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छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 10

प्रश्न 1.
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
उत्तर
(i) यह काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित उमाशंकर जोशी द्वारा रचित है।
(ii) इस काव्यांश में कवि ने खेती के रूपक में कवि-कर्म को बाँधकर चित्रित किया है।
(iii) यहाँ छोटा खेत-कागज़ के पन्ने तथा अंधड़ भावनात्मक आँधी का तथा बीज विचार तथा अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं।
(iv) प्रतीकात्मक शैली का बोध है।
(v) सांगरूपक, अनुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
(vi) बिंब योजना अत्यंत सुंदर है।
(vii) खड़ी बोली भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी है।
(viii) तत्सम, तद्भव तथा विदेशी शब्दावली का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 2.
‘छोटा मेरा खेत’ कविता का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने कवि-कर्म के प्रत्येक चरण को खेती के रूपक में बाँधने की कोशिश की है। इस खेत में भावनात्मक आँधी के प्रभाव से किसी क्षण एक रचना-विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है, जो मूल कल्पना का सहारा लेकर स्वयं विगलित हो जाता है। उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं जो निरंतर पल्लवित-पुष्पित होकर एक पूर्ण कृति का स्वरूप ग्रहण करते हैं।

साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा फूटती है वह रस-धारा क्षण भर में होने वाली रोपाई के परिणामस्वरूप होती है। लेकिन यह रस-धारा अनंत काल तक चलने वाली खेती की कटाई के समान होती है। इस साहित्य के अक्षय पात्र का रस कभी खत्म नहीं होता।

प्रश्न 3.
‘छोटा मेरा खेत’ कविता का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तर
कवि की कविता ‘छोटा मेरा खेत’ का भाव गहन है। कवि का मानना है कि किसी भी कविता का जन्म सरल नहीं होता। उसका जन्म किसी अज्ञात प्रेरणा से किसी विशेष क्षण में ही होता है। जब कवि बड़े मनोयोग से तन्मयतापूर्वक विचार करता है तभी कविता का जन्म होता है। काव्य के सौंदर्य संबंधी तत्व स्वयं ही मन से फूट-फूट कर निकलते जाते हैं। छंद, अलंकार, शब्द, भाव आदि गुण तो उसे अपने आप मिलने लगते हैं। कविता ऐसी फ़सल है जिससे आनंद और तृप्ति अनंत काल तक प्राप्त की जा सकती है। काव्य रस तो शाश्वत होता है। वह सदा हर स्थिति में ज्यों-का-त्यों बना रहता है।

प्रश्न 4.
कवि ने कवि-धर्म की तुलना किससे की है ?
उत्तर
कवि ने कवि-धर्म की तुलना कृषि उत्पादन से की है। उसने अपनी सृजनात्मकता को छोटे खेत से जोड़कर माना है कि वह भावों के बीज उगाता है और उससे उत्पन्न कविता रूपी फ़सल को अनंत समय तक लगातार प्राप्त करता रहता है।

प्रश्न 5.
फल, रस और अमृत धाराएँ किस की प्रतीक मानी गई हैं?
उत्तर
कवि ने अपनी कविता में फल, रस और अमृत को भाव और शिल्प के आनंद, रस और सुंदरता को माना है, जो मन को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 6.
‘क्षण भर बीज वहाँ बोया गया’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर
कवि का मानना है कि मानव मन में उत्पन्न होने वाले भाव सदा एकसमान नहीं रहते। वे पल-पल बदलते रहते हैं। वे तो जीवन की आपाधापी से उत्पन्न विचारों में से स्वयं निकलते हैं और कवि के हृदय को कविता रचने की प्रेरणा दे जाते हैं। अति तीव्र भाव ही कविता के जन्म की पृष्ठभूमि बन जाता है, जिससे कविता का जन्म होता है। क्षण-भर के लिए मन में उत्पन्न भाव कागज़ पर कविता के रूप में प्रकट हो जाता है।

