Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 7 बादल राग. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams.

बादल राग Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 7

प्रश्न 1.
विप्लव के बादल का आह्वान क्यों किया गया है? (C.B.S.E. Outside Delhi 2013, Set-III)
अथवा
बादल राजा’ शीर्षक की सार्थकता को संदिग्ध कीजिए। (C.B.S.E. Sample Paper)
अथवा
बादल के विप्लवकारी स्वरूप का चित्रण कीजिए। (A.I.C.B.S.E. Set-I)
उत्तर
निराला ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। उन्होंने माना है कि समाज में निम्न वर्ग या सर्वहारा वर्ग सदियों से धनी वर्ग के शोषकों के शोषण का शिकार होता आ रहा है। ये धनी वर्ग के लोग सदा से निम्न वर्ग के धन को हड़प कर अपने खज़ाने भर रहे हैं।

बार-बार शोषण करने तथा खज़ाने भरने पर भी इनको संतोष नहीं है। इन्होंने किसानों के जीवन रूपी रक्त सार को पूर्णतः चूस लिया है। इनके शोषण के कारण अब किसानों का शरीर हाड़-मात्र शेष रह गया है। समाज में निम्न वर्ग दीन-हीन अवस्था में करुणापूर्ण जीवनयापन कर रहा है लेकिन पूँजीपति इनके धन पर ऐशो-आराम का जीवन भोग रहे हैं।

कवि के मन में पूँजीपतियों के प्रति घृणा और गहन आक्रोश है तथा सर्वहारा वर्ग के प्रति विशेष सहानुभूति है। कवि पृथ्वी से पूँजीपतियों का साम्राज्य मिटा देना चाहता है ताकि जनसामान्य भी सुखद जीवन जी सके। निराला ने इस कार्य की पूर्ति हेतु बालों को क्रांति का प्रतीक माना है। इसलिए समाज से पूँजीपति वर्ग के शोषण को मिटाने के लिए कवि विप्लव के बादल का आहवान करता है।

प्रश्न 2.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।
उत्तर
(i) प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा निराला द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। कवि का कथन है कि बादल की क्रांतिपूर्ण गर्जना को सुनकर संसार भयभीत हो उठता है।
(ii) इस काव्यांश में कवि ने ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है।
(iii) खड़ी भाषा के साथ संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(iv) मुक्तक छंद का प्रयोग है।
(v) प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग हुआ है।
(vi) ‘बार-बार’, ‘सुन-सुन’ में शब्दावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश की छटा शोभनीय है।
(vii) पदमैत्री, रूपक अलंकार की शोभा है।
(viii) कथन में प्रवाहमयता एवं ध्वन्यात्मकता का समायोजन है।
(ix) ओजगुण है।
(x) वीर रस का प्रयोग है।
(xi) ‘हृदय थाम लेना’ मुहावरे का सटीक एवं सार्थक प्रयोग है।
(xii) बिंब-योजना अत्यंत सार्थक एवं भावपूर्ण है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार- हाथ हिलाते,
शस्य अपार, तुझे बुलाते
हिल-हिल, विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
खिल-खिल,
उत्तर
(i) प्रस्तुत काव्यांश निराला द्वारा रचित ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘बादल राग’ कविता से अवतरित है।
(ii) इस काव्यांश में कवि ने पौधों का मानवीकरण किया है।
(iii) कवि ने छोटे पौधों पर चेतना का आरोप किया है।
(iv) खड़ी बोली भाषा का प्रयोग है जिसमें तत्सम, तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(v) प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। यहाँ छोटे पौधे निम्न वर्ग के जनसामान्य का प्रतीक हैं। बादल क्रांति का प्रतीक है।
(vi) ‘हिल-हिल’, ‘खिल-खिल’ में पुनरावृत्ति होने से पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की शोभा है।
(vii) मुक्तक छंद का प्रयोग है।
(viii) लाक्षणिकता एवं छंदात्मकता के कारण सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है।
(ix) बिंब-योजना भावपूर्ण है।

प्रश्न 4.
तिरती है समीर-सागर अस्थिर सुख पर दुख की छाया।”-काव्यांश का भाव-सौंदर्य एवं काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। भाव-सौंदर्य-प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि निराला द्वारा रचित कविता ‘बादल राग’ से अवतरित है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। यहाँ कवि का जीवन-दर्शन भी अभिव्यक्त हुआ है। कवि का कथन है कि हे क्रांति के दूत बादल! तेरी छाया वायु रूपी सागर पर उसी प्रकार तैरती रहती है जिस प्रकार चंचल और कभी स्थिर न रहनेवाले सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है। अर्थात मानव-जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।
काव्य-सौंदर्य
(i) इस काव्यांश में निराला जी ने बादलों का क्रांति के दूत के रूप में आह्वान किया है।
(ii) भाषा सरल, सरस और खड़ी बोली है।
(iii) संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(iv) प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। अस्थिर सुख जीवन की परिवर्तनशीलता का प्रतीक है। बादल क्रांति का प्रतीक है।
(v) ओजगुण तथा मुक्तक छंद है।

