Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 1 with Solutions
निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
- प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।
खंड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) पाठ ‘झेन की देन’ में जिस टी सेरेमनी का जिक्र किया गया है, उसकी क्या विशेषता थी?
उत्तरः
पाठ ‘झेन की देन’ में एक टी सेरेमनी का जिक्र किया गया है, जो वास्तव में ध्यान की एक प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत एक समय में केवल 3 लोग शामिल हो सकते हैं। उनके समक्ष दो-दो बूंट चाय परोसी जाती है, जिसे एक एक बूंट होठों से लगाकर घंटों बैठना होता है। वास्तव में इसका उद्देश्य दिमाग को शांत अवस्था में ले जाकर विचार शून्य करना है, जिससे तनावग्रस्त दिनचर्या के बीच कुछ चैन भरे पल मिल सकें।
(ख) कारतूस एकांकी में वजीर अली से कौन तंग आ चुका था और क्यों?
उत्तरः
कारतूस एकांकी के अंतर्गत एक बहादुर भारतीय सिपाही ‘वजीर अली’ की बहादुरी के किस्सों का वर्णन किया गया है। कर्नल और उसके सिपाही लाव लश्कर के साथ वजीर अली को ढूंढ रहे थे, किंतु वह हर बार उनकी आंखों में धूल झोंक कर चला जाता था। वह किसी के हाथ नहीं आ रहा था इसलिए कर्नल और उनके सिपाही उससे तंग आ चुके थे। उनका कहना था कि वह आदमी है या भूत हाथ ही नहीं लगता है।
(ग) कवि ‘कैफी आज़मी’ ने धरती को दुल्हन क्यों कहा है?
उत्तरः
कविता ‘कर चले हम फिदा’ के अन्तर्गत कवि कैफ़ी आज़मी ने सैनिक की भावनाओं को शब्द दिए हैं। सैनिक जब धरती की रक्षा करते हुए उसे अपने खून से रंग देते हैं, तब धरती लाल जोड़े में सजी दुल्हन-सी प्रतीत होती है। जिस प्रकार अपनी दुल्हन की रक्षा के लिए युवक प्रण लेता है और उसे निभाता है उसी प्रकार सैनिक अपनी धरती की रक्षा करने के लिए वचनबद्ध है, जो उसके खून से रंगकर दुल्हन-सी प्रतीत हो रही है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) अध्यापक विद्यार्थी सुभाषचंद्र बोस से बोले- “वैसे तो तुम बड़े देशभक्त बने फिरते हो मगर अपनी ही भाषा पर तुम्हारी पकड़ इतनी कमजोर क्यों है।” यह बात सुभाषचन्द्र बोस को बहुत बुरी लगी और अन्दर तक चुभ गई। सुभाषचंद्र बोस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह अपनी भाषा बंगाली सही तरीके से जरूर सीखेंगे। उन्होंने बंगाली का बारीकी से अध्ययन शुरू कर दिया। वार्षिक परीक्षाएँ ख़त्म हो गई। सुभाष सिर्फ कक्षा में ही प्रथम नहीं आये बल्कि बंगाली में भी उन्होंने सबसे अधिक अंक प्राप्त किये। ‘कर चले हम फिदा’ कविता के आधार पर बताओ कि एक सैनिक की देशवासियों से जो अपेक्षाएँ होती हैं, क्या सुभाष चंद्र बोस के जीवन की यह घटना उस पर खरी उतरती है? अपने उत्तर के लिए सही तर्क दीजिए।
उत्तरः
