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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Term 2 Set 9 with Solutions

Time Allowed: 2 Hours
Ma×imum Marks: 40

सामान्य निर्देश :

  • निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए:
  • इस प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • इस प्रश्न पत्र में कुल सात प्रश्न पूछे गए हैं। आपको सात प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।

कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन [20 अंक]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित दिए गए तीन शीर्षको में से किसी एक शीर्षक का चयन कर लगभग 200 शब्दों में एक रचनात्मक लेख लिखिए : (5 × 1 = 5)
(क) संयम ही सदाचार है
उत्तरः
संयम ही सदाचार है
‘संयम’ का शाब्दिक अर्थ है-उचित नियंत्रण । जो व्यक्ति उचित आचरण करता है, वह संयमी कहलाता है। दूसरे अर्थों में अच्छे आचरण वाले को सदाचारी कहा जाता है। अब ऐसा नहीं होता कि सदाचारी मनुष्य का मन चंचल न हो या उसके मन में कोई कल्पना नहीं हो अथवा उसने वैराग्य ले लिया हो, बल्कि मन सदाचारी का भी भटकता है पर वह अपने मन की उचित इच्छा का आदर करता है और अनुचित इच्छा का निरादर करता है, तभी वह संयमी कहलाता है। सच्चे अर्थों में यही सनीति भी है और इसी सनीति को नैतिकता कहा जाता है।

नैतिकता का एकमात्र अर्थ है समाज की दृष्टि में जो उचित आचरण है उसे अपनाया जाए और जो अनुचित आचरण है उसका बहिष्कार किया जाए। प्रायः अहिंसा, प्रेम, शांति, सहयोग, मित्रता, ईमानदारी, निष्पक्षता आदि गुणों को सदाचार के अंतर्गत रखा जाता है। इसके विपरीत हिंसा, घृणा, असहयोग, लोभ, पक्षपात आदि दुर्गुण हमेशा से ही सदाचार के विरोधी रहे हैं। इन्हें अपनाने वाला मनुष्य कभी भी संसार में न तो किसी का मान पाने योग्य होता है और न ही अपना ही कोई काम सफलतापूर्वक कर पाता है। अतः सदाचारी बनने के लिए यह आवश्यक है कि इन दुर्गुणों का त्याग कर अच्छे मार्ग पर चला जाए।

(ख) समय मूल्यवान है
उत्तरः
संयम मूल्यवान है
यह कथन अक्षरशः सत्य है कि समय मूल्यवान होता है। समय में वह शक्ति होती है जो पल भर में राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। दिन के उजाले में अयोध्या के राजा बनने वाले श्रीराम को भी रात-ही रात में समय ने वनवासी बना दिया। हमें समय एक बार ही मिलता है अतः उसका प्रयोग उसी पल कर लेना चाहिए नहीं तो पछताने के अलावा कुछ नहीं रह जाता, सही कहा गया है कि-‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत ।’ समय पर अपना काम न करने वाला मनुष्य वास्तव में अपने अमूल्य समय को तो नष्ट करता ही है साथ ही वह अपने विकास में भी बाधक बन जाता है। समय निरंतर गतिशील है, यह किसी के लिए नहीं रुकता। अतः इसे जानते हुए इसका उचित उपयोग करना चाहिए।

जो मनुष्य समय का सम्मान करता है वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेता है। यदि विद्यार्थी समय का उचित प्रयोग करें तो उन्हें सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। इसी प्रकार यदि कार्यालय के सभी कर्मी समय से अपना काम करेंगे सभी कार्य सुविधा से संपन्न होते चले जाएँगे। गाँधी जी समय के पाबंद थे, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद, जैसी महान विभूतियाँ समय के पाबंद होने के कारण ही उन्नति के शिखर को प्राप्त करते चले गए। मनुष्य के साथ-साथ सृष्टि भी समय की पाबंद है। यदि वह एक दिन धुरी पर घूमना भूल जाए तो धरती पर महाविनाश हो सकता है। अतः समय को नष्ट करने वाला मनुष्य अपने विनाश का स्वयं कारण बनता है।