प्रश्न 5.
‘यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से’ का क्या आशय है?
उत्तर
इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्रांति के दूत बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि जिस प्रकार युद्ध रूपी नौका युद्ध की सामग्री से भरी होती है उसी प्रकार से तुम्हारे अंदर जनसामान्य की अनेक कामनाएँ भरी हुई हैं जिन्हें तुम्हें वर्षा के माध्यम से पूरा करना है।

प्रश्न 6.
सुप्त अंकुर किसकी ओर ताक रहे हैं? वे किसलिए ऐसा कर रहे हैं?
उत्तर
धरती माँ की उपजाऊ मिट्टी में सोए हुए अंकुर निरंतर बादलों की ओर ताक रहे हैं। उन्हें पूरी आशा है कि बादलों के बरसने से मिट्टी नम हो जाएगी और उन्हें अंकुरित होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिलेंगी; वे पनपेंगे; बड़े होंगे और उन्हें भी अपना रूप-गुण दिखाने का अवसर प्राप्त होगा। प्रतीकात्मकता से निम्न और समाज के द्वारा तुच्छ समझे जानेवाले लोग सुख-समृद्धि प्राप्त कर तरक्की की राह पर आगे बढ़ेंगे। समाज में आनेवाली क्रांति के कारण उन्हें भी अपना अस्तित्व प्रकट करने का अवसर
प्राप्त होगा, वे भी अपना उत्थान कर पाएंगे।

प्रश्न 7.
निराला जी ने ‘क्षत-विक्षत हत अचल शरीर’ के माध्यम से किनकी ओर संकेत किया है और क्यों?
उत्तर
निराला जी ने ‘क्षत-विक्षत हत अचल शरीर’ के माध्यम से समाज के समृद्ध और उच्च वर्ग की ओर संकेत किया है क्योंकि यही वर्ग शोषक बन निर्धन और कमजोर वर्ग का शोषण करता है; उनके अधिकारों को छीन स्वयं संपन्न बनता है। जब भी क्रांति आती है; तब समृद्ध और उच्च वर्ग ही क्रांति का शिकार बनता है। कवि उन्हें क्षत-विक्षत दिखाकर प्रकट करता है कि उनकी धन-दौलत, सुख-संपत्ति और शोषण से प्राप्त की गई सभी खुशियाँ क्रांति आने पर वापिस छीन ली जाएंगी। जन-क्रांति की गाज उन्हीं पर गिरेगी।

प्रश्न 8.
‘हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार’ के माध्यम से कवि ने किनकी ओर संकेत किया है और क्यों?
उत्तर
कवि ने ‘छोटे पौधे’ के माध्यम से पिछड़े वर्गों और शोषितों की ओर संकेत किया है जो संपन्न वर्ग के शोषण के कारण दीन-हीन दशा प्राप्त कर किसी प्रकार जीवन जी रहे हैं। वे क्रांति रूपी बादलों के आगमन पर प्रसन्न हैं कि क्रांति के बाद शोषक वर्ग मिट जाएगा और शोषित वर्ग का फूलने-पनपने का उचित अवसर प्राप्त हो जाएगा।

प्रश्न 9.
शोषक वर्ग सब प्रकार से सुरक्षित और संपन्न होते हुए भी क्रांति के नाम से क्यों भयभीत होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शोषक वर्ग धन और शक्ति के कारण समाज में सबसे अधिक संपन्न और सुरक्षित होता है पर वह मन-ही-मन जानता है कि उसी ने निम्न और मध्यम वर्ग का शोषण किया है। यदि कभी भी जन-क्रांति हुई तो उसकी जान पर बन आएगी; वह उनसे नहीं बच पाएगा जिन्हें उसने शोषण का शिकार बनाया था। उसकी सारी सुख-संपत्ति लूट ली जाएगी। उसकी शान-शौकत मिट्टी में मिला दी जाएगी इसलिए वह क्रांति के नाम से भी कांपता है।

