Students can access the Online Education CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
Online Education CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 1 with Solutions
Time Allowed: 2 Hours
Maximum Marks: 40
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं-खण्ड ‘क’ और ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए |
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड ‘क’ [20 अंक]
(पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 x 4 = 8)
(क) ‘फादर कामिल बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं।’ लेखक के इस कथन के आधार पर सिद्ध कीजिए कि फ़ादर का जीवन परंपरागत संन्यासियों से किस प्रकार अलग था?
उत्तरः
- संन्यासी के परंपरागत स्वरूप में मोह त्यागकर सामान्यतः समाज से पलायन कर जाने की प्रवृत्ति फ़ादर कामिल बुल्के द्वारा परंपरागत संन्यासी प्रवृत्ति से अलग नई परंपरा की स्थापना
- कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन…प्रियजनों के प्रति मोह, प्रेम व अपनत्व
- प्रियजनों के घर समय-समय पर आना-जाना, संकट के समय सहानुभूति रख उन्हें धैर्य बँधाना आदि
फादर कामिल बुल्के ने परम्परागत संन्यासी की प्रवृत्ति को त्यागकर एक नई परंपरा स्थापित की। संन्यासी के परंपरागत स्वरूप में मोह को त्यागकर सामान्यतः समाज से पलायन करने की प्रवृत्ति होती है। फादर कामिल बुल्के ऐसे नहीं थे। वे एक बार जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे जीवन भर निभाते भी थे। वे अपने प्रियजनों के घर पर समय-समय पर आते जाते थे व उनके संकट के समय उन्हें सहानुभूति व धैर्य बँधाते थे। इससे सिद्ध होता है कि फादर कामिल बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं।
(ख) फादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया के समान क्यों लगती थी? पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तरः
- मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व व सबके लिए कल्याण की कामना ।
- परम हितैषी के समान लोगों को आशीर्वचनों से सराबोर कर देना
- भरपूर वात्सल्य से भरी नीली आँखों में तैरता अपनापन
- उपर्युक्त कारणों से फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगना
फादर मानवीय गुणों से ओतप्रोत थे। उनके मन में सबके लिए कल्याण की भावना थी। वे अपने परम हितैषी लोगों को अपने आशीर्वचनों से भर देते थे। उनकी नीली आँखों में सबके लिए सदा वात्सल्य का भाव तैरता रहता था। जिस प्रकार देवदार का वृक्ष अपनी छाया से पथिक को शीतलता का अहसास कराता है, उसी प्रकार फादर कामिल बुल्के अपनी बाँहों के घेरे में सदा सबको मातृत्व का अहसास कराते थे।
(ग) क्या सनक सकारात्मक भी हो सकती है? सकारात्मक सनक की जीवन में क्या भूमिका हो सकती है? सटीक उदाहरणों द्वारा अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
- सनक अर्थात् धुन का पक्का होना, लगन, मेहनत तथा ईमानदारी से काम करने की सनक, सकारात्मक सनक
- वैज्ञानिकों, महापुरुषों तथा समाज सेवियों के उदाहरण आज़ादी के मतवाले क्रांतिकारी, सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने की ठानने वाले समाज सुधारक
- पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ माँझी जैसे सकारात्मक सनक वाले व्यक्तियों के उदाहरण…..