कवि ‘कैफी आजमी’ ने ‘कर चले हम फिदा’ कविता के माध्यम से उस सैनिक के दिल की आवाज़ हम तक पहुँचाई है जो देश पर कुर्बान होने जा रहा है। अंतिम सांस तक उसे अपनी परवाह नहीं है किंतु यही चिंता सता रही है कि उसके न रहने पर देश की हिफाजत कौन करेगा। अतः वह हमसे यह अपेक्षा कर रहा है कि हम सब देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहें। उपरोक्त उदाहरण सुभाष चंद्र बोस के जीवन का है, जिसमें उनकी देशभक्ति को ललकारा गया यह कहकर कि जिसे अपनी भाषा ही नहीं आती, उसके मुँह से देश भक्ति की बातें अच्छी नहीं लगती।
सुभाष चंद्र बोस को यह बात इसलिए चुभ गई क्योंकि उनके दिल में देश के प्रति अत्यधिक प्रेम था। मेहनत और लगन से अपनी भाषा सीख कर, उसमें दक्षता प्राप्त करके उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि वह सच्चे देशभक्त हैं। बात केवल भाषा सीखने की नहीं है, बात है देश भक्ति के भाव की। हम जहां कहीं भी हों, हमारे किसी भी कार्य अथवा विचार से यदि देश का मान सम्मान कम होता है, तो यह हमारे लिए अपमानजनक है। अतः सुभाष चंद्र बोस का यह व्यवहार उनकी देशभक्ति का ही परिचय दे रहा
अथवा
(ख) यदि हम चाहते हैं कि भगवान हमारे सब अपराध माफ करें, तो इसके लिए सुगम साधना यही है कि हम भी अपने साथ संबंधित सब लोगों के सब अपराध माफ कर दें। कभी किसी के दोष या अपराध पर दृष्टि न डालें क्योंकि वास्तव में सब रूपों में हमारा प्यारा इष्टदेव ही क्रीड़ा कर रहा है। सांसारिक मनोहरता एवं घृणा से परे रहना, अविचल रहना, किसी में भेद न देखना और आत्मानुभव के द्वारा आकर्षण व त्यागों से अलिप्त रहना ही ईश्वर की आराधना है। उपरोक्त पंक्तियों में ऐसी कौन-सी बातें हैं, जो मनुष्यता कविता के माध्यम से भी हम तक पहँचाई गई हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘मनुष्यता’ कविता के अंतर्गत कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के उपाय बताए हैं। कवि के अनुसार हमारे अंदर दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति जैसे मानवीय गुण होने आवश्यक हैं, तभी हम अपने मनुष्य जीवन को सफल बनाते हुए सुमृत्यु को प्राप्त कर सकते हैं। उपरोक्त पंक्तियों में सभी को माफ कर देने की, परदोष दर्शन न करने की जो बात कही जा रही है, वही संदेश मनुष्यता कविता में भी दिया गया है। कवि के अनुसार हम सब एक ही परमपिता परमात्मा की संतानें होने के नाते एक-दूसरे के भाई-बंधु हैं। किसी भी दृष्टि से शत्रु या बैरी नहीं हो सकते।
अतः हमें मिल-जुल कर रहना चाहिए। दोषारोपण करने की बजाय सभी के प्रति प्रेम भाव, आदर और सम्मान रखना चाहिए। यदि हमारा व्यवहार दूसरे के प्रति सकारात्मक होगा तो हमें भी बदले में सकारात्मकता ही प्राप्त होगी और इस तरह पूरे वातावरण में सकारात्मकता व्याप्त हो जाएगी। यह सब बातें अपने अनुभव के आधार पर ही हमारे ऋषि-मुनियों ने तथा कवि मैथिलीशरण गुप्त ने कही और अनुभव से प्राप्त ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि हम उस पर अमल करें तो हम स्वयं महसूस करेंगे कि हमारा जीवन कितना मधुर और आनंद में हो जाएगा।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) हरिहर काका ने अपनी ज़मीन के सम्बन्ध में क्या निर्णय लिया? क्या आप उनके निर्णय से सहमत हैं?
