Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 4 with Solutions
Time Allowed: 2 Hours
Maximum Marks: 40
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं-खण्ड ‘क’ और ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए |
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड ‘क’ [20 अंक]
(पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) लेखक के ज्ञान-चक्षु किस प्रकार खुल गए? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तरः
जब लेखक ने नवाब साहब को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना मात्र से संतुष्ट होते हुए देखा और उन्हें पेट भरने व तृप्त होने का आचरण करते हुए देखा तो उनके ज्ञान-चक्षु खुल गए। उन्हें यहाँ एक नयी बात समझ आई कि यदि खीरे को खाए बिना, उसकी सुगंध मात्र से क्षुधा को शांत किया जा सकता है, तो बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी लिखी जा सकती है।
(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब की एक सनक का वर्णन किया गया है। क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है?
उत्तरः
‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में खीरे के सम्बन्ध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक ही कहा जा सकता है। सनक का सकारात्मक रूप भी होता है। जब किसी काम को पूरे आत्मविश्वास के साथ करने की लगन या धुन सवार होती है तो वह सनक का सकारात्मक रूप होता है। महात्मा बुद्ध का अपने जीवन को सत्य की खोज में लगाना, क्रांतिकारियों के द्वारा देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की परवाह न करना आदि सनक इस प्रकार की हैं जिनका परिणाम सकारात्मक ही निकला है।
(ग) फादर बुल्के की जन्मभूमि कहाँ थी और उनका अपनी जन्मभूमि के प्रति कैसे भाव थे?
उत्तरः
फादर बुल्के की जन्मभूमि बेल्जियम की रेम्सचैपल थी। अपनी जन्मभूमि के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा और अपार प्रेम था। हालाँकि वे अपने देश में ज्यादा समय तक नहीं रहे पर फिर भी उनके मन में अपने देश की याद हमेशा ही बनी रही। अपनी जन्मभूमि को वे बहुत सुंदर मानते थे और उससे उन्हें अत्यंत लगाव था।
(घ) ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के द्वारा लेखक ने क्या सन्देश देने का प्रयास किया है?
उत्तरः
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि फादर जैसे अनुकरणीय चरित्र को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। दया, करुणा, ममता, वात्सल्य, सहयोग, सद्भावना जैसे गुणों को हमें अपने अंदर विकसित करना चाहिए। अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति भी अपने दायित्व और गौरव को जन-जन में जागृत करना और उसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) लड़की का कन्यादान करते समय उसकी माँ को सर्वाधिक कष्ट क्यों होता है? उसे वह अंतिम पूंजी क्यों लगती थी? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
‘कन्यादान’ कविता के आधार पर अपनी लड़की को दान में देते समय माँ को सर्वाधिक कष्ट इसलिए होता है क्योंकि उसकी बेटी अभी सयानी भी नहीं हुई और न ही उसे दुनियादारी की कोई समझ थी। वह उसकी अंतिम पूंजी थी क्योंकि वह उसके सुख-दुःख की साथी थी। माँ को उसे अपने से दूर करना पड़ रहा है और उसे पराए घर भेजना पड़ रहा है। अपनी बेटी को उसने बड़े ही नाजों से पाला था और अब उसे किसी दूसरे को सौंपकर वह अकेली हो जाएगी।
(ख) लड़की का अपने चेहरे पर रीझना क्यो हानिकारक है?
उत्तरः
लड़की का अपने चेहरे पर रीझना इसलिए हानिकारक है क्योंकि वह अपने रूप-सौन्दर्य के प्रति अत्यंत उत्साहित होकर सुंदर होने के भ्रम में जीने लगती है और उसके दवारा ऐसा करने पर वह कमज़ोर बन जाती है। वह यथार्थ का सामना नहीं कर पाती और समाज की लोलुपता का शिकार हो जाती है।
(ग) ‘उत्साह’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि बादलों का आह्वान क्यों करना चाहता है?
