Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 3 with Solutions

निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
  • खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
  • खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
  • कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
  • प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।

खंड ‘क’

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) सआदत अली का परिचय देते हुए बताइए कि कर्नल उसे क्यों खुश रखना चाहता था?
उत्तरः
वज़ीर अली के पिता थे आसिफउद्दौला और सआदत अली उनका भाई था अर्थात् सआदत अली वज़ीर अली का चाचा था, किन्तु वह वज़ीर अली को अपना दुश्मन मानता था, क्योंकि जिस राज-पाट पर वह अपना अधिकार समझता था, वह वज़ीर अली के जन्म के साथ ही उसे छिनता नज़र आ गया था। वही सआदत अली कर्नल का दोस्त था। वह एक ऐशपसन्द आदमी था, इसलिए उसे खुश करके अवध पर कब्ज़ा बनाए रखना अंग्रेजों के लिए आसान था। उसने अपनी आधी जायदाद व दस लाख रुपए कर्नल को दे दिए और दोनों मजे कर रहे थे।

(ख) चाजीन कौन होता है? पाठ ‘झेन की देन’ में उसके द्वारा की गई क्रियाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
जापान में एक विशेष टी सेरेमनी के दौरान चाय बना कर पिलाने वाले व्यक्ति को चाजीन कहा जाता है। जब लेखक अपने मित्र के साथ टी सेरेमनी में पहुंचे तो चाजीन ने कमर झुका कर, दो झो कह कर उनका स्वागत किया। अंदर जाकर अंगीठी सुलगाई, तौलिए से बर्तन साफ किए और बर्तन में पानी भरकर अंगीठी पर रख दिया। चाय तैयार करके प्यालों में डाली और सभी के सामने प्याले रख दिए। उसकी सभी क्रियाएँ बहुत ही गरिमापूर्ण ढंग से, धैर्य और शांतिपूर्वक की जा रही थी।

(ग) कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने दानवीरों के उदाहरण देकर क्या समझाने का प्रयास किया
उत्तरः
कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के उपाय बताते हुए दानवीरों के उदाहरण दिए हैं। उनका मानना है कि जिस प्रकार रंतिदेव ने भोजन का थाल, दधीचि ऋषि ने अपनी हड्डियाँ, राजा क्षितीश ने अपना माँस व वीर कर्ण ने अपना सुरक्षा कवच सहर्ष दान कर दिया था, उसी प्रकार हमें भी परहित में दान करने से पीछे नहीं हटना चाहिए, क्योंकि शरीर तो नश्वर है, उसका दान करके, सदुपयोग करके ही अमर आत्मा को महान बनाया जा सकता

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित दों प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) “तुम्हें परमानंद में डूबे नहीं रहना है। तुम्हारे लिए अभी जगत में बहुत से काम करने बाकी हैं। आओ बरामदे में। पहले साफ सफाई करते हैं, फिर रोगियों की सेवा करने चलेंगे।” मैं जानता था कि मेरे गुरु मुझे संतुलित जीवन की शिक्षा दे रहे हैं। शरीर के अपने दैनिक कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए आत्मा को, विश्व उत्पत्ति के रहस्यों को अपने में समाते हुए विस्तारित होते रहना चाहिए। ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने जो सीख दी है, क्या उपरोक्त पंक्तियों से वह मेल खाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
उपरोक्त उदाहरण में उस स्थिति का वर्णन है जब एक शिष्य को आत्मानुभूति हो गई है और वह परम आनंद. को महसूस कर रहा है। किंतु उसके गुरु उसे सचेत कर रहे हैं कि उसे परमानंद में डबे नहीं रहना है। परमानंद में डूब कर अपने कर्तव्य को भूल जाना यह आत्मानुभूति का या मानव-जीवन का उद्देश्य नहीं है। अतः वह उसे कर्मठ होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके अनुसार रोगियों की सेवा करना, दुखियों के दुखों को दूर करना, अपने साथ-साथ सभी के हित के बारे में सोचना ही हमारा कर्तव्य है। जिसे हमें अवश्य निभाना चाहिए कवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ ने मनुष्यता कविता के अंतर्गत भी यही संदेश दिए हैं।