उत्तरः
हरिहर काका एक मेहनती, सीधे-सादे किसान थे। उनके पास साठ बीघा जमीन थी। अपना परिवार था नहीं, तो भाइयों के परिवार के साथ ही रहते थे, उसे ही अपना परिवार मानते थे। खेती-बाड़ी से वक्त मिलने पर ठाकुरबारी चले जाते, धर्म चर्चा करते, भजन-कीर्तन में समय बिताते। धीरे-धीरे भाइयों के प्रति मोह भंग होने लगा। इसकी भनक ठाकुरबारी के महन्त को मिली तो उसने हरिहर की ज़मीन हड़पने के प्रयास शुरू कर दिए और यही काम भाइयों ने भी किया, जिसके कारण हरिहर का जीवन से विश्वास ही उठ गया। गाँव के लोगों के अनुभव के आधार पर हरिहर ने निर्णय लिया कि वे जीते जी अपनी ज़मीन किसी के भी नाम नहीं करेंगे। उन्हें अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा अपने भाइयों के नाम और कुछ समाज के ज़रूरतमन्द लोगों या समाजसेवी संस्था के नाम करके सुख व शान्ति का जीवन व्यतीत करना चाहिए था।
(ख) दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तरः
टोपी का एकमात्र दोस्त इफ्फन ही था। उससे वह अपने मन की हर बात करता था। दोनों का पारिवारिक वातावरण, मान्यताएँ तथा परवरिश बिल्कुल अलग होने के बावजूद भी अटूट बंधन में बंधे थे। इफ्फन टोपी के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका था किंतु 10 अक्टूबर सन् पैंतालीस को जब इफ्फन के पिता का तबादला हो गया और वह टोपी से बिछड़ गया। उस दिन उसने फैसला कर लिया कि आगे से किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसके पिता का तबादला होता हो क्योंकि ऐसा दुख दोबारा झेलने की ताकत उसमें नहीं थी।
(ग) पाठ सपनों के से दिन में छात्रों का नेता कौन था? उसके स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
पाठ ‘सपनों के से दिन’ में लेखक ने अपने बचपन की कुछ खट्टी-मीठी यादों का वर्णन किया है, जिसमें विशेष रूप से उन्होंने अपने विद्यालय के अध्यापकों और अपने मित्रों के साथ बिताए गए पल याद किए हैं। उस समय छात्रों का नेता ओमा हुआ करता था, जिसका स्वभाव बड़ा ही विचित्र था। वह छोटे कद का था और सर बड़ा था। ऐसा लगता था मानो बिल्ली के माथे पर तरबूज रख दिया हो। अपने सर से जब किसी की छाती में मारता तो ऐसा लगता था मानो पसलियाँ टूट जाएँगी। वही एक ऐसा छात्र था जो काम करने से आसान अध्यापकों की डांट और मार खाना समझता था। उसी से प्रेरित होकर सभी छात्र ग्रीष्मावकाश कार्य न करने का साहसिक निर्णय ले पाते थे।
खंड ‘ख’: लेखन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (6)
(क) जीवन में खेलकूद का महत्व मानव स्वभाव
- खेलकूद का प्रभाव
- आदर्श स्थिति।
उत्तरः
जीवन में खेलकूद का महत्व यह कथन अक्षरशः सही है कि ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।’ यदि शरीर ही रोगग्रस्त होगा तो मस्तिष्क को अनेक दुर्बलताएँ घेर लेंगी। हम सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पायेंगे, असफलता व निराशा ही हाथ लगेगी। हीन भावना, द्वेष, घृणा, क्रोध आदि दुर्गुण पैदा होते जायेंगे और सम्पूर्ण व्यक्तित्व को खराब कर देंगे। अतः स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है और यह हमारे हाथ में ही है।
व्यायाम, कसरत, खान-पान आदि के साथ-साथ खेलकूद का शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यही कारण है कि विभिन्न प्रकार के खेलों को आज बढ़ावा दिया जा रहा है। हमें अपने दैनिक जीवन में कोई एक खेल अवश्य अपनाना चाहिए जो हमें तनाव से मुक्ति दे सके। खेल भावना से खेलों को खेलते हुए आनन्द की प्राप्ति तो होती ही है, खेल हमें संघर्ष करना सिखा देते हैं। अतः आज एक नारा खूब गूंज रहा है-खूब खेलो, खूब बढ़ो।
अथवा
(ख) विज्ञान के बढ़ते चरण
- विज्ञान का अर्थ
- उपलब्धियों के लाभ व हानियाँ उपसंहार।
उत्तरः