प्रश्न 10.
विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? की उत्तर विप्लकी बादल की युद्ध नौका की निम्नलिखित विशेषताएँ
उत्तर
(i) विप्लवी बादल की युद्ध-नौका सदा अस्थिर सुख पर दुख की छाया बनकर मैंडराती रहती है।
(ii) वह दीन-हीन और असहाय समाज को क्रूर विनाश के लिए सदा तैयार करती है और क्रांति के लिए प्रेरित करती है।
(ii) वह अपनी गर्जना से विश्राम कर रहे क्रांतिवीरों को जागने की प्रेरणा देती है।
(iv) विनाश और विध्वंस के लिए वह सदा तैयार रहती है।
(v) वह दीन-हीन-असहायों को क्रांति में भाग लेने के लिए जागृत करती है। (CAD)

प्रश्न 11.
कषि ने किसान की दशा का चित्रण कैसा किया है?
उत्तर
कवि ने किसान की दयनीय और शोचनीय दशा का चित्रण किया है जो पंजीपतियों के शोषण का शिकार बना रहा है। ‘जीर्ण बाह है शीर्ण शरीर’ कहकर उसकी शारीरिक स्थिति को प्रकट करते हुए मानता है कि उसके पास न तो खाने को पूरी रोटी है और न शरीर को ढकने के लिए वस्त्र। उसकी कमजोर शक्तिहीन भुजाएँ कर्मठता से दूर हटकर निकम्मेपन की ओर बढ़ती जा रही हैं। वह इस जीवन से हताश-निराश है।

प्रश्न 12.
‘बादल राग’ के आधार पर विप्लव के बादलों की घोर गर्जना से धनी और पूँजीपति वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
विप्लव के बादलों की घोर गर्जना सुनकर धनी और पूँजीपति वर्ग क्रांति के डर से काँप उठता है। उसे गरीबों के साथ किए गए अपने व्यवहार की याद आ जाती है। उसे अपने पाप डराने लगते है। उसे अब लुट जाने और मारे जाने का भय सताने लगता है। वह अपनी अति सुंदर पत्नी की निकटता पाकर भी भय से काँपता रहता है। उसे प्रतीत होता है कि अब उसे कोई नहीं बचा सकता।

प्रश्न 13.
‘बादल राग’ कविता के माध्यम से कवि के दृष्टिकोण में कौन-सा मूल बदलाव दिखाई दिया है?
उत्तर
निराला जी छायावादी कवि थे। उसकी कविता में प्रेम, सौंदर्य, कल्पना, रहस्यवाद, प्रकृति-चित्रण आदि भावों की प्रधानता दिखाई देती थी पर ‘बादल राग’ में उनका प्रगतिवादी पक्ष दिखाई देता है जिसमें कवि ने दीन-हीन निरीह लोगों का सजीव चित्रण करते हुए पूँजीपतियों के विनाश की कामना की है। वह समाज में परिवर्तन लाना चाहता है। वे पूंजीपतियों को क्रांति से मिटा कर दीन-हीनों के सुखों की कामना करते हैं।

प्रश्न 14.
निराला जी ने अमीरों-पंजीपतियों की अट्टालिकाओं को आतंक भवन क्यों कहा है?
उत्तर
अमीर-पूँजीपति गरीबों, किसानों और श्रमिकों पर अत्याचार कर उनके खून-पसीने की कमाई से अपनी तिजोरियाँ भरते हैं, ऊँचे-ऊँचे महलों-अट्टालिकाओं में शान-शौकत से रहते हैं। वे स्वयं तो सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं पर अपने क्रूरतापूर्ण

व्यवहार से दीन-दुखियों पर आतंक की भाँति छाए रहते हैं। उनके परिश्रम से अपने घर को भरते हैं। संपन्नता भरे जीवन को जीते : हुए भी वे मन-ही-मन जन-क्रांति से डरते रहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने शोषण किया है। उन्हें भय है कि जब क्रांति आएगी तो उन्हें लूट लिया जाएगा, मार दिया जाएगा, उनके ऊँचे-शानदार भवन नष्ट कर दिए जाएंगे। इसलिए कवि ने उनकी अट्टालिकाओं को आतंक-भवन कहा है।

प्रश्न 15.
निराला की सहानुभूति किस वर्ग के प्रति है?
उत्तर
निराला जी की सहानुभूति पूर्ण रूप से पूँजीपति वर्ग के विरोध में गरीब, शोषित और कृषक वर्ग के प्रति है। अमीरों ने ही दीन-हीन वर्ग के शोषण में अपार सुख-समृद्धियों की प्राप्ति की है, अपने ऊँचे-ऊँचे महल खड़े किए हैं। वे चाहते हैं कि शोषित वर्ग एक साथ मिलकर पूँजीपतियों के विरुद्ध विरोध की लहर उत्पन्न करें, क्रांति की मशाल जलाएँ और पूँजीपतियों को समूल नष्ट कर दें।