कवि का मानना भी यही है कि केवल मनुष्य रूप में जन्म लेने से हम मनुष्य नहीं कहलाएँगे। यदि हमें अपने मानव जीवन को सार्थक करना है तो हमें सभी के प्रति समभाव रखना चाहिए, सबके हित अहित का ख्याल करना चाहिए, दान देने में, किसी की तकलीफ को मिटाने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए। हम सब परमपिता परमेश्वर की ही संतानें हैं और इसलिए एक दूसरे के भाई- बंधु हैं। अपने शरीर के दैनिक कर्तव्य निभाते हुए पर-पीड़ा को दूर करना सभी के हित के बारे में सोचना मनुष्य का धर्म है और अपनी आत्मा को विस्तारित करने का यही साधन है।

अथवा

(ख) अध्यापक गाँधीजी की बात से सहमत नहीं हुए और उन्हें लगा कि गाँधीजी झूठ बोले रहे हैं। इसलिए उन्होंने उन पर दो आने का जुर्माना लगा दिया। गाँधीजी को जुर्माने की बात सुनकर रोना आ गया कि अध्यापक ने उन्हें झूठा समझकर जुर्माना लगाया है। उन्होंने उसी समय निश्चय किया कि आगे से वे कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। साथ ही अपने अंदर बेहतरीन आत्मबल पैदा करेंगे। उन्होंने अपना यह प्रण आजीवन निभाया और सत्य के साथ-साथ अहिंसा का भी प्रण वे अंत तक निभाते रहे। वज़ीर अली ने क्रोध और नफरत के कारण अंग्रेजी वकील का कत्ल कर दिया था। उपरोक्त घटना में गाँधीजी का फैसला वजीर अली के व्यवहार से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तरः
कारतूस’ एकांकी के अंतर्गत जांबाज़ भारतीय सिपाही वज़ीर अली के साहसिक कारनामों के कुछ किस्से वर्णित हैं। वज़ीर अली अपने देश को अंग्रेजी शासन से आज़ाद कराने के लिए दृढ़ संकल्प था। अंग्रेजों के खिलाफ उसके मन में नफरत कूटकूटकर भरी थी। इसी नफरत के कारण वह अंग्रेजी वकील के गुस्से को सहन नहीं कर पाया और खंजर से उसका काम तमाम कर दिया। उपरोक्त उदाहरण में उस अपराध के लिए गाँधी जी को जुर्माने के रूप में सजा दी गई जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं था, तो वह सहन नहीं कर पाए किंतु बदले में उन्होंने क्रोध नहीं दर्शाया अपितु जीवन भर कभी झूठ न बोलने का संकल्प ले लिया। एक ही घटना अनेक लोगों के साथ घटती है किंतु उससे हम अलग-अलग सीख ले सकते हैं। भले ही वज़ीर अली अंग्रेजों से नफरत करता था, किंतु इस तरह वकील का कत्ल करना उसके व्यक्तित्व की इस कमजोरी को दर्शाता है कि उसे अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं था। वहीं दूसरी ओर झूठ न बोलने पर भी झूठ की सज़ा पाकर क्रोधित न होना गाँधीजी के बड़प्पन, सहनशीलता और धैर्य को दर्शाता है।

प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) “टोपी को इफ्फन की दादी से अत्यधिक लगाव था।” पाठ ‘टोपी शुक्ला’ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तरः
‘टोपी और इफ्फन’ ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के दो मुख्य पात्र हैं। दोनों घनिष्ठ मित्र हैं, जबकि एक हिन्दू है और दूसरा मुसलमान। वास्तव में यह जात-पात उनके परिवारों तक ही सीमित है, उनकी सोच में यह कहीं नहीं है। टोपी बेझिझक इफ्फन के घर आता-जाता है, यहाँ तक कि उसे अपने घर से ज्यादा इफ्फन के घर का वातावरण अच्छा लगता है, विशेष रूप से उसकी दादी। टोपी को अपनी दादी से तो नफरत थी, किन्तु इफ्फन की दादी में उसे अपनी माँ की झलक मिलती थी। वे इन दोनों को कहानी सुनाती थीं, घर के अन्य लोग इन्हें सताते तो वे इन दोनों का ही साथ देतीं, जबकि टोपी की दादी हर समय उसकी डाँट-मार का कारण बनती थी। इफ्फन की दादी से टोपी के लगाव का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि उसने इफ्फन से दादी बदलने तक की बात कही थी।