विज्ञान के बढ़ते चरण एक विशेष प्रकार के ज्ञान को ‘विज्ञान’ की संज्ञा दी गई है। यह ज्ञान तर्कबद्ध चिन्तन पर, प्रयोग-निष्कर्ष पर आधारित है। यह सार्वभौमिक है अर्थात् सबके लिए एक जैसा है। अतः वैज्ञानिक उपलब्धियों ने इंसान के जीवन को बदलकर रख दिया है। दिन-प्रतिदिन के छोटे-बड़े कार्यों से लेकर धरती-आकाश तक की बात करें, तो कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ विज्ञान ने अपना प्रभाव न दिखाया हो। इसकी मदद से अनगिनत सुख-साधनों की प्राप्ति हुई है, अनगिनत कार्य आसान हो गए हैं। यातायात के साधनों व इण्टरनेट के रूप में तो विज्ञान ने दुनिया को समेटकर रख दिया है, दूरियाँ बहुत कम कर दी हैं।
किन्तु असीम सुखों ने हमें निर्भर बना दिया है। इन सुविधाओं के अभाव में हम अपाहिज-सा महसूस करने लगते हैं। दूसरी ओर परमाणु बमों, रासायनिक पदार्थों आदि के कारण हर पल हमारे जीवन पर संकट छाया रहता है। तेजी से बढ़ता प्रदूषण बहुत हद तक विज्ञान की ही देन है। अतः विज्ञान के चरण तेजी से हमारे जीवन में प्रवेश तो कर रहे हैं, किन्तु उनको सही दिशा देना बहुत आवश्यक है, अन्यथा विज्ञान रूपी वरदान मानव जाति के लिए अभिशाप भी सिद्ध हो सकता है।
अथवा
(ग) मीडिया की भूमिका
- मीडिया की जिम्मेदारियाँ
- वर्तमान स्थिति
- आदर्श स्थिति।
उत्तरः
मीडिया की भूमिका
मीडिया संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। जन-जन में जागरूकता लाना, सच्चाई को सबके सामने प्रस्तुत करना, देश व समाज को सही मार्ग पर बनाए रखना इसका कर्तव्य है। यदि मीडिया अपना काम ईमानदारी से करे, तो क्रान्ति लाने की ताकत रखता है। आज मीडिया के विभिन्न रूप प्रचलित हैं-पहला प्रिण्ट मीडिया, जिसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, विज्ञापन आदि आते हैं तो दूसरा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जिसमें इण्टरनेट व उसकी तमाम साइट्स आती हैं। मीडिया एक ओर जन-जागरण का काम कर रहा है तो दूसरी ओर राजनेताओं, भ्रष्ट कर्मचारियों के मन में भय पैदा कर रहा है।
परिणामस्वरूप बहुत-से कुकर्मों, काले धन्धों का पर्दाफाश तो हुआ है, किन्तु अनेक स्थानों पर मीडिया बिकती हुई भी नजर आती है। जब ऐसा होता है तो वह अपने उत्तरदायित्व नहीं निभा पाती, धन व यश कमाना ही एकमात्र लक्ष्य रह जाता है। मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का यह धर्म है कि वह इस साधन का सदुपयोग करते हुए, अपने समाज व देश को प्रकाशित करें व उचित मार्ग पर ले जायें।
प्रश्न 5.
सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन के लिए विद्यालय में शिक्षण की विशेष व्यवस्था करवाने की अनुमति माँगते हुए प्रधानाचार्य को 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को 120 शब्दों में पत्र लिखकर शहर में बढ़ती असुरक्षा पर लेख छापने का अनुरोध कीजिए। (5)
उत्तरः
प्रधानाचार्य महोदय,
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली।
विषय-सर्व शिक्षा अभियान के प्रोत्साहन की व्यवस्था हेतु।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ और आपसे प्रार्थना करना चाहता हूँ कि सर्व शिक्षा अभियान को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय में शिक्षण की उचित व्यवस्था करें। महोदय, हम सब जानते हैं कि जब तक जन-जन शिक्षित नहीं होगा, तब तक देश का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। मैं चाहता हूँ कि हम छात्र मिलकर शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गरीब बस्तियों में जायें तथा विद्यालय में उनके लिए सायंकालीन शिक्षा की व्यवस्था निःशुल्क करें। यह प्रयास समाज के उत्थान के लिए एक अच्छा प्रयास सिद्ध हो सकता है। मुझे आशा है, आप इस अनुरोध पर विचार करेंगे व शीघ्र ही इसके लिए उचित व्यवस्था करने में सहयोग देंगे।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र,
दिनांक……………….
