Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 15

प्रश्न 1.
हमारा चेहरा चाली चाली कब हो जाता है? हम किन क्षणों में पलायन के शिकार हो जाते हैं?
उत्तर :
जब हम सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता और पैसे के चरमोत्कर्ष में आईना देखते हैं तो हमारा चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है। हम अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में कायरता और पलायन के शिकार हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
चार्ली का चरित्र-चित्रण कीजिए।
अथवा
चार्ली चैप्लिन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (A.I. 2016, Set-II) (C.B.S.E. 2011, Set-I. C.B.S.E. Delhi 2017. Set-III)
अथवा
‘अभी चार्ली चैप्लिन पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है’- लेखक ने यह बात क्यों और किस संदर्भ में कही है?
उत्तर
चाली दुनिया के महान हास्य अभिनेता और निर्देशक थे। वे एक परित्यक्ता और दसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। जब उनकी माँ पागलपन का शिकार हो गई, तब उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अत्यंत गरीबी में बचपन बिताया। साम्राज्य, पूँजीवाद और सामंतशाही से मगरूर समाज ने इन्हें दुत्कारा; लेकिन इन्होंने जीवन से हार नहीं मानी। चार्ली का बच्चों जैसा दिखना उनकी खास विशेषता है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि वे किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगते। चार्ली ने न सिर्फ फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा। उनके विषय में विश्व भर में बहुत लिखा जा चुका है और अभी बहुत कुछ लिखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
चाली की कौन-कौन सी फ़िल्में उच्चतर अहसास की माँग करती हैं ?
उत्तर
चार्ली की अधिकांश फ़िल्में बुद्धि की अपेक्षा भावनाओं पर टिकी हुई हैं। मैट्रोपोलिस, दी कैबिनेट ऑफ़ डॉक्टर कैलिगारी, द रोवंथ सील,लास्ट इयर इन मारिएनबाड, द सैक्रिफाइस जैसी उत्कृष्ट फिल्में उच्चतर अहसास की माँग करती हैं।

प्रश्न 4.
बचपन में जिन घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर अधिक असर डाला, उनका चित्रण कीजिए।
उत्तर
चार्ली चैप्लिन एक महान हास्य कलाकार थे। उनका जीवन अत्यंत संघर्षमय रहा। बचपन की दो घटनाओं ने उनके जीवन पर गहन और स्थायी प्रभाव डाला।
(i) एक बार जब वे बीमार थे, तब उनकी माँ ने उन्हें ईसा मसीह का जीवन बाइबिल से पढ़कर सुनाया था। ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रकरण तक आते-आते माँ और चार्ली दोनों रोने लगे।

(ii) बालक चार्ली उन दिनों एक ऐसे घर में रहता था, जहाँ से कसाईखाना दूर नहीं था। वह रोज सैकड़ों जानवरों को वहाँ पर जाते देखता था। एक बार एक भेई किसी तरह जान छुड़ाकर भाग निकली। उसे पकड़ने वाले उसका पीछा करते हुए कई बार फिसले, गिरे और पूरी सड़क पर लोग ठहाके लगाने लगे। आखिरकार उस गरीब जानवर को पकड़ लिया गया और फिर उसे कसाई के पास ले जाने लगे। तब चार्ली को अहसास हुआ कि उस भेड़ के साथ क्या होगा। वह रोता हुआ माँ के पास दौड़ा और कहने लगा, “उसे मार डालेंगे! उसे मार डालेंगे!”

प्रश्न 5.
चार्ली की पहली फ़िल्म कौन-सी थी, जिसने लेखक के द्वारा लिखे जाने वाले निबंध के साथ अपना 75वाँ वर्ष पूरा किया था? चाली की प्रमुख देन क्या है?
उत्तर
चार्ली की पहली फ़िल्म ‘मेकिंग ए लिविंग’ है, जिसने लेखक के निबंध ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ के साथ ही अपने 75 वर्ष पूरे किए थे। अपनी कला और हास्य से चाली ने पिछली पाँच पीड़ियों का भरपूर मनोरंजन किया है, उन्हें मुग्ध किया है और जी खोलकर हँसने के लिए विवश किया है।

