CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2 are part of CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Here we have given CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2
Board | CBSE |
Class | IX |
Subject | Hindi A |
Sample Paper Set | Paper 2 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैंक, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खंड {क} अपठित बोध [15 अंक]
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ढूंस दिया गया है और जो आत्मसात् (ग्रहण) हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप उपरोक्त विचार आत्मसात् कर उनके अनुसार अपने जीवन एवं चरित्र का निर्माण कर लेते हैं, तो आप पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण। अंततोगत्वा दोनों अनुशासन के ही भिन्न रूप हैं। शिक्षा ग्रहण करने के लिए कठोर अनुशासन की आवश्यकता है। अनुशासन भाषण से नहीं, आचरण से आता है। ‘लक्ष्य अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक है। यदि शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी ऊँचे लक्ष्य को अपने मन में ठान लें, तो अनुशासन दास बनकर उसका अनुगमन करेगा।
(क) ‘शिक्षा’ शब्द से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(ख) शिक्षा ग्रहण करने के लिए किसकी आवश्यकता पड़ती है?
(ग) शिक्षा किसके बिना अधूरी है तथा अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक क्या है?
(घ) ‘आजन्म’ में कौन-सा समास है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
नहीं, ये मेरे देश की आँखें नहीं हैं।
पुते गालों के ऊपर नकली भवों के नीचे
छाया प्यार के छलावे बिछाती
मुख से उठाती हुई मुस्कान मुस्कुराती
ये आँखें नहीं, ये मेरे देश की नहीं हैं। …………
तनाव से झुर्रियों पड़ी कोरों की दरार से
शरारे छोड़ती घृणा से सिकुड़ी पुतलियाँ
नहीं, ये मेरे देश की आँखें नहीं हैं ………..
वन डालियों के बीच से चौंकी अनपहचानी
कभी झाँकती हैं वे आँखें, मेरे देश की आँखें,
(क) प्रस्तुत काव्यांश के केंद्रीय भाव को अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) कवि किस प्रकार की आँखों को अपने देश की आँखें नहीं मानता?
(ग) पुते गालों एवं नकली भवों से कवि का क्या आशय है?
(घ) कवि किन आँखों को अपने देश की आँखें मानता है?
(ङ) ‘अमावस’ (अमावस्या) का विलोम शब्द लिखिए।
खंड {ख} व्याकरण [ 15 अंक ]
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) प्रतिहिंसा’ शब्द में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए।
(ख) ‘अभि’ उपसर्ग लगाकर दो शब्द बनाइए।
(ग) ‘ढक्कन’ शब्द में से प्रत्यय और मूल शब्द अलग कीजिए।
(घ) “नी’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द बनाइए।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए
(क) विषधर
(ख) आमरण
(ग) पंचवटी
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) तुम फोटो का महत्त्व समझते हो। (निषेधवाचक वाक्य में बदलिए)
(ख) महादेवी तुम कविता लिखती हो। (प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए)
(ग) यह नाना की पुत्री मैना है। (विस्मयवाचक वाक्य में बदलिए)
(घ) यह विधुर पति था। (संदेहवाचक वाक्य में बदलिए)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताइए।
(क) “जेते तुम तारे, तेते नभ में तारे हैं
(ख) क्षितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी
(ग) नदी ठिठकी, घूघट सरके।
(घ) मैं जिन रोदन में राग लिए फिरता हूँ, शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ
खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [ 30 अंक ]
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
वहाँ छात्रावास के एक कमरे में हम चार छात्राएँ रहती थीं। उनमें पहली ही साथिन सुभद्रा कुमारी मिलीं। सातवें दर्जे में वे मुझसे दो साल सीनियर थीं। वे कविता लिखती थीं और मैं भी बचपन से तुक मिलाती आई थी। बचपन में माँ लिखती थीं, पद भी गाती थीं। मीरा के पद विशेष रूप से गाती थीं। सवेरे ‘जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले’ यही सुना जाता था। प्रभाती गाती थीं। शाम को मीरा का कोई पद गाती थीं। सुन-सुनकर मैंने भी ब्रजभाषा में लिखना आरंभ किया। यहाँ आकर देखा कि सुभद्रा कुमारी जी खड़ी बोली में लिखती थीं। मैं भी वैसा ही लिखने लगी, लेकिन सुभद्रा जी बड़ी थीं, प्रतिष्ठित हो चुकी थीं। उनसे छिपा-छिपाकर लिखती थी मैं।
(क) लेखिका अपनी माता के कविता लेखन और गायन से विशेष रूप से प्रभावित हुईं।
(ख) महादेवी जी सुभद्रा कुमारी चौहान से प्रेरित होकर क्या करने लगीं?
(ग) महादेवी किससे छिपकर कविता लिखती थीं और क्यों?
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
(क) “साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सालिम अली ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किस रूप में अपनी भूमिका निभाई?