सनक का शाब्दिक अर्थ है धुन का पक्का होना अर्थात् लगन, मेहनत और ईमानदारी से अपने काम में लगे रहना। यदि सनक का परिणाम सबके हित में होता है तो वह सनक सकरात्मक होती है। आज़ादी के मतवाले क्रांतिकारियों ने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी। पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ माँझी की सनक ने आज हमारे सामने सकारात्मक परिणाम प्रस्तुत किया। अतः सनक सकारात्मक भी हो सकती है और इस प्रकार की सनक समाज के हित के लिए होती है।
(घ) ‘लखनवी’ अंदाज’ शीर्षक की सार्थकता तर्क सहित सिद्ध कीजिए।
उत्तरः
- विषय वस्तु से शीर्षक के पूरी तरह मेल खाने में ही शीर्षक की सार्थकता
- ‘लखनवी अंदाज़’ शीर्षक की कथानक से पूर्णतः संबद्धता
- झूठी नवाबी शान, दिखावा, सनक, नज़ाकत आदि का वर्णन लेखक को दिखाने के लिए खीरे की फाँके सूंघकर खिड़की से बाहर फेंकने वाली घटना का उल्लेख आदि
“लखनवी अंदाज’ पाठ में नवाब साहब के माध्यम से झूठी शान, दिखावे और सनक का वर्णन किया गया है। किस तरह एक नवाब केवल दिखावे के लिए बिना खाए ही खीरे को फेंक देता है और उदर तृप्ति का दिखावा करता है। पाठ का शीर्षक विषयवस्तु से पूरी तरह मेल खाता है इसलिए पाठ का शीर्षक सार्थक है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘उत्साह’ कविता के शीर्षक की सार्थकता तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
- ‘उत्साह’ कविता एक आह्वान गीत
- कविता समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करने के उद्देश्यूपरक सृजन से प्रेरित बादल की गर्जना व क्रांति के माध्यम से लोगों के जीवन में उत्साह का संचार, प्रकृति में नव-जीवन का समावेश, क्रांति-चेतना का शंखनाद आदि शीर्षक की सार्थकता के आधार
‘उत्साह’ कविता एक आह्वान गीत है। कवि बादलों की गर्जना के माध्यम से निराश व हताश लोगों के जीवन में नवीन उत्साह का संचार करना चाहते हैं। यह कविता समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करने के उद्देश्य से लिखी गई है। अतः कविता का शीर्षक सही है।
(ख) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में फागुन के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया गया है? उसे अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
निराला कृत ‘अट नहीं रही है’ कविता में चित्रित फागुन के अप्रतिम सौंदर्य की अपने शब्दों में कलात्मक अभिव्यक्ति
- फागुन की सर्वव्यापक आभा एवं उसके अद्भुत सौंदर्य की व्यापकता का उल्लेख
- प्रकृति में सौंदर्य व उल्लास का समावेश, कण-कण का फागुन के रंग में रंग जाना आदि
इस सत्र में पढ़ी गई महाकवि निराला की कविता ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन के अप्रतिम सौंदर्य की कलात्मक अभिव्यक्ति की गई है। फागुन की आभा की सर्वव्यापकता ने प्रकृति को अद्भुत सौंदर्य से परिपूर्ण कर दिया है और वह कवि की आँखों में समा नहीं पा रहा है। पेड़-पौधे नव पल्लव और नव पुष्प से भर गए हैं। उनकी सुगंध धरती-आसमान को महका रही है। इस सौंदर्य ने मानव मन के साथ-साथ पशु-पक्षी को भी मुग्ध कर दिया है।
(ग) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में कोरी भावुकता न होकर जीवन में संचित किए अनुभवों की अनिवार्य सीख है? कविता के नाम के साथ कथन की पुष्टि के लिए उपयुक्त तर्क भी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
