CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 2 is part of CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium . Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 2
CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 2
Board | CBSE |
Class | X |
Subject | Science |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घण्टे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र के दो भाग, A व B हैं। आप को दोनों भाग करने हैं।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- भाग A के सभी प्रश्न एक साथ करने हैं तथा भाग B के सभी प्रश्न एक साथ करने हैं।
- भाग A के प्रश्न सं० 1 व 2 एक अंक के हैं। इनका उत्तर एक शब्द अथवा एक वाक्य में लिखना है।
- प्रश्न सं० 3 से 5 तक दो अंक के हैं। इनका उत्तर 30 शब्दों में (प्रत्येक प्रश्न के लिए) लिखिए।
- प्रश्न सं० 6 से 15 तक तीन अंक के हैं। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 50 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न सं० 16 से 21 तक पाँच अंक के हैं। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 70 शब्दों में लिखिए।
- भाग B के प्रश्न सं० 22 से 27 तक प्रयोगात्मक कौशल पर आधारित हैं। प्रत्येक प्रश्न दो अंक का है।
SECTION A
प्र०1.
फ्लेमिंग के दांये हाथ के नियम में अंगूठा व तर्जनी उंगली, क्रमशः किन-किन भौतिक राशियों को दर्शाती हैं?
प्र०2.
आधुनिक आवर्त नियम की परिभाषा लिखिए।
प्र०3.
पहचानिए की निम्नलिखित अभिक्रियाएँ किस प्रकार की हैं?
(i) CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O+ ऊष्मा
(ii) Pb (NO3)2 + 2KI → PbI2 + 2KNO3
(iii) CaO + H2O→ Ca(OH)2
(iv) CuSO4 + Zn → ZnSO4 + Cu
प्र०4.
मानवों के शुक्राणुओं तथा अण्डाणुओं के बीच गुणसूत्री भिन्नता के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।
प्र०5.
“फोकस दूरी f का अवतल दर्पण, उसके सामने रखे बिम्ब का सीधे विवर्धित प्रतिबिम्ब के साथ-साथ उल्टा विवर्धित प्रतिबिम्ब भी बना सकता है। इस प्रकार के प्रतिबिम्बों को बनाने के लिए प्रत्येक प्रकरण में दर्पण के सापेक्ष बिम्ब की स्थिति का उल्लेख करते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
प्र०6.
(i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम (दाएँ हाथ का नियम) लिखिए।
(ii) दिखाए गये चित्र में PQ एक विद्युत धारावाही चालक तार है। इसके A व B बिंदुओं पर चुबंकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए। यदि r1 < r2 तो किसमें चुबंकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी। अपने उत्तर की व्याख्या भी कीजिए।
प्र०7.
एक क्वथन परखनली में 2 ग्राम फेरस सल्फेट के क्रिस्टलों को गर्म किया जाता है :
(i) गर्म करने से पूर्व तथा गर्म करने के बाद फैरस सल्फेट के रंग के विषय में लिखिए।
(ii) गर्म करने पर कौन-कौन सी गैस निष्कासित होती हैं?
(iii) इस अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
प्र०8.
निम्नलिखित के कारण दीजिए :
(i) विद्युत बल्बों में सामान्य रूप से नाइट्रोजन अथवा ऑरगन जैसी रासायनिक रूप से अक्रियाशील गैसें भरी जाती हैं।
(ii) तांबे तथा एल्युमिनियम के तारें विद्युत संचारण के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।
(iii) फ्यूज़ तार को विद्युत यंत्र के साथ श्रेणी क्रम में लगाया जाता है।
अथवा
(a) श्रुति विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) चालक के चारों तरफ चुबंकीय क्षेत्र रेखाएँ बनाती है। वह इन क्षेत्र रेखाओं को देखने पर पाती है कि चुबंकीय क्षेत्र रेखाएँ, पाश के केन्द्र से दूर जाने पर एक-दूसरे से दूर हटती जाती हैं, इसका क्या कारण है?
(b) चुबंकीय क्षेत्र रेखाओं के दो गुण लिखिए।
प्र०9.
मनुष्य के पाचन तंत्र से जुड़ी तीन ग्रंथियों के नाम तथा उनके द्वारा स्रावित तरल पदार्थों के नाम लिखिए।
प्र०10.