(ख) गया के घर से भाग आने पर हीरा और मोती का कैसा स्वागत हुआ और क्यों? पाठ ‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर बताइए।
(ग) सर टामस ‘हे’ द्वारा मैना पर दया-भाव दिखाने के क्या कारण थे? ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ पाठ के आधार पर अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(घ) तिब्बत में पहाड़ का सर्वोच्च स्थान कौन-सा है तथा इसे किस प्रकार सजाया गया था? ल्हासा की ओर’ पाठ के आधार पर बताइए। |
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
क्यों हुक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा? मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखी?
कोकिल बोलो तो!
(क) कोयल कब नहीं कूकती तथा कवि को उसका कूकना पागलपन क्यों लग रहा है?
(ख) कोयल के कूकने पर कवि को क्या आभास हुआ?
(ग) कवि को किसको स्वर वेदना से भरा लग रही है?
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए
(क) साखियाँ एवं सबद’ पाठ के आधार पर बताइए कि कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
(ख) कवयित्री (ललद्यद) की दृष्टि में परमात्मा प्राप्ति के मार्ग में कौन-कौन-सी बाधाएँ आती हैं। पाठ ‘वाख’ के आधार पर बताइए।
(ग) चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में कवि द्वारा “प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है’- पंक्ति का प्रयोग किसके लिए किया गया है और क्यों?
(घ) कवि के अनुसार आज प्रत्येक दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है? ‘यमराज की दिशा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 11.
रीढ़ की हड्डी पाठ में’ गोपाल प्रसाद किस प्रकार की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है तथा कैसे? आप एक संवेदनशील नवयुवक होने के नाते उनके विचार का किस प्रकार विरोध करोगे? लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
कार्य के प्रति सच्ची लगन एवं दृढ़ निश्चय किस प्रकार के गुण हैं? ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
खंड {घ} लेखन [ 20 अंक ]
प्रश्न 12.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए
(क) लोकतंत्र और समाचार-पत्र
संकेत बिंदू
- लोकतंत्र का अर्थ
- लोकतंत्र में विभिन्न क्षेत्रों की भूमिका
- समाचार-पत्र : लोकतंत्र का प्रमुख स्तंभ
- उपसंहार
प्रश्न 13.
आपके क्षेत्र में सफाई कर्मचारी ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा है। अपने क्षेत्र में गंदगी एवं बीमारी फैलने की सूचना देते हुए नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
अथवा
छात्रावास में रहने वाली अपनी छोटी बहन को फैशन की ओर अधिक रुझान न रख, ध्यानपूर्वक पढ़ाई करने की सीख देते हुए पत्र लिखिए।
प्रश्न 14.
एक फल विक्रेता के साथ राजेश बनकर उससे होने वाले संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
दो दोस्तों के मध्य अपनी पहली रेल यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।
जवाब
उत्तर 1.
(क) ‘शिक्षा’ शब्द से लेखक का अभिप्राय अच्छे विचारों को आत्मसात् करना और उन्हें अपने आचरण में ढालने से है। मात्र विविध जानकारियों को मस्तिष्क में भरना शिक्षा नहीं है। जब हम उन विचारों को अपने आचरण में आत्मसात् करते हैं, तब वह शिक्षा कहलाती है।
(ख) शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमें कठोर अनुशासन की आवश्यकता पड़ती है। अनुशासन भाषण से नहीं आता, बल्कि आचरण से आता है। कठोर अनुशासन ही शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है।
(ग) शिक्षा और आचरण का अन्योन्याश्रित संबंध है। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण। ‘लक्ष्य’ अनुशासन को सबसे बड़ा प्रेरक है। यदि शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी ऊँचे लक्ष्य को अपने मन में ठान लें, तो अनुशासन दास बनकर उसका अनुगमन करेगा।
(घ) आजन्म अर्थात् जन्म से लेकर, अव्ययीभाव समास। क्योंकि ‘आजन्म का पूर्वपद (आ) अव्यय है इसलिए यहाँ अव्ययीभाव समास है।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘शिक्षा और आचरण’ होगा।
उत्तर 2.
(क) प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि वर्तमान समय में शहरी लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आ गया है। वे तनावग्रस्त रहते हुए, अन्य लोगों से घृणा करते हैं तथा
खेतों के पार मेड़ की लीक धरे,
क्षिति-रेखा खींचती सूनी कभी ताकती है।
वे आँखें डालिया हाथ से छोड़ा
और उड़ी धूल बादल के
बीच में से मलमलाते झलकते।
जाड़ों की अमावस में से
मैले चाँद चेहरे सकुचाते
में टकी थकी पलकें उठाईं।
और कितने काल-सागरों के
पार तैर आई मेरे देश की आँखें
छल आदि करते हैं। ये मेरे देश की आँखें नहीं हैं’ अर्थात् कवि ऐसे लोगों को अपने देश की आँखें नहीं मानता, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बसे लोगों को उनके सच्चे स्वभाव व देश की मिट्टी से जुड़े रहने के कारण अपने देश की आँखें मानता है।
(ख) कवि तनाव से झुर्रियाँ पड़ीं, दरारें पड़ीं एवं घृणा से भरी, प्यार का दिखावा करती, किंतु अंदर-ही-अंदर घृणा के भाव युक्त आँखों को अपने देश की आँखें नहीं मानता है।
(ग) पुते गालों एवं नकली भवों से कवि का आशय दिखावा एवं बनावटीपन से है।
(घ) कवि उन आँखों को अपने देश की आँखें मानता है, जिनमें ग्रामीण जन-जीवन की सहजता है।
(ङ) ‘अमावस’ (अमावस्या) का विलोम शब्द ‘पूर्णिमा’ है।
उत्तर 3.
