Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 5 with Solutions

Time Allowed: 2 Hours
Maximum Marks: 40

सामान्य निर्देश :

  • प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं-खण्ड ‘क’ और ‘ख’।
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
  • लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
  • खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए |
  • खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खण्ड ‘क’ [20 अंक]
(पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) किस बात से सिद्ध होता है कि फादर बुल्के के मन में लेखक एवं उनके अन्य सहित्यिक मित्रों के प्रति बहुत अपनापन समाया हुआ था?
उत्तर:
लेखक एवं उनके अन्य सहित्यिक मित्रों के घरों में जब कोई उत्सव या संस्कार होता था तो उसमें फादर बुल्के अपनी उपस्थिति से बड़े भाई और पुरोहित का एहसास कराते थे। उनके स्नेह और आशीषों की छाया से सभी आच्छादित रहते थे। सबके प्रति वात्सल्य उनकी आँखों में झलकता था। इससे सिद्ध होता है फादर बुल्के के मन में लेखक एवं उनके अन्य साहित्यिक मित्रों के प्रति बहुत अपनापन समाया हुआ था।

(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में लेखक ने पतनशील सामंती वर्ग पर कटाक्ष किया है-इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
“लखनवी अंदाज़’ पाठ में निस्संदेह पतनशील सामंती वर्ग पर कटाक्ष किया गया है। इस प्रकार के लोग जीवन की वास्तविकता का सामना नहीं कर पाते और उससे दूर भागते हैं। इन्हें बनावटी जीवन शैली अपनाने में गर्व की अनुभूति होती है। इनका इस प्रकार का जीवन विरोधी अंदाज़ उचित नहीं है। खीरा खाने के स्थान पर उसकी सुगंध मात्र से तृप्ति का अनुभव होना सामंती नहीं बल्कि पतनशील सामंती वर्ग की वास्तविकता को हमारे सामने लाता है।

(ग) ‘फादर बुल्के मानवता के सच्चे पुजारी थे’-‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
फादर बुल्के के मन में अपनत्व, वात्सल्य, उदारता जैसे मानवीय गुण गहराई से अपनी पैठ जमाए हुए थे। सामाजिकता की भावना से उनका मन ओतप्रोत था। किसी से एक बार रिश्ता बनाने पर वे उसे ताउम्र निभाते थे। किसी से भी मिलने पर वे उसके घर-परिवार और दुःख-तकलीफ आदि के बारे में पूछते थे और उन्हें दूर करने का प्रयास करते थे। बड़े से बड़े दुःख में भी उनके सांत्वना से भरे दो शब्द अमृत के समान मधुर प्रतीत होते थे। इससे पता चलता है कि फादर बुल्के मानवता के सच्चे पुजारी थे।

(घ) खीरा खाने के इच्छुक होते हुए भी लेखक ने खीरा खाने से इंकार क्यों किया?
उत्तर:
‘जब नवाब साहब ने खीरे को काटकर उस पर नमक-जीरा-मिर्च छिड़क कर उसे करीने से प्लेट में सजाया तो उसे देखकर लेखक के मुँह में पानी भर आया। लेखक पहले खीरा खाने के आमंत्रण को ठुकरा चुके थे। उन्हें लगा कि यदि वे इस बार खीरा खाएँगे तो उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचेगी और नवाब साहब समझेंगे कि उन्होंने केवल तकल्लुफ के लिए मना किया था।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन मास की प्राकृतिक शोभा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन माह की शोभा का मनोहारी वर्णन किया गया है। प्रकृति बड़ी ही सुहानी प्रतीत हो रही है। सर्वत्र मादकता छाई हुई है। पक्षी आकाश को छूने के लिए आतुर हैं। वृक्ष नव पल्लवों और पुष्पों से लद गए हैं। पुष्प-सुगंध न धरती के साथ-साथ आकाश को भी सुगन्धित बनाया हुआ है। प्रत्येक स्थान पर फागुन की मस्ती और सौंदर्य की उपस्थिति है।

