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The Best Christmas Present in the World Summary in English by Jayant Narlikar
The Best Christmas Present in the World by Jayant Narlikar About the Author
The Best Christmas Present in the World is a touching story by Michael Morpurgo. The narrator buys an old desk and finds in it a letter written by an English soldier Jim Mcpherson to his wife Connie whom the narrator goes to meet and hand over the letter.
Author Name | Michael Morpurgo |
Education | The King’s School, Royal Military Academy Sandhurst, King’s College London |
Children | Sebastian Morpurgo, Horatio Morpurgo, Rosalind Morpurgo |
Movies | War Horse, When the Whales Came, Private Peaceful, Waiting for Anya, Friend or Foe, Kensuke’s Kingdom |
Awards | Children’s Laureate, Carnegie Medal |
The Best Christmas Present in the World Summary in English
The author went to a junk shop in Bridport. He noticed a roll-top desk. It was very old and made of oak. It was in a bad condition. It had bum-marks down one side. Since it was cheap, the author decided to buy it and get it repaired. He began working on it on Christmas Eve.
He removed the roll-top and tried hard to pull out the drawer. It had suffered much damage due to fire and water. The drawer was jammed. He hit it hard with his fist and pulled it out. He found a secret drawer underneath. He took out a small black tin box. There was a note on it that said: “Jim’s last letter, received January 25, 1915”. The letter writer also wished to put it in her grave. Out of curiosity he opened the box. Inside it he found an envelope with the address: “Mrs. Jim Macpherson, 12 Copper Beeches, Bridport, Dorset.” The letter was dated Dec. 26, 1914.
The letter had been written by Jim to his wife Connie. He was a soldier, set against the Germans during the First World War. Jim wrote to her that he was very happy because something wonderful had happened. The soldiers on both sides of the no man’s land were taking up positions in their trenches. It was Christmas morning, cold and frosty.
Jim saw the German soldiers waving a white flag. They were calling out the English soldiers to say Happy Christmas. It was a big surprise to be greeted like friends by the enemies. But it was true, not a trick. The English soldiers also wished them in return.
The leader said that they wanted to celebrate the festival. Jim was the office in command. He allowed his men to join the Germans. Grey coats and Khaki coats mingled in the middle. In the time of war, they were making peace. The German soldier who came first was named Hans Wolf. Before joining the army he used to play the cello in an orchestra. Jim had been a school teacher in Dorset. Hans lied that he knew Dorset well. In fact, he had read about that place m Hardy’s novel, Far from the Madding Crowd.
The soldiers from the rival camps smoked, laughed, drank and feasted. Hans said that he liked the marzipan, the sweet covering on Jim’s bread. Jim wrote in the letter, that he had never seen or imagined a Christmas Party like that. They played football also. Both agreed on one point. The countries should have better resolved their disputes by playing a football or cricket match because no one dies in a match whereas war leaves behind orphans and widows.
The game was finished, so did the drinks and cakes. Jim told Hans that they hoped to see families as soon as the fighting ended by Christmas next year.
The author put the letter back into the envelope and drove into Bridport. He meant to hand over the letter to Connie (Mrs. Macpherson). Connie was now 101 years old. Her house had caught fire, but she was saved. She was in a conservatory.
The author wished her ‘Happy Christmas’ and gave the letter to her. She recognised the writing of her husband and felt veiy happy. She mistook the author for Jim who had come home, as promised on Christmas. She kissed the author on the cheek and asked him to read the letter to her. She wanted to listen to the voice of her husband. She said that he (Jim) himself was the best Christmas present to her.
