NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 5

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में अधिक मदद करती है। [CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है क्योंकि सच्चा लेखक मन की विवशता से प्रकट होता है। यह विवशता तब उपजती है जब मन में अनुभूति की प्रबलता हो। यह विवशता बाहरी घटनाओं को देखकर नहीं उत्पन्न होती है। मन में जब तक अभिव्यक्ति की बेचैनी प्रबल नहीं होती, तब तक लेखक सच्चा लेखन नहीं कर पाता है।

प्रश्न 2.
लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया? [Imp.] [CBSE 2012; CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखक हिरोशिमा की घटनाओं के बारे में सुनकर तथा उनके कुप्रभावों को प्रत्यक्ष देखकर भी विस्फोट का भोक्ता नहीं बन पाया। एक दिन वह जापान के हिरोशिमा नगर की एक सड़क पर घूम रहा था। अचानक उसकी नज़र एक पत्थर पर पड़ी। उस पत्थर पर एक मानव की छाया छपी हुई थी। वास्तव में परमाणु विस्फोट के समय कोई मनुष्य उस पत्थर के पास खड़ा होगा। रेडियम-धर्मी किरणों ने उस आदमी को भाप की तरह उड़ाकर उसकी छाया पत्थर पर डाल दी थी। उसे देखकर लेखक के मन में अनुभूति जग गई। उसके मन में विस्फोट का प्रत्यक्ष दृश्य साकार हो उठा। उस समय वह विस्फोट का भोक्ता बन गया।

प्रश्न 3.
मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं? (ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं? [CBSE 2008]
उत्तर:

  1. ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ से ज्ञात होता है कि लेखक को लिखने के लिए निम्नलिखित बातें प्रेरित करती हैं
    • ‘वह क्यों लिखता है’ यह जानने के लिए लेखक लिखता है।
    • लेखक के मन में भीतरी विवशता से ऐसी अनुभूति उत्पन्न होती है जो उसे लिखने के लिए विवश कर देती है।
  2. किसी रचनाकार को निरंतर लिखते रहने से ख्याति मिल जाती है। इसके अलावा उसे आर्थिक लाभ भी होता है।
    यही अन्य रचनाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है और वे उत्साहित होकर लेखन करते हैं।

प्रश्न 4.
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर:
ये बाह्य दबाव निम्नलिखित हो सकते हैं

  1. प्रकाशकों का आग्रह
  2.  संपादकों का आग्रह
  3.  आर्थिक लाभ
  4. किसी विषय पर प्रचार-प्रसार करने का दबाव।

प्रश्न 5.
क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर:
वाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते हैं, वरन् अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं। ये कलाकार खेल, सिनेमा, संगीत आदि अलग-अलग क्षेत्रों से हो सकते हैं। उदाहरण के लिए जो क्रिकेट या अन्य खेलों के कई खिलाड़ी अच्छा खेल रहे होते हैं, वे संन्यास लेने के बाद दर्शकों की माँग एवं टीम की आवश्यकता को देखते हुए पुनः खेलना शुरू कर देते हैं। सदी के नायक अमिताभ बच्चन निर्माता-निर्देशकों के आग्रह पर आज भी फ़िल्मों और विज्ञापनों में काम कर रहे हैं और संगीत की दुनिया में वरिष्ठ कलाकार अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं।

प्रश्न 6.
हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं? [CBSE]
उत्तर:
हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता को हम उनके आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं। इसके लिए उन्हें न तो किसी संपादक ने आग्रह किया, न किसी प्रकाशक ने तकाज़ा किया। न हीं उन्होंने इसे किसी आर्थिक विवशता के लिए लिखा। इसे उन्होंने शुद्ध रूप से मन की अनुभूति से प्रेरित होकर लिखा। जब पत्थर पर पिघले मानव को देखकर उनके मन में अनुभूति जग गई तो कविता स्वयं लिखी गई। इसलिए हम इस कविता को आंतरिक दबाव का परिणाम कह सकते हैं, किसी बाहरी दबाव का नहीं।

प्रश्न 7.
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र [2008; 2009]
अथवा
हिरोशिमा की घटना का उल्लेख करते हुए बताइए कि मनुष्य किन-किने रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग करने में प्रवृत्त होता जा रहा है? [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग तो है ही, इसके अलावा भी मनुष्य विभिन्न रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग कर रहा है, जिसके दुष्परिणाम जगह-जगह पर देखे जा सकते हैं। विज्ञान के दुरुपयोग के रूप निम्नलिखित हैं-

  1. विज्ञान की मदद से मनुष्य ऐसे हथियार बनाए जिनसे वह सीमा पर दुश्मनों से मुकाबला करता है तथा हिंसक जानवरों का सामना करता है परंतु ये हथियार अब आतंकवादियों के हाथों अपनी विनाशलीला दिखा रहे हैं।
  2. मोबाइल फ़ोन जैसे बहु उपयोगी संचार साधन का गलत उपयोग किया जा रहा है।
  3. अल्ट्रासाउंड द्वारा कन्याभ्रूण को पहचानकर गर्भ में ही उसकी हत्या करके मनुष्य ने सामाजिक संतुलन को बिगाड़ दिया है।
  4. विज्ञान के साधनों का दुरुपयोग करते हुए मनुष्य प्रकृति का विनाश कर रहा है जिससे वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ा है तथा मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है।

प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; 2009; CBSE 2012]
उत्तर:
मैं संवेदनशील युवा नागरिक हूँ। मैं सारी दुनिया को नहीं बदल सकता। परंतु स्वयं को बदल सकता हूँ। मैं विज्ञान के जिस भी यंत्र की बुराइयों के बारे में जानता हूँ, उनसे दूर रहने का प्रयत्न करता हूँ। मैं प्लास्टिक थैलों तथा वस्तुओं को कम-से-कम प्रयोग करता हूँ। बाजार में उपलब्ध कोक या सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता। पीजा-बर्गर आदि भी नहीं खाता। मैंने संकल्प किया है कि कभी लिंग-भेद का विचार मन में नहीं आने दूंगा। मैं भूलकर भी भ्रूण-हत्या जैसा दुष्कर्म नहीं करूंगा।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है? । [Imp.] [CBSE 2008, 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के हर वर्ग का योगदान रहा है। समाज के सभ्य और कुलीन कहलाने वाले वर्ग के लोगों का योगदान प्रकाश में आ जाता है, पर समाज के उपेक्षित वर्ग का योगदान भरपूर होने पर भी परदे के पीछे ही रह जाता है। कजली गायिका दुलारी भी समाज के ऐसे ही उपेक्षित वर्ग से है जो त्योहारों और अन्य अवसरों पर गीत गाकर अपनी आजीविका चलाती है। उसकी गायकी पर टुन्नू नामक युवा कलाकार आसक्त है जो दबे शब्दों में अपने प्रेम का इजहार करने और होली के अवसर पर उपहारस्वरूप खादी की धोती लाता है। टुन्नू में देशभक्ति की प्रगाढ़ भावना है। इसी से प्रेरित होकर दुलारी ने विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने वालों की चादर में फेंककर त्याग दिया। टुन्नू की मृत्यु पर जब उसे अमन सभा में गाने के लिए बुलाया जाता है तो वह टुन्नू की दी गई सूती धोती पहनकर आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान देती है।

प्रश्न 2.
कठोर हृदय समझी जाने वाली दलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी? [Imp.] [CBSE 2008, 2008 C]
उत्तर:
दुलारी को कठोर-हृदय समझा जाता था। वैसे भी वह जिस पेशे में थी, हृदयहीन होना उसका एक गुण माना जाता है, कमजोरी नहीं। वही कठोर दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठती है क्योंकि उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान था। उसने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं, बल्कि उसकी आत्मा अर्थात् उसकी गायन-कला का प्रेमी था। शरीर से हटकर उसकी आत्मा को प्रेम करने वाले टुन्नू की मृत्यु पर गौनहारिन दुलारी का विचलित हो उठना स्वाभाविक था।

प्रश्न 3.
कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोकआयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इस कहानी का कालखंड स्वतंत्रता से पूर्व का है। उस समय लोगों के पास आज जैसी सुविधाएँ और मनोरंजन के साधन न थे। क्योंकि उनकी आवश्यकताएँ आज जैसी न थी। लोग त्योहारों को बढ़-चढ़कर मनाते थे। इन त्योहारों के अवसरों पर खुशी को और बढ़ाने तथा थके हारे मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहारों के अवसर पर लोगों के मन को उत्साहित करने के लिए कजली दंगल जैसे आयोजन किए जाते थे। भादों माह में तीज के त्योहार के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले लोकगीत गायन का उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना था। इसके अलावा ऐसे प्रतियोगिताओं से नए गायक कलाकारों को भी उभरने का मौका मिलता था। आल्हागायन, कुश्ती, लंबी कूद, जानवरों पक्षियों को लड़ाना कुछ ऐसे ही अन्य परंपरागत लोक आयोजन थे।

