Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 7 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 7 with Solutions
Time Allowed: 2 Hours
Maximum Marks: 40
सामान्य निर्देश :
- प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं-खण्ड ‘क’ और ‘ख’।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए |
- खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खण्ड ‘क’ [20 अंक]
(पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) आप ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में मुख्य पात्र किसे मानते हैं? उनके व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तरः
हम ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में मुख्य पात्र नवाब साहब को मानते हैं। वे लेखक पर अपनी नवाबी धाक जमाना चाहते थे। वास्तविकता से दूर वे कृत्रिम जीवन शैली को जीने वाले हैं। उन्होंने रास्ता काटने के लिए खीरा खरीदा होगा पर जैसे ही उन्होंने लेखक को देखा वैसे ही उन्हें अपनी नवाबी धाक ज़माने का मौका मिल गया। ऐसा आचरण उनके दिखावे की प्रवृत्ति की ओर इंगित करता है।
(ख) क्या नवाब साहब की जीवन शैली को अपनाकर हम आज की बदलती परिस्थिति में निर्वाह कर सकते हैं? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब की जिस जीवन शैली को दिखाया गया है वह वास्तविकता से दूर बनावटी है। उनके द्वारा अकेले ही खीरा खाने का प्रबंध करना और उसे केवल सूंघकर ही खिड़की से बाहर फेंकना और तृप्ति का अनुभव करना उनकी झूठी शान का प्रतीक है। इस तरह के दिखावे और बनावट से परिपूर्ण जीवन शैली में जीवन निर्वाह संभव नहीं है क्योंकि ऐसे जीवन में न तो जीवंतता होती है और ना ही आनंद। आज के भौतिकतावादी जीवन में इस प्रकार के आडम्बर से मुक्त होकर जीना ही सफल जीवन का प्रतीक है। अतः इस प्रकार की जीवन शैली को अपनाकर हम आज की परिस्थति में निर्वाह नहीं कर सकते।
(ग) फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा गया है?
उत्तरः
लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि’ कहा गया है क्योंकि वे प्रेम, करुणा, ममता और अपनत्व से परिपूर्ण थे। उनके अंदर ऐसा प्रकाश था जो सामने वाले का हमेशा पथ-प्रदर्शन करता रहता था। उनसे बात करना स्वयं को कर्म के संकल्प से भरना था। वे मानवीय करुणा की जीवंत प्रतिमा थे।
(घ) ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ हमें क्या परेरणा देता है?
उत्तरः
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिंस प्रकार फादर बुल्के दया, करुणा, ममता, सद्भावना जैसे मानवीय गुणों से भरे हुए थे, वैसे ही गुणों का हमे अपने जीवन में विकास करना चाहिए । भारतीयता की महानता, अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए उसके विकास और उत्थान में सहयोग देना चाहिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है क्यों?
