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Bringing up Kari Summary in English by Dhan Gopal Mukerji
Bringing up Kari by Dhan Gopal Mukerji About the Poet
Author Name | Dhan Gopal Mukerji |
Born | 6 July 1890, West Bengal |
Died | 14 July 1936, New Milford, Connecticut, United States |
Awards | John Newbery Medal |
Education | The University of California, Berkeley |
Bringing up Kari Summary in English
Kari was a five-month-old elephant. The narrator, a nine-year-old child, took care of him. Both grew together. Kari grew tail earlier than the boy. He lived in a shed with straw roof.
Kari once saved the life of a boy drowning in the river. He ate 40 pounds of twigs a day. Every morning he was taken to the river for his bath. The narrator rubbed his body with ash sand for an hour. Kari loved to roll in water for a long time. The narrator led him by the ear to the border of a jungle. He liked to eat tasty and sweet smelling leaves of the banyan tree.
One spring day in March, the narrator suddenly heard the call of Kari. He went tc the river bank. He saw some creature trying to save itself from drowning. He felt helpless. Kari pushed him into the water to save the boy. Kari also stood firmly on the bank for help. Kari saw the narrator being carried away by the current. He rushed into the water and spread out his trunk around the boy’s neck. He then pulled them both to the bank.
Kari was like a baby. He had to be trained to be good. He was naughty also. One day somebody gave him some bananas to eat. Very soon he developed a great love for ripe bananas. He then started taking away fruit from the dining table. One day all the bananas on the table disappeared. The family blamed the narrator and servants for eating all the fruit. The narrator child couldn’t convince them that he was innocent. Then one day he saw Kari picking up fruits, with its trunk, through the window. He then found Kari eating bananas in its pavilion. He pulled the thief by the ear and presented him before his parents. He scolded Kari for that. Afterwards Kari never stole anyting. He accepted the punishment for his mischief quietly.
Kari was a fast learner. He learnt what to do when the narrator said dhat or Mali, Dhat was a signal to sit down while ‘Mali’ meant to walk. He took three weeks to learn Dhat.
The most difficult thing to teach an elephant is the master call. Kari took five years to learn it properly. The master-call is a strange hissing and howling sound, as if a snake and a tiger were fighting each other. Each sound was to be made in Kari’s ear. It was necessary to teach him such a sound. If someone got lost, the only thing to do then was to give the master call. Kari would instantly come for his help.
Bringing up Kari Summary in Hindi
कारी पाँच माह का हाथी था। वर्णनकर्ता जो, 9 वर्ष का बालक था, उसकी देखभाल करता था। दोनों साथ-साथ बड़े हुए। कारी लड़के से पहले ऊँचा हो गया। वह फूस की छत वाले शेड में रहता था।
कारी ने एक बार एक नदी में डूबते बालक की जान बचाई थी। वह 40 पौण्ड टहनियाँ हर दिन खाता था। वर्णनकर्ता हर प्रातः उसे नदी पर नहलाने ले जाया जाता था। वह उसके शरीर पर एक घण्टे तक रेत रगड़ता था। कारी को काफी समय तक पानी में लेटे रहना पसन्द था। वर्णनकर्ता उसे कान से पकड़ कर जंगल के किनारे तक ले जाता था। कारी वटवृक्ष की स्वादिष्ट तथा सुगंधित पत्तियाँ खाना पसन्द करता था।
मार्च में बसंत ऋतु के दौरान एक दिन लेखक को कारी की आवाज सुनाई दी। वह नदी तट पर गया। उसने किसी जीव को पानी में डूबने से बचने का प्रयास करते देखा। लेखक ने स्वयं को विवश महसूस किया। कारी ने उसे पानी में धकेल दिया ताकि जाकर बालक को बचा ले। कारी स्वयं तट पर पैर जमाकर सहायता करने के लिए खड़ा रहा। उसने लेखक को धारा के साथ बहते देखा। वह पानी में भाग चला तथा उसने अपनी सँड बालक के गले में लपेट दी। फिर वह लेखक तथा डूबने वाले दोनों को तट पर घसीट लाया।
कारी एक बच्चे की भाँति था। उसे अच्छा बनने के लिये प्रशिक्षण की जरूरत थी। वह नटखट भी था। एक दिन किसी ने उसे खाने के लिए कुछ केले दिये। कारी को पके हुए केले पसन्द आ गये। फिर उसने भोजन की मेज पर रखे फल उठाने शुरु कर दिये। परिवार वालों ने लेखक पर तथा नौकरों पर सारे फल चुराकर खा जाने का संदेह किया। लेखक बालक उन्हें विश्वास न दिला पाया कि वह निर्दोष है। फिर एक दिन उसने कारी को अपनी सूंड़ खिड़की से अन्दर डालकर फल उठाते देख लिया। फिर उसने कारी को अपने खेमे में केले खाते पाया। उसने चोर के कान पकड़कर उसे अपने माता-पिता के सामने पेश कर दिया। उसके लिए, उसने कारी को फटकारा भी। उस दिन के पश्चात कारी ने चोरी नहीं की। उसने अपनी शैतानी के लिये मिले दण्ड को भी चुपचाप सह लिया।
कारी बहुत शीघ्र सीखने वाला जीव था। उसने सीख लिया कि ‘धत्’ या ‘माली’ कहे जाने पर उसे क्या करना है। धत् का संकेत था कि बैठ जाओ जबकि माली का संकेत था उठकर चलो। तीन सप्ताह में कारी ने धत् का अर्थ समझ लिया।
पर हाथी को मास्टर-कॉल सिखाना सबसे कठिन काम होता है। कारी को इसे भली भाँति सीखने में पाँच वर्ष लगे। मास्टर कॉल एक प्रकार की आवाज होती है जैसी सांप और शेर आपस में लड़ते समय निकालते हैं। इस आवाज को कारी के कान में कहना पड़ता था। उसे इस आवाज का अर्थ समझाना जरुरी भी था। क्योंकि तभी वह तुरन्त सहायता के लिए दौड़ेगा यदि कोई जंगल में गुम हो गया हो और मास्टर कॉल दिया हो।