उत्तरः
कवि बादलों का आह्वान इसलिए करना चाहता है ताकि वह भीषण ताप से संसार के व्याकल, उदास, दुखी और अनमने लोगों को सुखी देखना चाहता है। कवि का मानना है कि बादलों की गर्जना से मनुष्यों में एक नए उत्साह और शक्ति का संचार और सृजन होता है। वर्षा का जल लोगों में शीतलता और तृप्ति का एहसास कराता है।
(घ) ‘अट नहीं रही है’ कविता में चारों ओर छाई सुंदरता को देखकर कवि क्या करना चाहता है?
उत्तरः
‘अट नहीं रही है’ कविता में चारों ओर छाई सुंदरता को देखकर कवि का मन अभिभूत हो गया है। फागुन माह में प्रकृति नव-पल्लवों और नव-पुष्पों से सुशोभित हो गई है। हरियाली का वातावरण अनुपम दृश्य की रचना कर रहा है। इस अनुपम सौंदर्य से कवि अपनी दृष्टि नहीं हटा पा रहा है। वह इस सौंदर्य को अपलक निहार रहा है। इस सौंदर्य दर्शन से उसे तृप्ति नहीं मिलती है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) माँ को बाबूजी के खाना खिलाने का ढंग पसंद क्यों नहीं था? ‘माता के आंचल’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः
माँ को बाबूजी के खाना खिलाने का ढंग इसलिए पसंद नहीं था क्योंकि वे छोटे-छोटे कौर खिलाते थे। इससे भोलानाथ थोड़ा-सा खाने पर भी समझ लेता था कि उसने बहुत ज्यादा खा लिया है। उसकी माँ बड़े-बड़े कौर खिलाया करती थी। वे थाली में दही-भात सानती और तरह-तरह के पक्षियों के नाम के कौर बनाकर भोलानाथ को खिलाया करती थी। तभी वे संतुष्ट होती थी और उन्हें लगता था कि भोलानाथ का पेट अब भर गया है।
(ख) नाक सम्मान का प्रतीक है, अपनी नाक रखने के लिए हम कितनों को अपमानित करते हैं या दूसरों की नाक काटते हैं-‘जॉर्ज पंचम’ की नाक पाठ के आधार पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में भारतीयों की गुलामी मानसिकता पर भरपूर कटाक्ष किया गया है। स्वतंत्र भारत का तत्कालीन शासन वर्ग अपने आत्सम्मान को खोकर उनके सम्मान में लगा हुआ है जिसने वर्षों तक हमें अपना गुलाम बनाए रखा और हम पर अनेक अत्याचार किए। वे सब कुछ भुलाकर रानी एलिज़बेथ के तलवे चाटने में लगे हुए हैं। जिन शहीदों के बलिदान के फलस्वरूप आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं उन शहीदों के मान-सम्मान को ताक पर रखकर शासक वर्ग गर्व का अनुभव कर रहे हैं। पाठ में इसी कार्य प्रणाली पर व्यंग्य किया गया है।
(ग) देश की सीमा पर बैठे फौजी अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हैं। सैनिक जीवन से किन-किन मूल्यों को अपनाया जा सकता है?
