Students can access the CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 4 with Solutions
Time Allowed: 2 Hours
Ma×imum Marks: 40
सामान्य निर्देश :
- निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए:
- इस प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- इस प्रश्न पत्र में कुल सात प्रश्न पूछे गए हैं। आपको सात प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन [20 अंक]
प्रश्न 1.
निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षको में से किसी एक शीर्षक का चयन कर लगभग 200 शब्दों में एक रचनात्मक लेख लिखिए: (5 × 1 = 5)
(क) चोरों से मुठभेड़
उत्तरः
चोरों से मुठभेड़:
मेरा एक मित्र बडा निडर और बहादुर व्यक्ति है। उसके पास बन्दूक का लाइसेन्स है। सोते समय वह अपनी बन्दूक हमेशा अपने पास रखता है। एक दिन रात के समय मैं उसके साथ उसके घर की छत पर सो रहा था। एकाएक उठते हुए शोर और चीख-पुकार सुनकर हमारी आँख खुल गई। खाट पर बैठकर हमने स्थिति को समझने का प्रयास किया। अचानक देखा कि आवाजें पड़ोस के मकान के भीतर से आ रही थीं। हमें ‘चोर-चोर’ की आवाजें सुनाई दी। साथ ही औरतों और बच्चों की चीख-पुकार और सिसकियाँ भी सुनाई दे रही थीं। हमने सोचने में समय व्यर्थ नहीं किया और बिस्तर से एकदम उठकर हाथों में लट्ठ लेकर पड़ोसियों की सहायता के लिए निकल पड़े। जब हम अपने मकान से सड़क पर आए, तो पाया कि सड़क पर कोई व्यक्ति नही था। हमें देखकर बड़ा दुःख हुआ कि अन्य सभी पड़ोसी अपनी-अपनी छतों पर खडे तमाशा देख रहे थे। वे डरे हुए और बेबस से लग रहे थे। नीचे उतरने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
दो चोर मकान के अंदर घुसे हुए थे। उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था। बाहर से जो चीख-पुकार सुनाई दे रही थी, उससे स्पष्ट था कि भीतर चोरों और मकान के लोगों, के बीच संघर्ष चल रहा है। दरवाजे को बन्द देख हम दोनों एक अन्य मकान की छत पर चढ़कर उस मकान की छत पर कूद गए और ललकारते हुए एकदम चोरों वाले कमरे में पहुंच गए। हमें आया हुआ देखकर चोरों ने भागने का प्रयास किया पर हमने जोर से लठ्ठ उनकी ओर उछाल दिया। लठ्ठ की मार से एक चोर तो वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा और दूसरा भागने का प्रयास करने लगा पर फिर सब लोगों ने मिलकर उसे पकड़ लिया। इस समय तक कुछ लोगों ने पुलिस को खबर कर दी थी। पुलिस बल घटना स्थल पर पहुँच गया और उस चोर को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
(ख) मैं और मेरी नानी
उत्तरः
मैं और मेरी नानी:
नानी वो शब्द है जिसे सुनने मात्र से ही हमारी आँखों में चमक आ जाती है। नानी, जिसे हर चीज का अनुभव होता है क्यूंकि वो हमारी माँ की माँ होती है। माँ सबके लिए खास होती है तो माँ की माँ यानि नानी तो सबकी प्रिय होती है। नानी का रिश्ता किसी के लिए भी जीवन में बहुत खास होता है। बचपन में हमेशा नानी के घर जाने की जिद किया करते थे। और जब छुट्टियाँ होती तो नानी के घर और उनसे मिलने का सोच कर ही बहुत खुश हो जाते। मेरी नानी मुझे उतना ही प्यार करती थीं। उनकी लिखी हुई हर चिट्ठी मेरे लिए खास होती थी और आज भी जब मैं उनकी लिखी हुई चिट्ठी का एक-एक लफ्ज पढ़ती हूँ तो लगता है कि जैसे कल की ही बात है। जब भी नानी के घर जाते मेरे लिए बहुत सारी मेरी मनपसन्द चीजें पहले से ही लाकर रखती।
जिस चीज की मुझे जरूरत होती हमेशा मुझे लेकर देतीं। सब कुछ जान लेती थीं। उनकी जितनी तारीफ करूँ उतनी कम है। जब छुट्टियाँ खत्म होने पर वापिस घर जाना हो तब आँखें नम हो जाती। हमारी प्यारी नानी अब तो इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जहाँ कहीं भी है। मैं यह प्रार्थना करती हूं कि वह हमेशा खुश रहें और मैं जानती हूं कि उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ हैं और नानी को हम बहुत याद करते हैं क्योंकि इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दिल के सच्चे और अच्छे होते हैं जो खुद से ज्यादा दूसरों से प्यार करते हैं और उनमें से एक थीं मेरी प्यारी नानी।
(ग) सैर के दौरान एक अप्रत्याशित घटना
उत्तरः
सैर के दौरान एक अप्रत्याशित घटना:
पिछले वर्ष अगस्त का महीना था। सुबह से ही बादल छाए हुए थे। सुंदर शीतल पवन बह रही थी। ऐसे सुहावने मौसम में मेरा सैर करने का मन हो आया। मैं अपने मित्रों के घर गया और उनसे अपना इरादा बताया । वे भी सहर्ष सैर को तैयार हो गए। हम लोगों ने वृन्दावन की सैर का निर्णय किया । वृन्दावन हमारे गाँव से लगभग आठ किलोमीटर दूर है। इस सुंदर मौसम में हम लोगों ने पैदल जाने का इरादा किया । हम लोग आपस में हँसी-मजाक करते हुए वृन्दावन की ओर चल पड़े। मार्ग के दोनों ओर हरे-भरे खेत लहरा रहे थे। किसान खेतों से खर-पतवार निकालने में व्यक्त थे। कुछ दूरी पर हमें गायों का झुण्ड घास चरते दीख पड़ा । चरवाहा पेड़ की छाया में वंशी पर मधुर धुन बजा रहा था । आसमान अभी तक बादलों से ढका हुआ था। इतनी ही देर में हवा एकदम थम गई।
वातावरण एकदम शांत हो गया। हम सभी चौंक पड़े, क्योंकि अब ऐसा लग रहा था कि भीषण वर्षा होगी। थोड़ी ही देर में पानी की बड़ी-बड़ी बूंदें गिरने लगी और देखते-ही-देखते घनघोर वर्षा होने लगी। बिजली बड़े जोर से कड़क कर समूचे आसमान का फेरा लगाकर गायब हो जाती। हम एकदम सराबोर हो गए। रास्ते में पानी बहने लगा। हमारा आगे बढ़ना अब संभव नहीं दीखता था। अब हवा भी कुछ-कुछ चलने लगी और हमें सर्दी महसूस होने लगी। पेड़ के नीचे हम रुक गए । अब पानी थमने लगा था। बादल हटने शुरू हो गए और धीरे-धीरे धूप निकलने लगी। सड़क का पानी भी बह गया। हम लोग वृन्दावन से केवल दो किलोमीटर दूर थे। वहाँ हमने केवल बांके बिहारीजी के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान् के दर्शन किए और अपने सकुशल लौट आने के लिए उन्हें लाख-लाख धन्यवाद दिया। बाहर निकलकर हमने एक तांगा किया और घर लौट पड़े।
प्रश्न 2.