(क) उपसर्ग-प्रति, मूल शब्द-हिंसा
(ख) अभिशाप, अभिमान
(ग) मूल शब्द-ढक प्रत्यय-अन
(घ) ओढ़नी, चाँदनी
उत्तर 4.
समास विग्रह। समास का नाम
(क) विष को धारण करने वाला अर्थात् शिव (शिव) बहुव्रीहि समास
यहाँ दोनों पदों के माध्यम से एक विशेष (तीसरे) अर्थ (शिव) का बोध हो रहा है, इसलिए यहाँ बहुव्रीहि समास है।
(ख) मरने तक अव्ययीभाव समास
यहाँ पूर्वपद (आ) अव्यय है, इसलिए यहाँ अव्ययीभाव समास है।
(ग) पाँच वटों (बरगदों) का समूह द्विगु तत्पुरुष समास
यहाँ पूर्वपद संख्यावाचक (पाँच) है, इसलिए यहाँ द्विगु समास है।
उत्तर 5.
(क) तुम फोटो का महत्त्व नहीं समझते हो।
(ख) महादेवी, क्या तुम कविता लिखती हो?
(ग) ओह! यह नाना की पुत्री मैना है।
(घ) शायद यह विधुर पति था।
उत्तर 6.
(क) यमक अलंकार यहाँ ‘तारे’ शब्द दो बार आया है। प्रथम का अर्थ ‘तारण करना’ या ‘उद्धार करना है और द्वितीय ‘तारे’ का अर्थ ‘तारागण’ है, अत: यहाँ यमक अलंकार है।
(ख) रूपक अलंकार यहाँ क्षितिज’ को अटारी के रूपक तथा ‘दामिनी दमकी’ को बिजली के चमकने के रूपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
(ग) मानवीकरण अलंकार यहाँ ‘नदी’ को स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है, अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
(घ) विरोधाभास अलंकार यहाँ ‘रोदन में राग’ और ‘शीतल वाणी में आग विरुद्धों की स्थिति है। इसलिए यहाँ विरोधाभास अलंकार है।
उत्तर 7.
(क) लेखिका अपनी माता के कविता लेखन और गायन से विशेष रूप से प्रभावित हुईं। अपनी माता से प्रेरित होकर उन्होंने भी ब्रजभाषा में कविता लेखन करना आरंभ कर दिया था।
(ख) सुभद्रा कुमारी चौहान का महादेवी वर्मा पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। महादेवी जी पहले ब्रजभाषा में कविता लिखती थीं, परंतु सुभद्रा कुमारी चौहान से प्रेरित होकर उन्होंने खड़ी बोली में कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था।
(ग) महादेवी जी सुभद्रा कुमारी चौहान से छिपकर कविता लिखती थीं, क्योंकि सुभद्रा जी उनसे बड़ी थीं और प्रतिष्ठित हो चुकी थीं।
उत्तर 8.
(क) सालिम अली ने आजीवन पक्षियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अध्ययन और शोध कार्य किया। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिलकर केरल की ‘साइलेंट वैली’ के पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हिमालय और लद्दाख की बर्फीली ज़मीनों पर रहने वाले पक्षियों की सुरक्षा के लिए भी कार्य किया।
(ख) हीरा-मोती गया के घर से भागकर सीधे अपने स्थान पर (झूरी के घर) आए। झूरी ने हीरा और मोती को अपने स्थान पर खड़ा देखकर दोनों को गले लगा लिया। गाँव के लड़के तालियाँ बजाकर उनका अभिनंदन करने लगे। कोई उनके लिए रोटियाँ, तो कोई गुड़ और कोई चोकर-भूसी लाया, क्योंकि झूरी एवं गाँव वाले हीरा और मोती की सीधी, सरल तथा सहनशील प्रकृति से प्रेम करते थे।
(ग) सर टामस ‘हे’ द्वारा मैना पर दया-भाव दिखाने के निम्न कारण थे
(i) सर टामस ‘हे’ को मैना एक अबोध और निर्दोष बालिका लगी।
(ii) मैना ने सर टामस ‘हे’ को बताया कि वह उनकी पुत्री ‘मेरी’ की सहचरी है और मेरी’ की मृत्यु से उसे बहुत दुःख हुआ था। उसके पास ‘मेरी’ का लिखा पत्र आज तक सुरक्षित रखा हुआ है। आप मुझे भी ‘मेरी’ की तरह प्यार करते थे। यह सुनकर सर टामस ‘हे’ को लगा कि उन्हें मैना की सहायता करनी चाहिए।
(घ) तिब्बत में पहाड़ का सर्वोच्च स्थान डाँड़े है तथा समुद्र तल से 17-18 हज़ार फीट ऊँचे डाँडे के दक्षिण की पूर्व से पश्चिम की ओर हिमालय के हजारों श्वेत शिखर थे। टीले के आकार-सा ऊँचा स्थान अर्थात् भीटे की ओर दिखने वाले पहाड़ वन विहीन थे। वहाँ सर्वोच्च स्थान पर डाँडे के देवता का स्थान था, जिसे पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया था। चूंकि यह देवता का स्थान था, इसलिए इसे अच्छी तरह सजाया जाता था।
उत्तर 9.
