By going through these Online Education CBSE Class 6 Sanskrit Notes Chapter 8 सूक्तिस्तबकः Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.

Online Education for Class 6 Sanskrit Chapter 8 सूक्तिस्तबकः Summary Notes

सूक्तिस्तबकः पाठ का परिचय

इस पाठ में संस्कृत साहित्य की कुछ सूक्तियों का संकलन है। ‘सूक्ति’ शब्द ‘सु’ उपसर्ग तथा ‘उक्ति’ मूल शब्द से बना है। सु + उक्ति = ‘सूक्ति’ का अर्थ है-अच्छा वचन। अत्यल्प शब्दों में जीवन के बहुमूल्य तथ्यों को सुंदर ढंग से कहने के लिए संस्कृत साहित्य की सूक्तियाँ प्रसिद्ध हैं। यथा परिश्रम से कार्य सिद्ध होते हैं केवल इच्छा करने से नहीं, पुस्तक में पढ़ी बात जीवन में अपनानी चाहिए, मधुर वचन सबको खुश कर देते हैं, इत्यादि अच्छी बातें इन सूक्तियों में निहित हैं।।

सूक्तिस्तबकः Summary

इस पाठ में उत्तम सूक्तियों का संग्रह है। इसका सार यह है कार्य परिश्रम से ही सफल होते हैं सोते हुए शेर के मुँह में हिरन नहीं जाते। क्या सूर्य के न रहने पर दीपक जलाया नहीं जाता है? पुस्तक में पढ़ा गया पाठ जीवन में साध लेना चाहिए। जो पाठ सार्थक न हो, उस पाठ का क्या लाभ? प्रिय वाक्य को सुनकर सभी मनुष्य प्रसन्न हो जाते हैं। अतः मधुर बोलना चाहिए। चलती हुई चींटी सैकड़ों योजन पार कर जाती है। एक स्थान पर बैठा हुआ गरुड़ भी एक कदम पार नहीं कर सकता।

सूक्तिस्तबकः Word Meanings Translation in Hindi

(क) उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उद्यमेन-परिश्रम से (by hard work), हि-निश्चय से (निश्चित ही) (surely), सिध्यन्ति-सफल होते हैं (be successful), कार्याणि-काम (work), मनोरथैः-इच्छाओं से (desire only by desiring), सुप्तस्थ-सोए हुए (के) (Sleeping), सिंहस्थ-शेर के (Lion’s), प्रविशन्ति-प्रवेश करते हैं (to enter), मुखे-मुँह में (in lion’s mouth), मृगाः-हिरण (deer)।

अन्वयः (Prose-order)
कार्याणि उद्यमने हि सिध्यन्ति मनोरथैः न, सुप्तस्य सिंहस्य मुखे मृगाः न हि प्रविशन्ति। सरलार्थः परिश्रम से ही काम सफल होते हैं केवल इच्छाएँ करने से नहीं! (जैसे) सोए हुए शेर के मुँह में हिरण खुद ही नहीं प्रवेश करते (घुसते) हैं। भाव: मनुष्य सहित सभी जीव-जन्तुओं को अपने काम का सफल करने के लिए प्रयत्न करना ही पड़ता है।

English Translation:
Any work gets successful only by hard work not only by desiring just as a deer itself does not enter a lion’s mouth

(ख) पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
पुस्तके-पुस्तक में (in the book), पठितः-पढ़ा गया, (that is read), जीवने-जीवन में (in life), नैव (न+ एव)-नहीं (not), साधितः-अपनाया/ उपयोग किया गया (practised/used), किं भवेत्-क्या लाभ (what is the use), यो न (यः न) – जो नहीं (which is not), सार्थक:-अर्थपूर्ण (meaningful)

अन्वयः (Prose-order) (यदि) पुस्तके पठितः पाठः जीवने न साधितः (तर्हि) यः (पाठः) जीवने सार्थकः न (अस्ति) तेन पाठेन किं भवेत्। सरलार्थ : (यदि) पुस्तक में पढ़ा गया पाठ जीवन में उपयोग में नहीं लाया गया तो जो (पाठ) जीवन में सार्थक नहीं उस पाठ से क्या लाभ? भाव : पुस्तक में पढ़ी हुई बातों को जीवन में अवश्य अपनाना चाहिए।

English Translation:
If a lesson that is read in a book is not made use of in life, then what is the use of that lesson.