(ख) लड़की की विदाई के क्षण माँ के लिए अधिक दुखदायी क्यों होते हैं? ‘कन्यादान’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
माँ अपनी बेटी के सबसे निकट होती है और उसकी सुख-दुःख की साथी होती है। कन्यादान’ के समय माँ को अनुभव होता है कि अब उसके पास कुछ नहीं बचेगा। बेटी उसकी संचित पूँजी होती है। वह अपनी बेटी के सुखद भविष्य के प्रति आशंकित रहती है इसलिए माँ के लिए उसकी विदाई के क्षण अधिक दुखदायी होते है।

(ग) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर:
कवि बादलों की गर्जना का आह्वान इसलिए करना चाहता है क्योंकि ज़ोरदार वर्षा से लोगों का अशांत मन शांत हो जाता है। इससे तपती हुई धरती को शीतलता का अहसास होगा और लोग परिवर्तन की ओर अग्रसर होंगे। कवि समाज में क्रांति लाना चाहता है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहता है।

(घ) ‘कन्यादान’ कविता में कवि ने लड़की के भोलेपन और सीधेपन को किन बातों के आधार पर प्रतिपादित किया है?
उत्तर:
‘कन्यादान’ कविता में कवि ने लड़की के भोलेपन और सीधेपन को निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर प्रतिपादित किया है

  • जब माँ अपनी पुत्री से कहती है कि अपने चेहरे पर मत रीझना अर्थात् माँ के अनुसार पुत्री अभी नासमझ है इसलिए उसके लिए विवाह का अर्थ केवल सजना-संवरना है।
  • माँ का दुःख है कि लड़की अभी सयानी नहीं है इसलिए वस्त्रों और आभूषणों से भ्रमित न होना।
  • कविता में उसका सीधापन इससे भी ज्ञात होता है कि वह अभी धुंधले सुख की कल्पना ही कर रही थी, उसे उनमें छिपे हुए दुःख का अनुभव नहीं था।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रही है। वह प्रकृति के सौन्दर्य को नष्ट करने पर तुली है। अन्धाधुन्ध वृक्ष काटे जा रहे हैं, इससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, मौसम चक्र गड़बड़ा गया है। प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है। इसी प्रकार आज की पीढ़ी नदियों के पानी को प्रदूषित कर रही है। अब तो गंगा भी अपनी पवित्रता खो बैठी है। नदियों में नालों का गन्दा पानी डाला जाता है, कारखानों का अपशिष्ट बहाया जाता है। पॉलीथिन के प्रयोग ने प्रकृति के स्वरूप को बहुत अधिक बिगाड़ दिया है। युवा वर्ग को समझना होगा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आगे आना होगा, क्योंकि युवावस्था में वह जोश और ताकत होती है जो क्रान्ति लाने में सक्षम है। अतः उन्हें तो खुद समझना व दूसरों को समझाना है। प्रकृति का शोषण बन्द करें, नदियों को स्वच्छ बनायें, अधिकाधिक वृक्ष लगायें तो पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

(ख) ‘माता का आंचल’ पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक लगाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपके विचार से इसका क्या कारण हो सकता है?
उत्तर:
बच्चे का अपने पिता से अधिक लगाव था। वह पिता के साथ ही बाहर की बैठक में सोया करता था। पिता अपने साथ ही उसे उठाते और साथ ही नहला-धुलाकर पूजा पर बिठा लेते थे। वे उसे भभूत का तिलक भी लगा देते थे। पिताजी उसे प्रेमपूर्वक भोलानाथ कहकर पुकारते थे। माता के साथ तो केवल उसका दूध पीने तक का नाता था। इसके बावजूद भी जब कहानी के अन्त में बच्चे पर विपदा आयी और साँप निकल आने के कारण बच्चा बेतहाशा भागता चला गया व सारी देह लहूलुहान हो गयी थी, तब वह पिता की पुकार को अनसुनी करके माँ की शरण में चला गया। माँ ने ही घावों पर हल्दी पीसकर लगायी। वह मैया’ (माँ) के आँचल में छिपता चला गया। वह पिता की गोद में नहीं गया। इसका कारण यही है कि बच्चे की आत्मा माँ से ही बँधी होती है, उसे कष्ट के समय अनायास ही माँ याद आती है और उसी की गोद में वह सुकून पाता है।