(a) उस पादप हार्मोन का नाम लिखिए जो प्रकाश के कारण उसमें उत्पादित होता है। यह पौधे के किस भाग में उत्पादित होता है?
(b) पौधे का प्ररोह प्रकाश की तरफ क्यों मुड़ता है? इसकी व्याख्या करें।
प्र०11.
कोई कार्बोक्सिलिक अम्ल, C2H4O2 किसी ऐल्कोहॉल से H2SO4 की उपस्थिति में अभिक्रिया करके कोई यौगिक ‘X’ बनाता है। यह ऐल्कोहॉल क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण के पश्चात् अम्लीकरण करने पर वही कार्बोक्सिलिक अम्ल, C2H4O2 बनाता है।
(i) कार्बोक्सिलिक अम्ल,
(ii) ऐल्कोहॉल तथा
(iii) यौगिक ‘X’ के नाम एवं संरचनाएँ दीजिए।
प्र०12.
एक तत्व ‘x’ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 है। यह तत्व (a) किस आवर्त का है और (b) इसके समूह की संख्या क्या है? इसकी संयोजकता क्या है? प्रत्येक उत्तर के लिए कारण भी लिखिए।
अथवा
चार तत्वों P, Q, R व S के परमाणु क्रमांक क्रमशः 12, 13, 14 व 15 हैं। अब निम्न प्रश्नों के उत्तर दें :
(i) तत्व Q की संयोजकता क्या है?
(ii) इन तत्वों को धातु व अधातु में वर्गीकृत कीजिए।
(iii) इनमें से कौन-सा तत्वे सबसे अधिक क्षारीय ऑक्साइड बनायेगा?
प्र०13.
उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से व्याख्या कीजिए कि कुछ लक्षण अगली पीढ़ी में क्यों वंशानुगत नहीं हो सकते। इन लक्षणों को क्या कहते हैं?
प्र०14.
(i) दंत चिकित्सकों तथा
(ii) सौर भट्टियों में उपयोग किए जाने वाले दर्पणों के प्रकार का नाम लिखिए।
प्रत्येक प्रकरण में इन दर्पणों के उपयोग किए जाने के दो कारण दीजिए।
प्र०15.
हमें इन्द्रधनुष को कब और किस दिशा में देखते हैं? इन्द्रधनुष किस प्रकार बनता है? इसके बनने का स्पष्टीकरण करने के लिए नामांकित आरेख खींचिए।
प्र०16.
(a) ताँबे को उसके अयस्क से प्राप्त करने के लिए विभिन्न चरणों का वर्णन करें। क्रियाओं के लिए समीकरण भी लिखें।
(b) एक नामांकित चित्र द्वारा ताँबे के विद्युत अपघटनी परिष्करण को समझाइए।
अथवा
(a) मैग्नीशियम क्लोराईड तथा सोडियम क्लोराईड बनने को इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण द्वारा समझाइए।
(b) इन यौगिकों में उपस्थित आयनों को पहचानिए।
(c) आयनिक यौगिक अपनी ठोस अवस्था में विद्युतधारा का संचालन क्यों नहीं करते हैं?
प्र०17.
(a) तीन प्रतिरोधक R1 R2 व R3 एक बैटरी V के श्रेणी क्रम में लगे हुए हैं। इसके लिए विद्युत परिपथ बनाइए। इन तीनों के परिणामी प्रतिरोध R के लिए समीकरण स्थापित कीजिए। (b) यदि R1 = 10 Ω, R2 = 20 Ω तथा R3 = 30 Ω है। यह तीनों प्रतिरोधक एक 6 वोल्ट की बैटरी के साथ श्रेणी क्रम में जुड़े हैं, तो इनका परिणामी प्रतिरोध ज्ञात कीजिए तथा इस विद्युत परिपथ में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए।
प्र०18.
(a) मनुष्य के पाचन तंत्र का चित्र बनाकर उस पर निम्नलिखित नामांकित करें :
(i) सबसे बड़ी ग्रंथि
(ii) वह ग्रंथि जो पाचक रस तथा हार्मोन दोनों स्रावित करती है।
(iii) वह भाग जहाँ पर पचा हुआ भोजन अवशोषित होता है।
(iv) वह भाग जहाँ HCl उत्पन्न होता है।
(b) प्रवर्ध (villi) क्या है? पाचन तंत्र में इनका क्या कार्य है?