(ख) हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तरः
हरिहर काका सीधे-सादे किसान थे। उनकी साठ बीघा जमीन पर उनके भाइयों और ठाकुरबारी के महंत की पूरी नज़र थी। किन्तु हरिहर किसी के भी नाम अपनी जमीन नहीं करना चाहते थे। पूरे गाँव में यह मामला आग की तरह फैल गया था। सभी अपनी-अपनी राय देने लगते थे। प्रगतिशील विचारधारा वाले लोगों का मानना था कि उन्हें ज़मीन अपने भाइयों को देनी चाहिए, इस पर उन्हीं का हक है। किंतु धार्मिक विचारों वाले लोगों का मानना था कि यह ज़मीन ठाकुरबारी के नाम की जानी चाहिए क्योंकि यह एक बड़ा दान होगा, पवित्र कार्य करने में ही हरिहर की भलाई है।

(ग) पाठ सपनों के-से दिन के आधार पर बताइए कि लेखक को नई कक्षा में जाने पर कैसा महसूस होता था और क्यों?
उत्तरः
पाठ ‘सपनों के से दिन’ में लेखक ने अपने बचपन की कुछ खट्टी-मीठी यादों का वर्णन किया है। जिसमें विशेष रूप से उन्होंने अपने विद्यालय के अध्यापकों और अपने मित्रों के साथ बिताए गए पल याद किए हैं। लेखक ने बताया है कि अन्य छात्रों की तरह उन्हें कभी भी अगली कक्षा में जाने पर खुशी महसूस नहीं हुई। उन्हें इस बात का डर सताने लगता था कि नई कक्षा में अध्यापकों की उनसे अपेक्षाएँ बढ़ जाएँगी। कुछ नए अध्यापक मिलेंगे, उनका स्वभाव न जाने कैसा होगा। फिर से वही डाँट और मार का सिलसिला शुरू हो जाएगा। यही सब सोच सोचकर पुरानी किताबों और नई कॉपियों से आने वाली विशेष गंध उनका बाल मन उदास कर दिया करती थी और नई कक्षा में आने की खुशी एक ही रह जाती थी।

खंड ‘ख’: लेखन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए – (6)
(क) प्रदूषण-एक चुनौती

  • प्रदूषण का अर्थ
  • दुष्परिणाम
  • निवारण।

उत्तरः
प्रदूषण-एक चुनौती
हमें जीवन देने वाले पाँच तत्व ‘हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश’ धरती पर उचित मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिए धरती ही एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन सम्भव हुआ है। जब इनमें से कोई तत्व घट जाए या उपयोग करने लायक न रह जाए तो प्रकृति व पर्यावरण असन्तुलित हो जाता है जिसे ‘प्रदूषण’ नाम भी दिया जा सकता है। जिस हवा में हम साँस लेते हैं, जिस जल को ग्रहण करते हैं, जिस धरती पर पैदा होने वाला अन्न खाते हैं, जब वे ही विषैले तत्वों से घिर जायेंगे तो हमारा जीवन सुरक्षित कैसे रह सकता है? आज हम विषैली हवा में साँस ले रहे हैं, दूषित जल का सेवन कर रहे हैं व अनेक रसायनों से निर्मित अन्न ग्रहण कर रहे हैं। इसका कारण भी हम ही हैं और दुष्परिणाम भी हमें ही भोगना पड़ रहा है किन्तु फिर भी हम प्रकृति का शोषण करते जा रहे हैं। वृक्षों की मात्रा घटती जा रही है, जनसंख्या व ज़रूरतें/इच्छाएँ बढ़ती जा रही हैं। जब तक इनमें सन्तुलन नहीं लाया जाएगा, तब तक प्रदूषण नामक भयानक राक्षस से मुक्त होना सम्भव नहीं है। अतः ‘पर्यावरण की सुरक्षा का बीड़ा उठायें, बदले में स्वास्थ्य लाभ पायें।

अथवा

(ख) कम्प्यूटर-आज की ज़रूरत

  • कम्प्यूटर का विवरण
  • लाभ
  • हानियाँ
  • आदर्श स्थिति।

उत्तरः
कम्प्यूटर-आज की ज़रूरत
आधुनिक युग को मशीन युग तो कहा ही जाता है, किन्तु कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसने मानव के जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन पैदा किए हैं। प्रत्येक क्षेत्र में कार्य को आसान करके इसने हमारी बहुत-सी मुश्किलों को हल कर दिया है और इसमें इण्टरनेट के आने से तो मानो दुनिया ही हमारी मुट्ठी में आ गई है। दूरियाँ मिट गयीं, सभी सुविधायें हमारी पहुँच में आ गयीं, घर बैठे विश्व भ्रमण सम्भव हो गया। कम्प्यूटर को वैज्ञानिक तकनीक से उत्पन्न अत्यधिक विकसित बुद्धि कहा जा सकता है, किन्तु इसकी सीमा यही है कि इस यांत्रिक बुद्धि को चलाने वाली मानवीय बुद्धि ही है। अतः यह मानव के ही हाथ में है कि इसका किस प्रकार उपयोग करना है; विध्वंस करना है या निर्माण करना है। यदि हम इसका सदुपयोग करें तो यह वरदान से कम नहीं, किन्तु दुरुपयोग किए जाने पर यह भयानक अभिशाप भी सिद्ध हो सकता है। अतः ध्यान रहेमानव ही वह जीव है जो सही-गलत पहचानता है, कम्प्यूटर मात्र मशीन है, उसके इशारों को मानता है।