प्रश्न 4.
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। [Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
दुलारी एक गौनहारिन है; इसलिए समाज में उसको अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। वह उपेक्षित एवं तिरस्कृत है। दूसरे शब्दों में, वह विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक दायरे से बाहर है; लेकिन अपनी चारित्रिक विशेषताओं के कारण अति विशिष्ट है। उसके चरित्र की ये विशेषताएँ उसे विशेष दर्जा प्रदान करती हैं
(क) स्वर कोकिला-दुलारी का स्वर अति मधुर है। उसे कजली गाने में तो महारत हासिल है। यही कारण है कि कजली-दंगल में उसे अपने पक्ष से प्रतिद्वंद्वी बनाकर खोजवाँ बाजार वाले निश्चित थे।
(ख) प्रतिभाशाली शायरा (कवयित्री)-दुलारी के पास मधुर कंठ ही नहीं, त्वरित बुद्धि भी है। वह स्थिति के अनुसार तुरंत ऐसा पद्य तैयार करके गा सकती थी कि सुनने वाले दंग रह जाते। वह पद्य में ही सवाल-जवाब करने में माहिर थी, इसलिए विख्यात शायर भी उसका लिहाज़ करते थे। उसके सामने गाने में उन्हें घबराहट होती थी।
(ग) निर्भीक एवं स्वाभिमानी-दुलारी स्वस्थ शरीर की मल्लिका है। वह हर रोज कसरत करती है। उसका शरीर पहलवानों जैसा हो गया है। वह स्वाभिमान से जीती है। पुलिस का मुखबिर फेंकू सरदार उससे बदतमीजी करने की कोशिश करता है तो वह इस बात की परवाह किए बिना कि वह उसे हर प्रकार की सुख-सुविधा देता है, उसकी झाड़ से खबर लेती है।
(घ) सच्ची प्रेमिका-दुलारी एक गौनहारिन है। उसके पेशे में प्रेम का केवल अभिनय किया जाता है। लेकिन दुलारी टुन्नू से प्रेम करती है। वह जान चुकी है कि टुन्नू उसके शरीर को नहीं गायन-कला को प्रेम करता है। ऐसे सात्विक प्रेम का प्रतिदान भी वह उसी की शैली में देती है। वह भी टुन्नू की भाँति रेशम छोड़ खद्दर अपना लेती है और टुन्नू की दी गई खद्दर की साड़ी पहनकर ही पुलिस वालों के सामने गाती हुई टुन्नू की मृत्यु का शोक मनाती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि दुलारी के चरित्र की विशिष्टता उसे एक अलग ही स्थान प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ? [Imp.] [CBSE 2008 C]
उत्तर:
दुलारी कजली की प्रसिद्ध गायिका थी। टुन्नू भी इसी प्रकार की पद्यात्मक शायरी करने वाला उभरता कलाकार था। तीज के अवसर पर आयोजित खोजवाँ बाजार के कजली दंगल में टून्नू का दुलारी से परिचय हुआ था। दुलारी खोज़वाँ बाजारवालों की ओर से कजली गाने के लिए आई थी। दुलारी ने दुक्कड़ पर जब कजली गीत सुनाया तो उसका जवाब देने के लिए। बजरडीहा की ओर से टुन्नू नामक सोलह-सत्रह वर्षीय युवा गायक उठ खड़ा हुआ, जिसने अपने जवाबी गायन और मधुर कंठ से श्रोताओं का ही नहीं दुलारी का भी ध्यान अपनी ओर खींचा। यहीं दोनों का प्रथम परिचय हुआ था।

प्रश्न 6.
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था- ”तें सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट? :::: दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
टुन्नू के गायन का जवाब देते हुए दुलारी ने कहा था-तै सरबउला बोल जिंदगी में कब देखले लोट “। इसका भाव था कि तुझ सिरफिरे ने जिंदगी में नोट कहाँ देखे हैं। यहाँ नोट के दोनों अर्थ सही हैं कि न तो सोलह-सत्रह वर्ष की कच्ची उम्र में टुन्नू ने परमेश्वरी लोट (प्रॉमिसरी नोट) ही देखे हैं और न ही नोट यानि धन-माया। टुन्नू के पिता गरीब पुरोहित थे, जो जैसे-तैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर गृहस्थी चला रहे थे।
दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए यही संदेश निहित है कि उन्हें सपनों की हसीन दुनिया से निकल कर कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए।

प्रश्न 7.
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर:
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में टुन्नू और दुलारी ने अपने-अपने ढंग से अपना योगदान दिया। टुन्नू जो महँगे मलमल के कपड़े पहनता था, उसे छोड़कर खादी के कपड़े पहनने लगा। वह विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए विदेशी कपड़े एकत्र करने वालों के जुलूस में शामिल होकर यह काम करता रहा और इसी कारण पुलिस जमादार की पिटाई का शिकार हुआ, जिससे उसकी जान चली गई। इस प्रकार देश की आजादी के लिए उसने अपना बलिदान दे दिया। टुन्नु की देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर दुलारी ने अपनी विदेशी साड़ियों का बंडल जलाने के लिए फेंक दिया तथा उसने सूती साड़ी पहनकर अपने ढंग से योगदान दिया।

प्रश्न 8.
दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश-प्रेम तक कैसे पहुँचाता है? [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
टुन्नू सोलह-सत्रह वर्ष का युवक था तो दुलारी ढलते यौवन की प्रौढ़ा थी। टुन्नू घंटे-आधे घंटे आकर दुलारी के पास बैठता और उसकी बातें सुनता। वह केवल दुलारी की कला का प्रेमी था। उसे दुलारी की आयु, रंग या रूप से कुछ लेना-देना न था। दुलारी भी टुन्नू की कला को पहचान कर उसका मान करने लगी थी। यह परस्पर सम्मान का भाव ही प्रेम में बदल गया। कहने को तो दुलारी ने होली पर गाँधी आश्रम से धोती लाने वाले टुन्नू को फटकार कर भगा दिया, लेकिन टुन्नू के जाने के बाद उसे टुन्नू का बदला वेश, उसका कुरता और गाँधी टोपी का ध्यान आया तो उसे समझने में देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गया है। एक सच्ची प्रेमिका की तरह उसने भी तुरंत वही राह अपनाने का फैसला कर लिया और फेंकू सरदार की लाई हुई विदेशी मिलों में बनी महीन धोतियाँ होली जलाने के लिए स्वराज-आंदोलनकारियों की फैलाई चद्दर पर फेंक दी। यह एक छोटा-सा त्याग वास्तव में एक बड़ी भावना की अभिव्यक्ति था।

प्रश्न 9.
जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फर्ट-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर:
विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के लिए वस्त्रों का संग्रह कर रहे देश के सेवकों की चादर पर वस्त्र-कमीज, धोतियाँ, कुर्ता, साडी आदि की जो वर्षा हो रही थी, उनमें अधिकांश फटे और पुराने थे परंतु दुलारी ने विदेशी मिलों में बनी कोरी साडियों का वह बंडल फेंका जो एकदम नया था और जिनकी साड़ियों की तह भी नहीं खुली थी। उसका ऐसा करना देशभक्ति की उत्कट भावना और सच्ची राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति करता है। इसके अलावा इससे टुन्नू के प्रति प्रेम की मानसिकता भी दिखाई देती है।

प्रश्न 10.
“मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमरे का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?[Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
टुन्नू का यह कथन सत्य है। वैसे भी टुन्नू का प्यार आत्मिक था। इसलिए उसे दुलारी की आयु या उसके रूप से कुछ लेना-देना नहीं था। क्योंकि यह प्रेम मात्र आकर्षण या शारीरिक भूख से प्रेरित न था; इसलिए उनके विवेक ने इसे देश-प्रेम की ओर मोड़ दिया, जो स्वार्थ से परे प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप है। देश-प्रेम ही आत्मा की पवित्रतम भावना है। टुन्नू और दुलारी का प्रेम उनकी आत्मा द्वारा चालित होकर देश-प्रेम में बदल गया।

प्रश्न 11.
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए। [ V. Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
‘एही तैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का शाब्दिक अर्थ है-इसी जगह पर मेरी लौंग अर्थात् नाक का आभूषण खो गया है। इसका प्रतीकार्थ है-टाउन हाल का वह स्थान जहाँ पुलिस जमादार अली सगीर द्वारा टुन्नू की हत्या कर दी गई थी। टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था और दुलारी जो कठोर हृदयी समझी जाती थी, टुन्नू से प्रेम करने लगी थी। वह उसी हत्या वाली जगह की ओर संकेत करके कहती है-”इसी स्थान पर उसका सबसे प्रिय (टुन्नू और उसका प्रेम) खो गया है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर:
बिल्डर निर्माण कार्य हेतु उसे धीरे-धीरे पीछे धकेलते जा रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर:
लेखक का घर वर्सावा शहर में था।

प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर:
जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर:
कबूतर परेशानी में इधर-उधर इसलिए फड़फड़ा रहे थे, क्योंकि उनका एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया और दूसरा अंडा लेखक की माँ की असावधानी के कारण टूट गया। इस तरह दोनों अंडों के टूट जाने पर अर्थात् अपने बच्चों का विनाश देखकर कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को ‘नूह’ के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर:
अरब में लशकर को ‘नूह’ के नाम से लोग इसलिए याद करते हैं, क्योंकि ‘नूह’ नामक पैगंबर का असली नाम ‘लशकर’ ही था।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर:
लेखक की माँ सूरज ढलने के समय आँगन के पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं, क्योंकि उनकी कहना था कि इस समय पत्ते तोड़ने से वे रोते हैं और किसी को भी दुख पहुँचाना ठीक नहीं है।

प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ है?
उत्तर:
प्रकृति में आए असंतुलन का भयंकर परिणाम हुआ है। जैसे-अब गरमी के मौसम में गरमी की अति, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोगों का उत्पन्न होना आदि अर्थात् अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि तथा अनावृष्टि का होना इसी का परिणाम है।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर:
लेखक की माँ ने पूरे दिन का दोज़ा पश्चाताप हेतु रखा। दरअसल उनके मकान के दालान में दो रोशनदान थे, जिसमें कबूतर के जोड़े ने घोंसला बना लिया था। घोंसले में दिए दो अंडों में से एक को बिल्ली ने उचक कर एक तोड़ दिया। यह देखकर माँ बहुत दुखी हुईं। उन्होंने दूसरे अंडे को बचाने के लिए प्रयास किया, लेकिन ऐसा करने से दूसरा अंडा भी टूट गया। इस गुनाह के लिए ही उन्होंने एक दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक कई बदलावों को महसूस किया। जैसे–लेखक का वर्सावा में आज जो घर है, वहाँ पहले दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे तथा दूसरे जानवर थे और अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है।

प्रश्न 6.
“डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘डेरा डालने से आशय है कि अपने रहने के लिए अस्थायी घर बनाना। पाठ में बताया गया है कि समुद्र के किनारे बस्तियाँ बन जाने से कई पेड़ कटे, कई पक्षी पलायन कर गए और जो न जा सके, उन्होंने जहाँ-तहाँ डेरी डाल लिया।

प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपनी बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देखे भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर:
शेख आयाज़ के पिता अपनी बाजू पर च्योंटा रेंगता देख, भोजन छोड़कर इसलिए उठ खड़े हुए, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया है। वह च्योंटा कुएँ पर रहता था। इसलिए वे उसे छोड़ने कुएँ पर गए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बढ़ती हुई आबादी के कारण समुद्र ने पीछे सरकना शुरू कर दिया है, पेड़ों को काट-काटकर उन्हें रास्तों से हटाया जा रहा है तथा फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूद की विनाशलीला ने वातावरण को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। गर्मी की अति, सर्दी की अति, बरसात की अति, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए-नए रोगों का उत्पन्न होना आदि का बढ़ती हुई आबादी के कारण ही तो सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर:
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली इसलिए लगवानी पड़ी, क्योंकि लेखक के घर में कबूतरों के एक जोड़े ने अपना घोंसला बना लिया था, जिससे उन कबूतरों का आना-जाना शुरू हो गया। जब वे कबूतर अपने बच्चों को दाना खिलाने आते, तो घर की किसी-न-किसी चीज़ से टकराकर उसे गिरा देते तथा कभी पुस्तकालय में घुसकर किताबें खराब कर देते थे।

