NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर:
तताँरा वामीरो की कथा उन द्वीपों की है जिन्हें आज लिटिल अंदमान और कार निकोबार के नाम से जाना जाता है। ये द्वीप कभी एक हुआ करते थे।

प्रश्न 2.
वामीरो अपनी गाना क्यों भूल गई?
उत्तर:
वामीरो अंदमान निकोबार दूद्वीपसमूह के एक दूसरे गाँव की रहने वाली युवती थी। वह सुंदर और मधुर गाती थी। जब वह समुद्र के किनारे गा रही थी, तो समुद्र की लहरें उसे भिगो गईं, जिससे वह हड़बड़ा गई और अपना गाना भूल गई।

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर:
तताँरा ने वामीरो से गाना पूरा करने और अगले दिन भी वहाँ आने की याचना की। इसके अलावा उसने उसका नाम भी जानना चाहा था।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर:
तताँरा और वामीरो के गाँव की यह रीति थी कि लड़का-लड़की का विवाह एक ही गाँव के होने पर ही हो सकता | था अर्थात् विवाह के लिए लड़का-लड़की का एक ही गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर:
क्रोध में आकर तताँरा ने अपनी दैवीय शक्ति युक्त तलवार निकाली और उसे जमीन में घोंपकर खींचने लगा, जिससे द्वीप दो भागों में बँट गया।

लिखित-

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर:
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का मत यह था कि तताँरा की तलवार में दैवीय शक्ति है, जिसकी मदद से वह साहसिक कारनामे किया करता है और सदा अपनी कमर में बाँधे रहता है।

प्रश्न 2.
वापरो ने ताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर:
जब समुद्र के किनारे बैठी वामीरो एक श्रृंगार-गीत गा रही थी, तभी अचानक एक सुंदर युवक तताँरा को सामने देखकर उसने अपना श्रृंगार-गीत बीच में रोक दिया, तो तताँरा ने इसका कारण पूछा और उससे बार-बार आग्रह करने लगा कि वह (वामीरो) गीत गाकर पूरा करे। इस असंगत प्रश्न के कारण ही वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से जवाब दिया कि पहले तताँरा बताए कि वह कौन है। वह उसे क्यों घूर रहा है और उससे असंगत प्रश्न क्यों कर रहा है? वह अपने गाँव के अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक को उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद निकोबार में यह परिवर्तन आया कि निकोबारी दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध बनाने लगे।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर:
निकोबार के लोग तताँरा को उसके बहुत-से गुणों के कारण पसंद करते थे। जैसे-तताँरा एक सुंदर तथा शक्तिशाली युवक था। वह एक नेक और मददगार व्यक्ति था, इसलिए सदैव दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। वह अपने गाँववालों की ही नहीं, बल्कि समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर:
निकोबार द्वीप समूह विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि कभी लिटिल अंडमान और कार निकोबार नामक द्वीप आपस में मिले हुए थे। द्वीप पर स्थित किसी गाँव के युवक-युवतियाँ अपने ही गाँव में वैवाहिक संबंध बनाते थे। यह उनकी परंपरा थी। पासा गाँव का तताँरा और लपाती गाँव की वामीरो ने परस्पर प्रेम किया तो लोगों ने तताँरा को अपमानित किया। क्रोधित तताँरा ने अपनी तलवार से धरती के दो टुकड़े किए और द्वीप समूह विभक्त हो गया।

प्रश्न 2.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के ग्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र किनारे गया। वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अलौकिक था-सूरज समुद्र से लगे क्षितिज तले डूबने को था तथा समुद्र से ठंडी बयारें आ रही थीं। लहरें संगीत सुना रही थीं। पक्षियों की सायंकालीन चहचहाहटें धीरे-धीरे कम हो रही थीं। सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र पर प्रतिबिंबित हो रही थीं। इस सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को तताँरा बालू पर बैठकर निहार रहा था।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के शांत जीवन में तूफ़ान-सा आ गया। तताँरा ने जब वामीरो को देखा तभी से वह अपनी सुध-बुध खो बैठा। वामीरो का सुरीले कंठ से निकला गीत उसे मदहोश बना रहा था। वामीरो को देखते ही पहले तो वह अपनी चेतना खो बैठा, जब वह चैतन्य हुआ तो वामीरो से कल फिर आने और नाम बताने की याचना करने लगा। अगले दिन से बेचैनीपूर्वक वामीरो की प्रतीक्षा करना ही उसका काम रह गया था।

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर:
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए ‘पशु-पर्व’ का आयोजन किया जाता था। इसमें हृष्ट-पुष्ट पशुओं के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति-परीक्षा प्रतियोगिता भी होती थी। सभी गाँवों के लोग इसमें हिस्सा लेते थे।
इस आयोजन में नृत्य-संगीत और भोजन का भी प्रबंध किया जाता था।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परंपराएँ जो सदियों से चली आ रही हैं, कालांतर में अपना स्वरूप खो बैठती हैं। वे बदलते समय की आवश्यकतानुसार प्रासंगिक नहीं रह जाती हैं। उनसे फ़ायदा कम हानि अधिक होने लगती है। ऐसे में ये परंपराएँ रूढ़ियाँ बनकर समाज के लिए बंधन सिद्ध होती हैं। ऐसी रूढ़ियों का टूट जाना ही अच्छा होता है। इसका कारण यह है कि मानव-विकास के लिए परंपराएँ बनाई और निभाई जाती हैं। मनुष्य इनसे बहुत ऊपर है, अतः मानव का अहित करने वाली रूढ़ियों का टूटना ही अच्छा है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर:
वामीरो की माँ और गाँववालों ने अकारण तताँरा को अपमानित किया और दूसरी ओर वामीरो भी रोए जा रही थी तो तताँरा से अपमान और दुख से उपजा क्रोध सहा न गया। उसने क्रोध शमन कर पाने का कोई उपाय न देखकर अपनी विलक्षण तलवार निकाली और पूरी शक्ति से धरती में घोंप कर यह दर्शाना चाहा कि वह अपना सारा क्रोध धरती के हवाले कर दे रहा है। इससे धरती में दरार पड़ गई और द्वीप समूह दो भागों में बँट गया।

प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी, जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि वामीरो को पहली बार देखते ही तताँरा विचलित हो उठा था और उसकी चेतना लुप्त-सी हो गई थी। उसके शांत और गंभीर जीवन में पहली बार ऐसा हुआ था इसलिए वह अचंभित और रोमांचित था। इसी कारण उसे वामीरो से मिलने की प्रतीक्षा बहुत भारी लग रही थी। साथ ही उसके भीतर एक आशंका भी दौड़ रही थी कि वामीरो उससे मिलने आती भी है या नहीं। परंतु साथ ही आशा की एक किरण भी थी, जो उसी प्रकार समाप्त हो सकती थी, जिस प्रकार सूर्य के अस्त होने पर सूर्य की । किरणें समाप्त हो जाती हैं। वामीरो के ने आने पर आशा निराशा में भी बदल सकती थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए कोष्ठक में  (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार का है-
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।                                (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ख) तुमने एकाएक इतनी मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया?    (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी।                                (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम?                             (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है।                                          (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा।                                          (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर:
(क) विधानवाचक वाक्य
(ख) प्रश्नवाचक वाक्य
(ग) विधानवाचक वाक्य
(घ) प्रश्नवाचक वाक्य
(ङ) विस्मयादिबोधक वाक्य
(च) विधानवाचक वाक्य

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर:
मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग-
(क) तताँरा वामीरो को देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठा
(ख) तताँरा वामीरो की बाट जोहता रहा
(ग) वामीरो को देखकर तताँरा की खुशी का ठिकाना न रहा
(घ) तताँरा के प्रश्न पर वामीरो आग बबूला हो उठी
(ङ) हमें अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
          शब्द              मूल शब्द             प्रत्यय

  1. चर्चित            ……………….           ………………..
  2. साहसिक        ……………….           ……………….
  3. छटपटाहट      ……………….           ……………….
  4. शब्दहीन         ……………….           ……………….

उत्तर:
         शब्द            मूल शब्द               प्रत्यय

  1.  चर्चा             चर्चित                     इत
  2. साहसिक       साहस                     इक
  3. छटपटाहट     छटपटाना               आहट
  4. शब्दहीन        शब्द                      हीन

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए

  1. ……………… + आकर्षक =  ………………
  2. ……………… + ज्ञात        =  ………………
  3. ……………… + कोमल    =  ………………
  4. ……………… + होश       =  ………………
  5. ……………… + घटना     =  ………………

उत्तर:
उचित उपसर्ग लगाकर बने शब्द-

  1. अन + आकर्षक  = अनाकर्षक
  2. अ + ज्ञात           = अज्ञात
  3. सु + कोमल        = सुकोमल
  4. बे + होश           = बेहोश
  5. दुर् + घटना        = दुर्घटना

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
(क) मेरे जीवन में पहली बार ऐसा हुआ कि मैं इस तरह विचलित हुआ।
(ख) वह फिर तेज़ कदमों से चली और तताँरा के सामने ठिठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी।
(ङ) दोनों को एक ही गाँव का होना था क्योंकि गाँव की यह रीति थी।

प्रश्न 6.
नीचे दिए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए
(क) पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (अन्य के अर्थ में) ।
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई… कुछ और… कुछ और… (क्रमशः धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-

  1. भय,
  2. मधुर,
  3. सभ्य,
  4. मूक,
  5. तरल,
  6. उपस्थिति,
  7. सुखद।

उत्तर:

  1. भय-निर्भय (अभय),
  2. मधुर-कटु,
  3. सभ्य-असभ्य,
  4. मूक-वाचाल,
  5. तरल-ठोस,
  6. उपस्थिति–अनुपस्थिति,
  7. सुखद-दुखद।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

  1. समुद्र,
  2. आँख,
  3. दिन,
  4. अंधेरा,
  5. मुक्त।

उत्तर:

  1. समुद्र – सागर, सिंधु ।
  2. आँख – नेत्र, लोचन।
  3. दिन – वासर, वार।।
  4. अंधेरा – अंधकार, तम।
  5. मुक्त – आज़ाद, स्वतंत्र।

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

  1. किंकर्तव्यविमूढ़,
  2. विह्वल,
  3. भयाकुल,
  4. याचक,
  5. आकंठ।

उत्तर:

  1. शेर को अचानक सामने देखकर मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
  2. अपने बच्चे के खो जाने की खबर सुनकर माँ विह्वल हो गई।
  3. आतंकवादियों को देखकर मैं भयाकुल हो गया।
  4. हम सभी ईश्वर के आगे याचक की तरह हैं।
  5. मैं एक दिन आकंठ नदी में डूब गया।

प्रश्न 10.
किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और उबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर:

  • आँचरहित
  • एक
  • ठंडा
  • उबाऊ

तीन विशेषण-एक बार उष्णता रहित, बर्फीला और बड़ा दिन भी आया।

  1. उष्णता रहित,
  2. बर्फीला,
  3. बड़ा।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 1
इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 2
उत्तर

  1. आँखें केंद्रित करना – उसने पिक्चर पर अपनी आँखें केंद्रित कर लीं।
  2. नज़र पड़ना – रास्ता चलते एक भिखारिन पर मेरी नजर पड़ी।
  3. ताकना – कनखियों से मेरी तरफ क्या ताक रहे हो?
  4. घूरना – तुम क्रोध से मुझे क्यों घूर रहे हो।
  5. निहारना – माँ अपने बेटे को बार-बार प्यार से निहार रही थी।
  6. निर्निमेष ताकना – उस लड़की को तुम निर्निमेष क्यों ताक रहे हो।

‘बोलना’ के वाक्य प्रयोग-
कहना – तुम क्या कहना चाहते हो?
वाक् – मैं उसकी वाक्पटुता से प्रभावित हुई।
कथन – इस कथन की समीक्षा कीजिए।

प्रश्न 12.
वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए

  1. उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
  2. तताँरा को मानो कुछ होश आया
  3. वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
  4. तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
  5. उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूंढ़ने में व्यस्त थीं।

उत्तर:
पदबंधों के प्रकार-

  1. विशेषण पदबंध
  2. क्रिया पदबंध
  3. क्रियाविशेषण पदबंध
  4. संज्ञा पदबंध
  5. संज्ञा पदबंध

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत के नक्शे में अंदमान निकोबार द्वीपसमूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
अंदमान निकोबार द्वीपसमूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीपसमूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया? [CBSE 2012]
उत्तर:
द्विवेदी जी ने निम्नलिखित तर्क देकर पुरातनपंथियों के तर्को को नकारा और स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया

  1. स्त्रियों का नाटकों में प्राकृत बोलना उनके अनपढ़ होने का प्रमाण नहीं है। उन दिनों कुछ ही लोग संस्कृत बोल पाते थे। शेष शिक्षित और अशिक्षित दोनों प्राकृत बोलते थे। प्राकृत में तो सारा बौद्ध जैन साहित्य लिखा गया है। हमारी आज की हिंदी, गुजराती आदि भाषाएँ भी आज की प्राकृतें हैं। इसलिए प्राकृत भाषा बोलना अनपढ़ होने का प्रमाण बिल्कुल नहीं
  2.  यद्यपि आ स्त्री-शिक्षा होने के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, किंतु वे खो भी सकते हैं। अतः पर्याप्त प्रमाणों के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता कि प्राचीन समय में स्त्री-शिक्षा नहीं थी।
  3.  भारत में वेद-मंत्र लिखने से लेकर तर्क, व्याख्यान और शास्त्रार्थ करने वाली सुशिक्षित नारियाँ हुई हैं। अतः प्राचीन नारी को शिक्षा से वंचित नहीं कहा जा सकता।
  4.  शकुंतला का दुष्यंत को कटु वचन कहना उसकी अशिक्षा का परिणाम नहीं था, उसका स्वाभाविक क्रोध था। |

प्रश्न 2.
स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’-कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए। [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
द्विवेदी जी ने कुतर्कवादियों की स्त्री-शिक्षा विरोधी दलीलों का जोरदार खंडन किया है। उन्होंने कहा कि यदि स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं तो पुरुषों को पढ़ाने से भी अनर्थ होते होंगे। यदि पढ़ाई को अनर्थ का कारण माना जाए। तो सुशिक्षित पुरुषों द्वारा किए जाने वाले सारे अनर्थ भी पढ़ाई के दुष्परिणाम माने जाने चाहिए। अतः उनके भी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए जाने चाहिए।
द्विवेदी जी ने दूसरा तर्क यह दिया कि शकुंतला ने दुष्यंत को कुवचन कहे। ये कुवचन उसकी शिक्षा के परिणाम नहीं थे, बल्कि उसका स्वाभाविक क्रोध था।
तीसरा तर्क व्यंग्यपूर्ण है-‘स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरुषों के लिए पीयूष का बँट! ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतों के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़ रखकर भारत का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।’