प्रश्न 16.
‘बादल राग’ के आधार पर धनी शोषकों की जीवन-शैली पर टिप्पणी कीजिए। वे क्यों त्रस्त हैं? (Delhi C.B.S.E. 2016)
उत्तर
‘बादल राग’ कविता में कवि ने धनी एवं पूँजीपति वर्ग के शोषण एवं अत्याचार के शिकार निम्न एवं सर्वहारा वर्ग के जीवन की दयनीय दशा का मार्मिक अंकन किया है। धनी वर्ग का जीवन ऐश्वर्य से परिपूर्ण है किंतु निम्न वर्ग उनके शोषण से दुखी है। निम्न वर्ग ने उनके शोषण से मुक्ति पाने के लिए क्रांति ला दी है। इसीलिए धनी वर्ग त्रस्त हैं।

प्रश्न 17.
बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को ‘बादल राग’ कविता रेखांकित करती हैं? (C.B.S.E. 2018)
उत्तर
जब आकाश में बादलों का आगमन होता है तब बादल गर्जने लगते हैं। उनकी गर्जने की आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई देती है। बादलों में बिजली कोंधने लगती है और मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। पानी मिल जाने के कारण बीजों का अंकुरण हो जाता है। जब वे बड़े होते हैं तो छोटे-छोटे पौधे हवा के चलने से अपने हाथ हिला-हिलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। कमल के फूल से जल की बूंदें टपकने लगती हैं। धरती का कीचड़ जल के बहाव के कारण साफ हो जाता है।

सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल! (C.B.S.E. A.I.C.B.S.E. 2009, 2010 Set-1, 2012, Set-I, C.B.S.E. Delhi 2017 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : तिरती हैं-तैरती है। समीर-सागर-वायु रूपी सागर। जग-संसार। विप्लव-क्रांति । रण-तरी-युद्ध रूपी नौका। भेरी-गर्जन-नगाड़े की आवाज। सुप्त-सोए हुए। उर-छाती, गर्भ, हृदय, वक्षस्थल। अस्थिर-चंचल, जो स्थिर न हो। दग्ध-जले हुए, तप्त, दुखी, पीड़ित। प्लावित-भरी हुई, परिपूर्ण, फैली हुई। घन-बादल, अत्यधिक। सजग-सावधान, सचेत। अंकुर-कोंपल, बीज से पौधा निकलने की प्रारंभिक अवस्था। ताक रहे हैं-देख रहे हैं।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। जिसके रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी हैं। ये छायावाद के प्रमुख स्तंभ और साम्यवादी चेतना से प्रेरित कवि माने जाते हैं। इस काव्यांश में कवि ने बादल को विप्लव और क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। बादल क्रांति के रूप में धरती से शोषण समाप्त कर शोषित वर्ग के जनसामान्य को नवजीवन प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

व्याख्या : कवि बादल का क्रांति के रूप में आहवान करते हुए कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल, जिस प्रकार वायु सागर पर तैरती रहती है। मानवीय जीवन में अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है। ठीक उसी प्रकार संसार के दग्ध हृदय पर तेरी कठोर क्रांति रूपी माया छाई हुई है अर्थात मानव-जीवन में सुख अस्थायी है। हवा के समान सुख चंचल और अस्थिर है।

जीवन में सुखों पर सदैव दुख रूपी बादल मँडराते रहते हैं। मानव-जीवन में सुख-दुख की छाया का आवागमन चलता रहता है। वे कभी भी स्थिर नहीं रहते। संसार के दुख से दुखी और जले हुए हृदय पर कठोर क्रांति का मायावी विस्तार फैला हुआ है। जैसे क्रांति संसार के शोषण और दुखों को समाप्त कर सुख और अमन के वातावरण की सृष्टि कर देती है। उसी प्रकार क्रांति का प्रतीक बादल गरमियों की प्रचंड गरमी से परेशान और दुखी संसार को नवीन सुख और आनंद का संदेश देने आता है।

कवि कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल, जैसे युद्ध की नौका अनेक हथियारों और युद्ध-सामग्री से भरी हुई होती है उसी तरह तुझमें भी जनसामान्य की इच्छाएँ भरी हुई हैं। शोषित वर्ग के सामान्य लोग अपने मन में अनेक इच्छाएँ लेकर तुम्हारी क्रांति के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिस प्रकार युद्ध-भूमि में युद्ध के नगाड़ों की ओजपूर्ण आवाज़ को सुनकर सोए हुए सैनिक जागृत हो जाते हैं और युद्ध लड़ने के लिए तैनात हो जाते हैं उसी प्रकार हे क्रांति-दूत बादल! तेरी अत्यधिक घनघोर गर्जना को सुनकर पृथ्वी के वक्षस्थल पर सोए हुए अंकुर सजग हो उठते हैं।