- ऋतुराज कृत ‘कन्यादान’ कविता…विदाई के समय माँ की केवल भावुकता का प्रदर्शन नहीं जीवन में संचित अनुभव पर आधारित उपदेश-सौंदर्य व वस्त्राभूषणों पर न रीझना, मानसिक रूप से दृढ़ बनना आदि
- स्वयं को किसी के सामने लड़की जैसा न दिखाने आदि की व्यावहारिक सीख
कवि ऋतुराज द्वारा रचित कविता ‘कन्यादान’ में माँ द्वारा अपनी बेटी को उसके विवाह के अवसर पर केवल कोरी भावुकता में न जीते हुए जीवन में संचित किए गए अनुभवों को अपनाने की अनिवार्य सीख दी गई है। माँ ने बेटी को वस्त्रोंआभूषणों के कृत्रिम बंधन में न बंधने की सीख दी है। वह इन्हें केवल शाब्दिक भ्रम मानती हैं और उसे मानसिक रूप से दृढ़ बने रहने को कहती हैं। वह कहती है कि तुम्हें लड़की के समान मर्यादित जीवन तो जीना ही है पर अपने ऊपर होने वाले शोषण का विरोध भी करना है।
(घ) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता की अंतिम पंक्तियाँ आपको प्रभावित करती हैं और क्यों? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- कन्यादान-‘आग रोटियाँ………जीवन के।।’
- उत्साह-‘विकल-विकल………गरजो।।
- अट नहीं रही है-‘कहीं पड़ी है…….पट नहीं रही है।।
इनमें से किसी एक कविता की उल्लिखित अंतिम काव्य-पंक्तियों के प्रभावित करने व प्रिय होने के कारणों का तर्क सहित उल्लेख
इस सत्र की पढ़ी गई कविताओं में से ‘कन्यादान’ कविता की अंतिम पंक्तियाँ ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं….’ ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है क्योंकि इन पंक्तियों से हमें यह सीख मिलती है कि ससुराल में सबका मानसम्मान करना है पर यदि हमारे ऊपर कोई अन्याय या अत्याचार हो तो हमें उसे चुपचाप रहकर सहना नहीं करना है बल्कि उसका विरोध करना है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘माता का अंचल’ पाठ में वर्णित बचपन और आज के बचपन में क्या अंतर है? क्या इस अंतर का प्रभाव दोनों बचपनों के जीवन मूल्यों पर पड़ा है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
खेल-खिलौनों व खेलने के स्थान में अंतर, पहले खेत-खलिहानों व खुले में खेलने की जगह बचपन का अब घर या अपने कमरे तक सीमित हो जाना पहले बचपन को संयुक्त परिवार का प्रेम व समय मिलना, अब एकल परिवार में कामकाजी माँ-बाप के जाने के बाद एकाकीपन पहले बड़ों के प्रेम के साथ-साथ संस्कार मिलना, अब माता-पिता की व्यस्तता से संस्कारों में गिरावट आना
यह पाठ काफी समय पहले लिखा हुआ है। उस समय और आज के समय के जीवन में दिन रात का अन्तर आ गया है। उस समय के बचपन में बच्चों पर पढ़ाई लिखाई का कोई दबाव नहीं था। सभी बच्चे मिलकर खूब खेलते थे किंतु अब आपस में स्नेह-भाव, विचारों का आदान-प्रदान व विश्वास की कमी हो गई है। आज के बच्चों की पढ़ाई के पाठ्यक्रम इतने मुश्किल हो गए हैं कि उन्हें पूरा करने में इतना समय लग जाता है
और उनके पास खेलने का समय ही नहीं बचता। आज के खेल की सामग्री व साधन भी बदल गए हैं। गली में नाटक खेलना, गिली मिट्टी के खिलौने बनाना, विवाह रचना, खेती करना आदि खेल नहीं रहे। पहले बचपन को संयुक्त परिवार का प्रेम व समय मिलता था पर अब एकल परिवार हो गए हैं और माँ-बाप के कामकाजी होने के कारण बच्चे को अकेले रहना पड़ता है और वह एकाकी हो जाता है। संयुक्त परिवार में रहकर उसे प्रेम और संस्कार मिलते थे पर आज एकाकी होने के कारण उसके संस्कारों में गिरावट आने लगी है।
(ख) ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है?
