Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 2 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutions
निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
- प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।
खंड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘कर चले हम फिदा’ कविता में साथियों कहकर किसे संबोधित किया गया है और क्यों?
उत्तरः
कवि ‘कैफी आज़मी’ द्वारा रचित कविता ‘कर चले हम फिदा’ में सैनिकों की भावनाओं को दर्शाया गया है। देश की रक्षा करते हुए सैनिकों को अपनी जान जाने की परवाह नहीं है। उन्हें केवल यही चिंता सताती रहती है कि उनके बाद देश की रक्षा कौन करेगा। यह जिम्मेदारी अन्य देशवासियों को सौंपना चाहते हैं और हमें अर्थात् सभी देशवासियों को उन्होंने साथियों कहकर संबोधित किया है क्योंकि वह हम सबके मन में यह बात बिठाना चाहते हैं कि देश की रक्षा हम सबने मिलकर ही करनी है।
(ख) लेखक रवींद्र केलेकर’ ने ‘झेन की देन’ किसे कहा है और क्यों?
उत्तरः
आधुनिक समय में लोगों की दिनचर्या अत्यधिक तनावग्रस्त हो गई है। विशेष रूप से जापान जैसे देश में लोग एक महीने का काम एक दिन में खत्म करने का प्रयास करते हैं और मानसिक रूप से रोगी हो जाते हैं। ऐसे में उनके दिमाग को आराम देने के लिए जापान में ध्यान की एक ऐसी प्रक्रिया प्रचलित है। यह कुछ समय के लिए लोगों को विचार शून्यता की स्थिति में ले जाकर तनाव मुक्त कर देती है। यह बौद्ध दर्शन की प्रक्रिया झेन प्रक्रिया कहलाती है और इसे लेखक ने जापानियों के लिए एक बहुत बड़ी देन कहा है जिसके माध्यम से वह अपने तनावग्रस्त जीवन में कुछ चैन भरे पल पा जाते हैं।
(ग) कर्नल किसकी और कौन-सी बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया था? कारतूस एकांकी के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः
कर्नल पूरे लाव लश्कर के साथ जिस वजीर अली को ढूंढ रहा था, वही वजीर अली सरपट घोड़ा दौड़ाए उनके खेमे में दाखिल हुआ। बातों ही बातों में उनसे दस कारतूस भी हासिल किए और पूछने पर बताया कि वह उनकी मदद के लिए कारतूस ले रहा है। जब कर्नल ने उसका परिचय पूछा तब उसने बेखौफ अपना नाम वजीर अली बताया और जाते-जाते यह चेतावनी दे गया कि वह उनकी जान बक्श रहा है क्योंकि उन्होंने उसे कारतूस दिए हैं। उसकी यह निडरता और हिम्मत देखकर कर्नल हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) हम तीनों को चलते-चलते काफी समय हो गया था। चनों की पोटली तीनों के पास थी जो माँ ने घर से निकलते वक्त दी थी। छोटे भाई ने चने खाकर भूख मिटा ली, बड़े ने कुछ चने खा लिए और कुछ भावी भूख को शांत करने के लिए रख लिए और मैं एक भी चना नहीं खा पाया। इस चिंता में कि यदि और तेज भूख लगी तो क्या खाऊँगा। अभी भूखा रहकर भविष्य के लिए उन चनों को मैंने सुरक्षित रखना ही ठीक समझा। प्रस्तुत घटना में ‘झेन की देन’ से मिली हुई सीख को कौन अमल में ला पाया और वह कहाँ तक उचित है?