(क) सामान्यतया कोयल रात में नहीं कूकती असमय आधी रात को कूकना कवि को उसका पागलपन लग रहा है, क्योंकि इस समय सभी लोग गहरी निद्रा में सो रहे हैं।
(ख) कोयल के अर्द्ध-रात्रि में कूकने से कवि को यह आभास हुआ कि स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखकर कोयल का हृदय भी भर उठा होगा। इसलिए वह दुःख और वेदना के कारण अर्द्ध रात्रि में कूक रही है।
(ग) कवि को कोयले का स्वर वेदना से भरा लग रहा है।
उत्तर 10.
(क) कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश, तीर्थ, व्रत, कर्मकांड, योग-वैराग का खंडन किया है। कवि का विश्वास है कि इस प्रकार की प्रचलित मान्यताओं से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है।
(ख) कवयित्री की दृष्टि में परमात्मा प्राप्ति के मार्ग में मनुष्य का नश्वर शरीर, सांसारिक भोग एवं अहंकार सबसे बड़ी बाधाएँ हैं। ये तीनों इंसान को संसार में अशांति बढ़ाने वाले और परमात्मा के मार्ग से भटकाने वाले हैं।
(ग) चंद्र गहना से लौटती बेर कविता में प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है” पंक्ति का प्रयोग कवि ने प्रकृति के लिए किया है। नगरीय संस्कृति की अपेक्षा प्रकृति के प्रेम की भूमि अधिक उपजाऊ है, क्योंकि उसके हृदय में अमीर-गरीब, ऊँच-नीच प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति के लिए एकसमान स्थान है। वह किसी के बीच कोई अंतर नहीं करती।
(घ) कवि को बचपन में उसकी माँ ने दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोने का परामर्श दिया था, क्योंकि दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा है और उस ओर पैर करके सोने से यमराज क्रुद्ध हो जाते हैं, परंतु आज कवि को समाज में चारों ओर मृत्यु, भय, अशांति, असुरक्षा का वातावरण प्रतीत हो रहा है। इसलिए कवि को लगता है कि केवल दक्षिण दिशा ही नहीं, बल्कि प्रत्येक दिशा दक्षिण दिशा हो गई है।
उत्तर 11.
प्रस्तुत पाठ में गोपाल प्रसाद रूढ़िवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, जो पढ़ी-लिखी स्त्री को घृणा की नज़र से देखता है। उसे लगता है कि पढ़-लिखकर सफल होना पुरुषों का ही काम है। महिलाओं के पढ़ने-लिखने से गृहस्थी नष्ट हो जाती है और उनके स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है। वहीं उनके लिए लड़की का सुंदर होना अति आवश्यक है।
एक संवेदनशील नवयुवक होने के नाते मैं उनके इन विचारों का विरोध करता हूँ। मेरे विचार से शिक्षा पर सभी का समान अधिकार होता है, फिर वह चाहे स्त्री हो या पुरुष। शिक्षा किसी भी व्यक्ति के सर्वोत्तम विकासके लिए अति आवश्यक है। शिक्षा से पुरुषों का भला हो और स्त्रियों के चरित्र का हनन हो, यह किस प्रकार संभव है? मेरे विचार से शिक्षा स्त्रियों के लिए भी उतनी ही आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है, जितनी पुरुषों के लिए। इसलिए मैं स्त्री-शिक्षा का दृढ़ता से समर्थन करता हूँ और उनके प्रति अपने नैतिक दायित्वों का निर्वाह करने का पूरा प्रयत्न करूंगा। मैं अपने आसपास के लोगों में भी स्त्री-शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करूंगा।
अथवा
कार्य के प्रति सच्ची लगन एवं दृढ़ निश्चय असंभव को भी संभव बना देने वाले गुण हैं। कोई भी कार्य यदि पूरे मन अर्थात् लगन से किया जाए और व्यक्ति उसे पूर्ण करने के प्रति दृढ़ संकल्पित हो, तो वह न केवल उससे पूरा होता है, बल्कि वह कार्य विशिष्ट और ऐतिहासिक रूप से स्मरणीय भी हो जाता है। लगनशील, दृढ़निश्चयी एवं ईमानदार व्यक्ति अपने जीवन में अनेक अविस्मरणीय कार्य करके अपने समाज एवं राष्ट्र का नायक बन जाता है। हमारे अनेक महापुरुषों के जीवन इस बात के साक्षी हैं कि सच्ची लगन एवं दृढ़ निश्चय से ही उन्होंने असंभव कार्यों को संभव बनाया और जीवन में सम्मान प्राप्त किया। उनके मरने के बाद भी हम उन्हें श्रद्धा एवं आदर के साथ याद करते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, विनोबा भावे, डॉ. अंबेडकर आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।
उत्तर 12.