प्र०19.
कोई कार्बनिक यौगिक ‘X’, सांद्र H2SO4 के साथ गरम करने पर कोई अन्य यौगिक Y’ बनाता है जो । निकैल की उपस्थिति में हाइड्रोजन के एक अणु के योग से कोई तीसरा यौगिक ‘Z’ बनाता है। यौगिक ‘Z’ के एक अणु के दहन पर दो अणु CO2 तथा तीन अणु H2O बनते हैं। कारण देते हुए यौगिक ‘X’, ‘Y’ तथा ‘Z’ की पहचान कीजिए। होने वाली सभी रासायनिक अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए।
प्र०20.
परागण क्या है? पादपों में यह किस प्रकार होता है? किस प्रकार परागण से ही निषेचन होता है? व्याख्या कीजिए।
प्र०21.
(a) प्रकाश किरण आरेख खींचने के लिए हम दो प्रकाश किरणों का उपयोग करते हैं जिनका चयन इस प्रकार किया जाता है कि दर्पण से परावर्तन के पश्चात् इनकी दिशाएँ सरलता से ज्ञात हो जाएँ। इस प्रकार की दो किरणों की सूची बनाइए तथा परावर्तन के पश्चात् इन किरणों के पथ लिखिए। इन दोनों किरणों के उपयोग द्वारा किसी अवतल दर्पण से अनन्त और वक्रता केन्द्र के बीच स्थित किसी बिम्ब के दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
(b) किसी अवतल दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित बिम्ब का प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए। यदि इस दर्पण के स्थान पर इसी फोकस दूरी का कोई अभिसारी लेंस प्रतिस्थापित कर दिया जाए, तो बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति और साइज़ में क्या परिवर्तन होगा?
अथवा
(a) कोई छात्र उसके नेत्रों से 3 मी दूरी पर स्थित दीवार पर लटके चार्ट को स्पष्ट नहीं देख पाता। उसके दृष्टि दोष का नाम लिखिए। इस दृष्टि दोष के स्पष्टीकरण के लिए किरण आरेख खींचिए। इस दोष के दो संभावित कारणों की सूची बनाइए।
(b) इस दोष का संशोधन उचित फोकस दूरी के लेंस के उपयोग द्वारा दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए।
(c) आपके क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा नेत्रदान के लिए कोई कैम्प आयोजित किया गया है। आप इस कार्य में क्यों और किस प्रकार सहायता करेंगे?
SECTION B
प्र०22.
(a) वोल्टमीटर की न्यूनतम गणना से तुम क्या समझते हो?
(b) यदि एक वोल्टमीटर के 0 से 0.5 v बिंदुओं के बीच 20 छोटी लाइनें हैं तो इस वोल्टमीटर की न्यूनतम गणना क्या होगी?
प्र०23.
(a) pH पेपर से किसी विलयन के pH का मान कैसे ज्ञात करते हैं?
(b) यदि जल का pH मान 7 है तो
(i) NaOH के जलीय विलयन का pH मान क्या होगा?
(ii) HCl अम्ल के जलीय विलयन का pH मान क्या होगा?
प्र०24.
स्टोमेटा छिद्रों को देखने के लिए, पत्ती की निचली परत की अस्थाई स्लाइड बनाते समय हमें क्या सावधानियां अपनानी चाहिए।
प्र०25.
कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम व मैग्नीशियम धातुओं के दो-दो लवणों के नाम लिखो।
प्र०26.
यीस्ट में अलैंगिक जनन विधि का नाम लिखें। यीस्ट किस प्रकार का जीव है? इस जीव का व्यापारिक महत्त्व क्या है?
प्र०27.