अथवा

(ग) मित्रता

  • मित्रता का महत्व
  • सच्चे मित्र की पहचान
  • सच्ची मित्रता के लाभ।

उत्तरः
मित्रता
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग हमारे जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पैदा होते हैं तो परिवार ही हमारे लिए पूरा संसार होता है, घर से बाहर निकलते हैं तो परिवार का दायरा बड़ा होता जाता है। अनगिनत लोगों से मिलते हैं, कुछ लोगों से हमारे विचार मिलने लगते हैं, वे हमारे सुख-दुःख के साथी बन जाते हैं, अपने मन की हर बात हम उनके साथ बाँटना पसन्द करते हैं। ऐसे रिश्ते को ही ‘मित्रता’ कहा जाता है। यह एक ऐसा सम्बन्ध है जिसकी ज़रूरत सभी को होती है, क्योंकि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हम खून के रिश्तों में भी नहीं बाँट सकते, किन्तु मित्र के सामने मन खोलकर मन हल्का कर लेते हैं।

मित्रता यदि विवेकशील, संस्कारी व नि:स्वार्थी व्यक्ति से हो जाए तो वह जीवन को स्वर्ग बना देता है, किन्तु मित्र के चुनाव में भूल हो जाने पर जीवन खोखला हो जाता है। कपटी मित्र विष के समान होता है। जीवन को बोझिल व सारहीन बनाकर रख देता है। अतः मित्र के चुनाव में सावधानी बरतनी चाहिए और स्वयं एक अच्छा व सच्चा मित्र साबित होना बहुत आवश्यक है। अतःसच्चा मित्र दर्पण बने, गुण और दोष दिखाए। पत्थर बन न तोड़िए, शुद्ध विचारों से उसे चमकाएँ।

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प्रश्न 5.
विद्यालय में आयोजित ‘वन महोत्सव’ में मुख्य अतिथि के रूप में पर्यावरण मंत्री को आमंत्रित करते हुए 120 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
अपने क्षेत्र में लाउडस्पीकरों का अनुचित प्रयोग रुकवाने के लिए पुलिस आयुक्त को 120 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक……………..
पर्यावरण मंत्री महोदय,
नई दिल्ली………

विषय-वन महोत्सव के आयोजन के लिए निमंत्रण।

आदरणीय महोदय,
मैं रामकृष्ण विद्यालय का प्रबन्धक अपने विद्यालय की ओर से आपको विद्यालय में आयोजित होने जा रहे ‘वन महोत्सव’ में सादर आमंत्रित करता हूँ। कार्यक्रम का विवरण नीचे दिया गया है। कृपया निश्चित स्थान व समय पर पधारकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाइए, हम सब आपके आभारी रहेंगे।

कार्यक्रम की तिथि- 12 जून, 2018
समय- प्रातः 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक विशेष आकर्षण- वृक्षारोपण, छात्रों की नृत्य नाटिका, संगीत व नृत्य, प्रधानाचार्या का भाषण व पुरस्कार वितरण मुझे आशा है आप इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करेंगे। कार्यक्रम में उपस्थित होकर छात्रों को पर्यावरण के सम्बन्ध में जागरूक बनायेंगे व हम सबका मार्गदर्शन करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय,
क ख ग

अथवा

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक………………….
पुलिस आयुक्त,
विकासपुरी क्षेत्र,
नई दिल्ली।
विषय-लाउडस्पीकर के प्रयोग पर प्रतिबन्ध का अनुरोध।

आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं विकासपुरी का एक जागरूक नागरिक आपको अपने क्षेत्र में लाउडस्पीकरों के गैरकानूनी ढंग से इस्तेमाल की जानकारी देना चाहता हूँ।

