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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 1 with Solutions
निर्धारित समय : 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश:
(क) इस प्रश्न-पत्र के दो खंड हैं- ‘अ’ और ‘ब’।
(ख) खंड ‘अ’ में कुल 10 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों में उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(ग) खंड ‘ब’ में कुल 7 वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न (अंक 40)
अपठित गद्यांश (अंक 10)
प्रश्न 1.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 = 5)
मानव तथा समाज में परस्पर घनिष्ठ संबंध है। मनुष्य अपनी व्यक्तिगत उन्नति करते हुए भी सामाजिक संबंध के लिए सदा व्याकल रहता है। समाज एक परिवर्तनशील इकाई है। यग परिवर्तन के साथ समाज अपना स्वरूप बदलता रहता है। आधुनिक युग में समाज गाँव या नगर तक सीमित नहीं रहा।
आज उसका क्षेत्र देश के कोने-कोने तक विस्तीर्ण हो गया है। इसी कारण प्रभात होते ही मनुष्य अपने इस विस्तृत समाज का ज्ञान प्राप्त करने के लिए बेचैन रहता है। इसकी जानकारी प्राप्त करने का सरल, सुलभ और सस्ता साधन है- समाचार-पत्र। समाचार-पत्रों के इतिहास से यही स्पष्ट होता है कि इसका जन्म सातवीं शताब्दी में चीन में हुआ था, पर इसका प्रारंभिक रूप इतना विकसित नहीं था। मुद्रण कला के आविष्कार के बाद सन 1609 में जर्मनी से सर्वप्रथम समाचार-पत्र प्रकाशित हुए।
1662 में ब्रिटेन ने भी इस ओर ध्यान दिया और समाचार-पत्रों का प्रकाशन आरंभ किया। भारत में इसका जन्म ब्रिटिश काल में हुआ। सन 1835 में यहाँ से सर्वप्रथम ‘इंडिया गजट’ प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात इनकी संख्या बढ़ती गई। हिंदी का प्रथम समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ नाम से प्रकाशित हुआ। समय एवं परिस्थितियों के साथ-साथ इनकी संख्या बढ़ती गई जिससे संख्या में वृद्धि हुई।।
(i) ब्रिटेन में समाचार-पत्रों का प्रकाशन कब प्रारंभ हुआ?
(क) सन 16 वीं शताब्दी में
(ख) सन 1835 में
(ग) सातवीं शताब्दी में
(घ) सन 1662 में
उत्तर
(घ) सन 1662 में
(ii) सबसे पहला समाचार-पत्र किस देश से प्रकाशित हुआ?
(क) ब्रिटेन से
(ख) भारत से
(ग) जर्मनी से
(घ) चीन से
उत्तर
(ग) जर्मनी से
(iii) हिंदी का प्रथम समाचार–पत्र किस नाम से प्रकाशित हुआ?
(क) पंजाब केसरी
(ख) इंडिया गजट
(ग) बंगाल गजट
(घ) उदंत मार्तंड
उत्तर
(घ) उदंत मार्तंड
(iv) अपने समाज की जानकारी प्राप्त करने के लिए किस साधन का प्रयोग किया जाता है?
(क) इतिहास द्वारा
(ख) समाचार-पत्रों द्वारा
(ग) मुद्रण कला द्वारा
(घ) दिए गए सभी साधनों द्वारा
उत्तर
(ख) समाचार-पत्रों द्वारा
(v) समाचार-पत्रों का जन्म किस शताब्दी में हुआ?
(क) सोलहवीं शताब्दी
(ख) सातवीं शताब्दी
(ग) बीसवीं शताब्दी
(घ) ग्यारहवीं शताब्दी
उत्तर
(ख) सातवीं शताब्दी
अथवा
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि मानवीय गुणों का अधिकाधिक विकास विपरीत परिस्थितियों में ही होता है। जीवन में सर्वत्र इस सत्य के उदाहरण भरे हुए हैं। कष्ट और पीड़ा आंतरिक वृत्तियों के परिशोधन के साथ ही एक ऐसी आंतरिक दृढ़ता को जन्म देते हैं जो मनुष्य को तप्त स्वर्ण की भाँति खरा बनाता है।
विपत्तियों के पहाड़ से टकराकर उसका बल बढ़ता है। हृदय में ऐसी अद्भुत वृत्ति का जन्म होता है कि एक बार कष्टों से जूझकर वह फिर उनको खेल समझने लगता है।
उसके हृदय में विपत्तियों को ठोकर मारकर अपना मार्ग बना लेने की वीरता उत्पन्न हो जाती है। मन की भाँति ही शरीर की दृढ़ता शारीरिक श्रम के द्वारा आती है। शारीरिक परिश्रम उसके शरीर को बलिष्ठ बनाता है। विपत्तियों में तप कर दृढ़ हुए शरीर की भाँति परिश्रम की अग्नि में तपकर शरीर का लोहा इस्पात बन
(क) मा जाता है। एक शायर ने खूब कहा है कि ‘मुश्किलें इतनी पड़ी मुझ पर कि मंज़िल आसान हो गई’। सत्य से परिचित कराने के लिए जो कार्य कष्टों का आधिक्य करता है, शारीरिक दृढ़ता के लिए वही कार्य श्रम करता है। दोनों ही ऐसे हथौड़े हैं जो पीट-पीटकर शरीर और मन में इस्पाती दृढ़ता को जन्म देते हैं।
(i) विपरीत परिस्थितियाँ कारण हैं
(क) अनुकूल परिस्थितियों को रोकने की
(ख) समस्या समाधान की
(ग) सामाजिक चुनौतियाँ स्वीकारने की
(घ) मानवीय गुणों के विकास की
उत्तर
(घ) मानवीय गुणों के विकास की
(ii) मनुष्य को सोने जैसा शुद्ध बनाने में सहायक है
(क) शरीर की दृढ़ता
(ख) विश्वास की दृढ़ता
(ग) आंतरिक दृढ़ता
(घ) विपत्तियों से टकराव
उत्तर
(ग) आंतरिक दृढ़ता
(iii) विपत्तियों के बीच अपना मार्ग बना लेने की क्षमता कब उत्पन्न होती है?
