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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 7 with Solutions

Time Allowed: 2 Hours
Ma×imum Marks: 40

सामान्य निर्देश :

  • निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए:
  • इस प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • इस प्रश्न पत्र में कुल सात प्रश्न पूछे गए हैं। आपको सात प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन [20 अंक]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षको में से किसी एक शीर्षक का चयन कर लगभग 200 शब्दों में एक रचनात्मक लेख लिखिए: (5 × 1 = 5)
(क) समाचार पत्र : ज्ञान का भंडार
उत्तरः
समाचार पत्र : ज्ञान का भंडार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने आसपास, समाज और देश विदेश की जानकारी के लिए उसके मन में निरंतर जिज्ञासा बनी रहती है। उसकी यह जिज्ञासा शांत करने का सबसे सस्ता और सर्वसुलभ साधन है-समाचार पत्र। समाचार पत्र में छपी हुई खबरें चित्रों के साथ प्रकाशित होती हैं, जो सबको आकर्षक लगती हैं। सुबह होते ही समाचार पत्र वितरक इन्हें सबके घरों तक पहुंचाते है। लोगों की तो सुबह इनसे ही आरंभ होती है। कई लोग तो सुबह की चाय भी इसके साथ ही लेते हैं, कुछ लोगों की तो आँखें ही इन्हें पढ़कर खुलती हैं। यह एक ऐसा साधन है जो सबको बड़ी ही सरलता से प्राप्त हो जाता है। लाखों लोगों को तो इनसे ही रोजगार मिलता है। कुछ लोगों की तो जीविका ही इनसे चलती है।

समाचार पत्र भी अनेक प्रकार के होते हैं-प्रतिदिन छपने वाले समाचार पत्र दैनिक, सप्ताह में एक बार छपने वाले साप्ताहिक, पन्द्रह दिन में एक बार छपने वाले पाक्षिक, माह में एक बार छपने वाले मासिक समाचार पत्र कहलाते हैं। कुछ स्थानों पर तो सुबह और शाम को अलग-अलग समाचार पत्र छापे जाने लगे हैं। समाचार पत्र हमें देश दुनिया के समाचारों के साथ-साथ खेल जगत, मौसम, बाजार संबंधी, फिल्मी दुनिया की खबरें भी देते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें बच्चों से संबंधित कहानियाँ और अन्य मनोरंजक खबरें भी मिलती हैं, विज्ञापन के द्वारा हमें विभिन्न वस्तुओं की भी जानकारी मिलती है। अतः इन्हें ज्ञान का भंडार कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा।

(ख) समय की मांग : संयुक्त परिवार
उत्तरः
समय की मांग : संयुक्त परिवार
समय निरंतर परिवर्तनशील है। आदि काल से अब तक हर दिशा में अनेक परिवर्तन हुए हैं। संयुक्त परिवारों के स्थान पर अब एकल परिवार आ गए हैं। ग्रामीणों का अच्छी नौकरी की चाह में शहरों की ओर पलायन, उच्च शिक्षा की चाहत, विदशों में बसने की चाह आदि के कारण संयुक्त परिवार विघटित होकर एकल परिवारों में बंट चुके हैं। दिनोंदिन इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इन एकल परिवारों में बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा में बड़ी कठिनाई आती है। जहाँ माता और पिता दोनों ही नौकरीपेशा हों वहाँ या तो बच्चे आया के भरोसे पलते हैं या छोटी सी उम्र में ही क्रेच में पलने को विवश होते हैं। पहले यही काम संयुक्त परिवारों में दादी, ताई, बुआ और चाची के नेतृत्व में इतनी आसानी से हो जाता था कि बच्चे कब बड़े हो जाते थे इसका पता ही नहीं लग पाता था। इसके अतिरिक्त बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, बड़ों के प्रति सम्मान और छोटों के प्रति प्यार और सहयोग की भावना का विकास करने में भी संयुक्त परिवार अहम भूमिका निभाते थे।