(ग) बालश्रम : टूटता बचपन
उत्तरः
बालश्रम : टूटता बचपन
बालश्रम आज के समय की सबसे संगीन समस्या है। कोई भी बच्चा कभी भी अपनी सहमति से मजदूर नहीं बनता, बल्कि उसकी मजबूरी उससे यह काम करवाती है। हमारे देश में निर्धनों का अनुपात अधिक है। उनमें से भी कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें पीने को पानी भी नसीब नहीं होता। किसी के माँ-बाप निर्धन हैं तो कोई अनाथ है। उन्हें अपना पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है। हालाँकि इस प्रकार के बच्चों के पालन-पोषण का दायित्व सरकार का है और कानून भी बाल श्रम की अनुमति नहीं देता पर देश के पास इतने साधनों का अभाव है कि वह इन सबके रहने-खाने और पहनने की व्यवस्था करे। हमारे देश की बढ़ती हुई आबादी इसके लिए पूर्णतया जिम्मेदार है। अनेक लोग जैसे-तैसे मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं। बच्चों का भूखा पेट ही

उनसे मजदूरी करवाता है। देश में इसे कैसे रोका जाए, इसके लिए कोई भी ठोस समाधान नहीं है। केवल कानून बनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने वाली सरकार को हर बच्चे को हथोड़े के स्थान पर किताब और पेंसिल पकड़ानी होगी और इनकी रोटी का जिम्मा स्वयं लेना होगा, तभी हम इसे देश से बालश्रम दूर करने में सफल होंगे अन्यथा ये घुन की तरह हमारे देश की उन्नति में बाधक ही बनी रहेगी। बच्चे देश का भविष्य होते हैं पर यदि देश का भविष्य ही भूखा-नंगा रहकर सड़क पर सोता है तो ऐसे देश की भविष्य की तस्वीर तो हमारे सामने ही है। अतः इस समस्या का पूर्णतया निदान आवश्यक है।

प्रश्न 2.
खाद्य वस्तुओं में मिलावट के बारे में अपने शहर के किसी स्थानीय समाचारपत्र के मुख्य संपादक को पत्र लिखिए।
अथवा
आपका मित्र बीमारी के कारण परीक्षा नहीं दे पाया, वह निराश है। उसका हौसला बढ़ाते हुए उसे पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः
परीक्षा भवन
जयपुर
दिनांक: 2 जून 20XX
टाइम्स ऑफ इंडिया
इंडिया गेट
दिल्ली
विषय-खाद्य वस्तुओं में मिलावट की जानकारी देने हेतु पत्र।

महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र का नियमित पाठक रहा हूँ। इस समाचार-पत्र के माध्यम से मैं खाद्य अधिकारियों और सरकार का ध्यान वर्तमान में खाद्य वस्तुओं में होने वाली मिलावट के प्रति आकर्षित करना चाहता हूँ। थोक विक्रेता और दुकानदार अपने लाभ के लिए हर वस्तु में मिलावट कर रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। दाल, चावल, आटा यहाँ तक कि दूध में भी शुद्धता नहीं है। धनिया में लकड़ी का बुरादा मिलाया जा रहा है तो हल्दी में घटिया पीला रंग। मजे की बात तो यह है कि इन सब व्यापारियों को खाद्य विभाग की ओर से लाइसेंस भी मिला हुआ है। यह सब सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। या तो सरकार को कुछ पता ही नहीं चल पा रहा या वो जानबूझकर अनजान है।

आपसे करबद्ध निवेदन है कि आप मेरे इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देकर जनता को जागरूक तथा सरकार को सचेत करने का प्रयास करेंगे।
भवदीय
अ.ब.सजय