(क) बाधाओं से बचकर
(ख) कष्टों से खेलकर
(ग) कष्टों से जुड़कर
(घ) साधन संपन्न बनकर
उत्तर
(ख) कष्टों से खेलकर
(iv) ‘लोहा इस्पात बन जाता है’ कथन का आशय है
(क) दुर्बल सबल बन जाता है
(ख) बलहीन बलवान बन जाता है
(ग) सबल अति प्रबल बन जाता है
(घ) निर्मल प्रबल बन जाता है
उत्तर
(ग) सबल अति प्रबल बन जाता है
(v) गद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(क) मन और शरीर
(ख) मानसिक पीड़ा और शारीरिक पीड़ा
(ग) मन और शरीर की दृढ़ता
(घ) मानव का विकास
उत्तर
(ग) मन और शरीर की दृढ़ता
प्रश्न 2.
नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 1 =5)
समाज में सर्वाधिक ताकत यदि किसी के पास है तो वह युवा वर्ग के पास है। लेकिन ताकत सदैव अग्नि के समान होती है और अग्नि के दो ही प्राकृतिक रूप विद्यमान हैं- एक रूप तो यह कि अग्नि जला सकती है इस कदर जला सकती है कि सारे विश्व को राख के ढेर में बदल दे और दूसरा रूप यह है कि अग्नि प्रकाश दे सकती है। यह इस कदर प्रकाशित कर सकती है कि सारे विश्व का अंधकार समाप्त कर दे। मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है जो इन दोनों का प्रयोग अपने हित के लिए करना जानता है।
यदि रोटी को बिना तवे की सहायता से सेंका जाए तो रोटी सिंक नहीं पाएगी बल्कि जल जाएगी। जिस प्रकार मनुष्य को रोटी बनाने के लिए तवे की ज़रूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार से ताकत का इस्तेमाल करने के लिए संयम की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार तवा रोटी को जलने से बचाता है, रोटी को पकने में मदद करता है उसी प्रकार संयम ताकत का सही दिशा में प्रयोग करना सिखाता है। सृजन करने में मदद करता है। ताकत का आप जिस दिशा में प्रयोग करेंगे वह उसी दिशा मे रंग दिखाएगी किंतु इतना समझ लीजिए कि जिस प्रकार अग्नि को विनाशक बनाना आसान है, सृजनकर्ता बनाना कठिन है, उसी प्रकार ताकत के प्रयोग से विनाश करना आसान है लेकिन निर्माण करना अत्यंत मुश्किल।
(i) समाज का सर्वाधिक शक्तिशाली वर्ग है
(क) पुरुष वर्ग
(ख) किशोर वर्ग
(ग) युवा वर्ग
(घ) मजदूर वर्ग
उत्तर
(ग) युवा वर्ग
(ii) अग्नि के दो रूपों से तात्पर्य है
(क) राख के ढेर में बदलने वाली, गर्मी वाली
(ख) भोजन पकाने वाली, अंधकार को खत्म करने वाली
(ग) बलवान और प्रकाश वाली
(घ) जलाने वाली और प्रकाश देने वाली
उत्तर
(घ) जलाने वाली और प्रकाश देने वाली
(iii) ताकत का सही इस्तेमाल करने के लिए आवश्यकता होती है
(क) जल्दबाजी की
(ख) संयम की
(ग) समय की
(घ) मनुष्य की
उत्तर
(ख) संयम की
(iv) ताकत के प्रयोग से आसान हो जाता है
(क) रोटी सेंकना
(ख) साहस करना
(ग) निर्माण करना
(घ) विनाश करना
उत्तर
(ग) निर्माण करना
(v) गद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(क) ताकत का सही प्रयोग
(ख) अग्नि और हम
(ग) अग्नि के उपयोग
(घ) साहस भरी जिंदगी
उत्तर
(क) ताकत का सही प्रयोग
अथवा
अपने इतिहास के अधिकांश कालों में भारत एक सांस्कृतिक इकाई होते हुए भी पारस्परिक यद्धों से जर्जर होता रहा। यहाँ के अनेक शासक अपने शासन-कौशल में धूर्त एवं असावधान थे। समय-समय पर यहाँ दुर्भिक्ष, बाढ़ तथा प्लेग के प्रकोप होते रहे जिससे हज़ारों व्यक्तियों की मृत्यु हुई। जन्मजात असमानता धर्मसंगत मानी गई। जिसके फलस्वरूप तथाकथित दबे-कुचले व्यक्तियों का जीवन अभिशाप बन गया।
इन सबके होते हुए भी हमारा विचार है कि पुरातन संसार के किसी भी भाग में मनुष्य के मनुष्य से तथा मनुष्य के राज्य से ऐसे सुंदर एवं मानवीय संबंध नहीं रहे थे। किसी भी अन्य प्राचीन सभ्यता में गुलामों की संख्या इतनी कम नहीं रही, जितनी भारत में और न ही अर्थशास्त्र के समान किसी प्राचीन न्याय ग्रंथ ने मानवीय अधिकारों की इतनी सुरक्षा की। मनु के समान किसी अन्य प्राचीन स्मृतिकार ने युद्ध में न्याय के ऐसे उच्च आदर्शों की घोषणा भी नहीं की।
प्राचीन भारत के युद्धों के इतिहास में कोई भी ऐसी कहानी नहीं हैं जिसमें नगर के नगर तलवार के घाट उतारे गए हों अथवा शांतिप्रिय नागरिकों का सामूहिक वध किया गया हो। असीरिया के बादशाहों की भयंकर क्रूरता जिसमें वे अपने बंदियों की खालें तक खिंचवा लेते थे। प्राचीन काल में पूर्णतः अप्राप्य है निसंदेह कहीं-कहीं क्रूरता एवं कठोरतापूर्वक व्यवहार था परंतु अन्य प्रारंभिक मानवीयता है।
(i) एक सांस्कृतिक इकाई होते हुए भी भारत के इतिहास की क्या विशेषता रही है?