उत्तरः
आधुनिक युग, जिसे मशीन का युग भी कहा जाता है, इसमें मानव भी मशीनों की तरह ही व्यवहार करने लगा है। जीवन की रफ्तार ही बढ़ चुकी है। लगभग प्रत्येक व्यक्ति चार दिन का काम एक दिन में करने की कोशिश करता है। शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी तेज दौड़ाता है। एक सीमा तक तो दिमाग इसे सहन कर लेता है किंतु जब सीमा पार हो जाती है तो विचारों का तीव्र आवागमन तनाव का रूप ले लेता है और वह तनाव अत्यधिक बढ़ जाने पर मानसिक रोग का। इस परिस्थिति से निपटने का एक उपाय पाठ ‘झेन की देन’ में बताया गया है कि हमें वर्तमान में जीने का प्रयास करना चाहिए। अधिकांशतः हम अतीत या भविष्य में ही उलझे रहते हैं। वर्तमान पलों को जी नहीं पाते। अतीत बीत चुका है भविष्य अभी आया नहीं। उन दोनों पर ही हमारा अधिकार नहीं है। हमारा अधिकार जिस पर है, व वर्तमान पल हमारे सामने हैं। उसे भरपूर जीना चाहिए। मेरे विचार से उपरोक्त उदाहरण में दूसरे भाई ने पाठ झेन की देन के अनुसार व्यवहार किया है। वर्तमान में अपने को कष्ट न देकर भूख भी मिटाई और वर्तमान में जीते हुए भविष्य को भी सुरक्षित कर लिया। पहले का व्यवहार वर्तमान की दृष्टि से भी उचित नहीं है और तीसरे ने तो वर्तमान को जिया ही नहीं, केवल भविष्य के बारे में ही सोचा।
अथवा
(ख) श्रीनगर पहुँचे ही थे कि हमारे मार्ग पर दोनों ओर ऊँचे-ऊँचे स्वागत करते हुए वृक्ष खड़े थे। जहाँ से यह सुंदर पहाड़ नजर आते थे ऐसी एक दो- मंजिली धर्मशाला में हमने कमरे लिए। पास के एक कुएँ से हम पीने के लिए पानी लाते थे। वहाँ की ग्रीष्म ऋतु अत्यंत सुखद थी। दिन में साधारण गर्मी और रात में हल्की सी ठंड। कमल पुष्पों से भरे सरोवर सुसज्जित शिकारे, पुष्पों और हरी घास से सजी स्वर्ग भूमि। यह स्थान चारों ओर से हिमालय से घिरा हुआ था। प्रस्तुत पंक्तियों में जिस प्राकृतिक दृश्य का वर्णन है, वह ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता से किस प्रकार समान अथवा भिन्न है?
उत्तरः
कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ द्वारा रचित कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ एक ऐसी कविता है जिसके माध्यम से पर्वतीय क्षेत्र के मनोरम दृश्यों का सजीव वर्णन किया गया है। कवि ने पावस ऋतु के दौरान पर्वतीय क्षेत्र में दृष्टिगत होने वाले परिवर्तनों का वर्णन करके अपने प्रकृति प्रेम को दर्शाया है। कवि ने मेखलाकर पर्वतों के बीच विशाल तालाब को दर्पण के रूप में, पर्वतों पर लगे वृक्षों को उनकी महत्वाकांक्षाओं के रूप मे, झरनों को मोती की लड़ियों के रूप में वर्णित किया है। उपरोक्त पंक्तियों और इस कविता में यह समानता है कि दोनों ही प्रकृति का सुंदर रूप हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। किंतु यहाँ लेखक ने वृक्षों को स्वागत करते हुए दिखाया है। यहाँ वर्षा नहीं ग्रीष्म ऋतु का वर्णन है, झरनों का नहीं कुएँ के शीतल जल का जिक्र किया गया है जो लेखक की प्यास बुझाता है। फिर दर्पण रूपी तालाब की जगह यहाँ कमल के फूलों से सुसज्जित सरोवर तथा फूलों और हरी-भरी घास से सजी धरा को स्वर्ग भूमि का नाम दिया गया है। इस प्रकार कवि ‘सुमित्रानंदन पंत’ और इन पंक्तियों के लेखक दोनों को ही प्रकृति प्रेमी कहा जा सकता है, बस प्रकृति को निहारने का, मानवीकरण करने का तथा कल्पना का नज़रिया भिन्न है।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घर वालों की क्या प्रतिक्रिया हुई और क्यों? आपके विचार से यह कहाँ तक उचित है?
