Students can access the CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 11 Hindi Term 2 Set 1 with Solutions
समय : 2.00 घण्टा
पूर्णांक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और खंड ‘ख’
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
- खंड-‘क’ में कुल 4 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड-‘ख’ में कुल 3 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के साथ विकल्प दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
रखण्ड-‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 200 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए [5]
(i) स्वच्छता हमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व बौद्धिक रूप से स्वस्थ बनाती है। इसीलिए विद्यालयों में भी स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं। आपके विद्यालय में हुए स्वच्छता अभियान पर लेख लिखिए।
उत्तरः
2 अक्टूबर को प्रतिवर्ष हम महात्मा गाँधी का जन्मदिन मनाते हैं। इस बार हमारे स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने 2 अक्टूबर को स्वच्छता दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय से सभी प्रसन्न और उत्साहित हुए। सभी ने तालियाँ बजाकर उनके इस निर्णय का स्वागत किया।
दिन भर स्वच्छता से संबंधित अनेक कार्यक्रम हुए। अध्यापकों ने स्वच्छता से संबंधित अनेक प्रकार की जानकारियाँ दीं। प्रधानाचार्यजी ने बताया कि स्वच्छ जीवन जीने के लिए स्वयं स्वच्छ रहना और अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और स्वस्थ राष्ट्र निर्माण’ में योगदान देता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में स्वच्छता अपनानी चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। किसी को भी खुले में शौच आदि के लिए नहीं जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अनेक बीमारियाँ जैसे-हैजा, पेचिस, पोलियो, टाइफाइड जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। हमें खाना खाने से पूर्व हाथों को अच्छी प्रकार से साफ करना चाहिए। प्रतिदिन के जीवन की छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर भी स्वस्थ रहा जा सकता है। घर हो या स्कूल हर जगह स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। इसके बारे में समय-समय पर बच्चों को जानकारियाँ देते हुए जागरूक करते रहना चाहिए।
भोजनावकाश के बाद सभी विद्यार्थी, अध्यापक और कर्मचारी, उत्साहपूर्वक सफाई अभियान में जुट गए। कुछ बच्चे गमलों और पौधों के बीच से सूखी और सड़ी हुई पत्तियों आदि को निकाल रहे थे तो कुछ फावड़े और खुरपियों आदि की सहायता से नाली की मिट्टी को निकालने का काम कर रहे थे। मैदान में बिखरी पत्तियों को एक जगह एकत्र करने के लिए विद्यार्थियों ने मैदान में झाडू लगाई फिर प्रार्थना स्थल को भी साफ करके वहाँ की धुलाई की जिसमें शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी सहयोग किया। कुछ छात्राओं ने गमलों पर भी रंग से पुताई की।
स्कूल के प्रधानाचार्य महोदय पूरे स्कूल में हो रहे स्वच्छता अभियान में विद्यार्थियों का मार्ग-दर्शन करने के साथ ही उत्साहवर्धन भी कर रहे थे। छोटी-छोटी टोकरियों से बच्चे कूड़ा उठाकर कूड़े की ट्रॉली में डाल रहे थे जिसमें बड़े बच्चे उनकी सहायता कर रहे थे।
दो घंटे में ही पूरे स्कूल की कायापलट हो गई। विद्यालय का हर कोना चमक रहा था। अपनी मेहनत रंग लाते देख सभी के चेहरे प्रसन्नता से चमक रहे थे। किसी को अपने कपड़े गंदे होने की चिंता नहीं थी।
