By going through these CBSE Class 7 Sanskrit Notes Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् Summary, Notes, word meanings, translation in Hindi, students can recall all the concepts quickly.
Class 7 Sanskrit Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् Summary Notes
विश्वबंधुत्वम् पाठ का परिचय
प्रस्तुत पाठ के द्वारा संसार में बन्धुत्व अर्थात् भाईचारे की भावना की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। सभी विकसित, विकासशील और अविकसित देशों में परस्पर प्रेम और मित्रता का व्यवहार होना चाहिए। पाठ में वर्णन किया गया है कि सूर्य, चन्द्र और प्रकृति भेदभाव नहीं करते हैं, तब मानव को भी वैरभाव छोड़कर बन्धुत्व के भाव से संसार में व्यवहार करना चाहिए। संसार के कल्याण के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में मानने वाले उदार एवं महान् व्यक्ति होते हैं। पाठ में कारक और उपपद विभक्तियों का प्रयोग छात्रों के लिए उपयोगी होगा।
विश्वबंधुत्वम् Summary
इस पाठ में भाईचारे का उपदेश किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है उत्सव में, व्यक्तिगत संकट में, अकाल पड़ने पर, देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह मित्र होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव आ जाए तो विश्वबन्धुता सम्भव है।
दुःख की बात है कि समूचे संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं समझते हैं। समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना ‘ प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सब जगह शत्रुता, वैर और हिंसा की भावना दिखाई पड़ती है। देशों का विकास भी बाधित होता है।
यह महान् आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें। संसार के मनुष्यों में यह भावना आवश्यक है। इसके द्वारा विकसित अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ स्पर्धा होगी। सभी देश ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएंगे।
सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है। इसलिए हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए। इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है अथवा पराया है ऐसी सोच संकीर्ण मन वालों की होती है। उदार मन वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार होती है।
विश्वबंधुत्वम् Word Meanings Translation in Hindi
(क) उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च यः सहायतां करोति सः बन्धुः
भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
उत्सवे-पर्व में (in festival), व्यसने-संकट के समय में (at the time of distress), दुर्भिक्षे-अकाल पड़ने पर (at the time of famine), राष्ट्रविप्लवे-देश पर विपत्ति (संकट)आने पर [(coming of) trouble to the country], बन्धुः -भाई अथवा मित्र (brother or friend), विश्वबन्धुत्वं-विश्व के प्रति भाईचारा (brotherhood in the world), सम्भवति सम्भव है (is possible).
सरलार्थ :
पर्व (त्योहार) में, संकट के समय में, अकाल पड़ने पर, देश पर विपत्ति आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब स्थानों पर ऐसी भावना हो, तब संसार में भाईचारा सम्भव होता है।
English Translation :
He who helps during a festival at the time of distress, at the time of famine, adverse during times in a country and during trouble from the enemy is a brother (friend). When there is such feeling everywhere in the world then brotherhood in the world is possible.
(ख) परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति। मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति।अपिच समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य,शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते।देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
अधुना-अब (now), निखिले-सम्पूर्ण (में) (in the whole), विश्वसन्ति-विश्वास करते हैं (are trusting), स्वकीयम्-अपना [(one’s) own], उपेक्षाभावम् अनादर की भावना की (disrespect), प्रभुत्वं-प्रभुता को (बड़प्पन की भावना) (superiority), विद्वेषस्य-शत्रुता की (of enmity), अवरुद्धः- रुक जाता/जाती है (stops).
सरलार्थ :
परन्तु अब सारे विश्व में लड़ाई और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे (मनुष्य) दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा नहीं गिनते (समझते) हैं। और (भी) सम्पन्न देश असमर्थ (गरीब) देशों के प्रति अनादर का भाव दिखाते हैं और उनके ऊपर अधिकार स्थापित करते हैं (रखते हैं) विश्व में सब स्थानों पर द्वेष की, वैर की और हिंसा की भावना दिखाई देती है। देशों की उन्नति भी रुक जाती है।
English Translation :
But now there is an atmosphere of hostility and unrest in the whole world. Men do not trust each other. They do not consider the pain (trouble) of others as their own. More prosperous countries show (have) a feeling of disrespect for the poorer countries, and impose their superiority over them. Because of that reason the feeling of jealousy, enmity and violence is seen at all places in the world. The progress of the countries also stops.
(ग) इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयोः देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
वर्तते-है (is), अपरेण-दूसरे से (with another), जनेषु मनुष्यों में (in humans), स्पर्धा-होड़ (मुकाबला) (competition), ज्ञानविज्ञानयोः-ज्ञान और विज्ञान के (of knowledge and science), मैत्रीभावनया-मित्रता की भावना से (with the feeling of friendship).
सरलार्थ :
यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय (मन) से भाईचारे का व्यवहार करे। संसार के लोगों के लिए यह भावना आवश्यक है। तब विकसित और अविकसित देशों के बीच में सही होड़ होगी। सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना से और सहयोग से उन्नति प्राप्त करने के योग्य होंगे।
English Translation:
There is a great need that one country practices a behaviour of brotherhood with another country with a pure heart. This feeling is necessary among the people of this world. Then there will be healthy competition between the developed and undeveloped countries. All countries with the feeling of friendship and co-operation will be capable of progress in the fields of knowledge and science.
(घ) सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन
व्यवहरति। तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
प्रसरति-फैलता है/बहता है (flows), ज्ञायते-जाना जाता है (is known), व्यवहरति-व्यवहार करती है (behaves), समत्वेन-समान भावना से (with a similar feeling), अपहाय-छोड़कर (give up), स्थापनीयम्-स्थापित करना चाहिए (establish).
सरलार्थ :
सूर्य और चन्द्र की रोशनी सब स्थानों पर समान रूप से फैलती है। प्रकृति भी सब में समान भावना से व्यवहार करती है। उसी कारण से हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए।
Eglish Translation :
The light of sun and moon spreads equally at all the places. Nature also behaves with equality towards all. Due to this reason, giving up the feeling of mutual enmity we all should establish brotherhood in the world.
(ङ) अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
निजः-अपना (own), लघुचेतसाम्-छोटे हृदय वालों का (of the narrow minded), वसुधैव (वसुधा+एव)-पृथ्वी ही (only earth), उदारचरितानां-विशाल (दयालु) हृदय वालों का (of large hearted people), कुटुम्बकम्-परिवार (family).
सरलार्थ :
इसलिए संसार की भलाई (हित) के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है और यह पराया है, इस प्रकार की गिनती (सोच) क्षुद्र (छोटे) हृदय वाले लोगों की होती है। दयालु अर्थात् विशाल हृदय वाले व्यक्तियों के लिए तो (सारी) पृथ्वी ही एक परिवार है।
English Translation :
Therefore, for the welfare of the world the feeling should be like this-This is (my) own and this is others, the narrow minded people think like this. For large-hearted people the (whole of) earth is one family.