उत्तरः
“सैनिक देश की रक्षा के लिए कटिबद्ध रहते हैं। लगातार दिन-रात जागकर वे देश की सीमा की सुरक्षा करते रहते हैं ताकि हम देशवासी चैन की नींद सो सकें। सैनिकों में देश सुरक्षा की भावना इतनी प्रबल होती है कि वे अपने प्रणों की परवाह भी नहीं करते। जीवन में अनेक कठिनाइयों और असुविधाओं का सामना करने पर भी उनके लिए देश सर्वोपरि है। उनके इसी प्रयास के कारण आज तक देश सुरक्षित है। हमें उनके देश सेवा पर गर्व है। अपने इन फौजियों से हमें देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता, ईमानदारी और समर्पण जैसे जीवन मूल्यों को सीख सकते हैं और अपने जीवन में अपना सकते हैं।
खण्ड ‘ख’ [20 अंक]
(रचनात्मक लेखन)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) काल करे सो आज करे संकेत बिन्दुः
- अर्थ स्पष्टीकरण
- समय का सदुपयोग क्यों
- सदुपयोग कैसे
उत्तरः
मानव जीवन अनमोल है। इसमें हर एक पल का महत्व है। समय अधिक मूल्यवान होता है क्योंकि बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। आनंदित, सफल और सुखी जीवन के लिए हमारे समय का प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है। समय प्रबंधन, अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए बुद्धिमानी से योजना और कार्यों और लक्ष्यों के निष्पादन की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। समय के सुदपयोग के तहत हम अपने आवश्यक कार्यों की समय-सारिणी करते हैं ताकि उन्हें हमारे अधिक लाभ के लिए पूरा किया जा सके। जीवन काफी व्यस्त हो गया है। हमें नियमित जीवन में सौ काम करने होते हैं।
सही समय की रणनीति के साथ हम सफलता और मानसिक संतुष्टि के लिए उन्हें छांटने और पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं। इसीलिए कहा गया है ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब’ प्रकृति सभी के साथ समानता का बर्ताव करती है समय जिसका एक अच्छा उदाहरण हैं। जो सभी के उपयोग की स्वतंत्रता देता हैं जो इन्सान समय के मुताबिक चला है तथा उसका सदुपयोग किया हैं व्यर्थ में समय को नहीं गंवाता हैं।
वह स्वयं के कर्म अर्थात भाग्य का निर्माता बन जाता हैं। जीवन में सफलता और विफलता समय के उपयोग और दुरूपयोग पर ही निर्भर करती हैं जो व्यक्ति इसके प्रति जागरूक एवं सावधान रहता है वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है। जीवन में समय के प्रत्येक पल का बड़ा महत्व हैं। यदि हम बीते हर लम्हे को व्यर्थ करते जाएगे तो नतीजे में केवल बर्बादी ही हाथ लगेगी। धन, दौलत, सम्मान सब कुछ खोने के उपरान्त पाए जा सकते हैं मगर बीता हुआ समय कभी भी वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता हैं। अतः हर पल काम टालने की प्रवृत्ति को छोड़कर आज का काम कल कल के लिए न टालकर आज ही करने में लाभ हैं।
(ख) आतंकवाद : एक प्रमुख समस्या संकेत बिन्दु :
- बढ़ता आतंकवाद
- भारत में आतंकवाद
- समाधान
उत्तरः
आतंकवाद एक हिंसात्मक कुकृत्य है। आतंकवाद करने वाला आतंकवादी होता है। आज सम्पूर्ण विश्व में आतंकवाद अपने पाँव पसारे हुए है। आतंकवाद का प्रमुख लक्ष्य आम आदमी या सरकार को निशाने पर लेते हुए अपनी अनुचित और देश विरोधी माँगों को पूरा करवाना है। कई बार अपने धार्मिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। आज विकसित भारत की प्रमुख समस्या के रूप में आतंकवाद प्रमुख हैं। इसने देश के विकास में अपने पैर जमाए हुए हैं। पूर्व में तो यह केवल जम्मू-कश्मीर में ही पल रहा था पर अब तो इसने पूरे देश को ही अपने शिंकजे में जकड़ा हुआ है।