4:00 बजे सफाई अभियान की समाप्ति की घोषणा हेतु घंटी बजाई गई। सभी अपना कार्य समाप्त कर शीघ्रता से बड़े मैदान में एकत्रित हो गए। प्रधानाचार्य जी ने सभी की प्रशंसा की। सभी को जलपान वितरित किया गया और सभी की सहमति से प्रत्येक शनिवार को भोजनावकाश के बाद का समय ‘स्वच्छता अभियान’ के लिए निर्धारित किया गया।
(ii) असामाजिक तत्त्वों द्वारा किस प्रकार समाज की शांति भंग की जाती है? इस पर आधारित एक घटना लिखिए।
उत्तरः
असामाजिक तत्त्वों की शरारतों के किस्से प्रायः हम सुनते रहते हैं। बड़े-बड़े भवनों एवं हरियाली से युक्त हमारी कॉलोनी एक शांतिप्रिय कॉलोनी है। अभी कुछ ही दिनों पूर्व हमारी कॉलोनी में एक घटना घटित हुई है-
हमारे पड़ोसी शर्मा अंकल का इकलौता बेटा चेन्नई में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। अंकल व आंटी दोनों ही एक आलीशान कोठी में रहते थे। उनके बेटे के पत्र अक्सर आते रहते थे। कुछ समय पूर्व हमारी कॉलोनी में कुछ शरारती युवक रहने आए। वे अपनी शरारतों से अक्सर लोगों को परेशान करते रहते थे। एक दिन उन्होंने कुछ शरारती पत्र लिखकर दोपहर को लोगों के घर के बाहर लगी पत्र-पेटिकाओं में डाल दिए। शर्मा आंटी ने जब पत्र पढ़ा तो उसमें उनके इकलौते बेटे की दुर्घटना में मृत्यु का समाचार था। पत्र पढ़ते ही सदमे से उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। मेरे पिताजी शर्मा अंकल की चीख-पुकार सुन वहाँ पहुँचे और आंटी जी को अस्पताल में दाखिल करवाया। बाद में सारी बात जान पिताजी को कुछ संदेह हुआ। पत्र देखते ही वह सारी शरारत समझ गए क्योंकि उस पत्र पर न तो डाक टिकट था और न ही डाकघर की मुहर। इस तरह की शरारत से दूसरों को कितना नुकसान हो सकता था यह सोचे बिना अपनी बेवकूफी से थोड़ी-सी मस्ती के लिए दूसरों की जान से खिलवाड़ करना गलत है। असामाजिक तत्त्वों की रोकथाम के लिए हमें व प्रशासन को सख्ती से इनके विरुद्ध ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके अतिरिक्त स्थानीय व्यक्तियों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्हें ऐसे व्यक्तियों पर शक होते ही तुरंत पुलिस को सूचना देनी चाहिए। बड़े-बुजुर्गों को इस प्रकार की घटनाओं का सामना प्रायः करना पड़ता है, अतः अगर मजबूरी न हो तो उन्हें अकेले रहने से बचना चाहिए।
(iii) कम्प्यूटर तथा मोबाइल मनोरंजन के साथ-साथ हमारी जरूरत का साधन अधिक बन गए हैं। हर क्षेत्र में इनसे मिलने वाले लाभों तथा हानियों का वर्णन करते हुए अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
वर्तमान युग विज्ञान का युग कहलाता है। विज्ञान के आविष्कारों ने आज दुनिया ही बदल दी है तथा मानव जीवन को सुख एवं ऐश्वर्य से भर दिया है। कम्प्यूटर, मोबाइल फोन उनमें से ही अत्यन्त उपयोगी और विस्मयकारी खोज हैं जो मनोरंजन के साथ-साथ हमारी जरूरत का साधन अधिक बन गए हैं। कम्प्यूटर व मोबाइल आज के युग की अनिवार्यता बन गये हैं तथा इनका प्रयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
कम्प्यूटर व मोबाइल के माध्यम से बैंक अधिकारी बटन दबाकर ग्राहक के खाते का पूरा विवरण स्क्रीन पर ला देता है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर आरक्षण का कार्य इसकी सहायता से किया जा सकता है। इसी प्रकार मौसम की जानकारी एकत्र करने में, टेलीफोन या बिजली के बिल बनवाने व जमा कराने में, छात्रों की उत्तर पुस्तिका जाँचने में, स्वास्थ्य परीक्षण में इनका सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। आजकल तो पुस्तकों की छपाई का काम कम्प्यूटर