NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
उत्तर:
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने साधनों की कमी वाली प्रयोगशाला में भी अपनी जिज्ञासा शांत करने का प्रयास किया।
प्रश्न 2.
समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं? [CBSE 2012]
उत्तर:
समुद्र को देखकर रामन् के मन में निम्नलिखित दो जिज्ञासाएँ उठीं
- समुद्र के जल का रंग नीला क्यों होता है? ।
- नीले रंग के अतिरिक्त अन्य कोई रंग क्यों नहीं होता?
प्रश्न 3.
रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशस्त नींव डाली। [CBSE 2012]
उत्तर:
रामनु के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने रामन् में इन्हीं दो विषयों की नींव डाली।
प्रश्न 4.
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे? [CBSE 2012]
उत्तर:
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् यह बताना चाहते थे कि भारतीय वीणा, मृदंगम् आदि वाद्ययंत्र विदेशी पियानो आदि की तुलना में घटिया नहीं हैं।
प्रश्न 5.
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् क्रीं क्या भावना थी?
अथवा
शम्न ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे भावना यह थी कि वे अध्ययन के साथ-साथ शोध एवं प्रयोगों से अपनी जिज्ञासा शांत करने तथा विज्ञान के प्रचार-प्रसार की थी।
प्रश्न 6.
‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर:
‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे यह सवाल हिलोरें ले रहा था कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है?
प्रश्न 7.
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया? [CBSE 2012]
उत्तर:
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना उन्होंने बुलेट से की है।
प्रश्न 8.
रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया? [CBSE 2012]
उत्तर:
रामन् की खोज ने अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययन को सहज बना दिया।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए
प्रश्न 1.
कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
उत्तर:
रामन् ने कॉलेज के दिनों से ही शोधकार्यों में रुचि लेना शुरू कर दिया था। उनकी दिली इच्छा थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें।
प्रश्न 2.
वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन सी अति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर:
रामन् ने वाद्ययंत्रों की ध्वनियों पर खोज करके इस भ्रांति को तोड़ा कि विदेशी वाद्ययंत्रों की ध्वनियाँ भारतीय वाद्ययंत्रों की तुलना में अधिक उन्नत हैं और भारतीय वाद्ययंत्र उनसे घटिया हैं।
प्रश्न 3.
रामन के लिए नौकरी संबंधी कौन-ए र कठिन था?
उत्तर:
रामन् के लिए कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय में कम वेतन वाले प्रोफेसर के पद पर नौकरी करने संबंधी निर्णय कठिन था क्योंकि तब वे वित्त विभाग में मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाओं वाली नौकरी कर रहे थे।
प्रश्न 4.
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया ? [CBSE 2012]
उत्तर:
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
- रॉयल सोसाइटी की सदस्यता तथा ह्यूज़ पदक
- ‘सर’ की उपाधि
- नोबेल पुरस्कार
- रोम का मेत्यूसी पदक
- फिलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक
- सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार
- भारत का सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारतरत्न’।
प्रश्न 5.
रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गृया है?
उत्तर:
रामन् को अधिकांश पुरस्कार एवं सम्मान तब मिला, जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। गुलामी के कारण भारतीयों को इस तरह के शान और प्रतिभा का हकदार नहीं माना जाता था। नोबेल तथा अन्य पुरस्कार भारतीयों की प्रतिभा के प्रमाण थे, इसलिए ऐसा कहा गया है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए…
प्रश्न 1.
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कह?
उत्तर:
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिल्कुल
विपरीत थीं। वे बहुत महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त थी। समय की कमी थी। स्वतंत्र शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं थीं। न ही शोध करने में कोई भविष्य था। ले-देकर कलकत्ता में एक छोटी-सी प्रयोगशाला थी जिसमें बहुत कम उपकरण थे। ऐसी विपरीत परिस्थिति में शोध करते रहना दृढ़ इच्छाशक्ति से ही संभव था। यह रामन के मन का दृढ़ हठ था जिसके कारण वे शोध जारी रख सके। इसलिए उनके प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है। यह हठयोग विज्ञान से संबंधित था, इसलिए इसे आधुनिक कहना उचित है।
प्रश्न 2.
रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रामन् ने शोधकार्य करते हुए देखा कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण जब किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है। तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। इसका कारण यह है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन तरल या ठोस पदार्थ के रवों से टकराते हैं तो या कुछ ऊर्जा खो बैठते हैं या ग्रहण कर लेते हैं। यह ऊर्जा जिस मात्रा में ली अथवा दी जाती है, उसी हिसाब से प्रकाश का वर्णन परिवर्तन होता है। इसी को रामन् प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 3.
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर:
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके-
- विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करना सरल, प्रामाणिक और निर्दोष हो सका।।
- विभिन्न अणुओं-परमाणुओं का संश्लेषण करके नए उपयोगी पदार्थ बनाने का कार्य संभव हो सका।
प्रश्न 4.
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रामन् अपनी राष्ट्रीय चेतना के कारण देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंतन के विकास के लिए समर्पित थे। उन्होंने उच्चकोटि की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव को दूर करने के लिए रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की बंगलोर में स्थापना की। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिज़िक्स’ नामक शोध पत्रिका की शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने अनेक शोध-छात्रों का मार्गदर्शन भी किया।
प्रश्न 5.
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेशं को अपने शब्दों में लिखिए।।
उत्तर:
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने कहीं भाषण में संदेश प्रसारित नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन जिस प्रकार जिया, वह किसी भी मौखिक संदेश से अधिक प्रभावी और सार्थक है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी वे कलकत्ता की कामचलाऊ प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करते रहे। जब उन्हें भौतिकी विभाग के प्रोफ़ेसर की नौकरी मिली तो उन्होंने कम वेतन और कम सुख-सुविधाओं के बावजूद वह नौकरी स्वीकार कर ली। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें धन और सुख-सुविधा का मोह त्याग करके नई शोध के लिए जीवन अर्पित करना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार अनेकानेक नवयुवकों को शोध के लिए प्रेरित किया, वह भी अनुकरणीय है। उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता और भारतीयता का संस्कार नहीं त्यागा। अपना दक्षिण भारतीय पहनावा नहीं छोड़ा। यह संदेश भी अनुकरणीय है।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 1.
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी। [CBSE 2012]
उत्तर:
रामन् जिज्ञासु प्रवृत्ति के शोधरत वैज्ञानिक थे। उन्होंने शुरुआत में सरकारी नौकरी अवश्य की, परंतु अध्ययन एवं शोध का अवसर मिलते ही उन्होंने मोटा वेतन और ढेरों सुख-सुविधाएँ त्यागकर कोलकाता विश्वविद्यालय में कम वेतन वाला पद ग्रहण कर लिया। इस प्रकार उन्होंने सुख-सुविधाओं की जगह अध्ययन-अध्यापन को महत्त्व दिया।
प्रश्न 2.
हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। [CBSE 2012]
उत्तर:
हमारे जीवन में हमारे आस पास जो कुछ घटता रहता है, उसका अध्ययन करना आवश्यक है। यह अध्ययन का खुला क्षेत्र है। इन घटनाओं को अनुसंधान करने वाले खोजियों की तलाश रहती है।
प्रश्न 3.
यह अपने आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर:
हठयोग का अर्थ है-विपरीत परिस्थितियों में अत्यंत कठोर परिश्रम एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी वस्तु या सफलता को पाने के लिए प्रयास करना। रामन् ने भी तो नौकरी करते हुए बचे-खुचे समय को उपकरण विहीन प्रयोगशाला में लगाकर प्रयोग और शोध करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। यह स्वयं में हठयोग का उदाहरण ही तो था।
(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट।
- रामन् का पहला शोध पत्रे …………………. में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज ………………….. के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ………………… था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ………………… नाम से जानी जाती है।
- पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए …………. का सहारा लिया जाता था।
उत्तर:
- रामन् का पहला शोध-पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस’ था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध-संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जाना जाता है।
- पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
- प्रमाण …………………….
- प्रणाम …………………….
- धारणा …………………….
- धारण …………………….
- पूर्ववर्ती …………………….
- परवर्ती …………………….
- परिवर्तन …………………….
- प्रवर्तन …………………….
