NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? [Imp.]
अथवा
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?[A.I. CBSE 2008)
उत्तर:
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने, के स्थान पर ‘गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि कवि को बादल क्रांति दूत के रूप में नजर आते हैं। समाज में क्रांति लाने के लिए विनम्रता की नहीं उग्रता की आवश्यकता होती है। बादलों की उग्रता उनके गर्जन में छिपी होती है, जिससे लोग सजग हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि ने उत्साह कविता में बादलों से गरजने की कामना की है और ऐसी गरजना जिससे जन-सामान्य में चेतना का संचार हो जाए। ऐसी गरजना, जिसकी गड़-गड़ाहट को सुन उदासीन लोग भी उत्साहित हो जाएँ। कवि अपेक्षा करता है कि लोग बादल की गरजना से अपनी उदासीनता को छोड़ दें और उत्साहित हो जाएँ। ऐसी अपेक्षा करते हुए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है।
प्रश्न 3.
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कविता में बादल निम्नलिखित तीन अर्थों की ओर संकेत करते हैं
- क्रांति के दूत और समाज में बदलाव लाने हेतु लोगों में उत्साह भरने वाले के रूप में।
- लोगों के कष्ट और ताप हरकर शीतलता देने वाले के रूप में।
- जल बरसाने वाली शक्ति विशेष के रूप में।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिएrञ्च
( क ) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात। [Imp.]
( ख ) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल [Imp.] बाँस था कि बबूल?
उत्तर:
निम्नलिखित पंक्तियों में नाद-सौंदर्य दर्शनीय है-
- घेर-घेर घोर गगन।
- विकल विकल, उन्मन थे उन्मन।
- तप्त धरा, जल से फिर।।
- शीतल कर दो-बादल गरजो!
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5.
मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
मुसकान मन की प्रसन्नता को प्रकट करने वाला भाव है। मुसकान से वातावरण में प्रसन्नता फैल जाती है। मुसकराने वाला तो प्रसन्न होता ही है सामने वाला भी मुसकान देखकर खुश हो जाता है।
क्रोध मन की उग्रता और अप्रसन्नता को प्रकट करने वाला भाव है। क्रोध प्रकट करने से वातावरण में तनाव उत्पन्न हो जाता है। क्रोधी व्यक्ति की आँखों से तो अंगारे निकलते ही हैं, जो भी इस क्रोध का सामना करता है वह भी अशांत हो जाता है।
प्रश्न 6.
दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस कविता से यह अनुमान लगता है कि वह बच्चा 8-9 महीने का रहा होगा। लगभग इसी उम्र में बच्चे के दाँत निकलना शुरू होते हैं।
प्रश्न 7.
बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कवि दाँत निकालते बच्चे से मिला तो प्रसन्न हो उठा। शिशु की भोली मुसकान को देखकर उसके निष्प्राण जीवन में प्राण आ गए। उसे लगा मानो आज कमल के फूल तालाब में न खिलकर उसकी झोंपड़ी में उग आए हैं। उसके बूढे नीरस शरीर में इस तरह मधुरता छा गई मानो बबूल के पेड़ से शेफालिका के कोमल फूल झरने लगे हों। पहले तो शिशु कवि को पहचान नहीं सका। इसलिए वह उसे एकटक निहारता रहा। जब उसकी माँ ने उसे कवि से परिचित कराया तो वह शर्माने लगा। वह कवि को तिरछी नजरों से देखकर मुँह फेरने लगा। धीरे-धीरे उनकी नज़रें मिलीं। आपस में स्नेह उमड़ा। तब*बच्चा मुसकरा पड़ा। उसके उगते हुए दाँत दीखने लगे।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न .
आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
कल मैं पहली बार अपनी बहन की ससुराल में गया। मुझे देखते ही मेरे भानजे ने एक किलकारी मारी और मुझे निहारने लगा। मैं उसकी आँखों में प्रसन्नता देखकर उसकी ओर लपका। जैसे ही मैंने उसे अपनी बहन से लेना चाहा, उसने बड़े नटखट अंदाज़ में मेरी ओर से मुँह फेर लिया। मैं मुड़कर पीछे गया तो उसने फिर-से मुँह फेर लिया। मैंने हाथों के स्पर्श से उसे गोद में लेना चाहा तो वह फिर-से माँ की गोदी में छिपने लगा। अब मैंने उसे छोड़ दिया और दूर जाकर खड़ा हो
गया। अब वह फिर से उचककर मेरी ओर देखने लगा और हँसने लगा। सचमुच मेरा भानजा बहुत नटखट है। न आता है, न दूर जाने देता है। उसे आँखमिचौली खेलने में यों ही आनंद आता है।
प्रश्न .
एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा नागार्जुन पर बनाई गई फ़िल्म देखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं देखें।
फसल
प्रश्न 1.