राजमार्गों पर पथकर की ऊँची दरें होने के बाद भी सड़कों का रखरखाव असंतोषजनक है। इसकी सूचना देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
अथवा
आपके नगर में वन-महोत्सव के अवसर पर लगाए गए वृक्ष उद्यान विभाग के उपेक्षा भरे व्यवहार के कारण सूखते जा रहे हैं। उद्यान विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही के लिए अनुरोध कीजिए। (5)
उत्तरः
मॉडल टॉडन
जयपुर
7 नवंबर 20XX
सेवा में
अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण
जयपुर
विषय- पथकर की ऊँची दरें होने के बाद भी सड़कों के उचित रखरखाव न होने की सूचना देने हेतु पत्र।
महोदय,
नम्र निवेदन है कि हमारे यहाँ शहर की सड़कें तो अच्छी बनी हुई हैं पर राजमार्गों की सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। दुःख की बात तो यह है कि पथकर की ऊँची दरें देने के बाद भी सड़कों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। सड़कों पर कहीं गढ्डे हैं तो कहीं सड़क ऊँची-नीची है। कहीं पर सड़क पर पर्याप्त रोशनी नहीं है तो कहीं उचित दिशा निर्देशकों का अभाव है। इसकी वजह से सड़क पर वाहन चलाते समय दुर्घटना होने का डर रहता है। अभी परसों रात ही एक ट्रक और कार की आमने-सामने भिडंत हो गई थी जिससे कार चालक और ट्रक ड्राईवर की उसी समय दुखद मृत्यु हो गई थी। जब जनता उचित कर का भुगतान करती है तो सड़क व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं होता । राष्ट्रीय राजमार्गों पर तो चौबीस घंटे आवाजाही रहती है। अतः वहाँ की सड़कों की स्थिति तो ज्यादा अच्छी होनी चाहिए। अतः आपसे निवेदन है कि आप इस ओर विशेष ध्यान देंगे और उचित कदम उठाएंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
अथवा
5 अ, मॉडल टाउन
मालवीय नगर
जयपुर
दिनांक: 5 जुलाई 20XX
सेवा में
निदेशक महोदय
उद्यान विभाग
जयपुर।
विषय-वृक्षों के सूखने की सूचना देने हेतु।
महोदय
मैं मॉडल टाउन का निवासी हूँ। यह पत्र मैं आपको विशेष उद्देश्य से लिख रहा हूँ। हमारी कॉलोनी में वन-महोत्सव के अवसर पर वन विभाग की ओर से अनेक वृक्ष लगाए गए थे। हम सब ये जानते हैं कि वृक्ष हमारे और पृथ्वी के अस्तित्व के लिए कितने आवश्यक हैं। इससे हमें शुद्ध प्राणवायु तो मिलती ही है साथ ही वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। पर यदि इन वृक्षों की उपेक्षा होने लगे तो सारे प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं।
जी हां, मैं यही कहना चाहता हूँ कि आपके विभाग ने उस समय तो बड़े ही उत्साह से वृक्ष लगा दिए। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक रहा। पेड़ों को यथासंभव खाद-पानी दिया जाता रहा। इधर कुछ दिनों से इन सब कार्यों की अनदेखी हो रही है। न तो पेड़ों को समय पर पानी ही दिया जा रहा है और न ही उनमें खाद डाली जा रही है। उचित रखरखाव के अभाव में सारे पेड़ सूख रहे हैं। यदि अब भी इस ओर कोई कदम नहीं उठाए गए तो आपके प्रयास विफल हो जाएँगे। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि आप इस ओर ध्यान दे ।
आपकी अत्यंत कृपा होगी।
धन्यवाद।
विनीत
क.ख.ग.
प्रश्न 3.