लोकतंत्र का अर्थ लोकतंत्र का अर्थ है-‘लोक का तंत्र’ अर्थात् ‘जनता द्वारा शासन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के शब्दों में-‘लोकतंत्र जनता को, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है।” इस प्रकार लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है, वह अपनी भाग्यविधाता स्वयं होती है; परन्तु सारा जनसमुदाय प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं कर सकता, इसलिए वह एक निश्चित संख्या में अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजता है, जो पारस्परिक सहयोग से देश के लिए हितकारी कानून बनाते हैं।
अतः लोकतंत्र में यह नितांत वांछनीय है कि प्रतिनिधियों का चुनाव बहुत सोच-समझकर उनकी क्षमता के आधार पर किया। जाए। इसके लिए जनता का शिक्षित होना और सच्ची देशभक्ति से संपन्न होना नितांत अपेक्षित है।
लोकतंत्र में विभिन्न क्षेत्रों की भूमिका दुर्भाग्यवश हमारे देश की अधिकांश जनता अशिक्षित अथवा अर्धशिक्षित है, इसलिए उसे लोकतंत्र की आवश्यकताओं की दृष्टि से यथासंभव शिक्षित करना प्राथमिक आवश्यकता है। इसकी पूर्ति संबंधी दायित्व के गुरुतर भार को सर्वाधिक कुशलता से उठाने की क्षमता एकमात्र समाचार-पत्रों में ही है। इसका एक कारण यह भी है कि समाचार-पत्र प्रतिदिन धनी-निर्धन सभी तक पहुँचते हैं। लोकतंत्र में जनता को शिक्षित करने की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका समाचार-पत्रों की है। इस भूमिका पर राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक, इन तीन दृष्टियों से विचार किया जा सकता है। लोकतंत्र में निर्वाचन का सर्वाधिक महत्त्व है, क्योंकि उसी पर अगले चुनाव तक देश का भविष्य निर्भर करता है। समाचार-पत्र विभिन्न राजनीतिक दलों की घोषित नीतियों, उनके द्वारा चुनाव में पार्टी-टिकट पर खड़े किए गए प्रत्याशियों या निर्दलीय रूप में। खड़े व्यक्तियों की योग्यता एवं पृष्ठभूमि का विस्तृत परिचय, चुनाव की प्रणाली एवं प्रक्रिया आदि का विवरण तथा विभिन्न नेताओं और प्रत्याशियों के भाषण आदि देकर जनता को शिक्षित करते हैं। इससे मतदाताओं को योग्य प्रत्याशी के चुनाव में सुविधा होती है। समाचार-पत्रों की सामाजिक भूमिका भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों एवं पाखंडों का भंडाफोड़ कर समाचार-पत्र इन बुराइयों को समाप्त करने की प्रेरणा देकर समाज-सुधार का पथ प्रशस्त करते हैं।
इस प्रकार के विभिन्न प्रकार के अपराधों में संलग्न व्यक्तियों के कारनामे प्रकट कर एक ओर जनता को सावधान करते हैं, तो दूसरी ओर सरकार द्वारा उनकी रोकथाम में भी सहायक सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, शोषण, अनाचार, अत्याचार आदि के विरुद्ध प्रबल जनमत जगाने में समाचार-पत्रों की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
समाचार-पत्र : लोकतंत्र का प्रमुख स्तंभ समाचार-पत्र देश के अर्थतंत्र को पुष्ट करने में पर्याप्त सहयोग देते हैं। इसके लिए दैनिक समाचार-पत्रों में एक पृष्ठ व्यापार से संबंधित होता है। इसमें सोना, चाँदी, गेहूं, चावल इत्यादि के भाव प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं। शेयरों के भाव, कंपनी, वित्त संबंधी समाचार भी इसी पृष्ठ पर दिए रहते हैं। इसके साथ ही सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक समाचार भी समाचार-पत्र में दिए जाते हैं। आयात-निर्यात के समाचार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की वृद्धि में सहायक होते हैं। अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं के विज्ञापन एवं पते भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते हैं, जिनसे क्रेता-विक्रेता दोनों को लाभ प्राप्त होता है।
उपसंहार समाचार-पत्रों के प्रकाशन से साहित्यिक क्षेत्र में भी बहुत विकास हुआ है। आज समाचार-पत्रों में विशेष रूप से साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं में कहानियाँ, निबंध और महापुरुषों की,जीवनी होती हैं, जिनसे साहित्य की उन्नति में पर्याप्त सहायता मिलती है। समाचार-पत्रों में अनेक निबंध और कहानियाँ पढ़कर हम अपना मनोरंजन करते हैं समाचार-पत्रों में बहुत-सी कविताएँ भी प्रकाशित होती हैं। व्यापारिक उन्नति में भी समाचार-पत्र बहुत सहायक होते हैं। समाचार-पत्रों में अनेक वस्तुओं के विज्ञापन छपते हैं, जिनसे उनका प्रचार होता है। बाज़ार में उनकी माँग बढ़ती है। समाचार-पत्र मनोरंजन का भी अच्छा साधन है।