प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर:
समुद्र के गुस्से की वज़ह थी कि उसे निरंतर सिमटते जाना पड़ रहा था। बिल्डर निर्माण कार्य हेतु उसे धीरे-धीरे पीछे धकेलते जा रहे थे। उसने स्वयं को काफी सिकोड़ा, पर जब उसकी सहन-शक्ति समाप्त हो गई, तो उसे गुस्सा आ गया। उसने अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाज़ों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीनों दिशाओं में फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे पर जा गिरा, तो दूसरा जहाज़ बांद्रा में कार्टर के सामने औंधे मुँह गिरा और तीसरा गेट-वे ऑफ इंडिया पर टूटकर सैलानियों का नज़ारा बना। ये तीनों जहाज़ कोशिश करने के बावजूद भी दुबारा चलने-फिरने योग्य न रहे।

प्रश्न 4.
‘मट्टी से मटूटी मिले, खो के सभी निशान। किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान – इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से दो बातें कहना चाहता है। पहली-मृत्यु होने पर सभी प्राणियों के शरीर मिट्टी में मिलकर मिट्टी ही बन जाते हैं। अर्थात् फिर कोई पहचान नहीं रहती कि किस मिट्टी में किसका शरीर मिला है। दूसरी-आध्यात्मिकता की दृष्टि से जिस प्रकार समुद्र में बूंद के मिलने पर उसकी पहचान खो जाती है, उसी प्रकार सभी आत्माएँ मृत्यु के बाद कहाँ जाती हैं, मुक्त होती हैं अथवा परमात्मा में मिल जाती हैं; यह पहचानना भी अति दुष्कर है। संसार का रचयिता अपने अनुसार सबको रचता है, इसमें किसी की चाहत या इच्छा कार्य नहीं करती। जीवन के अंत में सभी इस मिट्टी में मिल जाते हैं। सबकी एक ही गति होती है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर:
इसका आशय है कि जैसे प्रत्येक मनुष्य की सहन-शक्ति की एक सीमा होती है, ठीक उसी तरह नेचर (प्रकृति) की सहन-शक्ति की भी सीमा होती है। जब हम प्रकृति के साथ छेड़खानी करते हैं, खिलवाड़ करते हैं, तो कुछ समय बाद उसकी सहन-शक्ति समाप्त हो जाती है। और तब वह बदला लेती है, आंदोलन करती है। ऐसा ही एक नमूना कुछ समय पहले बंबईवासियों को झेलना पड़ा था। उस समय भूकंप ने बंबईवासियों को इतना डरा दिया था कि उन्हें पूजा-स्थलों की शरण में जाना पड़ा था।

प्रश्न 2.
जो जितना बड़ा होता है, उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर:
इसका आशय है कि जिस प्रकार धीर पुरुष छोटी-मोटी बातों से तथा दुख व अपमान आदि से नहीं घबराते, लेकिन अत्याचारों की अति होने पर वे अत्यधिक गंभीर परिणाम भुगतने के लिए अत्याचारी को बाध्य कर देते हैं उसी प्रकार समुद्र पर बिल्डरों और मछुआरों का कोप, धरती पर शिकारियों तथा भूमाफियों का अतिक्रमण तथा वायु में कल-कारखानों से निकलती ज़हरीली गैसों के कारण प्रकृति सभी को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए बाध्य कर रही है, क्योंकि प्रकृति सबसे अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 3.
इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं, उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
उत्तर:
इसका आशय है कि मानव की बढ़ती महत्त्वाकांक्षाएँ, कभी न समाप्त होने वाली इच्छाएँ, बढ़ती हुई आबादी की लोलुपता की पूर्ति हेतु पेड़ों की कटाई, जंगलों का सफ़ाया, जंगली-जानवरों का शिकार तथा प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़खानी इत्यादि हरकतें पशु-पक्षियों को बेघर कर देती हैं, जिससे मनुष्य अपने दुर्भाग्य को ही निमंत्रण देता है। अतः मानव इस प्रकार के प्रकृति को असंतुलित करने वाले कुकृत्यों से बाज आना चाहिए।

प्रश्न 4.
शेख अयाज़ के पिता बोले ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की परोपकार की भावना प्रकट हो रही है। वे एक परोपकारी व्यक्ति थे। समस्त जीवों के प्रति इन पंक्तियों के माध्यम से उनकी प्रेम-भावना उजागर हो रही है। दरअसल वे एक सरल हृदय, निष्कपट, दयालु और नेक इंसान थे। वे पशु-पक्षियों तथा कीड़े-मकोड़ों के दर्द और दुख-तकलीफ़ को भी समझते थे। उनकी भावनाएँ सभी के लिए समान थीं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिह्नों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए-
जैसे-
(क) माँ ने भोजन परोसा।                                               कर्ता
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।                           ………………..
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।                      ………………..
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ो रहे थे।         ………………..
(ङ) दरिया पर जाओ, तो उसे सलाम किया करो।            ………………..

उत्तर:
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।                           संप्रदान
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।                      कर्म
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।        अधिकरण
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।            अधिकरण

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-

  1. चींटी,
  2. घोड़ा,
  3. आवाज़,
  4. बिल,
  5. फौज,
  6. रोटी,
  7. बिंदु,
  8. दीवार,
  9. टुकड़ा।

उत्तर:
        एकवचन                बहुवचन

  1. चींटी                       चींटियाँ
  2. घोड़ा                       घोड़े
  3. आवाज़                    आवाजें
  4. बिल                        बिलों
  5. बिंदु                        बिंदुओं
  6. फौज                       फौजें
  7. रोटी                        रोटियाँ
  8. दीवार                      दीवारें
  9. टुकड़ा                     टुकड़े

प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए, तो शब्द बनेगा ‘दफा जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं, उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।

  1. सजा – सज़ा
  2. नाज – नाज़
  3. जरा – ज़रा
  4. तेज – तेज़

निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए-

  1. आजकल ……………………… बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
  2. पूरे कमरे को ……………………… दो। (सजा/सज़ा)
  3. ……………………… चीनी तो देना। (जरा जरा)
  4. माँ दही …………………….. भूल गई। (जमाना/ज़माना)
  5. दोषी को ………………………….: दी गई। (सजा/सज़ा)
  6. महात्मा के चेहरे पर ………………… था। (तेज/तेज़)

उत्तर:

  1. ज़माना
  2. सजा
  3. ज़रा
  4. जमाना
  5. सज़ा
  6. तेज

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
पशु-पक्षी एवं वन्य संरक्षण केंद्रों में जाकर पशु-पक्षियों की सेवा-सुश्रूषा के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आए असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए, जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु-पक्षियों का उपयोग किया गया हो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
अथवा
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर सरकारी क्षेत्र की बदहवासी किस मानसिकता की द्योतक है? [CBSE; CBSE 2008 C]
उत्तर:
इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ के भारत आने की खबर से सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की टूटी नाक ठीक करने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है। वह हमारी गुलाम या परतंत्र मानसिकता को दर्शाती है। इससे यह पता चलता है। कि अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए विवश कर हम भले शारीरिक रूप से स्वयं को स्वतंत्र मानकर खुश हो लें, पर वास्तव में हम मानसिक गुलामी में अब भी जी रहे हैं।

इसका प्रमाण जगह-जगह अंग्रेजों की लगी मूर्तियाँ (लाट) तथा उनके नाम पर बने भवन तथा सड़कें हैं। वास्तव में इनका नामकरण देश के शहीदों तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम पर किया जा सकता है। वास्तव में हमारे नौकरशाह तथा नेतागण आज भी मानसिक गुलामी से मुक्त नहीं हो सके हैं। वे आज भी अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार दिखाई देते हैं। इसके द्वारा लिए गए निर्णय में कभी-कभी देश के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के महत्त्व को ध्यान में नहीं रखा जाता है।

प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?[CBSE] |
उत्तर:
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी यह थी कि रानी भारत, पाकिस्तान और नेपाल के शाही दौरे पर कौन-सी वेशभूषा धारण करेंगी। उसे लगता था कि रानी की आन-बान-शान भी बनी रहनी चाहिए और उसकी वेशभूषा विभिन्न देशों के अनुकूल भी हो। दरजी की परेशानी जरूरत से अधिक है। किसी देश में घूमते वक्त अपने कपड़ों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देना, चकाचौंध पैदा करना अनावश्यक है। परंतु यदि रानी अपने कपड़ों को लेकर परेशान है तो दरजी बेचारा क्या करे? उसे तो रानी की शान और वातावरण के अनुकूल वेशभूषा तैयार करनी ही पड़ेगी।

प्रश्न 3.
‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’–नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे? [A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत आने वाली थीं। उनके आने की जोर-शोर से चर्चा थी। उनके दिल्ली आने का भी कार्यक्रम था। आनन-फानन में नई दिल्ली का कायापलट करने का प्रयास किया जाने लगा। इसके लिए हर स्तर पर प्रयत्न किया गया होगा। इसके लिए-

  1. दिल्ली की सड़कों की साफ़-सफ़ाई की गई होगी।
  2. वहाँ की महत्त्वपूर्ण इमारतों को साफ़-सुथरा बनाया गया होगा तथा उन पर रंग-रोगन कर चमकाया गया होगा।
  3. उन पर सुंदर रोशनी की व्यवस्था कर आकर्षक बनाया गया होगा। उनके आने-जाने वाले रास्तों पर ध्वज लगाए गए होंगे।
  4. रास्तों के किनारों पर रंग-बिरंगे फूल तथा छायादार वृक्ष लगवाए गए होंगे।
  5. मार्ग पर पुलिस भी नियुक्त किए गए होंगे।

प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा हैं
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है? [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता मनोरंजन-पत्रकारिता के अंतर्गत आती है। हर देश का फैशन अपने समय के महत्त्वपूर्ण नायक-नायिकाओं की वेशभूषा को देखकर चलता है। अतः मनोरंजन-पत्रकारिता का चर्चित हस्तियों के खान-पान और पहनावे को लेकर बातें करना स्वाभाविक है। इन बातों को सीमित महत्त्व देना चाहिए। इन्हें समाचार-पत्र के भीतरी पृष्ठों पर मनोरंजन-परिशिष्ट के अंतर्गत ही स्थान मिलना चाहिए। इन्हें राष्ट्रीय समाचार-पत्रों की पहली खबर बनाना आवश्यकता से अधिक महत्त्व देना है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को रहन-सहन के तौर-तरीकों और फैशन आदि के प्रति जागरूक करती है। बहुत से युवक-युवतियाँ पढ़ाई-लिखाई से अधिक फैशन में रुचि लेने लगते हैं। वे काम की बातों से अधिक ध्यान ऊपरी दिखावे पर देने लगते हैं।