अथवा

145, उज्जवल भवन
जयपुर
दिनांक: 2 जून 20XX
प्रिय मित्र
सस्नेह नमस्ते
आज तुम्हारे पिताजी के पत्र द्वारा ज्ञात हुआ कि तुम्हें डेंगू हो गया था और तुम अस्पताल में भर्ती थे। पत्र पढ़कर ज्ञात हुआ कि इस कारण तुम वार्षिक परीक्षा नहीं दे पाए। इसमें निराश होने की कोई बात नहीं है मित्र। ये सब तो किस्मत की बात है। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे लिए एक वर्ष बहुत मायने रखता है पर बीमारी कभी पूछ कर नहीं आती। तुम इतने निराश न हो क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम अगले वर्ष अधिक परिश्रम के साथ परीक्षा की तैयारी करोगे और सफल होगे। मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं। आदरणीय चाचाजी और चाचीजी को मेरा प्रणाम |
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क.ख.ग.

प्रश्न 3.
(क) शब्द को नाटक का महत्वपूर्ण अंग क्यों माना गया है ?
अथवा
नाटक की कोई चार विशेषताएँ लिखिए। (3)
उत्तरः
वैसे तो शब्द साहित्य की सभी विधाओं के लिए आवश्यक तत्व है पर नाटक और कविता के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाटक के संसार में शब्द अपनी एक नई, निजी और अलग अस्मिता रखता है। नाट्यशास्त्र में वाचिक अर्थात बोले जाने वाले शब्द को नाटक का शरीर कहा गया है। कहानी और उपन्यास शब्दों के माध्यम से किसी स्थिति, वातावरण या कथानक का वर्णन करते हैं या अधिक से अधिक उसका चित्रण कर पाते हैं। यही कारण है कि इसे वर्णित या नरैटिव विधा कहा जाता है। नाटकों में शब्द अभिनय को जीवंत बना देते हैं। नाटककार के लिए यह जरुरी होता है कि वह ऐसी सांकेतिक और संक्षिप्त भाषा का प्रयोग करे जो अधिक क्रियात्मक हो और उन शब्दों में दृश्य बनाने की भरपूर क्षमता हो और वह अपने शाब्दिक अर्थ से ज्यादा व्यंजना की ओर ले जाए।

अथवा

नाटक की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • नाटक ही एक ऐसी विधा है जो वर्तमान काल में घटित होती है भले ही उसकी कहानी भूतकाल या भविष्यत् काल से संबंधित हो पर उसे वर्तमान काल में ही घटित होना पड़ता है।
  • नाटककार को पहले घटनाओं का चुनाव करना पड़ता है और फिर उन्हें एक निश्चित क्रम में रखना होता है।
  • एक अच्छा नाटक वही होता है जो कथा को आपसी बहस-मुबाहिसों से आगे बढ़ाए।
  • एक अच्छे नाटक में लिखे गए या बोले गए शब्दों से अधिक ध्वनित करने की शक्ति होनी चाहिए।
  • नाटक और रंगमंच जैसी विधा का सृजन मूलतः अस्वीकार के भीतर से ही होता है।

(ख) कहानी के बुनियादी तत्वों में द्वंद्व का क्या महत्व है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तरः
कहानी के बुनियादी तत्वों में द्वंद्व का बहुत महत्व है। द्वंद्व ही कथानक को आगे बढ़ाने में सहायक होता है। उदाहरण के तौर पर अगर दो व्यक्ति किसी बात पर सहमत हैं तो उनके बीच कोई द्वंद्व ही नहीं होगा और बात यहीं समाप्त हो जाएगी पर यदि असहमति का भाव होगा तो बातचीत सरलता से आगे बढ़ती जाएगी। किसी भी कहानी में द्वंद्व दो विरोधी तत्वों का टकराव या किसी की खोज में आने वाली बाधाओं, अंतर्दवंद्वों आदि के कारण होता है। कहानीकार कथानक में द्वंद्व के बिंदुओं को जितना स्पष्ट रखेगा कहानी भी उतनी ही सफलता से आगे बढ़ती जाएगी।