क ख ग
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक…..
सम्पादक महोदय,
दैनिक समाचार-पत्र,
दरियागंज, नई दिल्ली।
विषय-बढ़ती असुरक्षा पर लेख का अनुरोध।
आदरणीय महोदय,
मैं दिल्ली शहर का रहने वाला एक जिम्मेदार नागरिक हूँ। आपके समाचार-पत्र का मैं पिछले दस वर्षों से नियमित पाठक रहा हूँ। यह समझते हुए कि आपका समाचार-पत्र पर्याप्त प्रचलित है, आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप शहर में बढ़ती असुरक्षा के कारणों, दुष्परिणामों व उपायों के सम्बन्ध में नियमित रूप से लेख प्रकाशित करें। इससे लोगों में जागरूकता पैदा होगी, वे सचेत रहेंगे व अपराधों से लड़ने या उनका निवारण करने की ओर अग्रसर होंगे।
आशा है, आप इस विषय की गम्भीरता को समझेंगे व मेरे अनुरोध को स्वीकार करते हुए कार्य करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
क ख ग
प्रश्न 6.
(क) विद्यालय में लगने वाले ‘नेत्र चिकित्सा शिविर’ की जानकारी देने हेतु प्रबन्धक की ओर से 50 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
अपने क्षेत्र में बढ़ रही चोरी की घटनाओं के प्रति क्षेत्रवासियों को सचेत करने व मिलकर सुरक्षा कार्य करने हेतु सभा बुलाने के लिए 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
संस्कृत विद्यालय
सूचना
दिनांक………..
नेत्र चिकित्सा शिविर
विद्यालय के प्रांगण में 9 अगस्त प्रात: 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक ‘नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है। सभी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है। अधिक जानकारी के लिए हस्ताक्षरकर्ता से सम्पर्क करें।
धन्यवाद।
विजय हजारी
प्रबन्धक
अथवा
घरौंदा अपार्टमेण्ट्स
सूचना
दिनांक……………….
‘दुर्घटनाओं से रहें सावधान, रखें अपना व सबका ध्यान’
क्षेत्र में बढ़ती चोरी की वारदातों को देखते हुए आप सबसे अनुरोध है कि सुरक्षा प्रबन्ध कड़े करने के लिए अपने सुझाव देने हेतु आपातकालीन सभा में अवश्य पधारें।
समय-सायं 8 बजे,
दिनांक-9 अगस्त।
धन्यवाद।
प्रबन्धक
कखग
(ख) घरेलू नौकरों की जांच परख के लिए जो नियम सोसायटी समिति ने बनाए हैं, उसकी सूचना देने हेतु लगभग 50 शब्दों में सूचना पत्र तैयार कीजिए।
अथवा
यातायात पुलिस अधिकारी की ओर से विशेष राष्ट्रीय कार्यक्रम के कारण यातायात के परिवर्तन की जानकारी देने हेतु लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
वसुंधरा सोसायटी समिति
सूचना
दिनांक…….