के प्रयोग से अत्यन्त तीव्रगामी व सुविधाजनक हो गया है। इस प्रकार मोबाइल व कम्प्यूटर सूचना, प्रसारण तथा नियंत्रण का सशक्त साधन बन गए हैं। इन उपकरणों से तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं। समाचार, चुटकुले, संगीत आदि का आनन्द लिया जा सकता है। किसी भी तरह की विपत्ति में मोबाइल फोन रक्षक बनकर हमारी सहायता करता है। इंटरनेट के प्रयोग ने सभी के लिए ज्ञान के द्वार खोल दिए हैं। अपने ज्ञान में वृद्धि तथा दूसरों तक जानकारियाँ पहुँचाने का यह सरल व तीव्र माध्यम है। सभी सुविधाएँ होने के बावजूद आज इनके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। जिनमें अफवाहें फैलाना, धमकियाँ देना, अश्लीलता आदि मुख्य हैं।
यद्यपि ये मानव मस्तिष्क की तरह कार्य करते हैं परन्तु मानव की तरह सोच-विचार नहीं कर सकते। ये केवल दिए गए निर्देशों का पालन ही कर सकते हैं। अतः हमें इनके गलत प्रयोग से बचना चाहिए और इनकी सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए जिससे विज्ञान के ये वरदान अभिशाप न बन जाएँ।
सामान्य त्रुटियाँ
- कई छात्र प्रश्न को समझने में कठिनाई अनुभव करते हैं।
- उत्तर लिखने में पुनरावृत्ति का दोष पाया गया।
- कई बार छात्र दिए गए विषय से भटक कर कुछ अन्य ही लिख देते हैं। …
निवारण
- निरन्तर अभ्यास द्वारा छात्र रचनात्मक लेखन में पारंगत हो सकते हैं।
- विषय को समझकर, उससे जुड़ाव होने पर वे निर्बाध गति से लेखन कर सकते हैं।
- विषय को रोचक बनाने की तरफ छात्रों को ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 2.
प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबन्ध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए क्षेत्र के प्रमुख समाचार-पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
समय का सदुपयोग करते हुए परिश्रमपूर्वक पढ़ने की सलाह देते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए। [5]
उत्तरः
1242 अशोक विहार,
दिल्ली
दिनांक 26 मार्च 20xx
सेवा में,
प्रधान संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली 110002
विषय : प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग के संदर्भ में।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध के बावजूद इनके बढ़ते प्रयोग पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। आपसे अनुरोध है कि मेरे इस पत्र को लोकवाणी स्तंभ में प्रकाशित करने का कष्ट करें। दिल्ली हमारे देश की राजधानी है तथा विश्व के प्रमुख नगरों में गिनी जाती है। आज दिल्ली महानगर की प्रदूषण समस्या अत्यंत सोचनीय है। हालांकि सरकार ने प्लास्टिक थैलों पर प्रतिबंध लगा दिया है, परंतु जैसा कि हम देखते हैं कि आज भी बाजार में हर तरह की वस्तुओं को प्लास्टिक बैग में ही डाल कर बेचा जाता है। लोग प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग कर रहे हैं। कूड़ा प्रतिदिन प्लास्टिक बैग में ही भरकर कूड़ेदान में डाला जाता है। प्लास्टिक को जलाए जाने पर प्रदूषण बढ़ता है। नदी, सरोवर के पानी में भी प्लास्टिक बैग उपयोग करके फेंक दिया जाता है, जिसे जीव-जंतु खाकर मर रहे हैं। प्लास्टिक जलाने के कारण समस्या दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। इस समस्या को अत्यंत गंभीरता से लेना आवश्यक है। मेरा अधिकारियों से विनम्र निवेदन है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा कर इस समस्या का समाधान करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
ज्योति रंजन
अथवा
27, जे. एन. हॉस्टल,
डी. पी. एस.