प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए? [ Imp.] [A.I. CBSE 2008; CBSE]
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने कई प्रयास किए; जैसे-

  • उसने सबसे पहले वह पत्थर ढुढ़वाने का प्रयास किया जिससे जॉर्ज पंचम की नाक बनी थी।
  • सरकारी फाइलों से कुछ पता न चल पाने पर उसने स्वयं पर्वतीय प्रदेश की यात्राएँ की और पत्थर की खानों का निरीक्षण किया।
  • भारत के किसी नेता की मूर्ति की नाक लगाने के लिए उसने पूरे देश के शहीद नेताओं की नाकों का नाप लिया पर असफल रहा।
  • उसने वर्ष 1942 में बिहार में शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों की नाप ली पर वे भी बड़ी निकलीं।
  • अंत में उसने गुपचुप तरीके से जॉर्ज पंचम की लाट पर एक जिंदा नाक लगवाकर अपनी और देश की भलाई चाहने वालों की परेशानी दूर की।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी है।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
ऐसे अन्य व्यंग्यात्मक कथन इस प्रकार हैं

  • शंख इंग्लैंड में बज रहा था, पूँज हिंदुस्तान में आ रही थी।
  • गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
  • सभी सहमत थे कि अगर यह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
  •  एक की नजर ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
  • पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चीरे गए पर कुछ भी पता नहीं चला।
  • एक खास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
  • यह छोटा-सा भाषण फ़ौरन अखबारों में छप गया।

प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए। [Imp.][CBSE]
उत्तर:
नाक सदा से ही प्रतिष्ठा का प्रश्न रही है। नाक की इसी प्रतिष्ठा को व्यंग्य रूप में इस पाठ में प्रस्तुत किया गया है। इस पाठ के माध्यम से देश के सरकारी अधिकारियों, कार्यालयों की कार्यप्रणाली, क्लर्को द्वारा अपनी जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति तथा काम को आनन-फानन में येनकेन प्रकारेण निपटाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया गया है। पाठ में हम भारतीयों की गुलाम मानसिकता पर भी व्यंग्य किया गया है जिसके कारण आज़ादी मिले हुए इतना समय बीत जाने पर भी एक टूटी नाक के पीछे इतना परेशान हो जाते हैं कि यह परेशानी देखते ही बनती है। देश के शहीद नेताओं की नाक को अधिक बड़ा तथा शहीद बच्चों की नाकों को भी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक के योग्य न समझकर एक ओर सम्मानित किया गया है, परंतु अंत में बुत पर जीवित नाक लगाकर देश की प्रतिष्ठा को ज़मीन पर ला पटकी है।

प्रश्न 8.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
जॉर्ज पंचम की नाक सभी भारतीय नेताओं और बलिदानी बच्चों से छोटी थी-यह बताना लेखक का लक्ष्य था। भारत में आजादी के लिए लड़ने वाले बलिदानी बच्चों का मान-सम्मान जॉर्ज पंचम से भी अधिक था। गाँधी, नेहरू, सुभाष, पटेल आदि नेता तो निश्चित रूप से जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक सम्माननीय थे। यह बताना ही लेखक का उद्देश्य है।

प्रश्न 9.
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया? [CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को प्रस्तुत करते हुए लिखा कि मूर्तिकार को जब जॉर्ज पंचम की लाट के लिए उपयुक्त पत्थर नहीं मिला तथा उस लाट के अनुरूप नाक न मिल सकी तो उसने लाट पर जिंदा नाक लगाने का फैसला कर लिया। यह बात देश की जनता नहीं जानती थी। सब तैयारियाँ अंदर ही अंदर चल रही थीं। लाट पर किसी जीवित भारतीय की नाक लगाने के सरकारी कदम का अखबार विरोध कर रहे थे। ऐसे में अखबारों ने पत्थर में जिंदा नाक लगने की खबर को बिना किसी दिखावे-प्रदर्शन के चुपचाप तथा शांति एवं सादगी के साथ प्रस्तुत किया। अखबारों में लिखा था कि ‘जॉर्ज पंचम की जिंदा नाक लगाई गई है…यानी ऐसी नाक जो पत्थर की नहीं लगती है।

प्रश्न 10.
“नयी दिल्ली में सब था … सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता [Imp.] [CBSE 2008 C]
उत्तर:
इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि आजाद भारत में किसी प्रकार की सुख-सुविधा में कोई कमी नहीं थी। सब कुछ था। परंतु अब भी भारतीयों में आत्मसम्मान की भावना नहीं थी। यदि जॉर्ज पंचम ने उन्हें गुलाम बनाकर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई थी तो उसे गलत ठहराने की हिम्मत नहीं थी।

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर:
किसी भी देश का समाचार पत्र वहाँ घट रही घटनाओं का आइना तथा लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी होते हैं। अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और उन्हें देश से बाहर करने में समाचारपत्रों ने जोशीले लेखों, भाषणों और विभिन्न घटनाओं के माध्यम से लोगों को उत्साहित और प्रेरित किया था और लोगों की रगों में बहते खून को लावे में बदल दिया था। वही समाचार पत्र उस घटना को कैसे छापते जिसमें देश की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान को मिट्टी में मिला दिया गया हो। जॉर्ज पंचम की लाट पर जिंदा नाक लगाने के कुकृत्य को प्रकाशित करने के बजाए समाचार पत्रों ने चुप रहना ही बेहतर समझा।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे को अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ को शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? [CBSE; CBSE 2008 ; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
अथवा
माँ के प्रति अधिक लगाव न होते हुए भी विपत्ति के समय भोलानाथ माँ के आँचल में ही प्रेम और शांति पाता हैं। इसका आप क्या कारण मानते हैं? [CBSE 2008 C]
उत्तर:
चूहे के बिल से निकले साँप को देखकर भयभीत भोलानाथ जब गिरता-पड़ता घर भागता है तो उसे जगह-जगह चोट लग जाती है। वह अपने पिता को ओसारे में हुक्का गुड़गुड़ाता हुआ देखता है परंतु उनकी शरण में न जाकर घर में सीधे माँ के पास जाकर माँ के आँचल में छिप जाता है। साँप से भयभीत अर्थात् विपदा के समय पिता के दुलार की कम, माता के स्नेह, ममता और सुरक्षा की ज़रूरत अधिक होती है। यह सुरक्षा उसे माँ के आँचल में नज़र आती है, इसलिए बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण में जाती है।

प्रश्न 2.
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? [Imp.] [CBSE; CBSE 2008 C; A.I. CBSE 2008 ]
उत्तर:
भोलानाथ को अपने साथियों के साथ खेलने में गहरा आनंद मिलता है। वह साथियों की हुल्लडबाजी, शरारतें और मस्ती देखकर सब कुछ भूल जाता है। उसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है।

प्रश्न 3.
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जव-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की दुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर:
छात्र अपने बचपन से जुड़ी किसी तुकबंदी के बारे में स्वयं लिखें।

प्रश्न 4.
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है? [CBSE; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
आज ज़माना बदल चुका है। आज माता-पिता अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे उसे गली-मुहल्ले में बेफिक्र खेलने-घूमने की अनुमति नहीं देते। जब से निठारी जैसे कांड होने लगे हैं, तब से बच्चे भी डरे-डरे रहने लगे हैं। अब न तो हुल्लडबाजी, शरारतें और तुकबंदियाँ रही हैं; न ही नंगधडंग घूमते रहने की आजादी। अब तो बच्चे प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक्स के महँगे खिलौनों से खेलते हैं। बरसात में बच्चे बाहर रह जाएँ तो माँ-बाप की जान निकल जाती है। आज न कुएँ रहे, न रहट, न खेती का शौक। इसलिए आज का युग पहले की तुलना में आधुनिक, बनावटी और रसहीन हो गया है।

प्रश्न 5.
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों? [Imp.]
अथवा
ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब अपनी माता या पिता का स्नेह आपके अंतर्मन को छू गया हो। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
‘माता का अँचल’ नामक इस पाठ में अनेक ऐसे प्रसंग हैं, जो अनायास ही हमारे मन को छू जाते हैं। ये प्रसंग निम्नलिखित हैं-

  1. भोलानाथ पिता जी की छाती पर चढ़कर उनकी पूँछे उखाड़ने लगता था। उनके चुम्मा माँगने पर जब अपनी मूंछे भोलानाथ के पिता जी उसके गाल पर गड़ा देते तब भोलानाथ फिर से उनकी पूँछे उखाड़ने लगता।
  2. भोलानाथ के प्रत्येक खेल में पिता जी का शामिल होना दिल को छु जाता है।
  3. भोजन तैयार करके बैठे बच्चों के बीच जब खाने के लिए पिता जी भी पंक्ति में बैठते तो बच्चे हँसते हुए भाग जाते थे।
  4. भोलानाथ का साँप से भयभीत होकर भागना तथा पिता जी की शरण में न जाकर माँ के आँचल में छिपने जैसे प्रसंग मन को अनायास छू जाते हैं।

प्रश्न 6.
इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं। [Imp.]
अथवा
‘माता का अँचल’ पाट में ग्रामीण जीवन का चित्रण हुआ है। यह आज के ग्रामीण जीवन से किस प्रकार भिन्न है? [CBSE]
उत्तर:
आज की ग्रामीण संस्कृति में अनेक परिवर्तन हो चुके हैं। आज कुओं से सिंचाई होने की प्रथा प्रायः समाप्त हो गई है। उसकी जगह ट्यूबवैल आ गए हैं। अब बैलों की जगह ट्रैक्टर आ गए हैं। आजकल पहले की तरह बूढे दूल्हे भी नहीं दिखाई देते। आज धीरे-धीरे ग्रामीण अंचल मौज-मस्ती और आनंद मनाने की चाल को भूलता जा रहा है। वहाँ भी भविष्य, प्रगति और पढ़ाई-लिखाई का भूत सिर पर चढ़कर बोलने लगा है।

प्रश्न 7.
पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता को लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर:
सौम्य के बचपन की डायरी का एक पेज-
सोमवार, 12 अक्टूबर, 20XX