(ग) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रियवाक्यप्रदानेन-प्रिय वचन बोलने से (by speaking pleasant words), तुष्यन्ति-खुश होते हैं (become happy/satisfied), तस्मात्-इस कारण से (hence), वक्तव्यम्-बोलना चाहिए (should speak), वचने-बोलने में in speech, का दरिद्रता-कंजूसी/कृपणता क्यों हो (why be miserly)।

अन्वयः (Prose-order):
सर्वे मानवाः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति; तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यम्; वचने का दरिद्रता (स्यात्)। सरलार्थ : सब मनुष्य प्रिय वचन कहे जाने पर प्रसन्न हो जाते हैं। इस कारण मधुर वचन ही बोलने चाहिए। वाणी के उपयोग में कंजूसी क्यों की जाए। अर्थात् उदार होकर अधिकाधिक मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए। भावः मीठे बोल सबको प्रसन्न रखने का एकमात्र सरल साधन है।

English Translation:
All human beings when addressed with pleasant speech become satisfied/happy. Hence one should always use pleasant words. Why be miserly in speech? One should be generous in the use of pleasant words, because it makes everyone happy.

(घ) गच्छन् पिपीलको याति योजनानां शतान्यपि।
अगच्छन् वैनतेयोऽपि पदमेकं न गच्छति॥

शब्दार्थाः (Word Meanings) :
गच्छन्-चलता हुआ (roaming, moving), पिपीलकः-चींटी (नर) ant (he), याति-जाता/जाती है (goes), योजनानां- योजनों का (दूरी का एक माप) (of many yojanas’, measure of distance equal to 12 kms), शतानि अपि-कई सौ (hundreds), अगच्छन् (न गच्छन्)-न जाता हुआ (one not on the move),वैनतेयः-गरुड़ पक्षी (Garuda the bird that fies very swiftly), पदमेकम् (पदम् + एकम् )- एक कदम (a single step)।

अन्वयः (Prose-order):
गच्छन् पिपीलकः योजनानां शतानि अपि याति; अगच्छन् वैनतेयः अपि एकं पदं न गच्छति। सरलार्थ : चलती हुई चींटी तो सैकड़ों योजन की दूरी लाँघ जाती है किंतु न चलता हुआ गरुड़ भी एक कदम भी नहीं जाता अर्थात् आगे नहीं बढ़ता। भावः प्रयास करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं अन्यथा नहीं।

English Translation:
Even an ant when on the move manages to cross hundreds of yojanas’. But even Garuda, when not moving, does not proceed even a single step.

(ङ) काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः।
वसंतसमये प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः ॥

शब्दार्थाः (Word Meanings):
काकः-कौवा (crow), कृष्णः-काला (black), पिकः-कोयल (cuckoo), भेदः-अंतर (difference), पिककाकयो:-कोयल और कौवे के मध्य (between the crow and the cuckoo), वसन्तसमये प्राप्ते-वसन्त काल आने पर (on arrival of spring time)।

अन्वयः (Prose-order) :
काकः, कृष्णः, पिकः (अपि) कृष्णः (अस्ति), पिककाकयोः कः भेदः (अस्ति) वसंतमये प्राप्ते काकः काकः पिक: पिकः (इति भेदः स्पष्टः भवति) सरलार्थः कौआ काला होता है, कोयल भी काली होती है, कौए और कोयल में क्या अंतर है? वसंतकाल आने पर कौवा कौवा है और कोयल कोयल है। (यह बात स्पष्ट हो जाती है।) भावः वाह्य आकार के आधार पर आंतरिक गुणों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, किंतु समय आने पर आंतरिक गुण भी प्रकट हो जाते हैं।

English Translation:
The crow is black and the cuckoo is also black. What is the difference between the crow and the cuckoo? On arrival of spring time the crow is a crow and the cuckoo is a cuckoo i.e., their difference becomes clear in spring.