प्रश्न 3.
द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतर्को का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है- जैसे-‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तों, न वे पूजनीय पुरुषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए।
उत्तर:
इस निबंध में निम्नलिखित अंश व्यंग्यात्मक हैंवाल्मीकि रामायण के तो बंदर तक संस्कृत बोलते हैं। बंदर संस्कृत बोल सकते थे, स्त्रियाँ न बोल सकती थीं।
x x x
जिन पंडितों ने गाथा-सप्तशती, सेतुबंध महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और आँवार थे तो हिंदी के प्रसिद्ध से प्रसिद्ध अखबार का संपादक इस जमाने में अपढ़ और गॅवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अखबार लिखता है।
XXX
पुराणादि में विमानों और जहाजों द्वारा की गई यात्राओं के हवाले देखकर उनको अस्तित्व तो हम बड़े गर्व से स्वीकार करते हैं, परंतु पुराने ग्रंथों में अनेक प्रगल्भ पंडितों के नामोल्लेख देखकर भी कुछ लोग भारत की तत्कालीन स्त्रियों को मूर्ख अपढ़ और गॅवार बताते हैं। इस तर्कशास्त्रज्ञता और इस न्यायशीलता की बलिहारी! वेदों को प्रायः सभी हिंदू ईश्वर-कृत मानते हैं। सो ईश्वर तो वेद-मंत्रों की रचना अथवा उनका दर्शन विश्ववरा आदि स्त्रियों से करावे और हमें उन्हें ककहरा पढ़ाना भी पाप समझें।
XXX
अत्रि की पत्नी पत्नी-धर्म ……………… भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।
X X X
पुराने ढंग के पक्के सनातन-धर्मावलंबियों ::::::::::: गई-बीती समझी जानी चाहिए।
X X X
परंतु विक्षिप्तों, बात व्यथितों और ग्रहग्रस्तों के सिवा ऐसी दलीलें पेश करने वाले बहुत ही कम मिलेंगे। शकुंतला ने दुष्यंत को कटु वाक्य कहकर कौन-सी अस्वाभाविकता दिखाई? क्या वह यह कहती कि-“आर्यपुत्र; शाबास! बड़ा अच्छा काम किया जो मेरे साथ गांधर्व-विवाह करके मुकर गए। नीति, न्याय, सदाचार और धर्म की आप प्रत्यक्ष मूर्ति हैं।”

प्रश्न 4.
पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है-पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [Imp.] [CBSE 2012; CBSE 2008 C]
उत्तर:
पुराने समय में स्त्रियों के प्राकृत भाषा में बोलने के प्रमाण मिलते हैं। परंतु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि प्राकृत भाषा अनपढों की भाषा थी। वास्तव में प्राकृत अपने समय की बोलचाल की प्रचलित भाषा थी। जिस प्रकार आज हिंदी, बांग्ला आदि प्राकृत भाषाएँ हैं। अतः प्राकृत भाषा में बोलने के कारण महिलाओं को अनपढ़ कहने की भूल नहीं की जा सकती।

प्रश्न 5.
परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों-तर्क सहित उत्तरे दीजिए। [Imp.]
उत्तर:
हमारी परंपरा बहुत लंबी है। उसकी सभी बातें आज अफ्माने-योग्य नहीं हैं। प्राचीन समय में कुछ बातें स्त्री-पुरुष में अंतर करके उनका पुस : युग है। आज लिप-दीकार्य नहीं है। अत: हमें अस्प में उन्हीं बातों को स्वीकार करना चाहिए जो स्त्री-पुरुष की समानता को बढ़ाती हों। तभी हमारा समाज उन्नति कर सकेगा।

प्रश्न 6.
तब की शिक्षा-प्रणाली और अब की शिक्षा-प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें। [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
तब की शिक्षा-प्रणाली में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित किया जाता था। शिक्षा गुरुओं के आश्रमों और मंदिरों में दी जाती थी। कुमारियों को नृत्य, गान, श्रृंगार आदि की विद्या दी जाती थी। आज की शिक्षा प्रणाली में नर-नारी-भेद नहीं किया जाता। लड़कियाँ भी वही विषय पढ़ती हैं, जो कि लड़के पढ़ते हैं। उनकी कक्षाएँ साथ-साथ लगती हैं। पहले सहशिक्षा का प्रचलन नहीं था। आज सहशिक्षा में पढ़ना फैशन बन गया है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनको दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे? [Imp.]
उत्तर:
महावीर प्रसाद द्विवेदी खुली सोच वाले निबंधकार थे। उनके युग में स्त्रियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जाता था। पुरुष-वर्ग उन पर मनमाने अत्याचार करता था। द्विवेदी जी इस अत्याचार के विरुद्ध थे। वे लिंग-भेद के कारण स्त्रियों को हीन समझने के विरुद्ध थे। इसलिए उन्होंने अपने निबंधों में उनकी स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने पुरातनपंथियों की एक-एक बात को सशक्त तर्क से काटा। जहाँ व्यंग्य करने की जरूरत पड़ी, उन पर व्यंग्य किया। वे चाहते थे कि भविष्य में नारी-शिक्षा का युग शुरू हो। उनकी यह सोच दूरगामी थी। वे युग को बदलने की क्षमता रखते थे। उनके प्रयास रंग लाए। आज नारियाँ पुरुषों से भी अधिक बढ़-चढ़ गई हैं। वे शिक्षा के हर क्षेत्र में पुरुषों पर हावी हैं।

प्रश्न 8.
द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
द्विवेदी जी अपने समय के भाषा-सुधारक थे। उन्होंने अमानक और अशुद्ध हिंदी को शुद्ध करने का प्रयास किया। इस निबंध में तत्कालीन संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के दर्शन होते हैं। द्विवेदी जी ने संस्कृत के साथ-साथ उर्दू के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग किया है।

उदाहरणतया

विद्यमान, प्रमाणित, सुशिक्षित (संस्कृत शब्द)
अपढ़, गॅवार, बात, पुराना (तद्भव शब्द)
मुश्किल, बरबाद, दलील, जमाना (उर्दू शब्द)
तिस, जावे, सो, करावे, आवे (पुराने प्रयोग)
कॉलेज, स्कूल, (अंग्रेज़ी शब्द)
द्विवेदी जी का मत था कि हमें जनप्रचलित शब्दों को स्वीकार करना चाहिए। हाँ, वे शब्द व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होने चाहिए। उनका मनमाना प्रयोग नहीं होना चाहिए। इस निबंध में द्विवेदीकालीन पुराने प्रयोग भी साफ़ दिखाई देते हैं। जैसे-करावे, आवे, सो आदि।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों-चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल।
उत्तर:
चाल-यदि जमाने की चाल बदलना चाहते हो तो चालबाज़ी छोड़ो।
दल-इस चुनाव में जनता के रोष ने सभी राजनीतिक दलों के इरादों को दल कर रख दिया। पत्र-आज के समाचार-पत्र में मेरा पत्र छपा है। हरा-हमारे खिलाड़ियों ने हरे मैदान पर हर टीम को हरा दिया। पर-पक्षी तो पकड़ा गया, पर उसके पर सुरक्षित नहीं रहे। फल-अधिक फल खाने का फल भी अच्छा नहीं होगा। कुल-हमारे कुल में सब लोगों के कुल अंक 70% से अधिक रहे हैं।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
अपनी दादी, नानी और माँ से बातचीत कीजिए और ( स्त्री-शिक्षा संबंधी) उस समय की स्थितियों का पता लगाइए और अपनी स्थितियों से तुलना करते हुए निबंध लिखिए। चाहें तो उसके साथ तसवीरें भी चिपकाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न
लड़कियों की शिक्षा के प्रति परिवार और समाज में जागरूकता आए-इसके लिए आप क्या-क्या करेंगे?
उत्तर:
मैं लड़कियों के साथ बिना भेदभाव बरते उन्हें पढ़ाने की वकालत करूंगा। जो सहायता मुझसे बन पड़ेगी, करूंगा। स्त्री शिक्षा पर एक पोस्टर तैयार कीजिए। उत्तर-छात्र स्वयं करें।

प्रश्न
स्त्री-शिक्षा पर एक नुक्कड़ नाटक तैयार कर उसे प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 8 कन्यादान

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
अथवा
ऋतुराज की ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर बताइए कि आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा-‘लड़की होना, पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।’ [CBSE 2008] |
उत्तर:
माँ चाहती है कि उसकी लडकी स्वभाव से सरल, भोली और कोमल बनी रहे। वह दुनियादारों जैसी स्वार्थी, चालाक और झगड़ालू न बने। परंतु साथ ही वह उसे शोषण से भी बचाना चाहती है। वह चाहती है कि उसके ससुराल वाले उसकी सरलता का गलत फायदा न उठाएँ, उस पर अत्याचार न करें। इसलिए वह कहती है कि उसकी लड़की लड़की तो बने किंतु लड़की जैसी दिखाई न दे।

प्रश्न 2.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।
जलने के लिए नहीं’
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों ज़रूरी समझा?
उत्तर:
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की दशा के बारे में दो बातें बताई गई हैं

  1.  वह ससुराल में घर-गृहस्थी का काम सँभालती है। घर-भर के लिए रोटियाँ पकाती है।
  2. काम में खटने के बावजूद उस पर अत्याचार किए जाते हैं। कई बार उसे जला डाला जाता है।

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना जरूरी इसलिए समझा क्योंकि सभी लड़कियाँ शादी के समय खुशहाली के सपने देखती हैं। परंतु वे सभी सपने झूठे सिद्ध होते हैं। वास्तव में बहुओं को प्यार के नाम पर घर-गृहस्थी के कठोर बंधनों में बाँधा जाता है। यदि वह इससे इनकार करे तो उसे जला भी दिया जाता है। परंतु विवाह के समय भोली कन्या को इस दुर्दशा का अहसास नहीं होता। इसलिए वह उससे बचने का कोई उपाय भी नहीं करती।

प्रश्न 3.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की ।
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर:
इन पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में एक ऐसी लड़की की छवि उभरती है जो विवाह के काल्पनिक सुखों में मग्न है। वह सोच रही है कि वह सज-धजकर ससुराल में जाएगी। उसके पति उस पर रीझेंगे, उसे प्यार करेंगे। सास-ससुर और अन्य मित्र-बंधु उसे पलकों पर बिठा लेंगे। वह नाज-नखरों से रहेगी। सब लोग उसकी प्रशंसा करेंगे तो वह कितनी सुखी
होगी। जब वह नए-नए कपड़े और गहने पहनेगी तो सबकी आँखों में प्रशंसा का भाव होगा। इस प्रकार ससुराल में उसका जीवन मधुर होगा, संगीतमय होगा। उसे घर-गृहस्थी के सारे काम निपटाने पड़ेंगे, चूल्हा-चौका करना पड़ेगा इसकी तो वह कल्पना भी नहीं करती।

प्रश्न 4.
माँ को अपनी बेटी ‘अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही थी? [Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
माँ अपने सुख-दुख को, विशेषकर नारी-जीवन के दुखों को अपनी माँ, बहन या बेटी के साथ बाँट सकती है। शादी से पहले माँ और बहनें उसकी पूँजी थीं। वह उनके साथ बातें कर सकती थी, सलाह ले-दे सकती थी। परंतु अब उसके पास बेटी ही एक मात्र पूँजी है। कन्यादान के बाद वह भी ससुराल चली जाएगी तो वह बिल्कुल अकेली रह जाएगी।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी? [Imp.][CBSE2012; A.I. CBSE 2008; A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
माँ ने बेटी को निम्नलिखित सीख दी

  • कभी अपनी सुंदरता और उसकी प्रशंसा पर न रीझना।
  • घर-गृहस्थी के सामान्य कार्य तो करना, किंतु अत्याचार न सहना।
  • कपड़ों और गहनों के बदले अपनी आज़ादी न बेचना, अपना व्यक्तित्व न खोना।
  • अपनी सरलता और भोलेपन को इस तरह प्रकट न करना कि लोग उसका गलत ढंग से लाभ उठाएँ।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
अथवा
‘कन्यादान’ शब्द द्वारा वर्तमान समय में कन्या के दान की बात करना कहाँ तक उचित है? [CBSE 2012, 2008]
उत्तर:
कन्या के साथ ‘दान करना’ शब्द-प्रयोग सम्मान-बोधक नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि मानो कन्या कोई वस्तु है जिसे दान किया जा सकता है। मानो कन्या बेजान है, व्यक्तित्वहीन है। उसकी अपनी कोई इच्छा ही नहीं है। इस शब्द-प्रयोग। से ऐसा भी लगता है मानो कन्यादान करने के बाद कन्या के माता-पिता के साथ उसका कोई संबंध न रहा हो। वह पराई हो गई हो। इस प्रकार ये रोनों ही अर्थ अनुचित हैं।।
कन्यादान का दूसरा पक्ष भी है। भारत में दान की बड़ी महिमा है। दान वही श्रेष्ठ माना जाता है, जो दिया जाने योग्य हो, जो मूल्यवान और श्रेष्ठ हो। इसके लिए दान का योग्य पात्र भी देखा जाता है। किसी योग्य पात्र को दी जाने वाली वस्तु दान करने से दानदाता स्वयं को धन्य मानता है। इस दृष्टि से कन्यादान मनुष्य द्वारा दिया गया श्रेष्ठतम दान माना जाता है। जब व्यक्ति श्रेष्ठ संस्कारों से पाली गई अपनी कन्या को उसके ससुराल वालों को सौंपता है तो वह धन्य हो जाता है। वहाँ कन्यादान करना सर्वोत्तम माना जाता है।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है-इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
यह बात सच है कि स्त्री की सुंदरता को महत्त्व देकर उसे बंधन में बाँधा जाता है। यदि किसी नारी को वश में करना है तो उसकी प्रशंसा करो। विशेष रूप से, उसकी सुंदरता की प्रशंसा करो। वह मुग्ध हो जाएगी। वह न चाहते हुए भी मर मिटेगी। इसलिए फिल्मों में सारे नायक नायिकाओं के रूप-सौंदर्य के दीवाने हुए फिरते हैं। हम देखते हैं कि अपनी प्रशंसा सुनकर लड़कियाँ दीवानी हो जाती हैं। जब वे सौंदर्य-जाल में फँस जाती हैं तो वही नायक कठोर पति बनकर उनसे हर प्रिय-अप्रिय काम करवाते हैं। तब नायिका को बोध होता है कि उसका सौंदर्य-वर्णन मात्र एक छलावा था। वास्तव में तो वह एक सामान्य नारी है। जो नारी इतना भी नहीं समझ पाती, वह जीवन-भर सजती-सँवरती रहती है और समाज की प्रशंसा पाने के लिए अपने व्यक्तित्व को खो देती है। इसके विपरीत जो नारियाँ अपनी इस कमज़ोरी को समझ लेती हैं, वे पुरुषों के बहकावे में नहीं आतीं। वे शारीरिक सौंदर्य की परिधि को पार करके अपने मन और आत्मा की तृप्ति के लिए जीती हैं। वे शिक्षा, व्यवसाय या अध्यात्म के क्षेत्र में नाम कमा जाती हैं।