(क) कहानी और नाटक के मध्य अंतर को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अप्रत्याशित लेखन में किन बातों का ध्यान रखा जाता है? (3)
उत्तरः
कहानी और नाटक दोनों ही गद्य की विधाएँ हैं पर फिर भी समानता होते हुए भी इन दोनों में कुछ अंतर हैं जो निम्नलिखित हैं-
- कहानी एक ऐसी गद्य विधा है जो जीवन के किसी अंक विशेष का मनोरंजक चित्रण करती है जबकि नाटक ऐसी गद्य विधा है जो मंच पर अभिनीत की जाती है।
- कहानी का सीधा संबंध लेखक और पाठकों से होता है जबकि नाटक का सीधा संबंध लेखक, निर्देशक, दर्शक और श्रोता से होता है।
- कहानी कही या पढ़ी जाती है जबकि नाटक मंच पर अभिनीत किया जाता है इसलिए ये दर्शनीय होता है।
- कहानी का विभाजन आरंभ, मध्य और अंत के आधार पर होता है जबकि नाटक दृश्यों में विभाजित होता है।
- कहानी में मंच सज्जा, प्रकाश आदि का कोई महत्व नहीं होता जबकि नाटक मंच पर होता है इसलिए इसके लिए मंच सज्जा, प्रकाश आदि का अत्यंत महत्व होता है।
अथवा
अप्रत्याशित लेखन ऐसा लेखन होता है जिसके लिए कुछ भी पूर्व निर्धारित नहीं किया जा सकता। अतः इस प्रकार के लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए
- जिस विषय पर लिखना है उस विषय का लेखक को संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए |
- विषय पर लिखने से पहले लेखक को उसकी रूपरेखा तैयार करनी चाहिए |
- जिन तथ्यों को लेखन में शामिल किया जाना है उन तथ्यों का विषय से उचित तालमेल होना चाहिए।
- विचार परस्पर संबंधित और एक दूसरे से जुड़े हुए होने चाहिए।
- अप्रत्याशित लेखन में ‘मैं’ शैली का होना आवश्यक है।
- इस प्रकार के लेखन में लेखक को विषय से हटकर अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से लेखन उबाऊ हो जाता है।
- लेखन के अंत में विषय का पूरा सार होना चाहिए।
(ख) रेडियो नाटक की क्या विशेषताएँ होती हैं?
अथवा
नाट्य रूपांतरण की प्रमुख समस्याओं को लिखिए। (2)
उत्तरः
रेडियो नाटक वे होते हैं जो रेडियो से प्रसारित किये जाते हैं इसलिए इनमें ध्वनि का प्रभाव और संवाद का विशेष महत्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- रेडियो में संवाद का महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए पात्रों से संबंधित सभी जानकरियां संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ भी संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- नाटक के कथानक को भी संवाद ही प्रस्तुत करते
- कथा को ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही श्रोताओं को सुनाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही श्रोताओं को संदेश दिया जाता है।
अथवा
नाट्य रूपांतरण की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं
- कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है।
- कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंग के आधार पर नाटकीय प्रस्तुति में परिवर्तित करने में सबसे बड़ी समस्या आती है।
- कहानी में दिए गए सामान को नाटकीय रूप प्रदान करने में समस्या आती है।
- संगीत और प्रकाश की व्यवस्था करने में समस्या आती है।
प्रश्न 4.
(क) ‘गुमसुम होती हारमोनियम की धुन’ पर फीचर लिखिए।
अथवा
‘विलुप्त होती गौरैया’. पर फीचर लिखिए। (3)
उत्तरः
आज समय इतना बदल गया है कि हमें टेबल, हारमोनियम, ढोलक आदि की थाप अब सुनाई ही नहीं देती। एक समय वो था जब टेबल की थाप को सुनकर अनायास ही ‘वाह ताज’ और ढोलक की आवाज पर भजन संध्या और शादी ब्याह के गीत सुनाई देने लगते थे। वीणा के तार, हारमोनियम की मधुर स्वर लहरी आज कही सुनाई ही नहीं देती। लोकगीत, भजन, बॉलीवुड फिल्मों के गानों का हिस्सा होने के बाद भी आज हारमोनियम एक स्वप्न बनकर रह गया है।
पहली सवाक फिल्म में गीत का आधार हारमोनियम ही था। इस फिल्म के गाने ने अपनी ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि और फिल्मों में भी हारमोनियम को शामिल किया जाने लगा। फिल्म पड़ोसन, अपनापन आदि इसके अन्य उदाहरण रहे हैं। एक समय वह भी आया जब ढोलक की संगति के लिए हारमोनियम जरुरी बन गया था। इस प्रकार सभी प्रकार के उत्सवों और सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में यह एक जरुरी साज बन गया था। अनेक फिल्मों के बैकग्राउंड संगीत के लिए हारमोनियम का प्रयोग किया जाने लगा। हारमोनियम ने सिनेमा की दुनिया में अनेक फिल्मों के प्रभाव को उच्च शिखर पर पहुँचाया। अब नए नए और आधुनिक संगीत के उपकरणों की भीड़ में डूबता हुआ हारमोनियम जैसा सधा हुआ उपकरण मानों कहीं खो-सा गया है। आज जरुरत है उसे भीड़ से बाहर निकालकर उसके अस्तित्व को बचाने की।