उत्तरः
कवि ने बादलों से उनका पौरुष बल दिखाने को कहा है। वह चाहता है कि बादल जोर से गर्जना करें और बरसे ताकि भीषण गर्मी से तप्त धरती शीतल हो और उदास व अनमने लोगों का दुःख दूर हो । लोगों के मन में उत्साह का संचार हो जिससे वे पुरानी रुढ़ियों और विषमता से समाज को मुक्त करने में सहायक हो।
(ख) ‘कन्यादान’ शब्द द्वारा वर्तमान समय में कन्या के दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
उत्तरः
भारत में दान की बहुत महिमा है। श्रेष्ठ दान वह होता है जिसमें देने वाला योग्य और श्रेष्ठ हो, साथ ही लेने वाला भी श्रेष्ठ और योग्य हो। योग्य पात्र को श्रेष्ठ वस्तु देने से दानकर्ता भी स्वयं को श्रेष्ठ मानता है। जब कोई व्यक्ति अपनी संस्कार युक्त और सर्वश्रेष्ठ गुणी कन्या को उसके योग्य पात्र को दानस्वरूप सौंपता है तो स्वयं को धन्य समझता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में कन्यादान सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता है। आधुनिक समय में कन्या के विषय में दान की बात करना सम्मानसूचक नहीं समझा जाता है, क्योंकि कन्या व्यक्तित्व सम्पन्न होती है। ऐसा प्रतीत होता है मानो कन्या कोई वस्तु है जिसका दान किया जा रहा है। इस संदर्भ में कन्या के साथ दान शब्द अनुचित लगता है। वह अपनी इच्छा से विवाह करती है, किसी वस्तु की तरह किसी को योग्य समझकर उसे सौंपी नहीं जाती।
(ग) ‘अट नहीं रही है’ कविता में निहित सन्देश स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘अट नहीं रही है’ कविता फागुन की मादकता को प्रकट करती है। कवि फागुन की सर्वव्यापकता और सुंदरता को अनेक सन्दर्भो में देखता है। इस कविता के द्वारा वह यह सन्देश देता है कि जब मन प्रसन्न हो, तो सब तरफ फागुन का ही सौन्दर्य और उल्लास दिखाई देता है।
(घ) ‘लड़की होना, पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’-पंक्ति के माध्यम से माँ बेटी को क्या सिखाना चाहती है और क्यों?
उत्तरः
माँ ने अपनी बेटी को सभ्य, शिष्ट और व्यवहार कुशल बनने की सीख दी है। वह चाहती है कि उसकी बेटी में सभी नियोचित गुण हों पर वह अपनी दुर्बलता का प्रदर्शन न करे। इस पुरुष प्रधान समाज में वह समाज के शोषण और अन्याय से उसे बचाना चाहती है। वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी दहेज़ और स्त्री प्रताड़ना जैसे समाज के झूठे और खोखले आदर्शों की भेंट चढ़ जाए।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। 3 × 2 = 6
(क) समाचार पत्रों की जन जागरण में क्या भूमिका है? ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
समाचार पत्र केवल सूचनाओं का ही आदान-प्रदान नहीं करते बल्कि जन-जागरण उत्पन्न करने में और लोगों को चेतना संपन्न बनाने में समाचार पत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। पाठ में रानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन की खबर ही नहीं अपितु उनकी शाही तैयारियों, नौकरों, बावर्चियों, खानसामों, अंगरक्षकों और यहाँ तक की उनके कुत्तों की भी पूरी-पूरी जीवनियाँ अख़बारों में देखने को मिली। हालाँकि अख़बार यथार्थ को न छापकर अपनी साहसिक और ईमानदार छवि को प्रस्तुत नहीं कर सका। जिंदा नाक लगने के दिन सभी अख़बार चुप थे। उन्होंने इसका मौन विरोध किया था। अतः स्पष्ट है कि समाचार पत्र जन-जागरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(ख) गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया है?
उत्तरः
गंतोक एक ऐसा पर्वतीय प्रदेश है जिसे मेहनतकशलोगों ने अपनी मेहनत से अधिक सुन्दर और सुरम्य बना दिया है। वहाँ के निवासी बहुत ही परिश्रमी हैं। पुरुषों और महिलाओं के साथ-साथ वहाँ के बच्चे भी मेहनती हैं। विद्यालय से आकर वे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा गया है।