अथवा

कहानी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • कहानी का केन्द्रीय बिंदु कथानक होता है।
  • कहानी को रोचक और प्रामाणिक बनाने के लिए देशकाल, वातावरण और स्थान का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • लेखक पात्रों के बारे में खुद न बोलकर उनके क्रियाकलापों और संवादों के माध्यम से चरित्र को सशक्त बनाता है।
  • द्वंद्व कथानक को आगे बढ़ाता है।

प्रश्न 4.
(क) फीचर लेखन को समझाते हुए इसके नेता और निष्कर्ष पर प्रकाश डालिए।
अथवा
फीचर लेखन संबंधित मुख्य बातों पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
‘जब कोई लेखक सूचना या समाचार को इस सजीव और रोचक तरीके से प्रस्तुत करता है कि उसका चेहरा पूरी तरह उभर आए, तो उसे फीचर कहते हैं। इसमें कथा शैली, पात्र-योजना, मार्मिकता तथा शैली की रोचकता की विशेष भूमिका होती है। फीचर लेखन का मुख्य कार्य पात्रों के द्वारा घटना का प्रस्तुतीकरण है। इसकी शैली आकर्षक होनी चाहिए ताकि एक पाठक इसे पूर्ण तन्मयता और एकाग्रता के साथ रुचि लेकर पढ़ सके।

जिस प्रकार भाषा शैली फीचर लेखन के लिए आवश्यक है उसी प्रकार नेता और निष्कर्ष भी इसके आवश्यक तत्व नेता-वह बिंदु जिसके आगे-पीछे पूरी घटना चलती है, नेता कहलाती है। यह महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है क्योंकि इसी के द्वारा फीचर लेखन अन्य लेखन से अलग होता है। निष्कर्ष-समापन की भूमिका इसी के द्वारा निभाई जाती है। इसमें घटना से जुड़े प्रसंगों, प्रश्नों व विचार की कल्पना की जाती है। पूरा लेख पढ़कर लेखक अपने विचार इसमें प्रकट करता है।

अथवा

फीचर लेखन संबंधित मुख्य बातें निम्नलिखित हैं

  • सजीव बनाने के लिए फीचर में विषय से जुड़े हुए कुछ लोगों की उपस्थिति जरुरी होती है।
  • कहानी के विभिन्न पहलुओं को उन पात्रों के माध्यम से बताना चाहिए।
  • कहानी को बताने का अंदाज ऐसा हो कि पाठक यह अनुभव करे कि वह स्वयं उसे देख और सुन रहा है।
  • फीचर मनोरंजक होने के साथ-साथ सूचनात्मक भी होना चाहिए। फीचर शोध रिपोर्ट नहीं है अतः इससे तथ्यों, सूचनाओं और विचारों पर आधारित कथात्मक विवरण और विश्लेषण होना चाहिए।
  • इसे किसी बैठक या सभा की कार्यवाही रिपोर्ट की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए।
  • फीचर किसी न किसी थीम पर आधारित होना चाहिए और उससे संबंधित सभी विचार आपस में सहसंबन्धित होने चाहिए।
  • फीचर कहीं से भी आरंभ किया जा सकता है क्योंकि इसका कोई निश्चित ढांचा नहीं होता।
  • इसका प्रारम्भ, मध्य और अंत आपस में बंधे हुए होने चाहिए।