(ख) महिला सशक्तीकरण
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- महिलाओं का जीवन
- महिला सशक्तीकरण
- महिलाओं की बढ़ती भूमिका
- उपसंहार
उत्तर
प्रस्तावना समाज में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि ही महिला सशक्तीकरण है। महिला आज पुरुषों के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ी है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ती जा रही है। प्रशासन, राजनीति, खेल, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका से वैश्विक परिदृश्य प्रभावित हुआ है। समय बदल रहा है, आज महिलाएँ घर से बाहर निकलकर स्वयं को सिद्ध करने में सक्षम हैं और सफल भी, इसलिए कहा भी गया है।
“यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमंते तत्र देवता”
अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
महिलाओं को जीवन आज की ‘स्त्री’ में आगे बढ़ने की भावना है। जीवन एवं समाज के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ कर-गुजरने की, . अपने अविराम-अथक परिश्रम से पूरी दुनिया में एक नया सवेरा लाने की और एक ऐसी सशक्त कहानी लिखने की, जिसमें महिला को अबला के रूप में न देखा जाए। वास्तव में, भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में पुरुष प्रधान समाज ने एक ऐसी सामाजिक संरचना निर्मित की, जिसमें प्रत्येक निर्णय लेने संबंधी अधिकार पुरुषों के पास ही सीमित रहें। आदिम समाज से लेकर आधुनिक समाज तक ‘आधी दुनिया के प्रति ऐसा भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण रखा गया, जिसने कभी भी स्त्रियों को एक व्यक्ति के रूप में स्वीकार नहीं किया। उसे या तो ‘देवी’ बनाया गया या फिर ‘भोग्य वस्तु। उसके व्यक्तित्व को उभरने का अवसर तो प्रदान ही नहीं किया गया।
समाज में महिलाओं को शुरू से ही पुरुषों के समान न समझकर घरेलू कामकाज के लिए अधिक उपयोगी समझा गया। अनेक वर्षों तक पश्चिमी देशों में भी महिलाओं की स्थिति भारत से बेहतर नहीं थी। भारत में उन्हें श्रद्धा और भक्ति की प्रतिमूर्ति मानकर भी चहारदीवारी के अंदर ही रखने का प्रयास किया गया। लेखिका तसलीमा नसरीन के शब्दों में, “वास्तव में, स्त्रियाँ जन्म से अबला नहीं होतीं, बल्कि उन्हें अबला बनाया जाता है।”
महिला सशक्तीकरण ‘महिला सशक्तीकरण’ महिलाओं के स्वावलंबन की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। सशक्त महिला का अर्थ ऐसी महिलाओं से है, जिनकी निर्णय क्षमता और नेतृत्व को मान्यता दी जा सके। पिछले कुछ वर्षों से समय बदल रहा है। आज दुनिया के अनेक देशों में राष्ट्राध्यक्ष महिलाएँ ही हैं। हमारे देश में ऐसी महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘पेप्सिको’ ने अपना प्रबंध निदेशक एक भारतीय महिला इंदिरा नूयी को बनाया है। सानिया मिर्जा और सायना नेहवाल के नक्शे कदम पर भारत की लड़कियाँ आगे बढ़ रही हैं। सुनीता विलियम्स तथा कल्पना चावला ने उनकी आँखों में ‘सपना’ दिया है।
महिलाओं की बढ़ती भूमिका इक्कीसवीं शताब्दी में संकल्प और दायित्व की परिभाषा को नवीन स्वरूप प्रदान कर महिलाएँ आगे आई हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। स्त्री-पुरुष विषमता, कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा जैसी अनेक समस्याएँ महिलाओं की प्रगति में बाधक हैं। जब तक इन विसंगतियों को दूर करने की नीतियाँ नहीं बनाई जातीं, तब तक महिला सशक्तीकरण’ का संपूर्ण लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता।
उपसंहार ‘महिला सशक्तीकरण’ एक जीवन दर्शन है, जिसके लिए संपूर्ण राष्ट्र को प्रयास करना चाहिए। बालिका शिक्षा तथा महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। आज राजनीति में महिलाओं को स्थान तो मिला है, किंतु इसे और विस्तार देने की आवश्यकता है। महिलाओं को अभी आत्मनिर्भरता की ओर लंबी दूरी तय करनी है। सुभाषचंद्र बोस ने कहा भी है, “ऐसा कौन-सा कार्य है, जिसे हमारी महिलाएँ कर नहीं सकतीं तथा ऐसा कौन-सा कष्ट है, जिसे वो उठा नहीं सकतीं”
महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार और सभी क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी के लिए नीति-निर्धारकों को विचार करना होगा। कानून लागू करने वालों को अपने दायित्व का उचित निर्वाह करे ‘महिला सशक्तीकरण’ को प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाना चाहिए।
(ग) वृक्षों का महत्त्व
संकेत बिंदु
- दैनिक जीवन में वृक्षों की उपयोगिता
- पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक
- उपसंहारे
उत्तर
दैनिक जीवन में वृक्षों की उपयोगिता वन हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं, किंतु सामान्य व्यक्ति इनके महत्त्व को समझ नहीं पाते। वे वनों को प्राकृतिक संपदा मात्र मानते हैं। दैनिक जीवन में वनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वन हमें मनमोहक स्थान प्रदान करते हैं। वृक्षों के अभाव में पर्यावरण शुष्क हो जाता है और सौंदर्य नष्ट हो जाता है। वृक्ष स्वयं सौंदर्य की सृष्टि करते हैं। गर्मी के दिनों में बहुत-से पर्यटक पहाड़ों पर जाकर वनों की शोभा देखते हैं।
वनों से हमें विभिन्न प्रकार की लकड़ियाँ; जैसे-इमारती लकड़ी, जलाने की लकड़ी, देवाई में प्रयोग होने वाली लकड़ी प्राप्त होती हैं। ये लकड़ियाँ व्यापारिक दृष्टि से भी उपयोगी होती हैं वे इनमें सागौन, देवदार, चीड़, शीशम, चंदन, आबनूस इत्यादि प्रमुख हैं। वनों से लकड़ी के अतिरिक्त अनेक उपयोगी सहायक वस्तुओं की प्राप्ति होती है, जिनका अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है; जैसे-फर्नीचर उद्योग, औषधि उद्योग इत्यादि। वनों से हमें विभिन्न प्रकार के फल प्राप्त होते हैं, जो जीवों का पोषण करते हैं। ऋषि-मुनि वनों में रहकर कंदमूल और फलों पर अपना जीवन निर्वाह करते थे। वनों से हमें अनेक जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं। वनों से प्राप्त जड़ी बूटियों से अनेक असाध्य रोगों की दवाई प्राप्त होती है।
वनों में अनेक पशु-पक्षी होते हैं, जैसे-हिरण, नीलगाय, भालू , शेर, चीता, बारहसिंगा आदि। वन इन पशुओं की क्रीड़ास्थली हैं। ये पशु वनों में स्वतंत्र विचरण करते हैं, भोजन और संरक्षण पाते हैं। गाय, मैंस, बकरी, भेड़ आदि पालतू पशुओं के लिए वन विशाल चरागाह प्रदान करते हैं। भारतीय कृषि वर्षा पर निर्भर करती है और वर्षा मानसून पर निर्भर है। वन मानसून को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। और वर्षा से वन बढ़ते हैं।
पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक वन वायु को शुद्ध करते हैं, क्योंकि वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है। वनों से वातावरण का तापक्रम, नमी और वायुप्रवाह नियमित होता है, जिससे जलवायु में संतुलन बना रहता है। वन जलवायु की भीषण उष्णता को सामान्य बनाए रखते हैं। ये आँधी-तूफ़ानों से हमारी रक्षा करते हैं तथा गर्मी और तेज़ हवाओं को रोक कर देश की जलवायु को समशीतोष्ण बनाए रखते हैं। वृक्ष वर्षा के जल को सोख लेते हैं और उसे भूमि के गर्भ में ले जाकर रोके रहते हैं, जिससे भूमि के नीचे का जलस्तर ऊँचा हो जाता है और दूर तक के क्षेत्र हरे-भरे रहते हैं। और भूमिगत जल का स्तर घट नहीं पाता। वनों के कारण वर्षा का जल मंद गति से बहता है, जिससे भूमि कटाव नहीं होता। साथ ही पौधों की जड़ें मिट्टी के कणों को संभाले रहती हैं, उससे भी भूमि कटाव नहीं होता और ऊँची-नीची नहीं हो पाती, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।
उपसंहार वन हमारे जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत उपयोगी हैं, इसलिए वनों का संरक्षण और संवर्द्धन बहुत आवश्यक है। इसके लिए जनता और सरकार का सहयोग अपेक्षित है। कुछ स्वार्थी लोग केवल धन के लालच की आशा से अमूल्य वनों को नष्ट करते जा रहे हैं, इसलिए आवश्यक है कि सरकार वन संरक्षण संबंधी नियमों का कठोरता से पालन कराकर भावी प्राकृतिक विपदाओं से रक्षा करे।
वन हमारी प्राकृतिक धरोहर हैं। हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए। वन हमारे और जीव-जंतुओं के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। वृक्षों के महत्व को समझना हमारा कर्तव्य है।
उत्तर 13.
