NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय).

Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 7
Subject Hindi Vasant
Chapter Chapter 18
Chapter Name संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय)
Number of Questions Solved 11
Category NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 133-34)

साक्षात्कार से

प्रश्न 1.
साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्लै की छवि उभरती है कि वे गरीबी में पल-बढ़े एक स्वाभिमानी व्यक्ति हैं। वे देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं। हॉकी खेल में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करने का जरा भी उनमें अभिमान नहीं है। आम लोगों की भाँति लोकन ट्रेनों में सफ़र करने में भी कतरफ्तें नहीं हैं। उन्होंने जमीन से उठकर आसमान तक पहुँचने का सफ़र तय किया है। एक अभावग्रस्त बचपन जीने वाला यह व्यक्ति आज नामी खिलाड़ी है। फिर भी विशेष लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। वह स्वयं को बहुत असुरक्षित अनुभव करते हैं, अतः उनके स्वभाव में तुनुकमिज़ाजी आ गई है। वह अपनी माँ तथा भाभी का बहुत सम्मान करते हैं। वह मेहनती हैं, जुझारू हैं। आज भी आम इनसान की तरह साधारण जीवन जीने में उसे आज भी कोई संकोच नहीं होता है। उनका हॉकी से गहरा लगाव है। उन्हें पता है कि हॉकी से ही उन्हें यह सम्मान और प्यार मिला है। वह एक दयालु, सरल, एवं भावुक व्यक्ति हैं।

प्रश्न 2.
धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए। [Imp.]
उत्तर
यह कहना अनुचित नहीं कि धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने का सफर तय किया है क्योंकि वे बहुत ही साधारण परिवार से थे उनका बचपन बहुत मुश्किलों भरा था। एक हॉकी स्टिक खरीदने की भी उनकी हैसियत नहीं थी। लेकिन उनकी चाह, मेहनत व लगन ने उन्हें जीवन की सब मुश्किलों का सामना करने की शक्ति दी और इस खिलाड़ी ने विश्व-स्तरीय ख्याति प्राप्त करके ही दम लिया। 1985 में वे जूनियर हॉकी टीम में चुने गए। 1986 में उन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया। 1989 में ऑलविन एशिया कप के मैच में चुने जाने के बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा निरंतर सफलता की ओर ही बढ़ते रहे हैं।

प्रश्न 3.
‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ – धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर-
धनराज पिल्लै की इस बात का यह अर्थ है कि उनकी माँ उन्हें विनम्र बने रहने के संस्कार दिए हैं। प्रायः लोग अपनी ख्याति में पगला जाते हैं और इसे सहज भाव में स्वीकार नहीं कर पाते। धनराज के व्यक्तित्व के निर्माण में उनकी माँ का बहुत योगदान है तथा माँ ने उन्हें विनम्रता का संस्कार दिया है। इसका तात्पर्य यह है कि मनुष्य चाहे कितनी भी सफलता पा ले, उसे कभी अहंकार नहीं करना चाहिए और किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। धनराज ने अपनी माँ की दी हुई सीख को जीवन में उतारा है।।

साक्षात्कार से आगे

प्रश्न 1.
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर-
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्योंकि जैसे जादूगर अपनी दाँव-पेंच से हमारी ही आँखों के सामने न जाने क्या-क्या करतब दिखाते हैं और हम दाँतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं। वैसे ही ध्यानचंद भी हॉकी खेलने में माहिर है। कोई भी ऐसा दाव पेंच नहीं जो उन्हें न आता हो। कोई भी उन्हें हॉकी में पराजित नहीं कर सकता। यही कारण था कि उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।

प्रश्न 2.
किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर
भारत में हॉकी सबसे पुराना खेल है। इसे राजा-महाराजाओं से लेकर देहात के लोग भी चाव से खेला करते थे। इस खेल में भारतीयों की रुचि कभी कम नहीं हुई। न ही इस खेल को खेलने हेतु अधिक पैसों की आवश्यकता पड़ती है। पुराने जमाने में तो पेड़ों की टहनियों द्वारा ही इस खेल को खेला जाता था। यह खेल वर्षों से निरंतर आगे ही बढ़ता रहा है और अपना लंबा इतिहास रखता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय खेल माना जाता है।