प्रश्न 7.
कवि ने कविता के जन्म के लिए कल्पना-शक्ति को क्या महत्व दिया है?
उत्तर
मिट्टी में दबा बीज धरती से ही जल, खाद आदि को प्राप्त करता है और अंकुरित होता है। कवि के मन में भी भाव उत्पन्न होता है और वह शब्दों, अलंकार, छंद आदि को ग्रहण कर कविता के रूप में व्यक्त हो जाता है। इसीलिए कवि ने कल्पना के रसायनों को पी’ पंक्ति का प्रयोग किया है।

प्रश्न 8.
‘रस अलौकिक’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
काव्य में निहित भाव अलौकिक रस ही होता है। उसकी सांसारिक-भौतिक रसों से तुलना नहीं की जा सकती। वह मन को तृप्ति प्रदान करने वाला आत्मिक आनंद होता है और उससे आत्मिक तृप्ति प्राप्त होती है। कवि ने ‘रस अलौकिक’ से यही प्रकट करना चाहा है।

प्रश्न 9.
‘बगुलों के पंख’ कविता में कवि किसे रोककर रखना चाहता है?
उत्तर
कवि ने संध्या के समय आकाश में घने काले बादलों की पृष्ठभूमि में सफेद बगुलों की कतारों को उड़ते हुए देखता है और वह उनकी सुंदरता पर मुग्ध हो जाता है। वह उन्हें बहुत देर तक निहारना चाहता था। वह अधिक समय तक उसे देखने के लिए बगुलों की कतारों को रोकना चाहता है।

प्रश्न 10.
“तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया” से कवि ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर
आकाश में घने काले-कजरारे बादल तैर रहे हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे साँझ की श्वेत कांति-युक्त काया धीरे-धीरे विचरण कर रही हो।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधेड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया। (A.L.C.B.S.E. 2011, Set-I, C.B.S.E. Outside Delhi, Set-III, 2018)

शब्दार्थ : चौकोना-चार कोनों वाला, चौकोर। अंधेड़-आँधी, (भावनात्मक आँधी)। पन्ना-पृष्ठ, पेज्ञ। क्षण-पल।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी दवारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूपक द्वारा अभिव्यक्त किया है।

व्याख्या : कवि कागज़ को खेत का रूपक प्रदान करते हुए कहता है कि मेरा कागज का एक पृष्ठ चौकोर खेत की तरह है। मैं इसी कागत रूपी चौकोर खेत पर कविता को शब्दबद्ध करता हूँ। कवि का कथन है कि कोई भावनात्मक रूपी आंधी कहाँ से आई जिसके प्रभाव से मैंने कागज के पृष्ठ रूपी खेत में रचना-विचार और अभिव्यक्ति रूपी बीज बो दिया। अर्थात मैंने भावनात्मक होकर कागज के पृष्ठ पर किसी अभिव्यक्ति को शब्दबद्ध कर दिया।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. उपर्युक्त अवतरण के कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
2. यहाँ कवि किस खेत की बात करता है?
3. कवि ने अपने खेत में कौन-सा बीज बोया?
4. इस अवतरण का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. उपर्युक्त अवतरण में कवि का नाम उमाशंकर जोशी है तथा कविता का नाम ‘छोटा मेरा खेत’ है।
2. यहाँ कवि कागज के पन्ने रूपी खेत की बात करता है।
3. कवि ने अपने खेत में शब्द रूपी बीज बोया।
4. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने कागज के पन्ने को खेत के रूपक द्वारा स्पष्ट किया है।
  • अनुप्रास, सांगरूपक व पदमैत्री अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
  • खड़ी बोली का प्रयोग है।
  • तत्सम, तद्भव व विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  • तुकांत छंद का प्रयोग है।
  • बिंब योजना अत्यंत सुंदर है।
  • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है।

2. कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। (A.I.C.B.S.E. 2011, Set-I, C.B.S.E. Outside Delhi, Set-III, 2018)

शब्दार्थ : निःशेष-समाप्त, जिसमें कुछ भी शेष न हो। फूटे-पैदा हुए। पुष्पों-फूलों। शब्द के अंकुर-शब्द रूपी अंकुर। पल्लव-पत्ते। नमित-झुका।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’, नामक कविता से अवतरित हैं। इनमें कवि ने पृष्ठ रूपी खेत में कवि-कर्म को विकसित होता हुआ दिखाया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि मैंने कागज के पृष्ठ रूपी खेत में जो अभिव्यक्ति रूपी बीज बोया था, वह बीज कल्पना रूपी रसायन तत्वों को पीकर पूरी तरह से गलकर समाप्त हो गया। तत्पश्चात उसमें से शब्द रूपी अंकुर प्रस्फुटित हुए।