वे नवजीवन की आशाएँ लेकर अपना सिर ऊँचा करके तेरी ओर सहायता की उम्मीद नज़रों से बार-बार देख रहे हैं। . भाव यह है कि जिस प्रकार पृथ्वी की सतह पर छिपे अंकुरों की आशा होती है कि बादलों से वर्षा होगी और वे उसके पानी का पान करके खिलकर, बढ़कर हरे-भरे होकर लहलहा उठेंगे उसी प्रकार क्रांति के प्रतीक बादल से शोषित वर्ग में भी ऐसे ही नवजीवन की आशा का संचार होने लगता है। उन्हें विश्वास हो जाता है कि क्रांति आने से सदियों से पीड़ित, दलित जीवन स्वतंत्र हो जाएगा। वे भी समाज में सुखपूर्वक जीवन जी सकेंगे तथा अपने जीवन को प्रगति-पथ की ओर अग्रसर करेंगे।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. इस काव्यांश में कवि किसका और किस रूप में आह्वान करता है?
2. बादलों की छाया समीर-सागर पर किस प्रकार तैरती है?
3. ‘यह तेरी रण-तरी, भरी आकांक्षाओं से’ पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
4. पृथ्वी में सोए हुए अंकुर क्या सुनकर जागते हैं और वे किसके समान जागते हैं?
5. काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. इस काव्यांश में कवि बादलों का क्रांति-दूत के रूप में आह्वान करता है।
2. बादलों की छाया समीर-सागर पर उसी प्रकार तैरती है जिस प्रकार मनुष्य के अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती है।
3. इस पंक्ति का भाव यह है कि हे क्रांति के दूत बादल, जिस प्रकार युद्ध रूपी नौका युद्ध की सामग्री से भरी होती है उसी प्रकार तेरे अंदर भी जनसामान्य की असंख्य इच्छाएँ भरी हुई हैं। अर्थात यह निर्धन वर्ग तुझसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति का आह्वान करता
4. पृथ्वी में सोए हुए अंकुर क्रांति के दूत बादलों के स्वर को सुनकर उसी प्रकार जाग जाते है जिस प्रकार युद्धभूमि में सोए हुए सैनिक नगाड़ों की आवाज सुनकर जागृत हो जाते हैं।
5. काव्य-सौंदर्य

  • निराला की प्रगतिवादी चेतना का चित्रण है।
  • कवि ने पूँजीपति वर्ग के प्रति घृणा तथा निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
  • भाषा ओजगुण संपन्न है। खड़ी बोली भाषा में संस्कृत की तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है। यहाँ बादल क्रांति और सुप्त अंकुर शोषित वर्ग के प्रतीक हैं।
  • ध्वन्यात्मकता इसकी प्रमुख विशेषता है।
  • मुक्तक छंद का प्रयोग हुआ है।
  • अनुप्रास, श्लेष, रूपक, मानवीकरण, पुनरुक्ति प्रकाश, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा दर्शनीय है।
  • ओजगुण विद्यमान है।
  • वीर रस का प्रयोग है।

2. फिर फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज-हुंकार।
अशनि-पात से शयित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा धीर।
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते। (C.B.S.E. 2010, Set-III)

शब्दार्थ : गर्जन-गरजना, बादलों की आवाज। मूसलाधार-ऐसी वर्षा जो मूसलके समान मोटी धारा में हो। अशनि-बिजली। शयित-सुलाया हुआ, गिराया हुआ, पड़ा हुआ। हत-मरना। गगन स्पी-आकाश को छूनेवाला। धीर-धैर्यवान । शोर-आवाज़। विप्लव-रव-क्रांति के शब्द, गर्जन या आवाजावर्षण-वर्षा, बरसना। वन हुँकार-वज्र रूपी घनघोर आवाज या गर्जना। पात-गिरना। क्षत-विक्षत-घायल। अचल-पर्वत, अडिग। स्प र्धा-प्रतियोगिता, होड़। रव-शब्द, स्वर। शस्य-हरियाली, हरा-भरापन, अनाज।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित ‘बादल राग’ शीर्षक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने क्रांति-दूत के रूप में बादल का मानवीकरण किया है। क्रांति का प्रतीक बादल शोषक वर्ग का समूल नाश कर देना चाहता है। पूँजीपति बादल की गर्जना सुनकर भयभीत हो उठते हैं लेकिन शोषित वर्ग खुशी से झूम उठता है।