प्रश्न 3.
आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़े और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
‘यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’-क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए।
उत्तर
धनराज पिल्लै का यह कहना कि यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए, सही है। क्योंकि धनराज को स्वयं जितनी शोहरत मिली उतना पैसा प्राप्त नहीं हुआ। वे भी काफी समय तक आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफर करते रहे जिसे लोग भी देखकर हैरान होते थे।
अपने अनुभव के आधार पर भी, इस बात को हम सत्य मान सकते हैं। कवि या साहित्यकार अपनी लेखनी से समाज को परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं लोग भी उन्हें अत्यधिक आदर-सत्कार देते हैं। कविता सुनाकर सिवाय वाह-वाही के उन्हें कुछ नहीं मिलता। आर्थिक परेशानियों से जूझने हेतु उन्हें अन्य व्यवसाय करना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप हम साहित्यकार प्रेमचंद’ को ही ले सकते हैं, जिनकी रचनाएँ तो आज तक सराहनीय हैं लेकिन जीवन भर वे गरीबी का जीवन जीते रहे।

प्रश्न 2.
(क)अपनी गलतियों के लिए माफी माँगना आसान होता है या मुश्किल?
(ख)क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफी माँग लेते हैं?
(ग)माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर

  1. अपनी गलतियों के लिए माफी माँगना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि हमें दूसरे के सामने अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है।
  2. नहीं! सभी लोग जल्दी ही किसी से माफ़ी नहीं माँग सकते।
  3. माफ़ करने से माफ़ी माँगना ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि माफ़ी माँगने का अर्थ लिया जाता है ‘झुकना’ अर्थात् माफ़ी माँगने के लिए एक बार तो झुककर अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है। लेकिन यह भी सत्य है कि यदि हम किसी से माफ़ी माँगते हैं और वह हमें दिल से माफ़ कर दे तो आपसी संबंध प्रगाढ़ हो जाते हैं। यह भी सत्य है कि किसी के गलती करने के पश्चात् माफी माँगने पर दिल से माफ़ करना आसान नहीं होता। ऐसा होना भी सही है क्योंकि हम किसी भी बात को जल्दी से भुला नहीं सकते।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
प्रेरणा           प्रेरक            प्रेरित
संभव           संभावित        संभवतः
उत्साह         उत्साहित     उत्साहवर्धक
उत्तर
(क)प्रेरणा  –  हमें गांधीजी के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रेरक  –  गांधीजी अहिंसा और सत्य के प्रेरक बने।
प्रेरित  –  गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर लोगों ने स्वदेशी अपनाया।
(ख)संभव     –  सफलता प्राप्त करने हेतु हर संभव प्रयत्न करना चाहिए।
संभावित – संभावित रूप से कहा जाता है कि आज रात को वर्षा होगी।
संभवतः  – संभवतः पिताजी मथुरा से चल चुके होंगे।
(ग)उत्साह     – मैंने उत्साह से वार्षिकोत्सव में भाग लिया।
उत्साहित  – प्रधानाचार्य ने अपने विचारों से विद्यार्थियों को उत्साहित किया कि वे भाषण प्रतियोगिता में भाग लें।
उत्साहवर्धक   – प्रधानमंत्री का संदेश खिलाड़ियों के लिए उत्साहवर्धक था।

प्रश्न 2.
तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे-बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।
उत्तर
भू,           भूमि,     धरा।
आग,       अग्नि,     ज्वाला।
देव,         देवता,    सुर।
मातृ,        माता,     माँ।

प्रश्न 3.
हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए; जैसे-फुटबाल के खेल से संबंधित शब्द है- गोल, बैंकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।
उत्तर-
क्रिकेट – बल्ला, बैर, गेंद, अंपायर, बॉलिंग, रन, छक्का, चौका, विकेट कीपर, फील्डिंग।
हॉकी – गोल कीपर, पेनल्टी सूट, हाफ लाइन, रैफरी।

We hope the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय) help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज (विनीता पांडेय), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.