NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी).

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 7
Subject Hindi Vasant
Chapter Chapter 10
Chapter Name अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी)
Number of Questions Solved 10
Category NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 81-82)
पाठ से

प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर
यासुकी-चान तोत्तो-चान का घनिष्ठ मित्र था। उसे पोलियो हो गया था जिसके कारण उसके हाथ-पैर सही रूप में काम न करते थे। पेड़ पर चढ़ना तो उसके लिए संभव ही न था। जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था, लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था। उसके मन की पेड़ पर चढ़ने की चाह को पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का अथक प्रयास किया।

प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चाने और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।
उत्तर-
पेड़ से बच्चों का अटूट संबंध था। वे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। वे पेड़ पर चढ़कर काफ़ी खुश होते थे। और मौज मस्ती करते थे। बाग में उनकी गतिविधियों को देखकर यासुकी-चान को अपनी अपंगता पर हताशा होती होगी। उसके मन में उदासी छा जाती होगी। उसे अपनी विवशता पर काफ़ी दुख होता होगा।

प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकती है?
उत्तर
पहली सीढ़ी से यासुकी-चान का पेड़ पर चढ़ने का प्रयास जब असफल हो गया तो तोत्तो-चान तिपाई सीढ़ी खींचकर लाई। अपने अथक परिश्रम से उसे ऊपर चढ़ाने का प्रयास करने लगी तो दोनों तेज़ सूर्य के ताप से पसीने में तरबतर हो रहे थे। जब यासुकी-चान पेड़ पर चढ़ गया और द्विशाखा पर बैठाने के लिए तोत्तो-चान नन्हें-नन्हें हाथों से उसे खींच रही थी तो बादल का टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें ककती धूप से बचा रहा था। हमारे । अनुसार इस परिस्थिति के बदलने का कारण यह हो सकता है कि तोत्तो-चान के अपने मित्र को खुशी प्रदान करने के इस कार्य से प्रकृति भी खुश होकर उन्हें सुख प्रदान करना चाहती थी।

प्रश्न 4.
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह …… अंतिम मौका था।’-इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला अवसर था जिसे तोत्तो-चान ने बड़ी मुश्किल से पूरा किया। यह इतना जोखिम भरा कार्य था कि शायद यह यासुकी-चान के लिए पहले के साथ-साथ अंतिम मौका था। लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि बहुत जोखिम उठाकर, अपने माता-पिता को बिना बताए तोत्तो-चान उसे पेड़ पर लेकर गई थी। शायद वह दोबारा ऐसा कभी न कर पाएगी।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ । बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर
इसमें असत्य नहीं कि तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का कार्य अत्यधिक दृढ़ निश्चय, बुद्धि व कठोर परिश्रम से पूरा किया। मैं अपने जीवन में समाज सुधारक बनना चाहता हूँ। इस हेतु मेरी तीव्र इच्छा है। कि समाज में बड़े-बुजुर्गों के साथ पारिवारिक अन्याय न हो। मैं अपनी बुद्धि के उपयोग व कठिन परिश्रम से इन लोगों को अधिक-से-अधिक सुविधाएँ प्रदान करवाऊँगा जिसमें सरकार व समाज दोनों का सहयोग हो।

प्रश्न 2.
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’ कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर-
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ कुछ ही स्थानों पर दिखाई देती हैं, जैसे-सरकारी अस्पताल, बसों, रेलवे प्लेटफार्म, हवाई अड्डों आदि।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रे नीचे क्यों थीं?
उत्तर-
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रे नीचे इसलिए थी कि उसकी चोरी पकड़ी न जा सके। और अपने अपराध के कारण उसके नजरें नीचे थी उसे यह डर सता रहा था कि अगर वह झूठ पकड़ लेगी और फिर उसे जाने नहीं देगी।

प्रश्न 2.
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर
शारीरिक चुनौतियों से गुजर रहे लोगों को विशेष सुविधाएँ अगर प्रदान की जाएँ तो उनका जीवन यापन कुछ सुलभ हो सकता है।
हमें शारीरिक चुनौतियों से गुजर रहे लोगों के लिए सुविधाएँ सरकारी अस्पतालों, बसों, रेलवे प्लेट फार्म व हवाई अड्डे पर ही मुख्य रूप से देखने को मिलती हैं। कई बार विशेष सभाओं में से भी विकलांगों को बैठने हेतु अलग स्थान प्रदान किया जाता है।

इसके अलावा शिक्षण संस्थानों व नौकरियों में विकलांगों का अलग कोटा (आरक्षण) है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा | पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे-हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेजी-एट।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव (तेत्सुको कुरियानागी) 1

प्रश्न 2.
पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’, जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इसमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ की हँसी को विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बनने वाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर-
शर्माना, चलाना, बतियाना, झुठलाना।

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