(ख) संवाददाता के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करते हुए संपादक के कार्य बताइए।
अथवा
आलेख की परिभाषा देते हुए उसके किन्हीं दो गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
संवाददाता का प्रमुख कार्य होता है विभिन्न स्थानों से खबरें लाना। संपादक संवाददाताओं और रिपोर्टरों द्वारा विभिन्न स्थानों से लाई गई समाचार सामग्री की सभी अशुद्धियों को दूर कर उसे त्रुटिहीन और प्रस्तुतीकरण योग्य बनाते हैं। वे अधिक महत्वपूर्ण तथ्यों और घटनाओं को पहले और कम महत्वपूर्ण घटनाओं को बाद में छापते हैं। ऐसा करते समय उन्हें समाचार-पत्र की नीति, आचार-संहिता और जन-कल्याण का विशेष ध्यान रखना होता है।

अथवा
समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं में संपादकीय पृष्ठ पर समसामयिक घटनाओं से संबंधित जो लेख छपे हुए होते हैं उन्हें ही आलेख कहते हैं। आलेख में निम्नलिखित गुण होने चाहिए।

  • अच्छे आलेख में सूचनाओं का होना अनिवार्य होता है जिसमें नवीनता एवं ताजगी हो ।
  • विचारों में स्पष्टता तथा भाषा में सरलता, बोधगम्यता तथा रोचकता होनी चाहिए।

पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 तथा अनुपूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2 [20 अंक]

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘शमशेर की कविता गाँव की सुबह का जीवंत चित्रण है। पुष्टि कीजिए।
उत्तरः
कवि ने गाँव की सुबह का सुंदर चित्रण करने के लिए गतिशील बिंब-योजना की है। भर के समय आकाश नीले शंख की तरह पवित्र लगता है। उसे राख से लिपे चौके के समान बताया गया है जो सुबह की नमी के कारण गीला लगता है। फिर वह लाल केसर से धोए हुए सिल-सा लगता है। कवि दूसरी उपमा स्लेट पर लाल खड़िया मलने से देता है। ये सारे उपमान ग्रामीण परिवेश से संबंधित हैं। आकाश के नीलेपन में जब सूर्य प्रकट होता है तो ऐसा लगता है जैसे नीले जल में किसी युवती का गोरा शरीर झिलमिला रहा है। सूर्य के उदय होते ही उषा का जादू समाप्त हो जाता है। ये सभी दृश्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनमें गतिशीलता है।

(ख) इश्क की फितरत को शायर ने क्या बताया है? खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?
उत्तरः
शायर ने बताया है कि इश्क की फितरत से व्यक्ति को कुछ प्राप्त नहीं होता। वह जितना भी पाता है उतना ही गँवा भी देता है इसलिए इश्क में कुछ पा लेना संभव ही नहीं है। आज तक किसी ने भी इश्क में कुछ नहीं पाया केवल खोया ही है और अपना चैन गँवाया है। परदा खोलने से आशय है-अपने बारे में बताना। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की निंदा करता है या बुराई करता है। तो वह स्वयं की बुराई कर रहा है। इसीलिए शायर ने कहा कि मेरा परदा खोलने वाले अपना परदा खोल रहे हैं।

(ग) स्त्री के प्रति तुलसी युग का दृष्टिकोण कैसा था?
उत्तरः
तुलसी का युग स्त्रियों के लिए बहुत कष्टदायी था। स्त्रियाँ प्रताड़ित होती थी। लोग स्त्री का घोर अपमान करते थे। पैसों के लिए वे बेटी तक को बेच देते थे। इस काल में स्त्रियों का हर प्रकार से शोषण होता था। नारी के बारे में लोगों की धारणा संकुचित थी। नारी केवल भागे की वस्तु थी। इसी कारण उसकी दशा दयनीय थी। वह शोषण की चक्की में पिसती जा रही थी। उसके समर्थन में बोलने वाला कोई नहीं था। शारीरिक और मानसिक रूप से उसे प्रताड़ित किया जाता था।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 3 = 9)
(क) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी वर्तमान में आधुनिकता के साथ-साथ व्यवस्था के बदलने और लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने को रेखांकित करती है। तत्कालीन राजा कुश्ती के शौकीन थे परन्तु उनकी मृत्यु के बाद विलायत से शिक्षा प्राप्त कर लौटे उनके पुत्रों ने सत्ता संभाली। अब एक नई व्यवस्था जन्म ले चुकी थी। राजकुमारों ने मनोरंजन के साधन में कुश्ती के स्थान पर घुड़दौड़ को शामिल कर लिया। पुराने संबंध समाप्त कर दिए गए। पहलवानी जैसा लोककला को समाप्त कर दिया गया। यह भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने का प्रतीक है। यह व्यवस्था लोक-कलाकार को भूखा मरने पर मजबूर कर देती है।