दिल्ली-11
दिनांक 20 अगस्त 20xx
प्रिय मित्र अनुज,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है तुम परिवार सहित सकुशल होंगे। मैं ठीक-ठाक हूँ और इस वर्ष पूरे मनोयोग से अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ क्योंकि नवीं-दसवीं की पढ़ाई को मैं बुनियादी तौर पर शिक्षा रूपी मकान की नींव मानता हूँ। अगर नींव मजबूत है तो उस पर मजबूत भवन बनाया जा सकता है। मैं तुम्हें भी यही सलाह दूँगा कि इन दो वर्षों में तुम डटकर परिश्रम करो और अपना पूरा ध्यान खेलकूद एवं मटरगश्ती से हटाकर पढ़ने-लिखने पर लगा दो। यदि आपने 10वीं की परीक्षा 90 प्रतिशत या उससे अधिक अंकों से उत्तीर्ण कर ली तो आगे अच्छे कॉलेज में प्रवेश मिल सकेगा जो हमारे भविष्य को बनाने के लिए अति आवश्यक है।
कृपया अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केन्द्रित करें जिससे अच्छे अंको से आपको सफलता प्राप्त हो सके।
आशा है आप मेरी सलाह पर ध्यान देंगे। घर में सभी बड़ों को मेरा प्रणाम कहें तथा छोटों को स्नेह दें।
पत्र की प्रतिक्षा करूंगा।
आपका मित्र
प्रेम अग्निहोत्री
94120878XX
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए [3 + 2 = 5]
(i) विद्यालय में आयोजित वार्षिक समारोह का प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
भारतीय डाक-तार विभाग के महानिदेशक की ओर से एक साधारण परिपत्र का प्रारूप प्रस्तुत कीजिए जिसमें सभी अनुभाग अधिकारियों को सूचित किया जाए कि पूर्व अनुमति के बिना यदि वे कार्यालय में अनुपस्थित रहे तथा कार्यालयी अनुदेशों का विधिवत् अनुपालन नहीं किया तो उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।
उत्तरः
पांखुरी (विद्यालयी पत्रिका)
डी. वी. एन. कॉलेज
2 फरवरी 20………
राया (मथुरा)
गत 23 जनवरी 20….. को हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव हुआ। नगर के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री श्याम बहादुर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस वर्ष विद्यालय में काफी उत्साह देखा गया। विद्यालय को पूरी तरह सजाया-सँवारा गया। ठीक 11 बजे कार्यक्रम आरंभ हुआ। पहले एन.सी.सी. स्काउट तथा बैंड के छात्रों ने स्वागत कार्यक्रम प्रस्तुत किए। फिर मलखंभ, ड्रिल, डंबल, लेज़ियम के आकर्षक कार्यक्रम हुए। तत्पश्चात मंच के कार्यक्रम प्रारंभ हुए। विद्यालय के छात्रों ने मंत्रमुग्ध करने वाले अभिनय और गीत प्रस्तुत किए। प्राचार्य महोदय ने विद्यालय की प्रगति की रिपोर्ट पेश करते हुए विज्ञान के छात्रों के लिए नई प्रयोगशाला की कमी का उल्लेख किया। प्राचार्य के भाषण के बाद मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा प्रयोगशाला के लिए ₹ 51,000 दान देने की घोषणा की। विद्यालय का प्रांगण तालियों की ध्वनि से गूंज उठा। मुख्य अतिथि ने प्रतिभाशाली छात्रों को चहुँमुखी उन्नति की दिशा में बढ़ने की प्रेरणा दी तथा उनके प्रोत्साहन के लिए कई पुरस्कार योजनाएं शुरू करने की भी घोषणा की। अंत में इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं को मुख्य अतिथि के हाथों से पुरस्कृत किया गया। इसके साथ यह कार्यक्रम सोल्लास संपन्न हुआ।
अथवा
पत्र संख्या-61/9/20xx
21 जनवरी 20xx
महानिदेशक
भारतीय डाक-तार विभाग
भारत सरकार, नई दिल्ली
परिपत्र
विषय-अनुभाग अधिकारियों हेतु सामान्य निर्देश।
महोदय,
हाल ही के कुछ दिनों में अनुभाग अधिकारियों में बढ़ती लापरवाही व उनके खिलाफ मिल रही शिकायतों के मद्देनजर विभागान्तर्गत सभी अनुभाग अधिकारियों को इस बात के लिए सख्त निर्देशित किया जाता है कि वे बिना पूर्व अनुमति के कार्यालयों में अनुपस्थित न रहें तथा कार्यालय अनुदेशों की विधिवत् अनुपालना करें।
इन अनुदेशों की तरफ समुचित ध्यान दिया जाए। दोषी अनुभाग अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही अपेक्षित है। परिपत्र के प्रति लापरवाही अनुभाग अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही का ठोस कारण बन सकती है।
हस्ताक्षर
क,ख,ग
डाक-तार विभाग
भारत सरकार
(ii) बैठक के कार्यवृत्त का प्रारूप लिखिए।
अथवा
परिपत्र में विशेष ध्यान देने योग्य बात क्या है?