प्रश्न
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है?
मैं लौटॅगी नहीं।
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटुंगी नहीं |
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं।
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं।
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ
जो पहले थी मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ।
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूगी नहीं
उत्तर:
इस कविता का सीधा संबंध कन्यादान नामक कविता से है। कन्यादान की कन्या भोली है। वह सौंदर्य के जाल में बँधी हुई है। वह अपनी गुलामी के कारणों से अनजान है। इसलिए अबोध है। वह नहीं जानती कि सोने के आभूषण उसे पुरुष का गुलाम बनाते हैं।
‘मैं लौटॅगी नहीं’ की कन्या जागरूक हो उठी है। उसने जान लिया है कि सोने की जंजीरें उसके लिए बंधन हैं। इसलिए उसने सब गहने तोड़ डाले हैं। उसने अपनी कमजोरी को, अपने लक्ष्य को तथा दिशा को समझ लिया है। इस प्रकार ‘मैं लौटॅगी नहीं’ की कन्या कन्यादान’ की कन्या का जाग्रत रूप है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर:
कवि अपने आराध्य प्रभु से यह प्रार्थना कर रहा है कि हे प्रभु! तुम दुख से मत उबारो, मेरे कष्ट मत दूर करो बल्कि उन दुख और कष्टों को सहने की शक्ति प्रदान कीजिए। कवि अपने प्रभु से शक्ति और साहस चाहता है ताकि जीवन में दुखों और कष्टों से जूझ सके तथा उनसे हारे बिना आगे बढ़ता रहे। उसे दुख हरनेवाला या सहायता करनेवाला नहीं, आत्मबल और पुरुषार्थ माँग रहा है ताकि वह प्रभु पर अटूट विश्वास बनाए रख सके।

प्रश्न 2.
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं- कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि हे प्रभु! चाहे मुझे आप दुखों, मुसीबतों और कठिनाइयों से भले ही न बचाओ। जब मेरा चित्त मुसीबतों तथा दुखों से बेचैन हो जाए, तो भले सांत्वना भी मत दो। पर हे प्रभु! बस आप इतनी कृपा अवश्य करना कि मैं मुसीबत तथा दुखों से घबराऊँ नहीं, बल्कि आत्म-विश्वास के साथ निर्भीक होकर हर परिस्थिति का सामना करने का साहस मुझ में आ जाए।

प्रश्न 3.
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर:
मानव-जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। सुख के पल मनुष्य आसानी से बिता लेता है परंतु दुख में ईश्वर का स्मरण करते हुए सहायता माँगता है। कवि जीवन की दुख रूपी रात्रि में कोई सहायक न मिलने पर भी ईश्वर के प्रति संदेह नहीं करना चाहता है। वह प्रभु से प्रार्थना करता है कि दुख की इस घड़ी में उसका बल-पौरुष बना रहे जिससे वह दुख से संघर्ष करते हुए उसे जीत सके।

प्रश्न 4.
अंत में कवि क्या अनुनय करता है?
उत्तर:
अंत में कवि यह अनुनय करता है कि वह जीवन रूपी अपना भार स्वयं ही वहन कर सके। वह सुख के समय में भी प्रभु को निरंतर याद करना चाहता है। वह ईश्वर की शक्ति, करुणा पर कभी भी संशय नहीं करना चाहता, अपितु वह तो ईश्वर से केवल जीवन में निर्भयता तथा विपत्तियों के बोझ को वहन करने की क्षमता चाहता है।

प्रश्न 5.
‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ शीर्षक अपने में पूरी तरह सार्थकता समाए हुए है। आत्म-स्वयं या खुद और त्राण-रक्षा करना अर्थात् अपनी रक्षा करना। कविता के कथ्य से ज्ञात होता है कि कवि दुख और मुसीबतों से बचने या उन्हें दूर करने के लिए ईश्वर की मदद नहीं चाहता है न वह इस कार्य के लिए याद करता है। वह प्रभु से आत्मबल, साहस, पौरुष मांगता है जिनकी सहायता से वह स्वयं दुख और मुसीबत का सामना कर सके। अपनी रक्षा खुद करने का भाव समेटे हुए यह शीर्षक पूरी तरह से सार्थक है।

प्रश्न 6.
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।
उत्तर:
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम प्रार्थना के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रयास करते हैं

  1. हम जीवन में सफलता पाने की इच्छा की पूर्ति हेतु कठिन परिश्रम तथा लगन से काम करते हैं।
  2. हम जीवन में आने वाले संघर्षों, रुकावटों का क्षमतानुसार सामना करते हैं।
  3. अपनी आत्मिक और शारीरिक शक्ति के बल पर जीवन को नई दिशा देने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 7.
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना-गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर:
निस्संदेह कवि की यह प्रार्थना मुझे अन्य प्रार्थनाओं से पूरी तरह अलग लगती है। जन सामान्य अपनी प्रार्थना में जहां अपने संकट, कष्ट, दुख, मुसीबत आदि दूर करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं तथा अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए सुख-सुविधाओं की माँग करते हैं, वहीं कवि ने इनसे अलग प्रार्थना में अपनी इच्छा प्रकट की है। वह अपने प्रभु से साहस, बल और पौरुष माँगता है ताकि दुखों का सामना कर सके और उस पर विजय पा सके। वह सुख में भी प्रभु को न भूलने तथा उन पर सदैव विश्वास बनाए रखने की प्रार्थना करता है। इसके कवि की प्रार्थना में दैन्य भाव न होकर विनय भाव है जिससे यह कविता अन्य कविताओं से अलग लगती है।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
नत शिर होकर सुख के दिन में तव मुख पहचानँ छिन-छिन में।
उत्तर:
भाव यह है कि कवि जिस तरह अपने प्रभु को दुख में याद करता है उसी तरह वह सुख के समय भी याद रखना चाहता है। वह प्रार्थना करता है कि प्रभु! सुख के दिनों में भी सिर झुकाकर वह पल-पल अपने प्रभु का चेहरा देखता रहे। अर्थात् दुख-सुख दोनों ही दशाओं में अपने प्रभु को याद रखे।

प्रश्न 2.
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही। तो भी मन में ना मानें क्षय।
उत्तर:
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहा है कि मुझे इस संसार में चाहे कितनी भी हानि उठानी पड़े तथा किसी का साथ प्राप्त होने की जगह बेशक धोखा ही मिले, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी मेरा आत्मबल और आत्मविश्वास डगमगाए नहीं तथा मैं किसी प्रकार का दुख न मानें, किसी भी तरह से घबराऊँ नहीं, बल्कि हर परिस्थिति का सहर्ष सामना करूं। उसका मनोबल उसे सभी परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत दे।

प्रश्न 3.
तरने की हो शक्ति अनामय मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर:
भाव यह है कि कवि जब दुख के सागर में घिरा हो, परिस्थितियाँ विपरीत हों तब भी उसके प्रभु दुखों को भले ही कम न करें या दुख कम करने की सांत्वना भले ही न दें, पर वहे प्रभु से साहस और शक्ति ज़रूर चाहता है जिसके सहारे वह दुखों से जूझ सके और उन पर विजय पा सके।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीतों की रचना की है। उनके गीत-संग्रह में से दो गीत छाँटिए और कक्षा में कविता-पाठ कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
अनेक अन्य कवियों ने भी प्रार्थना गीत लिखे हैं, उन्हें पढ़ने का प्रयास कीजिए; जैसे
(क) महादेवी वर्मा-क्या पूजा क्या अर्चन रे!
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला-दलित जन पर करो करुणा।
(ग) इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमज़ोर हो न हम चलें नेक रस्ते पर हम से भूल कर भी कोई भूल हो न इस प्रार्थना को ढूँढ़कर पूरा पढ़िए और समझिए कि दोनों प्रार्थनाओं में क्या समानता है? क्या आपको दोनों में कोई अंतर भी प्रतीत होता है? इस पर आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
रवींद्रनाथ ठाकुर को नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त है। उनके विषय में और जानकारी एकत्र पर परियोजना पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
रवींद्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 3.
रवींद्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता (कोलकाता) के निकट एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। पुस्तकालय की मदद से उसके विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीत लिखे, जिन्हें आज भी गाया जाता है और उसे रवींद्र संगीत कहा जाता है। यदि संभव हो, तो रवींद्र संगीत संबंधी कैसेट व सी०डी० लेकर सुनिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 14 एक कहानी यह भी

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? [Imp.][CBSE]
अथवा
‘एक कहानी यह भी’ पाठ की लेखिका के व्यक्तित्व को किन-किन व्यक्तियों ने किस रूप में प्रभावित किया? [CBSE 2012; A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
लेखिका के व्यक्तित्व पर मुख्य रूप से दो व्यक्तियों का प्रभाव पड़ा।
पिताजी का प्रभाव-लेखिका के व्यक्तित्व को बनाने-बिगाड़ने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने ही लेखिका के मन में हीनता की भावना पैदा की। उन्होंने ही उसे शक्की बनाया, विद्रोही बनाया। उन्हीं ने लेखिका को देश और समाज के प्रति जागरूक बनाया। उसे रसोईघर और सामान्य घर-गृहस्थी से दूर एक प्रबुद्ध व्यक्तित्व दिया। लेखिका को देश के प्रति जागरूक बनाने में उनके पिता का ही योगदान है।
शीला अग्रवाल का प्रभाव-लेखिका को क्रियाशील, क्रांतिकारी और आंदोलनकारी बनाने में उनकी हिंदी-प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का योगदान है। शीला अग्रवाल ने अपनी जोशीली बातों से लेखिका के मन में बैठे संस्कारों को कार्य-रूप दे दिया। उन्होंने लेखिका के खून में शोले भड्का दिए। पिता उसे चारदीवारी तक सीमित रखना चाहते थे, परंतु शीला अग्रवाल ने उसे जन-जीवन में खुलकर विद्रोह करना सिखा दिया।

प्रश्न 2.
इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है? [Imp.]
उत्तर:
भटियारखाने के दो अर्थ हैं-

  • जहाँ हमेशा भट्टी जलती रहती है, अर्थात् चूल्हा चढ़ा रहता है।
  • जहाँ बहुत शोर-गुल रहता है। भटियारे का घर। कमीने और असभ्य लोगों का जमघट। पाठ के संदर्भ में यह शब्द पहले अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। रसोईघर में हमेशा खाना-पकाना चलता रहता है। पिताजी अपने बच्चों को घर-गृहस्थी या चूल्हे-चौके तक सीमित नहीं रखना चाहते थे। वे उन्हें जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रसोईघर की उपेक्षा करते हुए भटियारखाना अर्थात् प्रतिभा को नष्ट करने वाला कह दिया है।

प्रश्न 3.
वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर? [Imp.]
उत्तर:
हुआ यूं कि लेखिका के आंदोलनकारी व्यवहार से तंग आकर उनके कॉलेज की प्रिंसिपल ने लेखिका के पिता को बुलवाया। पिता पहले से ही लेखिका के विद्रोही रुख से परेशान रहते थे। उन्हें लगा कि जरूर इस लड़की ने कोई अपमानजनक काम किया होगा। इस कारण उन्हें सिर झुकाना पड़ेगा। इसलिए वे बड़बड़ाते हुए कॉलेज गए।
कॉलेज में जाकर उन्हें पता चला कि उनकी लड़की तो सब लड़कियों की चहेती नेत्री है। सारा कॉलेज उसके इशारों पर चलता है। लड़कियाँ प्रिंसिपल की बात भी नहीं मानतीं, केवल उसी के संकेत पर चलती हैं। इसलिए प्रिंसिपल के लिए कॉलेज चलाना कठिन हो गया है। यह सुनकर पिता का सीना गर्व से फूल उठा। वे गद्गद हो गए। उन्होंने प्राचार्य को उत्तर दिया-‘ये आंदोलन तो वक्त की पुकार हैं : इन्हें कैसे रोका जा सकता है।’ लेखिका पिता के मुख से ऐसी प्रशंसा सुनकर विश्वास न कर पाई। उसे अपने कानों पर भरोसा न हुआ। उसे तो यही आशा थी कि उसके पिता उसे डाँटेंगे, धमकाएँगे तथा उसका घर से बाहर निकलना बंद कर देंगे।

प्रश्न 4.
लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए [Imp.][CBSE 2012]
अथवा
लेखिका के पिता और लेखिका के बीच मतभेदों के असली कारण क्या थे?- ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर लिखिए। [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
लेखिका और उसके पिता के विचार आपस में टकराते थे। पिता लेखिका को देश-समाज के प्रति जागरूक बनाना चाहते थे किंतु उसे घर तक ही सीमित रखना चाहते थे। वे उसके मन में विद्रोह और जागरण के स्वर भरना चाहते थे किंतु उसे सक्रिय नहीं होने देना चाहते थे। लेखिका चाहती थी कि वह अपनी भावनाओं को प्रकट भी करे। वह देश की स्वतंत्रता में सक्रिय होकर भाग ले। यहीं आकर दोनों की टक्कर होती थी। विवाह के मामले में भी दोनों के विचार टकराए। पिता नहीं चाहते थे कि लेखिका अपनी मनमर्जी से राजेंद्र यादव से शादी करे। परंतु लेखिका ने उनकी परवाह नहीं की।