घरेलू नौकरों की जांच परख
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
सोसायटी के सभी सदस्यों को सचेत व सावधान रहने की आवश्यकता है। घरेलू नौकर रखना चाहते हैं तो निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें
- उसकी पुलिस जांच करवाएँ
- उसके स्वास्थ्य की पूर्ण जांच का प्रमाण-पत्र प्राप्त करे
- उसके टीकाकरण के प्रमाण-पत्र अवश्य जांच लें।
- कोविड-19 नियमो का पालन करने के स्पष्ट निर्देश उसे दें जिस संस्था ने आपको वह घरेलू सहायता प्रदान की है उनकी भी जांच अवश्य करें।
- सभी प्रमाण-पत्रों की एक प्रति सोसायटी कक्ष में | जमा करवाएँ।
यह सूचना सभी के हित में जारी की गई है।
धन्यवाद
अध्यक्ष
सोसायटी समिति
अथवा
दिल्ली यातायात विभाग
सूचना
दिनांक…………
राष्ट्रीय कार्यक्रम के कारण यातायात में परिवर्तन
सभी दिल्लीवासियों को सूचित किया जाता है कि गणतंत्र दिवस के भव्य कार्यक्रम की सुरक्षा व सभी की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यातायात में अगले चार दिन के लिए कुछ परिवर्तन किए गए हैं, जो इस प्रकार है
- इंडिया गेट की ओर जाने वाले मार्ग 4 दिन तक बंद रहेंगे कृपया बिना प्रमाण-पत्र के किसी सार्वजनिक परिवहन में यात्रा न करें।
- इंडिया गेट की ओर से जाने वाले बस मार्ग उसी के समानांतर सड़क से गुजरेंगे।
- किसी भी निजी या सार्वजनिक वाहन का इंडिया गेट से दो किलोमीटर की परिधि में आना वर्जित रहेगा।
- कृपया निर्देशों का पालन करें। आपकी व देश की सुरक्षा के हित में जारी।
धन्यवाद
यातायात पुलिस अधिकारी
प्रश्न 7.
(क) टायर बनाने के कारखाने में 50 कर्मचारियों की आवश्यकता है। इसके लिए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
‘सुलेख’ नाम से पेन बनाने की नई कम्पनी के लिए 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
कर्मचारियों की आवश्यकता
फरीदाबाद स्थित टायर बनाने की कम्पनी ‘गुड ईयर’ में 50 कर्मचारियों की तत्काल आवश्यकता है। न्यूनतम शिक्षा-12वीं पास, उम्र-18 साल या अधिक। इच्छुक व्यक्ति अपना चरित्र व योग्यता प्रमाण-पत्र लेकर 25 मई प्रातः 10 बजे कम्पनी पहुँचें। पता-गुड ईयर चौक, बल्लभगढ़, फरीदाबाद | दूरभाष-12099492831
अथवा
(ख) पर्यावरण विभाग की ओर से लोगों को पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाने हेतु 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
भारतीय सेना में नवयुवकों की भर्ती की आवश्यकता है। इसके लिए युवकों को प्रेरित करने हेतु 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार (2½)
उत्तरः
अथवा
भारतीय सेना में नव-युवकों की भर्ती । भारतीय सेना नव-युवकों की भर्ती के लिए बहुत से अवसर देने जा रही है
न्यूनतम योग्यता- स्नातक की डिग्री
उम्र– 21 से 25 वर्ष
लंबाई- 5 फुट 8 इंच या उससे अधिक
शरीर का वजन- 70 से 80 किलो
शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का प्रमाण आवश्यक इच्छुक उम्मीदवार 20 फरवरी तक दी गई वेबसाइट पर पंजीकरण कराएँ।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
पैर उतने ही पसारने चाहिए जितनी लंबी चादर हो
अथवा
वह नियमित रूप से मंदिर जाती थी घर पर भी पूजा-पाठ करती थी किंतु विचार धार्मिक नहीं कीजिए। थे।
उत्तरः
बेटी का विवाह