उत्तरः
(बैठक के कार्यवृत्त का प्रारूप)
आमतौर पर बैठक के कार्यवृत्त में निम्नलिखित भाग होते हैं
- कंपनी का नाम-पेज के ऊपरी भाग में बायीं ओर।
- दिनांक-पेज के दाहिनी तरफ सबसे ऊपर।
- विषय-पृष्ठ के ठीक बीच में।
- लोग–अनुपस्थित व्यक्तियों के नाम, उनकी भूमिकाएँ और उनकी अनुपस्थिति का कारण /(3 कॉलमों में)।
- एजेंडा (कार्यसूची)-बैठक में चर्चा का विषय।
- बैठक में उठाए गए मुद्दे-वक्ताओं के नाम व उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे।
- सुझाव-वक्ताओं के नाम के साथ उनके सुझाव।
- फैसला-बैठक में लिया गया निर्णय।
- कार्यसूची-कौन-कौन से कार्य सौंपे गए और किसको सौंपे गए।
- भविष्य में होने वाली बैठक-अगली बैठक की तारीख और चर्चा का विषय।
अथवा
बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को कार्यान्वित करने के लिए परिपत्र जारी किया जाता है। जिस मुद्दे को लेकर पहला परिपत्र जारी किया जाता है, उस मुद्दे पर होने वाला फैसला भी परिपत्र के रूप में जारी किया जाता है जिसमें निर्णय को कार्यान्वित किए
जाने के निर्देश होते हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(i) संचार क्रांति क्या है? इसका क्या परिणाम निकला? [3 + 2 = 5]
अथवा
संचार कितने प्रकार का होता है? लिखिए।
उत्तरः
संदेशों के आदान-प्रदान में लगने वाले समय और दूरी को कम करने के लिए मनुष्य ने संचार के माध्यमों की खोज कर संचार
क्रांति पैदा की, इसका परिणाम यह निकला कि संचार व जनसंचार के विभिन्न माध्यम जैसे टेलीफोन, इंटरनेट, फैक्स, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा आदि की खोज ने न सिर्फ भौगोलिक दूरियाँ कम कर दीं बल्कि सांस्कृतिक और मानसिक रूप से भी मानव एक-दूसरे के करीब आ रहा है। अब तो ऐसा लगता है कि दुनिया एक गाँव में जैसे बदल गई हो। दुनिया के किसी भी कोने की कोई भी खबर जनसंचार माध्यमों के द्वारा कुछ ही मिनटों में हम तक पहुँच जाती है। ये माध्यम हमें केवल सूचनाएँ ही नहीं देते बल्कि हमें जागरूक बनाने में, हमारा मनोरंजन करने में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
अथवा
संचार एक जटिल प्रक्रिया है। अतः इसके कई रूप या प्रकार हैं
- सांकेतिक संचार-संकेतों द्वारा संदेश पहुँचाना जैसे-हाथ जोड़ना, पाँव छूना, सिगनल देना आदि सांकेतिक संचार हैं।
- मौखिक संचार-मुख द्वारा व्यक्त ध्वनियों के माध्यम से संदेश पहुँचाना। आपसी बातचीत, टेलीफोन आदि मौखिक संचार हैं।
- अमौखिक संचार-मौखिक संचार के अतिरिक्त अन्य संचार साधन, जैसे सांकेतिक व लिखित संचार आदि अमौखिक संचार कहलाते हैं।
- अंतःवैयक्तिक संचार-अकेले में स्वयं अपने साथ किसी विषय पर या मुद्दे पर सोच-विचार करना; विचार-मंथन करना, पूजा-इबादत-प्रार्थना करते वक्त ध्यान में रहना, भाषा, स्मृतियों, गीतों आदि से स्वयं को व्यक्त करना इस संचार का बुनियादी रूप है। इसे अंत:वैयक्तिक (इंट्रापर्सनल) संचार कहते हैं।
- अंतर वैयक्तिक-जब दो व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार करते हैं तो इसे अंतर वैयक्तिक (इंटरपर्सनल) संचार कहते हैं। इसमें फीडबैक भी तुरंत मिलता है। हर कदम पर इस कौशल की जरूरत पड़ती है।
- समूह संचार-संचार का तीसरा प्रकार है-समूह संचार। इसमें एक समूह आपस में विचार-विमर्श या चर्चा करता है। समूह संचार का उपयोग समाज और देश के सामने उपस्थित समस्याओं को बातचीत और वाद-विवाद के ज़रिये हल करने के लिए होता
- जनसंचार-जब हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के ज़रिये समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करने की कोशिश करते हैं तो इसे जनसंचार (मास-कम्युनिकेशन) कहते हैं।
(ii) पीत पत्रकारिता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
समाचार के लिए जनरुचि का क्या महत्त्व है?