उत्तर:
- रामन ने आइंस्टाइन द्वारा कहे गए सिद्धांत का प्रमाण प्रयोग द्वारा दे दिया।
- सभी भारतीय रामन् की प्रतिभा को प्रणाम करते हैं।
- रामन के प्रयोगों ने विदेशियों की भ्रांत धारणा को तोड़ दिया।
- रामन ने सरकारी सुख-सुविधा को त्याग कर सरस्वती साधना का विचार मन में धारण किया।
- रामन के पूर्ववर्ती वैज्ञानिक मानते थे कि प्रकाश एक तरंग की तरह है।
- रामन प्रभाव की खोज के बाद परवर्ती वैज्ञानिकों के लिए बहुत से अध्ययन सरल हो गए।
- रामन ने देखा कि प्रकाश की एकवर्णीय धारा से टकराकर रवेदार पदार्थों का वर्ण परिवर्तन हो जाता है।
- रामन ने अनेक नए शोध संस्थानों को प्रवर्तन किया।
प्रश्न 2.
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
- मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तने से ………………. हैं।
- अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ……………….. रूप से नौकरी दे दी गई है।
- रामन् ने अनेक ठोस रवों और ………………. पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
- आज बाज़ार में देशी और …………………. दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
- सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद …………… में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर:
- मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
- अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
- रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
- आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
- सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है-
उदाहरण : चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
- सुख-सुविधा ………………………………….
- अच्छा खासा ………………………………….
- प्रचार-प्रसार ………………………………….
- आस-पास ………………………………….
उत्तर:
- सुख-सुविधा – सरकारी नौकरी में सुख-सुविधा भरपूर मिलती है।
- अच्छा खासा – रामन् का विश्व भर में अच्छा खासा प्रभाव था।
- प्रचार-प्रसार – रामन् ने वैज्ञानिक अनुसंधान शाला तथा पत्र-पत्रिकाओं का आरंभ करके विज्ञान का अच्छा प्रचार-प्रसार किया।
- आस-पास – हमें अपने आस-पास की घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टि से देखना चाहिए।
प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए।
अनुस्वार अनुनासिक
- अंदर (क) ढूँढ़ते
- …………………. ………………….
- …………………. ………………….
- …………………. ………………….
- …………………. ………………….
उत्तर:
अनुस्वार अनुनासिक
असंख्य ढूँढने
चंद्रशेखर भ्रांति
घंटों जहाँ
रंग पहुँचता
भ्रांति
नितांत
संस्था
वाद्ययंत्र
प्रश्न 5.
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए-
- घंटों खोए रहते,
- स्वाभाविक रुझान बनाए रखना,
- अच्छा खासा काम किया,
- हिम्मत का काम था,
- सटीक जानकारी,
- काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए,
- कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था,
- मोटी तनख्वाह।
उत्तर:
- घंटों खोए रहते – बहुत देर तक ध्यान में लीन रहते।
- स्वाभाविक रुझान बनाए रखना – सहज रूप से रुचि बनाए रखना।
- अच्छा खासा काम किया – अच्छी मात्रा में ढेर सारा काम किया।
- म्मत का काम था – कठिन काम था।
- सटीक जानकारी – बिल्कुल सही और प्रामाणिक जानकारी।
- काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए – बहुत अच्छे अंक पाए।
- कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था – बहुत मेहनत करने के बाद शोध संस्थान की स्थापना की थी।
- मोटी तनख्वाह – बहुत अधिक आय या वेतन।
प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर मिलान कीजिए-
नीला कामचलाऊ
पिता रव
तैनाती भारतीय वाद्ययंत्र
उपकरण वैज्ञानिक रहस्य
घटिया समुद्र
फोटॉन नींव
भेदन कलकत्ता
उत्तर:
नीला समुद्र
पिता नींव
तैनाती कलकत्ता
उपकरण कामचलाऊ
घटिया भारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉन वैज्ञानिक रहस्य
भेदन रव
प्रश्न 7.
पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए रंग – बैंजनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
अन्य रंग – काला, सफ़ेद, गुलाबी, संतरिया, महरून, मुँगिया, तोतिया, फ़िरोजी, भूरा, सलेटी।
प्रश्न 8.
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
उत्तर:
- समुद्र को निहारना रामन् को अच्छा लगता ही था।
- आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है?
- रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक ही थे।
- कलकत्ता के शोध संस्थान की स्थापना एक डॉक्टर ने ही की थी।
- रामन् ने आखिरकार सरकारी नौकरी त्याग ही दी।
योग्यता विस्तार
प्रश्न1.
‘विज्ञान को मानव विकास में योगदान’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र कक्षा में चर्चा करें-
कि विज्ञान के बिना मानव जीवन कैसा था?
बिना आग और बिजली के जीवन कैसा था?