संयुक्त परिवारों के बुजुर्गों की हर आवश्यकता का ध्यान रखने के लिए घर के बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी आगे रहते थे। एक-दूसरे के सुख-दुःख को बाँटना, आपस में हँसी-मजाक करना तो संयुक्त परिवारों का जैसे अनिवार्य अंग ही बना हुआ था। इससे लोग स्वस्थ रहते थे। आज एकल परिवारों के चलते हँसी-मजाक का वो माहौल तो जैसे गायब ही हो गया है। जहाँ संयुक्त परिवारों में व्यक्ति को एकाकीपन का एहसास ही नहीं होता था वही एकल परिवारों में तो व्यक्ति के पास एकाकी रहने के अलावा कोई अन्य रास्ता भी नहीं है। आज बच्चे दिशाहीन होते जा रहे हैं, लोग स्वार्थी हो गए हैं, सामाजिक संबंधों का स्थान अब स्वार्थ ने ले लिया है, अतः वर्तमान समय को देखते हुए संयुक्त परिवार आवश्यक हो गए हैं।

(ग) परनिंदा
उत्तरः
परनिंदा
प्रशंसा और निंदा करना मनुष्य के स्वभाव में है। जो उसे अच्छा लगता है, उसकी प्रशंसा और जो बुरा लगता है, उसकी निंदा, उसके मुँह से निकल ही जाती है। निंदा वह रहस्यमय कार्य-व्यापार है जो समाज से छिपाकर और दिल खोलकर किया जाता है। निंदा रस समाज में सबसे व्यापक रस है। निंदा और प्रशंसा की यदि तुलना की जाए तो प्रशंसा के विषय कम मिलते हैं जबकि निंदा के विषय असंख्य। निंदा करने वाले तो भगवान की निंदा करने से भी पीछे नहीं हटते। भगवान के इस रंगीन जगत से प्रभावित होने वाले बहुत-से होंगे, पर इसे अधूरा बताने वाले दार्शनिकों की भी कमी नहीं है। निंदा करने वाले तटस्थ भाव से निंदा करते हैं और अपने विवेक को ताक पर रख देते हैं। यदि ऐसा नहीं होगा तो अच्छा और आदर्श निंदक भी नहीं बना जा सकता।

अच्छे निंदक बनने का काम भी एक तपस्या है। सबसे पहले यह जानना चाहिए कि जिसकी निंदा की जा रही है और जिसके सामने निंदा की जा रही है, उनके संबंध कैसे हैं, कहीं वह उसका रिश्तेदार तो नहीं। ऐसे मामले में सावधानी से काम लेना चाहिए। निंदा रस मनोरंजन का सबसे सस्ता और उत्तम साधन है। आनंद का इससे अच्छा साधन हो ही नहीं सकता। निंदा करने वाला कभी पछताता नहीं है। अतः निंदा लोकरक्षक और लोकरंजन है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 7 with Solutions

प्रश्न 2.
पुस्तकालय में हिंदी पुस्तकें और पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
अपने विद्यालय में खेल सामग्री मंगवाने हेतु प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रधानाचार्य महोदय
रा. उ. मा. विद्यालय
कानपुर
विषय-पुस्तकालय में हिंदी पुस्तकें और पत्रिकाएँ मँगवाने के सन्दर्भ में।
महोदय
नम्र निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तक-पुस्तिकाएं तो बहुत हैं परंतु हिंदी साहित्य की पुस्तकें पर्याप्त नहीं हैं। इस कारण हमें हिंदी अध्यापिकाओं द्वारा बताई गई प्रसिद्ध साहित्यकारों की हिंदी भाषा की ज्ञानवर्धक और प्रेरणार्थक पुस्तकें नहीं मिल पाती हैं और हम हिंदी के ज्ञानवर्धक साहित्य को पढ़ने से वंचित रह जाते अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि आप हिंदी साहित्य से सम्बंधित प्रेरणास्पद पुस्तकें मँगवाने की व्यवस्था करें। आपकी अत्यंत कृपा होगी।
सधन्यवाद
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
अ.ब.स.

अथवा
प्रधानाचार्य महोदय
रा उ . मा . विद्यालय
कानपुर

दिनांकः 23 जुलाई 20XX
विषय-विद्यालय में खेल सामग्री मंगवाने हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदय
सविनय निवेदन है कि हमारे पास खेलने के लिए मैदान तो है पर विद्यालय में खेलने की पर्याप्त सामग्री का अभाव है। इस कारण हम साधनों के साथ अभ्यास से वंचित रह जाते हैं और प्रदेश स्तर पर अपना भरपूर प्रदर्शन नहीं दे पाते इसलिए विद्यालय के अधिकांश विद्यार्थी निराश हो जाते हैं और दुबारा प्रतियोगिता में नहीं जाते हैं। आपसे करबद्ध निवेदन है कि आप विद्यालय में खेलने की पर्याप्त सामग्री मंगवाने का प्रबंध करें। आपकी अति कृपा होगी। आशा है कि आप इस समस्या को दूर करने का प्रयास करेंगे।
धन्यवाद सहित।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.