प्रश्न 5.
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए। [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; CBSE 2008 C]
उत्तर:
सन् 1942 से 1947 तक का समय स्वतंत्रता-आंदोलन का समय था। इन दिनों पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार पूरे यौवन पर था। हर नगर में हड़तालें हो रही थीं। प्रभात-फेरियाँ हो रही थीं। जलसे हो रहे थे। जुलूस निकाले जा रहे थे।
युवक-युवतियाँ सड़कों पर घूम-घूमकर नारे लगा रहे थे। सारी मर्यादाएँ टूट रही थीं। घर के बंधन, स्कूल-कॉलेज के नियम-सबकी धज्जियाँ उड़ रही थीं। लड़कियाँ भी लड़कों के बीच खुलकर सामने आ रही थीं।
ऐसे वातावरण में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपूर्व उत्साह दिखाया। उसने पिता की इच्छा के विरुद्ध सड़कों पर घूम-घूमकर नारेबाजी की, भाषण दिए, हड्तालें कीं, जलसे-जुलूस किए। उसके इशारे पर पूरा कॉलेज कक्षाएँ छोड़कर आंदोलन में साथ हो लेता था। म कह सकते हैं कि वे स्वतंत्रता सेनानी थीं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं। या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं। महानगरों में बच्चे गुल्ली-डंडा, पतंग उड़ाना आदि भूल गए हैं। छोटे नगरों में, जहाँ ये खेल अभी प्रचलित हैं, अब मोहल्लेदारी उतनी नहीं रही। अब लोग अपने-अपने घरों में सिकुड़ने लगे हैं। कोई किसी दूसरे के बच्चे को अपने घर में घुसाकर राजी नहीं है। दिल भी उतने बड़े नहीं हैं। पहले संयुक्त परिवार थे। इसलिए परिवारों को अधिक बच्चों की आदत थी। उसी तरह का रहन-सहन भी था। खुले आँगन या खुली छतें थीं। आस-पड़ोस का भाव जीवित था। अब मोहल्लेदारी नहीं रही। खेलने-कूदने के शौक भी टी.वी. देखने या कंप्यूटर चलाने में बदल गए हैं। परिणामस्वरूप पड़ोस को झेलने का तात्पर्य है अपने ड्राइंगरूम में पड़ोसी बच्चे को झेलना। उसे अपने सोफे पर बैठाना तथा कभी-कभी होने वाली हानि को सहना। यह संभव नहीं रहा है। । दूसरे, अब टी.वी. संस्कृति ने नर-नारी संबंधों को उघाड़ कर इतना भड्का दिया है कि हर माता-पिता अपनी लड़कियों के बारे में सजग है। सब बच्चे अकाल-परिपक्व हो गए हैं। इस कारण माता-पिता लड़की को तो अकेला बिल्कुल नहीं छोड़ते। अतः कुल मिलाकर लड़कियों की स्वतंत्रता कम हुई है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए। [V. Imp.] अथवा मन्नू भंडारी ने यह क्यों कहा है कि अपनी जिंदगी खुद जीने के कल्चर ने हमें ‘पड़ोस कल्चर’ से विच्छिन्न कर दिया है। [CBSE 2012
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है। आस-पड़ोस मनुष्य की वास्तविक शक्ति होती है। किसी मुसीबत में पड़ोसी ही काम आते हैं। परंतु दुर्भाग्य से अब पड़ोस में आना-जाना नहीं रहा। नर-नारी दोनों कमाऊ होने लगे हैं। इस कारण उन्हें इतना समय नहीं मिलता कि अपने निजी काम समेट सकें। छुट्टी का दिन भी घर-बार सँभालने में बीत जाता है। इस कारण पड़ोस कल्चर प्रायः समाप्त हो गई है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी पैदा होते ही कैरियर की दौड़ में इतने अंधे होने लगे हैं कि उन्हें अपनी छोड़कर अन्य किसी की खबर नहीं है। यह शहरी जीवन का सबसे बड़ा हादसा है। इस कारण मनुष्य हृदय की उदारता, विशालता, हँसी-ठिठौली, ठहाके और उल्लास भूल गया है। वह स्वयं में बिल्कुल अकेला, उदास और बेचारा हो गया है।

प्रश्न 8.
लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
उत्तर:

  1. महाभोज
  2. आपका बंटी छात्र इन्हें अपने पुस्तकालय में खोजें।

प्रश्न 9.
आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं लिखें।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ
(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला।
उत्तर:
(क) उस दिन मुझे मौका मिल गया। मैं उस घमंडी मिटुनलाल के घर पहुँचा और खूब उसकी लू उतारी।
(ख) मेरे पहुँचने से पहले ही मेरे पड़ोसी मेरे विरुद्ध आग लगा चुके थे।
(ग) जब रोशनलाल की लड़की पड़ोस के लड़के के साथ भाग गई तो सब लोग उस पर थू-थू करने लगे।
(घ) लड़कों को कक्षा के बाहर खड़ा देखकर अध्यापक आग-बबूला हो गया। पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
इस आत्मकथ्य से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे लेखिका का परिचय साहित्य की अच्छी पुस्तकों से हुआ। आप इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। कौन जानता है। कि आप में से ही कोई अच्छा पाठक बनने के साथ-साथ अच्छा रचनाकार भी बन जाए।
उत्तर:
छात्र पुस्तकालय जाकर पुस्तकें पढ़ें।

प्रश्न
लेखिका के बचपन के खेलों में लँगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो आदि शामिल थे। क्या आप भी यह खेल खेलते हैं। आपके परिवेश में इन खेलों के लिए कौन-से शब्द प्रचलन में हैं। इनके अतिरिक्त आप जो खेल खेलते हैं उन पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न
स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और उनमें से किसी एक पर प्रोजेक्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र तैयार करें।

नमूने के तौर पर यहाँ 9 वर्षीय शिवांक की डायरी का एक पन्ना दिया जा रहा है
30 मार्च, 2001 शुक्रवार आज सुबह पापा ने जल्दी से मुझे उठाया और कहा, “देखो-देखो, बारिश हो रही है, ओले गिर रहे हैं। बहुत ठंड पड़ रही है।” फिर मैं जल्दी से उठा और पापा से कहा, “दीदी को भी उठाओ।” फिर हमने देखा कि हमारे घर के सामने वाले ग्राउंड में हरी-हरी घास पर सफ़ेद-सफ़ेद ओले गिर रहे थे। ऐसा लग रहा था किसी ने चमेली के फूल गिरा रखे हैं। बहुत अच्छा लग रहा था। ओले पड़ रहे थे। बारिश हो रही थी, चिड़िया भाग रही थी, कौए परेशान थे, पेड़ काँप रहे थे, बिजली चमक रही थी, बादल डरा रहे थे। एक चिड़िया हमारी खिड़की पर डरी-डरी बैठी थी। बहुत देर तक बैठी रही। फिर उड़ गई। अभी तक कोई बच्चा खेलने नहीं निकला। इसलिए मैं आज जल्दी डायरी लिख रहा हूँ। सुबह के दस बजे हैं। मैं अपना सीरियल देखने जा रहा हूँ। आज मेरा न्यू इंक पेन और पेंसिल बॉक्स आया। आज दोपहर को धूप निकली, फिर हम खेलने निकले। आजकल हम लोग मिट्टी के गोले बना के सुखा देते हैं फिर हमें उनके ऊपर पेंटिंग करते हैं उसके बाद फिर उनसे खेलते हैं। जानिए लँगड़ी की कुश्ती कैसे खेली जाती हैएक स्थान में बीच की लाइन के बराबर फासले पर दो लाइनें खींची जाती हैं। दो खिलाड़ी बीच की लाइन पर आकर लँगड़ी बाँधकर अपने मुकाबले वाले को अपनी-अपनी लाइन के पार खींच ले जाने की कोशिश करते हैं। जिसकी लँगड़ी टूट जाती है अथवा जो खिंच जाता है उसकी हार होती है। यह खेल टोलियों में भी खेला जाता है। दिए हुए समय के अंदर जिस टोली के अधिक बच्चे लँगड़ी तोड़ देते हैं अथवा खिंच जाते हैं उस टोली की हार होती है।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7  छाया मत छूना

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? [Imp. [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009] |
उत्तर:
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। मनुष्य को आखिरकार अपने वास्तविक सच का सामना करना पड़ता है। उसे अपनी परिस्थितियों में जीना पड़ता है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने उसे दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल पर नहीं ले जाते।

प्रश्न 2.
भाव स्पष्ट कीजिए
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर:
बड़प्पन का अहसास, महान होने का सुख भी एक छलावा है। मनुष्य बड़ा आदमी होकर भी मन से प्रसन्न हो, यह आवश्यक नहीं। हर सुख के साथ एक दुख भी जुड़ा रहता है। जैसे हर चाँदनी रात के बाद एक काली रात भी लगी रहती है, पूर्णिमा के बाद अमावस भी आती है, उसी तरह सुख के पीछे दुख भी छिपे रहते हैं।

प्रश्न 3.
‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है? [Imp.] [CBSE 2008 C; A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
अथवा
‘छाया मत छूना मन’ पंक्ति में ‘छाया’ से कवि का क्या तात्पर्य है? [CBSE]
उत्तर:
यहाँ ‘छाया’ शब्द अवास्तविकताओं के लिए प्रयुक्त हुआ है। ये छायाएँ अतीत की भी हो सकती हैं और भविष्य की भी। ये छायाएँ पुरानी मीठी यादों की भी हो सकती हैं और मीठे सपनों की भी।

प्रश्न 4.
कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ
कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर:
इस कविता में प्रयुक्त अन्य विशेषण हैं
सुरंग सुधियाँ सुहावनी–यहाँ ‘सुधियाँ’ विशेष्य के लिए दो विशेषण प्रयुक्त हुए हैं-‘सुरंग’ और ‘सुहावनी’। इनके प्रयोग से बीती हुई यादों के दृश्य बड़े मीठे, मनमोहक और रंगीन बन पड़े हैं। यह पदबंध शादी या मिलन जैसे अवसर का रंगीन दृश्य प्रस्तुत करता जान पड़ता है।
जीवित क्षण–यहाँ ‘ क्षण’ के लिए ‘जीवित’ विशेषण प्रयुक्त हुआ है। इसके प्रयोग से पिछली यादों का भूला हुआ क्षण सामने इस तरह साकार हो उठा है मानो वह क्षण पुराना न होकर वर्तमान में चल रहा हो।
केवल मृगतृष्णा-‘मृगतृष्णा’ के साथ ‘केवल’ विशेषण लगने से भ्रम और छलावा और अधिक सधन, गहरा और निश्चित हो गया है। इससे यह बोध जाग उठा है कि बड़प्पन का अहसास छलावे के सिवा कुछ है ही नहीं।
दुविधा-हत साहस-‘साहस’ के साथ ‘दुविधा-हत’ विशेषण साहस को स्पष्ट रूप से दबाए हुए प्रतीत होता है। यहाँ ‘मृत साहस’ का भाव मुखर हो उठा है।
शरद-रात–यहाँ ‘रात’ के साथ ‘शरद’ शब्द रात की रंगीनी और मोहकता को उजागर कर रहा है। रस-बसंत-‘बसंत’ के साथ ‘रस’ विशेषण बसंत को और अधिक रसीला, मनमोहक और मधुर बना रहा है।

प्रश्न 5.
‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
गर्मी की चिलचिलाती धूप में दूर सड़क पर पानी की चमक दिखाई देती है। हम वहाँ जाकर देखते हैं तो कुछ नहीं होता। प्रकृति के इस भ्रामक रूप को ‘मृगतृष्णा’ कहा जाता है। इस कविता में इसका अर्थ छलावे और भ्रम के लिए किया गया है। कवि कहना चाहता है कि लोग प्रभुता अर्थात् बड़प्पन में सुख मानते हैं। किंतु बड़े होकर भी कोई सुख नहीं मिलता। अतः बड़प्पन का सुख दूर से ही दिखाई देता है। यह वास्तविक सच नहीं है।

प्रश्न 6.
‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
उत्तर:
निम्न पंक्ति में जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।

प्रश्न 7.
कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘छाया मत छूना’ कविता के कवि ने मानव की किन वृत्तियों को जीवन के लिए दुखदायी माना है? [A.I. CGBSE 2008 C]
उत्तर:
इस कविता में दुख के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं

  1. छाया अर्थात् बीती हुई मीठी यादें जिन्हें याद कर-करके हम अपने वर्तमान को और अधिक दुखी कर लेते हैं।
  2. छाया अर्थात् भविष्य के सपने, जिनके पूरा न होने पर हम दुखी रहते हैं।
  3. वर्तमान जीवन में उचित अवसर पर लाभ न मिलना। बसंत के समय फूल का न खिलना या शरद्-रात में चाँद का न खिलना। आशय यह है कि उचित अवसर पर सुख न मिलना।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?
उत्तर:
मेरे जीवन की सबसे मधुर स्मृति: पहली बार एक निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया प्रथम आया। 26 जनवरी की परेड में सम्मानित।

प्रश्न 9.
‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए। [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
यह सच है कि सभी उपलब्धियाँ उचित समय पर ही अच्छी लगती हैं। जैसे-सर्दी बीतने पर रजाई का क्या लाभ? बारिश खत्म होने पर छाता मिला तो क्या लाभ? मनुष्य के मरने के बाद मकान बन सका तो क्या लाभ? फसलें नष्ट होने के बाद सुरक्षा का प्रबंध हुआ तो क्या लाभ? डकैती होने के बाद पुलिस आ पाई तो क्या लाभ? आग बुझने के बाद फायर-ब्रिगेड आ पाया तो क्या लाभ? रोगी मरने के बाद डॉक्टर आ पाया तो क्या लाभ! ये सब उदाहरण बताते हैं कि उचित अवसर और आवश्यकता के समय ही उपलब्धियाँ अच्छी लगती हैं।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफ़र करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने एर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।

उत्तर:

प्रिय रमेश!
एक अनुभव सुनाने का मन कर रहा है। हमारा नौकर दो दिन पहले अचानक गायब हो गया। पता चला कि पिताजी ने उसे 500 रु. का नोट देकर बाजार से मीठे-मीठे आम लाने को कहा था। जब वह वापस नहीं आया तो सभी सदस्य पिताजी की लापरवाही को कोसने लगे। मैंने भी यही किया। परंतु आज पुलिस थाने से पता चला की वह नौकर एक सड़क दुर्घटना में मारा गया है। उसकी जेब से 300 रु. और थेले में 5 किलो मीठे आम मिले हैं।
भाई रमेश! यह समाचार सुनते ही मेरी आँखों में आँसू उमड़ आए हैं। पता नहीं, हम भय और द्वेष वश कुछ का कुछ सोच लेते हैं किंतु सत्य कुछ और ही होता है।

प्रश्न
कवि गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आज जीत की रात, पहरुए सावधान रहना।
खुले देश के द्वार, अचल दीपक समान रहना। ऊँची हुई मशाल हमारी आगे कठिन डगर है। शत्रु हट गया लेकिन उसकी छायाओं का डर है। शोषण से मृत है समाज, कमज़ोर हमारा घर है। किंतु आ रही नई जिंदगी, यह विश्वास अमर है। जन-गंगा में ज्वार, लहर, तुम प्रवहमान रहना।
पहरुए! सावधान रहना।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर:
कलकत्ता के लोगों के लिए 26 जनवरी, 1931 इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि लोगों ने इसी दिन स्वतंत्रता दिवस मनाने की पुनवृत्ति करते हुए बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके लिए उन्होंने पुलिस की लाठियों की भी परवाह नहीं की।

प्रश्न 2.
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर:
जब नेताजी सुभाषचंद्र और स्वयं लेखक सहित कलकत्ता के लोगों ने देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस खूब जोश के साथ मनाया, तब सुभाष बाबू ने जुलूस निकाला। उस समय पुरुषोत्तम राय भी इनके साथ थे, पर सुभाष बाबू के जुलूस का पूरा प्रबंध पूर्णोदास ने किया था।

प्रश्न 3.
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा अन्य लोगों को मारपीट कर भगा दिया।

प्रश्न 4.
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर:
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर इस बात का संकेत देना चाहते थे कि वे सभी स्वतंत्रता प्राप्ति के आंदोलन में किसी से भी पीछे नहीं हैं। उन्हें भी स्वतंत्रता दिवस हेतु खुशियाँ मनानी आती हैं। वे पिछले वर्ष के आयोजन में कम भागीदारी की कमी को पूरा करना चाहते थे। वे अंग्रेज़ों को बताना चाहते थे कि अब वे उनका अपने देश में शासन सहन नहीं कर सकते तथा अब वे उनका जबरदस्त विरोध करते रहेंगे।

