NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ (शिवप्रसाद सिंह) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ (शिवप्रसाद सिंह)
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi Vasant |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | दादी माँ (शिवप्रसाद सिंह) |
Number of Questions Solved | 10 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ (शिवप्रसाद सिंह)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(पृष्ठ 10-11)
कहानी से
प्रश्न 1.
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर-
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के अलावे बचपन की अन्य निम्नलिखित बातें याद आती हैं
- अपने मित्रों और शुभचिंतकों को खुश करने के लिए छुट्टियों की सूचना देना तथा पीठ पीछे उनका मजाक उड़ना।
- गंधपूर्ण झागभरे जलाशयों में कूदना, बीमार होने पर दादी का दिन-रात सेवा करना।
- किशन भैया की शादी में औरतों का अभिनय छुपकर देखना। रामी चाची की घटना-पहले डाँटना फिर बाद में आशीर्वाद देना।
- मुसीबत के समय पिता जी को तसल्ली देने की घटना आदि भी याद आती है।
प्रश्न 2.
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?
उत्तर
दादा की मृत्यु के पश्चात् लेखक की आर्थिक स्थिति खराब हो गई क्योंकि पिताजी व भैया ने धन का सही उपयोग न किया। गलत मित्रों की संगति से सारा धन नष्ट कर डाला। इसके अलावा पिताजी ने दादा के श्राद्ध में दादी माँ के मना करने पर भी अपार संपत्ति उधार लेकर व्यय की।
प्रश्न 3.
दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर
दादी माँ का सेवा, संरक्षण, परोपकारी व सरल स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है क्योंकि इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन जीतने में सदा सफल रहीं।
लेखक के बीमार होने पर दादी द्वारा उसकी सेवा करना, रामी चाची की बेटी की शादी पर उसके घर जाकर उसकी सहायता करना व पिछला ऋण माफ़ करना, पिताजी की आर्थिक तंगी देखकर दादा की निशानी का प्रतीक सोने का कंगन उन्हें देना आदि दर्शाता है कि दूसरों की सहायता करनां वे अपने जीवन का कर्तव्य समझती थीं।
कहानी से आगे
प्रश्न 1.
आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़े, जैसे-क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा रहता है? लिखिए।
उत्तर-
कहानी में आए क्वार, आषाढ़, माघ महीनों का मौसम अलग-अलग होता है; जैसे
क्वार-(न अधिक गरमी न अधिक सरदी) इसमें गरमी का अंत हो रहा होता है। हलकी-हलकी ठंड शुरू हो जाती है। दशहरा इस मास का प्रमुख त्योहार है। इस मास में पोखर, तालाब और धान के खेतों में पानी भरा होता है।
आषाढ़-वर्षा ऋतु का पहला महीना होता है। इस महीने में गरमी अपने चरम सीमा पर होती है। इस महीने में वर्षा का आरंभ होने से गरमी से राहत मिलती है। वायुमंडल में आर्द्रता बढ़ जाती है।
माघ-इस महीने में सरदी अपने चरम पर होती है। कभी-कभी तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है और पाला पड़ जाता है। ऐसे में सरदी और ठंड बढ़ जाती है। इस महीने में पछुआ हवा चलने से सरदी और अधिक बढ़ जाती है।
प्रश्न 2.
अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं’-लेखक के इस कथन के अनुसार यह बताइए कि किस मौसम में कौन-कौन सी चीजें विशेष रूप से मिलती हैं?
