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जूझ Class 12 Important Extra Questions Hindi Vitan Chapter 2

प्रश्न 1.
‘जूझ’ पाठ का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जूझ का शाब्दिक अर्थ है-संघर्ष। इस पाठ में लेखक ने एक बच्चे की पाठशाला जाने की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा इच्छापूर्ति के लिए किए जानेवाले संघर्ष का चित्रण किया है। वह अपने संघर्ष को सफल बनाना चाहता है। वह अपनी स्कूल जाने की इच्छा को सफल बनाता है और एक सफल कवि बनता है। यहाँ कथा-नायक के जीवन के संघर्षों का मार्मिक चित्रांकन दर्शनीय है। इस उपन्यास का कथा-नायक कोमलावस्था से निरंतर संघर्ष करता रहता है।

प्रश्न 2.
कथा-नायक की माँ ने दत्ता जी राव को अपने बेटे की पढ़ाई छुड़वाने का क्या कारण बताया ?
उत्तर
कथा-नायक की माँ ने दत्ता जी राव को बताया कि दाऊ सारा दिन रखमाबाई के पास गुजार देता है। खेती के काम में हाथ नहीं लगाता। वह सारे गाँव में आजादी से घूमता रहता है। इस कारण आनंद को खेतों में काम करना पड़ता है। इसलिए माँ को अपने बेटे की पढ़ाई छुड़वानी पड़ी।

प्रश्न 3.
दादा ने कथा-नायक से क्या वचन लिया ?
उत्तर
दादा ने कथा-नायक से यह वचन ले लिया कि उसे दिन निकलते ही खेत पर हाजिर होना चाहिए। उसे ग्यारह बजे पाठशाला का समय होने तक खेत में पानी लगाना चाहिए। खेत से ही सीधे पाठशाला जाना होगा। छुट्टी होते ही घर में थैला रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना। सभी खेतों में ज्यादा काम होने पर पाठशाला में गैर-हाजिर होना।

प्रश्न 4.
कथा-नायक की कक्षा का मॉनीटर कौन था और क्यों ? ।
उत्तर
कथा-नायत की कक्षा का मॉनीटर बसंत पाटिल नामक छात्र था। वह बहुत होशियार और मेहनती था। उसका स्वभाव बहुत शांत था। वह सदा तैयारी में लगा रहता था इसलिए वह मॉनीटर था।

प्रश्न 5.
पाठशाला में मास्टर कथा-नायक को किस नाम से पुकारते थे? उसका विश्वास कैसे बढ़ने लगा?
उत्तर
पाठशाला में मास्टर कथा-नायक को आनंदा कहकर पुकारते थे। आनंदा कभी-कभी अपने मॉनीटर के साथ बच्चों के सवाल जाँचने लगा तो उन दोनों की दोस्ती हो गई। वे दोनों कक्षा में अनेक काम करने लगे। मास्टर उससे अच्छा व्यवहार करने लगे। मास्टरों के अपनेपन के व्यवहार तथा मॉनीटर बसंत पाटिल की दोस्ती के कारण कथानायक का पाठशाला में विश्वास बढ़ने लगा।

प्रश्न 6.
लेखक को मराठी कौन पढ़ाते थे और कैसे?
उत्तर :
लेखक को श्री सौंदलगेकर नामक मास्टर मराठी पढ़ाते थे। वे पढ़ाते समय स्वयं रम जाते थे। विशेषकर वे कविता को बहुत ही अच्छे ढंग से पढ़ाते थे। वे सुर, लय, छंद के साथ आनंदमय ढंग से पढ़ाया करते थे। पहले वे एकाध कविता गाकर सुनाते थे। फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण करवाते थे। उसी भाव की किसी अन्य कवि की कविता भी सुनाते। बीच में यशवंत, वोरकर, ताँबे, गिरीश, केशव कुमार आदि कवियों से अपनी मुलाकात के संस्मरण भी सुनाते थे। कभी-कभी स्वरचित कविता भी सुना देते थे।

प्रश्न 7.
लेखक सुबह-शाम खेतों पर पानी लगाते या ढोर चराते समय क्या करते थे?
उत्तर :
लेखक सुबह-शाम खेतों पर पानी लगाते समय मास्टर के ही हाव-भाव, लय, ताल, छंद, आरोह-अवरोह के अनुसार गाते रहते थे। वे अपने मास्टर के अनुसार ही अभिनय करते थे।