प्रश्न 5.
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर:
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को और मैदानों को इसलिए घेर लिया था ताकि लोग न तो स्वतंत्रता दिवस मनाने की पुनरावृत्ति कर सके और न राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ सके।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई?
उत्तर:
26 जनवरी 1931 का दिन अमर बनाने के लिए कोलकाता के लोगों ने अपने-अपने मकानों और सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रखा था तथा हर रास्ते पर झंडे फहरा दिए थे। वे जुलूस के रूप में मोनुमेंट की ओर पहुँच रहे थे।

प्रश्न 2.
आज जो बात थी वह निराली थी-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘आज जो बात थी वह निराली थी’ –यह इन बातों से स्पष्ट हो रहा था कि स्त्री समाज जगह-जगह से जुलूस निकालने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश और तैयारी में लगा हुआ था। मोनुमेंट के पास जैसा प्रबंध भोर में था, वैसी करीब एक बजे नहीं रहा। इससे तीन बजे से ही हजारों लोगों की टोलियाँ मैदान में घूमने लगीं।

प्रश्न 3.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर:
पुलिस कमिश्नर की नोटिस के अनुसार 26 जनवरी, 1931 को सभा को गैर कानूनी बताते हुए सभा न करने की लोगों को चेतावनी दी गई थी जबकि कौंसिल की नोटिस में लोगों से आह्वान किया गया था कि वे राष्ट्रीय ध्वज फहराने और प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए अधिकाधिक संख्या में उपस्थित रहें।

प्रश्न 4.
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर:
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस इसलिए टूट गया, क्योंकि जुलूस में भाग लेने वालों पर पुलिस ने लाठियाँ बरसाईं। सुभाष बाबू को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के डंडे बरसाने से काफी लोग घायल हो गए, जिससे धर्मतल्ले पर जुलूस टूट गया।

प्रश्न 5.
डॉ० दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ० दासगुप्ता द्वारा घायलों की फोटो उतारने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं

  • कोलकाता वासियों द्वारा स्वतंत्रता की प्राप्ति हेतु किए जा रहे प्रयास को दर्शाना।
  • अंग्रेज़ी शासन के अत्याचारपूर्ण कार्यवाही को दिखाना।
  • अन्य लोगों को प्रेरित करते हुए।
  • प्रामाणिक साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्रियों की भूमिका पुरुषों के समान ही उल्लेखनीय एवं अत्यंत महत्त्वपूर्ण थी। स्त्रियाँ जुलूस के रूप में मोनुमेंट की ओर जा रही थी। यह जुलूस जगह-जगह से आ रहा था। पुलिस बल इन्हें रोकने का प्रयास कर रहा था फिर भी स्त्रियों का दल आगे बढ़ रहा था। पुलिस जब सुभाष बाबू तथा अन्य पुरुषों से उलझी थी उसी बीच स्त्रियों ने मोनुमेंट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर प्रतिज्ञा पढ़ी। इसके अलावा 105 स्त्रियों ने अपनी गिरफ्तारी देकर इस उत्सव को सफल बनाया।

प्रश्न 2.
जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर:
जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों में काफी जोश भर चुका था। कई स्त्रियों को गिरफ्तार कर लिया गया। वृजलाल गोयनका को एक अंग्रेज़ घुड़सवार ने लाठी मारी, फिर पकड़ कर दूर तक ले गया और छोड़ दिया। वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया। वहाँ से वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लाल बाज़ार गया। वहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया और मदालसा को भी पकड़ लिया गया। कुल मिलाकर 105 स्त्रियाँ पकड़ी गईं। इतनी स्त्रियों को एक साथ कभी गिरफ्तार नहीं किया था। बाद में रात को नौ बजे सबको छोड़ दिया गया। इसके अतिरिक्त काफ़ी लोग। घायल हुए थे।

प्रश्न 3.
जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है, तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभी तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन-से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
यहाँ कानून भंग के माध्यम से उस कानून को भंग करने की बात कही गई है, जिसे अंग्रेजों ने अनैतिक और अनुचित रूप से भारतीयों पर थोप रखा था। ये कानून भारतीयों की स्वतंत्रता का कदम-कदम पर हनन करती थी और भारतीयों की प्रगति के मार्ग में बाधक थी। इन कानूनों को अंग्रेजों ने लागू किया था। ऐसे कानूनों को भंग करना पूर्णतया उचित था। भारतीयों की भलाई के लिए कानून भंग करना सराहनीय कदम था।

प्रश्न 4.
बहुत-से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हमारे विचार में 26 जनवरी, 1931 के दिन कलकत्ता में आज़ादी के लिए व्यापक विरोध तथा संघर्ष हुआ था और यह अपूर्व इसलिए है, क्योंकि पहले कभी अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध जुलूस नहीं निकाला गया, न ही इससे पहले कभी इतने बड़े स्तर पर सरकार को खुली चुनौती दी गई थी। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया तथा बहुत-से लोग घायल हुए, पर फिर भी भारी संख्या में स्त्रियों ने जुलूस निकाला और गिरफ्तार हुईं। इससे पहले ऐसा नहीं हुआ था। इसलिए इसको अपूर्व कहा गया है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है, वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर:
देश के विभिन्न भागों में स्वाधीनता संघर्ष हो रहे थे। लोग आंदोलन करते हुए गिरफ्तारियाँ दे रहे थे परंतु कलकत्ता या बंगाल से ऐसी कोई खबर नहीं आ रही थी। 26 दिसंबर 1931 के घटनाक्रम जिसमें 200 से ज्यादा लोग घायल हुए तथा 105 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया, ने इस कलकत्ता पर लगे उस कलंक को धो दिया। यहाँ भी आजादी का आंदोलन जोर पकड़ चुका था।

प्रश्न 2.
खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
उत्तर:
इसका आशय है कि इस बार पुलिस कमिश्नर के धमकी भरे नोटिस की परवाह न करते हुए सीधे-सीधे ब्रिटिश शासन को खुला चैलेंज दिया गया था अर्थात् उन्हें ब्रिटिश सत्ता का कोई भय नहीं है, इसलिए 26 जनवरी, 1931 को उनकी चुनौती सीधी टक्कर लेने में बदल गई और विरोध शुरू हो गया। ऐसा पहली बार हुआ था कि सरकार सभा न होने देने पर तुली थी, पर कौंसिल ने खुला चैलेंज देकर सभा आयोजित कर दिखाई थी। यह एक चुनौती भरा कदम था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए-
I.
(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया। ।
(ख) मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।
उत्तर:
(क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।
(ख) हज़ारों आदमियों की भीड़ से लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(ग) सुभाष बाबू को गाड़ी में बैठाकर लालबाजार लॉकअप में भेज दिया गया।

II. ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त, और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
सरल वाक्य –

  1. मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।
  2. वे स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।

संयुक्त वाक्य –

  1. मैं पास हुआ और दरजे में प्रथम आया।
  2. उनकी नज़र मेरी ओर उठी और प्राण निकल गए।

मिश्र वाक्य –

  1. उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया।
  2. सहसा भाई साहब से मेरी मुझभेड़ हो गई, जो शायद बाज़ार से लौट रहे थे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार गया है।
(क)

  1. कई मकान सजाए गए थे
  2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे

(ख)

  1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था
  2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं
  3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी

(ग)

  1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था
  2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था

उत्तर:
छात्र केवल पढ़कर समझें ।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए-

  1. श्रद्धा + आनंद    =   …………………
  2. प्रति + एक        =   …………………
  3. पुरुष + उत्तम    =  …………………
  4. झंडा + उत्सव   =  …………………
  5. पुनः + आवृत्ति  =  …………………
  6. ज्योतिः + मय   =  …………………

उत्तर:

  1. श्रद्धानंद,
  2. प्रत्येक,
  3. पुरुषोत्तम,
  4. झंडोत्सव,
  5. पुनरावृत्ति,
  6. ज्योतिर्मय

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
भौतिक रूप से दबे हुए होने पर भी अंग्रेज़ों के समय में ही हमारा मन आज़ाद हो चुका था। अतः दिसंबर सन् 1929 में लाहौर में कांग्रेस को एक बड़ा अधिवेशन हुआ, इसके सभापति जवाहरलाल नेहरू जी थे। इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब हम ‘पूर्ण स्वराज्य से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे। 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने पूर्ण स्वतंत्रता के लिए हर प्रकार के बलिदान की प्रतिज्ञा की। उसके बाद आज़ादी प्राप्त होने तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
उत्तर:
छात्र केवल जानकारी के लिए पढ़ें।

प्रश्न 2.
डायरी-यह गद्य की एक विधा है। इसमें दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, अनुभवों को वर्णित किया जाता है।
आप भी अपनी दैनिक जीवन से संबंधित घटनाओं को डायरी में लिखने का अभ्यास करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
जमना लाल बजाज महात्मा गांधी के पाचवाँ पुत्र के रूप में जाने जाते हैं, क्यों? अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
ढाई लाख का जानकी देवी पुरस्कार जमना लाल बजाज फाउंडेशन द्वारा पूरे भारत में सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। यहाँ ऐसी कुछ महिलाओं के नाम दिए जा रहे हैंश्रीमती अनुताई लिमये 1993 महाराष्ट्र; सरस्वती गोरा 1996 आंध्र प्रदेश; मीना अग्रवाल 1998 असम; सिस्टर मैथिली 1999 केरल; कुंतला कुमारी आचार्य 2001 उड़ीसा। इनमें से किसी एक के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता आंदोलन में निम्नलिखित महिलाओं ने जो योगदान दिया, उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए-
(क) सरोजिनी नायडू
(ख) अरुणा आसफ़ अली
(ग) कस्तूरबा गांधी ।
उत्तर:
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान –
(क) सरोजिनी नायडू – सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गईं। नायडू ने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का सक्रिय रूप से नेतृत्व किया। गाँव-गाँव घूमकर देश-प्रेम का अलख जगाया। सरोजिनी के वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे। उनके भाषण जनता को अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। 1925 में ये कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षा बनी। स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनी। आपका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था।

(ख) अरुणा आसफ अली – अरुणा आसफ़ अली को भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन के समय मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए याद किया जाता है। इनकी शिक्षा लाहौर और नैनीताल में हुई। इन्होंने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की। नमक सत्याग्रह के दौरान होने वाली सार्वजनिक सभाओं में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम् भूमिका रही।

(ग) कस्तूरबा गांधी – कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी की पत्नी थीं, वे ‘बा’ के नाम से विख्यात हैं। इनका जन्म 11 अप्रैल 1869 को हुआ। कस्तूरबा ने स्वेच्छा से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। तीन महिलाओं के साथ ये जेल गईं। जेल में इन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि इनका शरीर ठठरी मात्र रह गया। चंपारन के सत्याग्रह में ही उन्होंने हिस्सा लिया। बापू की गिरफ्तारी पर उन्होंने जो भाषण दिया वह उनको वीरांगना के रूप में प्रतिष्ठित करता है। इनके योगदान के लिए एक करोड़ रुपया एकत्र कर इंदौर में कस्तूरबा गांधी स्मारक की स्थापना की। भारत के स्वतंत्रता
आंदोलन में इनकी जो भूमिका रही, उसे भारत हमेशा याद रखेगा।

प्रश्न 2.
इस पाठ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) के योगदान का चित्र स्पष्ट होता है। आज़ादी के आंदोलन में आपके क्षेत्र का भी किसी न किसी प्रकार का योगदान रहा होगा। पुस्तकालय, अपने परिचितों या फिर किसी दूसरे स्रोत से इस संबंध में जानकारी हासिल कर लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
‘केवल प्रचार में दो हज़ार रुपया खर्च किया गया था। तत्कालीन समय को मद्देनजर रखते हुए अनुमान लगाइए कि प्रचार-प्रसार के लिए किन माध्यमों का उपयोग किया गया होगा?
उत्तर:
आज़ादी से पूर्व प्रचार-प्रसार के माध्यम बहुत सीमित थे। उस समय के प्रचार-प्रसार माध्यमों में समाचार पत्र (अखबार) रेडिया, सभाएँ, गोष्ठियां, भाषण आदि प्रमुख थे। इन सभी प्रचार-प्रसार माध्यमों में समाचार पत्र की भूमिका सर्वाधिक थी अर्थात् यही प्रमुख साधन था।

प्रश्न 4.
आपको अपने विद्यालय में लगने वाले पल्स पोलियो केंद्र की सूचना पूरे मोहल्ले को देनी है। आप इस बात का प्रचार बिना पैसे के कैसे कर पाएँगे? उदाहरण के साथ लिखिए।
उत्तर:
मैं अपने मोहल्ले के प्रत्येक घर जाकर सभी को यह बताऊँगा कि हमारे विद्यालय में आगामी रविवार दिनांक 23/02/20… को पल्स पोलियो का केंद्र बनना सुनिश्चित हुआ है। सभी अपने पाँच वर्ष तक के छोटे बच्चों को पल्स पोलियो दवा की दो बूंदें अवश्य पिलवाएँ। ये दवा की बूंदें ही नहीं, अमृत है, जीवन है। आप से विनम्र अनुरोध है। कि आप हमारे विद्यालय डी.पी.एस. क्यू.यू ब्लॉक पीतमपुरा दिल्ली-34 में प्रातः आठ बजे अवश्य पहुँचें। मैं यथा संभव आपकी सहायता करूंगा। मुझे विश्वास है कि आप इस अभियान को सफल बनाने के लिए व अपने बच्चों के प्रति अपने दायित्व को पूरा करने के लिए केंद्र पर अवश्य उपस्थित होंगे।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 8

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तर:
हाँ, इस युद्ध की पृष्ठभूमि भारत-चीन युद्ध पर आधारित है। देश को आजादी मिलने के कुछ ही समय बाद भारत को कमज़ोर जानकर 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध में भारतीय वीरों ने अपना बलिदान देकर देश की रक्षा की। युद्ध की इस पृष्ठभूमि को आधार बनाकर फ़िल्मकार चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ नाम से फ़िल्म बनाई जो भारत-चीन के युद्ध को वास्तविक स्थिति को दर्शकों के सामने लाती है। चेतन आनंद ने इस युद्ध को पर्दे पर जीवंत रूप में प्रस्तुत किया था।

प्रश्न 2.
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’-इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर:
इस पंक्ति में हिमालय भारत के मान-सम्मान एवं अस्मिता का प्रतीक है। भारत-चीन युद्ध हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों पर ही लड़ा गया था। भारतीय सैनिक शीश कटवा देते हैं, हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे देते हैं, लेकिन हिमालय का सिर झुकने नहीं देते अर्थात् वे भारत-भूमि के मान-सम्मान की रक्षा करते हैं। उनके साहस की अमर गाथा से हिमालय की पहाड़ियाँ आज भी गुंजायमान हैं।