अथवा
एक समय था जब भोर होने से पहले ही चिड़ियों के चहचहाने से ही हमारी नींद खुलती थी और सवेरा होते ही कई प्रकार की चिड़ियाँ आँगन में मधुर ध्वनि में झंकार करने लगती थीं। इनमें से ही एक प्रमुख पक्षी है छोटी सी चोंच और भूरे पंखों वाली गौरैया। आज इन्सान के सबसे अधिक करीब रहने वाली ये चिड़िया हमारे बीच से कहीं गायब हो गई है। कभी नीम के पेड़ पर फुदकते हुए, कभी दालान में बिछे हुए गेहूँ को अपने मुँह में ले जाते हुए, जमीन पर बिखरे हुए चावल के दाने को अपनी चोंच से ले जाते हुए ये चिड़िया अक्सर ही नजर आ जाती थी। कभी दीवार पर लगे हुए आइने में अपनी शक्ल पर चोंच मारती तो कभी आँगन में बिछायी हुई खाट के चारों ओर झुंड बनाकर घूमना, सब आज गायब होता जा रहा है। अज उसी गौरैया की आमद कम हो गई है। इसने मानव का हर जगह साथ निभाया है। वह जहाँ-जहाँ भी गया गौरैया उसके साथ रही पर आज विज्ञान के विकास ने पर्यावरण के सामने इतनी विषम परिस्थिति ला दी हैं जिसके दुष्प्रभाव से पशु-पक्षी के साथ-साथ मानव भी अछूता नहीं है। अधिक तापमान को यह छोटी-सी चिड़िया सहन नहीं कर पाती। आबादी के बढ़ने के कारण आज वन संपदा नष्ट हो रही है और साथ ही लुप्त हो रही है मानव की सहचरी गौरैया। यदि हम इस ओर ध्यान न देंगे तो यह भी गिद्धों के समान केवल इतिहास के पन्नों या गूगल पर ही नजर आएगी।
(ख) ‘भारत में कृषि के लिए चुनौतियाँ’ पर आलेख लिखिए।
अथवा
‘कक्षा दसवीं की परीक्षा स्थगित’ विषय का समाचार लिखिए।
उत्तरः
(ख) आज जब देश में महँगाई अपने पैर पसारे हुए है तो अधिकांश जनता भुखमरी में अपना जीवन बिता रही है। आने वाले समय में तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है। दिनोंदिन बढ़ने वाला वैश्विक तापमान कृषि क्षमता को लगातार गिराता जा रहा है। देखा जाए तो कृषि के लिए बिजली, पानी और ऊर्जा अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं। तापमान वृद्धि अधिकांश जलाशयों को सुखा रही है और मानव को जल संकट की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। खाद्य सुरक्षा, पानी और बिजली के बीच यह समस्या जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही है। ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले समय में कृषि के लिए बिजली की खपत कहीं ज्यादा बढ़ने वाली है और इस मांग को पूरा करना तो सबसे बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने है। इसका जवाब खोजने के लिए हमें पानी और बिजली के उपयोग को युक्तिसंगत बनाना होगा। इसके लिए भूजल को सिंचाई के काम में लेना होगा पर वह भी तब तक टिकाऊ नहीं है जब तक कि भूजल का संरक्षण नहीं किया जाए। साथ-ही-साथ किसानों को भी बीजों की पारंपरिक परंपरा की ओर आना होगा तभी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
अथवा
नई दिल्ली 2 मार्च 20XX
कल रात सी.बी.एस.ई. के वरिष्ठ सचिव ने संवाददाताओं को जानकारी दी कि आगामी आदेश तक दसवीं बोर्ड की सभी विषयों की परीक्षाएँ स्थगित की जाती हैं। ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण कोरोना वायरस है। इस बीमारी का संक्रमण आज देश के अनेक राज्यों में अपने पाँव पसार चुका है। मुख्यतः यह संक्रमण रोग है इसलिए बोर्ड ने बच्चों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए यह फैसला लिया है कि फिलहाल बोर्ड की परीक्षाएँ स्थगित कर दी जाएँ। सी.बी.एस.ई. से संबद्धित सभी विद्यालयों को इस फैसले से संबंधित नोटिस भेज दिया गया है इसलिए विद्यार्थियों को चिंता न करते हुए तनावमुक्त रहना है और इस बीमारी से बचने के उपाय अपनाने चाहिए।
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 [20 अंक]
प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘तेरे गम का पासे-अदब हैं कुछ दुनिया का खयाल भी हैं सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं, उपरोक्त पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि चुपचाप रोने को क्यों उचित मानता है?