मनुष्य के मस्तिष्क से माता-पिता के स्नेह का चित्र कभी गायब नहीं होता है। मुझे याद है कि बचपन की वह घटना जब पिता जी ने मुझे मेरे जन्मदिन पर नई साइकिल दिलवाई थी। मुझे साइकिल चलाना नहीं आता था, इसलिए पिता जी मुझे बाग की ओर ले गए। वे घंटे भर साइकिल पकड़कर चलाना सिखाते रहे, पर मैंने उनसे कहा कि अब मैं खुद चलाऊँगा। मैं थोड़ी दूर ही गया था कि आगे थोड़ी ऊँचाई थी, जिसे मैं पार करना चाहता था पर साइकिल पार न हो सकी और पीछे की ओर सरकने लगी। मैं स्वयं को सँभाल न सकी और गिर पड़ा। साइकिल मेरे ऊपर थी। मेरे पैर चेन और गीयर के बीच में होने से घाव हो गया। पिता जी भागे-भागे आए। मुझे गोद में उठाया और डॉक्टर के पास ले गए। इलाज करवाया। इधर माँ और पिता जी हफ्तों तक मेरे ऊपर विशेष ध्यान रखते रहे। वह स्नेह मैं आज भी नहीं भूल पाया हूँ।

प्रश्न 8.
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए। [Imp.]
उत्तर:
माता का अँचल’ में माता-पिता के वात्सल्य का बहुत ही सरस और मनमोहक वर्णन हुआ है। बच्चे के माता-पिता में मानो वात्सल्य की होड़ है। बच्चे के पिता अपने बच्चे से माँ जैसा प्यार करते हैं। वे बच्चे को अपने साथ सुलाते हैं, जगाते हैं, नहाते-धुलाते हैं और खाना भी खिलाते हैं। उन्हें यह सब करने में बहुत आनंद मिलता है। वे कभी अपने बच्चे को डाँटते-फटकारते नहीं। वे माँ यशोदा की तरह बच्चे की एक-एक क्रीड़ा में पूरी रुचि लेते हैं। वे उसके एक-एक खेल को मानो भगवान भोलानाथ की लीला मानकर साथ देते हैं। इसलिए वे हँसकर पूछते हैं-‘फिर कब भोज होगा भोलानाथ?’ ‘इस साल की खेती कैसी रही भोलानाथ?’ पिता बच्चे से हर संभव लाड़ करते हैं। उसके साथ खेलते हैं। उससे जान-बूझकर हारते हैं। फिर उसे चूमते हैं, कंधे पर बिठाकर घूमते हैं। इन सारी क्रियाओं में उन्हें बहुत आनंद मिलता है।

बच्चे की माता भी मानो ममता की मूर्ति है। उसे इस बात का बोध है कि बच्चे का पेट तो महतारी के खिलाने से ही भरता है। उसका मन बच्चे को खिलाने-पिलाने और पुचकारने-दुलराने के लिए तरसता है। वह बच्चों से लाड़ करने में पारंगत है। वह भरपेट खाना खाए हुए बच्चे को भी अपनी वात्सल्य-कला से रिझाकर ढेर सारा और भोजन करा देती है। यह उसकी ममता का ही प्रसाद है कि बच्चा अपने पिता के संग रहने का अभ्यासी होने पर भी माँ का आँचल खोजता है। विपत्ति में उसे माँ की गोद ही अधिक सुरक्षित प्रतीत होती है। माँ का ममतालु मन इतना भावुक है कि वह बच्चे को डर के मारे काँपता देखकर रोने ही लगती है। उसकी यह सजल ममता पाठक को बहुत प्रभावित करती है।

प्रश्न 9.
माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्पक सुझाइए।
उत्तर:
किसी भी कहानी, उपन्यास या नाटक का शीर्षक उसके मुख्य पात्र, घटनाक्रम या पाठ की महत्ता प्रकट करने वाला होता
है। ‘माता को अंचल’ पाठ का शीर्षक इस पाठ की घटनाओं पर आधारित है। वास्तव में भोलानाथ अपने पिता के साथ अधिक लगाव रखता, वह उन्हीं के साथ पूजा पर बैठता, खेलता तथा वे ही भोलानाथ को गुरु जी से बचाकर लाए, पर बिल में पानी डालने पर जब अचानक साँप निकल आता है और भोलानाथ गिरता पड़ता घर आता है तो माँ के अंचल को सुरक्षित मान उसी में शरण लेता है। अतः यह शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त है। इस पाठ के अन्य शीर्षक हो सकते हैं:

  • बचपन के दिन
  • बच्चों की दुनिया
  • बचपन की दुनिया कितनी रंग-बिरंगी।

प्रश्न 10.
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? [CBSE; A.I. CBSE 2008; CBSE 2008 ]
अथवा
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? अपने जीवन से संबंधित कोई घटना लिखिए जिसमें आपने अपने माता-पिता के प्रति प्रेम अभिव्यक्त किया हो। [CBSE]
उत्तर:
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को उनके साथ रहकर, उनकी सिखाई हुई बातों में रुचि लेकर, उनके साथ खेल करके, उन्हें चूमकर, उनकी गोद में या कंधे पर बैठकर प्रकट करते हैं।
मेरे माता-पिताजी की बीसवीं वर्षगाँठ थी। मैंने उनके बीस वर्ष पुराने युगल-चित्र को सुंदर से फ्रेम में सजाया और उन्हें भेंट किया। उसी दिन मैं उनके लिए अपने हाथों से सब्जियों का सूप बनाकर लाई और उन्हें आदरपूर्वक दिया। माता-पिता मेरा यह प्रेम देखकर बहुत प्रसन्न हुए।

प्रश्न 11.
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
‘माता का अँचल’ नामक पाठ में बच्चों की जिस दुनिया की संरचना की गई है उसकी पृष्ठभूमि पूर्णतया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। पाठ में तीस-चालीस के दशक के आस-पास का वर्णन है। इस ग्रामीण परिवेश में खेतों में उगी फ़सलें, फ़सलों के बीच उड़ती-फिरती चिड़ियाँ, उनका बालकों द्वारा उड़ाया जाना, बिल में पानी डालना और चूहे की जगह साँप निकलने पर डरकर भागना, आम के बाग में बच्चों का पहुँचना और वहाँ भीगना, बिच्छुओं को देखकर भागना, मूसन तिवारी को चिढ़ाना, माता दुवारा पकड़कर बलपूर्वक तेल लगाना, टीका लगाना आदि का अत्यंत स्वाभाविक चित्रण है।

यह सब हमारे बचपन से पूर्णतया भिन्न है। आज तीन वर्ष या उससे कम उम्र में ही बालकों को पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में भरती करा दिया जाता है। इससे उनका बचपन प्रभावित होता है। खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, कंप्यूटर, वीडियोगेम, मोबाइल फ़ोन पर गेम, लूडो, कैरम आदि खेलते हैं। माता-पिता के पास कहानियाँ सुनाने का समय न होने के कारण बच्चे टीवी पर कार्यक्रम देखकर अपनी शाम बिताते हैं।

प्रश्न 12.
फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर:
छात्र पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर पढ़ें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट.

पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर:
किसी कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट ली थी। उसने कुत्ते को पकड़ लिया था जिससे कुत्ता डर और भय से चिल्ला रहा था। ख्यूक्रिन और कुत्ते की आवाजें सुनकर काठगोदाम के पास भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर:
ख्यूक्रिन का नुकसान इसलिए होता, क्योंकि ख्यूक्रिन एक कामकाजी आदमी था। वह सुनार था और उसका काम पेचीदा था। उसने खुद कहा था कि एक हफ्ते तक उँगली काम करने लायक नहीं हो सकेगी। इसीलिए तो उसने कुत्ते के मालिक से हरज़ाना दिलवाने की बात भी की।

प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर:
कुत्ता इसलिए किकिया रहा था क्योंकि उँगली में काट लेने के कारण ख्यूक्रिन उसे मार-पीट रहा था। उसने कुत्ते की टाँग पकड़ रखी थी जिससे कुत्ता आतंकित हो रहा था।

प्रश्न 4.
बाजार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर:
बाज़ार के चौराहे पर किसी आदमी का न होना यह संकेत करता है कि चौराहे पर मात्र बेजान वस्तुएँ थीं। खरीदने-बेचने का काम पूरी तरह बंद था अर्थात् बाज़ार में होने वाली हलचल पूरी तरह बंद थीं। बाजार की दुकानों के सामने कोई भिखारी तक नहीं था। उपरिलिखित कारणों से बाजार के चौराहे पर खामोशी थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में बताया कि यह हमारा नहीं है। यह तो जनरल साहब का है, जो कुछ देर पहले यहाँ आए हैं। उन्हें यही नस्ल पसंद है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर:
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने की यह दलील दी कि वह कामकाजी आदमी है तथा उसका काम पेंचीदा किस्म का है। कुत्ते द्वारा उँगली काट खाने से अब वह हफ्ते भर तक काम नहीं कर सकता है। इससे उसका काफ़ी नुकसान होगा।

प्रश्न 2.
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का क्या कारण बताया ?
उत्तर:
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगली ऊपर उठाने का यह कारण बताया कि वह! तो मेढ़े की तरह चुपचाप जा रहा था, मुझे मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था, तब अचानक इस कंबख्त कुत्ते ने मेरी उँगली काट खाई। उसने साथ में यह भी कहा कि वह एक कामकाजी आदमी है और उसका काम पेचीदा किस्म का है, इसलिए वह सप्ताह तक काम करने की स्थिति में नहीं है।

प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
उत्तर:
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए इंसपेक्टर से कहा कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई-न-कोई शरारत करता रहता है। जरूर ही इसने अपनी जलती सिगरेट से इसकी नाक जला दी होगी, जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। इसमें सारा दोष ख्यूक्रिन का ही है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है?
उत्तर:
ओचुमेलॉव एक चापलूस तथा भाई-भतीजावाद में विश्वास रखने वाला पुलिस इंस्पेक्टर था। वह जनरल साहब पर अपनी कर्तव्यनिष्ठा व वफ़ादारी की छाप छोड़ना चाहता था। इसलिए उसने जनरल साहब को यह संदेश भिजवाया कि यह कुत्ता उसे गली में मिला है और वह उसे वापिस भेज रहा है, क्योंकि उसे जनरल साहब के कुत्ते का बहुत खयाल है। कुत्ता काफ़ी महँगा है और इसे कोई भी नुकसान पहुँचा सकता है।