(क) उन्नति की राह पर आगे बढ़ना
(ख) अन्य संस्कृतियों को अपनाना
(ग) पारस्परिक युद्ध से जर्जर होना
(घ) प्रगति न कर पाना
उत्तर
(ख) अन्य संस्कृतियों को अपनाना
(ii) जन्मजात असमानता को धर्मसंगत मानने से नीचे कुल के व्यक्तियों का जीवन कैसा हो गया?
(क) श्राप मुक्त हो गया
(ख) अभिशाप बन गया
(ग) सँवर गया
(घ) श्रेष्ठतम बन गया
उत्तर
(ख) अभिशाप बन गया
(iii) अर्थशास्त्र क्या है?
(क) प्राचीन धर्म ग्रंथ
(ख) मानवीय अधिकारों का प्रामाणिक लेख
(ग) मानवीय अधिकारों की एक पुस्तक
(घ) मानवीय अधिकारों का प्राचीन ग्रंथ
उत्तर
(ग) मानवीय अधिकारों की एक पुस्तक
(iv) प्राचीन भारत में क्या अप्राप्य है?
(क) बादशाहों की युद्ध प्रियता के प्रमाण
(ख) बादशाहों की क्रूरता एवं बंदियों के प्रति उनके अत्याचारों के प्रमाण
(ग) बादशाहों के स्मारक
(घ) बादशाहों की लोगों के प्रति संवेदनहीनता
उत्तर
(ख) बादशाहों की क्रूरता एवं बंदियों के प्रति उनके अत्याचारों के प्रमाण
(v) हमारी प्राचीन सभ्यता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता है
(क) उसकी मानवीयता
(ख) उसकी संवेदनशीलता
(ग) उसके मानवीय संबंध
(घ) उसकी भावनाएँ
उत्तर
(क) उसकी मानवीयता
व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘प्यास का मारा कौआ घड़े पर बैठ गया।’ वाक्य में रेखांकित पदबंध है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
उत्तर
(ग) क्रिया पदबंध
(ii) निम्नलिखित में से कौन–सा रेखांकित पदबंध संज्ञा पदबंध है?
(क) लोहे की बड़ी अलमारी से कोट निकालो
(ख) पत्थर लुढ़कते चले जा रहे थे।
(ग) कुछ लोग सोते-सोते चलते हैं।
(घ) उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।
उत्तर
(क) लोहे की बड़ी अलमारी से कोट निकालो
(iii) दिए गए विकल्पों में से सर्वनाम पदबंध कौन-सा है?
(क) इतनी लगन से काम करने वाला मैं
(ख) बंगले के पीछे खड़ा लड़का
(ग) बरगद और पीपल की घनी छाँव
(घ) मेरे आगरा वाले मित्र
उत्तर
(क) इतनी लगन से काम करने वाला मैं
(iv) ‘हमारा बगीचा इस सड़क से उस सड़क तक फैला है।’ वाक्य में रेखांकित पदबंध है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
उत्तर
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
(v) ‘सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति देश का गौरव होते हैं।’ वाक्य में रेखांकित पदबंध है
(क) संज्ञा पदबंध
(ख) सर्वनाम पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
उत्तर
(क) संज्ञा पदबंध
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘जैसा करोगे वैसा भरोगे’- रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(क) इच्छावाचक
(ख) सरल वाक्य
(ग) मिश्रित वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य
उत्तर
(ग) मिश्रित वाक्य
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में संयुक्त वाक्य है
(क) परिश्रम करने से सफलता मिली।
(ख) क्योंकि उसने परिश्रम किया उसे सफलता मिली।
(ग) उसने परिश्रम किया और उसे सफलता मिली।
(घ) परिश्रम करने वाले ने सफलता प्राप्त की।
उत्तर
(ग) उसने परिश्रम किया और उसे सफलता मिली।
(iii) ‘वह आया था परंतु मैं न मिल सका।’- रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(क) संयुक्त वाक्य
(ख) मिश्रित वाक्य
(ग) सरल वाक्य
(घ) निषेधात्मक वाक्य
उत्तर
(क) संयुक्त वाक्य
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में सरल वाक्य है
(क) अपराध सिद्ध हुआ और उसे सजा हुई।
(ख) जब अपराध सिद्ध हो गया तब उसे सजा हो गई।
(ग) जैसे ही अपराध सिद्ध हुआ वैसे ही उसे सजा हो गई।
(घ) अपराध सिद्ध होने पर उसे सजा हुई।
उत्तर
(घ) अपराध सिद्ध होने पर उसे सजा हुई।
(v) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य है
(क) वेतन मिलेगा और क़र्ज़ उतर जाएगा।
(ख) अगर तुम झूठ नहीं बोलते तो तुम्हें नौकरी मिल जाती।
(ग) हमें बड़ों का आदर करना चाहिए।
(घ) थोड़ा रुकिए और आगे जाइए।
उत्तर
(ख) अगर तुम झूठ नहीं बोलते तो तुम्हें नौकरी मिल जाती।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पाँच भागों में से किन्हीं चार भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4)
(i) ‘ग्रंथ रूपी रत्न’ का समस्तपद है
(क) रत्नग्रंथ
(ख) ग्रंथरत्न
(ग) ग्रंथ रत्ना
(घ) रत्न रूपा
उत्तर
(ख) ग्रंथरत्न
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा समस्तपद द्वंद्व समास है?
(क) नीलगगन
(ख) आजन्म
(ग) तिराहा
(घ) सच-झूठ
उत्तर
(घ) सच-झूठ
(iii) किस समस्तपद में अव्ययीभाव समास है?
(क) लगातार
(ख) हाथोंहाथ
(ग) घोडागाड़ी
(घ) मदांध
उत्तर
(ख) हाथोंहाथ
(iv) ‘हवनसामग्री’ किस समस्तपद का विग्रह है?
(क) हवन की सामग्री
(ख) हवन के लिए सामग्री
(ग) हवन हेतु सामग्री
(घ) हवन का सामग्री
उत्तर
(ख) हवन के लिए सामग्री
(v) कर्मधारय समास है
(क) सत्याग्रह
(ख) पुरुषोत्तम
(ग) गुणहीन
(घ) रथचालक
उत्तर
(ख) पुरुषोत्तम
प्रश्न 6.