प्रश्न 6.
विकासशील और विकसित देशों में चाली मरकर भी अभी तक जिंदा कैसे हैं?
उत्तर
चार्ली को दुनिया से गए हुए वर्षों बीत चुके हैं, पर विकासशील और विकसित देशों में वे मरकर भी नहीं मरे/16 अप्रैल सन 1989 को इनके जन्म के एक सौ वर्ष पूरे हो चुके थे, पर इनके नाम और अभिनय कला से अभी भी बच्चा-बच्चा परिचित है। वे आज भी विश्व के करोड़ों बच्चों को हँसा रहे हैं। वे सिनेमा, टेलीविज़न और वीडियो के कारण मरकर भी अभी तक जिंदा हैं।

प्रश्न 7.
चाली के विषय में नई जानकारी किससे प्राप्त हो सकेगी और इस विषय में अभी कितने समय तक कछ कहा जाएगा?
उत्तर
चार्ली के जीवन व कला से जुड़ी कुछ ऐसी फ़िल्में व इस्तेमाल की गई रीलें मिली हैं, जिनके विषय में पहले कोई कुछ नहीं जानता था। उनके बारे में अगले पचास वर्ष तक कुछ न कुछ कहा जाएगा।

प्रश्न 8.
चार्ली की फ़िल्मों के प्रशंसक किस वर्ग के माने जाते हैं?
उत्तर
चार्ली की फ़िल्मों के प्रशंसक पागलखाने के मरीजों व विकल मस्तिष्क वाले लोगों से लेकर आइन्सटीन जैसे महान वैज्ञानिक हैं।

प्रश्न 9.
चार्ली की सबसे बड़ी देन क्या है?
उत्तर
चार्ली ने कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों के वर्ग और वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा है। वे समाज के प्रत्येक स्तर पर पसंद किए जाते हैं।

प्रश्न 10.
चार्ली को ‘घुमंतू’ और ‘बाहरी’ चरित्र किसने बना दिया था?
उत्तर
चार्ली को उसकी नानी की खानाबदोशी (जिप्सी) और पिता की यहूदी वंशी परंपरा प्राप्त हुई थी, जिसने उसे सदा के लिए ‘बाहरी’ और ‘घुमंतू’ चरित्र बना दिया था।

प्रश्न 11.
चार्ली अपने चरित्र में किस छवि को प्रस्तुत करते रहे और क्यों?
उत्तर
चार्ली अपने चरित्र में खानाबदोश, बद् और अवारागर्द की छवि को प्रस्तुत करते रहे। उन्होंने कभी भी मध्यवर्गी, बुर्जुआ या उच्चवर्गीजीवन-मूल्यों को नहीं अपनाया। शायद इसका कारण उनके अवचेतन में जिप्सी नानी और यहूदीवंशी पिता का प्रभाव रहा था।

प्रश्न 12.
दर्शकों को चाली के चरित्र में सबसे अधिक क्या लुभाता था?
उत्तर
दर्शकों को चाली का हर दसवें सेकंड में स्वयं को किसी-न-किसी मुसीबत में डाल लेना सबसे अधिक लुभाता था। |

प्रश्न 13.
चाली और उसकी माँ ने साहित्य व नाट्य को स्नेह, करुणा और मानवता के समृद्ध विषय कब प्रदान किए थे?
उत्तर
बचपन में जब चाली बीमार पड़े और ओकले स्ट्रीट के तहखाने के धियारे कमरे में उसकी माँ ने ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रकरण को सुनाया था, तो दोनों माँ-बेटा रोने लगे थे। तब उन्होंने साहित्य और नाट्य को स्नेह, करुणा और मानवता के समृद्ध विषय प्रदान किए थे।

प्रश्न 14.
चाली अपनी फ़िल्मों में अपने अभिनय के द्वारा त्रासदी और हास्योत्पादक तत्वों के सामंजस्य को किसके कारण मानते थे?
उत्तर
बालक चाली ने अपने घर के निकट कसाईखाने की ओर एक भेड़ को ले जाते हुए देखा था, जो किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग निकली। उस गरीब जानवर को पकड़ने की कोशिश में लोग कई बार फिसले थे; गिरे थे और सड़क पर लोगों ने उन्हें देखकर ठहाके लगाए

