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Gopal and the Hilsa Fish Summary Class 7 English Honeycomb
Gopal and the Hilsa Fish Summary in English
It was the season for Hilsa-fish. The fishermen caught a lot of them. They sold them in the market. The prices, they said, were down. This news was discussed by all householders. They were amazed that the fish came to such a low price.
In the palace also the courtiers discussed the matter. A courtier showed the king a big fish he had caught. The king lost his temper. The courtier became silent and sad. The king realised his mistake. He told that even Gopal couldn’t stop anyone from talking about Hilsa. Gopal protested. He said he could do that. The king then challenged him to bring a big fish to the palace without anyone asking a word about it.
Since Gopal accepted the challenge, he started working accordingly. He became half-shaven and covered himself with ash. When his wife asked him the reason about his peculiar look, he said that he was dressing up to buy a Hilsa fish. His wife thought he had gone mad.
Gopal bought the Hilsa and started walking towards the palace. A child cried that the man was comical. Another called him a mad man. The third mistook him for a mystic. But no one talked about the fish.
Gopal reached the court. He told the guards that he wanted to see the king. They didn’t allow him to enter. Gopal began dancing and crying loudly. They reported the matter to the king. The king ordered to bring him to the court. Gopal introduced himself before the king. The king asked him why he was dressed up in that fashion.
Gopal explained that when he was coming to the palace not a single man spoke about Hilsa-fish. Everyone got attracted towards his peculiar look. They didn’t mind the fish. The king remembered the challenge he had thrown to Gopal. He congratulated Gopal on his achieving the impossible.
Gopal and the Hilsa Fish Summary in Hindi
हिल्सा मछलियाँ पकड़ने का मौसम था। मछुआरों ने बड़ी संख्या में उन्हें पकड़ा। उन्होंने मछलियाँ बाजार में बेच दीं। उन्होंने कहा कि हिल्सा मछली की कीमत नीची हो गई है। इस समाचार पर सभी घरों में चर्चा हुई। वे चकित थे कि मछली इतने सस्ते दाम पर आ गई।
राजमहल में भी दरबारियों ने इस विषय पर चर्चा की। एक दरबारी ने राजा को अपने द्वारा पकड़ी एक बड़ी मछली दिखाई। राजा आपे से बाहर हो गया। दरबारी चुप और उदास हो गया। राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया। वह बोला कि गोपाल भी किसी को हिल्सा के बारे में बोलने से रोक नहीं सकता। गोपाल ने प्रतिवाद किया। वह बोला कि वह यह काम कर सकता था। फिर राजा ने उसे चुनौती दी है कि वह एक बड़ी-सी मछली महल में ले आए, लेकिन कोई भी मछली के बारे में कुछ पूछा नहीं।
गोपाल ने चुनौती स्वीकार कर ली। उसने अपनी दाढी आधा कटवा लिए और पूरे शरीर पर राख की परत चढ़ा दी। जब उसकी पत्नी ने उसके अजीबोगरीब हाव-भाव के बारे में पूछा तो गोपाल ने बताया मैं एक बड़ी हिल्सा मछली खरीदने जा रहा हूँ। पत्नी ने सोचा वह पागल हो गया है।
गोपाल ने मछली खरीदी और महल की ओर चल दिया। एक बच्चे ने कहा यह आदमी तो जोकर है। दूसरे ने गोपाल को पागल कहा, तीसरे ने गलती से उसे साधु बताया। लेकिन किसी ने भी मछली की चर्चा नहीं की।
गोपाल दरबार में पहुँचा। उसने पहरेदारों को बताया कि वह राजा से मिलना चाहता है। उन लोगों ने उसे अन्दर जाने से रोक दिया। गोपाल ऊँचे स्वर में गाने और नाचने लगा। द्वार रक्षकों ने इस बात की जानकारी राजा को दी। राजा ने उन्हें इस व्यक्ति को तुरन्त अन्दर ले आने का आदेश दिया। गोपाल ने अपना परिचय दिया। दरबारियों ने सोचा कि गोपाल पागल हो गया है। मछली का मामला तो उसका एक मजाक था। राजा ने पूछा तुमने इस प्रकार का विचित्र रुप क्यों बना रखा है।
गोपाल ने स्पष्ट किया कि जब वह महल की ओर आ रहा था तो किसी भी व्यक्ति ने एक बार भी हिल्सा मछली की बात नहीं की। सबका ध्यान उसके विचित्र रुप की ओर था। राजा को चुनौती की बात याद आयी जो उसने गोपाल को दी थी। उसने गोपाल को असंभव काम कर दिखाने के लिये बधाई दी।