निम्नलिखित चारों भागों के उत्तर दीजिए। (4 x 1 = 4 )
(i) उससे सावधान रहना है वह तो ……… है। उपयुक्त मुहावरे से वाक्य पूरा करें।
(क) हाथ मलना
(ख) बाज न आना
(ग) आस्तीन का साँप
(घ) चूड़ियाँ पहनना
उत्तर
(ग) आस्तीन का साँप
(ii) ‘आँखें फोड़ना’ मुहावरे का अर्थ है(
(क) बड़े ध्यान से पढ़ना
(ख) बहुत कष्ट झेलना
(ग) पसीना बहाना
(घ) बहुत मेहनत करना
उत्तर
(घ) बहुत मेहनत करना
(iii) रीमा परीक्षा में इतने अंक पाकर ………..”। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान पूर्ण करें।
(क) फूला ना समाना
(ख) हवा से बातें करना
(ग) आसमान में उड़ना
(घ) हवाई किले बनाना
उत्तर
(क) फूला ना समाना
(iv) ‘बाट जोहना’ मुहावरे का अर्थ है
(क) पता ना मिलना
(ख) उपाय ना मिलना
(ग) प्रतीक्षा करना
(घ) अवसर न मिलना
उत्तर
(ग) प्रतीक्षा करना
पाठ्यपुस्तक (अंक 14)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (4 x 1 =4)
उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(i) धरा कैसे व्यक्तियों को पाकर स्वयं को धन्य मानती
(क) सदाचारी व्यक्तियों को
(ख) परोपकारी व्यक्तियों को
(ग) ईमानदार व्यक्तियों को
(घ) पुण्य आत्मा को
उत्तर
(ख) परोपकारी व्यक्तियों को
(ii) अखंड आत्मभाव का अर्थ है
(क) आत्मा एक है
(ख) आत्मीयता का भाव
(ग) आत्मा शुद्ध है
(घ) आत्मा पवित्र है
उत्तर
(ख) आत्मीयता का भाव
(iii) कवि ने सच्चा मनुष्य किसे कहा है?
(क) जो सच बोलता है।
(ख) जो दूसरे मनुष्य के लिए मरता है
(ग) जो ईमानदारी की राह पर चलता हैं
(घ) जो कभी झूठ नहीं बोलता है
उत्तर
(ख) जो दूसरे मनुष्य के लिए मरता है
(iv) ‘कृतार्थ’ का संधि-विच्छेद है
(क) कृत + अर्थ
(ख) कृ + अर्थ
(ग) कृता + अर्थ (घ) कृता + र्थ
उत्तर
(क) कृत + अर्थ
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 = 5)
महज़ इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है- बुद्धि का विकास। जो कुछ पढ़ो, उसका अभिप्राय समझो। रावण भूमंडल का स्वामी था। ऐसे राजाओं को चक्रवर्ती कहते हैं। आजकल अंग्रेजों के राज्य का विस्तार बहुत बढ़ा हुआ है पर इन्हें चक्रवर्ती नहीं कह सकते।
संसार में अनेक राष्ट्र अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं करते, बिलकुल स्वाधीन हैं। रावण चक्रवर्ती राजा था, संसार के सभी महीप उसे कर देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ? घमंड ने उसका नामो-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे एक चुल्लू भर पानी देने वाला भी ना बचा। आदमी और जो कुकर्म चाहे करे पर अभिमान ना करे, इतराए नहीं। अभिमान किया और दीन दुनिया दोनों से गया।
(i) भूमंडल का स्वामी कौन था?
(क) आग के देवता
(ख) पानी के देवता
(ग) रावण
(घ) शाहेरूम
उत्तर
(ग) रावण
(ii) लेखक के भाई ने असल चीज़ किसे बताया?
(क) इम्तिहान पास कर लेना
(ख) बुद्धि का विकास
(ग) अभिमान करना
(घ) कठिन मेहनत करके कुछ पाना
उत्तर
(ख) बुद्धि का विकास
(iii) अंग्रेज़ चक्रवर्ती क्यों नहीं बन पाए?
(क) क्योंकि वह बहुत क्रूर थे।
(ख) हिंदुस्तानियों से नफरत करते थे
(ग) कई राष्ट्रों ने अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं किया था
(घ) अंग्रेजों की रणनीति ठीक नहीं थी
उत्तर
(ग) कई राष्ट्रों ने अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं किया था
(iv) मनुष्य को भूल कर भी क्या नहीं करना चाहिए?
(क) कर्म
(ख) अभिमान
(ग) नशा
(घ) दूसरों का बुरा
उत्तर
(ख) अभिमान
(v) रावण के विनाश का कारण क्या था?
(क) सारे संसार को अपना दास समझना
(ख) देवताओं को भी अपने आगे सर झुका कर खड़े रखना
(ग) मन में अहंकार रखना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (5 x 1 =5)
निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। तताँरा एक नेक और मददगार व्यक्ति था। सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता। अपने गाँववालों को ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना कर्तव्य समझता था। उसके इस त्याग की वजह से वह चर्चित था। सभी उसका आदर करते।
वक्त मुसीबत में उसे स्मरण करते और वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता। दूसरे गाँवों में भी पर्व-त्योहारों के समय उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता। उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही, साथ ही आत्मीय स्वभाव की वजह से लोग उसके करीब रहना चाहते।
पारंपरिक पोशाक के साथ वह अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रहता। लोगों का मत था, बावजूद लकड़ी की होने पर तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। तताँरा अपनी तलवार को कभी अलग न होने देता। उसका दूसरों के सामने उपयोग भी न करता। किंतु उसके चर्चित साहसिक कारनामों के कारण लोग-बाग तलवार में अद्भुत शक्ति का होना मानते थे। तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(i) निकोबारी तताँरा को प्यार क्यों करते थे?
(क) क्योंकि वह नेक और मददगार था
(ख) बुद्धिमान था
(ग) चालाक था
(घ) रूपवान था
उत्तर
(क) क्योंकि वह नेक और मददगार था
(ii) तताँरा के विषय में सही है
(क) वह किसी की मदद नहीं करता था
(ख) वह सबके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार करता था
(ग) वह सबकी मदद करता था
(घ) दिए गए सभी विकल्प उचित हैं
उत्तर
(ग) वह सबकी मदद करता था
(iii) तताँरा की तलवार किसकी थी?