प्रश्न 15.
चाली की रचनाओं से भारतीय काव्य-शास्त्र और सौंदर्यशास्त्र क्या सीख सकता है?
उत्तर
भारतीय काव्य-शास्त्र और सौंदर्यशास्त्र में हास्य व करुण रस को परस्पर विरोधी रस माना जाता है। यह माना जाता है कि करुणा से भरी स्थिति में हास्य उत्पन्न नहीं हो सकता और हास्य की स्थिति में करुणा का भाव जागृत नहीं हो सकता। लेकिन चार्ली की फ़िल्मों में इन दोनों का सुंदर मेल दिखाया गया है, जिन्हें देखकर भारतीय काव्य-शास्त्र या सौंदर्यशास्त्र इस नए प्रयोग को सीख सकता है।

प्रश्न 16.
भारतीय हास्य परंपरा और चार्ली की हास्य परंपरा में क्या अंतर है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
चार्ली चैप्लिन के भारतीयकरण से क्या तात्पर्य है?(A.L. C.B.S.E. 2012, Set-I)
उत्तर
भारतीय हास्य परंपरा दूसरों के ऊपर आधारित है। इसमें दूसरों को पीड़ित करने वालों की प्रायः हँसी उड़ाई जाती है, जबकि चार्ली स्वयं अपनी कमजोरियों और फजीहतों पर हँसते-हँसाते हैं। भारतीय हास्य परंपरा में करुण और हास्य रस का मेल नहीं दिखाया जाता, जबकि चाली करुण दृश्य के फौरन बाद एकाएक हँसा देते हैं और हँसते हुए को पल-भर बाद रुला देते हैं। ऐसा कर वे करुण और हास्य रस में समन्वय करा देते हैं। चार्ली ने भारतीयों को अपने पर हँसना सिखाया और यही चार्ली का भारतीयकरण है।

प्रश्न 17.
किन दो महान भारतीयों ने चाली का सान्निध्य पाना चाहा था ?
उत्तर
महात्मा गांधी और नेहरू जी ने कभी चाली का सानिध्य पाना चाहा था।

प्रश्न 18.
चार्ली से प्रभावित होकर सबसे पहले किस भारतीय अभिनेता ने कौन-सी फ़िल्में बनाई थीं ? इन फ़िल्मों की विशेषता क्या थी?
उत्तर
चार्ली से प्रभावित होकर भारतीय अभिनेता राजकपूर ने ‘अवारा’ और ‘श्री 420’ जैसी फ़िल्में बनाई थीं। इनकी विशेषता यह थी कि इनमें करुण और हास्य रस का समन्वित प्रयोग किया गया था। खानाबदोश, अवारागर्दी करने वालों, अपने पर हँसने वालों को इनका आधार बनाया गया था।

प्रश्न 19.
राजकपूर के अतिरिक्त किन भारतीय अभिनेताओं ने चार्ली का अनुकरण किया था?
उत्तर
राजकपूर के बाद दिलीप कुमार, देव आनंद, शम्मी कपूर, अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी आदि ने फ़िल्मों में चार्ली का अनुकरण किया था। इन फ़िल्मों में से कुछ के नाम हैं-बाबुल, शबनम, कोहिनूर, लीडर, गोपी, नौ दो ग्यारह, फंटूश, तीन देवियाँ, अमर अकबर एंथनी आदि।

प्रश्न 20. भारत में स्वयं पर हंसने के अवसर प्रायः कहाँ और कब देखने को मिलते हैं?
उत्तर
भारत में होली के अवसर पर प्रायः स्वयं पर हँसने के अवसर दिखाई दे जाते हैं। लोग इस दिन स्वयं को महामूर्ख सिद्ध करने में भी प्रसन्नता अनुभव करते हैं। गाँवों में लोक-संस्कृति के उत्सवों में भी लोग अपने पर हँस लेते हैं।

प्रश्न 21.
चाली की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं होता था इसलिए इन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता था?
उत्तर
चार्ली की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं होता था। वह बोलकर अपने भावों को अभिव्यक्त नहीं करते थे, इसलिए उन्हें मानव के स्वभाव को ऐसे सजीव ढंग से अभिनीत करना पड़ता था जो पूरी तरह से स्वाभाविक और संप्रेषणीय हो। इसी कारण उनमें क्रियात्मकता की अधिकता होती थी।