उन कारकों को लिखिए, जिस पर प्रिज्म में अपवर्तन के कारण बनने वाला विचलन कोण निर्भर करता है।
Answers
उत्तर 1-
फ्लेमिंग के दांये हाथ के नियम में तर्जनी उंगली चुबंकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है। फ्लेमिंग के दांये हाथ के नियम में अंगूठा चालक की गति की दिशा को दर्शाता है।
उत्तर 2-
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार, “तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु-संख्या का आवर्त फलन होते हैं।”
उत्तर 3-
उत्तर 4-
मानव के शुक्राणु गुणसूत्र के आधार पर ‘X’ तथा ‘Y’ दो प्रकार के होते हैं जबकि अण्डाणुओं में केवल एक ही प्रकार के ‘X’ गुणसूत्र होते हैं। इन गुणसूत्रों के कारण अगली संतति में नर अथवा मादा का लिंग निर्धारित होता है। यदि ‘X’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु, अण्डाणु को निषेचित करता है तो मादा बच्चा होगा। यदि ‘Y’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु को निषेचित करता है तो नर बच्चा होगा।
उत्तर 5-
(i) जब बिम्ब को अवतल दर्पण तथा f बिंदु के बीच रखा जायेगा तो उसका प्रतिबिम्ब सीधा व विवर्धित बनेगा।
(ii) जब बिम्ब को अवतल दर्पण के सामने उसके ‘f’ व ‘c’ बिन्दुओं के बीच में रखा जायेगा तो उसका प्रतिबिम्ब उल्टा विवर्धित बनेगा।
उत्तर 6-
(i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम-इस नियम के अनुसार, यदि हमें विद्युत धारावाही चालक तार को अपने दायें चुंबकीय क्षेत्र । हाथ से इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा चालक में जाती हुई। विद्युतधारा की दिशा की ओर संकेत करे तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा । में लिपटी होंगी। मैक्सवेल दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम
(ii) चालक तार में विद्युतधारा दिशा Q से P की तरफ है, इसलिए चुबंकीय क्षेत्र की दिशा (दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार) ‘A’ बिंदु पर कागज़ के अंदर की तरफ तथा ‘B’ बिंदु पर कागज के बाहर की तरफ होगी। ‘A’ बिंदु पर चुबंकीय क्षेत्र ‘B’ बिंदु की तुलना में अधिक प्रबल होगा क्योंकि चुबंकीय क्षेत्र की प्रबलता चालक तार से बिंदु की दूरी के विपरीत अनुपाती होती है।
उत्तर 7-
(i) फैरस सल्फेट के क्रिस्टल गर्म करने से पहले हरे रंग के होते हैं। गर्म करने पर इनका रंग भूरी हो जाता है। गर्म करते समय फैरिक ऑक्साइड के निर्माण के कारण क्रिस्टलों का रंग भूरा हो जाता है।
(ii) गर्म करते समय SO2 तथा SO3 गैसे निष्कासित होती हैं।
उत्तर 8-
(i) विद्युत बल्बों में सामान्यतः रासायनिक रूप से अक्रियाशील गैसें भरी जाती हैं क्योंकि ये गैसें बल्ब के गर्म तंतु (टंगस्टन) के साथ अभिक्रिया नहीं करतीं परिणामस्वरूप विद्युत बल्ब का फिलामेंट लंबी अवधि तक चलता है।
(ii) तांबे तथा एल्युमिनियम की तारों को विद्युत संचारण के लिए उपयोग में लाया जाता है क्योंकि इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम है और इसलिए ये धातुएँ विद्युत की बहुत अच्छी सुचालक हैं।
(iii) फ्यूज़ तार को विद्युत यंत्र के साथ श्रेणी क्रम में इसलिए लगाया जाता है क्योंकि विद्युत परिपथ द्वारा अधिक मात्रा में विद्युत प्रवाहित करने पर फ्यूज़ तार गर्म होकर पिघल जाती है। इससे सारी परिपथ टूट जाता है तथा यंत्र खराब होने से बच जाता है।
अथवा