प्रश्न 3.
(क) कविता निर्माण में बिंब और छंद के महत्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
एक नाटक के लिए जरुरी होता है उसका कथ्य-इस कथन की पुष्टि कीजिए। (3)
उत्तरः
किसी भी कविता में बिंब और छंद का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इनके द्वारा किसी भी कविता को रोचक और मनोरंजक बनाया जाता है। ये कविता को इंद्रियों से पकड़ने में सहायक होते हैं। हम इंद्रियों के माध्यम से ही बाहरी दुनिया को जानते और समझते हैं। बाह्य संवेदनाएँ ही मन के स्तर पर बिंब के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं कुछ विशेष शब्दों को सुनकर अनायास ही मन के अंदर कौंधने वाले स्मृति चित्र बिंब का निर्माण करते हैं “तट पर बगुलों की वृदधाएँ विधवाएँ जप ध्यान में मगन मंथर धारा में बहता जिनका अदृश्य गति अंतर रोदन”। इसी प्रकार छंद भी कविता का अनिवार्य तत्व है। मुक्त छंद की कविता के लिए अर्थ का निर्वाह आवश्यक होता है। तभी कविता में लयात्मकता आती है। नागार्जुन की कविता ‘बादल को घिरते देखा है’, धूमिल की कविता ‘मोचीराम’ आदि इसके अनूठे उदाहरण हैं। बाबू जी सच कहूँ मेरी निगाह में न कोई छोटा है न कोई बड़ा है, मेरे लिए हर आदमी एक जोड़ी जूता है, जो मेरे सामने मरम्मत के लिए खड़ा है।

अथवा

किसी भी नाटक के लिए उसका कथ्य बहुत आवश्यक होता है। इसके अभाव में नाटक की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक नाटककार को शिल्प और संरचना की पूरी जानकारी और समझ का होना आवश्यक है क्योंकि ऐसा होने पर ही नाटककार किसी कहानी के रूप को किसी शिल्प और संरचना में पिरोने में सफल हो सकता है। नाटक मंच पर मंचित होता है इसलिए उसमें कथ्य अहम भूमिका का निर्वाह करता है। एक नाटककार ही कथ्य के आधार पर घटनाओं, स्थितियों अथवा दृश्यों का चुनाव कर उन्हें उचित कर्म में रखने में सफल होता है। यदि कथ्य ही नहीं होगा तो नाटककार किस प्रकार घटनाओं का चुनाव करेगा। अतः किसी भी नाटक को शून्य से शिखर तक ले जाने में कथ्य का महत्वपूर्ण योगदान है।

(ख) कहानी के संवाद लिखते समय ध्यान देने योग्य बिंदु लिखिए।
अथवा
कविता क्या है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तरः
कहानी में संवाद लिखते समय ध्यान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं

  • कहानी के संवाद पात्रों के स्वभाव और पृष्ठभूमि के अनुकूल हों।
  • संवाद आदर्शों और स्थितियों के अनुकूल होने चाहिए।
  • संवाद छोटे होने चाहिए। वे उद्देश्य के प्रति लक्षित होने चाहिए।
  • संवाद लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे अनावश्यक विस्तार लिए हुए न हों। संवाद जन समूह के मानसिक स्तर के अनुकूल होने चाहिए।

अथवा

कविता मनुष्य की संवेदना के निकट होती है। वह सबके मन को छू लेती है और कभी श्रोता या पाठक के मन को झकझोर देती है। कविता के मूल में संवेदना और राग तत्व होता है यही संवेदना सृष्टि से जुड़ने और उसे अपना बना लेने का बोध कराती है। इसी संवेदना ने डाकू रत्नाकर को वाल्मीकि बना दिया। इसी प्रकार अपनी पत्नी को अधिक प्यार करने वाले कालिदास को जब अपनी ही पत्नी से प्रताड़ना मिली तो अनपढ़ कालिदास भी संस्कृत साहित्य के महाज्ञानी और प्रकांड पंडित बन गए। सुमित्रानंदन पंत जी ने कहा हैवियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान उमड़कर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 7 with Solutions