उत्तरः
- सत्ता से जुड़े लोगों का मानसिक पराधीनता का शिकार होना
- सरकारी तंत्र में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार व्याप्त होना देश के सच्चे विकास व आम जनता के सच्चे सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा के लिए मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना आवश्यक
‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर यह स्पष्ट है कि सादियों तक अंग्रेजों के पराधीन रहने के कारण आत्मसम्मान और स्वाबलंबन का भाव आज लुप्त हो गया है। पूरा सरकारी तंत्र अपनी अव्यवस्था, अयोग्यता और स्वार्थ सिद्धि के भाव को छिपाने के लिए चाटुकारिता को अपनाता है। सत्ता से जुड़ा हुआ प्रत्येक व्यक्ति मानसिक पराधीनता का शिकार है। ऊपर से नीचे तक सरकारी तंत्र में केवल भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है। ऐसी स्थिति में देश का विकास संभव नहीं है। अतः देश के सच्चे विकास व आम जनता के सच्चे सम्मान व स्वभिमान की रक्षा के लिए मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना अत्यावश्यक है।
(ग) नदी, फूलों, वादियों और झरनों के स्वर्गिक सौंदर्य के बीच किन दृश्यों ने लेखिका के हृदय को झकझोर दिया? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः
- आजीविका के लिए स्थानीय महिलाओं का अपनी पीठ पर बच्चे लादकर मार्ग बनाने के लिए पत्थर तोड़ने की विवशता
- उस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भूख, दैन्य और जीवित रहने के लिए लड़ी जाने वाली – जीवन की जंग
- संवेदनाओं को झकझोर देने वाली अनुभूति
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका का मन तब झकझोर उठा जब उन्होंने देखा। लेखिका ने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पहाड़ों को तोड़ रही थी। यह बहुत जोखिम भरा कार्य था क्योंकि इन्हें कई बार डायनामाइट से भी करती हैं। उनके हाथों में हथौड़े-कुदाल देखकर ऐसा लेखिका ने कहा। वहीं दूसरी ओर पीठ पर डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे थे, वह पत्ते बीन रही थी। जहां इतना सौंदर्य का प्रतिरूप था वहीं भूख, प्यास और आजीविका के लिए लड़ाई चल रही थी।
खण्ड ‘ख’ [20 अंक]
(रचनात्मक लेखन)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) कोरोना काल और ऑनलाइन पढ़ाई संकेत-बिन्दु-भूमिका, लॉकडाउन की घोषणा, ऑनलाइन कक्षाओं का आरंभ, इसके लाभ, ऑफ़लाइन कक्षाओं से तुलना, तकनीकी से जुड़ी बाधाएँ, निष्कर्ष
उत्तरः
दिए गए तीन अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लेखन
- भूमिका – 1 अंक
- विषयवस्तु – 3 अंक
- भाषा – 1 अंक
कोरोना काल और ऑनलाइन पढ़ाई कोरोना महामारी ने लोगों को स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ही प्रभावित नहीं किया बल्कि आर्थिक और मानसिक रूप से भी बहुत अधिक प्रभावित किया है। इस महामारी से निम्न और मध्यम-निम्न आय वाले देश अधिक प्रभावित हुए हैं। यहाँ की अर्थव्यस्था में बहुत गिरावट देखने को मिली है। देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन लगने से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को बंद रखा गया जिसके कारण छात्र जीवन बहुत प्रभावित हुआ। छात्रों को पढ़ाई में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा और इस दौरान शिक्षा प्रणाली में असमानता और अधिक बढ़ी है।
