Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 8 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 8 with Solutions

Time Allowed: 2 Hours
Maximum Marks: 40

सामान्य निर्देश :

  • प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं-खण्ड ‘क’ और ‘ख’।
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
  • लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
  • खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए |
  • खण्ड ‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खण्ड ‘क’ [20 अंक]
(पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि फादर की मृत्यु पर रोने वालों की कमी नहीं थी?
उत्तरः
फादर का सभी के प्रति मित्रवत व्यवहार था। उनके मन में सभी के लिए सहयोग व दया की भावना थी और अपने हृदय में वे सभी के प्रति कल्याण की भावना रखते थे। उनकी यही सहृदयता और मानवता अनगिनत लोगों के मन में उनके प्रति प्रेम और लगाव की भावना को संजोए हुए थी। इसी कारणवश उनकी मृत्यु पर रोने वालों की कमी नहीं थी।

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(ख) फादर बुल्के की जन्मभूमि कौन-सी थी और अपनी जन्मभूमि के प्रति उनके मन में क्या भाव थे?
उत्तरः
फादर बुल्के की जन्मभूमि बेल्जियम की रेम्सचैपल थी। वे अपनी जन्मभूमि से बहुत प्यार करते थे। यद्यपि वे वहाँ अधिक समय तक नहीं रहे, परन्तु फिर भी अपनी जन्मभूमि की याद उनके मन में निरन्तर बनी रही।

(ग) ‘लखनऊ के नवाबी नस्ल के सफेद पोश सज्जन’ में क्या व्यंग्य किया गया है?
उत्तरः
लेखक ने यहाँ लखनऊ के नवाबों के दिखावटी स्वभाव पर व्यंग्य किया है। ये नवाब अत्यंत ही नफासती और शिष्ट होते हैं। अपनी इन विशेषताओं को ये इतना बढ़ा-चढ़ा कर दिखाते हैं कि समाज में उपहास का पात्र बन जाते हैं। उनकी इन्हीं विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए लेखक ने ‘नस्ल’ शब्द का प्रयोग किया है। उनके अनुसार ये आम मानव प्रजाति के न होकर अन्य मानव प्रजाति के हैं।

(घ) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकण्ड क्लास का टिकट ही क्यों खरीदा होगा?
उत्तरः
लेखक को ज्यादा दूर तक यात्रा नहीं करनी थी। उन्हें अपनी नई कहानी के बारे में सोचने के लिए एकांत और फुर्सत के पल चाहिए थे। सेकण्ड क्लास का टिकट महँगा होने के कारण उन्होंने सोचा कि वे एकांत के पल उन्हें यहाँ मिल जाएँगे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ कहकर कवि ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तरः
उपरोक्त पंक्ति में कवि ने समाज की कुत्सित मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा जैसी कुरीति की ओर संकेत किया है। दहेज़ के लोभी पुत्रवधू को दहेज़ के लालच में जलाकर मार देते हैं। इस घिनौने कृत्य पर कवि ने व्यंग्य किया हैं|

(ख) ‘उत्साह’ कविता में कवि बादलों से क्या आग्रा करता है और क्यों?
उत्तरः
‘उत्साह’ कविता में कवि बादलों से ज़ोर से गरज़कर बरसने का आग्रह करता है क्योंकि वह बादलों को नवजीवन और क्रान्ति का प्रतीक मानता है। उसके अनुसार बादलों के ज़ोर से बरसने पर लोगों का मन प्रफुल्लित हो जाता है और उनमें नवीन उत्साह का संचार होने लगता है।

(ग) ‘कन्यादान’ कविता में माँ अपनी बेटी को सचेत क्यों करती है?
उत्तरः
‘कन्यादान’ कविता में माँ अपनी बेटी को सचेत इसलिए करती है क्योंकि उसकी बेटी अभी भोली और नादान है। छल-कपट से उसका कोई नाता नहीं है। उसमें अभी दुनियादारी की समझ नहीं है।

