In Online Education NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ (महादेवी वर्मा) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ (महादेवी वर्मा).
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi Vasant |
Chapter | Chapter 15 |
Chapter Name | नीलकंठ (महादेवी वर्मा) |
Number of Questions Solved | 15 |
Category | NCERT Solutions |
Online Education NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ (महादेवी वर्मा)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 116-118)
निबंध से
प्रश्न 1.
मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर
नीलाभ ग्रीवा अर्थात् नीली गर्दन के कारण मोर का नाम रखा गया नीलकंठ। मोरनी सदा उसकी छाया के समाने उसके साथ-साथ ऐसे रहती जैसे राधा श्री कृष्ण के साथ रहती थी इसलिए उसका नाम राधा रखा गया।
प्रश्न 2.
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?
उत्तर
मोर और मोरनी को जब जाली के बड़े घर में पहुँचाया गया तो दोनों का स्वागत ऐसे किया गया जैसे नववधू के आगमन पर किया जाता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं करने लगा, बड़े खरगोश गंभीर रूप से उनका निरीक्षण करने लगे, छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे, तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।
प्रश्न 3.
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन-सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
उत्तर-
लेखिका को नीलकंठ का गरदन ऊँची कर देखना, मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना और पानी-पीना तथा गरदन टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि चेष्टाएँ बहुत भाती थीं।
प्रश्न 4.
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’ यह इस घटना की ओर संकेत करता है कि नीलकंठ और राधा सदा साथ-साथ रहते थे। घर के सभी जीव-जंतुओं का भी आपस में अनन्य प्रेम था। एक दिन महादेवी वर्मा नखासकोने’ से निकली तो चिड़िया बेचने वाले बड़े मियाँ ने उन्हें एक मोरनी के बारे में बताया जिसका पाँव घायल था। लेखिका उसे सात रुपए में खरीदकर घर ले आई और उसकी देखभाल की। वह कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गई। उसका नाम कुब्जा रखा गया। वह स्वभाव से मेल-मिलाप वाली न थी। वह नीलकंठ और राधा को साथ-साथ न देख पाती। जब भी उन्हें साथ देखती तो राधा को नोंच डालती वह स्वयं नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी। एक बार उसने राधा के अंडे भी तोड़ डाले।
इसी कोलाहल व राधा की दूरी ने नीलकंठ को अप्रसन्न कर दिया जो उसकी मृत्यु का कारण बना।
प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर
नीलकंठ को फलों के वृक्षों से भी अधिक पुष्पित व पल्लवित (सुगंधित व खिले पत्तों वाले) वृक्ष भाते थे। इसीलिए जब वसंत में आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते और अशोक (वृक्ष का नाम) लाल पत्तों से ढक जाता तो नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना असहनीय हो जाता। वह बार-बार बाहर जाने का प्रयास करता तब महादेवी को उसे बाहर छोड़ देना पड़ता।
प्रश्न 6.
जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र थे। कबूतर, खरगोश, तोते, मोर, मोरनी सभी मिल-जुलकर रहते थे। लेकिन कुब्जा का स्वभाव मेल-मिलाप का नहीं था। वह हरदम सबसे झगड़ा करती थी और सभी को अपनी चोंच से नोंच डालती थी। यही कारण था कि वह किसी की मित्र न बन सकी।
प्रश्न 7.
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरबंचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
एक दिन एक साँप जाली के भीतर पहुँच गया। सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में साँप ने उसका आधा पिछला शरीर तो मुँह में दबा रखा था, शेष आधा जो बाहर था, उससे चींची का स्वर भी इतना तीव्र नहीं निकल सकता था कि किसी को स्पष्ट सुनाई दे सके। नीलकंठ दूर ऊपर झूले में सो रहा था। उसी के चौकन्ने कानों ने उस मंद स्वर की व्यथा पहचानी और वह पूँछ-पंख समेटकर सर से एक झपट्टे में नीचे आ गया। संभवतः अपनी सहज चेतना से ही उसने समझ लिया होगा कि साँप के फन पर चोंच मारने से खरगोश भी घायल हो सकता है।
उसने साँप को फन के पास पंजों से दबाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुँह से निकल गया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को बचाया।
इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की कई विशेषताओं का पता चलता है। वह वीर था, साहसी था। उसमें मानवीय भावनाएँ भी विद्यमान थीं। अपने मित्रों के प्रति प्रेम और उसकी रक्षा करने का खयाल भी था।
निबंध से आगे
प्रश्न 1.
यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर
रेखाचित्र एक सीधी कहानी न होकर जीवन के कुछ मुख्य अंश प्रस्तुत करने वाली रचना होती है। इसमें संवेदना व भावात्मकता होती है। ये अत्यंत स्वाभाविक और सरल होते हैं इनमें बनावट लेशमात्र भी नहीं होती। अन्य रेखाचित्र महादेवी के संग्रह से पढ़िए।
प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मनमोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर-
अभयारण्य में इस तरह के दृश्य देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 3.
पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर
वर्षा ऋतु
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर
गंगा और यमुना के श्वेत-श्याम जल का मिलन प्रात:काल के सूर्य की किरणों से जब सतरंगी दिखाई देता है तो दूर-दूर तक किसी मयूर के नृत्य का दृश्य प्रस्तुत करता है। जो अत्यंत लुभावना व मनमोहक होता है। मानो महादेवी को अपने नीलकंठ का नृत्य स्मरण हो आया हो जो लहरों में सजीव हो उठा।
प्रश्न 2.
नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर-
नीलकंठ को वर्षा ऋतु सबसे प्रिय है। वर्षा ऋतु के मेघों का उमड़ना-घुमड़ना उसके मन के भावों को आंदोलित कर देता है। मेघों की बरसती बूंदें उसके पैरों में गति ला देती है। मेघ जितना अधिक गरजता है बिजली उतनी अधिक चमकती है, बूंदों की रिमझिम जितनी अधिक तीव्र होती थी उतनी ही नीलकंठ का नृत्य तीव्र होता जाता था। वह अपने इंद्रधनुषी गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बना कर नाचता था। उसके नृत्य में एक सहजात लय-ताल रहता था।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बताओ
गंध, रंग, फल, ज्ञान
उत्तर-
गंध – गंधहीन, सुगंध, दुर्गंध
रंग – रंगहीन, रंगीला, रंगीन, बदरंग
फल – फलहीन, फलदार, सफल, निष्फल
ज्ञान – ज्ञानहीन, ज्ञानवान, विज्ञान, ज्ञानी अज्ञानी।
प्रश्न 2.
विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के यु के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे—क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (T) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-
संधि विग्रह
नील + आभ = ………….. सिंहासन = ………………
नव + आगंतुक = ………….. मेघाच्छन्न = ………………
उत्तर
नील + आभ = नीलाभ सिंहासन = सिंह + आसन
नव + आगंतुक = नवागंतुक मेघाच्छन्न = मेघ+आच्छन्न
कुछ करने को
प्रश्न 1.
चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखा चित्र बनाइए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
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