उत्तरः
कवि को अपनी प्रेमिका के गम का पूरा-पूरा ख्याल है। वह अपनी प्रेमिका की भावनाओं का सम्मान करता है परन्तु उसे संसार का भी पूरा ध्यान है। वह नहीं चाहता कि उसके और उसकी प्रेमिका के प्यार को संसार की बदनामी झेलनी पड़े। यदि वह हर जगह अपनी प्रेमिका के द्वारा दिए गए दुख को सबके सामने गाते रहेंगे तो दुनिया उनके प्रेम को बदनाम करेगी। इसलिए वह अपनी इस पीड़ा को अपने हृदय में छिपा लेते हैं और चुपचाप अकेले में रो लेते हैं। आशय यह है कि प्रेमी अपने दुख कोसंसार के सामने प्रकट नहीं करते।
(ख) ‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
लक्ष्मण को मूर्छित देखकर राम भाव-विहवल हो उठते हैं। वे आम व्यक्ति की तरह विलाप करने लगते हैं। वे लक्ष्मण को अपने साथ लाने के निर्णय पर भी पछताते हैं। वे लक्ष्मण के गुणों को याद करके रोते हैं। वे कहते हैं कि पुत्र, नारी, धन, परिवार आदि तो संसार में बार-बार मिल जाते हैं, किन्तु लक्ष्मण जैसा भाई दुबारा नहीं मिल सकता। लक्ष्मण के बिना वे स्वयं को पंख कटे पक्षी के समान असहाय, मणि रहित साँप के समान, तेज रहित तथा सूंड रहित हाथी के समान असक्षम मानते हैं। वे इस चिंता में थे कि अयोध्या में सुमित्रा माँ को क्या जवाब देंगे तथा लोगों का उपहास कैसे सुनेंगे कि पत्नी के लिए भाई को खो दिया।
(ग) तुलसीदास ने अपने युग की जिस दुर्दशा का चित्रण किया है उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तरः
तुलसीदास के युग में लोगों के पास आजीविका के साधन नहीं थे। किसान की खेती चौपट रहती थी। भिखारी को भीख नहीं मिलती थी। दान-पुण्य के कार्य भी बंद हो गए थे। व्यापारियों के व्यापार ठप्प हो गए थे। लोगों को नौकरी नहीं मिल रही थी। सब ओर बेरोजगारी फैली हुई थी। लोगों के पास पेट भरने को भोजन नहीं था । बच्चे भूखे रोते रहते थे और माँ-बाप भोजन की आस लगाए रहते थे। आजीविका के साधन न होने से लोग दुखी थे और चिंता में डूबे हुए थे। दरिद्रता रुपी रावण से सब त्रस्त थे। अपनी निर्धनता को दूर करने का उन्हें कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित चार में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 3 = 9)
(क) डॉ. आंबेडकर ने ‘समता’ को काल्पनिक वस्तु क्यों माना है और फिर इस पर बल देने के क्या कारण होंगे?