मुंबई-दिल्ली में होने वाले हमलों ने तो हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। आतंक रूपी दानव से न केवल भारत अपितु रूस, अमेरिका, जर्मनी जैसे शक्तिशाली देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। अमेरिका में सितंबर 2011 में हुए हमले से इसे सच सिद्ध कर दिया है। इस हमले ने सम्पूर्ण देश को लिा कर रख दिया था। आतंकवाद को समाप्त करने के लिए आज जरुरत है विश्व के सभी राष्ट्रों के एकजुट होने की।
दिन-प्रतिदिन सामने आने वाले आतंकी संगठन और आतंकवादी का सामना करने के लिए हमें मिल-जुलकर सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार के लोग उन्मादी और आतंक के लिए प्रशिक्षित होते हैं। युवाओं को आतंक की शिक्षा देते हैं। इसे दूर करने के लिए आम जन को जागरूक होना होगा। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और उदार दृष्टिकोण के साथ-साथ इस समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
(ग) गुरु-शिष्य सम्बन्ध
संकेत बिन्दु :
- प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य सम्बन्ध
- वर्तमान स्थिति
- कारण
- निवारण।
उत्तरः
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने, जिन गोबिंद दियो बताय। गुरु को भारत में सदा से ही अत्यधिक सम्माननीय माना गया है। यहाँ तक कि अनेक सन्त-कवियों ने तो गुरु को ईश्वर का या उससे भी श्रेष्ठ दर्जा दे दिया है। किन्तु केवल गुरु का योग्य या शिक्षा देने में इच्छुक होना पर्याप्त नहीं है, शिष्य को भी शिक्षा प्राप्ति के लिए उतना ही उत्सुक व योग्य होना आवश्यक है और इन दोनों से भी ऊपर है गुरु व शिष्य के सम्बन्धों का मधुर, पवित्र व विश्वसनीय होना। गुरु निःस्वार्थ भाव से, दृढ़ता व लगन से शिक्षा दे व शिष्य पूर्ण निष्ठा, विश्वास, मेहनत व लगन से शिक्षा ग्रहण करे, तभी यह प्रक्रिया सफल हो सकती है। वर्तमान स्थिति इस सम्बन्ध में सन्तोषजनक नहीं है। गुरु वेतनभोगी हो गये हैं और शिष्य अनुशासनहीन, हठी व आचरणहीन होते जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा प्रक्रिया अपना उद्देश्य पूर्ण नहीं कर पाती, बल्कि अनेक प्रकार के अपराधों को जन्म देती है। छात्रों व अभिभावकों का अध्यापकों के ऊपर से विश्वास ही उठता जा रहा है।
अध्यापकों के निर्देशों व कार्यों पर उँगली उठाई जाती है, संदेह की दृष्टि से देखा जाता है, विभिन्न प्रकार से उन पर नजर रखी जाती है। ऐसे में शिक्षक के आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है, वह स्वेच्छा से, विवेकपूर्वक शिक्षण प्रक्रिया को क्रियान्वित नहीं कर पाता। कदम-कदम पर उसे जवाबदेही करनी पड़ती है, अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर शिक्षा प्रक्रिया को जारी रखना पड़ता है। ऐसे में शिक्षा अपना उद्देश्य कैसे पूर्ण कर सकती है। जिस चिकित्सक के पास हम अपने रोग के उपचार के लिए जाते हैं, जब तक उस पर पूर्ण विश्वास न हो, उसकी दवा काम नहीं कर सकती। उसी प्रकार जब तक छात्र अपने अध्यापकों पर विश्वास नहीं करेंगे, समर्पण का भाव नहीं आएगा, तब तक उनका ज्ञान छात्रों के हृदय तक पहुँच ही नहीं सकता। आवश्यकता इस बात की है कि अध्यापक निःस्वार्थ भाव से, पूरी तन्मयता से अपना ज्ञान व अनुभव छात्रों तक पहुँचायें व छात्र सम्मानपूर्वक ज्ञान ग्रहण करने में आनन्द लें, तभी यह ज्ञान यज्ञ सफल हो पायेगा।
प्रश्न 5.
प्रधानाचार्या को पत्र लिखकर विद्यालय से आर्थिक सहायता की माँग करते हुए प्रार्थना कीजिए।
अथवा
आपका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अपने मित्र को पत्र लिखकर आमन्त्रित कीजिए। .