(ग) ‘माता का आंचल’ पाठ में बच्चे बारात का जूलूस कैसे निकालते थे?
उत्तर:
‘माता का आंचल’ पाठ में बच्चे बारात का जुलूस इस प्रकार निकालते थे कि सभी बच्चे दो दलों में बंट जाते थे। एक समूह लड़की वाला बन जाता था और दूसरा लड़के वाला। चबूतरे के एक हिस्से से दूसरे तक बारात निकाली जाती। बकरे पर समाधि को बिठाकर उसे चबूतरे के चारों ओर घुमाया जाता। घर की पुरानी चूहेदानी को पालकी बना लिया जाता और बहू घर आ जाती थी।

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खण्ड ‘ख’ [20 अंक]
(रचनात्मक लेखन)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (5)
(क) प्रकृति और इंसान संकेत बिन्दु:

  • प्रकृति ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
  • प्रकृति पर मानव की निर्भरता
  • प्राकृतिक असंतुलन।

उत्तर:
प्रकृति ईश्वर की बनाई हुई सर्वश्रेष्ठ रचना है जिससे ईश्वर अपने सर्वश्रेष्ठ कलाकार होने का एहसास हमें हर वक्त कराता रहता है। इंसान ने भले ही कितनी नई चीजों का आविष्कार व निर्माण कर दिया हो, लेकिन वह ईश्वर की बनाई इस रचना की बराबरी तो कभी कर ही नहीं सकता। इंसान तो उस दाता की बनायी हुई कलाकृतियों की नकल. भर करता है। विशाल महासागर, झर झर बहते झरने, खूबसूरती व सुगंध बिखेरते फूल, सूर्योदय व सूर्यास्त का मनभावन दृश्य, काली रात में चमकते सितारे अपने आप एक अद्भुत छटा ही बिखेर देते हैं।

यह पूरी प्रकृति उस दाता ने हम इंसानों को उपहार में दी है जो हर वक्त हमारी सहायता करने के लिए तत्पर रहती हैं। हमारी सभी मूलभूत आवश्यकताओं को बिना किसी स्वार्थ के पूरा करती हैं। प्रकृति ने इस धरती में रहने वाले हर प्राणी को मां बनकर पाला। लेकिन हम इस कदर स्वार्थी हो गए कि, हम उसके परोपकार को भूलकर उसे ही उजाड़ने में तुले हुए हैं। जिस कारण इस धरती में पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ गया है।

वैसे तो प्रकृति हर वक्त हमारे द्वारा किए गए अत्याचारों को चुपचात सहती है। लेकिन कभी-कभी वह अपना गुस्सा बाढ़, भूकंप, अकाल के रूप में दिखा देती है। अगर हमें उसके गुस्से से बचना है हमें इसे बचाना ही होगा, फिर से पेड़ों को लगाकर इस रती को हरा-भरा करना ही होगा।

(ख) पर्यावरण और हम संकेत बिन्दुः

  • पर्यावरण क्या हैं
  • पर्यावरणीय असंतुलन का कारण
  • पर्यावरण की सुरक्षा

उत्तर:
परि + आवरण = पर्यावरण, यानि हमारे चारों ओर के वो सभी जैविक और अजैविक तत्व जिनसे मिलकर यह धरती बनी है। जैसे जीव-जंतु, पेड़-पौधे, कीड़े पतंग, परिंदे, पशु, पर्वत, पहाड़, नदी, झरने, हवा आदि। ये सब हमारे पर्यावरण में अपनी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। और ये इंसान को अनेक चीजें निरन्तर, बिना स्वार्थ के ही प्रदान करते हैं। बदले में हमने अपने क्रियाकलापों से अपने पर्यावरण को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारी नुकसान पहंचाया है जिससे पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया हैं। पर्यारण को सबसे ज्यादा खतरा इंसान से ही है। क्योंकि विकास की अंधी दौड़, रोज रोज बनते कंक्रीट के जंगल (मकान, नवनिर्मित शहर), अंधाधुंध पेड़ों की कटाई, कम होते खेत खलियान, बढ़ता प्रदूषण, उद्योग धंधे, कल कारखानों व फैक्ट्रियों से निकलता हुआ जहरीला धुआं, प्लास्टिक व उससे बने हुए सामान आदि पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं।