प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर:
कुत्ते द्वारा काटे जाने से काम करने में असमर्थ ख्यूक्रिन कुत्ते के मालिक से मुआवजा चाहता था, परंतु जब इंसपेक्टर को ज्ञात होता है कि वह कुत्ता जनरल के भाई साहब का है तो वह ख्यूक्रिन को धमकाने और कुत्ते को पुचकारने लगता है। इससे ख्यूक्रिन की स्थिति कुत्ते से भी बदतर हो जाती है और भीड़ हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी’-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर:
ओचुमेलॉव दोहरी भूमिका जीने वाला चाटुकार, अवसरवादी इंसपेक्टर था। पहले तो वह ख्यूक्रिन को काटने वाले कुत्ते के मालिक को सबक सिखाने, उसे खुला छोड़ देने के लिए दंड देना चाहता था। वह जानना चाहता था कि आखिर यह कुत्ता है किसका, पर जैसे ही उसे पता चलता है कि यह कुत्ता जनरल साहब का है, वह अपना रंग-ढंग और बात बदल लेता है। वह कहता है ख्यूक्रिन कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है, जबकि उसने कील-वील से उँगली छील ली होगी। वह ऐसा इसलिए कहता है ताकि वह जनरल साहब की कृपा का पात्र बनकर पदोन्नति पा सके।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. ओचुमेलॉव एक अवसरवादी पुलिस इंस्पेक्टर है।
  2. वह समय, परिस्थिति, अवसर को देखकर हमेशा अपनी प्रतिक्रिया एवं कथनों को बदल लेता है।
  3. वह अपनी वाकू-पटुता की विशेषताओं का अच्छी तरह से लाभ उठाता है। तभी तो कभी ख्यूक्रिन को हरज़ाना दिलाने की बात करता है, तो कभी मरियल-से कुत्ते को ‘सुंदर डॉगी’ कहता है।
  4. वह उच्च वर्ग के प्रति विशेष पक्षपात का सहारा लेता है और कुत्ते को जनरल साहब के पास भेज देता है।
    अर्थात् ओचुमेलॉव अवसरवादी, वाक्-पटुता में माहिर तथा उच्च वर्ग का साथ देनेवाला व कहानी का मुख्य पात्र है।

प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर:
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर आ जाता है। कुछ देर पहले तक जो इंसपेक्टर कुत्ते का काम खत्म करने की बात कर रहा था, वह यह बात जानने के बाद गिरगिट की भाँति रंग बदल लेता है और कुत्ते को पुचकारते हुए उसे अत्यंत सुंदर डॉगी और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहने लगता है। वह उसे नन्हा शैतान कहकर जनरल के बावर्ची को सौंप देता है। अब वह पीड़ित ख्यूक्रिन को ही धमकाता है। ऐसा वह इसलिए करता है ताकि जनरल साहब से अपना स्वार्थ पूरा करा सके। वह उन्हें नाराज नहीं करना चाहता था तथा समय आने पर उनसे लाभ उठाने की फिराक में था।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि “मेरा एक भाई भी पुलिस में है …।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है ?
उत्तर:
ख्यूक्रिन का यह कथन समाज में फैली अराजकता तथा भाई-भतीजावाद की वास्तविकता की ओर संकेत करता है। जब भी किसी व्यक्ति का कोई संबंधी पुलिस में होता है, तो वह उसके सहारे से न्याय प्राप्त करना चाहता है। जब पुलिस इंस्पेक्टर को यह पता चला कि यह कुत्ता जनरल साहब या उनके भाई का है तो उसने ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहरा दिया, तब ख्यूक्रिन ने न्याय न मिलता देख तथा न्याय मिलने की इच्छा में ऐसा कहा कि उसका भाई भी पुलिस में है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं?
अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ इसलिए रखा गया होगा क्योंकि गिरगिट ऐसा जीव है जो परिस्थिति की माँग के अनुसार रंग बदलने में सिद्धहस्त है। इस कहानी का प्रमुख पात्र ओचुमेलॉव का चरित्र भी कुछ ऐसा ही है। वह अपने स्वार्थ एवं लाभ के लिए अपनी सोच, बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदलता रहता है। इतना ही नहीं वह सच को झूठ और झूठ को सच सिद्ध करने से भी नहीं चूकता है। वह भीड़ और जनसमूह को देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश करते हुए उनसे दिखाता है परंतु जनरल और उनके भाई का नाम सुनते ही गिरगिट की भाँति रंग बदल लेता है। इंसपेक्टर का ऐसा व्यक्तित्व देख इसका शीर्षक ‘गिरगिट’ रखा गया होगा। इसका अन्य शीर्षक हो सकता है-स्वार्थी इंसपेक्टर या हरजाना, क्योंकि दोनों ही शीर्षक पाठ का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘गिरगिट कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त कई विसंगतियों पर व्यंग्य किया है, जो निम्नलिखित हैं-

  1. पुलिस समाज में उच्च वर्ग का साथ देती है तथा आम जनता के साथ उसका व्यवहार उपेक्षापूर्ण होता है।
  2. सामान्य व्यक्ति को तो छोटे-से अपराध के लिए भी दंडित किया जाता है, लेकिन उच्च वर्ग के छोटे-मोटे अपराधों को अनदेखा कर दिया जाता है।
  3. समाज में भ्रष्टाचार चारों ओर व्याप्त है, छोटे से बड़े स्तर तक अधिकतर लोग बेईमानी का साथ देते हैं।
  4. भाई-भतीजावाद का बोलबाला है।

आज भी हमारे समाज में ऐसी विसंगतियाँ देखने को मिलती हैं। आज कमजोर व असहाय व्यक्ति की कोई सहायता नहीं करता। लोग पक्षपात पूर्ण व्यवहार के शिकार हो रहे हैं। हम देखते हैं कि पुलिस की मनमानी आज भी चल रही है। उच्चवर्ग व शासन-वर्ग अपराध कर भी दे, तो वह बच जाता है या उसे बचा दिया जाता है। आज सज्जन व्यक्ति को समाज में अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। पुलिस का व्यवहार सामान्य आदमी के प्रति उपेक्षापूर्ण है। पुलिस जनता का नहीं अपना हित साधती है। आज समाज में जंगलराज है। जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाला सिद्धांत चल रहा है। पुलिस अधिकारियों के नाम अलग भले ही हों, पर काम एक जैसे ही हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
उत्तर:
आशय यह है जिस कुत्ते ने ख्यूक्रिन की उँगली काट खाई थी, उसे ख्यूक्रिन ने पकड़ लिया था। वह जोर-जोर से किकिया रहा था। ख्यूक्रिन ने उसे मारा भी था, इसलिए वह काँप रहा था। पकड़ लिए जाने से कुत्ता भावी संकट का अनुमान कर और भी आतंकित हो रहा था। यह सब उसकी आँखों में साफ़ तौर पर देखा जा सकता था।

प्रश्न 2.
कानून सम्मत तो यही है … कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर:
इसका आशय है कि जब येल्दीरीन ख्यूक्रिन को दोषी ठहराता है, तो ख्यूक्रिन अपने बचाव के लिए कानून की दुहाई देता है और निष्पक्षता की बात करता है कि कानून की दृष्टि में समाज के सभी लोग समान हैं। कानून किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करता अर्थात् वह ओचुमेलॉव से न्याय दिलाने की बात कहता है, जिसका वह हकदार है।

प्रश्न 3.
हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर:
ये सिपाही येल्दीरीन का कथन है जो देखता है कि काठगोदाम के पास भीड़ जमा है। एक आदमी चीखकर कहता है, “मत जाने दो।” एक कुत्ता किकिया रहा है और उसकी टाँग पकड़े ख्यूक्रिन चीख रहा है। यह दृश्य देख सिपाही अपने इंसपेक टर ओचुमेलॉव से कहता है कि कानून व्यवस्था भंग होने से लोग इस प्रकार इकट्ठे होकर शायद विद्रोह करना चाहते हैं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए-

  1. माँ ने पूछा बच्चो कहाँ जा रहे हो
  2. घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
  3. हाय राम यह क्या हो गया।
  4. रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
  5. सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मजा चखाता हूँ।

उत्तर:

  1. माँ ने पूछा- “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”
  2. घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
  3. हाय राम! यह क्या हो गया?
  4. रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।
  5. सिपाही ने कहा- “ठहर, तुझे अभी मजा चखाता हूँ।”

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए-

  • मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
  • यह तो अति सुंदर ‘डॉगी है।
  • कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।

वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं, जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है। कि किस बात पर बल दिया जा रहा है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात कहते हैं;
जैसे- ही, भी, तो, तक आदि।
ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए-
उत्तर: 

  1. मैं आज ही अलीगढ़ जाऊँगा।
  2. अब तुम भी कुछ करो।
  3. मैं जा तो रहा हूँ।
  4. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।
  5. तुम आज से ही पढ़ाई शुरू कर दो।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:

  1. उस भयानक जंगल में आदमी का नामो-निशान तक नहीं था।
  2. भारत में गरीबी के रेखा के नीचे जीने वाले नरक की जिंदगी जी रहे हैं
  3. हमें अपने बड़ों की बातें गाँठ बाँध लेनी चाहिए
  4. सिपाही ने चोर को पीटकर मजा चखाया
  5. लालबत्ती पर चौराहा पार करने वालों पर जुर्माना होना चाहिए।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
………….. + भाव        = …………..
………….. + पसंद      =  …………..
………….. + धारण      = …………..
………….. + उपस्थित  = …………..
………….. + लायक    = …………..
………….. + विश्वास    = …………..
………….. + परवाह    = …………..
………….. + कारण    = …………..
उत्तर:
            उपसर्ग                शब्द:

  1. अ + भाव           =  अभाव
  2. ना + पसंद         =  नापसंद
  3. निर् + धारण       =  निर्धारण
  4. अन् + उपस्थित  =  अनुपस्थित
  5. ना + लायक       =  नालायक
  6. अ + विश्वास       =  अविश्वास
  7. ला + परवाह      =  लापरवाह
  8. अ + कारण       =  अकारण

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-

  1. मदद   +  ……………..  = ……………..
  2. बुधि    +  ……………..  = ……………..
  3. गंभीर  +  ……………..  = ……………..
  4. सभ्य   +  ……………..  = ……………..
  5. ठंड     + ……………..  = ……………..
  6. प्रदर्शन + ……………..  = ……………..