प्रश्न 3.
इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
भारत भूमि अत्यंत सुंदर है। पेड़-पौधे, नदी, पहाड़, झरने तथा चहुँ ओर बिखरी हरियाली इसकी सुंदरता में वृद्धि करते हैं। अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए भारतीय सैनिकों ने जो रक्त बहाया था वह भारत भूमि रूपी दुलहन के माथे पर लाल टीका जैसा प्रतीत हो रहा था। रक्त-रंजित युद्ध भूमि भारत भूमि रूपी दुलहन के टीके-सी सुशोभित हो रही थी। नवविवाहिता के माथे पर भी लाल रंग का टीका सुशोभित होता है। इसी समानता के कारण भारत माता को दुलहन कहा गया है।

प्रश्न 4.
गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवनभर याद रह जाते हैं?
उत्तर:
गीत अपनी विशेषताओं की पूँजी के कारण जीवनभर याद रह जाते हैं। ये विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. गीत के मार्मिक तथा प्रभावशाली बोल।
  2. सजीव तथा अमिट प्रभाव छोड़ने वाली शैली।
  3. मीठे सुर।
  4. लय-ताल ।
  5. गीत का जीवन के साथ संबंध जोड़ना।

प्रश्न 5.
कवि ने साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर:
कवि ने ‘साथियो’ का संबोधन युद्ध में घायल और मृत्यु की ओर कदम बढ़ा चुके सैनिकों के मुँह से युद्धरत साथी सैनिकों के लिए करवाया है। इसके अलावा इस शब्द का प्रयोग सैनिकों के लिए न होकर प्रत्येक देशवासियों के लिए है। जिस पर उसकी अपनी मातृभूमि को शत्रुओं से बचाने का दायित्व है। ‘साथियो’ का संबोधन देश-प्रेम और देशभक्ति को जगाने के लिए किया गया है ताकि देश को एक बार फिर से गुलाम होने से बचाया जा सके।

प्रश्न 6.
कवि ने इस कविता में किस काफ़िले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर:
कवि ने इस कविता में देशभक्तों, देशप्रेमियों, सैनिकों, युवाओं अर्थात् देशवासियों रूपी काफ़िले को देश के लिए हर समय अपना सर्वस्व कुर्बान कर देने के लिए तैयार रहने को अर्थात् आगे बढ़ते रहने की बात कही है, क्योंकि कुर्बानियों की राहें सुनसान नहीं रहनी चाहिए। बलिदान का रास्ता तो सदैव प्रगतिशील रहना चाहिए। कुर्बानियों के काफ़िले ही देश को अमरता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर:
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ उस कदम की ओर संकेत करता है, जिसे देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की परवाह न करने वाले सैनिक उठाते हैं। ये सैनिक देश के मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का मोह क़िए बिना शत्रुओं से मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं। यह सैनिकों द्वारा शत्रुओं से निडरतापूर्वक मुकाबला करने की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 8.
इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता ‘कर चले हम फ़िदा’ उर्दू के प्रगतिशील तथा अति लोकप्रिय कवि कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने उन सैनिकों के हृदय की आवाज़ को व्यक्त किया है, जिन्हें अपने देश के प्रति किए गए हर कार्य, हर कदम, हर बलिदान पर गर्व है इसलिए उन्हें प्रत्येक देशवासी से कुछ आशाएँ हैं, अपेक्षाएँ हैं कि उनके इस संसार से विदा हो जाने के बाद वे देश की आन, मान, शान पर आँच नहीं आने देंगे, बल्कि समय आने पर अपना बलिदान देकर भी देश की रक्षा करेंगे। यही इस कविता का प्रतिपाद्य है।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
साँस थमती गई, नज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
उत्तर:
भाव यह है कि युद्ध में सैनिकों का मुकाबला करते हुए सैनिक अपनी अंतिम इच्छा प्रकट करते हुए कह रहे हैं कि सैनिकों एवं देशवासियो! तुम अपने बलिदान से ऐसी लकीर खींच दो जिसे पार करके कोई शत्रु रूपी रावण इस ओर कदम रखने का साहस न कर सके और देश को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

प्रश्न 2.
खींच दो अपने खें से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
उत्तर:
कवि सैनिकों से कहता है कि जिस प्रकार वनवास के समय लक्ष्मण ने सीता जी की रक्षा के लिए ज़मीन पर लक्ष्मण रेखा (रक्षा हेतु) खींची थी, उसी प्रकार तुम भी अपने खून से लकीर खींचो ताकि देश के अंदर कोई रावण रूपी दस्यु प्रवेश न कर सके। इस वतन की रक्षा का भार अब तुम्हारे पर है।

प्रश्न 3.
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो।
उत्तर:
इस अंश का भाव है कि वीरों, सैनिकों, देशभक्तों तथा क्रांतिकारियों के होते हुए सीमा पार से कोई रावण या आक्रमणकारी या दस्यु या आतंकवादी देश में प्रवेश करके देश की अस्मिता को नहीं लूट सकती। अर्थात् राम और लक्ष्मण जैसे अलौकिक वीरों की धरती पर आकर कोई भी दुष्ट भारत माता का दामन नहीं छू सकता।”

भाषा अध्ययन

प्रश्न  1.
इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत के संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

  1. कट गए सर,
  2. नब्ज़ जमती गई,
  3. जान देने की रुत,
  4. हाथ उठने लगे।

उत्तर:
       गीत में विशिष्ट प्रयोग                     आशय (अर्थ)                          वाक्य में प्रयोग

  1. कट गए सर।                            जान चली गई।                          भारतीय वीर सैनिकों के देश रक्षा में सर कट गए।
  2. नब्ज़ जमती गई                        मौत के समीप होते जाना।            युद्धभूमि में नब्ज़ जमते जाने पर भी वीरों के कदम आगे
                                                                                                बढ़ते गए।
  3. जान देने की रुत                       बलिदान का अवसर।                  जान देने की रुत हमेशा नहीं आती।
  4. हाथ उठने लगे                         अत्याचार करना।                        जो कोई हमारी मातृभूमि पर हाथ उठाने की कोशिश
                                                                                                करेगा, तो हम उसे धूल में मिला देंगे।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
कैफ़ी आज़मी उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। ये पहले गज़ल लिखते थे। बाद में फिल्मों में गीतकार और कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फिल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिधि मिली। यदि संभव हो सके तो यह फिल्म देखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
“फिल्म का समाज पर प्रभाव’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कैफ़ी आज़मी की अन्य रचनाओं को पुस्तकालय से प्राप्त कर पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। इसके साथ ही उर्दू भाषा के अन्य कवियों की रचनाओं को भी पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा कैफ़ी आज़मी पर बनाई गई फिल्म देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
सैनिक जीवन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक निबंध लिखिए। सैनिक जीवन की चुनौतियाँ ।
उत्तर:
सैनिक अपने अदम्य साहस व शक्ति से देश की रक्षा के लिए प्राकृतिक व मानव-जनित अनेक चुनौतियों (आपत्तियों) का सामना करते हैं। वे भीषण गर्मी, सर्दी, वर्षा अथवा किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में अपने को अडिग रखकर देश-रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। दुश्मन अपनी विजय के लिए हर संभव तरीके से सैनिकों को परास्त करना चाहता है, लेकिन सैनिक दुश्मन की हर चाल को काटते हैं। दुश्मन-देश अपनी सामरिक क्षमता का उपयोग कर उन्हें हराना चाहता है, लेकिन उसके किसी भी प्रकार के व्यूह को सैनिक अपने जीवन की परवाह किए बिना असफल करते हैं। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि सैनिक अपने प्रशिक्षण काल से लेकर देश सेवा के आखिरी दिन तक चुनौतियों का मुकाबला करते हैं। सच तो यह है कि चुनौतियों का मुकाबला करने का दूसरा नाम सैनिक है। सैनिकों की अनेक चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि वे अपने बच्चों, घर-परिवार, संबंधी आदि सबसे दूर रहकर योगी जैसा जीवन जीते हैं। हम इन सैनिकों को सलाम करते हैं।

प्रश्न 2.
आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है आज़ादी बनाए रखना । इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अपने स्कूल से किसी समारोह पर यह गीत या अन्य कोई देशभक्तिपूर्ण गीत गाकर सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
फ़ादर परिमल की गोष्ठी में सबसे बड़े माने जाते थे। वे सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बनाकर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों पर पुरोहित की भाँति उपस्थित रहते थे। हर व्यक्ति ,उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था। वात्सल्य तो उनकी नीली आँखों में तैरता रहता था। इस कारण सबको उनकी उपस्थिति देवदार की छाया के समान प्रतीत होती थी।

प्रश्न 2.
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? [Imp.]
अथवा
फ़ादर कामिल बुल्के को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग किस आधार पर कहा गया है? [CBSE]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग थे। उन्होंने भारत में रहकर स्वयं को पूरी तरह भारतीय बना लिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको अपने देश की याद आती है तो उन्होंने छूटते ही उत्तर दिया-मेरा देश तो अब भारत है।
फ़ादर भारतीय मिट्टी में रच-बस गए। उन्होंने यहाँ रहकर राम-कथा के उद्भव और विकास पर शोध-कार्य किया। उन्होंने हिंदी सीखी ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी-हिंदी का सबसे अधिक प्रामाणिक कोश तैयार किया। वे यहाँ के लोगों के उत्सवों और संस्कारों पर अभिन्न सदस्य के रूप में उपस्थित रहते थे। वे सचमुच भारतीय संस्कारों में खो चुके थे।

प्रश्न 3.
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ोदर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के के हिंदी प्रेम का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने सबसे अधिक प्रामाणिक अंग्रेजी-हिंदी कोश तैयार किया। उन्होंने बाइबिल और ब्लू बर्ड नामक नाटक का हिंदी में अनुवाद किया। इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद से हिंदी में एम.ए. किया। तत्पश्चात् उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ विषय पर शोध-प्रबंध लिखा। उसके बाद वे सेंट जेवियर्स कॉलेज राँची में हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने। वे ‘परिमल’ नामक संस्था के साथ जुड़े रहे। वे जहाँ-तहाँ हिंदी के प्रति प्रेम प्रकट करते थे। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए खूब प्रयत्न किया।

प्रश्न 4.
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए। [A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के एक आत्मीय संन्यासी थे। वे ईसाई पादरी थे। इसलिए हमेशा एक सफेद चोगा धारण करते थे। उनका रंग गोरा था। चेहरे पर सफेद झलक देती हुई भूरी दाढ़ी थी। आँखें नीली थीं। बाँहें हमेशा गले लगाने को आतुर दीखती थीं। उनके मन में अपने प्रियजनों और परिचितों के प्रति असीम स्नेह था। वे सबको स्नेह, सांत्वना, सहारा और करुणा देने में समर्थ थे।

प्रश्न 5.
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है। फ़ादर के मन में सब परिचितों के प्रति सद्भावना और ममता थी। वे सबके प्रति वात्सल्य भाव रखते थे। वे तरल-हृदय थे। वे कभी किसी से कुछ चाहते नहीं थे, बल्कि देते ही देते थे। वे हर दुख में साथी होते थे और सुख में बड़े बुजुर्ग की भाँति वात्सल्य देते थे। उन्होंने लेखक के पुत्र के मुँह में पहला अन्न भी डाला और उसकी मृत्यु पर सांत्वना भी दी। वास्तव में उनका हृदये सदा दूसरों के स्नेह में पिघला रहता था। उस तरलता की चमक उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती थी।

प्रश्न 6.
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे? [CBSE 2012; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
परंपरागत रूप से ईसाई पादरी संसार से अलग जीवन जीते हैं। वे सामान्य संसारी लोगों से अलग वैराग्य की नीरस जिंदगी जीते हैं। वे ईसाई धर्माचार में ही अपना समय व्यतीत करते हैं। वे प्रायः अन्य धर्मानुयायियों के साथ मधुर संबंध बनाने में रुचि नहीं लेते।
फ़ादर बुल्के परंपरागत पादरियों से भिन्न थे। वे संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे उनसे मिलने के लिए सदा आतुर रहते थे तथा सबको गले लगाकर मिलते थे। वे संसारी लोगों के बीच रहकर उनसे निर्लिप्त रहते थे। वे धर्माचार की परवाह किए बिना अन्य धर्म वालों के उत्सवों-संस्कारों में भी घर के बड़े बुजुर्ग की भाँति शामिल होते थे। वे कभी किसी को अपने से दूर तथा अलग नहीं प्रतीत होने देते थे। लोग उन्हें पादरी नहीं अपितु अपना आत्मीय संरक्षक मानते थे।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है। [CBSE]
उत्तर:
(क) फ़ादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उनके प्रियजन, परिचित और साहित्यिक मित्र इतनी अधिक संख्या में रोए कि उनको गिनना कठिन है। उनके बारे में लिखना व्यर्थ में स्याही खर्च करना है। आशय यह है कि उनके दुख में रोने वालों की संख्या बहुत अधिक थी।
(ख) हम फ़ादर कामिल बुल्के को याद करते हैं तो उनका करुणापूर्ण और शांत व्यक्तित्व सामने आ जाता है। उनके ने रहने से मन में उदासी घिरने लगती है। ऐसा लगता है मानो सामने कोई शांत उदास संगीत बज रहा हो।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर:
फ़ादर के मन में भारत के संतों, ऋषियों और आध्यात्मिक पुरुषों का आकर्षण रहा होगा। हो सकता है, वे स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर और अन्य धर्माचार्यों से प्रभवित रहे हों। एक वैरागी ने वैराग्य की धरती में ही जीना चाहा हो।