सुशीला अपनी बेटी के विवाह के लिए हर माँ की तरह उत्साहित थी। उत्साह के साथ-साथ उसके मन में कुछ डर भी था। बात यह थी कि उसके सभी रिश्तेदार आर्थिक दृष्टि से उससे कहीं ज्यादा मजबूत थे। उनके घरों में भी बच्चों की शादियाँ हुई थी जो उसने देखी थीं। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी की शादी कहीं से भी उनसे हल्की लगे। अतः उसने अपना पूरा जोर लगाया, पति पर भी समय-समय पर दबाव डालती रही कि उसे अच्छे-से-अच्छा इंतजाम करना है, बेटी को अच्छे-से-अच्छे कपड़े और जेवर देने हैं। पति तनावग्रस्त रहने लगे थे और सुषमा भी जरूरत से ज्यादा सोचने के कारण अधिक परेशान। अंततः विवाह का दिन आया सब कुछ अच्छी तरह संपन्न हुआ, अधिकतर लोगों ने तारीफ की, कुछ ने हैसियत से ज्यादा करने का मजाक भी बनाया, कुछ लोगों ने मुँह बनाए जैसा कि अक्सर होता है। जैसे तैसे बेटी को विदा कर दिया गया।
उसके बाद धीरे-धीरे घर पर उनके फोन आने लगे जिनसे सुषमा के पति ने उधार लिया था। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था क्योंकि सारी जमा पूँजी विवाह में लग गई थी। इसी तनाव में सुषमा के पति को दिल का दौरा भी पड़ा। उनके इलाज में लगाने के लिए पैसा भी उधार लेना पड़ा जान तो किसी तरह बच गई पर हमेशा के लिए दायाँ हाथ काम करना छोड़ चुका था। सुषमा बहुत पछता रही थी आखिर किसे खुश करने के लिए उसने इतना दिखावा किया था। हीन भावना के कारण जिन्हें वह पराया मान चुकी थी, उन्होंने ही आगे आकर उसकी मदद की और हौसला बढ़ाया। अब वह समझ चुकी थी कि जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए बेवजह, फिजूल खर्च करके दिखावा करने से कुछ हासिल नहीं होता केवल परेशानियाँ ही खड़ी होती हैं।
अथवा
असली धर्म
कमलेश के माता-पिता ने खूब देखभाल कर उसका रिश्ता तय किया था। उसके होने वाले ससुराल में सभी बहुत पूजा-पाठ करने वाले लोग थे। उन्हें विश्वास था कि सभी संस्कारी लोग होंगे किंतु 10 साल हो गए कमलेश को वहाँ सब लोगों की कड़वी बातें सहते हुए। वह आज तक समझ नहीं पाए हैं कि जिस घर में इतना पूजा-पाठ होता है, नियमित रूप से मंदिर जाते हैं वहाँ के लोगों की जुबान इतनी कड़वी कैसे हो सकती है। उसके पति की माँ रोज मंदिर जाया करती, वहाँ दूध फल चढ़ाया करती पर घर के दरवाजे पर अगर कोई भूखा व्यक्ति खड़ा हो तो उसे दुत्कार कर भगा देती। अगर कमलेश कभी कुछ देने की कोशिश भी करती तो उसे भी डांट दिया जाता। वह मन मसोसकर रह जाती। कमलेश का मन कभी भी पूजा पाठ करने में बहुत अधिक नहीं लगता था पर किसी का दिल दुखाना उसे पाप नजर आता था।
घर के लोग जब किसी सब्जी वाले या मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों से बुरा बर्ताव करते थे तो वह दुखी होती थी कभी-कभी समझाने की कोशिश भी करती पर उसे हमेशा उल्टा ही सुनना पड़ता था। उन्हें वह कभी समझा नहीं पाई किंतु यह स्पष्ट हो गया कि ऐसे लोगों की वजह से ही पूजा-पाठ करने वाले लोगों पर से भी हमारा विश्वास उठ जाता है। लोग क्यों नहीं समझते कि यदि उनका स्वभाव अच्छा नहीं है, उनकी बोली में मिठास नहीं है, वह किसी की मदद करना नहीं जानते तो उनका पूजा-पाठ करना, मंदिर-मस्जिद जाना सब व्यर्थ है। काश लोग धर्म का सही अर्थ समझ सकें और जिस प्रभु की वह उपासना करते हैं, उनके चरित्र का एक अंश भी अपने चरित्र में उतार सकें तो कितना अच्छा हो।