व्याख्या : कवि बादल को संबोधन कर कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल! तुम बार-बार तेज गर्जना करते हो और मूसलधार अर्थात घनघोर वर्षा भी करते हो। सारी धरती पर पानी ही पानी हो जाता है। तुम्हारी वज्र रूपी कठोर गर्जना को सुन-सुनकर संपूर्ण संसार अपना हृदय थाम लेता है और भयभीत हो उठता है। तुम्हारी बिजली के गिरने से उन्नति के शिखर पर चढ़े हुए सैकड़ों-हजारों वीर पुरुष पृथ्वी पर गिर जाते हैं। पर्वत के समान विशालकाय व अडिग, धैर्यवान लोग भी जिनमें आकाश को छूने की निरंतर होड़ लगी है।

तुम्हारी गर्जना सुनकर या तो घायल हो जाते हैं या फिर मर जाते हैं। कवि का मत है कि हे क्रांति के दूत बादल, तुम्हारी क्रांतिपूर्ण वज्ररूपी गर्जना को सुनकर ये विशालकाय, धैर्यवान अर्थात शोषक वर्ग के लोग जो अत्यंत धैर्य के साथ निरंतर ऊँचे ही ऊँचे जाना चाहते हैं घायल होकर नष्ट हो जाते हैं। कवि कहता है कि हे क्रांति के बादल, तुम्हारी वज्र रूपी घनघोर गर्जना का प्रतिकूल प्रभाव केवल पूँजीपति वर्ग के शोषकों पर होने से वे भयभीत हो उठते हैं, अपना धैर्य खो देते हैं लेकिन इस क्रांति से ये निम्न वर्ग के शोषित लोग तनिक भी भयभीत नहीं होते।

ये शोषित समाज के लोग तो तुम्हारी घनघोर गर्जना को सुन-सुनकर हँसते रहते हैं। आनंदमग्न हो उठते हैं। जब तुम भयंकर गर्जना करके बरसते हो तो बड़े-बड़े वृक्ष धरती पर आ जाते हैं। लेकिन छोटे-से भार को धारण किए हुए छोटे-छोटे पौधे खिल उठते हैं। वे अपार हरियाली से युक्त होकर प्रसन्नता से हिल-हिलकर खिलखिलाते हुए हाथ हिलाकर तुझे बुलाते रहते हैं। कवि का अभिप्राय यह है कि निम्न वर्ग सदा क्रांति से आनंदित हो उठता है। उसे क्रांति के स्वरों से डर नहीं लगता। फिर क्रांति की गर्जना से छोटे ही अर्थात जनसामान्य वर्ग के गरीब लोग ही शोभा प्राप्त करते हैं। क्रांति का सबसे अधिक लाभ निम्न वर्ग के शोषितों को ही प्राप्त होता है।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. संसार भयभीत क्यों हो जाता है?
2. क्रांति की बिजली गिरने से क्या प्रभाव पड़ता है?
3. क्रांति आने पर कौन-कौन हँसते हैं और क्यों?
4. ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
5. उपर्युक्त काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. क्रांति रूपी बादलों की वज्ररूपी हुँकार को सुनकर संसार भयभीत हो जाता है।
2. क्रांति की बिजली गिरने से ऊँचाई पर चढ़े हुए सैकड़ों-हजारों उच्च वर्ग के विशालकाय अडिग लोग धरती पर गिरकर घायल हो जाते हैं।
3. क्रांति आने पर छोटे पौधे अर्थात निर्धन वर्ग के लोग हँसते हैं, क्योंकि इनपर क्रांति का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। निम्नवर्ग क्रांति
से सदा आनंदित होता है।
4. इस पंक्ति का भाव यह है कि क्रांति के शब्दों से निम्न वर्ग के लोग ही शोभा प्राप्त करते हैं। अर्थात क्रांति आने पर निम्न वर्ग को ही लाभांश मिलता है जिससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशी का संचार हो जाता है।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने बादल को क्रांति और विद्रोह का प्रतीक मानकर इसका आह्वान किया है।
  • क्रांति का सदा अधिक लाभांश निम्न वर्ग को ही होता है।
  • ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग है। संस्कृत की तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक, पदमैत्री, स्वरमैत्री, मानवीकरण, निदर्शना आदि अलंकारों का सुंदर एवं स्वाभाविक प्रयोग है।
  • ‘हृदय थाम लेना’ मुहावरे का सटीक एवं सार्थक प्रयोग है।
  •  लक्षणा शब्द-शक्ति है।
  • ओजगुण विद्यमान है।
  • वीर रस प्रधान है।

3. अट्टालिका नहीं हैरे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर। (C.B.S.E.Delhi 2008,C.B.S.E. Outside Delhi 2013, Set-12014 Set-I, II, III)