प्रश्न 4.
(क) स्तम्भ लेखन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
फीचर और समाचार में अंतर बताइए। (3)
उत्तरः
स्तम्भ लेखन विचार पूरक लेखन का एक प्रमुख रूप है। कुछ लेखक अपनी वैचारिक रुझान के लिए प्रसिद्ध होते हैं। उनकी लेखन शैली भी विकसित होती है इसलिए इस प्रकार के लेखकों की लोकप्रियता को देखते हुए इन्हें समाचार पत्र में एक नियमित स्तम्भ लिखने की जिम्मेदारी दी जाती है। यहाँ लेखक को अपने लेखन के विषय को चुनने और उसमें अपने विचार व्यक्त करने की पूरी छूट होती है। इसमें लेखक के अपने विचार व्यक्त होते हैं। इन स्तंभों की लोकप्रियता इनके लेखकों के नाम से ही होती है। कुछ स्तम्भ तो इतने लोकप्रिय हो जाते हैं कि समाचार पत्र इन्हीं स्तम्भों के नाम से जाने जाते हैं। इनकी एक कमी यह होती है कि इनमें केवल प्रसिद्ध लेखकों को ही स्थान मिलता है नए लेखकों को नहीं।

अथवा

समाचार में रिपोर्टर अपने विचार डालने में स्वतंत्र होते हैं जबकि फीचर लेखन में लेखक अपनी राय, दृष्टिकोण और अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र होता है। फीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत नहीं कराता है। समाचार की भाषा अपेक्षाकृत सरल नहीं होती जबकि फीचर की भाषा काफी हद तक कथात्मक होती है। समाचारों में शब्दों की सीमा निर्धारित होती है जबकि फीचर में ऐसा नहीं होता। सामान्यतः अखबारों में छपने वाले फीचर 250 से 2000 शब्दों के होते हैं। समाचार उलटे पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं जबकि फीचर के लिए कोई निश्चित ढाँचा नहीं होता है। फीचर में फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि का होना आवश्यक होता है जबकि समाचार में ऐसा नहीं होता।

(ख) विशेष लेखन में ‘डेस्क’ को समझाइए।
अथवा
वैकल्पिक पत्रकारिता को समझाइए। (2)
उत्तरः
विशेष लेखन का अर्थ होता है-सामान्य लेखन से हटकर लिखना। अधिकतर समाचार पत्र के अतिरिक्त टी.वी और रेडियो चैनल में विशेष लेखन के लिए जो अलग से स्थान होता है, उसे ‘डेस्क’ कहा जाता है। इस डेस्क में काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग-अलग होता है। समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों में व्यापार, कारोबार और खेल की खबरों के लिए अलग – अलग डेस्क निर्धारित होती है। इन सभी डेस्कों पर काम करने वाले उपसंपादक और संवाददाता संबंधित विषय या क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं।

अथवा

मुख्य धारा के विपरीत जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने सामने लाकर उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है, उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। सामान्य तौर पर इस तरह के मीडिया को सरकार और बड़ी पूँजी का समर्थन प्राप्त नहीं होता और न ही उसे बड़ी कम्पनियों का विज्ञापन प्राप्त होता है। यह अपने पाठकों के सहयोग पर निर्भर होता है।

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 [20 अंक]

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) क्या तुलसी युगीन समस्याएँ वर्तमान समाज में भी विद्यमान हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तरः
आज से लगभग 500 वर्ष पुर्व तुलसी ने जो भी कहा था, वह आज के समाज में भी प्रासंगिक है। उन्होंने तत्कालीन समाज में समय की मूल्यहीनता, नारी की सामाजिक स्थिति और समाज में आर्थिक दुरावस्था का चित्रण किया है। ये समस्याएँ आज भी विद्यमान हैं। लोग अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लोए आज भी अनैतिक कृत्य करते हैं। नारी के प्रति नकारात्मक सोच आज भी विद्यमान है। नारी की स्थिति में आज कुछ बदलाव तो आए हैं पर आज भी वह सुरक्षित नहीं है। भ्रूण हत्या, नारी का शोषण आज भी होता है। जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव आज भी विद्यमान है। हाँ व्यापार जगत, कृषि जगत, शिक्षा जगत, वाणिज्य जगत और रोजगार आदि के क्षेत्र में आज बदलाव आए हैं जो सुखद हैं पर फिर भी तुलसी युगीन समस्याएँ आज भी समाज में विद्यमान