उत्तरः
अफवाहों, व्यक्तिगत आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेम-संबंधों का खुलासा, फिल्मी गपशप आदि से संबंधित समाचार पीत पत्रकारिता के अन्तर्गत आते हैं व उन्हें प्रकाशित करते हैं। यह पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है। इस पत्रकारिता की शुरुआत अमेरिका में 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई थी, क्योंकि वहाँ कुछ समाचार पत्रों के बीच पाठकों को आकर्षित करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा प्रारंभ हो गई थी।
अथवा
समाचार-पत्र जनरुचि के पारखी होते हैं। इसी कारण समाचार-पत्रों में खेल, फिल्म, राजनीति, हिंसा आदि के अलग पृष्ठ होते हैं। प्रायः समाचार-पत्र पाठकों की रुचि के अनुसार ही समाचारों को स्थान प्रदान करते हैं। हर समाचार-पत्र का अपना एक विशेष पाठक वर्ग भी होता है। जिसके अनुसार वे समाचारों का चयन करते हैं।
रखण्ड-‘व’
प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए [3 × 2 = 6]
(i) परिवार के प्रति कवि की भावनाएँ व्यक्त कीजिए।
उत्तरः
परिवार के प्रति कवि की भावनाएँ अत्यन्त हृदयस्पर्शी व मार्मिक हैं। कारागार में कारावास का दंड भुगतते हुए वह स्वयं तो दुःखी है ही, लेकिन इससे अधिक दुःख इस बात का है कि उसके परिवार के लोग उससे न मिल पाने के कारण दुःखी हैं। कवि अपनी विवाहिता बहन को याद करता हुआ कहता है कि वह भी आज रक्षाबंधन पर मायके आई होगी और अपने एक भाई को घर पर न पाकर बहुत दुःखी हुई होगी। उसके चारों भाई चार सहयोगी भुजाओं के समान हैं। चारों बहनें स्नेह की प्रतिमूर्ति हैं। सभी बहनों व भाइयों में अत्यन्त स्नेह है व उनके बीच प्रेम और स्नेह का एक अटूट रिश्ता है। वह अपनी माँ को याद करते हुए कहता है कि उसके कारागार जाने के कारण उसकी माँ भी दुःखी व आहत है। कवि कहता है कि वह अपनी माँ की स्नेहमयी गोद में सिर रखकर सारे दुःख व कष्ट भूल जाता था। माँ के स्नेह और प्यार की धारा को वह कारागार तक महसूस करता है। वह भावुक होते हुए अपने पिता को याद कर रहा है। कवि के पिता उसको याद कर-करके रोने लगते हैं। वे अपने बाकी बच्चों को खेलते, उठते, बैठते देखकर कवि को याद कर दुःखी हो जाते हैं। कवि उनका सबसे प्यारा बेटा है व उनसे दूर कारागार में है। वे कवि की बात करते-करते भाव-विभोर हो उठते हैं। कवि उनको बिल्कुल भी दुःखी नहीं देखना चाहता। उसे अपने माता-पिता व पूरे परिवार से बहुत लगाव था।
सामान्य त्रुटियाँ
- कुछ छात्र कविता का अध्ययन ध्यानपूर्वक नहीं करते जिसके कारण कविता का केंद्रीय भाव नहीं समझ पाते।
- वे कविता का भावार्थ समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
निवारण
- छात्रों को कविता के शब्दों पर ध्यान देते हुए उसको आत्मसात करना चाहिए।
- कविता का भावार्थ समझने के बाद ही छात्र बहुविकल्पात्मक प्रश्नों के सही उत्तर का चुनाव कर सकने में सक्षम हो सकते हैं।
(ii) गज़ल किसे कहते हैं ? दुष्यंत कुमार की गज़ल की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तरः
गज़ल काव्य लेखन की एक विधा है। इसमें एक ही बहर और वज़न के अनुसार शेर लिखे जाते हैं। ग़ज़ल में शेरों की संख्या विषम होती है। गज़ल के शेर में जो तुकांत शब्द आते हैं, उन्हें काफिया कहा जाता है और दोहराव वाले शब्दों को रदीफ कहते हैं। यह रुबाई छंद में लिखी जाती है। गज़ल में शीर्षक की आवश्यकता नहीं पड़ती। दुष्यंत कुमार की गज़ल में अद्भुत विशेषताएँ हैं। इन्होंने गज़ल विधा को हिन्दी में लिखकर प्रतिष्ठित किया। इनकी गज़लों के शेर साहित्यिक और राजनीतिक सभाओं में इस तरह से दोहराए जाते हैं मानो ये मुहावरे या लोकोक्तियाँ हों। इन्होंने अपनी गज़लों में साहित्यिक गुणवत्ता को कभी कम नहीं होने दिया। इसीलिए लोकप्रियता के मामले में इनकी गज़लों ने नए कीर्तिमान स्थापित किए। इनकी गज़लों में तत्सम व उर्दू शब्दों का खूबसूरत समावेश किया गया है। जैसे-मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