कवि के अनुसार फसल क्या है? [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव-श्रम के मेल से बनी हैं। इनमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। सभी प्रकार की मिट्टियों का गुण-धर्म निहित है। सूरज और हवा का प्रभाव समाया हुआ है। इन सबके साथ किसानों और मजदूरों का श्रम भी सम्मिलित है।
प्रश्न 2.
कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं? ।
उत्तर:
फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्व हैं
1. पानी
2. मिट्टी।
3. सूरज की धूप
4. हवा।
प्रश्न 3.
फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? [CBSE 2008; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008; 2009]
उत्तर:
इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का
उत्तर:
कवि कहना चाहता है कि ये फसलें और कुछ नहीं सूरज की किरणों का बदला हुआ रूप हैं। फसलों की हरियाली सूरज की किरणों के प्रभाव के कारण आती है। फसलों को बढ़ाने में हवा की थिरकन का भी भरपूर योगदान है। मानो हवा सिमट-सिकुड़ कर फसलों में समा जाती है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5.
कवि ने फसल को हजार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर:
(क) मिट्टी के गुण-धर्म का आशय है-मिट्टी में मिले हुए वे प्राकृतिक तत्त्व, खनिज पदार्थ और पोषक तत्त्व, जिनके मेल से किसी मिट्टी का स्वरूप अन्य मिट्टियों से विशेष हो जाता है।
(ख) वर्तमान जीवन-शैली प्रदूषण उत्पन्न करती है। हम कृत्रिम पदार्थों का उत्पादन करके उसका कचरा मिट्टी में छोड़ देते हैं। प्लास्टिक जैसे कृत्रिम पदार्थ मिट्टी में मिलकर उसके गुण-धर्म को नष्ट करते हैं। फैक्टरियों का कचरा और विषैला रसायन धरती के पानी को प्रदूषित करता है। इस कारण उस मिट्टी का मूल स्वभाव बदलकर विकृत हो जाता है।
(ग) यदि मिट्टी अपना मूल गुण-धर्म और स्वभाव छोड़ देगी तो जीवन का स्वरूप विकृत हो जाएगा। शायद जीवन तो नष्ट न हो किंतु वह अपरूप और विद्रूप जरूर हो जाएगा।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम बहुत कुछ कर सकते हैं। सबसे पहली बात हम सचेत हों। हम मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानें। इससे हम स्वयमेव जागरूक हो जाएँगे। हम स्वयं जागकर अन्य लोगों को जगाने का कार्य भी कर सकते हैं।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न .
इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि-व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में
संपादक महोदय
दैनिक भास्कर
नई दिल्ली
15 मार्च, 2015
महोदय
मैं आपके पत्र के माध्यम से अपने विचार पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इन्हें प्रकाशित कर अनुगृहीत करें।
भारत कृषिप्रधान देश है। किसान ही भारत की अर्थ-व्यवस्था और कृषि-व्यवस्था की रीढ़ हैं। परंतु दुर्भाग्य से किसान ही खुशहाल नहीं हैं। वे देश को खुशहाल बनाते हैं, अपने हाथों के स्पर्श से फसलें उगाते हैं, सब लोगों का पेट भरते हैं, किंतु वे स्वयं भूखे रह जाते हैं। बाज़ार की शक्तियाँ उनका शोषण करती हैं। पिछले दिनों हजारों किसानों ने पैसों की तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। यह भारत की कृषि-व्यवस्था पर कलंक है। इसे तुरंत रोको जाना चाहिए। सरकार को किसानों के भले के लिए ऐसी योजनाएँ लागू करनी चाहिए जिससे वे संकट की स्थिति से उबर सकें। उनकी फसलों का बीमा हो सकता है, उन्हें सस्ता ऋण दिया जा सकता है, ऋण पर ब्याज माफ़ किया जा सकता है। ऐसे अनेक उपायों से उनकी दशा को सुधारा जाना चाहिए।
भवदीय
रमेश चौहान
317, वैशाली
नई दिल्ली।
प्रश्न .
फसलों के उत्पादन में महिलाओं के योगदान को हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्व क्यों नहीं दिया जाता है? इस बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
फसलों के उत्पादन में किसानों के महत्त्व को बढ़-चढ़ कर प्रचारित किया जाता है। देश के किसानों की चर्चा की जाती है किंतु किसानिनों की नहीं। भारत की कोई महिला अगर सबसे अधिक श्रम करती है, तो वह किसान-महिला है। किसान परिवारों की महिलाएँ पशुओं के चारे की कटाई, पशुओं के चारे की व्यवस्था, खेतों में रोटी पहुँचाना, फसलों को ढोना
आदि अनेक कार्य रोज-रोज करती हैं। इन कार्यों को किसी खाते में नहीं डाला जाता। उनकी गिनती नहीं की जाती। इस कारण उन्हें महत्त्व भी नहीं दिया जाता। यह किसान-महिलाओं पर अन्याय है। हमें चाहिए कि हमें उनके श्रम की चर्चा करें, उन्हें सम्मानित करें, उनको मूल्य तय करें।
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