शब्दार्थ : अट्टालिका-विशाल भवन, अटारी, महल। आतंक-भवन-भय का घर या महल। विप्लव-क्रांति। क्षुद्र-तुच्छ, छोटा, निम्न। जलज-कमल। शैशव-बचपन। पंक-कीचड़। प्लावन-बाढ़। प्रफुल्ल-खिला हुआ। नीर-पानी, जल। सुकुमार-अत्यंत कोमल। शोक-दुख, खेद।

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आह्वान किया है। उन्होंने बताया है कि क्रांति का प्रभाव सदा शोषक या पूँजीपति वर्ग पर होता है। क्रांति ही शोषक-शोषित के भेदभाव को मिटा सकती है।

व्याख्या : कवि क्रांति के बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल ! पूँजीपति या शोषक वर्ग के ये ऊँचे-ऊँचे विशाल भवन तेरी क्रांति से ऐशो-आराम या राग-रंग के महल नहीं रह गए हैं बल्कि ये तो आतंक और भय के स्थान बन गए हैं।

तुम्हारी क्रांतिपूर्ण गर्जना को सुनकर सुविधा-भोगी वर्ग के लोग अपने विशाल महलों में भी भयभीत हो रहे हैं। अब इन्हें राग-रंग कुछ भी अच्छा नहीं लगता। इन्हें अब यह डर रहता है कि क्रांति की प्रलयकारी गर्जना न जाने कब इन्हें मिटा दे। जिस प्रकार बाढ़ का विनाशकारी प्रभाव सदैव कीचड़ पर होता है उसी प्रकार क्रांति का विनाशकारी प्रभाव भी बराई रूपी कीचड़ अर्थात पंजीपति वर्ग के शोषकों पर ही होता है। बाढ़ में खिले हुए कमल के छोटे फूल से पानी सदा छलकता रहता है।

उस पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होता न ही वह बाढ़ से विचलित होता है। रोग और दुःखों में भी बच्चे का सुकोमल शरीर सदा हँसता-मुसकराता रहता है। ठीक ऐसे ही विनाशकारी क्रांति आ जाने पर सर्वहारा वर्ग के लोग भी हँसते-मुसकराते रहते हैं। क्रांति का उनके जीवन पर कोई विनाशकारी प्रभाव नहीं होता। क्रांति से पूँजीपति शोषक ही भयभीत होते हैं। क्योंकि उन्हें सदैव अपने साम्राज्य के नष्ट होने का खतरा बना रहता है। सर्वहारा या शोषित वर्ग उससे तनिक भी भयभीत नहीं होते। वे तो आनंदित होते हैं।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. क्रांति का प्रभाव सदा कहाँ होता है?
2. जल सदैव किससे छलकता है?
3. शैशव का सुकुमार शरीर किसमें हँसता रहता है?
4. क्रांति आने पर ऊँचे-ऊँचे भवन क्या बन गए हैं?
5. इस काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
1. क्रांति का प्रभाव सदा समाज की बुराई पर ही होता है।
2. जल सदैव खिले हुए छोटे से कमल से छलकता है।
3. शैशव का सुकुमार शरीर रोग-शोक में भी हँसता रहता है।
4. क्रांति आने पर ऊँचे-ऊँचे भवन आतंक का घर बन गए हैं।
5. काव्य-सौंदर्य

  • कवि को सर्वहारा वर्ग के प्रति विशेष सहानुभूति एवं शोषक वर्ग के प्रति घृणा व्यक्त हुई है।
  • भाषा खड़ी बोली है जिसमें तत्सम शब्दावली का प्रचुर प्रयोग है।
  • प्रतीकात्मक शैली का भावपूर्ण प्रयोग हुआ है।
  • मुक्तक छंद है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की शोभा है।
  • लाक्षणिक प्रयोग सुंदर एवं सार्थक है।
  • बिंब-योजना अत्यंत सुंदर है।
  • अनुप्रास, पदमैत्री, रूपक, मानवीकरण अलंकार की छटा शोभनीय है।

4. रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
अंगना-अंग से लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल!
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ए विप्लव के वीर!
चूस लिया है उसका सार,
हाड़-मात्र ही है आधार,
ऐ जीवन के पारावार ! (C.B.S.E. Delhi 2009, 2010, Set-I, 2011, Set-I)