(क) लकड़ी की
(ख) सोने की
(ग) ताँबे की
(घ) लोहे की
उत्तर
(क) लकड़ी की
(iv) लोगों के अनुसार किसमें अद्भुत दैवीय शक्ति थी?
(क) तताँरा की पोशाक में
(ख) तताँरा की तलवार में
(ग) तताँरा के व्यवहार में
(घ) तताँरा के व्यक्तित्व में
उत्तर
(ख) तताँरा की तलवार में
(v) लोग-बाग तताँरा की तलवार में अद्भुत शक्ति का होना क्यों मानते थे?
(क) दूसरों की मदद करने के कारण
(ख) उसके चर्चित एवं साहसिक कारनामों के कारण
(ग) उसमें अपारशक्ति छिपी होने के कारण
(घ) लकड़ी की बनी होने के कारण
उत्तर
(ख) उसके चर्चित एवं साहसिक कारनामों के कारण
खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40) मार
पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 14)
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
(ख) गाँव में किस पर्व का आयोजन होता था? उसमें क्या होता था?
(ग) मीरा ने कृष्ण से अपनी सहायता करने का आग्रह क्यों किया है?
उत्तर
(क) बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती बल्कि अनुभव से आती है। इसके लिए उन्होंने अम्माँ, दादा व हेडमास्टर की माँ के उदाहरण भी दिए हैं कि वे पढ़े-लिखे न होने पर भी हर समस्याओं का समाधान आसानी से कर लेते हैं। अनुभवी व्यक्ति को जीवन की समझ होती है, वे हर परिस्थिति में अपने को ढालने की क्षमता रखते हैं।
(ख) गाँव में पशु पर्व का आयोजन होता था। इसमें हृष्ट-पुष्ट पशुओं का प्रदर्शन तो होता ही था। साथ-साथ पशुओं से युवकों की शक्ति-परीक्षा की प्रतियोगिता भी होती थी। इसके अतिरिक्त, नृत्य-संगीत और भोजन का भी आयोजन होता था।
(ग) मीरा ने कृष्ण से अपनी सहायता करने का आग्रह इसलिए किया क्योंकि वे मानती हैं कि उनके आराध्य श्रीकृष्ण भक्त-वत्सल हैं। वे भक्तों की एक पुकार पर उनका उद्धार करने के लिए दौड़े चले आते हैं। भक्तों के प्रति इसी असीम प्रेम के कारण उन्होंने द्रौपदी, प्रह्लाद और गजराज के कष्टों को दूर किया। उसी प्रकार मीरा मानती हैं कि वह उनकी अनन्य दासी है इस नाते प्रभु उसके भी कष्टों को दूर करें।
प्रश्न 11.
रूढ़ियाँ जब बंधन लगने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? लगभग 60 से 70 शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (1 x 4 =4)
उत्तर
रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बने होते हैं, परंतु जब उनके कारण मनुष्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचने लगे और वे सब बोझ लगने लगें तो उनका टूट जाना ही अच्छा होता है। तताँरा-वामीरो की कहानी में हमने जाना कि रूढ़ियों के कारण इनका प्रेम-विवाह नहीं हो सकता था, जिसके कारण दोनों को जान गवानी पड़ी। जहाँ रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करें और जहाँ रूढ़ियाँ आडंबर लगने लगें वहाँ उनका टूट जाना ही बेहतर होता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में लिखिए। (2 x 3 = 6)
(क) किन घटनाओं के कारण टोपी को कक्षा में शर्म आने लगी थी?
(ख) पी० टी० अध्यापक कैसे स्वभाव के व्यक्ति थे? विद्यालय के कार्यक्रमों में उनकी कैसी रुचि थी?
(ग) हरिहर काका के मामले में गाँववालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर
(क) टोपी को जब नवीं कक्षा में पहले व दूसरे साल फेल होना पड़ा, तो परिवार के साथ-साथ विद्यालय में भी अध्यापकों ने उसकी उपेक्षा करनी शुरू कर दी तथा नए सहपाठियों से भी उसे सहानुभूति नहीं मिल सकी। अंग्रेजी अध्यापक ने तो एक दिन उसके द्वारा उत्तर देने के लिए हाथ उठाने पर उससे यहाँ तक कह दिया कि वह उन्हें अन्य विद्यार्थियों से प्रश्न पूछने दे, उससे तो वे अगले साल भी पूछ लेंगे। उनके इस कटाक्ष पर जब बच्चे हँसे, तो टोपी शर्म से पानी-पानी हो गया। कक्षा में उसके नए सहपाठी उससे बहुत छोटे थे और उनके बीच में यह अंतर बहुत बड़ा दिखाई देता था। अत: वे दूर ही रहना चाहते थे और मौका मिलने पर उसकी हँसी भी उड़ाते थे। इन्हीं सब कारणों से टोपी को कक्षा में शर्म आने लगी थी।
(ख) पी०टी० अध्यापक बहुत सख्त व अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे। विद्यालय में वे जरा-सी गलती होने पर विद्यार्थियों की चमड़ी उधेड़ देते थे। विद्यालय की प्रार्थना सभा में वे बच्चों को पंक्तिबद्ध खड़ा करते थे और यदि कोई बच्चा थोड़ी-सी भी शरारत करता, तो उसकी खाल खींच लेते थे।
स्काउट परेड के आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। बच्चों को अपने मार्गदर्शन में कुशलतापूर्वक परेड करवाते थे और परेड के समय बच्चों को ‘शाबाशी’ भी देते थे इसलिए बच्चों को उनकी यही शाबाशी फौज के तमगों-सी लगती थी और कुछ समय केलिए उनके मन में पी०टी० साहब के प्रति आदर का भाव जाग जाता था।
(ग) हरिहर काका के मामले में गाँव के लोगों के दो वर्ग बन गए थे। दोनों ही पक्ष के लोगों की अपनी-अपनी राय थी। आधे लोग परिवार वालों के पक्ष में थे। उनका कहना था कि काका की ज़मीन पर हक़ तो उनके परिवार वालों का बनता है। काका को अपनी ज़मीन-जायदाद अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, ऐसा न करना अन्याय होगा। दूसरे पक्ष के लोगों का मानना था कि महंत हरिहर की ज़मीन उनको मोक्ष दिलाने के लिए लेना चाहता है।
काका को अपनी ज़मीन ठाकुर जी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनका नाम और यश भी फैलेगा और उन्हें सीधे बैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार जितने मुँह थे उतनी बातें होने लगीं। प्रत्येक का अपना मत था। इन सबका एक कारण था कि हरिहर काका विधुर थे और उनकी अपनी कोई संतान न थी जो उनका उत्तराधिकारी बनता। पंद्रह बीघे ज़मीन के कारण इन सबका लालच स्वाभाविक था।