उत्तरः
टोपी शुक्ला ऐसे दो दोस्तों की कहानी है जिनका पालन-पोषण पूर्णतः भिन्न वातावरण में हुआ। दोनों को अलग-अलग संस्कार व परम्पराएँ देखने को मिलीं। जाति, सम्प्रदाय, घर का माहौल, भाषा, ख्न-पान सब भिन्न होने पर भी दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए। टोपी का इफ्फन के घर बहुत आना-जाना था, जिसके कारण उसने उर्दू के कुछ शब्द अनायास ही सीख लिए थे। एक दिन अपने घर में उसने अम्मी शब्द का प्रयोग कर डाला। खाने की मेज़ पर बैठे लोगों के हाथ वहीं रुक गए, हिन्दू परम्परा की दीवारें डोल गयीं। टोपी की दादी तो उस पर व उसकी माँ पर इतनी बरसी कि टोपी की माँ ने उसकी जमकर पिटाई की व आगे से उस ‘मुसलमान’ से दोस्ती न रखने को कहा, किन्तु टोपी ने इससे साफ इन्कार कर दिया।
(ख) ओमा कौन था? लेखक और उनके मित्र उनसे क्या प्रेरणा लेते थे?
उत्तरः
पाठ सपनों के से दिन’ में लेखक व उनके मित्र बड़ी ही अरुचि के साथ विद्यालय जाते थे। ग्रीष्मावकाश में मिलने वाला कार्य तो उन्हें बहुत ही बोझ लगता था। उसे करने की योजनाएँ बनाते-बनाते अवकाश समाप्त होने लगते। ऐसे में वे छात्रों के नेता ‘ओमा’ से प्रेरित होते जो कभी स्कूल का काम नहीं करता था। मास्टरों की डांट खाना उसे अधिक ‘सस्ता सौदा’ लगता था। वह ठिगने कद का था, सिर बहुत बड़ा, बिल्ली जैसी आँखें और बाघ की तरह झपटकर झगड़ा तो ऐसे करता था कि उससे दुगुने कद वाले लड़के भी घबरा जाते थे। काम न करने का निर्णय लेते समय लेखक उसी को आदर्श बनाते थे।
(ग) पाठ सपनों के से दिन के आधार पर बताइए कि ग्रीष्मावकाश कार्य को लेकर लेखक क्या योजना बनाया करते थे?
उत्तरः
पाठ ‘सपनों के से दिन’ में लेखक ने अपने बचपन की कुछ खट्टी-मीठी यादों का वर्णन किया है। जिसमें विशेष रूप से उन्होंने अपने विद्यालय के अध्यापकों और अपने मित्रों के साथ बिताए गए पल याद किए हैं। उन दिनों नई कक्षा में जाने पर लगभग एक महीना पढ़ाई होती फिर 2 महीने के लिए ग्रीष्म अवकाश हो जाता। लेखक और उनके मित्र ग्रीष्म अवकाश का प्रारंभिक समय खेलकूद में बिता दिया करते थे। ग्रीष्मावकाश कार्य की याद आने पर हिसाब लगाने बैठते कि कितना कार्य रोज करेंगे तो कितने दिन में पूरा हो जाएगा। ऐसा करते-करते कुछ दिन और बीत जाते हैं। फिर अंत के दिनों में वह अपने दल के नेता ओमा से प्रेरणा लेते और काम करने से अधिक आसान अध्यापकों से डाट खाना समझ कर कार्य न करने का फैसला कर लिया करते थे।
खंड ‘ख’: लेखन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए – (6)
(क) परोपकार
- अर्थ
- प्रभाव
- उदाहरण
- निष्कर्ष।
उत्तरः
परोपकार