उत्तर:

  1. मदद + गार = मददगार
  2. बुधि + हीन = बुधिहीन
  3. गंभीर + ता = गंभीरता
  4. सभ्य + ता = सभ्यता
  5. ठंड + क = ठंडक
  6. प्रदर्शन + ई = प्रदर्शनी

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-

  1. दुकानों में ऊँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
  2. लाल बालोंवाली एक सिपाही चला आ रहा था।
  3. यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है
  4. एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा है।

उत्तर:

  1. संज्ञा पदबंध
  2. विशेषण पदबंध
  3. क्रिया पदबंध
  4. क्रिया-विशेषण पदबंध

प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है, जिससे आने-जाने वाले लोगों को। असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
अधिकारी
दिल्ली नगर निगम
सेक्टर-22
रोहिणी दिल्ली-85

विषय : लावारिस कुत्तों से सुरक्षा के लिए पत्र
महोदय,
विनम्र अनुरोध यह है कि हमारे गाँव वेगमपुर में चार-पाँच कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। वे किसी भी चलते-फिरते व्यक्ति को काट लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि अपने प्राण बचाने के लिए लोगों को हॉस्पिटल जाकर इंजेकशन लगवाने पड़ते हैं। यह समस्या स्थाई-सी लग रही है। काफी दिनों से लोग कुत्तों को लेकर परेशान हैं। आपसे निवेदन है कि अतिशीघ्र कुत्तों के भय से जनता को भयमुक्त कराने के लिए प्रभावी प्रयास करें। विश्वास है कि आप हमारी सहायता करेंगे।

भवदीय
क०ख०ग
वेगमपुर
दिनांक…………..

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
जिस प्रकार गिरगिट शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार रंग बदल लेता है, उसी प्रकार कई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार, दृष्टिकोण, विचार को बदल लेते हैं। यही कारण है कि ऐसे व्यक्तियों को गिरगिट’ कहा जाता है।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 2.
अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना आप कहाँ तक उचित समझते हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
यहाँ आपने रूसी लेखक चेखव की कहानी पढ़ी है। अवसर मिले तो लियो ताल्स्ताय की कहानियाँ भी पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े किस नियम की चर्चा हुई है? क्या आप इस नियम को उचित मानते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
‘गिरगिट’ कहानी में आवारा पशुओं से जुड़े इस नियम की चर्चा हुई है कि आवारा कुत्ते या पशु सार्वजनिक स्थान पर नहीं छोड़ने चाहिए, क्योंकि इनसे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाती है। इनको छोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। उन्हें दंडित किया जाए या करवाया जाए। दंड मिलने के भय से लोग आवारा कुत्तों या पशुओं को नहीं छोड़ेगें। आवारा कुत्तों को उनके मालिकों को सुपुर्द कर देना चाहिए। ये आवारा कुत्ते या पशु किसी भी निर्दोष व्यक्ति को काट या मार सकते हैं। इनसे जनता की सुरक्षा बहुत आवश्यक है। इनसे रक्षा के लिए कानून बनना चाहिए तथा कानून का उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाए। हम इस नियम से पूरी तरह सहमत हैं कि कुत्ते या पशुओं के आवारा छोड़ने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाया जाए और नियम तोड़ने वालों को दंडित किया जाए ताकि आम आदमी की सुरक्षा की जा सके।

प्रश्न 2.
गिरगिट कहानी का कक्षा में या विद्यालय में मंचन कीजिए। मंचन के लिए आपको किस प्रकार की तैयारी और सामग्री की ज़रूरत होगी, उनकी एक सूची भी बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3 Nationalism in India

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3 Nationalism in India

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TEXTBOOK EXERCISES

Question 1.
Explain :

(a) Why the growth of nationalism in the colonies is linked to an anti-colonial movement?
(b) How the First World War helped in the growth of the National Movement in India?
(c) Why Indians were outraged by the Rowlatt Act?
(d) Why Gandhiji decided to withdraw this Non-Cooperation Movement?
Answer:
(a)

  1. In India, as in Vietnam and many other colonies, the growth of modem nationalism is intimately connected to the Anti-colonial Movement. People began discovering their unity in the process of their struggle with colonialism. The sense of being oppressed under colonialism provided a shared bond that tied many different groups together.
  2. The European powers considered their culture more civilised, modern, and superior. They forcefully started imposing their culture on the colonies. This also aroused the feeling of nationalism.
  3. Gandhiji used ‘Satyagraha’ against the Britishers. This also promoted the spirit of nationalism among the people.
  4. The anti-colonial movement was a united struggle by the people against foreigners. The united struggle was responsible for arousing the spirit of nationalism.

(b) The War created a new economic and political situation :

  1. It led to a huge increase in defence expenditure which was financed by war loans and increasing taxes, customs duties were raised, and income tax introduced.
  2. Through the war years, prices increased – doubling between 1913 and 1918 – leading to extreme hardships for the common people.
  3. Villagers were called upon to supply soldiers, and forced recruitment in rural areas caused widespread anger.

(c) 

  1. Rowlatt Act was passed through the Imperial Legislative Council on a report of the Sedition Committee, headed by Justice Rowlatt.
  2. It was the black act which gave the government and the police to repress political activities and allowed detention of political prisoners without tried for two years.
  3. The Act was passed despite the united opposition of the Indian members of the Council.
    This Act became one of the factors due to which Gandhiji launched the Non-Cooperation Movement.

(d) In February 1922, Gandhiji decided to withdraw the Non-Cooperation Movement due to the following reasons:

  1. The movement was turning violent. At Chauri-Chaura in Gorakhpur, a peaceful demonstration in a Bazar turned into a violent clash in which more than 20 policemen were killed.
  2. Gandhiji felt that the Safyagrahis needed to be properly trained before they would be ready for mass struggle.
  3. Within the Congress, some leaders were tired of mass struggles and wanted to participate in elections to the provincial councils, which were set up under the Government of India Act, 1919.
  4. Industrialists, workers, peasants etc. interpreted the term ‘Swaraj’ in their own way. At many places like that of Andhra Pradesh, leaders like Alluri Sitaram Raju asserted that India could be liberated only by the use of force. But their values were not approved by the Congress.

Question 2.
What is meant by the idea of Satyagraha ?
Answer:

  • It was a non-violent method of mass agitation against the Oppressor.
  • It emphasised the power of truth and the need to search the truth.
  • It suggested that if the cause was true if the struggle was against injustice, there is no need for physical force to fight the oppressor.
  • People-including the oppressors had to be persuaded to see the truth instead of being forced to accept truth through the use of violence.
  • By this struggle, the truth was bound to be victorious.

Question 3.
Write a newspaper report on :
(a) The Jallianwalla Bagh massacre.
(b) The Simon Commission.
Answer:
(a) The Jallianwala Bagh massacre :
Amritsar
13 April 1919
Today is Baisakhi day. The people of Punjab celebrate this day with pomp and show. The festival commemorates the establishment of the Khalsa panth or Sikh order by tenth Sikh Guru, Gobind Singh on Baisakhi Day on April 13, 1699. It also marks the start of the harvest season in Punjab and Haryana.

Today to celebrate Baisakhi a large crowd of non-violent protesters against the policy of the government along with pilgrims gathered in Jallianwala Bagh. There were thousands of men, women and children. People had come from the villages around Amritsar. It was a peaceful gathering and people were enjoying the festival.

General Dyer had imposed Martial Law in the city. However, it was not announced properly. People who had come from outside did not know about it.

The Bagh-space comprised 6 to 7 acres and was walled on all sides. General Dyer could not tolerate the gathering. He came with his troops and ordered them to fire on the crowd for ten minutes directing their bullets largely towards the gates through which people were trying to flee. The firing went on till the ammunition was exhausted. After the massacre, the wounded were left without medical help. The exact number of casualities is not known. It included people of all ages i.e., children, women, young and old. It is injustice with the people of Punjab.

(b) Simon Commission :
New Delhi,
15 January 1928
The new Tory government in Britain has appointed a Statutory Commission under Sir John Simon in response to the nationalist movement in India. The Commission will look into the functioning of the constitutional system in India and suggest changes. It is really strange that though object of the commission is to look into an -indian problem but no Indian has been appointed as its member. All the members were Britishers. This is gross injustice. Indians must raise their voice against it and resist the Commission at all levels so that the British government may include Indians in the Commission.

Question 4.
Compare the images of Bharat Mata in this chapter with the image of Germania in Chapter I.
Answer:
There are two images of Bharat Mata one by Abanindranath Tagore and the second by another artist. In the image by Tagore, Bharat Mata is portrayed as an ascetic figure. She has been shown as calm, composed, divine and spiritual. She is shown also as dispensing learning food and clothing. Abanindranath Tagore tried to develop a style of painting that could be seen as truly Indian.

In the second figure, Bharat Mata is shown with a trishul, standing beside a lion and an elephant both symbols of power and authority. This figure is a contrast to the one painted by Abanindranath Tagore. On the other hand, the image of Germania by Philip Veet wears a crown of oak leaves which stands for heroism. Thus, there is one similarity between Bharat Mata and Germania – both have an element of bravery i.e., power, authority, and heroism.

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 6 Work, Life and Leisure

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 6 Work, Life and Leisure

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TEXTBOOK EXERCISES

Question 1.
Give two reasons why the population of London expanded from the middle of the eighteenth century.
Answer:
(i) Industrialisation was the most important factor which attracted people to London.
(ii) The textile industry of London attracted a large number of migrants, fit The city of London attracted people from all walks of life like clerks, shopkeepers, soldiers, servants, labourers, beggars, etc.

Question 2.
What were the changes in the kind of work available to women in London between the nineteenth and the twentieth centuries?
Answer:
Earlier in the late eighteenth and early nineteenth centuries, women used to work in factories. But with technological developments, women gradually lost their industrial jobs and were forced to adopt the following types of jobs:

  1. They worked within households. Thus according to the 1861 census, there were a quarter of a million domestic servants in London of whom the vast majority were women. Many of them were recent migrants.
  2. A large number of women used their homes to increase family income by taking in lodgers or through such activities as tailoring, washing or matchbox making.
  3. There was a change once again in the twentieth century. Women got employment in war-time industries and offices. They withdrew from domestic service.

Question 3.
How does the existence of a large urban population affect each of the following? Illustrate with historical examples.
(a) A private landlord
(b) A Police Superintendent in charge of law and order
(c) A leader of a political party.
Answer:
(a) Effects of large urban population over a private landlord: As a result of industrialization, a large number of people from the rural areas moved to London, thereby increasing the population of London manifold. Such a situation created many problems for most of the residents of London.