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 05 मई, 20××
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी, दिल्ली नगर निगम
स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली।
विषय क्षेत्र की सफ़ाई के संदर्भ में।
महोदय,
मैं प्रशासन का ध्यान क्षेत्र में फैली गंदगी और उससे बढ़ते हुए मच्छरों के प्रकोप की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। पूरे पटपड़गंज में आजकल मच्छरों का प्रकोप है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे मोहल्लों की सफ़ाई हेतु नगर निगम का कोई सफाई कर्मचारी गत दस दिनों से काम पर नहीं आ रहा है। अगर सफ़ाई कर्मचारी आते भी हैं, तो अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं करते हैं। कहने पर भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। परिणाम यह हुआ है कि रोगों के कीटाणु प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। मच्छरों के प्रकोप से मलेरिया और टायफाइड के मरीज तो प्रत्येक घर में हो गए हैं। आज की स्थिति यह है कि संपूर्ण वातावरण ही दुर्गंधमय हो गया है। इस मार्ग से गुजरते हुए लोगों को नाक बंद करनी पड़ती है। चारों ओर मक्खियाँ भिन-भिना रही हैं। अतः आपसे पटपड़गंज निवासियों की ओर से प्रार्थना है कि आप यथाशीघ्र निरीक्षण करें तथा सफ़ाई का नियमित प्रबंध करें। अन्यथा यहाँ के निवासियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
धन्यवाद!
प्रार्थी
रूपेश
अथवा
102, कश्मीरी गेट,
दिल्ली।
दिनांक 15 अप्रैल, 20××
प्रिय लता,
सस्नेह आशीष!
हम सब यहाँ सकुशल हैं और सदैव परमात्मा से तुम्हारी कुशलता की कामना करते हैं। माताजी-पिताजी तुम्हें याद करके कभी-कभी अत्यंत भावुक हो जाते हैं। लता! तुम्हें ज्ञात है कि पिताजी ने कितनी कठिनाइयाँ सहकर हमारा पालन-पोषण किया है और उनका सपना है कि तुम आई.ए.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करो, परंतु तुम्हारे अध्यापकों व छात्रावास प्रभारी से मुझे ज्ञात हुआ है कि आजकल तुम्हारा ध्यान फैशन की ओर अधिक है और इस कारण तुम्हारा लक्ष्य प्रभावित होने लगा है।
मैं यह सुझाव देना चाहूँगा कि तुम खुद को एकाग्रचित्त करो तथा केवल अपने अध्ययन और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करो। वार्षिक परीक्षा आने वाली है। यदि तुम समय रहते नहीं संभली तो अत्यंत गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। और साथ ही तुम्हारा भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा। इसलिए मेरा परामर्श है कि अध्ययन पर ध्यान दो तथा
माता-पिता का स्वप्न व अपना लक्ष्य साकार करो।
माता-पिता की ओर से तुम्हें स्नेहशील आशीर्वाद!
तुम्हारा बड़ा भाई
क.ख.ग
उत्तर 14.
राजेश अंकल जी, ये आम कैसे हैं?
फल विक्रेता ₹ 50 किलो।
राजेश आम मीठे हैं या नहीं?
फल विक्रेता बहुत मीठे हैं।
राजेश ये कौन-सा आम है?
फल विक्रेता यह दशहरी आम है। यह आम लखनऊ क्षेत्र में विशेष रूप से मिलता है। हालाँकि, अब तो यह अन्य स्थानों पर भी फलने लगा है।
राजेश लखनऊ को दशहरी क्या अधिक अच्छा माना जाता है? यह दशहरी लखनऊ का ही है या अन्य जगह का?
फल विक्रेता भैया, तुम्हें आम खरीदना है या मात्र इसका इतिहास जानना है?
राजेश खरीदना तो है, लेकिन पूरी जानकारी प्राप्त करके।
फल विक्रेता तो, अब तो जान लिया। राजेश हाँ, ठीक है, ठीक है। दो किलो आम दे दीजिए।
अथवा
कैलाश अरे अविनाश! क्या कर रहा है?
अविनाश कुछ खास नहीं, खाली बैठा था तो सोचा कोई कहानी पढ़ लँ। कहानी पढ़कर तो मुझे अपनी पहली रेल यात्रा का स्मरण हो आया।
कैलाश क्यों भाई, ऐसा क्या हुआ था तुम्हारी पहली रेल यात्रा में?
अविनाश हुआ ये था कि मैं पटना से अपने परिवार के सदस्यों के साथ प्रयाग में लगे कुंभ मेले में संगम-स्नान करने के लिए इलाहाबाद जा रहा था। हमारी सीटें आरक्षित थीं, किंतु इसके पश्चात् भी भीड़ इतनी अधिक थी कि हमारी आरक्षित सीटों पर अन्य लोग आकर बैठ गए।
कैलाश मतलब …….. तुम लोगों को बैठने की सीट ही नहीं मिली।
अविनाश अरे यार! सीट तो मिली, लेकिन जिस सीट पर हम दो लोगों को बैठना था, उसमें हम चार लोग बैठे। इसलिए यात्रा का आनंद हम नहीं ले पाए; किंतु जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ने लगी, कई लोग उतरने लगे और कुछ समय पश्चात् ट्रेन में केवल वही लोग रह गए जिनकी सीटें आरक्षित थीं।
कैलाश अच्छा! फिर तो तुम लोग मजे करते हुए गए होंगे?
अविनाश हाँ यार, फिर मैंने पापा से आग्रह कर खिड़की वाली सीट ले ली और पूरे रास्ते खिड़की के बाहर के दृश्यों का आनंद लेने लगा। मेरा यह अनुभव बिलकुल नया था।
कैलाश हाँ मित्र! यह तो सच में नया ही अनुभव था।
We hope the CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 2, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.