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A Gift of Chappals Summary in English by Vasantha Surya

A Gift of Chappals Summary in English

Part I

One afternoon, Mridu went to her aunt Rukku Manni’s house. She went there to meet her cousins Lalli, Ravi and Meena. Ravi dragged her to the backyard. There inside a torn football lay a very small kitten, drinking milk. Meena said they had found the creature outside the gate that morning. But it was kept secret. Amma had a fear that Paati would go away if she knows about the cat in the house. Ravi had succeeded by tact in getting a little milk for the kitten. The children named it Mahendran.

It was a fine breed of cat. Ravi gave a detailed account of the cat’s family and relatives. He said the cat was the descendant of the Mahabalipuram Rishi-Cat. Meena and Mridu smiled at his cooked up story.

The cat was frightened to hear Ravi’s sound. He fled from his place. Lalli was learning to play the violin. She wasn’t doing well, although the music master was trying his best to make her learn.

Part II

Mridu went up to the window. She saw Lalli sitting with her violin. In front of her there was the bony music teacher. He had a mostly bald head. He was wearing a gold chain around his neck, and a diamond ring on his hand.

A beggar came at the gate. The mother told Ravi to send him away. She was chatting with Tapi. The beggar’s voice irritated her. She complained that he was coming there every day.

The beggar was already in the garden. He had spread a piece of cloth under the neem tree. He leant against the tree trunk, waiting for the alms. Ravi told him sternly to go away.

The beggar sat up and sighed. He told that he would go away after taking some rest. The tar had melted on the hot road and his bare feet had got blisters. The children got sympathetic towards him. Mridu asked Meena and Ravi if they had got an old pair of slippers in the house. Ravi went to search. Mridu noticed a pair of chappals in the verandah. These were shabby-looking but sturdy. He gave it to the old man to wear and asked him never again to come back. The beggar blessed the children. He pushed his feet into the slippers and left in a hurry.

The music-teacher searched for his chappals in the varandah. He said his slippers were brand new and expensive also. Rukku Manni came there with Paati. She rightly guessed that it was the mischief played by the children. She was upset and angiy.

She went indoors and brought Gopu Mama’s new chappals and gave them to the music-master. She apologised to the master on behalf of her son, Ravi. The music master’s eyes lit up with joy. He put them on and called children naughty monkeys. The mother didn’t like Ravi being called a monkey.

She went inside the house. She thanked God that Gopu Mama’s chappals were there. But she laughed to think how much upset would he be on his return. She declared that she would take all the blame on herself.

A Gift of Chappals Summary in Hindi

Part I

मृदु एक दिन मध्यान्ह में अपनी चाची रुक्कू मन्नी के घर गई। वह वहां अपने चचेरे भाई-बहनों लल्ली, रवि और मीना से मिलने गई। रवि खींचते हुए उसे घर के पिछवाड़े ले गया। वहाँ एक फटे फुटबाल के अन्दर एक बिल्ली का छोटा बच्चा बैठा दूध पी रहा था। मीना ने बताया कि यह बच्चा आज प्रातः ही उन्हें गेट के पास मिला था। पर इस बात को छिपाकर रखा गया है। अम्मा को डर है कि पाती को यदि घर में बिल्ली होने की जानकारी मिल गई तो वह चली जायेगी। रवि चालाकी से थोड़ा-सा दूध बिल्ले के लिये ले आया था। बच्चों ने उसका नाम महेन्द्रन रख दिया।

यह बिल्ला अच्छी नस्ल का था। रवि ने बिल्ले के परिवार तथा संबंधियों का विस्तृत ब्योरा दिया। उसने बताया कि बिल्ला महाबलीपुरम ऋषि बिल्ली परिवार का है। मीना और मृदु उसकी इस झूठी कहानी पर मुस्कराए।

बिल्ला रवि की आवाज सुनकर डर गया। वह अपने स्थान से भाग चला। लल्ली घर के अन्दर वायलिन का प्रशिक्षण ले रही थी। सीखने में उसे कठिनाई हो रही थी यद्यपि संगीत मास्टर उसे सिखाने का भरसक प्रयास कर रहा था।

Part II

मृदु खिड़की पर गई। उसने लल्ली को वायलिन के साथ बैठा देखा। लल्ली के सामने ही उसका पतला दुबला संगीत मास्टर बैठा था, उसका सिर काफी गंजा था। उसने गले में सोने की जंजीर और हाथ में हीरे की अंगूठी पहन रखी थी।

एक भिखारी गेट पर आया। माँ ने रवि को उसे भगा देने को कहा। वह तापी के साथ बातें कर रही थी। भिखारी की आवाज से उसे चिढ़ हो रही थी। उसने शिकायत की कि वह तो रोज ही आ जाता है।

भिखारी बगीचे में पहुँच गया था। उसने नीम वृक्ष के नीचे एक कपड़ा बिछा लिया। उसने वृक्ष के तने पर पीठ टिकाई, और भिक्षा पाने की प्रतीक्षा करने लगा। रवि ने उसे कठोर स्वर में चले जाने को कहा।

भिखारी बैठ गया। उसने कहा कि थोड़ी देर आराम करने के पश्चात् वह चला जाएगा। तपती सड़क पर बिछा तारकोल पिघल चला था और उसके नंगे पावों में छाले पड़ गये थे। बच्चों को उस पर दया आ गई। मृदु ने मीना और रवि से पूछा क्या घर में कोई पुरानी चप्पल नहीं हैं। रवि ने खोज शुरु की। मृदु ने बरामदे में एक जोड़ी चप्पल रखी देखी। वे पुरानी पर मजबूत दिखती थीं। उसने वे भिखारी को पहनने के लिये दे दी और उसे दोबारा न आने को बोल दिया। भिखारी ने बच्चों को आशीर्वाद दिया। उसने अपने पाँव उन चप्पलों में डाले तथा शीघ्रता से निकल गया।

संगीत मास्टर ने बरामदे में अपनी चप्पलें खोजीं। परन्तु, वे वहाँ पर नहीं थी। वह बोला उसकी चप्पलें बिल्कुल नई थी तथा महँगी भी।

वह घर के अन्दर गई और गोपू मामा की नयी चप्पलें ले आई। उसने अपने बेटे रवि की ओर से मास्टर से क्षमा माँग ली। संगीत मास्टर की आँखें खुशी से चमक गई। उसने चप्पलें पहनी और बच्चों को बन्दर कहा। माँ को रवि को बन्दर कहना बुरा लगा।

वह घर के अन्दर गई। उसने परमात्मा को धन्यवाद दिया कि गोपू मामा की चप्पलें वहां थीं। पर उसे यह सोचकर हँसी आ गई कि गोपू घर पर अपनी चप्पलें न पाकर आग-बबूला हो गया। माँ ने कहा कि सारा दोष वह अपने ऊपर ले लेगी।