परोपकार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-पर + उपकार, यानि दूसरों का हित करके उपकार करना। वास्तव में उपकार हम किसी पर नहीं करते, अपितु ‘पर’ शब्द में सभी आते हैं और सबमें हम भी शामिल हैं अर्थात् अपने साथ-साथ सबके भले के लिए सोचना व कार्य करना ही परोपकार है। हम समाज में रहते हैं, हर पल किसी-न-किसी रूप में हमें किसी-न-किसी की मदद की जरूरत होती ही है। जितनी भी सुविधाएँ हम भोग रहे हैं, उनमें न जाने कितने लोगों का प्रयास शामिल है। अतः हम समाज से कटकर नहीं रह सकते। जिस दिन हम अपने तक सीमित हो जायेंगे, उस दिन हमारे सारे सुख, सारी शान्ति हमसे छिन जाएगी। सबके हित में अपना हित देखें, आस-पास, पूरा वातावरण खुश होगा, हम भी तभी खुश रह पायेंगे। किसी ने ठीक ही कहा है ‘परहित सरिस धरम नहिं कोई।’
अथवा
(ख) दुविधा के दोनों गए माया मिली न राम
- उक्ति का अर्थ
- दुष्परिणाम उपाय।
उत्तरः
दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम
जिसने अपने जीवन में इस बात को अनुभव किया हो, वही इस उक्ति की गहराई को समझ सकता है। जब-जब हम दुविधा में होते हैं या सही निर्णय नहीं कर पाते या दो नावों में पाँव रखते हैं तो कुछ हासिल होना तो दूर, पाया हुआ भी खो देते हैं। जीवन में सही समय पर विवेकपूर्वक सही निर्णय कर लेना, कोई एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना या हर दिन या कुछ-कुछ समय के लिए निश्चित उद्देश्य तय कर लेना व तद्नुसार प्रयास करना हमें सफलता व सन्तोष देता है। किन्तु बिना लक्ष्य पहचाने या बार-बार लक्ष्य को बदलते रहने से हमारे मन-मस्तिष्क में दुविधा बनी रहती है कि कौन-सा मार्ग उचित है, जो कुछ हम कर रहे हैं, उसका सार क्या है? ऐसी स्थिति में यही उक्ति चरितार्थ होती है
‘दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम।’
अथवा
(ग) मतदान का अधिकार
- इस अधिकार का परिचय
- महत्व
- सदुपयोग।
उत्तरः
मतदान का अधिकार
भारत एक विशाल, लोकतांत्रिक देश है। लोकतन्त्र अर्थात् लोगों का तन्त्र। भारत को कौन-सी सरकार चलाएगी, यह फैसला जनता करती है और इसके लिए जनता को अपनी राय या मत देने का अधिकार मिलता है जो ‘मतदान’ कहलाता है। वास्तव में यह केवल हमारा अधिकार ही नहीं, कर्त्तव्य भी है कि हम सोच-समझकर मतदान करें, क्योंकि एक-एक व्यक्ति से ही समाज व समाज से देश बनता है और प्रत्येक व्यक्ति यदि जागरूक व सचेत होकर मतदान करेगा तो अच्छे प्रतिनिधि चुनकर सामने आयेंगे, मज़बूत सरकार बनेगी व मज़बूत देश का निर्माण सम्भव हो पाएगा। जब-जब मतदान का दिन आता है, सरकार की ओर से सभी को अवकाश प्राप्त होता है। बड़े दु:ख की बात है कि लोग इतना महत्वपूर्ण कर्त्तव्य न निभाकर इसे मात्र अवकाश की भाँति सोने, मौज-मस्ती करने में व्यतीत कर देते हैं और ऐसे ही लोग सरकार की कमियाँ निकालने से भी बाज नहीं आते। अतः जरूरी है कि –
‘सही समय पर विवेकपूर्वक करे मतदान, यही है
अच्छे नागरिक की पहचान।’
प्रश्न 5.