However, some sections of the society, such as the private landlords stood to gain. They sold their land to the needy people a: very high rates. They built cheap tenements on their land, rented them to the poor workers, and amassed quite large sums of money as rents,

(b) Effects of large urban population on a police superintendent: A large urban population of London created many problems for the Police Superintendent, who was in charge of law and order

(i) The overcrowding of London led to the growth of crime in that city According to one estimate. there were about 20.000 criminals living in London in the 1870s. The presence of such a large number of criminals in London created a serious law and order problem for the Police Superintend.

(ii) When a fire in the slums burnt down many small tenements and killed many people, the police had a hard Time to control the situation.

(iii) Many movements of the workers for better wages, better housing facilities and Just voting rights meant a great headache for the police.

(c) Effects of a Large Urban Population on a Leader of a Political Party: A large City population was a great threat to the law and order of the city. The political parties could easily instigate such crowds to any agitation against the government. Most political movements of the 19th century, like the Chartist movement for the right to vote for every adult and 10 hours movement, etc., were the direct results of the overcrowding of London.

Question 4(a).
Give explanations for the following :
(а) Why well-off Londoners supported the need to build housing for the poor in the nineteenth century?
Answer:
(a) (i) Living in slums was very dangerous for the labourers. They lived upto an average age of 29 years as compared to the average life expectancy of 55 among the higher and the middle classes.
(ii) Such slums were not only harmful for the slum dwellers, but they were also a threat to the public health, and could easily lead to any epidemic,
(iii) Poor housing could prove a great fire hazard and could engulf other areas in the fire disaster.
(iv) Especially, after the Russian Revolution of 1917. it was felt that poor housing could lead to any social disaster, and could lead to rebellions by the poor slum dwellers.
(v) Lack of proper houses was also increasing the pollution level.

Question 4(b).
Why a number of Bombay films were about the lives of migrants?
Answer:
Most of the people in the film industry were themselves migrants who came from cities like Lahore, Calcutta, Madras and contributed to the national character of the industry. Those who came from Lahore, then in Punjab, were especially important for the development of the Hindi film industry. Many famous writers, like Ismat Chughtai and Saadat Hasan Manto, were associated with the Hindi cinema.

Question 4(c).
What led to the major expansion of Bombay’s population in the mid-nineteenth century?
Answer:
(c) (i) In 1819, Bombay became the capital of the Bombay Presidency. So it attracted more and more people towards the city.
(ii) With the growth of trade in cotton and opium, a large number of traders and bankers along with artisans and shopkeepers came to settle in Bombay or Mumbai.
(iii) As a result of the establishment of many industries along with the expansion of the cotton industry, more and more people migrated to Bombay from the neighbouring areas, especially from the nearby district of Ratnagiri.
(iv) Bombay dominated the maritime trade of India with the European countries.
(v) The introduction of railways, also encouraged a higher scale of migrants to this city.
(vi) Famine in the dry regions of Kutch drove a large number of people into Bombay or Mumbai.
(vii) When Bombay became the hub of Indian films, many new people—artists, dramatists, play writers, poets, singers, story writers flocked to this city despite its massive overcrowding.

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 2 The Nationalist Movement in Indo-China

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TEXTBOOK EXERCISES

Question 1.
Write a note on :
(a) What was meant by the ‘civilising mission’ of the colonisers ?
(b) Huynh Phu So.
Answer:
Like the British in India, the French claimed that they were bringing modem civilisation to the Vietnamese. They were of the opinion that Europe had developed the most advanced civilization. So it became the duty of the Europeans to introduce modem ideas in their colonies.
(i) They introduced modern education.
(ii) Tonkin Free Schools were opened to provide modern education.

Motive: The real motive behind this motion was to exploit the natural and human resources of Vietnam.
(b) Huynh Fhu So was a Buddhist religious scholar who was a native of the Mekong river delta.
His role in arousing the anti-imperialist sentiments :

  1. Founder of Hoa Hao Movement: Huynh Phu was the founder of the Hoa Hao Movement which drew on religious ideas popular in the anti-French uprisings of the nineteenth century.
  2. Social reformer: He was a great social reformer as he opposed the sale of child brides, gambling, and the use of alcohol and opium.
  3. Struggle against foreign rule: Huynh Phu So faced a great deal of trouble when he began to spread his ideas of religion because most of his followers were Vietnamese nationalists.
    The colonial government declared him mad, called him the Mad Bonze, and put him in a mental asylum. The French authorities exiled him to Laos and sent many of his followers to concentration camps.

Question 2.
Explain the following :

(a) Only one-third of the students in Vietnam would pass the school-leaving examinations.
(b) The French began building canals and draining lands in the Mekong delta.
(c) The government made the Saigon Native Girls School take back the students it had expelled.
(d) Rats were most common in the modern, newly built areas of Hanoi.
Answer:
(a)

  1. In the sphere of education, the elites in Vietnam were powerfully influenced by Chinese culture. To consolidate their power, the French had to counter this Chinese influence. So they systematically dismantled the national educational system and established French schools for the Vietnamese.
  2. However, in practice, only the Vietnamese elite that comprised a small fraction of the population could enroll in the schools and only one-third of the students would pass the school¬leaving examinations. This was done because of the deliberate policy of failing students, particularly in the final year.
  3. The Vietnamese students were failed so that they could not qualify for the better-paid jobs.
  4. The result of this policy was that in the year 1925, in a population of 17 million, there were less than 400 who passed the examination.

(b) Like other European countries, France too considered colonies necessary to supply natural resources and other essential goods. Thus, the French began building canals and draining lands in the Mekong delta to increase cultivation.

  1. A vast system of canals and earthworks was built mainly with forced labour.
  2. As a result of irrigation works, the rice production increased. Rice was exported to the international market.
  3. The area under rice cultivation went up from 2,74,000 hectares in 1873 to 1.1 million hectares in 1900 and 2.2 million in 1930.
  4. Vietnam by 1931 became the third largest exporter of the rice in the world and exported two-thirds of its rice production.

(c)

  1. Under the pretext of their ‘civilising mission’, the French used education as one way to ‘civilise’ the native people. School textbooks glorified the French and justified colonial rule.
    The Vietnamese were considered primitive and backward, capable of manual labour but not of intellectual reflection. They could work in the fields but not rule themselves.
  2. Such a system of education and its curriculum was sometimes opposed openly and at other times there was silent resistance. As an open protest, one incident took place in 1926 in the Saigon Native Girls School where the principal, a colon, (French people in the colonies) followed a policy of discrimination and asked a Vietnamese girl to move from front seat to the back of the class and allowed a French student to occupy the front seat. On her refusal to do so, she was expelled. When angry students protested, they were also expelled. This led to open protests. As the situation was getting out of control, the government made the school take back the students it had expelled. This incident shows that there was opposition to colonial education as well as their policy of discrimination by the Vietnamese.

(d) Rats were most common in the modern newly built areas of Hanoi. The circumstances leading to rats being common in the modern Hanoi were as mentioned below :

  1. When the French set about creating a modern Vietnam, they rebuilt Hanoi using latest ideas about architecture and engineering skills.
  2. The French part of Hanoi city was beautiful and clean with wide avenues and a well-laid-out sewer system.
  3. On the other hand, there were no such modern facilities in the other part i.e., ‘native quarter’ of Saigon.
  4. The refuse from this part of the city drained straight out into the river or, during heavy rains or floods, overflowed into the streets.
  5. Thus, what was installed to create a hygienic environment in the French city became the cause of the plague.
  6. The large sewers in the modern part of the city, a symbol of modernity, were ideal and protected breeding ground for rats.
  7. The sewers also served as a great transport system because these sewers allowed the rats to move around the city without any problem. A-a result of it, the rats began to enter the homes of the French through sewage pipes. Thus, rats became common in the modern newly built areas of Hanoi and led to spread of plague.

Question 3.
Describe the ideas behind the Tonkin Free School. To what extent was it a typical example of colonial ideas in Vietnam?
Answer

  1. Tonkin Free School was started in 1907 to provide a western-style education.
  2. This education included classes in science, hygiene, and French.
  3. According to the school’s approach it was not enough to learn science and western ideas but to be modem the Vietnamese had to also look modern.
  4. The school encouraged the adoption of western styles such as having a short haircut.

It was a typical example of colonial ideas in Vietnam because the school encouraged the adoption of western styles such as short haircut that was a major break with their own identity since they traditionally kept long hair. To underline the importance of a total change there was even a ‘haircutting chant’.

Question 4.
What was Phan Chu Trinh’s objective for Vietnam? How were his ideas different from those of Phan Boi Chau?
Answer:
(1)

  1. Phan Chu Trinh’s objective for Vietnam was to establish a democratic republic.
  2. He was intensely hostile to the monarchy and opposed to the idea of resisting the French with the help of the court.
  3. He accepted the French revolutionary ideal of liberty but charged the French for not abiding by the ideal.
  4. He demanded that the French set up legal and educational institutions and develop agriculture and industries.

(2) The differences between the ideas of Phan Boi Chau a Confucian scholar-activist educated in the Confucian tradition and Phan Chu Trinh were as given below :

Phan Boi Chau

  1. He advocated that first the foreign enemy should be driven out and after achieving independence, other things could be discussed.
  2. He was of the opinion that the monarchy should be used to achieve their objectives.
  3. He was not in favour of raising people to abolish the monarchy.

Phan Chu Trinh

  1. He wished to overthrow the monarchy in order to create a basis for the promotion of popular rights.
  2. He was absolutely against the monarchy. He was opposed to the idea of resisting the French with the help of the court.
    He wanted to establish a democratic republic. He was greatly influenced by the democratic ideals of the West. He accepted the French revolutionary ideal of liberty and demanded that the French set up legal and educational institutions and develop agriculture and industries.
  3. He planned to raise up the people to abolish the monarchy.

Thus, the visions of Vietnamese independence and other ideas of both Phan Boi Chau and Phan Chu Trinh were different and diametrically opposed. They were pursuing one and the same goal, but their means were considerably different.

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RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself

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Other Exercises

Question 1.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 1
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 2

Question 2.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 3
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 4

Question 3.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 5
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 6

Question 4.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 7
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 8

Question 5.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 9
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Question 6.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 11
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 12

Question 7.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 13
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 14

Question 8.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 15
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 16

Question 9.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 17
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 18

Question 10.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 19
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Test Yourself 20

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RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b

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Other Exercises

Question 1.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 1
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 2

Question 2.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 3
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 4

Question 3.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 5
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 6

Question 4.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 7
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 8

Question 5.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 9
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Question 6.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 11
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Question 7.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 13
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 14

Question 8.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 15
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Question 9.
Solution:
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 17
RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 18

Question 10.
Solution:
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RS Aggarwal Solutions Class 10 Chapter 13 Constructions Ex 13b 20

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