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The Banyan Tree Summary in English by Ruskin Bond
The Banyan Tree Summary in English
Part I
The author was living in his grandparents’ house in Dehradun. There was a huge banyan tree in the yard. The tree was home to squirrels, snails and butterflies. The author also made a platform on it for hiding and reading.
His first friend was a small squirrel. He offered it pieces of cake and biscuit. It grew bold and began to take out food items even from his pocket. During the fig season, the tree was a very noisy place made by parrots, myna, nightingales and crows. From his banyan tree platform, the author used to look down at the world below.
Part II
One day he saw a big cobra coming out in search of prey. Just then a mongoose also came out from the bushes. The two came face to face under the tree. (They are sworn enemies.) Both were great fighters, swift and clever.
The cobra raised its body three feet off the ground. The mongoose kept its eyes fixed below the cobra’s hood. The fight between the champions began. There were three onlookers of the fight—the author, a myna and a wild crow.
The mongoose moved swifter than the snake. It bit the snake on the back. The two birds flew down to feed on the dead cobra. But they hit against each other. They made a second attempt but in vain. In the third attempt the crow was bitten by the snake and it fell dead. Myna kept sitting on the cactus plant.
The fight went on for quite some time. The cobra grew tired and weak. The mongoose caught the cobra by its mouth. The cobra coiled itself round its enemy. But it could struggle no more. The mongoose dragged it into the bushes. The myna flew down and looked into the bushes. But it had no success. It flew away.
The Banyan Tree Summary in Hindi
Part I
लेखक देहरादून में अपने दादा-दादी के घर पर रह रहा था। आंगन में एक विशाल बरगद का पेड़ था। वृक्ष पर गिलहरियों, घोंघों तथा तितलियों का बोलबाला था। लेखक ने भी उस पर एक छोटा-सा प्लेटफार्म बना लिया जहाँ वह विश्राम कर (छुप) सके अथवा पुस्तकें पढ़ सके।
उसका पहला मित्र बना एक छोटा गिलहरी। वह गिलहरी को केक तथा बिस्कुट खिलाता था। गिलहरी निर्भीक हो गया, वह उसकी जेब से भी खाने की वस्तुएं निकालने लगा। फल लगने वाली ऋतु में वृक्ष पर बहुत शोरगुल हो जाता था। शोर करने वालों में थे तोते, मैना, बुलबुल तथा जंगली कौवा। वट वृक्ष पर स्थित अपने प्लेटफार्म से लेखक नीचे की दुनिया का नजारा लेता रहता था।
Part II
एक दिन उसने एक बड़े कोबरा को अपने शिकार की तलाश में बाहर आते देखा। तभी एक नेवला भी झाड़ियों से बाहर आ गया। दोनों वृक्ष के नीचे आमने-सामने आ गये। (हमें विदित ही है कि ये दोनों कितने कट्टर शत्रु होते हैं।) दोनों ही कुशल योद्धा थे, तेज गति वाले और चतुर भी।
कोबरा ने अपना शरीर जमीन से तीन फुट ऊपर उठा लिया। नेवले ने अपनी दृष्टि उसके फन के नीचे केन्द्रित कर रखी थी। दो महान योद्धाओं के बीच लड़ाई शुरू हो गयी। इस घटना के तीन दर्शक थे – लेखक, एक मैना पक्षी और एक जंगली कौवा।
नेवला साँप से अधिक तेज गति वाला था। उसने साँप की पीठ पर काट लिया। दोनों पक्षी कोबरा को मृत मानकर उसे खाने के लिए नीचे उड़कर आये। पर वे आपस में टकरा गये। उन्होंने दूसरा प्रयास किया पर वह भी असफल रहा। तीसरे दौर में कौवे को साँप ने काट लिया और वह मर गया। मैना अपने नागफनी पौधे पर बैठी रही।
लड़ाई काफी समय तक चलती रही। कोबरा थक कर कमजोर पड़ गया। नेवले ने उसे उसके थूथन से पकड़ लिया। साँप ने अपने शत्रु के शरीर पर कुंडली मार ली। पर वह अब लड़ने की स्थिति में नहीं रहा। नेवला उसे घसीटकर झाड़ियों में खींच ले गया। मैना पौधे से नीचे उड़कर आयी तथा उसने झाड़ियों में झाँका। उसे निराश होना पड़ा। वह उड़ गयी।