बिजली की अनियमित आपूर्ति की शिकायत करते हुए दिल्ली विद्युत बोर्ड के अधिकारी को 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
प्रधानाचार्य को 120 शब्दों में पत्र लिखकर ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय देने की प्रार्थना कीजिए। (5)
उत्तरः
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक………………………
विद्युत विभाग अधिकारी,
दिल्ली विद्युत बोर्ड,
नई दिल्ली…………
विषय-बिजली की अनियमित आपूर्ति।
आदरणीय महोदय,
मैं दिल्ली के विकासपुरी का निवासी आपको अपने क्षेत्र में पिछले 5 महीनों से चल रही बिजली की अनियमित पूर्ति से अवगत कराना चाहता हूँ।
महोदय, हमारे यहाँ हमेशा से ही शाम को एक घण्टा बिजली नहीं आती थी, किन्तु इसके लिए हम सब तैयार थे। पिछले पाँच महीनों से तो किसी भी समय दो-दो घण्टों के लिए बिजली चली जाती है और आती भी है तो वोल्टेज इतना कम होता है कि कुछ उपकरण तो काम ही नहीं कर पाते।
दिल्ली जैसे महानगर में यदि यह हालत है तो हमारे गाँवों की दशा क्या होगी, इसकी हम कल्पना कर सकते हैं। आज के समय में अधिकांश काम बिजली के बिना रुक जाते हैं। अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि जल्द ही इस समस्या की तह में जाइए तथा हमें इस संकट से मुक्त कीजिए।
आशा है, आप शीघ्र ही उचित कदम उठायेंगे।
धन्यवाद
भवदीय,
क ख ग
अथवा
आदरणीय प्रधानाचार्य जी,
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली 110018
विषय-ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय देने का अनुरोध ।
आदरणीय महोदय, सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा ग्यारहवीं का छात्र हूँ। मैंने पहली कक्षा से आज तक इसी विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और मेरे शैक्षिक परिणामों व व्यवहार से सभी अध्यापक हमेशा सन्तुष्ट रहे हैं। आपके सहयोग व दी गई शिक्षा के कारण मैंने विज्ञान विषय लेकर चिकित्सक बनने का सपना देखा है, किन्तु कक्षा दसवीं में किसी कारणवश मेरे अंक कुछ कम आने के कारण मुझे विज्ञान विषय नहीं दिया जा रहा है। महोदय, मैं वायदा करता हूँ कि मैं ग्यारहवीं कक्षा में पूरी मेहनत करूँगा व शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा। कृपया मुझे विज्ञान विषय देकर अनुगृहीत करें। मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र,
क ख ग
दिनांक…………..
प्रश्न 6.
(क) विद्यालय में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। प्रधानाचार्य की ओर से छात्रों को दूसरी मंज़िल पर न जाने की सख्त हिदायत देते हुए 50 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
होली के अवसर पर आपकी सोसायटी ‘अन्नपूर्णा’ में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। सचिव होने के नाते 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
उत्तरः
रामकृष्ण विद्यालय
सूचना
दिनांक…………
सुरक्षा नियम विद्यालय की दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य जारी है। सभी छात्रों को सख्त निर्देश दिए जाते हैं कि किसी भी वजह से दूसरी मंजिल पर न जाएँ। यदि कोई विद्यार्थी वहाँ पाया गया तो उसे दण्डित किया जाएगा।
धन्यवाद।
ए. पी. शर्मा
प्रधानाचार्य
अथवा
अन्नपूर्णा सोसायटी
सूचना
दिनांक…
हँसो-हँसाओ, होली का पर्व रंग-बिरंगा बनाओ सोसायटी के सभी सदस्यों को जानकर खुशी होगी कि 17 मार्च सायं 5 बजे से 10 बजे तक सोसायटी हॉल में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। चाय-पानी की व्यवस्था भी है। अधिक-से-अधिक संख्या में पधारकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँ।
धन्यवाद।
के. पी. मिश्रा
सचिव
(ख) यातायात पुलिस की ओर से 50 शब्दों में एक सूचना जारी कीजिए कि जो लोग नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए गए, उन पर तुरंत और सख्त कार्यवाही की जाएगी।
अथवा
विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से विद्यार्थियों को अनुशासन भंग न करने की चेतावनी देते हुए लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
दिल्ली यातायात विभाग
सूचना
दिनांक…
नियमों का उल्लंघन करने पर तुरंत और
सख्त कार्यवाही
दुर्घटना से देर भली
सभी दिल्लीवासियों को सूचित किया जाता है कि यातायात नियमों का ईमानदारी से पालन करें। पद यात्री या वाहन चालक यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए गए तो उन पर तुरंत और सख्त कार्यवाही की जाएगी। यातायात के नियम आप ही की सुरक्षा हेतु बनाए गए हैं। कृपया इनका सम्मान करें। दुर्घटनाओं से बचें।
धन्यवाद
अध्यक्ष
यातायात पुलिस
अथवा
अनुशासन भंग न करने की चेतावनी
सूचना
दिनांक…………..
