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Desert Animals Summary Class 6 English Honeysuckle
Desert Animals Summary in English
Deserts are the driest and the hottest places on earth. For long periods they get no rain and bear the hot sun. Still so many kinds of creatures live there. It is a wonder how they manage to get water and food there.
The fact is that every creature finds ways to fight the heat, hunger and thirst. The gerbils (a kind of desert rat) spend the hot day in cool underground holes. Dark beetles catch drops of water on their legs.
Not all deserts are seas of sand dunes. Some are rocky and dotted with small bushes while others are sprinkled with colourful flowers during the spring.
There are more than 2300 kinds of snakes around the world. Some are long or poisonous, others are small and harmless. In the deserts of America live rattlesnakes. They are very dangerous and poisonous. They can feel the movement of a person, butc cannot hear any sound. They live on mice, and squirrels. The large pythons can do without eating for a year.
The other animal in the desert is mongoose. Mongooses travel in groups and eat small creatures. They hunt together. They too have their enemies like hawks, eagles and large snakes. Mongooses are famous for killing snakes. The female mongooses raise their kitten inside hollow logs or old termite mounts.
Another notable animal found in the desert is the camel. Some are wild, but most are domesticated by people. A thirsty camel can drink upto thirty gallons of water at a time. Normally it meets its need of water from desert plants. It can survive for upto ten months without drinking any water.
There are two kinds of camel. The Dromedary camel has a single hump. The Bactrian camel has two humps. Humps act as storage containers. They are not used for storing water. They are full of fat which keeps them alive for several days. A camel’s mouth is so tough that no thorn can pierce into it.
Desert Animals Summary in Hindi
मरुस्थल धरती पर सर्वाधिक सूखे और गर्म स्थान हैं। दीर्घकाल तक वहाँ वर्षा नहीं होती और उन्हें सूर्य का ताप सहन करना पड़ता है। फिर भी अनेक प्रकार के जीव वहाँ रहते हैं। यह हैरानी की बात है कि वे वहाँ जल और भोजन किस प्रकार से प्राप्त करते हैं।
सच यह है कि हर जीव धूप, भूख और प्यास से जूझने का जुगाड़ बना लेता है। रेगिस्तानी चूहे तो गर्म दिन के समय धरती के नीचे बने ठण्डे बिल में चले जाते हैं। काले कीट अपनी टाँगों पर जल की बूंदें संग्रह कर लेते हैं।
सभी रेगिस्तान रेत के टीलों के समुद्र नहीं होते। कुछ पथरीले होते हैं और वहाँ छोटी-छोटी झाड़ियाँ उग आती है। कुछ रेगिस्तान तो वसंत ऋतु में रंग बिरंगे फूलों से जगमगा उठते हैं।
संसार में कोई 2300 से अधिक प्रजाति के साँप हैं। कुछेक लम्बे तथा विषैले होते हैं, अन्य छोटे और सुरक्षित होते हैं। अमरीका के मरुस्थल में खड़खड करने वाले साँप पाये जाते हैं। वे बहुत खतरनाक तथा विषैले होते हैं। वे व्यक्ति के निकट आने की आहट भी महसूस कर लेते हैं पर आवाज़ नहीं सुन सकते। वे चूहे तथा गिलहरी आदि जीव खाकर जीवित रहते हैं। विशालकाय अजगर तो एक वर्ष तक बिना भोजन के रह सकता है।
मरुस्थल का एक अन्य जीव है नेवला। ये झुण्ड में निकलते हैं और छोटे-मोटे जीवों का आहार करते हैं। ये एक साथ मिलकर ही शिकार करते हैं। ये बाज, गरुड़ तथा बड़े साँप जैसे जीवों का शिकार करते हैं। नेवले साँप को मारने में माहिर होते हैं। मादा नेवला अपने बच्चों को या तो लकड़ी के गड्ढे के खोल में अथवा दीमक के पुराने टीले में पालती है।
रेगिस्तान में पाया जाने वाला एक अन्य पशु है ऊँट। कुछ ऊँट जंगली होते हैं पर अधिकांश पालतू होते हैं। एक प्यासा ऊँट एक बार में 30 गैलन तक पानी पी सकता है। आमतौर से वह अपनी पानी की ज़रूरत रेगिस्तानी पौधों से पूरी करता है। वह 10 माह तक बिना जल के काम चला सकता है।
ऊँट दो किस्म के होते हैं। द्रोमेदरी ऊँट की पीठ पर एक ही कूबड़ होता है। बेक्ट्रियन ऊँट की पीठ पर दो कूबड़ होते हैं। ये कूबड़ भण्डारण के काम आते हैं। उनमें जल नहीं भरा होता है। उनमें चर्बी भरी होती है जो उन्हें कई दिनों तक जीवित रखती है। ऊँट का मुँह इतना कठोर होता है कि उसमें कोई भी काँटा नहीं घुस सकता।