(ख) ‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भवनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। आज के संदर्भ में स्थिति बदल गई है। वस्तुतः विभाजन के समय की पीढ़ी आज लगभग समाप्त हो गई है। अब उनका स्थान उस पीढ़ी ने ले लिया है जो इसी देश में जन्मी, पली व बड़ी हुई है। उनका अपने पिता या दादा के जन्म-स्थान से लगाव नहीं के बराबर हैं। उनके जेहन में विभाजन की कड़वी यादें भी नहीं हैं। अतः अब दोनों देशों के लागों के बीच भावनात्मक लगाव पहले की तुलना में काफी घट गया है। इसके बावजूद सांस्कृतिक स्तर पर दोनों देशों की एकता को बनाने के लिए प्रयास किए जाते हैं।

(ग) लेखक ने जाति-प्रथा की किन-किन बुराइयों का वर्णन किया हैं?
उत्तरः
लेखक ने जाति-प्रथा की निम्नलिखित बुराइयों का वर्णन किया है

  • यह श्रमिक-विभाजन भी करती है।
  • यह श्रमिकों में ऊँच-नीच का स्तर तय करती
  • यह जन्म के आधार पर पेशा या व्यवसाय तय करती है।
  • यह मनुष्य को सदैव एक ही व्यवसाय में बाँध देती है। भले ही वह पेशा उसके लिए अनुपयुक्त व अपर्याप्त हो।
  • यह मनुष्य को सदैव एक ही व्यवसाय में बाँध देती है भले ही वह पेशा उसके लिए अनुपयुक्त व अपर्याप्त हो।
  • यह संकट के समय पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती, चाहे व्यक्ति भूखा मर जाए ।
  • जाति-प्रथा के कारण थोपे गए व्यवसाय में व्यक्ति रुचि नहीं लेता।

(घ) पंजाबी पहलवानों की जमायत चाँद सिंह की आँखें क्यों पोंछ रही थी? राजा साहब ने लुट्टन सिंह को किसलिए अपने दरबार में रख लिया?
उत्तरः
पंजाब से आया पहलवान चाँद सिंह ‘शेर के बच्चे’ की उपाधि लिए हुए था। उसे लुट्टन सिंह ने सबके सामने चित्त कर दिया था। इस कारण वह बहुत दुखी था। उसी के साथ उसके पंजाबी पहलवान साथी भी बहुत दुखी थे। वे सब मिलकर चाँद सिंह को सांत्वना दे रहे थे। राजा साहब ने लुट्टन सिंह को अपने दरबार में इसलिए रख लिया क्योंकि उसने ‘शेर के बच्चे’ चाँद सिंह को धूल चटाई थी। इस प्रकार उसने सर्वश्रेष्ठ पहलवान बनकर अपनी मिट्टी की लाज बचाई थी। राजा साहब पहलवानों के प्रशंसक थे। अतः उन्होंने लुट्टन सिंह को अपने दरबार में रख लिया।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (3 + 2 = 5)
(क) मोहनजोदड़ो में पर्यटक क्या-क्या देख सकतें हैं? अतीत में दबे पांव के आधार पर लिखिए।
अथवा
अपने मददगारों के बारे में ऐन क्या बताती हैं?
उत्तरः
मोहन जोदड़ो में पर्यटक निम्नलिखित चीजें देख सकते हैं

