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Chandni Summary in English by Zakir Husain
Chandni Summary in English
Once an old man, Abbu Khan lived in Almora. He was alone. His only companions were a few goats which he always kept as pets. He gave them funny names. He took them out for grazing in day time. He talked to them as one talks to one’s own children. At night he put a string round the neck of each goat.
But poor Abbu was unlucky. One by one his goats broke the string, freed themselves and disappeared in the hills. They loved their freedom. So whenever they got the chance, they would run away only to be killed by an old wolf who lived in the hills. Abbu was sad and puzzled. He wondered why his goats in spite of all the good food and affection, ran straight into the jaws of death. Freedom for them meant struggle, hardships and even death.
When all the goats had left Abbu, he decided not to keep any goat as a pet any more. But he felt very lonely. So he brought a young goat. He hoped that it would begin to love him and never want to go to the hills.
The new goat was white as snow and was very friendly. Abbu called her Chandni. He would narrate to her stories of all his friends. Several years passed. Chandni was still with Abbu. Abbu believed that chandni would never leave him. But her plan was something else. She watched the hilltops which appeared so charming. She hated the rope that wouldn’t let her go. She stopped eating the green grass. She refused to listen to Abbu s stories. She lost her appetite. She only looked at the hills madly. One day she opened her heart to him. She said she would die if she was not allowed to go to the hills. Abbu warned her of the risk. The dangerous wolf would eat her up. But she was ready to face and light the wolf.
Abbu got very angry. He pushed her into a small hut and shut the door. But the same night Chandni made her escape through the small window.
She reached the hills which welcomed her. The tall grass, the flowers, the wind—all amused her. It was the happiest day in Chandni’s life. She refused to join the group of wild goats. She wanted to enjoy her freedom alone.
The sun set behind the hills. She heard a strange sound coming from the bushes. It was the grunt of the dangerous wolf. She was afraid but decided to put up good fight.
She was ready to fight the enemy like a brave soldier. The wolf came near Chandni and began to stare greedily at her. Now the fight began which went on through the night. At day break she lay bathed is blood, ready to be eaten up by the wolf.
A bird on top of the tree thought that the wolf had won the battle. But a wise old bird declared firmly that Chandni was the winner.
Chandni Summary in Hindi
किसी समय एक वृद्ध अब्बू खान अलमोड़ा में रहा करता था। वह अकेला था। उसकी एक मात्र साथी थीं उसकी कुछ पालतू बकरियाँ। वह उन्हें अजीबोगरीब नामों से पुकारता था। वह उन्हें दिन में चराने ले जाता था। वह उनसे इस प्रकार बातें करता था जैसे कोई बच्चों से। रात को वह प्रत्येक को गले में रस्सी से बाँध कर रखता था।
पर बेचारे अब्बू की किस्मत ही खराब थी। उसको बकरियाँ एक-एक करके रस्सी तोड़कर खुल गई तथा पहाड़ियों पर चली गई। उन्हें अपनी आजादी प्यारी थी। पर उन्हें एक बूढ़ा भेड़िया खा गया। अब्बू उदास तथा हैरान था। उसकी समझ में नहीं आता कि इतना अच्छा दाना खिलाने तथा प्यार देने के बावजूद बकरियाँ क्यों मौत के मह में दौड जाती थीं। उनके लिये आजादी का अर्थ या संघर्ष, कठिनाइयाँ तथा मृत्यु।
जब सभी बकरियाँ भाग गई तो अब्बू ने निश्चय कर लिया कि अब वह कोई बकरी नहीं पालेगा। पर उसे इतना अकेलापन लगा कि उसने एक बकरी का बच्चा खरीद ही लिया। उसे उम्मीद थी कि यह बकरी उसे प्यार करने लगेगी तथा कभी पहाड़ियों पर भाग कर नहीं जायेगी।
नयी बकरी बर्फ जैसी सफेद थी तथा बहुत मैत्रीपूर्ण थी। अब्ब उसे चाँदनी कहकर पुकारता था। वह उसे अपने सभी मित्रों की कहानियाँ सुनाता रहता था। कई वर्ष गुजर गये। बकरी जवान हो गई। अब्बू को विश्वास हो गया कि चाँदनी अब कहीं नहीं जाएगी। परन्तु चाँदनी की मंशा कुछ और थी। वह पहाड़ियों के शिखरों को देखा करती जो सन्दर लगते थे। उसे रस्सी से नफरत थी जो उसे पहाडियों पर जाने नहीं देती थी।
उसने हरी घास खाना भी बंद कर दिया। अब्बू की कहानियों में उसकी रुचि खत्म हो गई। उसकी भूख प्यास भी मर गई। वह पागलों की तरह केवल पहाड़ियों को ताका करती थी। एक दिन उसने उससे अपने मन की बात कह दी। उसने बताया यदि उसे पहाड़ियों पर विचरण नहीं करने दिया जायेगा तो वह मर जायेगी। अब्बू ने उसे चेताया कि तुम खतरा मोल ले रही हो। खतरनाक भेड़िया तुम्हें खा जायेगा। पर वह तो भेड़िया से लड़ने को तैयार थी।
अब्बू बहुत नाराज हो गया। उसने चाँदनी को एक छोटी सी झोंपड़ी में धकेल कर दरवाजा बन्द कर लिया। पर उसी रात चाँदनी एक छोटी सी खिड़की से जो खुली रह गई थी, बाहर निकल गईं।
वह पहाड़ियों पर पहुँच गई। ऊँची घास, फूल तथा पवन ने उसका मनोरंजन किया। यह चाँदनी के जीवन का सबसे अधिक वणी का दिन था। उसने जंगली बकरियों के झुण्ड में शामिल होने से इन्कार कर दिया। वह अपनी आजादी का आनन्द अकेली ही लेना राहती थी।
पहाड़ियों के पीछे सूरज छिप गया। चाँदनी को झाड़ियों से आती विचित्र आवाज सुनाई दी। यह तो खतरनाक भेड़िए की गुर्राहट वह भयभीत हो गई पर उसने डटकर मुकाबला करने की ठान ली।
वह एक वीर योद्धा की भाँति शत्रु से लड़ने को तैयार थी। भेड़िया आया और दोनों की लड़ाई शुरु हो गई जो सारी रात चलती रही। भोर के समय चाँदनी खून से लथपथ पड़ी थी, भेड़िया उसे खाने को तैयार था।
एक वृक्ष पर बैठे पक्षी ने सोचा कि भेड़िया ने लड़ाई जीत ली। पर एक ज्ञानी वृद्ध पक्षी ने दृढतापूर्वक कहा कि विजेता तो चाँदनी रही।