(घ) कवि और कविता में क्या समानता दिखाई है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर लिखए।
उत्तरः
‘उत्साह’ कविता में कवि बादलों से गरजने का आह्ववान कर रहा है। उसका मानना है कि बादलों की रचना नवीनता लिए हुए होती है। उनके काले-काले घुघराले अनगढ़ रूप को देखकर लगता है किसी बालक की कल्पना उनमें समाई हुई हो। कवि स्वयं भी नवीन कल्पना से युक्त है। वह भी बादलों के समान ही समाज में परिवर्तन की आशा का संचार करता है इससे पता चलता है कि कवि और कविता दोनों ही क्रांति का सूचक हैं,

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) लेखक भोलानाथ को उनके पिताजी द्वारा अपने साथ पूजा में बैठाने के पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा?
उत्तरः
लेखक के अनुसार भोलानाथ के पिताजी धार्मिक प्रवृत्ति वाले थे। वे अपने बेटे में अच्छे संस्कार डालना चाहते थे। उनके मन में ईश्वर के प्रति आस्था, विश्वास और श्रद्धा के भाव वे बचपन से ही जगाना चाहते थे। इसलिए वह उन्हें नहला-धुलाकर अपने साथ पूजा में बिठा लेते थे और फिर उन्हें साथ लेकर मछलियों को दाना डालने ले जाते थे।

(ख) “नई दिल्ली में सब कुछ था……..सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तरः
उपर्युक्त कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि स्वतंत्र होने के बाद भी आज देश में कोई कमी थी तो वह थी आत्म-सम्मान की। आज सम्पन्न होने के बाद भी देश दासता की मानसि. कता से अलग नहीं हो पा रहा है। जिन लोगों ने वर्षों तक देश को गुलाम बनाकर उन पर शासन किया, उनसे आज भी देशवासी मानसिक रूप से अलग नहीं हो पाए हैं। गलामी कलंक के समान आज भी हमारे पीछे ही है, इसीलिए लेखक ने कहा है कि दिल्ली में सिर्फ नाक नहीं है।

(ग) लायुंग पहुँचकर लेखिका ने क्या अनुभव किया?
उत्तरः
लायुंग सिक्किम का एक छोटा सा पहाड़ी कस्बा है। यहाँ पहुँचकर तीस्ता नदी के किनारे बैठकर लेखिका ने अपूर्व शांति का अनुभव किया। उन्हें लगा कि वह प्रकृति की अखंड सम्पूर्णता के बीच बैठी हैं। पेड़-पौधे, पशु-इन्सान सबमें वे एक लय और गति को अनुभव कर रही हैं। उनका मानना है कि यही लय और गति सबके मूल स्वभाव में बनी रहे, इसी में सबकी भलाई है।

खण्ड ‘ख’ [20 अंक]
(रचनात्मक लेखन)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) पर उपदेश कुशल बहुतेरे संकेत बिन्दुः

  • उक्ति का अर्थ
  • प्रभाव
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
उपदेश देना भी एक कला है और इस उक्ति के अनुसार इस कला में बहुत से लोग या कहना चाहिए कि अधिकांश लोग कुशल होते हैं। दूसरों को उपदेश देना जितना सरल है उतना ही कठिन है उस पर स्वयं अमल करना । दूसरों को दुविधा में देखकर सभी लोग अपनी-अपनी समझ से उपदेश देने लगते हैं, परन्तु विचारणीय है कि वे स्वयं उसका कितना पालन करते हैं। दूसरों को ज्ञान देना जितना आसान है उतना ही कठिन है उस ज्ञान को व्यवहार में लाना। यदि देखा जाए तो हमारा उपदेश भी तभी काम करता है जब हमने उसे व्यवहार में लिया हो। जिस बात का हम खुद अनुभव नहीं कर सकते, उसे दूसरों को कैसे कह सकते हैं और यदि कह भी दिया तो उस बात का कोई वज़न नहीं। उपदेश देने के लिए तो सब तैयार रहते हैं, परन्तु जब तक वह जीवन के अनुभवों से नहीं जुड़ता है तब तक वह प्रभावहीन रहता है।