(iii) “इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है।” आओ, मिलकर बचाएँ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः
‘आओ, मिलकर बचाएँ’ नामक कविता प्रकृति-प्रेम और संस्कृति-प्रेम की कविता है। कवयित्री झारखण्ड के संथाली रंग और
जीवन-शैली को बचाना चाहती है। वह अपनी बस्तियों को शहरी अपसंस्कृति से बचाकर झारखण्ड की माटी के रंग में रंगी रहना चाहती है। वह चाहती है कि उनके जीवन में गर्माहट, ताजगी, हरियाली, भोलापन, अक्खड़पन, जुझारूपन बना रहे जो झारखण्डी संस्कृति की पहचान है। वे पहले की तरह धनुष-बाण, कुल्हाड़ी को धारण करें। उन्हें वही जंगल की ताजा हवा, नदियों की पवित्रता, पहाड़ी गीतों की धुन, मिट्टी की सुगन्ध, नाचने-गाने के लिए गीत और आँगन, रोने के लिए एकान्त, बच्चों के लिए खेल का मैदान, पशुओं के लिए हरी घास, बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शान्ति मिलती रहे। वह अब भी पहले की तरह विश्वास, आशा और सपनों के संसार में जीना चाहती है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए [3 × 3 = 9]
(i) ‘स्पीति रेगुलेशन’ क्या था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘स्पीति में बारिश’ पाठ एक यात्रा-वृत्तान्त है। स्पीति, हिमालय के मध्य में स्थित है। यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है। लेखक ने इस पाठ में स्पीति की जनसंख्या, ऋतु, फसल, जलवायु और भूगोल का वर्णन किया है जो आपस में एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। कृष्णनाथ जी ने दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया है। कुछ युवा पर्यटकों का पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है। ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति में उनका आना, वहाँ बूंदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है।
(ii) स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किनका जीवन आपको ज्यादा अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तरः
स्पीति के लोगों का जीवन मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना में बहुत कठिन होता है। वहाँ जीवन-यापन की
आधुनिक सुख-सुविधाओं का अभाव होता है, जबकि मैदानी इलाकों में परिवहन, संचार, मनोरंजन आदि की पर्याप्त सुविधाएँ होती हैं। मैदानी इलाकों में जहाँ छः ऋतुएँ बदल-बदल कर आती हैं वहीं स्पीति में सर्दी व वसन्त दो ऋतुएँ ही होती हैं। सर्दी में तो सब कुछ जम जाता है। अतः मैदानी भागों में रहने वालों का जीवन स्पीति के लोगों से सुखी व सरल होने के कारण हमें ज्यादा अच्छा लगता है।
सामान्य त्रुटियाँ
- विद्यार्थियों को पाठ में आए तथ्यों को याद रखना कठिन लगता है।
- वे संबंधित प्रश्नों के सटीक उत्तर देने में भ्रमित हो जाते हैं।
- छात्रों में पाठ के प्रति रोचकता व एकाग्रता की कमी रहती है।
निवारण
- छात्र पाठ के प्रति रोचक भाव व एकाग्रता का भाव, रख कर ही सही प्रकार से अध्ययन कर सकते हैं।
- तथ्यों को बार-बार लिख-लिखकर याद रखा जा सकता है।
(iii) ‘बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं ?’