(ख) भोर के नभ को ‘सिख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा क्यों दी गई है?
उत्तरः
भोर के समय ओस होती है इसलिए आकाश नमी से भरा हुआ होता है। नमी के कारण वह धुंधला दिखाई देने लगता है। राख से लीपे हुए चौके का रंग भी मटमैला होता है और नमीयुक्त होता है। भोर के नभ और राख से लीपे हुए चौके में यह समानता होती है कि दोनों का रंग एक जैसा होता है। चौके को लीपे जाने पर वह स्वच्छ हो जाता है। ठीक इसी प्रकार भोर के समय नभ भी पवित्र और स्वच्छ होता है इसलिए भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा दी गई है।

(ग) फिराक की गजल वियोग श्रृंगार से संबंधित है-उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
फिराक की ग़ज़ल प्रेम के वियोग पक्ष से संबंधित हैं। वियोग में प्रेमी अपनी प्रेमिका की याद में रोता है। उसकी आँखें आँसुओं से छलकती हैं। इस ग़ज़ल में यही विरह-वेदना व्यक्त हुई है। जैसेतेरे गम का पासे-अदब है कुछ दुनिया का ख्याल भी सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो लेते हैं। अपने ग़ज़ल के शेरों की चमक का कारण भी फ़िराक अपने आँसुओं को ही मानते हैं। वे कहते हैंआबो-ताब अशआर न पूछो तुम बी आँखें रक्खो हो ये जगमग बेंतों की दमक है या हम मोती रोते हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित चार में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 3 = 9)
(क) आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
इस पंक्ति में लेखक ने अमावस्या की काली रात की विभीषका का भयानक चित्रण किया है। महामारी के कारण गाँव में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसी स्थिति में यदि कोई तारा इसे देखकर भावुक हो जाता है तो वह आकाश से टूटकर अपनी रोशनी से गाँव वालों को प्रकाश देने के लिए आता है तो उसकी चमक और शक्ति रास्ते में ही समाप्त हो जाती है। तारे धरती से बहुत दूर हैं। भावुक तारे की असफलता पर सभी तारे खिलखिलाकर हँसने लगते हैं। इस प्रकार जो स्थिर तारे हैं वे तो चमकते हुए लगते हैं और टूटे हुए तारे का वजूद समाप्त हो जाता

(ख) सिख बीवी के प्रति सफिया के आकर्षण के कारण को ‘नमक’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
जब सफिया ने सिख बीवी को देखा, तो वह हैरान रह गई। बीवी का वैसा ही चेहरा था, जैसा सफ़िया की माँ का था। बिलकुल वही कद, वही भारी शरीर, वही छोटी चमकदार छोटी-आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगा रही थी। चेहरा खुली किताब जैसा था। बीवी ने वैसा ही सफ़ेद मलमल का दुपट्टा ओढ़ रखा था, जैसा सफिया की अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थीं, इसीलिए सफिया बीवी की तरफ बार-बार बड़े प्यार से देखने लगी। उसकी माँ तो बरसों पहले मर चुकी थीं, पर यह कौन? उसकी माँ जैसी हैं, इतनी समानता कैसे है? यही सोचकर सफिया उनके प्रति आकर्षित हुई।

(ग) एक पिता के रूप में लुट्टन सिंह कैसा था?
उत्तरः
लुट्टन सिंह एक योग्य और दायित्वपूर्ण पिता था । अपने बच्चों का लालन-पालन उसने बड़ी ही सावधानी से किया था। उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। अतः बच्चों को पालने का पूरा दायित्व उसका ही था। अपने बच्चों को उसने न केवल पहलवानी के गुर सिखाए बल्कि सामाजिकता निभाना भी सिखाया। बच्चों के महामारी के ग्रस्त होने पर उसने उन्हें हर तरह से उत्साहित किया। उन्हें बीमारी से लड़ने का हौसला दिया। वह कभी रोया नहीं और न ही उसने रो-धोकर अपनी कमजोरी दिखाई। अपने बच्चों की मृत्यु होने पर भी उसने बड़े ही सम्मान के साथ उन्हें कन्धों पर सवार करके नदी में विसर्जित किया।