अर्थात जिस प्रकार से खेत में बीज बोकर किसान उसमें अनेक प्रकार के रसायन तत्वों का प्रयोग करता है, तब जाकर वह बीज अंकुरित होता है, उसी प्रकार कवि पृष्ठ पर विचारों का बीज बोकर उसमें कल्पना का रसायन डालता है।

तत्पश्चात वह बीज शब्दों के रूप में अंकुरित होता है। जैसे खेत में बीज अंकुरित होता है फिर उस पर पत्ते और फूल आते हैं तब उसके बाद वह पूर्णता को प्राप्त करता है, वैसे ही कवि कर्म शब्दों को छंदों में बाँधता हुआ एक संपूर्ण कृति के रूप में प्रकट होता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कौन-सा बीज गलकर नष्ट हो गया?
2. कवि क्या और किस पर बोता था?
3. संपूर्ण कृति का रूप कौन लेता था?
4. उपर्युक्त पद्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कवि के हृदय में उत्पन्न भाव रूपी बीज कल्पना के रसायन तत्वों को पीकरगल कर नष्ट हो गया।
2. कवि ने अभिव्यक्ति रूपी बीज कागज के पन्ने पर बोया था।
3. कवि के भावों ने शब्दों का रूप लेकर एक संपूर्ण कृति का रूप लिया था।
काव्य-सौंदर्य

  • कवि-कर्म व कृषक-कर्म की समानता का चित्रण है।
  • खड़ी बोली भाषा है जिसमें तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • बिंब योजना सुंदर है।
  • अनुप्रास, सांगरूपक, पदमैत्री आदि अलंकारों की शोभा है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का चित्रण हुआ है।

3. झूमने लगे फल,
रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ फूटती
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना। (A.I. C.B.S.E. 2011, Set-II, C.B.S.E. Outside 2013, Set-III)

शब्दार्थ : रस-साहित्य या काव्य से प्राप्त आनंद, फल का रस। रोपाई-बीज बोना, पौधे लगाने की क्रिया। जरा-थोड़ा। अलौकिक-अनूठा। अनंतता-जिसका कोई अंत न हो, सदा। अक्षय-जो ख़त्म न हो।

प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित है जिसके कवि ‘उमाशंकर जोशी’ हैं। इसमें कवि ने साहित्य के रसानंद की अनंतता का चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि साहित्यिक कृति से अलौकिक रस रूपी फल प्रकट होते हैं। एक क्षण की रोपाई के परिणामस्वरूप अमृत रूपी रस की अलौकिक धाराएँ फूटती हैं। कवि कहता है कि यह अमृत रूपी रस-धारा अनंतकाल तक चलने वाली कटाई के समान है।

कवि का अभिप्राय यह है कि खेत में पैदा होने वाला अन्न पकने के बाद कट जाता है, लेकिन उत्तम साहित्य की रस-धारा कभी समाप्त नहीं होती। यह रस-धारा पाठकों द्वारा बार-बार पढ़ी जाती है लेकिन फिर भी जरा-सी भी कम नहीं होती है वह अनंतकाल तक भी ख़त्म नहीं होती। कवि कहता है कि मेरा कागज़ का पृष्ठ रूपी छोटा खेत चौकोर है। कवि का अभिप्राय यह है कि मेरा पृष्ठ रूपी खेत बहुत छोटा है लेकिन उससे जो साहित्य की अमृत रस-धारा प्रकट हुई है, वह अनंतकाल तक भी ख़त्म न होने वाली है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. कवि के खेत में क्या-क्या झूमने लगे?
2. कवि का खेत अनूठा है, कैसे? 3. कवि के खेत में कौन-सा पात्र सदा भरा रहता है?
4. उपर्युक्त पद्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. कवि के खेत में फल, अलौकिक रस तथा अमृतधारा झूमने लगे।
2. कवि का खेत अनूठा इसलिए है क्योंकि उसमें रोपाई तो केवल क्षण भर की होती है, लेकिन उसकी कटाई अनंत साल तक चलती है। _वह खेत लुटते रहने से ज़रा भी कम नहीं होता।
3. कवि के खेत का अक्षय पात्र सदा भरा रहता है।
4. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने साहित्य-रस की अमृत-धारा को अक्षय बताया है।
  • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, सांगरूपक, पदमैत्री आदि अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
  • खड़ी बोली का प्रयोग है।
  • संस्कृत के तत्सम, तद्भव और विदेशी शब्दों का प्रयोग है।
  • बिंब योजना अत्यंत सटीक एवं सार्थक है।

4. नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया, तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से। उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जातीं मेरी आँखें नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें। (C.B.S.E. Delhi 2008)

शब्दार्थ : नभ-आकाश। कजरारे-काले-काले। सतेज-तेजस्वी, उज्ज्वल, तेजयुक्त। काया-शरीर। निज माया से-अपनी माया से। पाँखें-पंख। पाँती-बँधे-पंक्ति में बँधे हुए, पंक्तिबद्ध। साँझ-संध्या। श्वेत-सफ़ेद। हौले-हौले-धीरे-धीरे। तनिक-थोड़ा-सा, ज़रा।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्य हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘बगुलों के पंख’ नामक कविता से अवतरित है। इस पद्य में कवि ने आकाश में उड़ते पक्षियों के सौंदर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ-साथ उसका अपने मन पर पड़ने वाले अटूट प्रभाव का भी सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या : कवि का कथन है कि असीम आकाश में बगुले पंक्तिबद्ध होकर उड़ रहे हैं। इन बगुलों के सफ़ेद पंख अत्यंत सुंदर एवं मनमोहक हैं। वे सफ़ेद पंखों से युक्त आकाश में उड़ते बगुले मेरी आँखों को चुरा लिए जा रहे हैं। इन काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए बगुलों के पंख काले बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं।

कवि कहता है कि वह दृश्य इतना सुंदर है कि मुझे अपने माया रूपी सौंदर्य से धीरे-धीरे अपने आकर्षण में बाँध रहा है अर्थात मुझे अपनी ओर खींच रहा है। कवि आग्रह करता है कि कोई उस माया को थोड़ा-सा रोके। यह आकाश में उड़ते पंक्तिबद्ध बगुलों के पंखों की सुंदरता निरंतर मेरी आँखों को चुरा लिए जाती है अर्थात उन सफ़ेद बगुलों का पंक्तिबद्ध सौंदर्य मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
2. आकाश में किसकी पंक्ति बँधी है? वह क्या चुरा ले जा रही है?
3. कवि को अपनी माया से कौन बाँध रहा है?
4. इस अवतरण का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
5. मानवीकरण के सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए। (A.I. C.B.S.E. 2016)
6. काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
7. काव्यांश का बिंब-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस काव्यांश के कवि का नाम उमाशंकर जोशी है तथा कविता का नाम ‘बगुलों के पंख’ है।
2. आकाश में बगुलों की पंक्तिबद्ध उड़ान कवि की आँखें चुरा ले जाती है।
3. कजरारे बादलों की छाया तथा तैरती हुई शाम की सतेज श्वेत का या कवि को अपनी माया से बाँध रही है।
4. काव्य-सौंदर्य (C.B.S.E. 2010, Set-1)

  • कवि ने पंक्तिबद्ध बगुलों की सुंदरता का मनोहारी चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सरस एवं प्रवाहमयी खड़ी बोली है।
  • संस्कृत की तत्सम, तद्भव और विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, स्वभावोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, पदमैत्री, स्वरमैत्री, उपमा आदि अलंकारों की छटा है।
  • कोमलकांत पदावली चित्रण है।
  • अभिधात्मक शैली का प्रयोग है।
  • बिंब योजना का सुंदर प्रयोग है।

5. जड़ प्रकृति का मानवीय रूप में प्रस्तुत किया गया है। संध्या को तैरते हए दिखाया गया है।
6. खड़ी बोली भाषा है। भाषा सरल एवं सरस है। तत्सम शब्दावली है।
7. चाक्षुक बिंब का योजना है।