लेखन (अंक 26)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (1 x 6 = 6)
(क) बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
संकेत-बिंदु-
- लिंग अनुपात
- सुकन्या समृद्धि योजना लागू करना
- योजना के उद्देश्य एवं लक्ष्य
- निष्कर्ष
(ख) साक्षरता अभियान
संकेत-बिंदु-
- साक्षरता का अर्थ
- साक्षरता की दर
- निरक्षरता के कारण
- निष्कर्ष।
(ग) अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम
संकेत-बिंदु-
- अंतरिक्ष में भारत का इतिहास
- विदेशी सहायता से उपग्रह भेजना
- स्वदेशी यान से उपग्रह भेजना
- स्वदेशी यान से विदेशी उपग्रह अतंरिक्ष में भेजना
- निष्कर्ष।
उत्तर
(क) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वर्ष 1961 की जनगणना में एक हज़ार लड़कों के मुकाबले बालिकाओं की 961 संख्या संज्ञान में आई। उसके बाद वर्ष 1991 में यह संख्या एक हजार के मुकाबले घटकर 941, वर्ष 2001 में 927 तथा वर्ष 2011 में घटकर 918 हो गई।
इसे सामाजिक संतुलन के लिए खतरा मानते हुए लिंग अनुपात में सुधार करना अति आवश्यक हो गया। केंद्रीय सरकार के महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर देश के सभी 640 जिलों में से निम्न लिंगानुपात वाले 100 जिलों का चयन कर प्रधानमंत्री ने 22.01.2015 को हरियाणा के पानीपत से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की।
बाद में 100 जिलों को 161 जिलों तक बढ़ाया गया ताकि भ्रूण-हत्या पर रोकथाम, बालिकाओं की सुरक्षा व समृद्धि तथा उनकी शिक्षा में भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए वर्ष 2014 में ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ की भी शुरुआत की गई। यह योजना मूलत: 10 वर्ष तक की बालिकाओं के लिए है। इसके अंतर्गत बालिका के खाते में एक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक हज़ार और अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपये या इसके बीच की कितनी भी रकम जमा कर सकते हैं।
यह पैसा खाता खुलने के 14 साल तक जमा करना पड़ता है। परंतु खाता बेटी के 21 वर्ष के होने पर ही मैच्योर होता है। हालाँकि बेटी के 18 साल के होने पर आधा पैसा निकलवा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत मूलधन पर प्रतिवर्ष 9.1 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा। इसी प्रकार की योजनाओं के माध्यम से भ्रूण-हत्या पर लगाम लगाकर, बालिकाओं की सुरक्षा व समृद्धि पर ध्यान देकर तथा लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देकर हम देश की नारी का सम्मान करते हुए नए भारत का निर्माण कर सकते हैं। योजना लाग करने के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। जहाँ एक ओर कन्याओं को आर्थिक लाभ मिलने से बेहतरी हुई है वहीं दूसरी ओर बालिकाओं के लिंग अनुपात में भी
सुधार आया है।
(ख) साक्षरता अभियान
साक्षरता का अर्थ है- साक्षर होना, अर्थात पढ़ने व लिखने की क्षमता से संपन्न होना। भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने हस्ताक्षर करने के साथ-साथ रुपये-पैसों का हिसाब-किताब कर सकने में सक्षम है तो उसे साक्षर माना जाता है। वर्ष 1947 में भारत की साक्षरता दर कुल जनसंख्या का 12 प्रतिशत थी। वर्तमान में 74 प्रतिशत भारतीय साक्षर हैं।
यह विश्व की कुल साक्षर आबादी की 85 प्रतिशत दर से बहुत कम है। भारत में केरल राज्य 94 प्रतिशत पढ़ी-लिखी जनता के साथ सबसे ऊपर तथा बिहार 64 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ सबसे नीचे है। यूनेस्को के अनुसार भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढ़ों का देश है। इस निरक्षरता का मुख्य कारण निर्धनता है। निर्धन व अशिक्षित माँ-बाप जो जीवन-यापन की मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित हैं, अपने बच्चों को या तो विद्यालय में प्रवेश नहीं दिलवाते या फिर बच्चे बीच में ही विद्यालय छोड़ जाते हैं।
जागरूकता न होने के कारण कमजोर वर्ग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को अपना नहीं पाता और शिक्षा पर खर्च होने वाली अपार धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। हालाँकि जब से भारत सरकार ने शिक्षा का अधिकार लागू किया तब से भारत की साक्षरता दर में काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
सन 1978 में प्रौढ़ शिक्षा अभियान के तहत 15 वर्ष से 35 वर्ष के नागरिकों को शिक्षित करने की योजना थी तथा इसके बाद भी कई सरकारी योजनाएँ बनीं। समाजसेवी संस्थाओं ने भी इस क्षेत्र में काफी काम किया, परंतु पाठ्यक्रमों का अरुचिकर होने या किसी अन्य त्रुटियों की वजह से ये योजनाएँ फलीभूत नहीं हो पाईं। भ्रष्ट प्रशासन की वजह से यह समस्या और बढ़ गई। निष्कर्षतः हम कह सकते हैं किप्रशासन व समाज दोनों के योगदान से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है।
(ग) अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम अंतरिक्ष की खोज में अमेरिका, रूस तथा चीन ने काफी सफलताएँ प्राप्त की हैं। 1970 के दशक में भारत ने भी अपने कदम इस ओर बढ़ाए तथा सर्वप्रथम 19 अप्रैल 1974 को प्रथम भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ को सोवियत रूस की भूमि से अंतरिक्ष में छोड़ा गया। हालाँकि कुछ दिनों बाद ‘आर्यभट्ट’ ने अपना काम करना बंद कर दिया था, फिर भी यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम न था। इसके बाद दूसरा उपग्रह ‘भास्कर’ अंतरिक्ष में छोड़ा गया। फिर 1980 में प्रथम स्वदेशी प्रक्षेपण यान एस.एल.वी. 3 ने ‘रोहिणी’ नामक उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
