NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय (मोहनदास करमचंद गांधी) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय (मोहनदास करमचंद गांधी).
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi Vasant |
Chapter | Chapter 19 |
Chapter Name | आश्रम का अनुमानित व्यय (मोहनदास करमचंद गांधी) |
Number of Questions Solved | 7 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय (मोहनदास करमचंद गांधी)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 139-40)
लेखा-जोखा
प्रश्न 1.
हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारगीर से करवाते हैं लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आने वाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर-
यह सच है कि हमारे यहाँ काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से काम करवाना पसंद करते हैं, क्योंकि उनके पास अपने औजार होते हैं लेकिन गांधी जी हर छोटा-बड़ा कार्य स्वयं करते थे तथा दूसरों को भी करने पर जोर दिया करते थे। उनका विचार था कि कोई कार्य छोटा नहीं होता। व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना चाहिए तथा किसी भी कार्य को करने में संकोच नहीं महसूस करना चाहिए।
प्रश्न 2.
गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। इनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों में उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है?
उत्तर-
गांधी जी हर काम का लेखा-जोखा रखते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्न उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं
गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस, कई संस्थाओं (खादी ग्रामोद्योग) तथा आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया। वे लेखाजोखा रखने में शुरू से ही काफ़ी सक्रिय रहते हैं। इंग्लैंड में भी पढ़ाई के दौरान वे एक-एक पैसे का हिसाब रखते थे और प्रतिदिन अपने रोकड़ मिला लेते थे। इसका उनकी आत्मकथा में भी उल्लेख है। वे इसी आदत के कारण सभी आंदोलनों को सफलतापूर्वक चला पाए, उन्हें कभी पैसे की कमी नहीं हुई।
प्रश्न 3.
मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर
बाल आश्रम के लिए संभावित बजट
प्रश्न 4.
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
उत्तर
हमारे जीवन में ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जिन्हें हम चाहकर भी नहीं सीख पाते जैसे-घर की पुताई सफ़ेदी वाला करता है, दूध वाला दूध दोह देता है और खाट (चारपाई) बुनने वाले से बुनवाई जाती है। कुछ ऐसे ही निम्न कार्य हैं जो मैं चाहकर भी नहीं सीख पाता-
- खेती-बाड़ी करना-मुझे खेतों में घूमना, अनाज-फल बोना व फसलें देखना बहुत अच्छा लगता है। मेरा भी मन चाहता है कि किसान की तरह कड़ी मेहनत करूं लेकिन मेरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई, क्योंकि हम शहर के एक फ्लैट में रहते हैं। यहाँ खेती-बाड़ी तो क्या गमले में एक पौधा लगाने की भी खुली जगह नहीं है।
- कॉपी बनाना-मुझे बहुत शौक है कि मोटी-मोटी कॉपियाँ खुद बनाऊँ। क्योंकि कॉपी बंनाने में सारा काम हाथ से ही करना होता है। मैं पेज लाता हूँ, सिलता हूँ, उसका कवर भी बनाने की कोशिश करता हूँ। लेकिन कॉपियाँ सही नहीं बन पातीं क्योंकि यह काम अनुभव पर निर्भर करता है।
- मेज कुर्सी बनाना-कभी-कभी मेरा मन करता है कि अपने पढ़ने के लिए अपने आप एक मेज-कुर्सी
बनाऊँ। पूरा सामान-लकड़ी के फट्टे, पाये, कील, हथौड़ा होने के बावजूद असफल हो जाता हूँ तो यही लगता है। जिसका काम उसी को साजे।।। - कपड़े रंगना-कपड़े रंगना मुझे बहुत अच्छा लगता है लेकिन गर्म पानी में हाथ डालने से डर लगता है और साथ ही रंग मिलान समझ नहीं आता। इस बारे में मैं यही सोचता हूँ कि इस कार्य को करने से पहले अत्यधिक अनुभव की आवश्यकता है।
- चप्पल, जूते में टाँका लगाना-कितना आसान लगता है टूटे हुए चप्पल, जूते में टाँका लगाना। मोची कितनी जल्दी लगाता है। हम चाहकर भी एक छोटा-सा टाँका नहीं लगा पाते कभी सुई टूट जाती है और कभी धागा छूट जाता। है क्योंकि यह भी एक कला है जिसे सीखना पड़ता है।
लेकिन मैंने भी प्रण किया है कि मैं कपड़े रंगना और कॉपियाँ बनाने का काम जरूर सीखेंगा, भले ही मुझे इसके लिए प्रशिक्षण लेना पड़े। मेरे माता-पिता भी मुझे यही समझाते हैं कि छोटे-से-छोटे व बड़े-से-बड़े काम को करने के लिए लगन, परिश्रम व अनुभव की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं? [Imp.]
उत्तर
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद हम आश्रम के ये उद्देश्य जान सकते हैं
अतिथि सत्कार, जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझाना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे आदि से स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाना।
इस आश्रम की कार्यप्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इते प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
प्रमाणित व्यथित द्रवित मुखरित
झंकृत शिक्षित मोहित चर्चित
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे-सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक संवैधानिक प्राथमिक
नैतिक सौराणिक दैनिक
उत्तर
इत प्रत्ययांत शब्द मूल शब्द + प्रत्यय
प्रमाणित = प्रमाण + इत
व्यथित = व्यथा + इत
द्रवित = द्रव + इत
मुखरित = मुखर + इत
झंकृत = झंकार + इत
शिक्षित = शिक्षा + इत
मोहित = मोह + इत
चर्चित = चर्चा + इत
इक प्रत्ययांत शब्द मूल शब्द + प्रत्यय
मौखिक = मुख + इक
संवैधानिक = संविधान + इक
प्राथमिक = प्रथम + इक
नैतिक = नीति + इक
पौराणिक = पुराण + इक
दैनिक = दिन + इक
प्रश्न 2.
बैलगाड़ी और घोडागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर-
रसोईघर – रसोई के लिए घर
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
देशभक्त – देश का भक्त
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
वनवास – वन का वास
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