(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तरः
(क) सचिवालय के लॉन में लगा जामुन का पेड़ रात को आँधी में गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर सचिवालय के माली ने उसे देखा। उसने क्लर्कों को सूचना दी। सभी क्लर्क इकट्ठे हुए। वे जामुन का पेड़ गिरा देखकर उपर्युक्त बातें करने लगे।
(ख) इससे पता चलता है कि लोग संवेदना शून्य हो चुके हैं। उन्हें मरता हुआ आदमी भी द्रवित नहीं करता। वे इतने स्वार्थांध हैं कि मरते हुए आदमी को अनदेखा करके वे अपना हित पूरा करना चाहते हैं। उन्हें जामुन न मिलने की पीड़ा व्यथित करती है। ऐसे लोग लाश पर बैठकर भी रोटियाँ खा सकते हैं।
(iv) दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था?
उत्तरः
दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए आसान इसलिए था क्योंकि वे देश-विदेश के बारे में विभिन्न बातें पहले से ही जानते थे। वे भारत के पुराणों और महाकाव्यों को पढ़कर भारत के नगरों से परिचित हो चुके थे। तीर्थ-यात्राएँ करके देश के चारों कोनों से परिचित हो चुके थे। अनेक सैनिकों ने विश्व-युद्ध के दौरान विदेशों में जाकर युद्ध किया था और विदेशी नौकरियाँ की थीं। किसान तीसरे दशक में छाई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से भी परिचित थे।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए [3 + 2 = 5]
(i) रेजाणी पानी की क्या विशेषता है? इस शब्द का प्रयोग किसलिए किया जाता है?
अथवा
‘मेरा इतना सुख अभी तक कहाँ था’? लेखिका यह क्यों सोचती थी?
उत्तरः
पालर पानी और पाताल पानी के बीच में पानी का तीसरा रूप है-रेजाणी पानी। धरातल के नीचे जाकर पाताल पानी में न मिलकर बीच में ही नमी के रूप में रह जाने वाला पानी रेजाणी पानी कहलाता है। भूमि के अंदर खड़िया पत्थर की सतह के कारण यह पानी पाताल पानी में नहीं मिल पाता। इसी पानी को कुंइयों के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है। पाताल पानी के बीच मिलने वाला पानी अर्थात् वर्षा को मापने के लिए इंच या सेंटीमीटर नहीं, रेजा शब्द का उपयोग होता है। रेजा धरातल में समाई वर्षा को मापता है।
अथवा
तातुश के घर में लेखिका को इतना स्नेह मिला कि वह अपने सारे दुःख भूल गई। तातुश हर समय उसका ख्याल रखते थे। उसे किसी चीज की कमी नहीं होने देते थे। उन्होंने उसे पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया। वह बीमार होती तो वे उसे डॉक्टर को दिखाते। उसके खाने-पीने का ध्यान रखते। तातुश ने लेखिका के तीन बच्चों को एक साथ कर दिया था। उन्होंने बड़े लड़के को काम पर रखवा दिया था। तातुश का इतना स्नेहपूर्ण व्यवहार देखकर ही लेखिका सोचती थी कि ‘मेरा इतना सुख अभी तक कहाँ था’?
(ii) कुंई की खुदाई फावड़े से क्यों नहीं की जाती?
अथवा
तातुश लेखिका को देखकर अक्सर क्या सोचते थे?
उत्तरः
कुंई का व्यास काफी छोटा होता है। सँकरी जगह में फावड़े से खुदाई का काम नहीं किया जा सकता। कुंई का व्यास इतना छोटा होता है कि चेजारों को हाथ फैलाने की जगह भी नहीं मिलती। वे बसौली से धीरे-धीरे मिट्टी की खुदाई करते हैं। जबकि फावड़े से खुदाई करने के लिए कम-से-कम दस हाथ का घेरा चाहिए। इसी कारण फावड़े से कुंई की खुदाई नहीं की जा सकती।
अथवा
तातुश यही सोचते थे कि बेबी ने क्या अपराध किया है जो उसे अकेले बच्चों के साथ जीवन गुजारना पड़ रहा है। उस पर घर का खर्च और लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी आ पड़ी है। उसे निरपराध होकर भी लोगों की बातों का सामना करना पड़ता है। वे सोचते रहते थे कि इतनी सी उम्र में ही इस बेचारी ने अपनी जवानी को बच्चों के नाम कर दिया है।