ऑफलाइन कोचिंग संस्थान, स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद होने के बाद ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था में तेजी से उछाल देखने को मिला । बहुत से ऐसे शिक्षण संस्थान थे जो कभी ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था से परिचित नहीं थे उन्होंने भी ऑनलाइन शिक्षा में कदम रखा और बहुत तेजी के साथ अपने आप को स्थापित करने में सफलता भी हासिल की। भारत सरकार ने कई तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वयं, दीक्षा, इ-पाठशाला जैसे कई सारे पोर्टल विकसित किये ताकि एक गरीब छात्र भी आसानी से घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर सके । यू-ट्यूब जैसे वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म पर भी बहुत सारे शिक्षकों ने फ्री में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया ताकि छात्रों की शिक्षा पर इस कोरोना के प्रभाव को कम किया जा सके।
इस प्रकार अचानक से शिक्षा को ऑनलाइन रूप देना वास्तविक ऑनलाइन शिक्षा नहीं कहा जा सकता बल्कि इस प्रकार की शिक्षा को आपातकालीन ऑनलाइन शिक्षा कहना बेहतर होगा। क्योंकि इसके लिए पहले कोई अनुसंधान नहीं किया गया और बच्चों को बिना किसी तैयारी के ऑनलाइन शिक्षा को अपनाना पड़ा। ऑनलाइन शिक्षा कितनी भी गुणवत्ता पूर्ण क्यों न हो लेकिन ये कभी भी क्लास रूम से प्राप्त होने वाली शिक्षा का स्थान नहीं ले सकती। आज भी गाँवों में रहने वाले ऐसे बहुत से छात्र हैं जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा नहीं है और परिवार की स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं है कि उनको पढ़ाई करने के लिए मोबाइल फ़ोन दिला सके। ऐसे में शिक्षा में अमीर और गरीब बच्चों के बीच में बहुत असमानता देखने को मिली।
(ख) मानव और प्राकृतिक आपदाएँ संकेत-बिंदु-भूमिका, प्रकृति और मानव का नाता, मानव द्वारा बिना सोचे-विचारे प्रकृति का दोहन, कारण एवं प्रभाव, प्रकृति के रौद्र रूप के लिए दोषी कौन, निष्कर्ष
उत्तरः
मानव और प्राकृतिक आपदाएँ प्राचीन काल से, मनुष्य पृथ्वी के चेहरे पर विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ित हैं। यह भूकंप, बाढ़, चक्रवात या ज्वालामुखीय विस्फोट हो, मनुष्यों ने हमेशा किसी भी प्राकृतिक आपदा का डर पाल रखा है। ऐसे डर के लिए प्राथमिक कारण का अनुमान लगाने में मुश्किल नहीं हैयह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मानव की अक्षमता रही है। आज, हम अपने पूर्वजों से वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से बेहतर हैं। विज्ञान में प्रगति ने वास्तव में कई आपदाओं की भविष्यवाणी करने में मदद की है और उनमें से कुछ को नियंत्रित करने के तरीकों को खोजा है।
हालांकि, आज भी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति बहुत बड़ी है। ऐसा क्यों है? क्या आधुनिक युग में प्राकृतिक आपदाएं अकेले प्राकृतिक बलों का परिणाम हैं? तकनीकी क्षमता का लापरवाही भरा उपयोग पर्यावरणीय गिरावट और इसके प्रतिकूल प्रभावों के लिए ज़िम्मेदार है। बड़े पैमाने पर खनन भूस्खलन को प्रेरित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि हम मनुष्यों को नुकसान पहुँचाने के बावजूद पारिस्थितिकीय गिरावट और प्राकृतिक आपदाओं के लिए जिम्मेदार हमारे कार्यों को सीमित करने में असमर्थ रहे हैं। कुछ हद तक, विज्ञान ने मनुष्यों को नुकसान की मात्रा सीमित करके प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मदद की है। प्राकृतिक आपदाएं न केवल भौतिक संपत्ति के नुकसान में बल्कि पीड़ितों को अत्यधिक शारीरिक और मानसिक पीड़ा का कारण बनती हैं।
तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के कारण, आजकल प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की जा सकती है। उदाहरण के लिए, सिस्मोग्राफ की एक श्रृंखला, डेटा उत्पन्न कर सकती है जो प्रारंभिक चेतावनियां प्रदान करती है। प्राकृतिक आपदाएं भी अकेले नहीं आती हैं; ऐसी एक आपदा से खराब स्वच्छता, स्वास्थ्य और पुनर्वास कार्यों के कारण कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। मनुष्यों ने निश्चित रूप से उम्र बढ़ने से प्राकृतिक आपदाओं का सामना कैसे किया है, यहाँ तक कि उनके साथ कुछ हद तक सामना करना है। लेकिन अब भी प्रकृति का क्रोध वैज्ञानिक रूप से उन्नत और तकनीकी रूप से सुसज्जित मानव को एक व्यावहारिक गैर-इकाई के लिए कम कर सकता है।