बिना सड़कों और पुलों के जीवन कैसा था?
बिना स्वचालित वाहनों और मोटरकारों के जीवन कैसा था?
बिना समाचार पत्र, रेडियो, टी.वी. के जीवन कैसा था?
बिना वायुयान, टेलीफोन और मोबाइल के जीवन कैसा था?
प्रश्न 2.
भारत के किन-किन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर:
1. सर चंद्रशेखर वेंकटरमने भौतिकी में
2. वेंकटरमन रामकृष्ण रसायनशास्त्र में
3. डॉ. हरगोविंद खुराना चिकित्साशास्त्र में
4. डॉ. चंद्रशेखर सुब्रह्मण्यम भौतिकी में
5. सर रोनाल्ड रॉस फिजियोलोजी में
प्रश्न 3.
न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के बारे में सारी दुनिया जानती है। परंतु उनकी सबसे पहली खोज परावर्तक दूरबीन के बारे में थी। हालांकि उनके द्वारा बनाई गई परावर्तक दूरबीन केवल 6 इंच लंबी थी किंतु वह 30 इंच लंबी सामान्य दूरबीन से भी अधिक दूर तथा सुस्पष्ट देख सकती थी। उनकी दूरबीन का मॉडल आज भी प्रयोग में लाया जाता है। न्यूटन ने गणित के क्षेत्र में कैलकुलस नामक गणन विधि का भी आविष्कार किया।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों की सूची उनके कार्यों/योगदानों के साथ बनाइए।
उत्तर:
- सर चंद्रशेखर वेंकटरमन – ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरणों के प्रभाव का अध्ययन।
- होमी जहाँगीर भाभा – परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण कार्यों में प्रयोग। ‘टाटा इंस्टिट्यूट’ व ‘भाभा रिसर्च सेंटर’ की स्थापना।
- जगदीशचंद्र बोस – सिद्ध किया कि पौधों में भी संवेदना होती है। पौधों की धड़कन रिकार्ड करने के लिए यंत्र की खोज की।
- मेघनाद साहा – साहा भौतिकी क्षेत्र में नाभिकीय भौतिकी और आयोनाइजेशन सूत्र पर काम किया।
- मोक्षागुंडम विश्वश्वरैया – वे प्रबुद्ध इंजीनियर थे। उन्होंने कृष्णाराजा सागर बाँध का डिजायन बनाया। सिंचाई का नया तरीका खोजा। उन्होंने कई उद्योग विकसित
किए, जिनमें भद्रावती आयरेन एण्ड स्टील वर्ल्स महत्त्वपूर्ण हैं। - सत्येंद्र नाथ बोस – वे भारतीय भौतिकविद् थे। वे आइस्टीन सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध थे। एक परमाणु के छोटे भाग का नाम ‘बोसोन’ उनके नाम पर पड़ा।
- सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर – इन्होंने भौतिकी व एप्लाइड गणित में काम किया। इनकी खोजें तारों की उत्पत्ति समझने में सहायक हैं।
- विक्रम साराभाई – इन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान में काम किया। इन्हें भारतीय स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है। इन्होंने ‘थुम्बा’ में पहला राकेट लांचिंग स्टेशन शुरू किया। इनके प्रयास से स्पूतनिक- लांच किया गया।
- श्री निवास रामानुजम – वे महान गणितज्ञ थे। उन्होंने संख्या संबंधी सिद्धांत दिए।
- डॉ. शांतिस्वरूप भटनागर – इन्होंने भारत में 12 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ स्थापित कीं। खाद्य पदार्थों के संसाधन पर काम किया।
- हरगोविंद खुराना – चिकित्सा व शरीर संबंधी विज्ञान के क्षेत्र में काम किया। प्रोटीन निर्माण आनुवांशिकी पर शोध किए।
प्रश्न 2.
भारत के मानचित्र में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली और कलकत्ता की स्थिति दर्शाएँ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
पिछले बीस-पच्चीस वर्षों में हुए उन वैज्ञानिक खोजों, उपकरणों की सूची बनाइए, जिसने मानव जीवन बदल दिया है।
उत्तर:
डिजिटल कैमरा
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग
मैमोरी कार्ड
स्मार्ट फोन
एम.पी. 3 डिजिटल आडियो प्लेयर
डिजिटल वीडियो रिकार्डर
प्लाज्मा टेलीविज़न
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