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An Indian American Woman in Space Kalpana Chawla Summary
An Indian American Woman in Space Kalpana Chawla Summary in English
In 1997, an Indian-American girl, Kalpana Chawla made history. She went up into space. She was part of international crew in the U.S. space shuttle. She was the first India- born woman to go into space.
But she met with a tragedy. The space shuttle Columbia carrying Kalpana went up in flames on 1 February 2003. The shuttle was returning to earth. She had stayed in space for 16 days.
Kalpana was bom in Kamal, Haryana. She had never, as a child, dreamed of such a flight in space. She got a degree in aeronautical engineering in India. Then she went to the United States for a master’s degree.
Kalpana became a naturalised U.S. citizen after her marriage with Harrison. She also qualified as a pilot. In 1994 she was selected as an astronaut.
Kalpana’s first space mission in Columbia lasted nearly 16 days. She went around the earth 252 times. The news about the Columbia’s disaster came in 2003. There was shock and disbelief in her home town.
She was truly a brave and bright girl. Her achievement was wonderful. Her story became an inspiration for millions of young Indians. She gave a message from the space shuttle, to Chandigarh students. She said, ‘There always exists a path from dreams to success. Only you need to have the courage to go after your dream”.
An Indian American Woman in Space Kalpana Chawla Summary in Hindi
1997 में एक भारतीय मूल की अमरीकी लड़की कल्पना चावला ने इतिहास बनाया। वह अंतरिक्ष में पहुँच गई। वह अमरीकी अंतरिक्ष यान के अंतर्राष्ट्रीय दल की सदस्य थी। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय नारी थी।
पर उसका एक दुर्घटना में अंत हो गया। अंतरिक्ष यान कोलंबिया जिसमें कल्पना बैठी थी, 1 फरवरी 2003 में आग की लपटों में भस्म हो गया। यह यान धरती की ओर लौट रहा था। कल्पना 16 दिनों तक अंतरिक्ष में बनी रही थी।
कल्पना का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था। उसने बचपन में कभी ऐसी उड़ान की कल्पना भी नहीं की थी। उसने वायुयान संबंधी विषय में इंजीनियरिंग की डिग्री भारत में प्राप्त की थी। फिर वह अमरीका अपनी मास्टर्स डिग्री लेने के लिये चली गई।
कल्पना ने वहाँ हेरीसन से विवाह करके अमरीकी नागरिकता हासिल कर ली। उसने यान चालक का भी कोर्स पूरा कर लिया। 1994 में उसका अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन हो गया।
कल्पना ने कोलंबिया यान में पहली यात्रा लगभग 16 दिन की थी। उसने 252 बार धरती की परिक्रमा की। कोलंबिया की दुर्घटना का समाचार 2003 में आया। करनाल के लोगों को ऐसी ठेस लगी कि वे इस पर सहसा विश्वास नहीं कर सके। __ वह सचमुच एक प्रतिभाशाली वीरांगना थी। उसकी उपलब्धि अद्भुत थी। उसकी कहानी लाखों भारतीय युवावर्ग के लिये एक प्रेरणा स्रोत बन गयी। उसने अंतरिक्ष यान से एक संदेश चंडीगढ़ के छात्रों को दिया। वह बोली ‘सपने से सफलता पाने तक का मार्ग सदैव खुला रहता है। केवल आपको अपने सपने को साकार करने के लिये साहस की ज़रूरत है।’