  • बौद्धस्तूप-मोहन जोदड़ो में सब से ऊँचे चबूतरे पर बड़ा बौद्धस्तूप है। यह मोहन जोदड़ो के बिखरने के बाद बना था यह 25 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और उसमें भिक्षुओं के रहने के कमरे भी बने हुए हैं।
  • स्नानागार-यहां पर 40 फुटलंबा और 25 फुटचौड़ा कुंड बना हुआ है। यह 7 फुट गहराहै। उन पर रामकुंड के उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियां उतरती हैं। उत्तर में स्नानागार एक ही पंक्ति में है। इसमें एकतरफ तीन कक्ष है।
  • अजायबघर-यहां का अजायब छोटा ही है। यहाँ काला पड़ गया गेंहू, तांबे और कांसे के बर्तन, चौक पर बने विशाल मृदंग दीये, एक आईना और दो पाटन वाली चक्की आदि रखें हैं।

अथवा

अपने मददगारों के बारे में ऐन बताती हैं कि ये लोग जान जोखिम में डालकर दूसरों के लिए काम करते हैं। ऐन को आशा है कि हमारे मददगार हमें सुरक्षित स्थान तक ले जाएँगे। वे बताती है कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि हम उनके लिए मुसीबत हैं। वे रोज़ ऊपर आते हैं, पुरुषों से कारोबार और राजनीति की बात करते हैं, महिलाओं से खाने और युद्ध के समय की मुश्किलों की बाट करते हैं, बच्चों से किताबों और अख़बारों की बात करते हैं। वे हमेशा खुशदिल रहने की कोशिश करते हैं, जन्मदिनों और दूसरे मौकों पर फूल और उपहार लाते हैं। हमेशा हर संभव सहायता करते हैं। हमें यह बता कभी नहीं भूलनी चाहिए। ऐसे में जब दूसरे लोग जर्मनों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी दिख रहे हैं, हमारे मददगार रोजाना अपनी बेहतरीन भावनाओं और प्यार से हमारा दिल जीत रहे हैं।

(ख) ऐन को डायरी लिखने की जरूरत क्यों महसूस हुई? वे इस डायरी के द्वारा क्या कहना चाहती
अथवा
मुअनजोदड़ो की सभ्यता में मानव-मानव की समानता पर अधिक बल था-सिद्ध कीजिए। (2)
उत्तरः
ऐन चाहती थी कि लोग नाजियों के अत्याचारों के बारे में विस्तार से जानें । कही और सुनी हुई बातों का न तो लोगों पर ज्यादा प्रभाव ही पड़ता है आर न ही यह प्रभाव स्थाई रहता है इसलिए उन्होंने इन बातों को लिखने का मन बनाया। उन्होंने लिखा है कि मैं सही बता रही हूं कि युद्ध के साल बाद भी लोग इसे पढ़कर कितना चकित होंगे जब उन्हें पता लगेगा कि यहूदियों को अज्ञात वास में क्यों रहना पड़ाद्य यहूदियों पर कितने जुल्म हुए यह सब बातें बताने के लिए ही शायद ऐन ने डायरी लिखने की जरूरत महसूस की होगी।

अथवा

मानव-मानव की समानता में वहाँ अंतर होता है जहाँ राजतन्त्र होता है और राजा अत्याचारी होता है। बड़े-बड़े राजा-महाराजा ही मनमानी का जीवन जीते हैं और अपनी प्रजा पर अत्याचार करके सुख-सुविधा का उपभोग करते हैं। वे ही हथियारों का जखीरा खड़ा करते हैं और अपनी प्रसिद्धि के लिए बड़े-बड़े भवन बनवाते हैं। मुअनजोदड़ो की सभ्यता में हमें न तो किसी बड़े महल या स्मारक के अवशेष मिलते हैं और न ही हथियारों के चित्र । इससे पता चलता है कि वह सभ्यता समानता पर आधारित थी।