(ग) सड़क सुरक्षाः जीवन रक्षा संकेत-बिंदु-भूमिका, सड़क सुरक्षा से जुड़े कुछ प्रमुख नियम, सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी से होने वाली हानियाँ, इन्हें अपनाने के लाभ, निष्कर्ष
उत्तरः
सड़क सुरक्षा : जीवन रक्षा
सभी सड़क सुरक्षा उपायों के प्रयोग द्वारा सड़क हादसों की रोक-थाम और बचाव है-सड़क सुरक्षा। सभी लोगों के लिये उनके पूरे जीवन भर सड़क सुरक्षा उपायों का अनुसरण करना बहुत ही अच्छा और सुरक्षित है। सभी को गाड़ी चलाते समय या पैदल चलते वक्त दूसरों का सम्मान करना चाहिये और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिये। सड़क किनारे हादसें, चोट और मृत्यु को टालने के लिये बहुत महत्वपूर्ण पहलूओं में से एक है
सड़क पर लोगों की सुरक्षा । दिनों-दिन सड़क पर गाड़ी चलाना असुरक्षित बनता जा रहा है। कई बार लोग लम्बे समय तक अपने निजी वाहनों को बिना किसी नियमित रख-रखाव और मरम्मत के रखते हैं, इसलिये ये बहुत जरूरी है कि समय से मरम्मत के साथ वाहनों की ठीक ढंग से कार्य करने की स्थिति के प्रति आश्वस्त रहें। ये केवल वाहन के जीवन को ही नहीं बढ़ाता है; हादसों को घटाने में भी मदद करता है। एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्कूल में सड़क सुरक्षा उपायों को जरुर जोड़ना चाहिये जिससे चालन से पहले ही अपने शुरुआती समय में ही विद्यार्थीयों को इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। वाहनों के संचालन और उचित सड़क सुरक्षा उपायों के बारे में गलत जानकारी के कारण ज्यादातर सड़क हादसे होते हैं।
सभी सड़क समस्याओं से बचने के लिये निम्न सभी सड़क सुरक्षा उपाय बहुत मदद करते हैं। सड़क सुरक्षा के कुछ प्रभावकारी उपाय हैं जैसे वाहन के बारे में मूल जानकारी, मौसम और सड़क के हालात के अनुसार रक्षात्मक चालन, वाहन लाईटों और हॉर्न का प्रयोग, सीट पेटीका पहनना, वाहन शीशा का सही प्रयोग, अधिक-गति से बचना, रोड लाईट को समझना, सड़क पर दूसरे वाहनों से दूरी बना के रखना, परेशानी की स्थिति को संभालने की उचित समझ, टी.वी पर डॉक्यूमेंटरी जागरुकता का प्रसारण आदि।
प्रश्न 5.
आपकी चचेरी दीदी कॉलेज में दाखिला लेना चाहती हैं, किन्तु आपके चाचा जी आगे की पढ़ाई न करवाकर उनकी शादी करवाना चाहते हैं। इस बारे में अपने चाचा जी को समझाते हुए लगभग 120 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
अथवा
आपके क्षेत्र में सरकारी राशन की दुकान का संचालक गरीबों के लिए आए अनाज की कालाबाजारी करता है और कुछ कहने पर उन्हें धमकाता है। उसकी शिकायत करने हेतु लगभग 120 शब्दों में जिलाधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तरः
दिए गए दो पत्रों में से किसी एक विषय पर 120 शब्दों में पत्र लेखन
- आरंभ तथा अंत की औपचरिकताएँ- 1 अंक
- विषयवस्तु – 3 अंक
- भाषा – 1 अंक
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 25 जनवरी, 20XX
आदरणीय चाचाजी,
सादर चरण स्पर्श
मैं यहाँ ठीक हूँ और आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ ठीक होंगे। कल ही पिताजी का पत्र आया था जिसे पढ़कर पता चला कि आप दीदी की आगे की पढ़ाई छुड़वा रहे हैं और उनकी शादी करवा रहे हैं। चाचाजी, दीदी कॉलेज में दाखिला लेना चाहती हैं, वे आगे की पढ़ाई कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हैं। वे सिविल सर्विसेज में जाना चाहती हैं।