इसके बाद ‘रोहिणी-2’ को अंतरिक्ष में भेजा तथा दो अन्य प्रक्षेपण यान (रॉकेट) विकसित किए, जिससे भारत उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक वाले देशों की सूची अर्थात अंतरिक्ष क्लब में शामिल हो गया। भारत ने कई दिशाओं में कदम बढ़ाते हुए ठोस ईंधन वाले एस.एल.वी. यानों के साथ-साथ तरल ईंधन वाले यानों का निर्माण किया। वहीं दूसरी ओर स्कवाड्रन लीडर राकेश शर्मा सोवियत रूस की मदद से पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने।
कई उपग्रह अंतरिक्ष में इसी प्रकार भेजने के बाद बड़ी सफलता तब मिली जब 22.10.2008 को चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजा गया। फिर 24.09.2014 को मंगलयान पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की यात्रा करने में सफल रहा। इसके बाद भारत ने नया इतिहास रचते हुए 15.02.2017 के रिकार्ड 104 (भारत के 03 तथा विदेशों के 101) उपग्रह हमारे देश के श्रीहरिकोटा से पी.एस.एल.वी-सी 37 प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजे गए।
अभी हाल ही में 22.07.2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में भेजा गया, जिसे 06.09.2019 को चंद्रमा पर उतरकर वहाँ की सतह तथा वायुमंडल संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी को पृथ्वी पर भेजना था किंतु अफ़सोस कि यह अभियान असफल रहा। चंद्रयान पर उतरने के बाद कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया। फिर भी हमारा देश इस समय इस क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्रों की सूची में शामिल है। एक समय था जब अपना देश 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह का 5 करोड़ रुपये का खर्च सहन नहीं कर पा रहा था। अतः इसे अन्य देश से प्रक्षेपित किया था किंतु आज दूसरे देशों के उपग्रह अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर करोड़ों डालर की मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।
प्रश्न 14.
बीमारी होने के कारण परीक्षा न दे सकने पर प्रधानाचार्या को ‘चिकित्सा-अवकाश’ के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।
अथवा
‘कला-छाया’ नाम की एक संस्था दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाती है। संस्था को कुछ ऐसे युवकों की आवश्यकता है जो अभिनय जानते हों तथा कम से कम दसवीं पास हों। साथ-साथ हिंदी-अंग्रेज़ी का ज्ञान रखते हों। अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए ‘कला-छाया’ को एक आवेदन-पत्र लिखिए।
उत्तर
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
श्रीमती प्रधानाचार्या
अ०ब०स० उच्च विद्यालय
दिल्ली
विषयः चिकित्सा अवकाश हेतु आवेदन-पत्र।
महोदया
निवेदन यह है कि मैं दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। पिछले चार-पाँच दिन से हो रहे वायरल बुखार से परेशान होकर आपको पत्र लिख रही हूँ। ज्वर के कारण मैं स्कूल नहीं आ पाई। खून की जाँच से पता चला है कि मुझे डेंगू हो गया है। इस कारण मैं आगामी दस दिन तक विद्यालय नहीं आ पाऊँगी। कमज़ोरी के कारण शरीर कार्य करने में असमर्थ है। इस कारण 28 जुलाई से 7 अगस्त तक होने वाली परीक्षाओं में भी मैं सम्मिलित नहीं हो पाऊँगी। आपसे प्रार्थना है कि मुझे इन दस दिनों का चिकित्सा-अवकाश प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी। आपकी आज्ञाकारी शिष्या
क०ख०ग०
दिनांक: 10
अप्रैल,
20xx
अथवा
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
प्रबंधक महोदय
कला-छाया मंच, दिल्ली। विषयः अभिनय हेतु अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए आवेदन-पत्र। मान्यवर विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि आपकी संस्था को कुछ ऐसे युवकों की आवश्यकता है जो अभिनय जानते हों और हिंदी-अंग्रेज़ी शुद्ध बोल सकते हों। इस कार्य हेतु मैं स्वयं को एक उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मुझसे संबंधित पूर्ण विवरण इस प्रकार है
नाम – समीर वासू
पिता का नाम – कुलवंत सिंह वासु
पता – क.ख.ग. गली नं: 5
रोहिणी, दिल्ली-110085
शिक्षा – दसवीं पास (92 प्रतिशत)
अन्य योग्यताएँ – विद्यालय स्तर पर मैंने अनेक नाटकों व नुक्कड़ नाटकों में अभिनय किया है। अभिनय का डिप्लोमा भारतीय नाटक संस्थान से प्राप्त किया है। हिंदी, अंग्रेज़ी शुद्ध बोलने व लिखने में सक्षम हूँ तथा स्वयं भी छोटे-छोटे नाटक लिख सकता हूँ।
आशा है मेरी योग्यताओं को देखते हुए आप मुझे अपने यहाँ कार्य करने का अवसर अवश्य प्रदान करेंगे। धन्यवाद सहित।
भवदीय,
समीर वासु
प्रश्न 15.
गुमशुदा बच्चे की तलाश के लिए अख़बार में प्रकाशित करने हेतु एक सूचना 30 से 40 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
ग्रीष्मावकाश में बालभवन द्वारा आयोजित होने वाली बाल चित्रकला कार्यशाला की सूचना 30-40 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर
गुमशुदा की तलाश
सूचना
दिनांक: 6 अक्टूबर, 20xx
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि चार साल का एक बच्चा जिसका नाम सलीम है, उसने काली शर्ट व लाल निकर पहनी है, वह रोहिणी सेक्टर-27 का निवासी है तथा पैरों में काले रंग के जूते पहने हैं, वह थोड़ा तुतलाकर बोलता है। वह दिनांक 30 सितंबर, 20xx सेक्टर-27 रोहिणी से लापता है। इस बच्चे के बारे में किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए कृपया इस नं. पर संपर्क करें-7865xxxxxx, 891765xxxx
धानाध्यक्ष
रोहिणी, दिल्ली.