प्रश्न 22.
चाली की फ़िल्में सार्वभौमिक क्यों बन गई?
उत्तर
चार्ली की फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं था। वे मानवीय क्रियाओं पर आधारित अति सहज, स्पष्ट और प्रभावशाली थीं जो विश्व के किसी भी मानव को समझ आ जाती थीं। उन्हें चार्ली का चरित्र और व्यक्तित्व अपने आस-पास के परिवेश में रहने वालों से मिलता-जुलता प्रतीत होता था, इसलिए उनकी फ़िल्में सार्वभौमिक बन गई।

प्रश्न 23.
चार्ली प्रायः हँसकर किस तथ्य का परिचय कराना चाहता था?
उत्तर
चार्ली ने निकटता से तथाकथित महान लोगों को देखा था और उसे पता था कि अन्य सामान्य लोगों की तरह वे भी तुच्छ, लालची, नीच और छोटे ही थे। उसने अपने बचपन में कई बार ऐसे महान लोगों की दुत्कार झेली थी, लिए वह अपनी फ़िल्मों में लोगों से प्रायः हँस कर ऐसे लोगों का परिचय कराना चाहता था।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. पौन शताब्दी से चैप्लिन की कला दुनिया के सामने है और पांच पीड़ियों को मुग्ध कर चुकी है। समय, भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ चाली आज भारत के लाखों बच्चों को हंसा रहा है जो उसे अपने बुढ़ापे तक याद रखेंगे। पश्चिम में तो बार-बार चाली का पुनर्जीवन होता ही है, विकासशील दनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नए सिरे से चाली को घड़ी ‘सुधारते’ या जूते ‘खाने’ की कोशिश करते हुए देख रहा है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. चाली चैप्लिन की कला कब से है? वह कितनी पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है?
2. चाली किनके साथ खिलवाड़ करता है?
3. पाठ के अनुसार पश्चिम में किसका पुनर्जीवन होता है?
4. विकासशील देशों में चाली की प्रसिद्धि कैसे बढ़ रही है?
5. चाली को बुढ़ापे तक कौन याद रखेंगे और क्यों?
उत्तर
1. चार्ली चैप्लिन की कला पौन शताब्दी से है। वह पाँच पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है।
2. चाली समय, भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं से खिलवाड़ करता है।
3. पाठ के अनुसार पश्चिम में चाली का बार-बार पुनर्जीवन होता है।
4. विकासशील देशों में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, वैसे-वैसे चाली की प्रसिद्धि बढ़ रही है। एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नए सिरे से चार्ली को घड़ी सुधारते या जूते खाने की कोशिश करते हुए देख रहा है।
5. चाली को भारत के लाखों बच्चे बुढ़ापे तक याद रखेंगे क्योंकि समय, भूगोल और संस्कृतियों की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ आज चाली, उन्हें अपने करतब से हँसा रहा है।

2. कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हंसना पसंद नहीं करता। एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बाद में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूंजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज द्वारा दुरदुराया जाना-इन सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य जो करोड़पति हो जाने का बावजूद अंत तक उनमें रहे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
2. चाली चैप्लिन कौन था?
3. चाली चैप्लिन को समाज ने क्यों ठुकराया था?
4. चाली चैप्लिन को जीवन-मूल्य कहाँ से प्राप्त हुए?
उत्तर
1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम ‘चाली चैप्लिन वानी हम सब’ हैं। इस के लेखक विष्णु खरे है।
2. चार्ली चैप्लिन पश्चिम का एक बहुत बड़ा हास्य कलाकार था। वह एक परित्यक्ता और दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा था।
3. चाली चैप्लिन एक परित्यक्ता और दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा था। इसके अतिरिक्त वह अत्यंत गरीब था। इस कारण पूँजीवादी और सामंतशाही समाज ने चाली को ठुकराया था।
4. चाली का बचपन गरीबी में व्यतीत हुआ। इसके साथ-साथ उसे अपनी माँ के पागलपन से भी संघर्ष करना पड़ा। उसे साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पंजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज ने ठुकराया। इन सबसे ही चाली चैप्लिन को जीवन मूल्य प्राप्त हुए।