(a) किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिंदु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले संकेंद्री वृत्तों का साइज़ तार से दूर जाने पर निरंतर बड़ा होता जाता है। वृत्ताकर पाश के केंद्र पर पहुँचते ही, इन बाहरी वृत्तों के चाप सरल रेखाओं जैसे प्रतीत होते हैं। चुबंकीय क्षेत्र प्रबलता वृत के केन्द्र से बिन्दु की दूरी के व्युत्क्रम अनुपाती होती है इसलिए चुबंकीय क्षेत्र रेखाएँ, पाश के केन्द्र से दूर जाने पर एक-दूसरे से दूर हटती जाती हैं।
(b) चुबंकीय क्षेत्र रेखाओं के दो गुण
(i) दो चुबंकीय क्षेत्र रेखाएँ आपस में एक दूसरे को कभी भी काटतीं नहीं हैं।
(ii) ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से आरंभ होकर चुबंक के दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं।
उत्तर 9-
मनुष्य के पाचन तंत्र से जुड़ी तीन ग्रंथियाँ निम्नलिखित हैं :
(i) लार ग्रंथियाँ मुख गुहिका में होती हैं तथा यह लार बनाती हैं। लार में लार एमिलेस नामक एक एंजाइम होता है जो कि भोजन में उपस्थित स्टार्च को शर्करा में बदल देता है।
(ii) यकृत सब से बड़ी ग्रंथि है तथा यह पित्तरस बनाती है। पित्तरस आमाशय से आने वाले अम्लीय भोजन को अग्न्याशयिक (pancreatic) एंजाइमों की क्रिया के लिए क्षारीय बनाता है। पित्त लवण भोजन में उपस्थित वसा को छोटी-छोटी बूंदों में अपघटित करता है ताकि वसा का पाचन आसानी से हो सके।
(iii) अग्नाशय एक बड़ी ग्रंथि है जो अग्नाशयी रस स्रावित करती है। अग्नाशय रस में
• एमीलेस एंजाइम, जो स्टार्च को ग्लूकोज़ के रूप में पचाता है;
• ट्रेप्सिन एंजाईम, जो प्रोटीन को एमिनो अम्ल के रूप में पचाता है; तथा ।
• लाइपेस एंजाइम, जो इमल्सीकृत वसा को वसा अम्ल के रुप में पचाता है;
सम्मिलित हैं। अग्नाशयी रस क्षारीय माध्यम में काम करता है।
उत्तर 10-
(a) यह हार्मोन ऑक्सिन है।
(b) जब पौधे पर प्रकाश एक ओर से पड़ता है तो उसका तना प्रकाश की ओर मुड़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तने की छाया वाले भाग में ऑक्सिन अधिक मात्रा में बनता है, जिसके कारण उस तरफ तने की वृद्धि अधिक हो जाती है, जबकि तने के प्रकाश वाले भाग में ऑक्सिन कम बनता है इसलिए उस तरफ तने की वृद्धि कम होती है।
उत्तर 11-
कार्बोक्सिलिक अम्ल, C2H4O2:
उत्तर 12-
(a) यह आवर्त 4 का तत्व है क्योंकि इसके 4 ऊर्जा कोश होते हैं और एक तत्व की आवर्त संख्या इसके ऊर्जा कोशों की संख्या के बराबर होती है।
(b) यह तत्व दूसरे समूह से संबंधित है क्योंकि इसके सबसे बाहरी कक्ष में 2 इलेक्ट्रॉन हैं और किसी तत्व के बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रान से उसके समूह की संख्याएँ संयोजकता ज्ञात होती है तथा कोशों | की कुल संख्या उसकी आवर्त संख्या होती है।
तत्व ‘X’ 2 इलेक्ट्रॉन खोकर या 6 इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त कर सकता है। क्योंकि 2 इलेक्ट्रॉन को खोकर निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करना आसान है। अतः इसकी संयोजकता 2 है।
अथवा
(i) तत्व Q की संयोजकता 3 है क्योंकि इसके सबसे बाहरी कक्ष में 3 इलेक्ट्रॉन हैं।
(ii) तत्व P व Q धातु हैं क्योंकि ये तत्व निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए क्रमशः 2 और 3 इलेक्ट्रॉन खो देते हैं और जो तत्व इलेक्ट्रॉन खोते हैं वे धातु होते हैं।
तत्व R व S अधातु हैं क्योंकि ये तत्व निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए या तो इलेक्ट्रॉन खोते हैं या पाते हैं और जो तत्व इलेक्ट्रॉन खोते या पाते हैं अधातु कहलाते हैं।
(iii) तत्व P सबसे अधिक क्षारीय ऑक्साइड बनायेगा क्योंकि यह दिए गए चारों तत्वों में से सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है।