हम सब जानते हैं कि लाउडस्पीकर के प्रयोग के कुछ नियम हैं, किन्तु खुलेआम मन्दिरों में, उत्सवों के समय घरों में, बाज़ारों में ऊँची आवाज़ में, वक्त-बेवक्त लाउडस्पीकर चलाए जाते हैं। यह ध्वनि प्रदूषण का बड़ा कारण है व इससे हर उम्र के लोगों को परेशानी होती है, विशेष रूप से बच्चों को परीक्षा के दिनों में बहुत मुश्किल होती है। आपसे प्रार्थना है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी नज़र रखी जाए, चेतावनी दी जाए तथा आवश्यकतानुसार दण्डित किया जाए।

आशा है आप इस विषय पर गम्भीरता से विचार करेंगे व उचित निर्णय लेंगे।
धन्यवाद
भवदीय,
क ख ग

प्रश्न 6.
(क) विद्यालय के बाहर खड़े खोमचे वालों से कोई छात्र कुछ न खरीदे। यह हिदायत देने के लिए प्रधानाचार्या की ओर से सूचना लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
जन्माष्टमी के अवसर पर आप अपनी सोसायटी में बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता रखना चाहते हैं। सचिव होने के नाते लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
रामकृष्ण विद्यालय
सूचना
दिनांक……………………
छात्रों की सुरक्षा हेतु आवश्यक निर्देश विद्यालय के सभी छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को सख्त निर्देश दिए जाते हैं कि छुट्टी होने पर विद्यालय के बाहर खड़े खोमचे वालों से कुछ न खरीदें, बाहर बिना रुके सीधे घर जाएँ। यदि कोई छात्र विद्यालय के बाहर खड़ा हुआ या नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए। जायेंगे। धन्यवाद। श्रीमती सरिता अग्रवाल | प्रधानाचार्या

अथवा

उत्सव सोसायटी
सूचना
दिनांक……………
जन्माष्टमी के अवसर पर नृत्य प्रतियोगिता
सभी सदस्यों को जानकर खुशी होगी कि 15 अगस्त को सायं 4 बजे से 8 बजे तक जन्माष्टमी के अवसर पर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 6 से 15 साल तक के बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता भी होगी। कृपया हस्ताक्षरकर्ता को 30 जुलाई तक नामांकन करायें।
धन्यवाद।
अनिल गर्ग सचिव

(ख) आपके विद्यालय में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी की जानकारी विद्यार्थियों को देने के लिए लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
गुमशुदा व्यक्ति की तलाश के लिए समाचारपत्र में सूचना प्रकाशित की जानी है। उस व्यक्ति का विवरण देते हुए लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
क ख ग विद्यालय
सूचना
दिनांक……………..
पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन विद्यालय में एक बार फिर पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न प्रकाशक, विभिन्न विषयों की साहित्यिक पुस्तकें हम सबके लिए लेकर आने वाले

पुस्तक प्रेमी अपनी मनपसंद पुस्तकें 30 से 50% की छूट पर खरीद सकते हैं। वार्षिक सदस्यता के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं।
प्रदर्शनी से संबंधित जानकारी इस प्रकार है

  • समय-प्रात: 10:00 से 12:00
  • दिनांक- 15 से 18 फरवरी
  • स्थान- विद्यालय का ऑडिटोरियम
  • प्रदर्शनी में विद्यालय के छात्रों, उनके परिवारीजनों तथा मित्रों का स्वागत है।
  • कृपया अपने-अपने पहचान-पत्र के साथ ही प्रदर्शनी में आएँ। कोविड-19 नियमों का पालन करें।

अनुशासन बनाए रखें।
धन्यवाद
छात्र संघ अध्यक्ष

अथवा

आवश्यक सूचना
गुमशुदा व्यक्ति की तलाश
दिल्ली के उत्तम नगर क्षेत्र से 2 दिन से एक बालक लापता है। उसे अंतिम बार रविवार शाम 6 बजे के आसपास बाज़ार में देखा गया था।
बच्चे का विवरण इस प्रकार है
उम्र- 14 वर्ष
कद- 4 फुट 9 इंच
रंग- सांवला
धुंघराले बाल
यदि किसी को भी कोई जानकारी मिले तो कृपया दिए। गए दूरभाष नंबर पर संपर्क करें
धन्यवाद
कखग
गुमशुदा के पिता

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प्रश्न 7.
(क) ‘सोलर कुकर’ बनाने वाली एक कम्पनी के लिए विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
‘आत्मविश्वास’ कोचिंग सेण्टर के लिए लगभग 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 3 with Solutions 1
अथवा
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 3 with Solutions 2