3. दरअसल सिद्धांत कला को जन्म नहीं देते, कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गहना पड़ता है। जो करोड़ों लोग चाली को देखकर अपने पेट दुखा लेते हैं उन्हें मैल ओटिंगर या जेम्स एजी की बेहद सारगर्भित समीक्षाओं से क्या लेना-देना? वे चाली को समय और भूगोल से काट कर देखते हैं और जो देखते हैं उसकी ताकत अब तक ज्यों-की-त्यों बनी हुई है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. सिद्धांत कला को जन्म क्यों नहीं देते?
2. किन लोगों को मैल ओटिंगर या जेम्स एजी की सारगर्भित समीक्षाओं से कोई सरोकार नहीं है।
3. ऐसे लोग चाली को कैसे देखते हैं?
4. किसकी ताकत आज तक ज्यों-की-त्यों बनी हुई है?
उला
1. सिद्धांत कला को इसलिए जन्म नहीं देते, क्योंकि कला स्वयं अपने सिद्धांत या तो लेकर आती है या बाद में उन्हें गढ़ना पड़ता है।
2. जो लोग चाली को देखकर आनंदित या प्रसन्न होते हैं, उन लोगों को मैल आटिंगर या जेम्स एजी की सारगर्भित समीक्षाओं से कोई सरोकार नहीं है।
3. ऐसे लोग चाली को समय और भूगोल से काटकर देखते हैं।
4. लोगों के अनुसार चाली की ताकत आज तक ज्यों-की-त्यों बनी हुई है।

4. भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र को कई रसों का पता है, उनमें से कुछ रसों का किसी कलाकृति में साथ-साथ पाया जाना श्रेयस्कर भी माना गया है, जीवन में हर्ष और विषाद आते रहते हैं यह संसार की सारी सांस्कृतिक परंपराओं को मालूम है, लेकिन करुणा का हास्य में बदल जाना एक ऐसे रस-सिद्धांत की मांग करता है जो भारतीय परंपराओं में नहीं मिलता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में मुख्यतः कितने रसों का वर्णन मिलता है?
2. जीवन क्या है?
3. जीवन में क्या आते-जाते रहते हैं? यह सब किनको मालूम है?
4. वह कौन-सा कलाकार था, जो करुणा को हास्य में बदल देता था?
उत्तर
1. भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में मुख्यतः नौ रसों का वर्णन मिलता है; जैसे-हास्य, करुण, रौद्र, भयानक, अद्भुत, शृंगार आदि।
2. हर्ष-विषाद, सुख-दुख, राग-विराग, मिलन-विरह आदि का सामंजस्य ही जीवन है।
3. जीवन में हर्ष-विवाद, सुख-दुख आते-जाते रहते हैं। यह सब संसार की समस्त सांस्कृतिक परंपराओं को मालूम है।
4. चार्ली चैप्लिन दुनिया के एक महान हास्य कलाकार थे। उनमें अद्भुत कला थी। वे अपनी इसी अद्भुत कला से करुणा को हास्य में बदल देते थे।

5. चार्ली की अधिकांश फ़िल्में भाषा का इस्तेमाल नहीं करतीं इसलिए उन्हें ज्यादा-से-ज्यादा मानवीय होना पड़ा। सवाक् चित्रपट पर कई बड़े-बड़े कॉमेडियन हुए हैं, लेकिन वे चैप्लिन की सार्वभौमिकता तक क्यों नहीं पहुँच पाए इसकी पड़ताल अभी होने को है। चार्ली का चिर-युवा होना या बच्चों जैसा दिखना एक विशेषता तो है ही, सब से बड़ी विशेषता शायद यह है कि वे किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगते।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. चाली को फ़िल्मों में अधिक से अधिक मानवीय क्यों होना पड़ा?
2. चार्ली की सर्वोत्तम विशेषता क्या है?
3. बड़े-बड़े कॉमेडियन चैप्लिन की सार्वभौमिकता तक क्यों नहीं पहुँच पाए होंगे?
4. चार्ली की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर
1. चार्ली को फ़िल्मों में इसलिए अधिक से अधिक मानवीय होना पड़ा, क्योंकि उनकी अधिकांश फ़िल्मों में भाषा का प्रयोग नहीं नहीं होता था।
2. चार्ली की सर्वोत्तम विशेषता यह है कि वे किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगते।
3. बड़े-बड़े कॉमेडियन चैप्लिन की सार्वभौमिकता तक इसलिए नहीं पहुँच पाए होंगे, क्योंकि उनमें वे गुण नहीं होंगे जो चैप्लिन में थे। न उनमें चैप्लिन जैसा कलाकार होगा और न ही भावनाओं का आवेग।
4. (i) चार्ली चिर-युवा हैं।
(ii) वे बच्चों जैसे दिखते हैं।
(iii) वे किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगते।
(iv) उनमें भावनाओं को हास्य के माध्यम से अभिव्यक्त करने की अद्भुत क्षमता है।

6. अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चाली के टिली ही होते हैं जिसके रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर या लात मारकर भाग सकता है। अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में हम क्लैब्य और पलायन के शिकार हो सकते हैं। कभी-कभार लाचार होते हुए जीत भी सकते हैं। मूलतः हम सब चाली हैं क्योंकि हम सुपरमैन नहीं हो सकते। सत्ता, शक्ति, बुद्धिमला, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर।

1. अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चार्ली के टिली कैसे हो जाते हैं?
2. हमारा चेहरा कब चार्ली-चाली हो जाता है?
3. चाली के रोमांस हमारे जीवन में कैसे घटित होते हैं?
उन्ना
1. जीवन हर्ष-विषाद, राग-विराग, सुख-दुख, करुणा-हास्य आदि का सामंजस्य है। चार्ली जिस प्रकार करुणा में हास्य का पुट भर देते हैं, उसी प्रकार हम जीवन के अधिकांश हिस्सों में रोते-रोते हँसने तथा हँसते-हँसते रोने लगते हैं। कई बार सुखी होकर भी हम दुखी दिखाई देते हैं तथा दुखी होकर भी सुखी लगते हैं। इस प्रकार हम जीवन के अधिकांश हिस्सों में चार्ली के टिली हो जाते हैं।
2. जब हम सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में आईना देखते हैं, तब हमारा चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।
3. हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर या लात मारकर भाग सकता है। उन शूरवीर क्षणों में हम पलायन के शिकार हो जाते हैं। कभी-कभार लाचार होते हुए जीत भी जाते हैं। इस प्रकार चार्ली के रोमांस हमारे जीवन में घटित होते रहते हैं।

7. भारतीय परंपरा में व्यक्ति के अपने पर हँसने, स्वयं को जानते-बूझते हास्यास्पद बना डालने की परंपरा नहीं के बराबर है। गाँवों या लोक संस्कृति में तब भी वह शायद हो, नगर-सभ्यता में तो वह थी ही नहीं। चैप्लिन का भारत में महत्व यह है कि वह ‘अंग्रेजों जैसे’ व्यक्तियों पर हँसने का अवसर देते हैं। चार्ली स्वयं पर सबसे ज्यादा तब हँसता है जब वह स्वयं को गर्वोन्मत, आत्मविश्वास से लबरेज, सफलता, सभ्यता-संस्कृति तथा समृद्धि की प्रतिमूर्ति, दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली तथा श्रेष्ठ अपने ‘वज्रादपि कठोराणि’ अथवा ‘मृदूनि कुसुमादपि’ क्षण में दिखलाता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. अनुच्छेद में किसकी चर्चा है? वह क्यों प्रसिद्ध है?
2. “अपने आप को जानते-बूझते हास्यास्पद बना डालने की परंपरा नहीं के बराबर है।”- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
3. “अंग्रेजों जैसे” कहने का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
4. चार्ली अपने पर कब हँसता है? (Delhi C.B.S.E., 2016)
उत्तर
1. अनुच्छेद में चार्ली की चर्चा है। वह इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि वह अंग्रेज जैसे व्यक्तियों पर हँसने का अवसर देता है।
2. इस कथन का आशय है कि भारतीय संस्कृति हमें अपना मजाक उड़ाने तथा दूसरों को हँसाने की शिक्षा नहीं देती। यह हमें स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा देती है।
3. इसमें अंग्रेजों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की गई है। अंग्रेजों पर हँसकर हम प्रसन्न होते हैं।
4. चार्ली अपने पर तब हँसता है जब वह स्वयं को गर्वोन्मत, आत्मविश्वास से लबरेज, सभ्यता-संस्कृति एवं समृद्धि की प्रतिमूर्ति समझता है। दूसरों से अधिक शक्तिशाली एवं श्रेष्ठ वज्रादायी कठोराणी अथवा मृदूनि कुसुमादायी क्षणों में प्रदर्शित करता है।