प्रश्न 8.
लेखक का अकेलापन कैसे गायब हो गया? (HR. 2010, Set-B)
उत्तर
लेखक अपने अकेलेपन में कविताओं को लय, ताल, छंद, यति-गति के साथ गाया करता। वह बहुत ऊँची आवाज़ में गाकर अभिनय करने लगा था। वह कविता गाते-गाते शुई-मुई करके नाचने लगता था। उन्होंने अनेक कविताओं को स्वयं की चाल में गाना शुरू कर दिया। इस प्रकार लेखक का अकेलापन गायब हो गया।

प्रश्न 9.
मास्टर के अनुसार कविता रचने के क्या नियम होने चाहिए?
उत्तर मास्टर के अनुसार कविता रचने के निम्नलिखित नियम होने चाहिए
(i) स्पष्ट शुद्ध लेखन होना चाहिए।
(ii) कवि की भाषा शुद्ध होनी चाहिए।
(iii) अलंकार-छंद आदि का प्रयोग शुद्ध होना चाहिए।
(iv) कठिन भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 10.
यह खेती हमें गड्ढे में ढकेल रही है-बालक आनंद यादव के इस कथन के पक्ष या विपक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर
बालक आनंद यादव का कथन सत्य था क्योंकि
(i) खेती से प्राप्त कमाई घर के खर्च के लिए पर्याप्त नहीं होती।
(ii) ऋण के बोझ के कारणों से किसानों को आत्महत्या के लिए विवश होना पड़ता है।

निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कथा-नाषक (आनंद) के पिता उसे स्कूल क्यों नहीं भेजना चाहते ? समीक्षा करें।
अथवा
पिता बेटे की पढ़ाई-लिखाई के पक्ष में क्यों नहीं था? (C.R.S.E. 2014, Set-III, A.I. C.B.S.E. 2014)
उत्तर
कथानायक एक किसान के बेटे हैं जो पढ़-लिखकर कोई नौकरी करना चाहते हैं। कथानायक का मानना है कि नौकरी प्राप्त कर वे अपने जीवन को सफल बना सकते हैं अथवा कोई व्यापार कर अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हा कथानायक के पिता दीवाली के एक महीना बाद ही ईख पेरने का कोल्हू चलाना चाहते हैं।

पिता जी का मानना है कि अगर कोल्लू जल्दी शुरू हो गया तो ईख की अच्छी-खासी रकम मिल जाएगी। उनकी समझ थी कि अगर सबने अपने कोल्हू चला दिए तो बाजार में गुड़ की बहुतायत हो जाएगी और भाव नीचे गिर जाएंगे क्योंकि बाजार में बदिया गुड़ आ जाएगा और हमारे गुड की कीमत घट जाएगी।

इसके विपरीत कथा-नायक की सोच थी कि ईख पकने के बाद ही गह अधिक निकलेगा क्योंकि देर तक खड़ी ईख में रस की मात्रा बढ़ जाती है। इस प्रकार गुड़ भी अधिक निकलेगा और मेरी पढ़ाई भी हो जाएगी, परंतु कथा-नायक के पिता अपनी सोच के अनुसार काम करना चाहते हैं इसलिए वे कथा-नायक को स्कूल जान से मना कर देते हैं।

प्रश्न 2.
कथा-नायक के फिर से स्कूल जाने में दत्ता जी राव की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर
कथा-नायक के दादा (पिता जी) उसे खेती के काम में लगाना चहाते हैं। पढ़ाई को समय खराब करने जैसा मानते हैं इसलिए कथा-नायक (आनंद) को पांचवी कक्षा से हटा देते हैं परंतु अभी भी कथानायक में पढ़ने की उत्कुंठा बनी हुई है। वे अपनी माँ को यह समझाते हैं कि दत्ता जी राव ही मेरी पढ़ाई फिर से शुरू करवा सकते हैं। इसलिए माँ-बेटा दोनों दत्ता जी राव के पास जाकर पूरी बात बताते है। दत्ता जी राव कथा नायक को बुलाकर खूब डाँटते हैं। वे उसे कहते हैं “फिर तू क्या करता है?” जब दत्ता जी राव ने कथा-नायक के पिता से बहस करना शुरू किया तो सारी बात सामने आ गई।

उन्होंने दादा से कहा कि मैं देख रहा हूँ कि तुम आजकल खेती में बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे हो। तुमने उन माँ बेटे को आजकल बैल की तरह खेतों में जोत रखा है और स्वयं सारा दिन गांव में घूमते रहते हो। दत्ता जी राव यह भी कहते हैं कि अगर बच्चे की फीस नहीं दे सकता तो मैं इसकी फीस के पैसे भर दिया करुंगा। इसलिए कल से इसको स्कूल भेजो। इस प्रकार कथानायक की पढ़ाई एक बार फिर शुरू हो जाती है।