पर्यावरणीय असंतुलन की वजह से आज हमें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऋतु चक्र में आए परिवर्तन तथा अनेक असाध्य रोगों का जन्म और न जाने कितनी ही समस्याओं पर्यावरणीय असंतुलन का ही नतीजा है। पर्यावरण की सुरक्षा हमारी अपनी ही सुरक्षा हैं। इसीलिए अंधाधुंध पेड़ों की कटाई करने से बचना होगा, नए पौधों को रोपित कर उनकी देखभाल करनी होगी। प्लास्टिक से बनी चीजें का उपयोग कम से कम करना, बिजली और पानी को बचाना अति आवश्यक है। रासायनिक खादों का प्रयोग कम करना व विलुप्त होते पेड़-पौधे, जीव जन्तु, कीट पतंगों व परिंदों की प्रजातियों को संरक्षित करना होगा। तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकता हैं।

(ग) कोरोना एक महामारी संकेत बिन्दुः

  • कोरोना वायरस
  • कोरोना के लक्षण
  • कोरोना से बचाव

उत्तर:
कोरोना को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक महामारी घोषित किया। आज कोई भी देश कोरोना के प्रभाव से अछूता नहीं हैं। इस बीमारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई। इसीलिए इस COVID-19 (यानि Corona Virus Disease-19) का नाम दिया गया हैं। वायरस का आकार मानव के बाल से भी लगभग 900 गुना छोटा हैं। लेकिन इसका प्रभाव बड़ा ही शक्तिशाली है। कोरोना का संक्रमण मानव के जरिये मानव को होता हैं इसीलिए ये तेजी से दुनियाभर के लोगों में फैल रहा है। कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए एक नया नवेला वायरस हैं। इसके संक्रमण के शुरुआत में जुकाम, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है। यह वायरस इंसान के फेफड़ों में सीधा असर करता है।

इस इस बीमारी से बचने के लिए अभी दुनिया में किसी के पास कोई टीका, दवा या वैक्सीन नहीं है। इसीलिए इस बीमारी में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। अगर आप संक्रमित लोगों के आसपास ना जाए, भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें, समारोहों या सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखें, तो आप इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

प्रश्न 5.
सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन के लिए विद्यालय में शिक्षण की विशेष व्यवस्था करवाने की अनुमति माँगते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
अथवा
गर्मियों की छुट्टियों में किसी कारणवश छात्रावास से घर न जा सकने के लिए माँ को पत्र लिखिए। (5)
उत्तर:
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली।
दिनांक : 20 अक्टूबर, 20XX

विषय-सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन की व्यवस्था हेतु।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ और आपसे प्रार्थना करना चाहता हूँ कि सर्व शिक्षा अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय में शिक्षण की उचित व्यवस्था करें। महोदय, हम सब जानते हैं कि जब तक जन-जन शिक्षित नहीं होगा, तब तक देश का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। मैं चाहता हूँ कि हम छात्र मिलकर शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गरीब बस्तियों में जायें तथा विद्यालय में उनके लिए सायंकालीन शिक्षा की व्यवस्था निःशुल्क करें। यह प्रयास समाज के उत्थान के लिए एक अच्छा प्रयास सिद्ध हो सकता है।

मुझे आशा है, आप इस अनुरोध पर विचार करेंगे व शीघ्र ही इसके लिए उचित व्यवस्था करने में सहयोग देंगे।
धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी छात्र,
क ख ग

अथवा

895/879, विकास मार्ग,
गाजियाबाद
दिनांक : XX जनवरी 20XX
पूजनीया माता जी,
सादर प्रणाम
आशा है आप सब लोग घर में कुशल मंगल से होंगे। मैं भी यहाँ पर कुशल मंगल से हूं। माँ मेरी परीक्षाएं पूर्ण हो चुकी हैं और इस बार मेरे सभी पेपर भी बहुत अच्छे हुए हैं। मां आप तो जानती हैं कि मुझो क्रिकेट कितना प्रिय है। और इस बार गर्मियों की छुट्टियों में स्कूल प्रशासन ने क्रिकेट के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को स्कूल में आमंत्रित किया हैं। ताकि स्कूल की क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा सके। और मैं भी अपने स्कूल क्रिकेट टीम का सदस्य हूं। इसीलिए मुझे भी इस प्रशिक्षण में भाग लेना आवश्यक है।