(ग) बच्चों द्वारा की गई कौन-सी शरारत उन्हें महँगी पड़ी? ‘माता का अंचल’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
एक दिन वर्षा के बाद भोलानाथ और उसके सभी साथी खेतों में खेलने के लिए चले गए। वहाँ उन्होंने चूहों के बिलों में पानी उलीचना शुरू कर दिया। चूहों को पानी के डर से बाहर आते देखकर वे सब बड़े ही खुश हो रहे थे। अचानक एक बिल में से चूहे के स्थान पर सांप निकल आता है। उसे देखकर सभी डर जाते हैं और वहाँ से सर पर पैर रखकर भागने लगते हैं। भागते-भागते कोई काँटेदार झाड़ियों में गिर रहा था तो किसी के सर पर चोट लगी, पर वे तो बस बेतहाशा भागने में लगे हुए थे । सबने घर पहुँचकर ही चैन की साँस ली।
खण्ड ‘ख [20 अंक]
(रचनात्मक लेखन)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लंगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (5)
(क) बेरोज़गारी
संकेत बिन्दुः
- प्रस्तावना
- बेरोज़गारी का अर्थ
- बेरोज़गारी के कारण
- दूर करने के उपाय
उत्तरः
बेरोजगारी का शाब्दिक अर्थ है-रोज़गार न मिलना। जब कोई व्यक्ति अपनी क्षमतानुसार कार्य न मिलने पर कम वेतन पर अपनी क्षमता से अलग कार्य करने को तैयार हो और उसे तब भी कार्य नहीं मिले तो वह बेरोज़गारी कहलाती है। बेरोजगारी समाज के लिए एक बहुत बड़े अभिशाप के समान है जिसे आसानी से दूर नहीं किया जा सकता। इसके कारण समाज में अपराध प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। जीविकोपार्जन हेतु लोग अनैतिक कृत्य करने से भी पीछे नहीं हटते। इससे समाज में अशान्ति फैलती है।
बेरोजगारी का प्रमुख कारण है-जनसंख्या में वृद्धि । जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से संसाधनों में वृद्धि नहीं हो रही है और लोगों को पर्याप्त रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। हमारी शिक्षा प्रणाली भी इसके लिए ज़िम्मेदार है, क्योंकि इसमें व्यावहारिक ज्ञान की अपेक्षा सैद्धान्तिक ज्ञान पर अधिक बल दिया गया है, जिसके कारण व्यक्ति किताबी कीड़ा बनकर रह गया है। प्रशिक्षण के अभाव में व्यक्ति को उचित काम नहीं मिल पाता। इसके अतिरिक्त मशीनीकरण, आर्थिक मन्दी भी बेरोज़गारी में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।
बेरोजगारी को दूर करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा और इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। लघु उद्योगों का विकास करके भी इस समस्या से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। युवकों को प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान किए जायें।
(ख) दैव-दैव आलसी पुकारा
संकेत बिन्दुः
- प्रस्तावना
- आलस्य के दुष्प्रभाव
- कर्म का महत्त्व
उत्तरः
‘दैव-दैव आलसी पुकारा’ अर्थात् आलसी व्यक्ति ही भाग्य को पुकारता रहता है और संघर्ष करना नहीं चाहता, उसकी सारी इच्छाएँ दिवास्वप्न की भाँति होती हैं, जिन्हें पाने के लिए वह बिल्कुल भी प्रयास नहीं करता। इसके विपरीत कर्मशील व्यक्ति अपना भाग्य स्वयं लिखते हैं।
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम ।
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम ।।
सन्त मलूका ने भी आलस्य का उपहास किया है। आलसी व्यक्ति को समाज में कहीं भी सम्मान नहीं मिलता, क्योंकि वह अपने सभी काम भाग्य के भरोसे छोड़ देता है। आलस्य अवगुणों की खान है। आलसी व्यक्ति के अन्दर ईर्ष्या, उदासीनता और निराशा घर कर जाती है और वह विद्या तथा ज्ञान से कोसों दूर हो जाता है। भाग्यवादी मनुष्य शेखचिल्ली की भाँति कल्पनाएँ करता रहता है। इस प्रकार के मनुष्य सदैव भाग्य का रोना ही रोते रहते हैं और समय को खो देते हैं। कर्मवीर लाख कठिनाइयों के वाबजूद कभी संघर्ष के मार्ग को नहीं छोड़ते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य जीवन-पथ पर सतत् चलते रहना है। सच्चा कर्मवीर तो फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्त्तव्य-पथ पर सदा आगे बढ़ने का प्रयास करता रहता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में आलस्य, निराशा आदि के लिए कोई स्थान नहीं होता । नेपोलियन, महाराजा रणजीतसिंह, रानी लक्ष्मीबाई, वीर शिवाजी आदि अपने पुरुषार्थ के ही कारण विश्व-प्रसिद्ध हैं। सारांशतः पुरुषार्थ की दिशा जितनी सही होगी, पुरुष उतना ही उन्नत होगा। भाग्यवादी मनुष्य केवल कायरता का ही प्रदर्शन करता है। इस प्रकार का मनुष्य निष्क्रिय रहता हुआ पतन के गर्त में चला जाता है। आलस्य जीवित व्यक्ति की कब्र है इसलिए कर्मशील बनो।
(ग) दहेज़ प्रथा-समाज पर एक कलंक
संकेत बिन्दुः
- प्रस्तावना
- दहेज़ प्रथा का अर्थ
- वृद्धि के कारण और समाधान
उत्तरः
एक समय था जब दहेज़ प्रथा एक सात्विक प्रथा थी और इसे शुभ-शगुन के रूप में माना जाता था, परन्तु समय के बदलाव के साथ आज यही परम्परा समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। आज दहेज़ के कारण ऐसी-ऐसी अप्रत्याशित घटनाएँ प्रतिदिन अख़बार में पढ़ने को मिलती हैं, जिनसे सम्पूर्ण मानवता का सिर शर्म से झुक जाता है। दहेज़ का अर्थ उस वस्तु या सम्पत्ति से है जो विवाह के समय वर-पक्ष को वधू-पक्ष की ओर से स्वेच्छा से दिया जाता है, परन्तु आज इसका अर्थ नितान्त भिन्न है। आज वर-पक्ष के लोग दहेज़ से अपने रहन-सहन का स्तर नापते हैं। आज हमारे समाज में दहेज़ एक ऐसी झूठी प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गयी है जिसे बनाए रखने के लिए वधू-पक्ष वाले विवाह से पूर्व वर-पक्ष की शर्तों के शिकंजे में फंसे रहते हैं।
प्रत्येक परिवार यही चाहता है कि उसकी बेटी का सम्बन्ध सम्पन्न परिवार में हो, इसलिए धीरे-धीरे दहेज़ की माँग बढ़ने लगी। अधिकांश वर-पक्ष वाले वधू-पक्ष की इस कमज़ोरी का फायदा उठाते हैं। इस प्रकार दहेज़ प्रथा सुरसा के समान मुँह खोले खड़ी हुई है। दहेज़ प्रथा को दूर करने के लिए आज के युवा वर्ग को आगे आना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा। नारी को जागरूक कर इस समस्या से निजात पायी जा सकती है। आज जरूरी है कि इस कुप्रथा को हटाने के लिए युवा वर्ग आगे आए। स्त्रियों को शिक्षित किया जाए, जिससे वे अपने साथ होने वाले अत्याचारों का सामना करने में सफल हो सकें और दहेज़ जैसी कुप्रथा को रोक सकें।
प्रश्न 5.
छात्राओं के लिए स्कूल में अलग शौचालय की व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखें।
अथवा
अपने क्षेत्र के विद्युत अधिकारी को अपने मोहल्ले में हो रही बिजली की परेशानी से अवगत कराते हुए प्रार्थना पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः
प्रधानाचार्य,
नैनी वैली स्कूल,
पड़पड़गंज रोड, उत्तर प्रदेश
दिनांक : 20 मार्च 20XX
विषय : छात्राओं के लिए स्कूल में अलग शौचालय की व्यवस्था हेतु
महोदय, मैं आपके स्कूल में कक्षा दसवीं का छात्रा हूं। महोदय हमारे स्कूल में छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है। और स्कूल में छात्राओं के लिए अलग से शौचालयों की व्यवस्था नहीं है। स्कूल में सिर्फ दो शौचालय हैं जिनको छात्र और छात्राएं दोनों ही इस्तेमाल करते हैं। जिस कारण कई बार छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि स्कूल में छात्राओं के लिए दो अलग से शौचालय को बनाने की कृपा करें। ताकि छात्रायें आये दिन होने वाली परेशानियों से बच सकें। मुझे पूर्ण आशा है कि आप हमारी समस्या को समझेंगे और शीघ्र ही स्कूल की छात्राओं को अलग से शौचालय बनवाने की कृपा करेंगे। धन्यवाद आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या शालिनी शर्मा कक्षा 10 ब
अथवा
4 ए महेश नगर
जोधपुर।
दिनांक : 25 अप्रैल, 20XX
विद्युत अधिकारी,
आर. एस. ई. बी.