उत्तर 13-
एक जीव के ऐसे लक्षण (अथवा विशेषता) जो वंशानुगत नहीं होते परंतु वातावरण की प्रतिक्रियास्वरूप उसके द्वारा अपने जीवनकाल में उपार्जित किए जाते हैं, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। जीव के उपार्जित लक्षण उसकी भावी पीढ़ियों में वंशानुगत नहीं होते क्योंकि ये लक्षण उस व्यक्ति या जीव की जनन कोशिकाओं के डी०एन०ए० में परिवर्तन नहीं ला पाते।
उदाहरण : एक खिलाड़ी द्वारा अपने खेल को खेलने के लिए अपनी मांसपेशियों को विशेष प्रकार से तैयार करना। ऐसे लक्षणों को उपार्जित लक्षण कहते हैं।
उत्तर 14-
(i) दंत चिकित्सक अवतल दर्पणों का प्रयोग करते हैं क्योंकि इससे रोगी के दाँतों का सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। जब दंत चिकित्सक दाँत को दर्पण व उसके F बिन्दु के बीच में रखते हैं तो प्रतिबिम्ब सीधा व बड़ी बनता है। इससे दाँत के दोष का पता लगाने में आसानी हो जाती है।
(ii) सौर भट्टियों में बड़े-बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग परावर्तक (reflectors) के रूप में किया जाता है। सौर भट्टियों को दर्पण के फोकस पर रखा जाता है। इसके बाद अवतल दर्पण द्वारा सौर किरणों को भट्टी पर फोकस किया जाता है फलस्वरूप सौर भट्टी का तापक्रम बहुत अधिक बढ़ जाता है। यहाँ तक कि इन सौर भट्टियों में स्टील तक को पिघलाया जा सकता है।
उत्तर 15-
इंद्रधनुष को हम बरसात होने के बाद सूर्य निकलने पर देखते हैं। यह सूर्य के सामने उससे विपरीत दिशा की ओर दिखाई देता है।
इन्द्रधनुष का बनना : वर्षा के बाद, जब सूर्य निकलता है तो उस समय, वायुमंडल में उपस्थित जल की बूंदें छोटे-छोटे प्रिज्म के रूप में कार्य कर सौर प्रकाश के सफेद प्रकाश का विक्षेपण कर उसे सात रंगों में तोड़ देती हैं। ये सात रंगों की किरणें उन पानी की बूंदों से बाहर आकर, इन्द्रधनुष बनाती हैं।
उत्तर 16-
(a) ताँबे को उसके सल्फॉइड अयस्क Cu2S से प्राप्त किया जाता है। अयस्क का सांद्रण झाग प्लवन विधि द्वारा किया जाता है। फिर सांद्रित अयस्क का वायु में भर्जन किया जाता है। तब अयस्क कॉपर ऑक्साईड में बदल जाता है।
2Cu2S + 3O2 (g) – Δ→ 2Cu2O (s) + 2SO2 (g)
कॉपर ऑक्साइड को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है। यह कॉपर धातु में Cu2O को कम कर देता है। इस रासायनिक अभिक्रिया के समय SO2 गैस उत्पन्न होती है जो प्राप्त हुए कॉपर के अंदर ही फंसी रह जाती है जिसके कारण कॉपर की सतह पर छाले जैसी संरचना दिखाई देती है।
2Cu2O + Cu2S – Δ→ 6Cu (s) + SO2 (g)
(b) ताँबे का विद्युत अपघटनी परिष्करण-इस प्रक्रिया में अशुद्ध ताँबे को ऐनोड (धनात्मक) तथा शुद्ध ताँबे की एक पतली पट्टी को कैथोड (ऋणात्मक) बनाया जाता है। अम्लीकृत कॉपर सल्फेट के विलयन का उपयोग विद्युत अपघट्य के रूप में किया जाता है। उपकरणों को निम्न चित्रानुसार व्यवस्थित किया जाता है :
अम्लीकृत कॉपर सल्फेट को विलयन अपघट्य है। अशुद्ध ताँबा ऐनोड है जबकि शुद्ध ताँबे की पट्टी कैथोड का कार्य करती है। विद्युत धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध ताँबा कैथोड पर निक्षेपित हो जाता है।
अथवा
(a) मैग्नीशियम (Mg) और सोडियम (Na) के क्रमशः 2 और 1 इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं के बाह्यतम कोश में हैं। इसलिए वे आठ संयोजी इलेक्ट्रॉनों के निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए अपने इलेक्ट्रॉन खो देते हैं और सकारात्मक आयनों अथवा धनायनों का निर्माण करते हैं।