नियमों का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है, इसी में हमारी सुरक्षा और हमारा हित कायम है। सभी विद्यार्थियों को सख्त निर्देश दिए जाते हैं कि विद्यालय के सभी नियमों का ईमानदारी और सख्ती से पालन करें।
यदि कोई विद्यार्थी नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। नियमों का पालन हमारी विवशता नहीं आवश्यकता है। अनुशासन में रहना सभी छात्र-छात्राओं से अपेक्षित है।
धन्यवाद
प्रधानाचार्य
प्रश्न 7.
(क) ‘हस्त शिल्प केन्द्र’ के लिए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए जिसके माध्यम से ग्रामीण शिल्पकारों को आमंत्रित करना है।
अथवा
कपड़ों का नया ब्राण्ड ‘जोवाना’ बाज़ार में आया है। उसके लिए लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
हस्त शिल्प केन्द्र
हम सभी ग्रामीण शिल्पकारों को सादर आमंत्रित करते हैं। शिल्प कला प्रदर्शनी का आयोजन-दिनांक 20 जुलाई से 25 जुलाई। स्थान-दिल्ली हाट, पीतमपुरा । इच्छुक शिल्पकार अपनी शिल्प कला की तस्वीरें 5 जून तक भेज दें व कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 10 जून | तक अपना नाम निश्चित कर लें।
अथवा
(ख) आपके क्षेत्र में ‘सुविधा’ नामक अस्पतालों में हृदय जांच शिवर आयोजित किया जा रहा है। उसकी जानकारी देने हेतु 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
बाजार में एक नया उत्पाद घरेलू अचार आया है। ‘नवीन अचार’ कंपनी की ओर से 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
‘सुविधा’
अस्पतालों में हृदय जाँच शिविर का आयोजन
पश्चिमी और पूर्वी दिल्ली के सभी निवासियों के लिए एक विशेष जानकारी…
आपके क्षेत्र के जाने-माने सुविधा अस्पताल की सभी शाखाओं में हृदय जाँच शिविर का, 10 फरवरी से 15 फरवरी तक पूरी तरह निःशुल्क आयोजन किया जा रहा है। हृदय रोग से संबंधित विशेष जानकारी हमारे हृदय विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी। अवसर का लाभ उठाएँ, हृदय की जाँच कराएँ। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें…
अथवा
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
- बेजुवान जानवर…
- भावुक कष्टों से मुक्ति
अथवा
‘समय अमूल्य धन है।’
उत्तरः
बेजुबान जानवर
मुझे पशु-पक्षियों से कभी भी बहुत अधिक लगाव नहीं रहा। हाँ ठीक है घर पर जो पक्षी आते हैं उनके लिए पानी भी रखती थी, दाना भी डालती थी, उन्हें पालूं, ऐसी कभी इच्छा ही नहीं हुई। एक दिन मेरी एक मित्र पढ़ाई करने के लिए विदेश जा रही थी। उसके घर में एक पालतू कुत्ता था जिससे उसे बेहद लगाव था। जिस दिन उसे जाना था मैं उसके घर गई, उसका सामान बँधा हुआ रखा था। सब मुस्कान को विदा करने की तैयारियों में लगे थे। अचानक मेरी नजर उसके पालतू कुत्ते रॉबिन पर पड़ी। मैंने ध्यान से देखा वह सुबक रहा था। करीब जाकर देखा तो उसकी आँखें नम थीं। देखकर मैं हैरान रह गई।
