों और बौछारों को पार करके आ गया है।
कवि शरद का मानवीकरण करते हुए कहता है कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज गति से चलाते हुए तथा जोर-शोर से उसकी घंटी बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को सुंदर संकेतों के माध्यम से बुला रहा है। उसने अपने चमकदार संकेतों और मधुर ध्वनियों से आकाश को भी इतना कोमल बना
दिया है कि पतंग इस असीम आकाश में ऊपर उठ सके। कवि कल्पना करता हुआ कहता है कि ताकि दुनिया की सबसे हल्की, कोमल व रंग-बिरंगी वस्तु उड़ सके। संसार के पहले पतले कागज़ के साथ बाँस की सबसे पतली कमानी भी इसके साथ उड़ जाए और इनको उड़ता हुआ देखकर बच्चों की सीटियाँ और किलकारियाँ गूंज सकें तथा कोमल तितलियाँ मधुर गुंजार करने लगे।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न
इस अवतरण के कवि तथा कविता का नाम लिखें।
2. कवि ने सवेरे के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है?
3. कवि ने सवेरे की तुलना किससे की है और क्यों?
4. शरद ऋतु का आगमन कैसे हुआ?
5. शरद का आगमन किसलिए हुआ?
6. इस अवतरण का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
7. काव्यांश के प्रतीकों को समझाइए।
8. मानवीकरण अलंकार का उदाहरण चुनकर उसका सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर
1. इस अवतरण के कवि का नाम ‘आलोक धन्वा’ तथा कविता का नाम ‘पतंग’ है।
2. कवि ने सवेरे के लिए ‘खरगोश की आँखों जैसा लाल’ विशेषण का प्रयोग किया है।
3. कवि के सवेरे की तुलना खरगोश की आँखों से की है क्योंकि उसकी आँखों में सवेरे जैसी लालिमा होती है।
4. शरद ऋतु पुलों को पार करते हुए अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए आया। वह जोर-जोर से घंटी बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों को इशारों से बुलाते हुए आया।
5. शरद का आगमन इसलिए हुआ ताकि बच्चों की पतंग आकाश में उड़ सके। दुनिया की बाँस की पतली कमानी के साथ सब से हल्की वस्तु पतंग उड़ सके।
6. काव्य-सौंदर्य
- कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत चित्रण किया है।
- बाल-सुलभ इच्छाओं का अनूठा वर्णन है।
- शरद ऋतु का मानवीकरण किया गया है।
- मानवीकरण, अनुप्रास, स्वभावोक्ति, पदमैत्री, उपमा, पुनरुक्ति प्रकाश, श्लेष आदि अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
- प्रसाद गुण है।
- अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग है।
- संस्कृत के तत्सम, तद्भव और विदेशी भाषा के शब्दों का प्रयोग है।
- खड़ी बोली की भाषा सरल, सरस है।
- मुक्तक छंद है।
7. खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा और शरद का साइकिल।
8. ‘शरद आया पुलों को पार करते हुए’-में शरद का मानवीकरण किया गया है।
2. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर (C.B.S.E. Delhi 2017, Set-I, II, III)
शब्दार्थ कपास-रूई, कोमलता का भाव। नरम-कोमल। पेंग भरना-झूला-झूलना, झूला झूलते हुए इधर-उधर जाने की क्रिया। अकसर-प्रायः । बेसुध-बेहोश। मृदंग-नगाड़ा। डाल-शाखा, टहनी।
प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कोमल बच्चों की इच्छाओं और क्रियाकलापों का चित्रण किया है।
व्याख्या : कवि बाल-मन की चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण करते हुए कहता है कि बालक जन्म से अत्यंत नाजुक और कोमल होते हैं। वे अपने जन्म के साथ ही कोमलता का भाव लेकर आते हैं। बच्चों की कोमलता को स्पर्श करने के लिए पृथ्वी भी लालायित रहती है।
जब वे मकान की छतों को अपने कोमल पाँवों से कोमल बनाते हुए बेसुध होकर दौड़ते हैं तो पृथ्वी भी उनके बेचैन पाँवों के पास उनका स्पर्श करने हेतु घूमती हुई आती है। बच्चे अपनी किलकारियों के द्वारा सभी दिशाओं को नगाड़ों की तरह बजाते प्रतीत होते हैं। वे प्रायः वृक्ष की शाखा की भाँति कोमल लचीले वेग के साथ इधर-उधर झूलते हुए से अपनी मस्ती में डूबकर दौड़े आते हैं।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न
1. कपास कौन और कहाँ से लेकर आते हैं?
2. ‘कपास’ शब्द किसके लिए और क्यों प्रयुक्त हुआ है?
3. बच्चे कैसे दौड़ते हैं?
4. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कपास कोमल बच्चे अपने जन्म से ही लेकर आते हैं।
2. कपास शब्द कोमल बच्चों के लिए प्रयुक्त हुआ है, क्योंकि किशोर बच्चों में वैसी ही कोमलता एवं निश्छलता बनी होती है जैसी कपास में होती है।
3. बच्चे बेसुध होकर, छतों को नर्म बनाते, दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए, डाल की तरह लचीले वेग से दौड़ते हैं।
4. काव्य-सौंदर्य
- कवि ने बच्चों की चेष्टाओं एवं क्रियाकलापों का सुंदर चित्रण किया है।
- भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है।
- मानवीकरण, अनुप्रास, स्वभावोक्ति, उपमा आदि अलंकारों की शोभा है।
- संस्कृत के तत्सम, तद्भव और विदेशी भाषा के शब्दों का प्रयोग है।
- प्रसाद गुण है।
- अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
3 छतों के खतरनाक किनारों तक
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंधों के सहारे
शब्दार्थ : रोमांचित-रोमांच से परिपूर्ण, चंचल, गतिशील। महज़-केवल, मात्र । थाम लेती है-सहारा देती हैं। रंधों-सुराखों, छिद्रों।
प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बाल सुलभ इच्छाओं और क्रियाकलापों का सजीव चित्रण किया है।
व्याख्या : कवि कोमल बच्चों के क्रिया-कलापों का चित्रण करते हुए कहता है कि जब बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाने के लिए मकानों की छतों के खतरनाक किनारों पर दौड़ते हैं तो उन्हें अन्य कोई बचाने नहीं आता बल्कि उनके रोमांचित शरीर का संगीत ही उनकी रक्षा करता है, उन्हें गिरने से बचाता है।
जो पतंग मात्र एक धागे के सहारे असीम आकाश में उड़ रही होती है तो वह भी अपनी डोलती ऊँचाइयों से कोमल बच्चों को सहारा प्रदान करती है। ये कोमल बच्चे असीम आकाश में उड़ने वाले पतंगों के साथ-साथ अपने रोमछिद्रों के सहारे स्वयं भी उड़ रहे हैं। बाल-मन भी ऊँचाइयों को छू रही पतंगों के साथ आकाश में उड़ना चाहता है। वह उनकी हदों को पार करना चाहता है। वैसे भी इन कोमल बच्चों का कोमल मन भी इन्हीं पतंगों के साथ आकाश में उड़ रहा होता है।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न
1. बच्चों को पतंग उड़ाते हुए छतों के किनारों से कौन बचाता है?
2. पतंगों की ऊँचाइयाँ बच्चों को कैसे थाम लेती हैं?
3. पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं। पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
4. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उलर
1. बच्चों को पतंग उड़ाते हुए छतों के किनारों से उनके रोमांचित शरीर का संगीत बचाता है।
2. पतंगों की ऊँचाइयाँ बच्चों को एक धागे के सहारे थाम लेती हैं।
3. इस पंक्ति का भाव है कि आकाश में पतंग उड़ाते हुए बच्चे पतंग के साथ आत्मिक रूप से जुड़ जाते हैं। उनका मन, तन और आत्मा पतंग के साथ-साथ हिलोरें लेने लगते हैं। इस प्रकार बच्चे पतंगों के साथ उड़ रहे हैं।
4. काव्य-सौंदर्य
- बच्चों की चेष्टाओं का सजीव वर्णन हुआ है।
- भाषा सहज, सरल एवं सरस है।
- तत्सम, तद्भव और विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
- अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, स्वभावोक्ति अलंकारों की छटा है।
- प्रसाद गुण एवं अभिधा शब्द-शक्ति है।
- भावपूर्ण शैली का प्रयोग है।
4. अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास।
शब्दार्थ : सुनहले सूरज-सुनहरा सूर्य।
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कविता ‘पतंग’ से अवतरित किया गया है जिसके कवि आलोक धन्वा हैं। इसमें कवि ने बाल सुलभ चेष्टाओं का चित्रण किया है।
व्याख्या : कवि का कथन है कि अगर बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाते कभी छतों के खतरनाक किनारों से गिर जाते हैं और यदि वे बच जाते हैं तो उनमें और साहस और निडरता पैदा हो जाती है। इन खतरनाक किनारों से बचने के बाद वे और भी निडरता के साथ सुनहरे सूर्य के सामने आते हैं। कोमल बच्चों की बाल-चेष्टाओं, निडरता और साहस को देखकर पृथ्वी भी उनके बेचैन पाँवों के पास और भी तेज गति से घूमने लगती है।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न
1. बच्चे निडर होकर किसके सामने आते हैं?
2. बच्चे निडर होकर सूर्य के सामने कब आते हैं?
3. बच्चों का सूर्य के सामने आने पर क्या होता है?
4. काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. बच्चे निडर होकर सुनहरे सूर्य के सामने आते हैं।
2. बच्चे निडर होकर सूर्य के सामने तब आते हैं जब वे छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर बच जाते हैं।
3. बच्चों का सूर्य के सामने आने पर पृथ्वी और भी तेज़ गति से घूमती हुई उनके बेचैन पैरों के पास आती है।
4. काव्य-सौंदर्य
- कोमल बच्चों के साहस और निडरता का सजीव चित्रण है।
- भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है।
- अनुप्रास, मानवीकरण, स्वभावोक्ति आदि अलंकारों की छटा है।
- कोमलकांत पदावली का चित्रण है।
- प्रसाद गुण है।
- अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग है।
- शैली भावपूर्ण है।
- मुक्तक छंद है।