दूसरी ओर Cl के परमाणु में सात इलेक्ट्रॉन हैं इसलिए वह निष्क्रिय गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन को लेता है तथा एक नकारात्मक आयन अथवा ऋणायन का निर्माण करता है।
(c) आयनिक यौगिक अपनी ठोस अवस्था में विद्युतधारा का संचालन नहीं कर पाते क्योंकि ठोस अवस्था में इनके विपरीत आयनों के बीच अत्यधिक आकर्षण बल होने के कारण यह आयनमुक्त अवस्था में संचरण नहीं कर पाते।
उत्तर 17-
(a) अलग-अलग प्रतिरोधों से एक ही विद्युत धारा (I) प्रवाहित होती है, जब इनको एक श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है (जैसा कि चित्र में दिखाया गया है)
उत्तर 18-
(a) (i) सबसे बड़ी ग्रंथि-यकृत
(ii) वह ग्रंथि जो पाचक रस तथा हार्मोन दोनों स्रावित करती है-अग्न्याशय
(iii) वह भाग जहाँ पर पचा हुआ भोजन अवशोषित होता है-छोटी आंत
(iv) वह भाग जहाँ HCl उत्पन्न होता है-आमाशय
(b) प्रवर्ध-छोटी आंत विशेष रूप से भोजन पचाने के लिए अनुकूल है। छोटी आंत की भीतरी परत पर लाखों छोटी-छोटी उंगलियों जैसी संरचनाएँ होती हैं, वह प्रवर्ध (villi) कहलाते हैं, जो छोटी आंत की। भीतरी दीवारों को एक बहुत बड़ा सतही क्षेत्रफल प्रदान करते हैं। बड़ा सतही क्षेत्रफल पचे हुए भोजन को तेजी से अवशोषित करने में मदद करता है। प्रवर्ध में बहुत अधिक रक्त वाहिकाएँ होती हैं जो भोजन को अवशोषित कर शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाती हैं।
उत्तर 19-
‘X’ यौगिक एथेनॉल एल्कोहल (C2H5OH) है।
‘Y’ यौगिक एथीन (C2H4) है।
उत्तर 20-
फूलों के नर परागकणों का मादा के वर्तिकाग्र पर पहुँचने के प्रक्रम को परागण कहते हैं।
पादपों में परागण दो विधियों द्वारा होता है : (i) स्वयं परागण तथा (ii) पर परागण।
स्वयं परागण में एक फूल के परागकण, उसी फूल के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं।
पर परागण में एक फूल के परागकण, उसी जाति के पौधों के किसी दूसरे फूल के वर्तिकाग्र पर वायु, जल, कीटों आदि द्वारा पहुँचाए जाते हैं।
यदि परागण क्रिया नहीं होगी, तो नर जनन कोशिकाएँ मादी जनन कोशिका (अण्डाणु) के पास नहीं पहुँच पायेंगी, अर्थात् निषेचन नहीं होगा। क्योंकि परागकणों से ही पराग नली में नर-जनन कोशिका बनती है। यही कोशिका अण्डाणु का निषेचन मादा के बीजाण्ड में करती है। इस प्रक्रिया को निषेचन के रूप में जाना जाता है।
उत्तर 21-
(a) किसी अवतल दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित बिम्ब को प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख :
(i) दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर । प्रकाश किरण, परावर्तन के पश्चात् अवतल दर्पण के मुख्य फोकस से गुज़रेगी अथवा उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस से अपसरित होती प्रतीत होगी।
(ii) अवतल दर्पण के मुख्य फोकस से गुजरने वाली किरण अथवा उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस की ओर निर्देशित किरण परावर्तन के पश्चात् – मुख्य अक्ष के समांतर निकलेगी।
(iii) अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र से गुजरने वाली किरण अथवा उत्तल दर्पण के वक्रता केंद्र की ओर निर्देशित किरण, परावर्तन के पश्चात् उसी पथ के अनुदिश वापस । परावर्तित हो जाती है।
प्रतिबिम्ब की स्थिति-प्रतिबिम्ब वक्रता बिन्दु (C) व फोकस दूरी (F) के बीच बनेगा।
(b) जब किसी बिम्ब को अवतल दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य । फोकस के बीच रखा जाता है तब यह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा।
प्रतिबिम्ब सीधा व काल्पनिक तथा आकार में बिम्ब से बड़ा बनेगा।