उत्तर
सरदी, गरमी, बरसात तीन मौसम मुख्य रूप से माने जाते हैं।
- सरदी-सरदी के मौसम में अत्यधिक ठंड पड़ती है। लोग गर्म पेय पीना पसंद करते हैं। फलों में सेब, अमरूद, केले व अंगूर तथा सब्ज़ियों में पालक, बथुआ, सरसों, मटर, फूलगोभी, बंदगोभी व मूली आदि अधिक मात्रा में मिलते हैं।
- गरमी-गरमी के मौसम में अत्यधिक गरमी पडती है। गर्म पेय का स्थान ठंडे पेय ले लेते हैं। फलों में खरबूजे, तरबूज, लीची व आम तथा सब्ज़ियों में भिंडी, टिंडा, तोरई, घीया, कटहल, खीरा, ककड़ी आदि अधिक मिलते हैं।
- बरसात-इस मौसम में अत्यधिक वर्षा होती है। फलों में कई किस्म के आम, आलूबुखारा, खुरमानी नामक वसंत फल व सब्ज़ियों में पालक, फलियाँ, बैंगन, करेले, कमलककड़ी आदि मिलते हैं। इनके साथ गरमी के मौसम वाले फल व सब्ज़ियाँ भी बराबर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
इस कहानी में कई बार ऋण लेने की बात आपने पढ़ी। अनुमान लगाइए, किन-किन पारिवारिक परिस्थितियों में गाँव के लोगों को ऋण लेना पड़ता होगा और यह उन्हें कहाँ से मिलता होगा? बड़ों से बातचीत कर इस विषय में लिखिए।
उत्तर
गाँवों के लोगों को निम्न परिस्थितियों में ऋण लेना पड़ता होगा-
- फसलें किसी भी वज़ह से नष्ट हो जाने पर दूसरी फसल उगाने हेतु।
- शादी-ब्याह के समय।
- बच्चे के नामकरण संस्कार अथवा किसी अन्य समारोह हेतु।
- मृत्यु भोज हेतु।
- घर आदि बनवाने हेतु।
- कभी-कभार किसी बच्चे की उच्च शिक्षा हेतु।
- पशु खरीदने हेतु।
यह ऋण उन्हें गाँव के जमींदारों व साहूकारों से मिलता होगा।
यदि आज के संदर्भ में लें तो गाँववासियों को ऐसे ऋण सहकारी समितियों व बैंकों द्वारा भी मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त अपने घर में बड़ों से चर्चा भी कीजिए।
प्रश्न 2.
घर पर होनेवाले उत्सवों/समारोहों में बच्चे क्या-क्या करते हैं? अपने और अपने मित्रों के अनुभवों के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
घर पर होने वाले उत्सवों, समारोहों में बच्चे नए-नए कपड़े पहनकर मौज-मस्ती करते हैं, कई प्रकार के व्यंजनों का आनंद लेते हैं, नाच-गाकर खूब आनंद-मजे लेते हैं। बच्चे इन दिनों पढ़ाई-लिखाई के भार से मुक्त हो जाते हैं। बड़ों की व्यस्तता के कारण वे डाँट-डपट से भी बच जाते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए
ज़रा-सी कठिनाई पड़ते
अनमना-सा हो जाता है
सन-से सफ़ेद
• समानता का बोध कराने के लिए सा, सी, से का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पाँच और शब्द लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर
- बर्फ-सा ठंडा शरीर-बुखार उतरते ही उसका शरीर बर्फ-सा ठंडा हो गया।
- मिश्री-सी मीठी-बच्चों की मिश्री-सी मीठी बातें कानों को बहुत आनंद देती हैं।
- हल्दी-सा पीला-घर की परेशानियाँ झेलते-झेलते आदित्य इतना कमजोर हो गया है कि उसका रंग हल्दी-सा पीला लगने लगा है।
- भंवरे से-भारती के बाल सँवरे से काले है।
- सागर-सा गहरा-कबीर का ज्ञान सागर-सा गहरा था।
प्रश्न 2.
कहानी में छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर देतीं’-जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को जोर देकर कहने के लिए एक से अधिक बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ जाजाकर थक गया, उन्हें ढूंढ-ढूँढ़कर देख लिया। इस प्रकार के पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर-
- मनुष्य को जीवन में कदम-कदम पर परीक्षा देना पड़ता है।
- नेहा न जाने क्यों ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी।
- मेरे बार-बार मना करने पर भी वह खेलने चला गया।
- अंशु हँस-हँस कर पागल हो रही थी।
- गाडी धीरे-धीरे जा रही थी।
प्रश्न 3.
बोलचाल में प्रयोग होनेवाले शब्द और वाक्यांश ‘दादी माँ’ कहानी में हैं। इन शब्दों और वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशों में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए निक्रसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंका इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण अन्य क्षेत्रीय बोलियों में अलग ढंग से होता है, जैसे–चिउड़ा को चिड़वा, चूड्त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमशः निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों को बोलचाल में उपयोग होनेवाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।
उत्तर
बोलचाल की भाषा के प्रचलित शब्द व उनका हिंदी रूपांतरण।
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