उदाहरण के लिए, मेघनाद वध के समय रावण ने जो कुछ कहा वह निरर्थक था, क्योंकि रावण ने उसे स्वयं अपने जीवन में नहीं उतारा था। ऐसा अक्सर होता है कि किसी को परेशानी में देखकर बजाए उसका दुःख बाँटने के हम उसे उपदेश देने लगते हैं। किसी की छोटी-सी गलती भी हमें अक्षम्य होती है और हमारी बड़ी-से-बड़ी गलती पर कोई हमें कुछ कह दे, तो वह हमें मंजूर नहीं। दूसरों को उपदेश देना हर कोई चाहता है, परन्तु दूसरों की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आता। सामान्यतः उपदेशों को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है, किन्तु मेरा मानना है कि जब हम स्वयं दुविधा में हों या पथभ्रष्ट होते हों तब हमारा विवेक तो नष्ट हो चुका होता है। ऐसे में कोई दूसरा हमें समझाता है या उपदेश देकर सही मार्ग दिखाता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं। अतः उपदेश का सम्मान करना चाहिए, किन्तु जो हम नहीं कर सके, दूसरे से वह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

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(ख) मेरी प्रिय बसंत ऋतु
संकेत बिन्दुः

  • भूमिका
  • प्राकृतिक सौंदर्य
  • ऋतुराज

उत्तरः
भारत प्रकृति का सबसे प्यारा व दुलारा देश है। यहां साल भर में छह ऋतुएँ आती जाती हैं। बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। ये ऋतुएँ इसी क्रम में आती हैं। इनमें से हर ऋतु का अपना महत्व है और अपनी विशेषताएं हैं। लेकिन मुझे सबसे ज्यादा पसंद बसंत ऋतु है। शिशिर ऋतु के खत्म होते ही शीतकाल विदा होने लगता है और साथ में ही कड़ाके की ठण्ड भी। मौसम में धीरे धीरे बदलाव आने लगता हैं और तापमान में भी परिवर्तन होने लगता हैं। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी जाड़े की ठिठुरन से छुटकारा पाने लगते हैं। ठीक इसी वक्त धरती पर ऋतुराज बसंत की सवारी सज धज कर पहुँचती है। ऋतुराज बसंत के आगमन से प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से धरती को सजा देती है। सारा वातावरण खुशबू से महक उठता है।

ऋतुराज बसंत जन-जन के मन को नई उमंगों व नई आशाओं से भर देता है प्रकृति की मस्ती का लोगों पर भी बहुत बड़ा असर पड़ता है। बसंत ऋतु में बसंत पंचमी का त्यौहार भी मनाया जाता हैं। लोग ढोलक, मंजिरों की थाप के साथ झूम झूम कर बसंत पंचमी का त्यौहार बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। बसंत ऋतु में आने वाले रंगों का त्यौहार की तो बात ही निराली है। यह त्यौहार बसंत के उल्लास में चार चांद लगा देता है। मौज मस्ती के साथ-साथ ढेरों व्यंजनों बनाये जाते हैं। एक दूसरे के घरों में जाकर महिलाओं व पुरूषों के दवारा होली के गीत गाये जाते हैं। एक-दूसरे को रंग व अबीर गुलाल लगाकर होली का खूब मजा लिया जाता है।

बसंत ऋतु को यूं ही “ऋतुओं का राजा’ या “ऋतुराज’ नहीं कहा जाता । यह वाकई में ऋतुराज है। इस ऋतु में धरती फिर में श्रृंगार करने लगती हैं। प्रकृति नए-नए फूलों की सुंदरता से खिल उठती है। और उनकी खुशबू से पूरा वातावरण महक उठता है।