शब्दार्थ : रुद्ध-रुका हुआ, भरा हुआ। क्षुब्ध-बेचैन । अंगना-सुंदर अंगों वाली स्त्री। अंक-गोद। जीर्ण-जर्जर, शिथिल । अधीर-व्याकुल। कोष-खज़ाना। तोष-संतोष। आतंक-भय, डर। त्रस्त-डरे हुए, सहमे हुए। शीर्ण-अशक्त, शक्तिहीन, निर्बल। पारावार-सागर और जीवन प्रदान करनेवाले।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘निराला’ द्वारा रचित ‘बादल राग’ नामक कविता से अवतरित किया गया है। इसमें कवि ने शोषक वर्ग द्वारा शोषित वर्ग पर हुए शोषण का चित्रण करते हुए क्रांति के दूत बादल का शोषित वर्ग की सहायता के रूप में आह्वान किया है। कवि क्रांति के प्रतीक बादल को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे क्रांति के दूत बादल! पूँजीपति एवं शोषक वर्ग ने निम्न एवं निर्धन लोगों का शोषण कर करके अपने खजाने भर लिए हैं। उन्होंने गरीबों के धन एवं उनकी संपदा पर अपना अधिकार कर लिया है। लेकिन अभी भी धन इकट्ठा करने की उनकी इच्छा समाप्त नहीं हुई। खज़ाने भरे होने पर भी इन धनी लोगों को संतोष नहीं है अर्थात इनकी इच्छाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। इसपर निम्न वर्ग क्रांति कर उठा है।

कवि कहता है कि हे क्रांति के दूत बादल! तेरी क्रांति की वज्ररूपी घनघोर गर्जना को सुनकर ये पूँजीपति वर्ग के लोग अपनी प्रेमिकाओं के अंगों से लिपटे रहने पर भी भय से काँप रहे हैं। निर्धन वर्ग की क्रांति के विद्रोह को देखकर अब धनिक लोग इतने भयभीत हो गए हैं कि उन्हें अपनी प्रेमिकाओं की गोद में भी भय लगता है। इस प्रकार ये शोषक वर्ग के लोग बादलों की वज्र रूपी हुंकार को सुनकर तथा उससे डरकर अपनी आँखें और मुँह ढक रहे हैं।

व्याख्या : वे अपने को कहीं छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। कवि कहता है कि हे क्रांति के वीर बादल! ये शक्तिहीन और व्याकुलं किसान तेरा आह्वान कर रहा है अर्थात तुझे सहायता हेतु पुकार रहा है। जिसकी भुजाएँ पूँजीपति वर्ग के शोषण के कारण जर्जर हो चुकी हैं और उसका सारा खून पूँजीपतियों ने चूस लिया है। इसलिए अब उसका शरीर निर्बल हो गया है। पूँजीपति वर्ग के लोगों ने इस किसान का समस्त जीवन का रक्तरूपी सार चूस लिया है और वह अब ढाँचा मात्रा शेष रह गया है। कवि कहता है कि हे जीवन के पारावार ! तुम इन्हें नवजीवन प्रदान करनेवाले हो। अर्थात तुम्हीं इन्हें शोषक वर्ग के अत्याचार से मुक्त करके नया जीवन दे सकते हो।

अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
1. धनी वर्ग के लोग क्यों काँप रहे हैं?
2. धनी वर्ग के लोगडर कर क्या कर रहे हैं?
3. विप्लव का वीर कौन है? उसे कौन बुलाता है?
4. “चूस लिया है उसका सार, हाड़-मात्र ही है आधार” इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
5. उपर्युक्त काव्यांशों के कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
6. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्ता
1. धनी वर्ग के लोग निर्धन वर्ग की क्रांति एवं विद्रोह के डर से काँप रहे हैं।
2. धनी वर्ग के लोग डरकर अपनी आँखें और मुख ढक रहे हैं।
3. विप्लव का वीर बादल है। उसे व्याकुल कृषक बुलाता है।
4. इस पंक्ति का भाव यह है कि अमीर वर्ग ने निर्धन किसानों एवं मजदूरों का संपूर्ण धन हड़प कर लिया है। उन्होंने उनका खून चूस लिया है अब उनका शरीर हाड़-मात्र ही रह गया है।
5. उपर्युक्त काव्यांश के कवि का नाम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला है तथा कविता का नाम ‘बादल राग’ है।
6. काव्य-सौंदर्य

  • कवि ने कृषक वर्ग के प्रति सहानुभूति व करुणा तथा शोषक वर्ग के प्रति गहन आक्रोश व्यक्त किया है।
  • कवि की विद्रोह भावना अभिव्यक्त हुई है।
  • भाषा सरल, सरस और प्रवाहपूर्ण है। तत्सम शब्दावली का प्रचुरता से प्रयोग है।
  • अनुप्रास, रूपक, श्लेष, पदमैत्री, स्वरमैत्री अलंकारों की छटा शोभनीय है।
  • चित्रात्मक तथा प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग है।
  • मुक्तक छंद है।
  • भारतीय किसान की करुणावस्था का चित्रण हुआ है।
  • भयानक तथा करुण रस का अंकन हुआ है।
  • बिंब-योजना सार्थक एवं सटीक है।