(ख) पर्यावरण विभाग की ओर से जल संरक्षण हेतु एक आकर्षक एवं प्रभावशाली विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
होटल शानदार जो एक पहाड़ी क्षेत्र में बनाया गया है उसकी विशेषताएँ बताते हुए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 3 with Solutions 3
अथवा
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 3 with Solutions 4

प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
संत का मिलना…हृदय में परिवर्तन…जीवन सफल

अथवा

नीचे दी गई पंक्तियों को पूरा करते हुए लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए।
‘स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत है’
उत्तरः
सत्संगति का महत्व दूसरों की कमियाँ निकालना, दूसरों में बुराइयाँ देखना तो बहुत आसान है। यदि यही काम हम अपने प्रति कर सकें, तो सुधार निश्चित है। मेरे स्वभाव में कितनी कमियाँ हैं यह मुझे जिस आईने ने दिखाया मैं उसका सदा उपकार मानती रहूँगी। मुझे लोगों की बातें बहुत जल्दी चुभ जाती थीं। मुझे लगता था कि मैं सबसे केवल स्नेह चाहती हूँ और वह भी मुझे क्यों मिल नहीं पाता। एक बार घर में माँ ने सत्संग करवाया एक ज्ञानी व्यक्ति प्रवचन दे रहे थे। कार्यक्रम की समाप्ति पर मैंने उनसे पूछा

“क्या किसी से प्रेम की अपेक्षा करना भी गलत है।” केवल कुछ शब्दों में मेरी बात का उत्तर देते हुए कहा “प्रेम की अपेक्षा नहीं की जाती।” मुझे लगा वे इसके आगे भी कुछ बोलेंगे, पर उनकी तरफ से बात पूरी हो चुकी थी। मुझे उन पर भी गुस्सा आया। यह क्या जवाब दिया है। मन में मंथन चलता रहा, बार-बार विचार करने पर बात समझ में आई कि ‘प्रेम की अपेक्षा नहीं की जाती, यदि हम प्रेम करेंगे तो हर तरफ से हमें प्रेम ही मिलेगा। मैंने इस बात को समझ कर अपने स्वभाव में थोड़ा परिवर्तन किया जैसे ही किसी की कमी पर ध्यान जाता, मैं अपना ध्यान हटा लेती और उसके गुणों पर ले जाती। मन में किसी के प्रति नफरत का भाव आता, तो उसी क्षण प्रेम के भाव या दया के भाग में बदलने की कोशिश करती। देखते ही देखते सारा संसार मुझे सुंदर लगने लगा, हर तरफ प्रेम बरस रहा था। संसार वही था, मैं भी वही थी किन्तु संत के कुछ पलों की संगत ने मेरे लिए संसार को बदल दिया था।

अथवा

स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत है
जब मैं विद्यार्थी था तब मुझे हमेशा कक्षा में प्रथम आने की लालसा रहती थी। परीक्षा के दिनों में मैं खाना-पीना तक भूल जाता था। अच्छे कॉलेज में दाखिला हुआ वहाँ भी स्वर्ण पदक हासिल करने की लिए मैं दिन-रात मेहनत करता रहता। नौकरी मिली, परिवार बढ़ा, बहुत कुछ बदला पर मेरा सबसे आगे निकलने का जुनून कम नहीं हुआ। पहले माता-पिता समझाया करते थे, फिर पत्नी और अब बच्चे भी समझाने लगे। पर बात समझ तब आई जब स्वास्थ्य ने साथ देना छोड़ दिया। सबसे आगे निकलने का जुनून मुझे धीरे-धीरे सबसे पीछे करने लगा आखिर एक दिन इस शरीर की मशीन ने जवाब दे दिया।

पैसा कमाने की और सबसे आगे निकलने की होड़ में मैंने स्वास्थ्य गँवा दिया था उसी स्वास्थ्य को पाने के लिए आज पैसा पानी की तरह बह रहा था किंतु फिर भी बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य सुधरने का नाम नहीं ले रहा था। काश मैं समय रहते समझ लेता कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी नियामत है। शरीर स्वस्थ है तो कमियों में भी गुजारा किया जा सकता है, थोड़ा पीछे रहकर भी बुलंदियों का सुख पाया जा सकता है। किंतु यदि स्वास्थ्य ही नहीं रहा तो बड़ी-से-बड़ी सफलता, कमाया हुआ सारा धन व्यर्थ लगने लगता है। यह सच्चाई हम जितनी जल्दी जान लें उतना ही बेहतर है।