(ग) सैनिक की आत्मकथा
संकेत बिन्दुः

  • सैनिक का जीवन
  • मुश्किलें
  • चुनौतियाँ
  • हमारे लिए संदेश।

उत्तरः
जब से मैंने देश की रक्षा की शपथ ली है, मेरी हर साँस देश के लिए धड़कती है। मुझे अपनी जान की परवाह नहीं है, लेकिन देश पर आँच आए, यह मुझे मंजूर नहीं। युद्धभूमि में शत्रु का सामना करते हुए भले ही मेरा सीना छलनी हो जाए, मेरी साँसें रुकने लगें, किन्तु मेरे कदम नहीं रुकते। मैं अन्तिम साँस तक अपनी मातृभूमि की हिफाज़त करने का अपना वचन निभाता हूँ। मैं अपना घर, परिवार सब छोड़कर सीमा पर तैनात रहता हूँ, ताकि मेरा देश और देशवासी सुरक्षित रह सकें। मेरी होली, दीवाली, हँसी-खुशी, सुख-दुःख सब देश पर कुर्बान है। जिस धरती ने मुझे अपना अन्न-जल देकर बड़ा किया है, उसकी सुरक्षा मेरा प्रथम दायित्व है। यदि मुझे इसकी खातिर जान भी कुर्बान करनी पड़े तो कुछ गम नहीं, क्योंकि ऐसे जीवन का क्या लाभ जो देश के काम ही न आ सके।

मेरा सभी देशवासियों से यही अनुरोध है कि वे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हों, पर अपने देश व समाज विरोधी कोई कार्य न करें, क्योंकिजो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। मैं देश के सजग प्रहरी के रूप में अपने कर्तव्य का पालन बड़ी ही निष्ठा और ईमानदारी से करता हूँ। भारत माँ की रक्षा के लिए ईश्वर ने मुझे जो अवसर प्रदान किया है, उसके लिए मैं ईश्वर को सदा धन्यवाद देता हूँ और स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ कि मुझे अपनी धरती माँ की सेवा का अवसर मिला। हम सभी सैनिक मिल-जुलकर धरती माँ की रक्षा करते हैं। काश! सभी देशवासी भी ऐसा ही करें, तो भारत-भूमि एक बार फिर से अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त कर सकेगी। हम सभी सैनिकों के अनुभव अलग-अलग हैं, पर लक्ष्य एक है-“देश की रक्षा के लिए आत्म-समर्पण|

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प्रश्न 5.
अस्पताल में फैली अव्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए अस्पताल प्रबंधक को एक पत्र लिखें।
अथवा
आपके बड़े भाई को संगीत प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है। उसके लिए उन्हें बधाई पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः
सेवा में
अस्पताल प्रबंधन
विमला तिवारी हॉस्पिटल, नोएडा
दिनांक:10 मार्च 20xx
विषय : अस्पताल में फैली अव्यवस्था के संदर्भ में।

महोदय,
मैं आपका ध्यान आपके अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं की ओर दिलाना चाहता हूं। महोदय मेरे पिताजी पिछले एक सप्ताह से निमोनिया से ग्रसित होने कारण आपके अस्पताल में भर्ती हैं। और मैं अपने पिता की देखभाल के लिए उनके साथ इस अस्पताल में ठहरा हूं।

महोदय आपका अस्पताल शहर के नामी अस्पतालों में से एक है। लेकिन अस्पताल की व्यवस्था बिल्कुल भी ठीक नहीं है। कर्मचारियों व नसों का व्यवहार मरीजों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ऊपर से आए दिन अस्पताल के कर्मचारी किसी ने किसी मरीज के साथ दुर्व्यवहार करते हुए नजर आ ही जाते हैं।

अस्पताल में साफ सफाई की भी उचित व्यवस्था नहीं है। हर रोज साफ सफाई अस्पताल में जरूरी है लेकिन आपके अस्पताल में हर रोज न साफ सफाई होती हैं और न ही बिस्तरों की चादरें बदली जाती हैं। अस्पताल का शहर में जितना बड़ा नाम है अस्पताल में आने के बाद “ऊंची दुकान, फीका पकवान” कहावत याद आने लगती हैं।

अतः महोदय आप अपने अस्पताल की व्यवस्था में अवश्य ध्यान दीजिए । कर्मचारियों का व्यवहार मरीजों के प्रति विनम्र व सहानभूतिपूर्ण रहे। यह सुनिश्चित करिए। अस्पताल में नियमित साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से चलें। ताकि अस्पताल ज्यादा लोगों की सेवा कर सके और मरीज स्वस्थ व खुश होकर घर जा सके।
धन्यवाद।
नीरज चतुर्वेदी