मुस्कान ने बताया कि इसने 2 दिन से कुछ नहीं खाया है। जब सामान बाँध रहे थे तो कभी मेरी चप्पल लेकर आता था, तो कभी मेरा तौलिया, मानो कह रहा हो कि कुछ भूल मत जाना और अब जाने का समय आया है तो रो रहा है। यह देख कर मेरी आँखें आँसुओं से भर गईं। मुस्कान को चिंता थी कि उसके जाने के बाद इसे कौन संभालेगा। मैंने उसकी चिंता दूर करते हुए कहा “इसे मैं अपने साथ लेकर जाऊँगी”। मुझे विश्वास था कि मैं रॉबिन के लिए मुस्कान की कमी पूरी कर पाऊँगी। उस दिन जो मैं उसे अपने साथ लाई आज छ: वर्ष हो गए, मैं कभी उसे छोड़कर कहीं नहीं गई। बहुत से मित्र जीवन में आए और गए पर इस बेजुबान जानवर से ज्यादा प्रेम मैंने किसी से नहीं पाया।
अथवा
समय अमूल्य धन है
‘समय अमूल्य धन है’-इस कथन में कितनी गहराई है यह मुझे तब समझ आया जब मैं दसवीं की परीक्षाओं की तैयारी कर रही थीं।परीक्षाओं की तैयारी के लिए छुट्टियाँ मिल गई थीं। बोर्ड की परीक्षाओं में लगभग 2 महीने थे। लगा कि यह तो बड़ा अच्छा समय है, उसको अच्छे से बिताऊँगी। कभी सहेलियों को अपने घर बुलाया तो कभी मैं उनके घर चली गई, मम्मी को जिद करके घूमने निकल गई , जब मन चाहा सो गए, जब मनचाहा उठ गई। करते-करते 8-10 दिन बीत गए। मम्मी ने कहा पढ़ाई शुरू कर दो मैंने बोला पढ़ाई तो हो चुकी है, सिर्फ दोहराना बाकी है। 15 दिन और बीत जाने पर लगा कि कल से योजना बनाकर पढ़ाई करूँगी। हर दिन ऐसा करते-करते 20 दिन कब निकल गए पता ही नहीं चला। मेरे हाथ में केवल 25 दिन थे और विषय छः। घबराहट के मारे मेरा बुरा हाल था। जो समय मैं गँवा चुकी थी, वह मुझे वापस नहीं मिल सकता था। माँ ने मुझे समझाया जो समय बीत चुका है वह तो दोबारा नहीं आएगा, बाकी बचा हुआ जो समय उसका सही उपयोग कर लो। अभी कुछ नहीं बिगड़ा है।
मैंने सुबह जल्दी उठकर रात देर तक पढ़ना शुरू किया। तीन-चार दिन ऐसा करने पर मैं बीमार पड़ गई। तेज बुखार, सर दर्द इस सब में 10 दिन व्यर्थ चले गए। अब तो ऐसा लग रहा था मानो हाथ से सब कुछ निकल गया। किसी तरह से मम्मी-पापा के सहयोग से मैंने फिर अपने आप को सँभाला, पढ़ाई शुरू की। परीक्षाएँ हों गईं, परिणाम भी आया, पर संतोषजनक नहीं। 11वीं कक्षा में मझे अपनी पसंद के विषय नहीं मिल पाए पर एक सीख हमेशा के लिए मिल गई कि ‘समय अमूल्य धन है, इसे व्यर्थ गँवाना नहीं चाहिए’।