(घ) आदर्श समाज की स्थापना में डॉ. आंबेडकर के विचारों की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तरः
आदर्श समाज की स्थापना के लिए डॉ. आंबेडकर ने जन्मजात समानता का विचार दिया है। वे चाहते हैं कि श्रम का विभाजन जन्म और जाति पर न होकर रुचि के अनुसार होना चाहिए । हम इस विचार से पूरी तरह सहमत हैं। अभी तो कुछ लोग जन्म से ही स्वयं को ऊँचा मानते हैं और कुछ लोग स्वयं को नीचा मानते हैं। इससे जाति-प्रथा बढ़ती है और समाज में असामनता बढ़ती है। यदि सबको अपनी रुचि के अनुसार काम चुनने का अवसर मिलेगा तो उन्हें सबके बराबर का सम्मान मिलेगा। ऐसा समाज ही सुखी और संतुष्ट होगा।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 7 with Solutions

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 + 2 = 5)
(क) मुअनजोदड़ो के कृषि उत्पादों और उद्योगों के विषय में विस्तार से बताइए।
अथवा
मुअनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त जानकारियों के आधार पर सिंधु सभ्यता की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तरः
विद्वानों का मानना है कि मुअनजोदड़ो में ज्वार, बाजरा और रागी की खेती होती थी। यहाँ लोग खजूर, खरबूजे और अंगूर की खेती करते थे, झाड़ियों से बेर एकत्रित करते थे और कपास की खेती भी करते थे। केवल कपास के बीज छोड़कर बाकी सबके बीज यहाँ मिले हैं, उन्हें परखा भी गया है। कपास के बीजों के स्थान पर यहाँ सूती कपड़ा मिला है, जो कपास की खेती होने का बहुत बड़ा प्रमाण है। ये संसार के प्रमुख दो सूती नमूनों में से एक है। मुअनजोदड़ो में सूत की कताई, रंगाई और बुनाई भी होती थी। रंगाई का एक छोटा कारखाना खुदाई में माधोराम वत्स को मिला था। सुमेर से यहाँ आयत कार्य होता था। शयद सूत उन्हें ही निर्यात होता था। इसके बाद सिंध से मध्य एशिया और यूरोप को सदियों तक हुआ था। मेसोपोटामिया के शिलालेखों में मुअनजोदड़ो के लिए संभावित ‘मेलुहा’ शब्द का उल्लेख हुआ है।

अथवा

मुअनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त जानकारियों के आधार पर सिंधु सभ्यता की विशेषताएँ निम्नलिखित

  • सिंधु सभ्यता के नगरों की सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं और वे खुली और स्वच्छ थी।
  • सामूहिक स्नानागार भी यहाँ मिले हैं।
  • पानी की निकासी के लिए यहाँ नालियाँ बनी हुई थी, जो ढकी हुई और पक्की थीं।
  • यहाँ खेती और व्यापार भी होता था।
  • मुहरों पर उत्कीर्ण कलाकृतियों और सुघड़ अक्षरों से उनकी कलात्मकता का ज्ञान होता है।
  • नगर में अनाज भण्डारण गृह की व्यवस्था थी।

(ख) ‘डायरी के पन्ने’ के आधार पर बताइए कि इस डायरी में ऐन के निजी जीवन का भी चित्रण हुआ
अथवा
हिटलर और सैनिकों की बातचीत का मुख्य विषय क्या होता था?
उत्तरः
इस डायरी में ऐन ने न केवल यहूदियों और नाजियों के बारे में लिखा है बल्कि अपना निजी जीवन भी प्रस्तुत किया है। ऐन को समझने वाला, उसकी तकलीफों को जानने वाला कोई मित्र उसे अपने जीवन में नहीं मिला। पीटर का प्यार केवल दोस्ती तक ही सीमित रहा। वह कभी ऐन की जरूरतों को नहीं समझ पाया। ऐन अपनी इच्छाओं और अपेक्षाओं के साथ अकेली ही जीती रही इसलिए उसने अपनी पीढ़ाओं का वर्णन अपनी डायरी में किया है।

अथवा

रेडियो पर प्रसारित हिटलर और उसके सैनिकों की बातचीत का मुख्य विषय होता था युद्ध में घायल हुए सैनिकों का हाल-चाल पूछना। हिटलर घायल सैनिकों से उनका हालचाल पूछते थे। वे उनके युद्ध स्थल का नाम और घायल होने का कारण पूछते थे। उत्तर में घायल सैनिक बड़े उत्साह से अपना नाम, घायल होने का स्थान और घायल होने का कारण बताते थे। अपनी वीरगाथा को वे बड़े गर्व और उत्साह से बताया करते थे।