उत्तरः
डॉ. आंबेडकर का मानना है कि हर व्यक्ति प्राकृतिक रूप से समान नहीं होता क्योंकि जन्म, सामाजिक स्तर, तथा अपने प्रयत्नों के कारण हर व्यक्ति दूसरे से भिन्न और असमान होता है। अतः मनुष्य-मनुष्य की समानता को प्राकृतिक मानना उचित नहीं है। पूर्ण समता तो एक काल्पनिक स्थिति है पर सबको जीवन में आगे बढ़ने के समान अवसर मिलने चाहिए जिससे सब समरूप हो। किसी भी प्रकार का भेदभाव मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में बाधक होता है इसलिए समानता के अवसर समान होने चाहिए। हमारा समाज इतना विशाल और विवधता लिए हुआ है। अतः यदि व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो सभी व्यक्तियों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिले तो समाज वर्गविहीन और जातिविहीन हो सकता है। इसी कर्ण ‘समता’ को काल्पनिक वस्तु मानने के कारण भी आंबेडकर ने इस पर बल दिया है।
(ख) ‘नमक’ कहानी के संदेश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘नमक’ कहानी यह संदेश देती है कि मानचित्र में बनी लकीरें ज़मीन को तो बाँट सकती हैं पर लोगों के दिलों को नहीं बाँट सकती। ज़मीन का विभाजन होने पर लोगों के आने-जाने पर प्रतिबन्ध लग सकता है। सत्तालोलुप राजनेताओं और कुछ धार्मिक कट्टरपंथियों ने भले ही भारत का विभाजन कर दिया हो पर सामान्य जनता आज भी इसे अपने हृदय से अस्वीकार ही करती है। इसी कारण भारत की सिख बीबी लाहौर से नमक को सौगात के रूप में पाना चाहती हैं। पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी द्वारा दिल्ली को और भारतीय कस्टम अधिकारी द्वारा ढाका को अपना वतन मानना इसी बात का प्रमाण है कि लोग आज भी विभाजन को दिल से स्वीकार नहीं करते।
(ग) क्यों पता नहीं लगता कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और कहा अमृतसर शुरू हुआ?
उत्तरः
लेखक को लाहौर खत्म होने और अमृतसर शुरू होने का पाता इसलिए नहीं लग पाया क्योंकि लाहौर और अमृतसर के लोगों के स्वभाव, व्यवहार रहन-सहन, बातचीत, संस्कार आदि में कोई भी अंतर नहीं दिख रहा था। उनका पहनावा एक जैसा था। भाषा और बोलचाल का तरीका एक जैसा था । एक जैसी थी। उन्हीं गालियों से वे एक-दूसरे का स्वागत-सत्कार और तिरस्कार कर रहे थे। जबकि दोनों अलग-अलग देशों में स्थित हैं तथापि उनके दिलों में कोई अंतर नहीं है।
(घ) आंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र क्या है?
उत्तरः
आंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र भाईचारे का दूसरा नाम है। यह केवल शासन की एक पद्धति नहीं है बल्कि यह सामूहिक जीवनचर्या या जीवन जीने का एक ढंग है। इस प्रकार के समाज में आम लोग सम्मिलित होकर एक दूसरे का सम्मान करते उनके प्रति मन में श्रद्धा के भाव लेकर जीते हैं। आंबेडकर उसे लोकतंत्र कहते हैं जहाँ प्रत्येक व्यक्ति में अबाध संपर्क हो। ऐसे समाज में सभी के हितों में सभी का सहयोग होना चाहिए। सबको सभी की रक्षा के लिए सचेत रहे। संबंधों में कोई बंधन, जड़ता या रूढीबद्धता न होकर गतिशीलता हो। लोग एक-दूसरे के साथ ऐसे मिलतें जैसे दूध और पानी मिल जाते हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 + 2 = 5)
(क) मुअनजोदड़ो और हड़प्पा के बारे में लेखक क्या बताता है?