प्रश्न 9.
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल।’-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं? [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
इस पंक्ति में फ़ादर कामिल बुल्के का स्वाभाविक देश-प्रेम व्यक्त हुआ है। जन्मभूमि से गहरा लगाव होने के कारण उन्हें वह बहुत सुंदर प्रतीत होती है।
मैं भी अपनी जन्मभूमि भारत का पुत्र हूँ। यह धरती मेरी माँ के समान है। मुझे इसका सब कुछ प्रिय लगता है। मुझे यहाँ का अन्न-जल, धर्म-संस्कृति-सब प्रिय है। मैं इसके उत्थान में अपना जीवन लगाना चाहता हूँ। मैं संकल्प करता हूँ कि मैं कोई ऐसा काम नहीं करूंगा जिससे जन्मभूमि का अपमान हो।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
उत्तर:
मेरा देश भारत मेरा देश भारत है। इसकी संस्कृति बहुत प्राचीन है। यह देश वटवृक्ष के समान है। इस धरती पर अनेक धर्मों, संतों, ऋषियों और महापुरुषों ने जन्म लिया। इसकी संस्कृति बहुत महान है। यहाँ के लोगों ने सदियों से जो कुछ भी सीखा है, उसे अपने व्यवहार में उतार लिया है। इसलिए यहाँ की संस्कृति सनातन हैं। यहाँ कट्टरता का नाम नहीं है। यहाँ के लोग उदार, विनम्र
और सरल हैं। यहाँ की जीवन-शैली सहज है। इस सरलता के कारण भारतवासियों को अनेक कष्ट सहने पड़े। हजारों सालों तक गुलाम भी रहना पड़ा। फिर भी भारतवासियों ने अपना स्वभाव नहीं बदला। वे ज्यों के त्यों रहे। वही सीधी-सरल तनावरहित जीवन-शैली।
भारतीय संस्कृति आत्मा और परमात्मा का अस्तित्व मानती है। यहाँ के लोग स्वयं को एक ही परमात्मा की संतान मानते हैं। इसलिए वे किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। वे किसी भी शरणार्थी को परमात्मा का बंदा मानकर अपना लेते हैं। अहिंसा, प्रेम और करुणा भारतवासियों के खून में है। आज भी हमारे संत बाबा दुनियाभर को यही सीख दे रहे हैं। हम किसी मनुष्य को शत्रु नहीं मानते, केवल पापी को शत्रु मानते हैं; काम-क्रोध-लोभ-मद-मोह को शत्रु मानते हैं।
भारतीय संस्कृति के मंदिर, गुरुद्वारे, मसजिदें, गिरजाघर देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं। यहाँ रामायण-महाभारत की गाथाएँ पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। यहाँ अभी भी रामराज्य का सपना मौजूद रहता है। आधुनिक युग में भी यहाँ अहिंसा के आधार पर स्वतंत्रता आंदोलन लड़ा गया। गाँधी जी ने अहिंसा के बल पर भारतवर्ष को स्वतंत्र करके दिखा दिया। सचमुच भारत महान है। इसकी परंपराएँ महान हैं।

प्रश्न 11.
आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
कामेश नाग ,
535, रामनगर
लखनऊ
14-3-2015
प्रिय हडसन एंड्री
सप्रेम नमस्कार!
कैसे हो? आशा है, तुम सानंद होगे। तुम्हारी माताजी तथा पिताजी भी प्रसन्न होंगे। प्रिय एंड्री, इस बार मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ एक मई से आरंभ होंगी। इन दिनों तुम्हारी भी छुट्टियाँ होती हैं। मैं चाहता हूँ कि इस बार तुम भारत आओ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध पर्वतीय स्थान दिखाना चाहता हूँ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध हिमालय पर्वत की सैर कराकर लाऊँगा। मुझे तुम्हारे साथ ऑस्ट्रेलिया में बिताए हुए दिन अभी तक याद हैं। मैं चाहता हूँ कि इस बार हम भारत-भ्रमण करें। तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में
तुम्हारा
पना कामेश

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोधक छाँटकर अलग लिखिए
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से
जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
उत्तर:
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) और, लेकिन।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
फ़ादर बुल्के का अंग्रेजी-हिंदी कोश’ उनकी एक महत्त्वपूर्ण देन है। इस कोश को देखिए-समझिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

प्रश्न
फ़ादर बुल्के की तरह ऐसी अनेक विभूतियाँ हुईं हैं जिनकी जन्मभूमि अन्यत्र थी लेकिन कर्मभूमि के रूप में उन्होंने भारत को चुना। ऐसे अन्य व्यक्तियों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
भगिनी निवेदिता-वे मूलतः इंग्लैंड की रहने वाली थीं। वे वहाँ एक विद्यालय चलाती थीं। वे स्वामी विवेकानंद के संपर्क में आईं तो अभिभूत हो उठीं। स्वामी विवेकानंद ने एक दिन समाज कल्याण के लिए नारी शक्ति का आह्वान किया। भगिनी निवेदिता इसके लिए तैयार हो गईं। वे उनके साथ भारत चली आईं। उन्होंने यहाँ नारी विद्यालय खोले।

प्रश्न
कुछ ऐसे व्यक्ति भी हुए हैं जिनकी जन्मभूमि भारत है लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि किसी और देश को बनाया है, उनके बारे में भी पता लगाइए।
उत्तर:
हरगोविंद खुराना भारत में जन्मे किंतु उन्होंने अपनी कर्मभूमि अमरीका को बनाया।

प्रश्न
एक अन्य पहलू यह भी है कि पश्चिम की चकाचौंध से आकर्षित होकर अनेक भारतीय विदेशों की ओर उन्मुख हो रहे हैं-इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत के अनेक प्रतिभाशाली लोग पश्चिम की चमक-दमक में जीने के लिए अमरीका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया आदि देशों में चले जाते हैं। अपनी जन्मभूमि की कीमत पर वहाँ रहना अनुचित है। भारत माँ का अन्न खाना और सेवा परदेश की करना किसी भी तरह उचित नहीं कहा जा सकता।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर:
लक्ष्मण-परशुराम जी! हमने बचपन में ऐसे-ऐसे कितने धनुष तोड़ डाले। आपने तब तो क्रोध नहीं किया। फिर इस पर इतनी ममता क्यों?
परशुराम-अरे राजकुमार! लगता है तेरी मौत आई है। तभी तो तू सँभलकर बोल नहीं पा रहा। तू शिव-धनुष को आम धनुष के समान समझ रहा है।
लक्ष्मण-हमने तो यही जाना था कि धनुष-धनुष एक-समान होते हैं। फिर राम ने तो इस पुराने धनुष को छुआ भर था कि यह दो टुकड़े हो गया। इसमें राम का क्या दोष? | परशुराम-अरे मूर्ख बालक! लगता है तू मेरे उग्र स्वभाव को नहीं जानता। मैं तुझे बच्चा समझकर छोड़ रहा हूँ। तू क्या मुझे कोरा मुनि समझता है। मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ। मैंने कई बार पृथ्वी के सारे राजाओं का संहार किया है। मैंने सहस्रबाहु की भी भुजाएँ काट डाली थीं। मेरा फरसा इतना कठोर है कि इसके डर से गर्भ के बच्चे भी गिर जाते हैं।

लक्ष्मण-वाह मुनि जी! आप तो बहुत बड़े योद्धा हैं। आप बार-बार मुझे कुठार दिखाकर डराना चाहते हैं। आपका बस चले तो फैंक मारकर पहाड़ को उड़ा दें। मैं भी कोई छुईमुई का फूल नहीं हूँ जो तर्जनी देखने-भर से मर जाऊँ। मैं तो आपको ब्राह्मण समझकर चुप रह गया। हमारे वंश में गाय, ब्राह्मण, देवता और भक्तों पर वीरता नहीं दिखाई जाती। फिर आपके तो वचन ही करोड़ों वज्रों से अधिक घातक हैं। आपने शस्त्र तो व्यर्थ ही धारण कर रखे हैं।
परशुराम-विश्वामित्र! यह बालक तो बहुत मूर्ख, कुलनाशक, निरंकुश और कुलकलंक है। मैं तुम्हें कह रहा हूँ कि इसे रोक लो। इसे मेरे प्रताप और प्रभाव के बारे में बताओ। वरना यह मारा जाएगा।

लक्ष्मण-मुनि जी! आपके यश को आपके सिवा और कौन कह सकता है। आप पहले भी अपने बारे में बहुत प्रकार से बहुत कुछ कह चुके हैं। कुछ और रह गया हो तो वह भी कह लीजिए। वैसे सच्चे शूरवीर युद्ध भूमि में अपना गुणगान नहीं करते, वीरता दिखाते हैं।

प्रश्न 2.
परशुराम ने अपने विषय में सभी में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।। भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।। सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर। गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।
अथवा
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में परशुराम ने अपने विषय में जो कहा, उसे अपने शब्दों में लिखिए। [A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
परशुराम ने अपने बारे में कहा-“मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ। स्वभाव से बहुत क्रोधी हूँ। सारा संसार जानता है कि मैं क्षत्रियों के कुल का शत्रु हूँ। मैंने अनेक बार अपनी भुजाओं के बल पर धरती के सारे राजा मार डाले हैं और यह पृथ्वी ब्राह्मणों को दान दी है। मेरा फरसा बहुत भयानक है। इसने सहस्रबाहु जैसे राजा को मार डाला था। इसे देखकर गर्भिणी स्त्रियों के गर्भ गिर जाते हैं।”

प्रश्न 3.
लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई? [Imp.] [CBSE; A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
राम-परशुराम-लक्ष्मण संवाद के आधार पर संक्षेप में लिखिए कि परशुराम की क्रोधपूर्ण बातें सुनकर लक्ष्मण ने उन्हें शूरवीर की क्या पहचान बताई? [CBSE 2008]
उत्तर:
लक्ष्मण ने वीर योद्धा के बारे में बताया कि सच्चा वीर रणभूमि में वीरता दिखलाता है, अपना गुणगान नहीं करता सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।

प्रश्न 4.
साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर हैं। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
यह बात सत्य है कि साहस और शक्ति तभी तक अच्छे लगते हैं, जब तक कि साहसी व्यक्ति विनम्र रहे। जैसे ही शक्तिशाली व्यक्ति उदंडता करता है, या घमंड दिखाता है, या बढ़-चढ़कर बोलता है, वह बुरा लगने लगता है। परशुराम और लक्ष्मण दोनों के उदाहरण सामने हैं। परशुराम पराक्रमी हैं, किंतु उसका स्वयं को महापराक्रमी, बाल-ब्रह्मचारी, क्षत्रियकुल घातक कहना बुरा लगता है। जैसे-जैसे वह अपने कुठार को सुधारता है और वचन कड़े करता चला जाता है, वैसे-वैसे वह हँसी का पात्र बनता चला जाता है।

लक्ष्मण का साहस हमें भला लगता है। परंतु वह भी सीमाएँ तोड़ देता है। धीरे-धीरे वह बहुत उग्र, कठोर और उद्देड हो जाता है। इस कारण सभी सभाजन उसके विरुद्ध हो जाते हैं। लक्ष्मण की उदंड शक्ति हमें खटकने लगती है। दूसरी ओर, रामचंद्र साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का भी परिचय देते हैं। इसलिए वे सबका हृदय जीत लेते हैं।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।। पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।
उत्तर:
लक्ष्मण हँसकर कोमल वाणी में बड़बोले परशुराम से बोले-अहो मुनिवर! आप तो माने हुए महायोद्धा निकले। आप मुझे बार-बार अपना कुल्हाड़ा इस प्रकार दिखा रहे हैं मानो फैंक मारकर पहाड़ उड़ा देंगे। आशय यह है कि परशुराम का गरज-गरजकर अपनी वीरता का गुणगान करना व्यर्थ है। उनकी वीरता खोखली है। उसमें कोई सच्चाई नहीं।

(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
उत्तर:
लक्ष्मण ने परशुराम के वीर-वेश का मजाक उड़ाते हुए कहा-मुनि जी! यदि आप भी वीर योद्धा हैं तो हम भी कोई छुईमुई के फूल नहीं हैं जो तर्जनी देखते ही मुरझा जाएँगे। हम आपसे टक्कर लेंगे; और सच कहूँ! मैंने आपके हाथ में धनुष-बाण देखा तो लगा कि सामने कोई ढंग का योद्धा आया है। उससे दो-दो हाथ करूं। इसीलिए मैंने आपके सामने कुछ अभिमानपूर्वक बातें कही थीं। मुझे पता होता कि आप कोरे मुनि-ज्ञानी हैं तो मैं भला आपसे क्यों भिड़ता। आशय यह है कि परशुराम मुनि-ज्ञानी हैं। उनका वीर-वेश ढोंग है।
(ग) गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।
उत्तर:
विश्वामित्र ने परशुराम के बड़बोले वचन सुने। परशुराम ने बार-बार कहा कि मैं पल-भर में लक्ष्मण को मार डालूंगा। इन वचनों को सुनकर विश्वामित्र मन-ही-मन हँसे। सोचने लगे कि परशुराम को हरा-ही-हरा सूझ रहा है। वे लक्ष्मण को गन्ने से बनी खाँड़ के समान समझ रहे हैं कि उसे एक ही बार में नष्ट कर डालेंगे। वे अज्ञानी यह नहीं जानते कि लक्ष्मण लोहे से बना खाँड़ा है जिससे संघर्ष मोल लेना आसान नहीं है।

प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
तुलसी रससिद्ध कवि हैं। उनकी काव्य-भाषा रस की खान है। रामचरितमानस में उन्होंने अवधी भाषा का प्रयोग किया है। इसमें चौपाई-दोहा शैली को अपनाया गया है। दोनों छंद गेय हैं। तुलसी की प्रत्येक चौपाई संगीत के सुर में ढली हुई जान पड़ती है। उन्होंने संस्कृत शब्दों को विशेष रूप से कोमल और संगीतमय बनाने का प्रयास किया है। भाषा को कोमल बनाने के लिए उन्होंने कठोर वर्गों की जगह कोमल ध्वनियों का प्रयोग किया है। जैसे–’श’ की जगह ‘स’, ‘ण’ की जगह ‘न’, ‘क्ष’ की जगह ‘छ’, ‘य’ की जगह ‘इ’ आदि। जैसे-• नाथ संभुधनु भंजनिहारा।
गुरुहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे। इस काव्यांश में उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश और अनुप्रास आदि अलंकारों का कुशलतापूर्वक प्रयोग हुआ है। कुछ उदरण देखिए
उपमा-लखन उतर आहुति सम। उत्प्रेक्षा-तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। रूपक-भानुबंस राकेस कलंकू।। अनुप्रास-न तो येहि काटि कुठार कठोरे।
इस काव्यांश में वीर तथा हास्य रस की भी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है। मुहावरों और सूक्तियों के साथ-साथ वक्रोक्तियों का प्रयोग भी मनोरम बन पड़ा है। सूक्ति का एक उदाहरण देखिए
सेवकु सो जो करै सेवकाई।। वक्रोक्ति-अहो मुनीसु महाभट मानी।। इस प्रकार यह काव्यांश भाषा की दृष्टि से अत्यंत मनोरम है।