चाचाजी, आज जमाना बदल चुका है और हर क्षेत्र में लड़के-लड़कियाँ कंधे-से कन्धा मिलाकर चल रहे हैं। आज अन्तरिक्ष, विज्ञान, मेडिकल, खेल आदि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ लड़कियों ने अपना परचम न फैला रखा हो। सायना नेहवाल, पी.वी. सिन्धु, कल्पना चावला आदि ऐसे अनेक नाम हैं जिन्होंने न केवल अपना बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। चाचाजी, आप देखिएगा कि वो दिन दूर नहीं जब आप भी दीदी पर गर्व अनुभव करेंगे।
आशा है कि आप मेरी बात समझ गए होंगे और दीदी की पढ़ाई जारी रखेंगे। आपको व चाचीजी को मेरा सादर चरण स्पर्श और छोटू को प्यार। आपका प्यारा राजेश
अथवा
परीक्षा भवन
जयपुर
जिलाधिकारी महोदय
जयपुर जिला मुख्यालय,
जयपुर विषय : अनाज की कालाबाजारी रोकने हेतु।
महोदय
नम्र निवेदन है कि मैं दुर्गापुरा क्षेत्र का निवासी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान हमारे क्षेत्र में हो रही अनाज की कालाबाजारी की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में जो सरकारी राशन की दुकान है उसका संचालक गरीबों को मुफ्त अनाज का वितरण नहीं करता है। वह अनाज के बदले में उनसे पैसे माँगता है और विरोध करने पर उन्हें डराता-धमकाता है। गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपना जीवन-यापन करता है। उसके पास घर-खर्च में पैसे नहीं होते तो वह अनाज के पैसे कैसे देगा। दुकान का मालिक स्वयं मुनाफा कमाने के लिए अनाज को पास की दुकानों में ऊँची कीमत पर बेच देता है और गरीब बेचारा भूखा ही रह जाता है। ताकत के अभाव में बेचारा गरीब कुछ नहीं कर पाता। हमारी कॉलोनी के कुछ लोगों ने भी उसका विरोध करने का प्रयास किया पर सब व्यर्थ रहा ।।
मेरा आपसे निवेदन है कि आप अपनी टीम को निरीक्षण हेतु यहाँ भेजें ताकि राशन संचालक को उसकी गलती का अनुभव हो और कोई गरीब यहाँ से खाली हाथ न जाए।
आशा है कि आप इस ओर उचित कार्यवाही करेंगे। धन्यवाद।
प्रार्थी
अनुज मिश्रा
प्रश्न 6.
(क) आपको अपना फ्लैट किराए पर देना है। इसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आपकी दीदी ने संगीत कला केन्द्र खोला है। इसके प्रसार-प्रसार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
6 क और ख प्रश्नों में दिए गए दो-दो विषयों में से एक-एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में (2.5 अंक के विज्ञापन की जाँच के लिए अंक विभाजन)
- विषयवस्तु – 1 अंक
- प्रस्तुति – 1 अंक
- भाषा – 1/2 अंक
अथवा
(ख) सामाजिक संस्था ‘सवेरा’ के नशा-मुक्ति जागरूकता अभियान के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
बहुत कम कीमत में स्मार्ट फोन बनाने वाली कंपनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। 2.5
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 7.
(क) राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई) में पहला स्थान प्राप्त करने पर अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में शुभकामना संदेश लिखिए।
अथवा
साहसिक कार्य के लिए बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तर:
7 क और ख प्रश्नों में दिए गए दो-दो विषयों में से एक-एक संदेश लगभग 40 शब्दों में (2.5 अंक के संदेश लेखन की जाँच के लिए अंक विभाजन)
- रचनात्मक प्रस्तुति – 1 अंक
- विषयवस्त – 1 अंक
- भाषा – 1/2 अंक
शुभकामना संदेश दिनांक: 25 जनवरी, 20XX |
अथवा
बधाई संदेश दिनांक: 25 जनवरी, 20XX |
(ख) केरल के निवासी अपने मित्र को ओणम के अवसर पर लगभग 40 शब्दों में एक बधाई संदेश लिखिए।
अथवा
भैया-भाभी की पहली वैवाहिक वर्षगाँठ पर लगभग 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तर:
बधाई संदेश दिनांकः 25 जनवरी, 20XX |
अथवा
शुभकामना संदेश दिनांकः 25 जनवरी, 20XX |