अथवा
“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला…।” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है? (3)
उत्तरः
मुअनजोदड़ो और हड़प्पा प्राचीन भारत के ही नहीं, दुनिया के दो सबसे पुराने नियोजित शहर माने जाते हैं। ये सिंधु घाटी सभ्यता के परवर्ती यानी परिपक्व दौर के शहर है। खुदाई में और शहर भी मिले हैं। लेकिन मुअनजोदड़ों ताम्र काल के शहरों में सबसे बड़ा है। वह सबसे उत्कृष्ट भी है। व्यापक खुदाई यहीं पर संभव हुई। बड़ी तादाद में इमारतें, सड़कें, धातु-पत्थर की मूर्तियाँ, चाक पर बने चित्रित भांडे, मुहरें, साजोसामान और खिलौने आदि मिले। सभ्यता का अध्ययन संभव हुआ। उधर सैकड़ों मील दूर हड़प्पा के ज्यादातर साक्ष्य रेललाइन बिछने के दौरान विकास की भेंट चढ़ गए।’ मुअनजोदड़ों के बारे में धारणा है कि अपने दौर में वह घाटी की सभ्यता का केंद्र रहा होगा। यानी एक तरह की राजधानी। माना जाता है। कि यह शहर दो सौ हेक्टर क्षेत्र में फैला था। आबादी कोई पचासी हजार थी। जाहिर है, पाँच हजार साल पहले यह आज के ‘महानगर’ की परिभाषा को भी लांघता होगा।
अथवा
हमें लगता है कि अकेलापन ही ऐन फ्रैंक के डायरी लेखन का कारण बना। यद्यपि वह अपने परिवार और वॉन दंपत्ति के साथ अज्ञातवास में दो वर्षों तक रही लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। पीटर यद्यपि उससे प्यार करता है लेकिन केवल दोस्त की तरह। जबकि हर किसी की शारीरिक जरूरतें होती हैं लेकिन पीटर उसकी इस जरूरत को नहीं समझ सका। माता-पिता और बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरता से नहीं समझी। शायद इसी कारण वह डायरी लिखने लगी।
(ख) खुदाई के दौरान मुअनजोदड़ों से क्या-क्या मिला?
अथवा
संवाद-योजना की दृष्टि से ऐन की डायरी सफल एवं सार्थक रही है, सिद्ध कीजिए। (2)
उत्तरः
मुअनजोदड़ो से निकली वस्तुओं की पंजीकृत संख्या पचास हजार है। अहम चीजें तो आज कराची, लाहौर, दिल्ली और लंदन में रखी हुई हैं। मुठ्ठीभर चीजें यहाँ के अजायबघर में रखी हुई हैं जिनमें गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य यंत्र, चाक पर बने बड़े-बड़े मिट्टी के मटके, चौपड़ की गोटियाँ, दीये, माप तौल के पत्थर, ताँबे का शीशा, मिट्टी की बैलगाड़ी, दो पाटों वाली चक्की, मिट्टी के कंगन, मनकों वाले पत्थर के हार प्रमुख हैं। इस प्रकार खुदाई के दौरान बहुत-सी वस्तुएँ मिलीं जिनमें कुछ तो संग्रहालयों में चली गई और बाकी बची चोरी हो गई।
अथवा
यद्यपि डायरी में संवाद-योजना नहीं होती । लेखक या लेखिका केवल आत्मपूरक शैली में घटनाओं का क्रम से वर्णन करते हैं। लेकिन ऐन की इस डायरी की संवाद-योजना अनूठी है। 19 मार्च, 1943 को लिखी चिट्टी में उसने संवाद-योजना का प्रयोग किया है। जब हिटलर घायल सैनिकों से बातचीत कर रहे थे और हालचाल जान रहे थे तब संवाद-योजना का प्रयोग किया गया। प्रस्तुत है इस संवाद-योजना का एक उदाहरण “मेरा नाम हैनरिक शापेल हैं।” “आप कहाँ जख्मी हुए थे?” “स्नालिनग्राद के पास ।’ ‘किस किस्म का घाव है यह?” “दोनों पाँव बर्फ की वजह से गल गए हैं और बाएँ बाजू में हड्डी टूट गई है। इस प्रकार इस डायरी की संक्षिप्त संवाद-योजना स्वभाविक एवं सार्थक बन पड़ी है।