प्रश्न 7.
इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘परशुराम-लक्ष्मण : संवाद’ मूल रूप से व्यंग्य का काव्य है। व्यंग्य के सूत्रधार हैं-वीर एवं वाक्पटु लक्ष्मण। उनके सामने ऐसा योद्धा है जिस पर धनुष-बाण नहीं चलाया जा सकता। परशुराम बूढे हैं, मुनि हैं, ब्राह्मण हैं; किंतु बहुत डिगियल और बड़बोले हैं। इस कारण लक्ष्मण भी उन पर बातों के तीर चलाते हैं। परशुराम जितनी पोल बनाते हैं, लक्ष्मण वह पोल खोल देते हैं। वे परशुराम की खोखली वीरता की धज्जियाँ उड़ा देते हैं। | परशुराम शिव-धनुष तोड़ने वाले का संहार करने की घोषणा करते हैं। लक्ष्मण कहते हैं-हमने तो बचपन में ऐसे कितने ही धनुष तोड़ रखे हैं। परशुराम कहते हैं-शिव-धनुष कोई ऐसा-वैसा धनुष नहीं था। लक्ष्मण कहते हैं-हमारी नजरों में सब धनुष एक-से होते हैं। परशुराम स्वयं को बाल-ब्रह्मचारी, क्षत्रिय-कुल द्रोही, सहस्रबाहु संहारक कहते हैं। लक्ष्मण व्यंग्य करते हैं-वाह! मुनि जी तो सचमुच महायोद्धा हैं। वे फैंक से ही पहाड़ उड़ा देना चाहते हैं। परंतु यहाँ भी कोई छुईमुई के फूल नहीं हैं। परशुराम विश्वामित्र को कहते हैं कि वे लक्ष्मण को उसकी महिमा का वर्णन करें, वरना यह मारा जाएगा। तब लक्ष्मण व्यंग्य करते हैं-मुनि जी! आपसे बढ़कर आपकी महिमा और कौन बता सकता है। अपने गुण बताते-बताते आपका पेट अभी न भरा हो तो और कह लो। फिर सच्चे वीर युद्ध क्षेत्र में वीरता दिखाते हैं, बातें नहीं बताते। परशुराम क्रोध में आकर विश्वामित्र को कहते हैं कि मैं अभी इसे मारकर गुरु-ऋण से उऋण होता हैं। इस पर लक्ष्मण चोट करते हुए कहते हैं-हाँ हाँ, माता-पिता का ऋण तो आप उतार चुके। अब गुरु-ऋण भारी पड़ रहा है। लंबे समय से न चुका पाने के कारण ब्याज भी बढ़ गया होगा। लाओ, कोई हिसाब-किताब करने वाला बुलाओ। मैं अभी अपनी थैली खोलकर ऋण चुकाता हूँ। इस प्रकार यह अंश व्यंग्य से भरपूर है। तुलसी ने सच ही कहा है
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।। परशुराम यदि आग हैं तो लक्ष्मण के वचन घी की तरह काम करते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए
(क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
उत्तर:
‘ब’ की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है। ‘ह’ की भी आवृत्ति है।
( ख ) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
उत्तर:
उपमा-कोटि कुलिश (वज्र) के समान वचन। अनुप्रास-कोटि कुलिस।
(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा।
उत्तर:
उत्प्रेक्षा-तुम मानो काल को हाँक कर ला रहे हो। पुनरुक्ति प्रकाश-बार-बार।
(घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु।।
उत्तर:
उपमा-लखन उतर आहुति सरिस (लक्ष्मण के उत्तर आहुति के समान थे)
जल सम बचन (वचन जल के समान थे)
रूपक-भृगुबर कोप कृसानु (क्रोध रूपी आग) रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9.
“सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।” ।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर:
पक्ष में विचार-क्रोध केवल नकारात्मक भाव नहीं है। वह भी निर्माण के काम आता है। जैसे हथौड़ा और बुलडोजर केवल भवन तोड़ने का ही काम नहीं करते, बल्कि वे भवन बनाने में सहयोग करते हैं। उसी भाँति क्रोध बुरी बातों को दूर करने में हमारी सहायता करता है। यदि दुर्योधन द्रौपदी के वस्त्र खींचती रहे और लोग बिना क्रोध किए देखते रहें तो फिर न्याय की रक्षा कैसे होगी? यदि कोई गुंडा आपके घर आकर गालियाँ बकता रहे और आप शांत बने रहें तो गुंडा चुप कैसे होगा? यदि परशुराम बढ़-चढ़कर बकझक करते रहें और लक्ष्मण का सिर उतारने को तैयार हो जाएँ तो फिर उन्हें कौन रोकेगा? इसका एक ही उत्तर है-क्रोध। ऐसे समय में क्रोध रक्षक की भूमिका निभाता है। वह स्वभाव से क्षत्रिय है, सिपाही है।
। विपक्ष में विचार-क्रोध चांडाल है। यदि एक चांडाल के विरुद्ध अपना चांडाल खड़ा कर दिया जाए तो, भी चांडाल रहेगा तो चांडाल ही। क्रोध ध्वंस का काम तो कर सकता है, किंतु निर्माण नहीं कर सकता। इस पाठ को ही देख लें। लक्ष्मण के क्रोध ने परशुराम के बड़बोलेपन की फैंक तो निकाल दी किंतु स्वयं फेंक में आ गया। वह परशुराम को इतना अधिक भड़का गया कि कुछ भी विध्वंस हो सकता था। अतः क्रोध से बचना चाहिए।

प्रश्न 10.
संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयत है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता।
उत्तर:
मेरा व्यवहार लक्ष्मण और राम के बीच का होता। मैं लक्ष्मण की भाँति परशुराम के बड़बोलेपन की हवा तो निकालता किंतु बदले में उसका अपमान न करता। मैं उसी की तरह ज़ोर-जोर से बोलकर उसे परिस्थिति समझने के लिए कहता। यदि वे सुनने के लिए तैयार हो जाते तो फिर विनय का प्रदर्शन करता। आखिर वे हैं तो बड़े, बूढ़े, मुनि और सम्माननीय।

प्रश्न 11.
दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए-इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
उत्तर:
एक खरगोश खुद को बहुत तेज और कछुए को बहुत धीमा समझता था। इसी घमंड में उसने उसे दौड़ की चुनौती दे दी। कछुआ हँसते-हँसते मान गया और दौड़ में शामिल हो गया। खरगोश ने एक छपाका मारा और आधा रास्ता पार कर लिया। अब शरारतवश सोचने लगा–बाकी रास्ता तो मैं सुस्ता कर भी पार कर लूंगा। यह सोचकर वह सचमुच सुस्ताने लगा। परंतु उसे नींद आ गई। इधर कछुआ धीमे-धीमे चलता रहा और लक्ष्य तक पहुँच गया। खरगोश जागा तो बहुत देर हो चुकी थी। तब उसे अहसास हुआ कि किसी को भी कम नहीं आँकना चाहिए।

प्रश्न 12.
उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर:
मुझे याद है। मैं पूरे नगर की दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम आया। खेल-विभाग के अधिकारी ने मुझे कहा-अगर तुम प्रांतीय प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हो तो मुझे एक हजार रुपये ला देना, वरना दूसरे का नाम आगे भेज दूंगा।
मैंने उस अधिकारी की शिकायत अपने जिलाधीश को कर दी। परिणाम यह हुआ कि मुझे अवसर मिला और मैंने प्रांतीय प्रतियोगिता जीती। उस अधिकारी को खूब खरी-खोटी सुननी पड़ी।

प्रश्न 13.
अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर:
अवधी भाषा आजकल लखनऊ, इलाहाबाद, फैजाबाद, मिर्जापुर, जौनपुर, फतेहपुर और आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती है।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
तुलसी की अन्य रचनाएँ पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।
उत्तर:
छात्र पढे–विनय-पत्रिका, कवितावली, जानकी-मंगल, पार्वती-मंगल।

प्रश्न
कभी आपको पारंपरिक रामलीला अथवा रामकथा की नाट्य प्रस्तुति देखने का अवसर मिला होगा उस अनुभव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मुझे बचपन में अनेक बार रामलीला देखने का अवसर मिला। मुझे सबसे अधिक मार्मिक प्रसंग लगा-लक्ष्मण-मूछ का। श्री राम जब छोटे भाई लक्ष्मण को मूर्छित देखते हैं तो भावुक हो उठते हैं। उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगती हैं। तब हनुमान सुषेण नामक वैद्य को अपने कंधों पर उठा लाते हैं। सुषेण के कहने पर हनुमान हिमालय जाकर संजीवनी बूटी ले आते हैं। इस अवसर पर राम की अधीरता, विलाप और हनुमान के आने पर खुशी देखकर मैं भावमुग्ध हो जाता हूँ। करुणा भरा यह प्रसंग मुझसे आज भी भुलाए नहीं भूलता।।

प्रश्न
कोही, कुलिस, उरिन, नेवारे-इन शब्दों के बारे में शब्दकोश में दी गई विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
कोही-विशेषण, काव्य में प्रयुक्त शब्द, ‘क्रोधी’ का एक बोली-रूप।।
कुलिस-कुलिश का एक रूप, काव्य में प्रयुक्त शब्द, अर्थ-वज्र, पुल्लिग। उरिन-काव्य में प्रयुक्त शब्द, उऋण का बदला हुआ रूप, विशेषण। नेवारे-काव्य में प्रयुक्त शब्द, स. क्रिया, दूर करना।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 तोप

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विरासत में मिली चीजों की सँभाल इसलिए की जाती है क्योंकि यह हमारे पूर्वजों द्वारा प्रदत्त होती हैं। इनसे हमारे पुरखों की यादें जुड़ी होती हैं। इसके अलावा ये हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग होती हैं जो हमें तरह-तरह की जानकारी देती हैं। इनसे तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों की जानकारी मिलती है। विरासत अगली पीढ़ी के लिए ज्ञान की वाहक होती है। ये नई पीढ़ी के जीवन-निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

प्रश्न 2.
इस कविता से आपको ‘तोप’ के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
इस कविता से हमें यह जानकारी मिलती है कि सन् 1857 की तोप हमें विरासत में मिली है। यद्यपि इस तोप का निर्माण अंग्रेज़ों ने भारतवासियों के विरुद्ध प्रयोग करने के लिए किया था, किंतु इसी तोप ने अंग्रेज़ों पर आक्रमण करके, उन्हें परास्त करके, उन्हें उनकी बुरी चालों की सज़ा दी थी। अब यह कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी हुई है। साल में दो बार इसे चमकाया जाता है। आज तो यह अवकाश प्राप्त पुरुष की तरह प्रसन्नता का अनुभव करती है, जब वह देखती है कि बच्चे उसपर सवारी करते हैं, चिड़ियाँ उसपर बैठ कर चुहलबाज़ी करती हैं और गौरैयाँ शैतानी से उसके भीतर भी घुस जाती हैं।

प्रश्न 3.
कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है?
उत्तर:
कंपनी बाग में रखी तोप हमें यह सीख देती है कि समय परिवर्तनशील है। वह सदा एक-सा नहीं रहता है। कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो एक न एक दिन उसे झुकना ही पड़ता है। अत्याचार पर सदा ही सदाचार की जीत होती आई है। इसके अलावा यह तोप हमें और भी कई सीख देती है; जैसे-

  1. हमें अतीत से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
  2. हमें अपनी स्वतंत्रता को सदा बचाकर रखना चाहिए। इसके लिए भले ही हमें अपना सब कुछ अर्पित करना पड़े।
  3. हमें अच्छा कार्य करना चाहिए ताकि समय बदलने पर भी लोग अच्छे कामों के लिए हमें याद करें।

प्रश्न 4.
कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। वे दो अवसर कौन-से होंगे?
उत्तर:
‘तोप कविता में कवि ने तोप को दो बार चमकाने की बात कही है। वे दो अवसर हैं-15 अगस्त और 26 जनवरी ।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप।
उत्तर:
भाव यह है कि सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय जिस तोप ने असंख्य स्वतंत्रता प्रेमी वीरों और योद्धाओं को मौत के घाट उतार दिया था, कंपनी बाग के मुहाने पर रखी वही तोप आज विरासत बन गई है। इस तोप की शक्ति अब | वैसी नहीं, जैसी तब थी। आज यह बच्चों की घुड़सवारी का साधन बनी हुई है तो यह चिड़ियों के गपशप करने की प्रिय जगह बन गई है। गौरैयें तो इसके अंदर-बाहर आ-जाकर छिपम-छिपाई-सा खेल खेलती प्रतीत होती हैं।

प्रश्न 2.
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद ।
उत्तर:
इन पंक्तियों का आशय है कि एक दिन जो तोप शक्तिशाली तथा क्रूरता का प्रतीक थी, आज उसका कोई महत्त्व नहीं है अर्थात् तोप महत्त्वहीन होकर कंपनी बाग के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन की तथा बच्चों के मनोरंजन की वस्तु बनकर पड़ी है।

प्रश्न 3.
उड़ा दिए थे मैंने,
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे।
उत्तर:
भाव यह है कि तोप वर्ष 1857 के आसपास बहुत ही शक्तिशाली थी। तत्कालीन भारत में अंग्रेजों का शासन था। उस समय देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से युद्ध करने वालों को तोप से उड़ा दिया था। कंपनी बाग के मुहाने पर रखी इस तोप से असंख्य शूरमाओं को उड़ा दिया था। उस समय यह तोप आतंक की पर्याय थी। इस तोप ने वीरों के अलावा निर्दोषों को भी अपनी शक्ति से मौत की नींद सुला दिया था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए ‘धर रखी गई है। यह 1857 की तोप’ ‘घर’ शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है। ‘रखना’ ‘धरोहर’ और ‘संचय’ के रूप में।
उत्तर:

  1. खरा सोना मजबूत होता है।
  2. वह मेरी कसौटी पर खरा उतरा।

प्रश्न 2.
‘तोप’ शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपातंरण कीजिए।
उत्तर:
कविता का भाव गद्य में रूपातंरण-1857 के स्वतंत्रता सेनानियों को मारने के लिए अंग्रेज़ों ने जिस तोप का इस्तेमाल । किया, अब वह तोप कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी है। विरासत में मिली इस तोप की साल में दो बार स्वतंत्रता । दिवस और गणतंत्र दिवस पर विशेष देख-रेख होती है। यह तोप प्रतीक रूप में यह बताती है कि मैंने अपने समय में भारतीय वीरों को मौत के घाट उतारा था। लेकिन समय के बदलाव के साथ इस तोप पर बैठकर बच्चे सवारी का लुत्फ लेते हैं। इस पर बैठकर चिड़ियाँ बातचीत करती हैं। गौरेया नामक चिड़ियाँ इसमें भीतर बैठकर यह बताती हैं कि एक दिन सबका मुँह बंद हो जाता है। चाहे कोई कितनी ही बड़ी तोप क्यों न हो। भाव यह है कि अत्याचारी का भी एक-न-एक दिन अंत होता है। चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
कविता रचना करते समय उपयुक्त शब्दों का चयन और उनका सही स्थान पर प्रयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कविता लिखने का प्रयास कीजिए और इसे समझिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और घनी आबादी वाली जगहों के आसपास पार्को का होना क्यों ज़रूरी है? कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर:
परिचर्चा-जहाँ आबादी अधिक होगी, वहाँ प्रदूषण भी उसी अनुपात में मिलेगा। यदि प्रदूषण से बचने का उपाय नहीं किया गया तो वह मानव के अस्तित्व के लिए खतरा बन जाता है, जहाँ घनी आबादी व जनसंख्या अधिक है, ऐसी जगहों पर पार्क इसलिए आवश्यक है ताकि पार्क में लगे पेड़-पौधे ऑक्सीजन देकर वातावरण को शुद्ध कर प्रदूषण को कम कर सकें। कुल मिलाकर कहने का भाव यह है कि वातावरण को प्रदूषण रहित रखने के लिए हर क्षेत्र में पार्क व पेड़ों का होना अनिवार्य है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता सैनानियों की गाथा संबंधी पुस्तक को पुस्तकालय से प्राप्त कीजिए और पढ़कर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें ।

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