महेश नगर, जोधपुर।
विषय-बिजली की समस्या से अवगत कराने हेतु पत्र।
महोदय,
मैं आपके क्षेत्र का निवासी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में होने वाली बिजली की अनियमितता की ओर दिलाना चाहता हूँ। हमारे यहाँ बिजली कई-कई घण्टे गायब रहती है, इसलिए रात में अधिकतर लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। गर्मी के बढ़ने के कारण हालात और भी खराब हो रहे हैं। इसका सबसे बुरा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है और मरीज़ों की तकलीफ बढ़ रही है। आशा है आप इस ओर उचित कदम उठायेंगे।
धन्यवाद सहित।
भवदीय,
कैलाश सिंह
प्रश्न 6.
(क) किसी हेयर ऑयल हेतु आकर्षक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
(ख) आपकी बहन एक योग केंद्र खोलना चाहती है। इस सम्बन्ध में लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आपके मोहल्ले में पालतू जानवरों के इलाज के लिए एक अस्पताल खोला गया है। इसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
प्रश्न 7.
(क) आपकी कंपनी के मैनेजर की माताजी की मृत्यु के अवसर पर शोक संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बधाई संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
उत्तरः
विनम्र श्रद्धांजलि |
जुनेजा एंड जुनेजा कंपनी के जनरल मैनेजर श्री सुधीर दलवी जी की पूज्य माताजी के निधन का संदेश जानकर अत्यंत दुःख हुआ। इस दुःख की घड़ी में मैं कंपनी के समस्त स्टाफ की ओर से अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिवार के सभी सदस्यों को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
ॐ शांति ॐ |
अथवा
संदेश |
क्यों त्याग करे नारी केवल क्यों नर दिखलाए झूठा अहं नारी जो जिद पर आ जाए अबला से चण्डी बन जाए उस पर न करो कोई अत्याचार तो सुखी रहेगा घर-परिवार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ |
प्रश्न 8.
(क) आपके क्षेत्र में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है अपने क्षेत्र के अध्यक्ष होने के नाते क्षेत्रवासियों के लिए लगभग 40 शब्द में संदेश लिखिए
अथवा
आपके मित्र का चयन राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में हो गया है। बधाई देते हुए अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तरः
संदेश |
दिनांक: 5 जनवरी, 20XX समयः प्रातः 10 बजे प्रिय क्षेत्रवासियों अति प्रसन्नता के साथ आप सभी को अवगत कराना चाहता हूँ कि आगामी रविवार को अपने सामुदायिक केंद्र में रक्तदान शिविर का आयोजन होने जा रहा है। इसका आयोजन जिला अस्पताल के डॉक्टरों के माध्यम से किया जा रहा है। सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक 18 वर्ष के ऊपर और 50 वर्ष से नीचे का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान कर सकता है। मानव शर्मा अध्यक्ष |
अथवा
संदेश |
दिनांक: 10 जनवरी, 20XX समयः प्रातः 8 बजे प्रिय मित्र संजीव चाचाजी के फ़ोन से पता चला कि तुम्हारा चयन राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में हो गया है। आखिर तुम्हारी मेहनत रंग लाई। यह तुम्हारा बचपन का सपना था जो आज पूरा हो गया। मुझे आशा है कि तुम आगे चलकर अपने परिवार और देश का नाम रोशन करोगे। मेरी ओर से तुम्हें बहुत-बहुत बधाई। तुम्हारा मित्र अतुल प्रधान |