अथवा
बालभवन, आई०टी०ओ०, नई दिल्ली
सूचना
बाल चित्रकला कार्यशाला का आयोजन
दिनांक : 4 मई, 20xx
आप सभी को सूचित किया जाता है कि बाल भवन इस ग्रीष्मावकाश में दो विभिन्न आयु वर्ग समूहों- कनिष्ठ समूह (5-10 वर्ष) तथा वरिष्ठ समूह (11 से 16 वर्ष) के बच्चों के लिए चित्रकला कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इच्छुक अभिभावक बच्चों का पंजीकरण निर्धारित तिथि व स्थान पर आकर करवा सकते हैं। सारी सामग्री बाल भवन द्वारा दी जाएगी।
कार्यशाला आयोजन – 1 जून से 15 जून
कार्यशाला का समय – प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक
पंजीकरण की तिथि 10 मई से 12 मई तक
पंजीकरण का स्थान बालभवन का स्वागत कक्ष
पंजीकरण का समय – प्रातः 9 बजे से 4 बजे तक
पंजीकरण का शुल्क – 400 रुपये निदेशक
बाल भवन, नई दिल्ली
प्रश्न 16.
‘समीर किताब भंडार, के लिए 25 से 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन बनाएँ।
अथवा
‘राजकुमारी बैग्स’ नाम से बैगों की दुकान का 25 से 50 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन बनाएँ।
उत्तर
प्रश्न 17.
दिए गए विषय पर 100-120 शब्दों में लघु कथा लिखिए।
• हार के आगे जीत है।
अथवा
• समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।
उत्तर
किसी दूर गाँव में एक पुजारी रहते थे जो हमेशा धर्म-कर्म के कामों में लगे रहते। एक दिन किसी काम से गाँव के बाहर जा रहे थे तो अचानक उनकी नज़र एक बड़े से पत्थर से पड़ी। तभी उनके मन में विचार आया कि कितना विशाल पत्थर है? क्यूँ ना इस पत्थर से भगवान की एक मूर्ति बनाई जाए। यही सोचकर पुजारी ने वो पत्थर उठवा लिया। गाँव लौटते समय पुजारी ने वो पत्थर का टुकड़ा एक मूर्तिकार को दे दिया, जो बहुत प्रसिद्ध मूर्तिकार था।
अब मूर्तिकार जल्दी ही अपने औज़ार लेकर पत्थर को काटने में जुट गया। जैसे ही मूर्तिकार ने पहला वार किया, उसे एहसास हुआ कि पत्थर बहुत ही कठोर है। मूर्तिकार ने एक बार फिर से पूरे जोश के साथ प्रहार किया लेकिन पत्थर टस से मस भी नहीं हुआ। अब तो मूर्तिकार का पसीना छूट गया। वो लगातार हथौड़े से प्रहार करता रहा लेकिन पत्थर नहीं टूटा। उसने कई प्रयास किए लेकिन पत्थर तोड़ने में नाकाम रहा।
अगले दिन जब पुजारी आए तो मूर्तिकार ने भगवान की मूर्ति बनाने से मना कर दिया और सारी बात बताई। पुजारी जी ने दुखी मन से पत्थर वापस उठाए और गाँव के ही एक छोटे मूर्तिकार को वो पत्थर मूर्ति बनाने के लिए दे दिया। अब मूर्तिकार ने अपने औज़ार उठाया और पत्थर काटने में जुट गया, जैसे ही उसने पहला हथौड़ा मारा पत्थर टूट गया क्योंकि पत्थर पहले मूर्तिकार की चोटों से काफ़ी कमज़ोर हो गया था। पुजारी यह देखकर बहुत खुश हुआ और देखते ही देखते मूर्तिकार ने भगवान शिव
की बहुत सुंदर मूर्ति बना डाली। पुजारी जी मन ही मन पहले मूर्तिकार की दशा सोचकर मुस्कुराए कि उस मूर्तिकार ने कई प्रहार किए और थक गया, काश उसने एक आखिरी प्रहार भी किया होता तो वो सफल हो गया होता।
अथवा एक नगर में एक बहुत ही अमीर आदमी रहता था, उस आदमी ने अपना सारा जीवन पैसे कमाने में लगा दिया। उसके पास इतना धन था कि वह उस नगर को भी खरीद सकता था, लेकिन उसने अपने संपूर्ण जीवन में कभी किसी की मदद तक नहीं की। इतना धन होने के बावजूद, उसने अपने लिए भी उस धन का उपयोग नहीं किया, न कभी अपनी पसंद के कपड़े, भोजन एवं अन्य इच्छा कि पूर्ति तक की। वह अपने जीवन में केवल पैसे कमाने में व्यस्त रहा।
वह पैसा कमाने में इतना व्यस्त एवं मस्त हो गया कि उसे उसके बुढ़ापे का भी पता नहीं चला, और वह जीवन के आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया। इस तरह उसके जीवन का अंतिम दिन भी नज़दीक आ गया और यमराज उसके प्राण लेने धरती पर आए, जिसे देखकर वह आदमी डर गया। यमराज ने कहा, “अब तेरे जीवन का अंतिम समय आ गया है, और मैं तुझे अपने साथ ले जाने आया हूँ।” सुनकर वह आदमी बोला- “प्रभु अभी तक तो मैंने अपना जीवन जिया भी नहीं, मैं तो अभी तक अपने काम में व्यस्त था
अतः मुझे अपनी कमाई हुई धन-दौलत का उपयोग करने के लिए समय चाहिए।” यमराज ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हें और समय नहीं दे सकता, तुम्हारे जीवन के दिन समाप्त हो गए हैं, और अब दिनों को और नहीं बढ़ाया जा सकता। समय किसी के लिए नहीं रुकता।