दर्पण के स्थान पर, उसी फोकस दूरी के A अभिसारी लेंस को प्रतिस्थापित कर देने पर प्रतिबिम्ब -54 प्रतिबिम्ब की प्रकृति के साइज़ में कोई परिवर्तन नहीं होगा। परन्तु प्रतिबिम्ब, लैंस के आगे, बिम्ब के पीछे बनेगा।
अथवा
(a) वह छात्र, निकट-दृष्टि रोग से पीड़ित है। ऐसा व्यक्ति निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है परंतु । दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाती।
निकट दृष्टि के स्पष्टीकरण के लिए किरण आरेख :
इस दोष के दो कारण :
(i) नेत्रगोलकों का लम्बा हो जाना।।
(ii) आंख के लेंस की वक्रता अत्यधिक होना।
(b) निकट-दृष्टि दोष के संशोधन हेतु किरण आरेख : इस दोष को उपयुक्त क्षमता वाले अवतल लेंस के द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
(c) नेत्रदान के कैम्प में युवाओं को अधिक उत्साह से भाग लेना चाहिए। लोगों को मृत्यु के बाद नेत्रदान के महत्त्व को समझाने के लिए हम जैसे विद्यार्थियों को आगे आकर सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए। हमारी मृत्यु के पश्चात् हमारी आँखें दो नेत्रहीन व्यक्तियों को दृष्टि प्रदान कर सकती हैं। हमें भगवान को शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने हमें आँखों की रोशनी प्रदान की है जिनके कारण हम इस खूबसूरत दुनिया को देख पा रहे हैं।
उत्तर 22-
(a) किसी वोल्टमीटर द्वारा सबसे कम विभवांतर के मान की जो गणना की जा सकती है, उसे उस वोल्टमीटर की न्यूनतम गणना कहते है।
(b) वोल्टमीटर के दो बिंदु = OV तथा 0.5 V
∴ इनके बीच विभावंतर = 0.5 – 0.0 = 0.5V
दोनों बिंदुओं की बीच छोटी लाइनें = 20
उत्तर 23-
(a) pH पेपर की एक पट्टी पर किसी विलयन की एक बूंद डालने पर जो रंग pH पेपर पर बनता है उस रंग को pH चार्ट के रंगों से मिलान कर विलयन का pH मान ज्ञात किया जाता है।
(b) • NaOH का जलीय विलयन क्षारीय है। इसलिए इसका pH मान > 7 होगा। (7 से अधिक होगा)।
• HCl का जलीय विलयन अम्लीय है इसलिए इसका pH मान < 7 होगा। (7 से कम होगा)
उत्तर 24-
हमें निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिएं :
(i) पत्ती की निचली परत ताजे तोड़े हुए पत्ते से लेनी चाहिए।
(ii) एक ब्रुश की सहायता से परत (झिल्ली) को पैट्री डिश से स्लाइड पर रखना चाहिए।
(iii) झिल्ली स्लाइड पर मुड़नी नहीं चाहिए।
(iv) झिल्ली को स्लाइड के मध्य भाग में रखना चाहिए।
(v) स्लाइड पर कवर स्लिप धीरे से रखनी चाहिए ताकि बीच में वायु के बुलबुले न आ सकें।
(vi) स्लाइड को हमेशा किनारे से पकड़ना चाहिए ताकि स्लाइड गंदी न हो जाए।
उत्तर 25-
कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम धातु के दो लवण :
(i) कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2)
(ii) कैल्शियम सल्फेट (CaSO4)
कठोर जल में उपस्थित मैग्नीशियम धातु के दो लवण :
(i) मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2)
(ii) मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO4)
उत्तर 26-
यीस्ट में अलैंगिक जनन, मुकुलन विधि द्वारा होता है।
यीस्ट एक कोशिकीय फफूद जीव है।
यीस्ट किण्वन विधि द्वारा शर्करा को एथिल एल्कोहल में परिवर्तित कर देता है। इस एल्कोहल का उपयोग
मदिरा उद्योग में मदिरा बनाने के काम आता है।
उत्तर 27-
प्रिज्म में अपवर्तन के कारण बनने वाला विचलन कोण तीन कारकों पर निर्भर करता है :
(i) प्रिज्म के कोण ‘A’ पर।
(ii) आपतन कोण पर।
(ii) प्रिज्म जिस पदार्थ का बना है, उसके अपवर्तनांक पर।
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