इस वजह से इस बार की गर्मियों की छुट्टियों में मैं घर नहीं आ पाऊंगा। आप मेरे लिए परेशान मत होना । मैं यहां पर स्वस्थ व कुशल मंगल से हूं। और प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए बहुत ही उत्साहित हूं। आप अपना ध्यान रखना। पापा, दादा, दादी को मेरा प्रणाम व मीनू को मेरा आशीर्वाद देना।
आपका प्यारा बेटा
अमित

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प्रश्न 6.
(क) सुलेख’ नाम से पेन बनाने की नई कम्पनी के लिए लगभग 25-50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
डेंगू से बचने के लिए 25-50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तर:
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 5 with Solutions 1
अथवा
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 5 with Solutions 2

(ख) ‘नरुला पंखे’ के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
सुलोचना फेस क्रीम के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तर:
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 5 with Solutions 3
अथवा
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 5 with Solutions 4

प्रश्न 7.
(क) सदेशवासियों से अपने घर पर रात 9 बजे मोमबत्ती या दीपक जलाने का आग्रह करते हुए संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
अथवा
आपके मित्र का एक्सीडेंट हो गया हैं। किंतु आप उनसे मिलने न जा सके। इस संबंध में सांत्वना संदेश देतु हुए एक संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तर:

सांत्वना संदेश

दिनांक : 20/XX/20XX
समयः शाम 4 बजे
प्रिय मित्र
मुझे यह जानकर अत्यंत दुख हो रहा हैं कि तुम एक एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हो गए हो। लेकिन शहर में लॉकडाउन होने की वजह से मैं तुमसे मिलने नहीं आ पा रहा हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि तुम बहुत धैर्यवान व हिम्मती हो और इस कठिन समय से भी जल्दी ही बाहर निकल जाओगे। तुम्हारे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा।
तुम्हारा मित्र
रवि

अथवा

संदेश

पिताजी आज वर्मा अंकल का फोन आया था। वह कल अपने क्लिनिक पर नहीं रहेंगे इसलिए आप वहाँ कल न जाकर परसों जाना । मैं खेलने जा रहा हूँ। शाम छह बजे तक वापिस आ जाऊँगा।
रोहन
शाम 5 बजे

(ख) आपका मित्र दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। आप किसी कारणवश उससे मिलने नहीं जा पाते, इस संबंध में उन्हें एक सांत्वना संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
अथवा
आपके बड़े भाई ने एक नया घर खरीदा है। उन्हें बधाई स्वरूप एक संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
उत्तर:

सांत्वना संदेश

दिनांक : 20 जनवरी, 20XX
समय : सायं 4 बजे
प्रिय मित्र
तुम्हारे दुर्घटनाग्रस्त होने का पता चला । जानकार मुझे बहुत दुःख पहुंचा और इस दुःख की घड़ी में मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँ। मित्र, मेरी माताजी का स्वास्थ्य सही नहीं है और पिताजी भी घर पर नहीं हैं इसलिए मैं अभी तुमसे मिलने नहीं आ पा रहा हूँ।
मैं ईश्वर से तुम्हारे शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करूँगा।
तुम्हारा मित्र
समीर

अथवा

संदेश

दिनांक : 15 दिसम्बर, 20XX
समय : प्रातः 10 बजे
आदरणीय भाई साहब
माताजी के पत्र से ज्ञात हुआ कि आपने बहुत ही सुंदर घर खरीदा | हम सब बहुत प्रसन्न हैं। आपको नया घर खरीदने की खुशी में बहुत-बहुत बधाई । मैं आशा करता हूँ कि एह नया घर आपको उन्नति दे और आप दिन रात उन्नति करें। हमारी ओर से आपको हार्दिक बधाई।
आपका अनुज
प्रशान्त