उत्तरः
प्रधानाचार्या महोदया,
क ख ग विद्यालय,
नई दिल्ली। दिनांक 20 जनवरी, 20xx
विषय-आर्थिक सहायता हेतु प्रार्थना ।
आदरणीय महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं का छात्र हूँ। नर्सरी कक्षा से नियमित रूप से इसी विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ व प्रतिवर्ष अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता हूँ। समय-समय पर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मैंने विद्यालय का नाम भी रोशन किया है। महोदया, गत वर्ष से हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है। पिताजी मेरी पढ़ाई व विद्यालय के अन्य शुल्क चुकाने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस वर्ष मेरा शुल्क माफ़ कर दीजिए ताकि मैं आपके ही विद्यालय में शिक्षा जारी रख सकूँ। मुझे आशा है कि आप मेरी प्रार्थना पर विचार करेंगी व मुझे इस रूप में आर्थिक सहायता देकर अनुग्रहीत करेंगी। धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी छात्र,
अ ब स
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 15 दिसम्बर, 20XX
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते। मैं यहाँ परिवार सहित कुशल हूँ तथा आशा है तुम सपरिवार प्रसन्न व स्वस्थ होगे। तुम्हें यह जानकर हर्ष होगा कि मेरे पिताजी का तबादला वापस दिल्ली हो गया है। इसलिए इस वर्ष मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाने का निर्णय किया है। तुम्हें मेरा जन्मदिन तो याद ही होगा। मेरा जन्मदिन 4 अक्टूबर को है। इस अवसर पर तुम अपने माता-पिता, भाई-बहन सहित सादर आमन्त्रित हो । यह समारोह सायंकाल 7 बजे आरम्भ होगा। समारोह में गीत-संगीत, पार्टी-गेम्स के साथ-साथ सायंकाल के भोजन का भी प्रबन्ध है। आशा है कि तुम इस निमन्त्रण को स्वीकार कर अवश्य आओगे । इस शुभावसर पर पुराने मित्रों से मुलाकात हो जाएगी और कुछ गपशप भी हो जाएगी।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
अखिल
प्रश्न 6.
(क) एक आध्यात्मिक संस्था/ध्यान केन्द्र के लिए लगभग 25-50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप घर बेचना चाहते हैं। उसके लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
आध्यात्मिक चर्चा |
यदि आप अध्यात्म में रुचि रखते हैं; यदि आप जीवन-जगत की सच्चाई को जानना चाहते हैं; यदि आप हमेशा खुश रहना व खुशियाँ बाँटना चाहते हैं; तो आइए, 26 मई, प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक होने वाली इस आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लीजिए। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें-9810203546 |
अथवा
(ख) नेशनल सिल्क एक्सपो के लिए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
आपके शहर में होंडा का नया शोरूम खुला है। उसके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
नेशनल सिल्क एक्सपो 26 जनवरी से 30 जनवरी 22 समयः सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक लेटेस्ट वैरायटी व नए डिज़ाइनों में |
अथवा
प्रश्न 7.
(क) अपनी माँ के नाम संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए।
अथवा
सभी प्रदेशवासियों को दीपावली के शुभावसर पर शुभकामना संदेश 30-40 शब्दों में दीजिए। (2.5)
उत्तरः
संदेश |
दिनांक: 25 दिसम्बर, 20XX सायं 5 बजे प्रिय माँ, पारीक साहब का फोन आया था। उस समय आप घर पर नहीं थीं। मैंने फोन उठाया था। उन्होंने कहा था कि जैसे ही आप घर पर आएँ वैसे ही आप उनसे फोन पर बात कर लें, पर उससे पहले इ मेल अवश्य पढ़ लें। रमा |
अथवा
(ख) आपका भाई स्कूल से देर से आएगा, ऐसा उसने आपको फोन पर बताया कि माँ को बता देना। आपकी माँ किसी काम से बाहर गई हुई हैं और आपको अपने मित्र के यहाँ जाना है। माँ को संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
अथवा
पुत्र की बीमारी की खबर सुनकर आपको जल्दी घर जाना पढ़ा। घर जाने से पहले अपने प्राचार्य को संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
उत्तरः
संदेश |
दिनांक 15 जनवरी 20XX समयः प्रातः 10 बजे बड़े भैया का फोने आया था कि उनके विद्यालय में आज गणित और विज्ञान की अतिरिक्त कक्षा लग रही है इसलिए उन्हें आने में देर हो जाएगी। वे चार बजे तक घर आ जाएँगे। मैं पढ़ाई करने के लिए रोहन के घर जा रहा हूँ। अनुज |
अथवा
संदेश |
दिनांक: 1 जनवरी 20XX समयः दोपहर 12 बजे महोदय, मेरे घर से फ़ोन आया था कि मेरे पुत्र को बहुत तेज़ बुखार हो गया है। उसे जल्दी-से-जल्दी अस्पताल लेकर जाना है। अतः मुझे शीघ्र घर जाना पड़ गया। छात्रों के नवीनीकरण की फाइल मैंने बड़े बाबू जी को दे | दी है। श्याम सिंह |