The Best Christmas Present in the World Summary in Hindi
लेखक ब्रिडपोर्ट में एक कबाड़ी की दुकान पर गया। उसे एक मेज दिख गई जिसका ऊपरी भाग खिसक जाता था। यह काफी पुरानी ओक की लकड़ी की बनी थी। यह बुरी स्थिति में थी। उस पर एक ओर जलने के दाग थे। चूँकि वह सस्ती थी, लेखक ने उसे खरीदकर मरम्मत करा लेने का विचार कर लिया। उसने वह काम क्रिसमस के एक दिन पूर्व शुरु किया।
उसने मेज का ऊपरी भाग हटाया और उसके दराज को बाहर खींचने का प्रयास किया। उस पर आग और पानी के कारण काफी खराबी आ चुकी थी। दराज फंसकर बंद था। लेखक ने उस पर अपना जोरदार मुक्का मारा और उसे बाहर खींचा। उसने एक गुप्त दराज उसमें नीचे देखी। उसने उसमें रखा हुआ एक छोटा-सा टीन का काला डब्बा निकाला। उस पर लिखा था: “जिम का अंतिम पत्र जिसे 25 जनवरी 1915 को प्राप्त किया गया था”। पत्र लेखक ने इच्छा व्यक्त की थी कि इस पत्र को उसकी कब्र में दफना दिया जाये। उत्सुकतावश लेखक ने डब्बा खोल लिया। अंदर एक लिफाफा था, उस पर पता लिखा था “मिसेज जिम मेक्फर्सन, 12 कॉपर बीचेज, ब्रिडपोर्ट, डॉरसेट”। पत्र में तारीख थी 26 दिसम्बर, 1914।
इस पत्र को जिम ने अपनी पत्नी कोनी को लिखा था। वह सैनिक था, और प्रथम महायुद्ध में वह जर्मनी के विरुद्ध लड़ रहा था। जिम ने लिखा कि वह बहुत खुश था क्योकि एक हैरान कर देने वाली घटना घटी थी। खाली पड़े बीच के स्थान के दोनों ओर सैनिकों ने खाइयों में अपना छिपने का स्थान बना रखा था। क्रिसमस की सुबह थी, ठंडी और तुषार वाली।
जिम ने जर्मन सैनिकों को श्वेत झण्डा लहराते देखा। वे अंग्रेज सिपाहियों को क्रिसमस की शुभकामना देने के लिए पुकार रहे थे। अंग्रेज सैनिकों ने भी उसी प्रकार से उनको अभिवादन किया। दुश्मन द्वारा मित्रों की तरह अभिवादन करना एक बड़ा आश्चर्य था। परन्तु यह सत्य था, कोई चाल नहीं। अंग्रेज सैनिक भी बदले में उनका अभिवादन कर रहे थे।
नायक ने कहा हम लोग तुम्हारे साथ मिलकर त्योहार मनाना चाहते हैं। जिम उच्च अधिकारी था। उसने अपने सैनिकों को जर्मन सैनिकों के साथ हाथ मिलाने की अनुमति दे दी। काले कोट तथा खाकी वर्दी वाले बीच के खाली क्षेत्र में मिले। युद्ध के दौरान वे सभी शांति का पाठ पढ़ रहे थे। सबसे पहले आने वाले जर्मन सैनिक का नाम था हंस वोल्फ। सेना में भर्ती होने से पूर्व वह एक वाद्ययंत्र वादक दल में जो सबसे आगे आया था, एकल यंत्र बजाया करता था। जिम डॉरसेट के एक स्कूल में शिक्षक था। हंस ने झूठ बोला कि वह डॉरसेट से भलीभांति परिचित है। वास्तव में उसने इस स्थान के बारे में हार्डी के उपन्यास ‘Far from the Madding Crowd’ में पढ़ा था।
परस्पर विरोधी कैंप के सैनिकों ने धूम्रपान किया, मनोविनोद किया, मद्यपान किया तथा भोजन किया। हंस बोला मुझे तुम्हारे केक पर लगा मीठा मक्खन बहुत स्वादिष्ट लगा। जिम ने पत्र में लिखा कि उसने इस प्रकार की क्रिसमस पार्टी न कभी देखी और न ऐसी कल्पना की थी। उन्होंने फुटबाल भी खेला। दोनों इस विषय में एकमत थे कि देशों को अपने झगड़ों का हल फुटबाल या क्रिकेट मैच खेलकर खोजना चाहिये क्योंकि खेल मैच में कोई व्यक्ति मरता नहीं जबकि युद्ध अपने पीछे अनाथों और विधवाओं को छोड़ जाता है।
खेल समाप्त हुआ, उसी के साथ खाना पीना भी थम गया। जिम ने हंस को बोला कि उन्हें उम्मीद है कि अगले क्रिसमस तक जैसे ही युद्ध विराम होगा हम लोग अपने परिवार के पास पहुँच जायेंगे।
लेखक ने पत्र लिफाफे में रख दिया और ब्रिडपोर्ट की ओर चल दिया। वह चाहता था कि पत्र को कोनी (मिसेज मैक्फर्सन) को सौंप दे। कोनी अब 101 वर्ष की थी। उसके घर में आग लग गई थी पर उसे बचा लिया गया था। वह एक सुधार गृह में थी।
लेखक ने उसे ‘शुभ क्रिसमस’ बोला तथा पत्र सौंपा। महिला ने तुरंत अपने पति के अक्षरों को पहचान लिया तथा बहुत खुश हो गई। उसने लेखक को ही गलती से अपना पति जिम समझ लिया जो वायदे के अनुसार क्रिसमस पर घर लौटा था। उसने लेखक को चूमा और उसीसे पत्र पढ़कर सुनाने को कहा। वह तो अपने पति की आवाज सुनना चाहती थी। वह बोली कि वह (जिम) स्वयं ही उसके लिए सबसे बड़ा क्रिसमस उपहार था।