अथवा

परीक्षा भवन,
अ ब स विद्यालय,
उदयपुर। दिनांक : 25 दिसम्बर 20XX
आदरणीय भाई साहब,
सादर चरण स्पर्श।
मैं यहाँ कुशल हूँ और आपकी कुशलता की ईश्वर से कामना करता हूँ। पिताजी के पत्र से ज्ञात हुआ कि जिलास्तरीय संगीत प्रतियोगिता में आपने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पुरस्कारस्वरूप आपको मुख्यमन्त्री द्वारा प्रशस्ति पत्र और ₹ 25,000 नकद प्रदान किए गए हैं। आपके लिए वे पल कितने अमूल्य और आनन्दप्रदायिनी होंगे जब आपको मंच पर माननीय मुख्यमन्त्री द्वारा सम्मा. नित किया गया होगा। मैं आपकी इस सफलता के लिए आपको हृदय से बधाई देता हूँ।
आपकी यह उपलब्धि मेरे लिए सदैव प्रेरणादायक बनी रहेगी। मैं स्वयं को इस काबिल बनाने का पूरा प्रयास करूँगा। पिताजी, माताजी और भाभीजी को मेरा चरण स्पर्श।

आपका अनुज,
प्रतीक

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प्रश्न 6.
(क) साड़ियों के विक्रेता सेल लगाना चाहते हैं। उनके लिए लगभग 25-50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
पुस्तकों की बिक्री हेतु एक स्थान पर लगाये गये स्टॉल का एक विज्ञापन बनायें। (2.5)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions 1

(ख) न्यू सोयल चायपत्ती के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
सर्वोदय पब्लिक स्कूल में शिक्षकों की भरती हेतु लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
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प्रश्न 7.
(क) ओलंपिक में चयन होने पर अपने मित्र को बधाई संदेश 30-40 शब्दों में लखिए।
अथवा
अपनी बड़ी बहन के लिए माँ का संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए। (2.5)
उत्तरः

संदेश
दिनांक: 20 फरवरी, 20XX

रात्रि 10 बजे
शाम को टीवी में तुम्हें देखा तो तुम्हारी उपलब्धि के विषय में पता चला । तुमने तैराकी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है और तुम्हारा ओलंपिक में भी चयन हो गया है। तुम्हारी मेहनत सफल हुई। आगे चलकर तुम देश का नाम रोशन करोगे। मेरी शुभकामनाएँ और बधाई स्वीकार करो।
प्रभात

अथवा

संदेश
दिनांक 20 मार्च, 20XX
शाम 4 बजे
दीदी, मम्मी किसी जरूरी कार्य से बाजार गई हैं और मैं पढ़ाई करने के लिए अपने मित्र के घर जा रहा हूँ। मैंने खाना खा लिया है और आपका खाना रसोईघर में रखा हुआ है। माँ कहकर गई थीं कि आप खाना खाकर ट्यूशन चली जाना और चाबी पड़ोस में रेखा दीदी के घर पर दे देना।

(ख) बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ देते हुए लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए।
अथवा
विश्व हिंदी दिवस की शुभकामना देते हुए लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए। 2.5)
उत्तरः

संदेश
दिनांक: 20 फरवरी, 20XXसमयः सांय 4 बज
प्रिय विद्यार्थियों
छु लो आसमान, भरो अपने पंखों में उड़ान। बोर्ड परीक्षाओं में हासिल करो अपना मुकाम ।
सभी विद्यार्थियों को समस्त अध्यापक गण की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे और परीक्षा में निराश न हों। पूरे उत्साह से परीक्षा दे।
आप सभी को हम सबकी तरफ से शुभकामनाएँ।
शुभेच्छु
धीरज मुद्गल
(प्रधानाचार्य)

अथवा

संदेश
 दिनांक : 10 मार्च, 20XX
समय: सांय 5 बजे
“माथे पर जो स्थान बिंदी का है,
हर भाषाओं में वही स्थान हिंदी का है”
हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है, यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है।
आप सभी को मेरी ओर से विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
साभार
अनुज सिंह